Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan Chapter 3 इतिहास जानने के स्रोत Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 6 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts.
I. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर कोष्ठक में लिखिए
1. वंश भास्कर के लेखक हैं?
(अ) बांकीदास
(ब) श्यामलदास
(स) सूर्यमल्ल मिसण
(द) दयाल दास
उत्तर:
(स) सूर्यमल्ल मिसण
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. प्रशंसा में लिखे गये अभिलेख को ......... कहा जाता है।
2. संस्कृत में उत्कीर्ण ........... का शिलालेख रावल समरसिंह के युग तक की जानकारी देता है।
उत्तर:
1. प्रशस्ति
2. चीरवा
III. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
Class 6 Hamara Rajasthan Chapter 3 Question Answer प्रश्न 1.
राजस्थान के किन्हीं तीन प्रमुख दुर्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) चित्तौड़ दुर्ग
(2) रणथम्भौर दुर्ग
(3) मेहरानगढ़।
हमारा राजस्थान कक्षा 6 पाठ 3 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 2.
पुरातात्विक स्रोत किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राचीन काल के वे अ\शेष जिनसे हमें स्थान एवं घटनाओं के सन्दर्भो को समझने में सहयोग मिलता है, उनको पुरातात्विक स्रोत कहते हैं।
इतिहास जानने के स्रोत Class 6 प्रश्न 3.
इतिहास लेखन में मुद्राओं के योगदान को समझाइये।
उत्तर:
मुद्राओं से किसी भी काल विशेष की राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक स्थिति का पता चलता है जो कि इतिहास लेखन में सहायक है।
IV. लघूत्तरात्मक प्रश्न
Class 6 Hamara Rajasthan Chapter 3 Question Answer In English प्रश्न 1.
ताम्रपत्र किसे कहते हैं एवं इनसे क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
ताम्रपत्र-तांबे के छोटे-बड़े पत्तरों पर खोदे गए लेखों को 'ताम्रपत्र' कहते हैं। दान-पुण्य से संबंधित होने के कारण इन्हें दानपत्र भी कहा जाता है। ताम्रपत्रों से हमें शासक, काल, भाषा, पर्व, धर्म, भूमि, भूमि के प्रकार, नाप-तौल, दान के प्रकार आदि का पता चलता है।
सामाजिक विज्ञान कक्षा 6 पाठ 3 प्रश्न 2.
राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक ग्रन्थों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
राजस्थान का इतिहास जानने में यहाँ के ऐतिहासिक ग्रन्थों का बहुत योगदान है।
(1) राजस्थान के प्राचीन इतिहास को जानने में वेद-पुराण, रामायण, महाभारत, बौद्ध एवं जैन ग्रंथों से सहायता मिलती है।
(2) 12वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जयानक कृत 'पृथ्वीराज विजय' महाकाव्य से, चौहानों की उपलब्धियों का वर्णन मिलता है।
(3) नयनचन्द्र सूरि कृत 'हम्मीर महाकाव्य' से चौहानों के इतिहास के साथ-साथ अलाउद्दीन खिलजी की रणथम्भौर विजय और उस समय की सामाजिक, धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है।
(4) पृथ्वीराज रासो, अचलदास खींची की वचनिका, पद्मनाभ कृत 'कान्हड़देव प्रबंध', बीकानेर के दलपत सिंह कृत दलपत-विलास, खिड़िया जग्गा कृत 'वचनिका' आदि भी विशेष उल्लेखनीय हैं।
(5) नैणसी री ख्यात, बांकीदास की ख्यात, दयालदास की ख्यात, जोधपुर राज्य की ख्यात आदि से इतिहास जानने में सहायता मिलती है।
(6) फारसी-उर्दू तवारिखों (इतिहास ग्रंथों) से हमें विशेषतया मध्यकालीन राजस्थान का इतिहास समझने में मदद मिलती है।
(7) कर्नल जेम्स टॉड कृत 'एनाल्स एण्ड एन्टीक्विटीज ऑफ राजस्थान' और 'पश्चिम भारत की यात्रा', बंदी के महाकवि सूर्यमल्ल मिसण का वंश भास्कर, कविराज श्यामलदास कृत 'वीर विनोद', विश्वेश्वर नाथ रेऊ कृत 'मारवाड़ राज्य का इतिहास', गौरीशंकर हीराचंद ओझा लिखित उदयपुर, जोधपुर, सिरोही, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ के इतिहास ग्रन्थ उल्लेखनीय हैं।
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. गरों के इतिहास की जानकारी का साधन है
(अ) चीरवा का शिलालेख
(ब) घटियाला अभिलेख
(स) बिजौलिया शिलालेख
(द) किराडू अभिलेख
उत्तर:
(ब) घटियाला अभिलेख
2. 'पृथ्वीराज विजय' के रचयिता हैं
(अ) जयानक
(ब) नयनचन्द्र सूरि
(स) नैणसी
(द) चन्दबरदाई
उत्तर:
(स) नैणसी
3. कविराज श्यामलदास कृत रचना कौनसी है?
