Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 3 Hindi Chapter 1 देश की माटी Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 3 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 3 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts.
सोचे और बताएँ -
प्रश्न 1.
सरस बनाने के लिए किसे निवेदन किया गया है?
उत्तर :
सरस बनाने के लिए प्रभु अर्थात् ईश्वर से निवेदन किया गया है।
प्रश्न 2.
हमारा तन और मन किसका बताया गया है?
उत्तर :
हमारा तन और मन देश का बताया गया है।
प्रश्न 3.
वन और बाट कैसे होने चाहिए?
उत्तर :
वन और बाट सरल होने चाहिए।
लिखें -
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें। (भाई-बहन, सरस, इच्छा , फल)
(क) हवा देश की देश के ...........
(ख) सरस बनें प्रभु ..............
(ग) देश के घर के ............
(घ) देश की ...................... देश की आशा।
उत्तर :
(क) फल
(ख) सरस
(ग) भाई-बहन
(घ) इच्छा।
प्रश्न 2.
देश की माटी व जल कैसे होने चाहिए?
उत्तर :
देश की माटी व जल सरस होने चाहिए।
प्रश्न 3.
वन और बाट से क्या आशय है?
उत्तर :
वन से आशय जंगल व बाट से आशय रास्ता है।
प्रश्न 4.
विमल बनने के लिए किसको कहा गया
उत्तर :
देश में रहने वाले सभी लोगों, उनके मन तथा देश के प्रत्येक भाई-बहन को विमल बनने के लिए कहा गया है।
प्रश्न 5.
तन और मन का देश से क्या संबंध है?
उत्तर :
तन और मन से आशय है इस देश के लोग और उनकी सोच। जैसे देश के लोग और उनकी सोच होगी वैसा ही देश बनेगा।
प्रश्न 6.
किस-किसके लिए एक बनने को कहा गया है?
उत्तर :
देश के लोगों की इच्छा, चाहत, उम्मीद, यहाँ के लोगों की ताक़त और देश की भाषा को एक बनने को कहा गया है।
भाषा की बात -
नीचे कुछ शब्द और उनके विपरीत अर्थ वाले शब्द दिए जा रहे हैं, उन्हें रेखा खींचकर मिलाएँ -
आशा - विदेश
इच्छा - नीरस
शक्तिशाली - निराशा
देश - अनिच्छा
सरस - कमजोर
उत्तर
यह भी करें -
प्रस्तुत कविता में देश की माटी और देश का जल प्रभु से सरस बनाने के लिए कहा गया है, इसी प्रकार देश की क्या-क्या चीजें कविता में कही गई है तथा प्रभु से उनके लिए क्या विनती की गई है सूची बनाएँ।
उक्त कविता को हाव-भाव के साथ अपनी कक्षा में सुनाएँ, 'सरस बनें प्रभु सरस बनें' ...... ऐसे ही कविता को आगे बढ़ाएँ
देश की नदियाँ देश के घर,
स्वच्छ बनें प्रभु स्वच्छ बनें।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न -
प्रश्न 1.
पाठ में किससे विनती की गई है?
(अ) राजा से
(ब) मंत्री से
(स) प्रभु से
(द) गुरु से।
उत्तर :
(स) प्रभु से
प्रश्न 2.
विमल बनाने की प्रार्थना किस के लिए की गई -
(अ) देश की शक्ति को
(ब) देश की माटी को
(स) देश के घाट को
(द) देश के मन को।
उत्तर :
(द) देश के मन को।
प्रश्न 3.
देश के भाई-बहन कैसे बनें?
(अ) सरस
(ब) विमल
(स) सरल
(द) एक।
उत्तर :
(ब) विमल
प्रश्न 4.
देश में क्या-क्या चीजें सरस होने की विनती की गई है?
(अ) हवा
(ब) जल
(स) माटी
(द) उक्त सभी।
उत्तर :
(द) उक्त सभी।
रिक्त स्थान भरो -
प्रश्न 1.
देश की माटी .......... बने। (सरस/सरल)
उत्तर :
सरस
प्रश्न 2.
देश के तन और देश के ..........। (जन/मन)
उत्तर :
मन
प्रश्न 3.
देश की शक्ति, देश की ..........। (ताकत/भाषा)
उत्तर :
भाषा
प्रश्न 4.
देश के ........ और देश के बाट। (वन/ जंगल)
उत्तर :
वन।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
देश की भाषा कैसी बनने को कहा गया है?
उत्तर :
देश की भाषा एक बनने को कहा गया है।
प्रश्न 2.
देश के फल कैसे होने चाहिए?
उत्तर :
देश के फल सरस होने चाहिए।
प्रश्न 3.
देश के वन कैसे बनने की विनती की गई है?
उत्तर :
देश के वन सरल बनने की विनती की गई है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
किस-किस को सरल बनने के लिए कहा गया है?
उत्तर :
कविता में देश के घर, देश के घाट, देश के वन और देश के रास्तों को सरल बनने के लिए कहा गया है।
प्रश्न 2.
देश की आशा से क्या आशय है?
उत्तर :
देश की आशा का अर्थ है, देश के लोगों के लक्ष्य, लोगों के सपने जो वे सुखी और समृद्ध जीवन के लिए प्राप्त करना चाहते हैं।
देश की माटी किठिन-शब्दार्थ एवं सरलार्थ -
1. देश की माटी, देश का जल।
हवा देश की, देश के फल।
सरस बनें प्रभु, सरस बनें।
कठिन-शब्दार्थ
सरलार्थ - कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कह रहा है कि हे ईश्वर, इस देश अर्थात् भारत की मिट्टी सरस अर्थात् उपजाऊ बने। इस देश की हवा सरस अर्थात् सुगंधित बने, इस देश का पानी सरस अर्थात् मीठा बने और इस देश के फल सरस अर्थात् रसीले बनें।
2. देश के घर और देश के घाट।
देश के वन और देश के बाट।
सरल बनें प्रभु, सरल बनें।
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कह रहा है कि इस देश के घर सरल अर्थात् खुशहाल बनें, नदियों इत्यादि के घाट सरल अर्थात् सुरक्षित बनें, देश के वन हरे-भरे और रास्ते आसान बनें।
3. देश के तन और देश के मन।
देश के घर के भाई-बहन।
विमल बनें प्रभु, विमल बनें।
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि कह रहा है कि हे ईश्वर, इस देश के लोगों के शरीर और मन स्वच्छ/निर्मल सोच के हों। यहाँ के लोगों के हृदय में एक-दूसरे के प्रति प्यार हो। सब आपस में भाई-बहिनों की तरह स्वच्छ निर्मल हृदय के साथ रहें।
4. देश की इच्छा, देश की आशा।
देश की शक्ति, देश की भाषा।
एक बनें प्रभु, एक बनें।
कठिन-शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि कह रहा है कि हे ईश्वर, इस देश के लोगों की चाह, यहाँ के लोगों की उम्मीदें सब एक जैसी हों, किसी कारण से कोई भेद नहीं हो। यहाँ के लोगों की ताकत हमेशा एकजुट हो और यहाँ के लोगों की भाषा-बोली एक जैसी हो।
5. देश की माटी, देश का जल।
हवा देश की, देश के फल।
सरस बनें प्रभु, सरस बनें।
सरलार्थ - कवि रविन्द्रनाथ टैगोर अंत में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कह रहे हैं कि हे ईश्वर, इस देश की मिट्टी, पानी, देश की हवा और देश के फल सब सरस बनें। यह देश सभी तरह से परिपूर्ण और एकजुट होकर खूब फले-फूले।