RBSE Solutions for Class 12 Psychology Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Psychology Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Psychology Solutions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

प्रश्न 1. 
औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह तथा अंतः एवं बाह्य समूहों की तुलना कीजिए एवं अंतर बताइए।
उत्तर-
(i) औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह-ऐसे समूह उस मात्रा में भिन्न होते हैं जिस मात्रा में समूह के प्रकार्य स्पष्ट एवं औपचारिक रूप से घोषित किए जाते हैं। एक औपचारिक समूह, जैसे-किसी कार्यालय संगठन के प्रकार्य स्पष्ट रूप से घोषित होते हैं। समूह के सदस्यों द्वारा निष्पादित की जाने वाली भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से घोषित होती हैं। औपचारिक तथा अनौपचारिक समूह संरचना के आधार पर भिन्न होते हैं।

औपचारिक समूह का निर्माण कुछ विशिष्ट नियमों या विधि पर आधारित होता है और सदस्यों की सुनिश्चित भूमिकाएं होती हैं। इसमें मानकों का एक समुच्चय होता है जो व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होता है। कोई विश्वविद्यालय एक औपचारिक समूह का उदाहरण है। दूसरी तरफ अनौपचारिक समूहों का निर्माण नियमों या विधि पर आधारित नहीं होता है और सदस्यों में घनिष्ठ संबंध होता है।

(ii) अंतःसमूह एवं बाह्य समूह-जिस प्रकार व्यक्ति अपनी तुलना दूसरों से समानता या भिन्नता के आधार पर इस संदर्भ में करते हैं कि क्या उनके पास है और क्या दूसरों के पास है, वैसे ही व्यक्ति जिस समूह से संबंध रखते हैं उसकी तुलना उन समूहों से करते हैं जिनके वे सदस्य नहीं हैं। 'अंत:समूह' स्वयं के सदस्यों की सुनिश्चित भूमिकाएं होती हैं। इसमें मानकों का एक समुच्चय होता है जो व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होता है। कोई विश्वविद्यालय एक औपचारिक समूह का उदाहरण है। दूसरी तरफ अनौपचारिक समूहों का निर्माण नियमों या विधि पर आधारित नहीं होता है और सदस्यों में घनिष्ठ संबंध होता है।

समूह को इंगित करता है और 'बाह्य समूह' दूसरे समूह को इंगित करता है। अंत:समूह में सदस्यों के लिए 'हम लोग' (We) शब्द का उपयोग होता है जबकि बाह्य समूह के सदस्यों के लिए 'वे' (They) शब्द का उपयोग किया जाता है। हम लोग या वे शब्द के उपयोग से कोई व्यक्ति लोगों को समान या भिन्न के रूप में वर्गीकृत करता है। यह पाया गया है कि अंत:समूह में सामान्यतया व्यक्तियों में समानता मानी जाती है, उन्हें अनुकूल दृष्टि से देखा आता है और उनमें वांछनीय विशेषक पाए जाते हैं। बाह्य समूह के सदस्यों को अलग तरीके से देखा जाता है और उनका प्रत्यक्षण अंत:समूह के सदस्यों की तुलना में प्रायः नकारात्मक होता है। अंत:समूह तथा बाह्य समूह का प्रत्यक्षण हमारे सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है।

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प्रश्न 2. 
क्या आप किसी समूह के सदस्य हैं ? वह क्या है जिसने आपको इस समूह में सम्मिलित होने के लिए अभिप्रेरित किया ? इसकी विवेचना कीजिए।
अथवा 
व्यक्ति क्यों समूह में सम्मिलित होते हैं ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी समूह का सदस्य होता है। हम अपने परिवार, कक्षा और उस समूह के सदस्य हैं जिनके साथ हम अंत:क्रिया करते हैं या खेलते हैं। इसी प्रकार किसी विशेष समय पर अन्य व्यक्ति भी अनेक समूहों के सदस्य होते हैं। अलग-अलग समूह भिन्न-भिन्न प्रकार की आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं और इसलिए हम एक साथ अनेक समूहों के सदस्य होते हैं।

यह कभी-कभी हम लोगों के लिए एक दबाव उत्पन्न करता है क्योंकि समूहों की प्रतिस्पर्धी प्रत्याशाएँ और माँगें हो सकती हैं। अधिकांश स्थितियों में हम ऐसी प्रतिस्पर्धी माँगों और प्रत्याशाओं को प्रबंधित करने में सक्षम होते हैं। लोग समूह में इसलिए सम्मिलित होते हैं क्योंकि ऐसे समूह अनेक आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं। सामान्यतः लोग निम्न कारणों से समूह में सम्मिलित होते हैं :