(अ) कान्हड़देव प्रबन्ध
(ब) वंश भास्कर
(स) हम्मीर महाकाव्य
(द) वीर विनोद
उत्तर:
(द) वीर विनोद
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. ....... (नीम का थाना, सीकर) ताम्न संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
2. चौहानों का इतिहास जानने हेतु ....... शिलालेख महत्त्वपूर्ण साधन है।
3. ताँबे के छोटे-बड़े पत्तरों पर खोदे गये लेखों को ........ कहते हैं।
उत्तर:
1. गणेश्वर
2. बिजौलिया
3. ताम्रपत्र
अतिलघत्तरात्मक प्रश्न
इतिहास जानने के स्रोत का वर्णन कीजिए प्रश्न 1.
प्रशस्ति किसे कहा जाता है?
उत्तर:
प्रशंसा में लिखे गये अभिलेख को प्रशस्ति कहा जाता है।
कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान पाठ 3 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 2.
किन्हीं दो पुरातात्विक स्रोतों के नाम लिखिये।
उत्तर:
(1) अभिलेख
(2) मुद्राएँ।
इतिहास कक्षा 6 पाठ 3 प्रश्न 3.
अभिलेख किस शैली में लिखे हुए मिलते हैं?
उत्तर:
अभिलेख विविध भाषाओं में गद्य व पद्य दोनों ही शैलियों में मिलते हैं।
इतिहास किसे कहते हैं Class 6 प्रश्न 4.
राजस्थान में पाये जाने वाले किन्हीं दो अभिलेखों के नाम बताइये।
उत्तर:
(1) नगरी अभिलेख
(2) घटियाला अभिलेख।
राजस्थान अध्ययन कक्षा 6 Book प्रश्न 5.
उत्खनन में हमें क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर:
उत्खनन में हमें मृदभाण्ड, प्याले, रकाबियाँ, धूपपात्र, दीपक आदि प्राप्त हुए हैं।
इतिहास पाठ 3 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 6.
राजस्थान में किन स्थानों से उत्खनन में काले एवं लाल मृदभाण्ड मिले हैं?
उत्तर:
जोधपुरा (जयपुर) एवं नोह (भरतपुर) से।
कक्षा 6 पाठ 3 इतिहास प्रश्न 7.
कान्हड़देव प्रबन्ध के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
कान्हड़देव प्रबन्ध के लेखक पद्मनाभ हैं।
विज्ञान कक्षा 6 पाठ 3 प्रश्न 8.
ख्यात विषयक साहित्य में किन चीजों का वर्णन होता है?
उत्तर:
ख्यात विषयक साहित्य में प्रसिद्ध राजपूत राजवंशों की स्थापना, राजाओं का वंशक्रम, राज्य क्षेत्र आदि का वर्णन होता है।
प्रश्न 9.
किन्हीं दो प्रसिद्ध ख्यात के नाम लिखिये।
उत्तर:
(1) नैणसी री ख्यात
(2) बांकीदास की ख्यात।
प्रश्न 10.
कर्नल जेम्स टॉड द्वारा रचित प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति का नाम बताइये।
उत्तर:
'एनाल्स एण्ड एन्टीक्विटीज ऑफ राजस्थान'।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पुरातात्विक स्रोतों में कौन-कौनसी सामग्री सम्मिलित होती है?
उत्तर:
पुरातात्विक स्रोतों में निम्न सामग्री सम्मिलित होती है
(1) अभिलेख
(2) स्मारक
(3) मुद्राएँ
(4) उत्खनन से प्राप्त सामग्री एवं कलाकृतियाँ
(5) ताम्रपत्र आदि।
प्रश्न 2.
अभिलेख से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अभिलेख-शिलालेखों (पत्थर की पट्टिकाओं), पाषाण-शिलाओं (पत्थर के बड़े-बड़े खण्डों), स्तम्भों, भवनों, गुफाओं की दीवारों, मूर्ति-प्रतिमाओं, स्तूपों, मठों, तालाबों, खेतों में खड़ी शिलाओं, ताम्रपत्रों पर उत्कीर्ण किये हुए लेख, अभिलेख कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
अभिलेखों की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अभिलेखों की उपयोगिता-
(1) अभिलेखों में शासक, उनके आश्रित लोगों, रानियों, राजकुमारों, सामन्तों। आदि के नाम, घटना की तिथियाँ, शासन कार्यों और आज्ञाओं का उल्लेख मिलता है।
(2) अभिलेखों से तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक जीवन आदि की जानकारी मिलती है।
प्रश्न 4.
