Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 3 Hindi Chapter 4 समय सुबह का Textbook Exercise Questions and Answers.
सोचे और बताएँ -
प्रश्न 1.
सुबह के समय कौन-कौन महका?
उत्तर :
सुबह के समय बाग-बगीचा और आँगन महका।
प्रश्न 2.
कानों में किसकी आवाजें गूंजने लगीं?
उत्तर :
कानों में मुर्गे की बाँग और चिडियाँ के चहचहाने की आवाजें गूंजने लगीं।
प्रश्न 3.
अंगड़ाई लेकर कौन जागीं?
उत्तर :
अंगड़ाई लेकर कलियाँ जागीं।
लिखें -
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें -
(मुरगों, चाँद, कोयल काली, आँगन)
(क) बाग-बगीचा ............... महका।
(ख) कूक उठी है...............।
(ग) फीका पड़ा ............... का मुखड़ा।
(घ) ............... ने उठ बाँग लगाई।
उत्तर :
(क) आँगन,
(ख) कोयल काली
(ग) चाँद
(घ) मुरगों।
प्रश्न 2.
कौन कैसी बोली बोलता है, मिलान करें -
(क) मुर्गा = कुहू कुहू
(ख) कोयल = टी-टीं
(ग) चिड़िया = कुकडू-कूँ
(घ) भौंरा = काँव-काँव
(ङ) कौआ = ची-चीं
(च) तोता = गुन-गुन
उत्तर :
(क) मुर्गा = कुकडू-कूँ
(ख) कोयल = कुहू कुहू
(ग) चिड़िया = चीं-ची
(घ) भौंरा = गुन-गुन
(ङ) कौआ = काँव-काँव
(च) तोता = टी-टीं
प्रश्न 3.
सुबह उठकर हम क्या-क्या काम करते हैं?
उत्तर :
सुबह उठकर हम दाँत साफ करते हैं, नहा कर साफ-सुथरे होते हैं।
प्रश्न 4.
प्रातःकाल कौन-कौनसे पक्षियों की आवाज सुनाई देती है?
उत्तर :
प्रात:काल चिड़ियों, मुर्गों और कोयलों की आवाजें सुनाई देती हैं।
प्रश्न 5.
पूरब में लाली किस समय फैलती है?
उत्तर :
पूरब में लाली सुबह के समय फैलती है।
प्रश्न 6.
किरणों ने भू पर उतरकर क्या किया?
उत्तर :
किरणों ने भू पर उतरकर ओस के मोती चुग लिए।
प्रश्न 7.
'फूली नहीं समाई डाली' से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
'फूली नहीं समाई डाली' से आशय है कि फूल खिलने से डाली सुन्दर लगने लगी है।
प्रश्न 8.
'फीका पड़ा चाँद का मुखड़ा' से क्या आशय है?
उत्तर :
'फीका पड़ा चाँद का मुखड़ा' से आशय है कि सुबह का उजाला होने से चाँद की चमक कम हो गई.
भाषा की बात -
प्रश्न :
पाठ में आए फूल को पुष्प, कुसुम, सुमन आदि अनेक नामों से जाना जाता है, ऐसे ही किसी शब्द के समान अर्थ वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें -
रात
चाँद आँख - .............. आसमान
उत्तर :
रात - रात्रि, रजनी, निशा।
चाँद - चंद्रमा, शशि, इंदु ।
आँख - नयन, नेत्र, चक्षु।
आसमान - गगन, आकाश, नभ।
यह भी करें -
प्रश्न :
इस पाठ के आधार पर सुबह का वर्णन अपने शब्दों में लिखकर कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर :
सुबह का समय बहुत ही सुहावना होता है। आसमान में लालिमा छा जाती है। मुर्गा बाँग देने लगता है। चिड़ियाँ चहचहाने लगती हैं। कोयल कूकने लगती है। बाग-बगीचों में फूल खिलने लगते हैं। फूलों पर तितलियाँ और भंवरे मँडराने लगते हैं। सुबह की सुनहरी किरणें जब धरती पर आती हैं तो घास पर पड़ी ओस सूखने लगती है। सुबह का समय सब में ताजगी भर देता है।
प्रश्न :
सारणी की पूर्ति करें।
उत्तर :
फूल व फल का नाम - रंग का नाम
वस्तुनिष्ठ प्रश्न -
प्रश्न 1.
