Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 3 Hindi Chapter 7 कलाकार का असंतोष Textbook Exercise Questions and Answers.
सोचें और बताएँ -
प्रश्न 1.
बेटे की मूर्तियाँ आसानी से क्यों बिक जाती थीं?
उत्तर :
बेटे की मूर्तियाँ अधिक सुन्दर होने के कारण आसानी से बिक जाती थीं।
प्रश्न 2.
बाप उदास क्यों हो गया?
उत्तर :
बेटे के द्वारा अपनी खुद की प्रशंसा सुनकर बाप उदास हो गया।
प्रश्न 3.
कलाकार के संतोषी होने पर उसकी कला पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
कलाकार के संतोषी होने पर उसकी कला का विकास रुक जाता है।
लिखें -
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें -
(दोष, गुजारा, लज्जित, मेहनत, आश्चर्य)
(क) उसका ............... मज़े में हो जाता था।
(ख) वह बेटे की बनाई हुई मूर्तियों में .......... निकालता रहता था।
(ग) वह बहुत ............. से मूर्तियाँ बनाने लगा।
(घ) बेटा ............... हो गया और उसका सिर नीचे झुक गया।
(ङ) बेटे के स्वर में ............... था।
उत्तर :
(क) गुजारा
(ख) दोष
(ग) मेहनत
(घ) लज्जित
(ङ) आश्चर्य।
प्रश्न 2.
कलाकार के दिन कैसे बीत रहे थे और क्यों?
उत्तर :
कलाकार के दिन मज़े से बीत रहे थे, क्योंकि उसकी बनाई हुई मूर्तियाँ आसानी से बिक जाती थीं।
प्रश्न 3.
कलाकार अपने बेटे की बनी मूर्तियों में दोष क्यों निकालता रहता था?
उत्तर :
कलाकार अपने बेटे की मूर्तियों में इसलिए दोष निकालता रहता था, ताकि बेटा और अधिक सुंदर मूर्तियाँ बनाने का प्रयास करे।
प्रश्न 4.
बेटे की मूर्तियाँ बाप की मूर्तियों से अच्छी क्यों बनने लगीं?
उत्तर :
बेटा अपने बाप की झिड़कियाँ सुनकर और अधिक ध्यान से मूर्तियाँ बनाने लगा था। इसलिए उसकी मूर्तियाँ अच्छी बनने लगीं।
प्रश्न 5.
बेटे की बात सुनकर पिता को कैसा लगा? पिता ने उसे क्या समझाया?
उत्तर :
बेटे की बात सुनकर पिता उदास हो गया, उसने बेटे को समझाया कि जब कलाकार को अपनी कला पर संतोष होने लग जाता है तो उसका विकास रुक जाता है।
भाषा की बात -
प्रश्न :
एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए।
मूर्ति - मूर्तियाँ
खिड़की - ..........
झिड़की - .........
कली - .............
गली - ..........
डाली - ..........
उत्तर :
खिड़की - खिड़कियाँ
झिड़की - झिड़कियाँ
कली - कलियाँ
गली - गलियाँ
डाली - डालियाँ
वस्तुनिष्ठ प्रश्न -
प्रश्न 1.
कलाकार मिट्टी का क्या बनाता था?
(अ) मकान
(ब) बर्तन
(स) मूर्तियाँ
(द) अन्य सामान।
उत्तर :
(स) मूर्तियाँ
प्रश्न 2.
किसकी मूर्तियाँ अधिक दाम में बिकती थीं?
(अ) पिता की
(ब) दुकानदार की
(स) कलाकार की
(द) पुत्र की।
उत्तर :
(द) पुत्र की।
प्रश्न 3.
पिता अपने पुत्र की मूर्तियों में हमेशा क्या बताता था?
(अ) कमियाँ
(ब) सुन्दरता
(स) गुण
(द) खूबसूरती।
उत्तर :
(अ) कमियाँ
प्रश्न 4.
कलाकार के मन में संतोष का भाव आने से क्या होता है?
(अ) काम बढ़ जाता है
(ब) विकास रुक जाता है
(स) काम में निखार आता है
(द) तरक्की होती है।
उत्तर :
(ब) विकास रुक जाता है
रिक्त स्थान भरो -
प्रश्न 1.
एक गाँव में एक .......... रहता था। (आदमी/जानवर)
उत्तर :
आदमी
प्रश्न 2.