राजस्थान में पाये गये प्रमुख अभिलेखों के बारे में बताइये।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख अभिलेख-राजस्थान के अभिलेखों में नगरी अभिलेख, कंसवा अभिलेख, घटियाला अभिलेख, किराडू अभिलेख, नांदसा और बर्नाला यूप (स्तम्भ) लेख, सामोली शिलालेख आदि प्रमुख हैं। इनसे राजस्थान की धार्मिक व्यवस्था, यज्ञों के प्रकार, भूमि तथा द्रव्यदान, राजनीतिक सीमा आदि की जानकारी प्राप्त होती है। जैसे घटियाला अभिलेख से प्रतिहारों और बिजौलिया शिलालेख से चौहानों का इतिहास पता चलता है। चीरवा का शिलालेख रावल समरसिंह के युग की जानकारी देता है।
प्रश्न 5.
राजस्थान के प्रमुख स्मारकों का वर्णन कीजिए। इनसे क्या जानकारी मिलती है? .
उत्तर:
राजस्थान के विभिन्न स्मारकों में चित्तौड़, जालोर, गागरोन, रणथम्भौर, आमेर, मेहरानगढ़, तारागढ़, कुम्भलगढ़ आदि दुर्ग महत्त्वपूर्ण हैं। इनके अलावा भवन, राजप्रासाद (महल), सार्वजनिक भवन, स्नानागार, जनसाधारण के घर, विहार, मठ, चैत्य, स्तूप, मंदिर, समाधि, बावड़ी, कूप आदि भी स्मारक हैं। स्मारकों से हमें तत्कालीन स्थापत्य कला, धार्मिक विश्वास, उपासना पद्धति, मनुष्य की चेतना और समृद्धि का ज्ञान प्राप्त होता है।
प्रश्न 6.
हम्मीर महाकाव्य की रचना किसने की? इससे क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
हम्मीर महाकाव्य की रचना नयनचन्द्र सूरि ने की थी। हम्मीर महाकाव्य' से चौहानों के इतिहास के साथसाथ अलाउद्दीन खिलजी की रणथम्भौर विजय और उस समय की सामाजिक-धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
इतिहास को जानने के स्रोत के रूप में मुद्राओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) मुद्राएँ इतिहास को जानने के स्रोत की पुरातात्विक सामग्री हैं।
(2) मुद्राओं अथवा सिक्कों, छापों या प्रतीकों से किसी भी काल विशेष की राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक स्थिति का पता लगता है।
(3) मुद्राओं पर अंकित चिह्न, भाषा, लिपि, सन्, संवत्, नाम सहित धातु की शुद्धता, नाप-तौल आदि से हमें उस समय की समृद्धि आदि का ज्ञान होता है।
(4) सिक्के राज्य व शासक की शक्ति के सूचक भी हैं।
(5) राजस्थान के आहड़, रैड़, बैराठ, रंगमहल, सांभर सुखाणियां के उत्खनन से प्राप्त सिक्के और मुद्राओं से क्षत्रपों, मालव, चौहान, गुहिल आदि वंशों के काल के राज्य, शासन, अधिकृत सीमा के बारे में जानकारी उपलब्ध होती है।
प्रश्न 2.
इतिहास के स्रोत के रूप में बर्तन और कलाकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) इतिहास के स्रोत के रूप में बर्तन और कलाकृतियों का बहुत महत्त्व है। उत्खनन से हमें तत्कालीन बर्तन आदि कलाकृतियाँ प्राप्त हुई हैं।
(2) कलाकारी में बर्तनों पर चित्रण, खम्भों पर खुदाई, किवाड़ों व गवाक्ष (गोखड़ों) की कारीगरी आदि भी देखने में आती है।
(3) हमें ऐसे बर्तन भी प्राप्त होते हैं, जिनकी बनावट, पॉलिश, रंग आदि उस काल की उत्कृष्ट कला को दर्शाते हैं।
(4) अनेक स्थानों से उत्खनन में प्राप्त मृदभाण्ड, प्याले, रकाबियाँ, धूपपात्र, दीपक आदि से तत्कालीन कला-कौशल को जाना जा सकता है।
(5) गणेश्वर (नीम का थाना, सीकर) की ताम्र संस्कृति के अवशेष, जोधपुरा (जयपुर) एवं नोह (भरतपुर) से प्राप्त काले एवं लाल मृदभाण्ड, आहड़ व गिलुण्ड से प्राप्त प्रस्तर, फलक आदि में भी उत्कृष्ट कला कौशल देखा जा सकता है।