कविता में किस समय का वर्णन किया गया है?
(अ) दोपहर का
(ब) शाम का
(स) सुबह का
(द) रात का।
उत्तर :
(स) सुबह का
प्रश्न 2.
सुबह आसमान का रंग कैसा हो गया है?
(अ) सफेद
(ब) सुनहरा
(स) काला
(द) नीला।
उत्तर :
(ब) सुनहरा
प्रश्न 3.
सुबह उठकर बाँग किसने लगाई?
(अ) मुरगों ने
(ब) चिड़ियाँ ने
(स) कोयल ने
(द) तोते ने।
उत्तर :
(अ) मुरगों ने
प्रश्न 4.
सुबह के समय अंगड़ाई किसने ली?
(अ) तितलियों ने
(ब) भंवरों ने
(स) फूलों ने
(द) कलियों ने।
उत्तर :
(द) कलियों ने।
रिक्त स्थान भरो -
प्रश्न 1.
नहीं अंधेरा नहीं ..........। (धुंधलका/उजाला)
उत्तर :
धुंधलका
प्रश्न 2.
आसमान रंग गया ..........। (नीला/सुनहला)
उत्तर :
सुनहला
प्रश्न 3.
नहीं ..........रही यहाँ अब। (चाँदनी/रोशनी)
उत्तर :
चाँदनी
प्रश्न 4.
चहक उठी .......... मन भाई। (कोयल/चिड़ियाँ)
उत्तर :
चिड़ियाँ
प्रश्न 5.
गुन-गुन कर ........ मँडराये। (भँवरे तितली)
उत्तर :
भँवरे।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
सुबह अपने साथ क्या लेकर आई?
उत्तर :
सुबह अपने साथ उजियाला लेकर आई।
प्रश्न 2.
ऊँची शाखाओं को छूकर कौन उतरा?
उत्तर :
ऊँची शाखाओं को छूकर किरणें उतरीं।
प्रश्न 3.
कोयल कहाँ कूकने लगी?
उत्तर :
कोयल बाग-बगीचों और अमराई में कूकने लगी।
प्रश्न 4.
तितलियों के पंख कैसे होते हैं?
उत्तर :
तितलियों के पंख रंग-बिरंगे होते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
सुबह के समय आसमान कैसा हो जाता है? क्यों ?
उत्तर :
सुबह के समय आसमान का रंग सुनहरा हो जाता है तथा पूर्व दिशा में लाली छा जाती है। क्योंकि वह समय सूर्योदय का समय होता है।
प्रश्न 2.
सुबह होते ही चाँद और तारों का क्या होता
उत्तर :
सुबह की रोशनी होते ही चाँद की रोशनी कम पड़ जाती है। चाँदनी गायब हो जाती है, और तारे सूर्य की रोशनी के कारण दिखने बंद हो जाते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे वे गायब हो गए हों।
प्रश्न 3.
पाठ के अनुसार सुबह के समय पक्षियों की कैसी आवाजें आती हैं?