बेटे का हाथ बाप से ज्यादा .......... था। (गन्दा/साफ)
उत्तर :
साफ़
प्रश्न 3.
उसकी मूर्तियाँ बाप से ........ बनने लगीं। (अच्छी /बुरी)
उत्तर :
अच्छी
प्रश्न 4.
कलाकार का .......... उसकी प्रगति को वहीं रोक देता है। (संतोष/असंतोष)
उत्तर :
संतोष
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
पिता की बनाई मूर्तियाँ कैसी होती थीं?
उत्तर :
पिता की बनाई मूर्तियाँ सुन्दर होती थीं।
प्रश्न 2.
पिता ने किसको मूर्ति बनाने का कार्य सिखाया?
उत्तर :
पिता ने अपने पुत्र को मूर्ति बनाने का कार्य सिखाया।
प्रश्न 3.
पिता-पुत्र में से किसकी मूर्तियाँ महँगे दामों पर बिकती थीं?
उत्तर :
पिता-पुत्र में से पुत्र की मूर्तियाँ महँगे दामों पर बिकती थीं।
प्रश्न 4.
कलाकार में संतोष पैदा होने से क्या होता है?
उत्तर :
कलाकार में संतोष पैदा होने से उसका विकास रुक जाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
बेटे की मूर्तियाँ पिता से अच्छी क्यों बनने लगीं?
उत्तर :
बेटा नवयुवक था, वह अधिक चुस्त और फुर्तीला था। उसका हाथ भी अपने पिता के हाथ से ज्यादा साफ़ था। इसलिए उसकी मूर्तियाँ पिता से अच्छी बनने लगीं।
प्रश्न 2.
बाप को बेटे की मूर्तियों से संतोष क्यों नहीं होता था?
उत्तर :
बाप जानता था कि संतोष का भाव पैदा होते ही कलाकार का विकास रुक जाता है और कला में पूर्णता जैसी चीज़ हो ही नहीं सकती, इसलिए वह हमेशा बेटे की बनाई मूर्तियों में कमियाँ निकाल कर असंतोष प्रकट करता रहता था।
प्रश्न 3.
पुत्र की मूर्तियाँ पिता से अधिक दामों पर क्यों बिकने लगीं?
उत्तर :
शुरू में तो पुत्र की बनाई मूर्तियाँ भी पिता जितने दामों पर ही बिकती थीं, लेकिन पिता की झिड़कियाँ खाने के बाद और अधिक ध्यान से मूर्तियाँ बनाने से पुत्र की मूर्तियाँ सुन्दर बनने लगी और पिता की मूर्तियों से अधिक दामों पर बिकने लगीं।
प्रश्न 4.
'कलाकार का असंतोष' पाठ में क्या संदेश निहित है?
उत्तर :
'कलाकार का असंतोष' पाठ में संदेश है कि कला चाहे कोई सी भी हो, वह कभी संपूर्ण नहीं होती है, वरन् उसमें और निखार की संभावना बनी रहती है। अत: कलाकार को कभी-भी अपनी कला पर गर्व या। सन्तोष नहीं करना चाहिए अन्यथा उसकी प्रगति रुक जाएगी।
पाठ का सार - प्रस्तुत पाठ में एक कलाकार द्वारा कभी भी अपनी कला में परिपूर्ण नहीं होने तथा संतुष्ट नहीं होने के बारे में बताया गया है। कहानी के माध्यम से समझाया गया है कि किस प्रकार मूर्ति बनाने वाले कलाकार का पुत्र अपने पिता से भी अच्छी मूर्तियाँ बनाने लगा, फिर भी उसका पिता उसे और अच्छी मूर्तियाँ बनाने को कहता। इससे परेशान हो पुत्र ने पिता से ही उनकी मूर्तियाँ दोषपूर्ण तथा स्वयं की मूर्तियाँ उनसे श्रेष्ठ होने की बात कही। इस पर पिता ने समझाते हुए कहा कि जिस दिन एक कलाकार को अपनी कला पर संतोष या गर्व होने लगता है, उसी दिन से उसका विकास रुक जाता है। कला कभी भी परिपूर्ण नहीं हो सकती। इतना समझने के बाद पुत्र का सिर नीचे झुक गया।
कठिन-शब्दार्थ :