उत्तर :
पाठ में बताया गया है कि सुबह के समय मुर्गे कुकडू-कूँ बोल कर बाँग लगाते हैं। चिड़ियाँ चहचहाती हैं, और चीं-चीं की आवाजें करती हैं । बाग-बगीचों और अमराई में कोयल कुहू कुहू कर कूकने लगती हैं।
समय सुबह का कठिन-शब्दार्थ एवं सरलार्थ -
1. जागो,आया समय सुबह का।
बाग-बगीचा आँगन महका ॥
नहीं अँधेरा नहीं धुंधलका,
आई सुबह लिए उजियाली।
आसमान रंग गया सुनहला,
फैल गई पूरब में लाली॥
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - सुबह के समय के दृश्य का वर्णन करते हुए कवि कहता है कि उठो, जागो, सुबह हो गई है। बाग-बगीचे, घर-आँगन सब खुशबू से भर गए हैं। अब न तो अंधेरा है और न ही धुंधलापन है। अब सुबह का उजाला हो गया है। आसमान का रंग सुनहरा हो गया है, और पूरब दिशा में लाली फैल गई है, अर्थात् पूर्व दिशा में आसमान लाल हो गया है।
2. ऊँची शाखाओं को छूती,
किरणें आ उतरी हैं भू पर।
ओस-कणों को चुगा उन्होंने,
सभी जगह से एक-एक कर॥
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि कहता है कि ऊँचे-ऊँचे पेड़ों की डालियों को छूकर सूरज की किरणें धरती पर उतर आई हैं। उन्होंने सुबह की ओस की बूंदों को सब जगह से एक-एक कर के चुग लिया है, अर्थात् सुखा दिया है।
3. फीका पड़ा चाँद का मुखड़ा,
नहीं चाँदनी रही यहाँ अब।
सारी रात चमकने वाले,
तारे जाने गए कहाँ सब॥
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि कहता है कि अब तो चाँद का मुखड़ा भी फीका पड़ गया है, अर्थात् चाँद की चमक भी कम हो गई है। अब चाँदनी भी गायब हो गई है। जो तारे सारी रात चमक रहे थे, वे भी न जाने कहाँ गायब हो गए हैं।
4. मुरगों ने उठ बाँग लगाई,
चहक उठी चिड़ियाँ मन भाई।
कुकडू कूँ चीं-चीं आवाजें,
गूंज उठी कानों में भाई॥
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि कहता है कि सुबह होने पर मुरगों ने कुकडू कूँ बोल कर बाँग लगा दी है। चिड़ियों का मन भी चहक उठा है और सब तरफ से उनकी ची-चीं की आवाजें कानों में गूंजने लगी हैं।
5. बाग-बगीचों अमराई में,
कूक उठी है कोयल काली।
फूलों से भर अपनी झोली,
फूली नहीं समाई डाली।
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - सुबह का समय होते ही आम के पेड़ों से कोयल की कूकने की मधुर आवाज आने लगी है। पेड़ की डालियों पर बहुत सारे फूल खिल गए हैं, जिससे पेड़ की डालियाँ बहुत सुन्दर लग रही है, मानो वे बहुत खुश हो गई हैं।
6. गुन-गुन कर भँवरे मँडराए,
कलियाँ जागी ले अंगड़ाई।
रंग-बिरंगे पंखों वाली,
कई तितलियाँ उड़-उड़ आई॥
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि कहता है कि सुबह का समय होते ही फूलों की कलियों पर भंवरे मँडराने लगे हैं और कलियाँ तन कर अंगड़ाई लेने लगी हैं, अर्थात् खिलने लगी हैं। इन फूलों पर कई रंग-बिरंगी तितलियाँ उड़-उड़कर आने लगी हैं।
7. छोड़ बिछौना उठ बैठो सब,
आलस छोड़ो, आँखें खोलो।
दाँत मलो, मुँह हाथ पाँव धो,
सभी साफ सुथरे अब हो लो।
हुआ उजाला हलका-हलका।
जागो, आया समय सुबह का॥
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि कहता है कि अब बिस्तर छोड़ो और उठ जाओ। आलस्य छोड़कर अपनी आँखें खोलो अर्थात् उठ जाओ। अपने दाँत साफ करो और मुँह, हाथ, पाँव धोकर साफ़ सुथरे हो जाओ। अब हलकाहलका उजाला होने लगा है, इसलिए अब जागो, क्योंकि सुबह हो गई है।