(i) सुरक्षा-जब हम अकेले होते हैं तो असुरक्षित अनुभव करते हैं। समूह इस असुरक्षा को कम करता है। व्यक्तियों के साथ रहना आराम की अनुभूति और संरक्षण प्रदान करता है। परिणामस्वरूप लोग स्वयं को अधिक शक्तिशाली महसूस करते हैं और खतरों की संभावना कम हो जाती है।

(ii) प्रतिष्ठा या हैसियत-जब हम किसी ऐसे समूह के सदस्य होते हैं जो दूसरे लोगों द्वारा महत्त्वपूर्ण समझा जाता है तो हम सम्मानित महसूस करते हैं तथा शक्ति-बोध का अनुभव करते हैं। मान लीजिए कि किसी विद्यालय का छात्र किसी अंतर्विद्यालयी, वाद-विवाद प्रतियोगिता का विजेता बन जाता है तो वह गर्व का अनुभव करता है और वह स्वयं को दूसरों से बेहतर समझता है।

(iii) आत्म-सम्मान-समूह आत्म-अर्ध की अनुभूति देता है और एक सकारात्मक सामाजिक अनन्यता स्थापित करता है। एक प्रतिष्ठित समूह का सदस्य होना व्यक्ति की आत्म-धारणा या आत्म-संप्रत्यय को बढ़ावा देता है।

(iv) व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं की संतुष्टि-समूह व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं जैसे-समूह के द्वारा आत्मीयता-भावना, ध्यान देना और पाना, प्रेम तथा शक्ति-बोध का अनुभव प्राप्त करना।

(v) लक्ष्य प्राप्ति-समूह ऐसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है जिन्हें व्यक्तिगत रूप से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। बहुमत में शक्ति होती है।

(vi) ज्ञान और जानकारी या सूचना प्रदान करना-समूह सदस्यता हमें ज्ञान और जानकारी प्रदान करती है और हमारे दृष्टिकोण को विस्तृत करती है। संभव है कि वैयक्तिक रूप से हम सभी वांछित जानकारियों या सूचनाओं को प्राप्त न कर सकें। समूह इस प्रकार की जानकारी और ज्ञान की कमी को पूरा करता

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प्रश्न 3. 
समूह निर्माण को समझने में टकमैन का अवस्था मॉडल किस प्रकार से सहायक है ?
उत्तर-
टकमैन का अवस्था मॉडल-टकमैन (Tuckman) ने बताया है कि समूह पाँच विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है। ये पाँच अनुक्रम हैं-निर्माण या आकृतिकरण, विप्लवन या झंझावात, प्रतिमान या मानक निर्माण, निष्पादन एवं समापन।

(i) निर्माण की अवस्था-जब समूह के सदस्य पहली बार मिलते हैं तो समूह, लक्ष्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने के संबंध में अत्यधिक अनिश्चितता होती है। लोग एक-दूसरे को जानने का प्रयत्न करते हैं और वह मूल्यांकन करते हैं कि क्या वे समूह के लिए उपयुक्त रहेंगे। यहाँ उत्तेजना के साथ ही साथ भय भी होता है। इस अवस्था को निर्माण या आकृतिकरण की अवस्था (Forming stage) कहा जाता है।

(ii) विप्लवन की अवस्था-प्रायः इस अवस्था के बाद अंतरा-समूह द्वंद्व की अवस्था होती है जिसे विप्लवन या झंझावात (Storming) की अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में समूह के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर द्वंद्व चलता रहता है कि समूह के लक्ष्य को केसे प्राप्त करना है, कौन समूह एवं उसके संसाधनों को नियंत्रित करने वाला है और कौन क्या कार्य निष्पादित करने वाला है। इस अवस्था के संपन्न होने के बाद समूह में नेतृत्व करने का एक प्रकार का पदानुक्रम विकसित होता है और समूह के लक्ष्य को केसे प्राप्त करना है इसके लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण होता है।

(iii) आत्म-सम्मान-समूह आत्म-अर्ध की अनुभूति देता है और एक सकारात्मक सामाजिक अनन्यता स्थापित करता है। एक प्रतिष्ठित समूह का सदस्य होना व्यक्ति की आत्म-धारणा या आत्म-संप्रत्यय को बढ़ावा देता है।

(iv) व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं की संतुष्टि-समूह व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं जैसे-समूह के द्वारा आत्मीयता-भावना, ध्यान देना और पाना, प्रेम तथा शक्ति-बोध का अनुभव प्राप्त करना।

(v) लक्ष्य प्राप्ति-समूह ऐसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है जिन्हें व्यक्तिगत रूप से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। बहुमत में शक्ति होती है।

(vi) ज्ञान और जानकारी या सूचना प्रदान करना-समूह सदस्यता हमें ज्ञान और जानकारी प्रदान करती है और हमारे दृष्टिकोण को विस्तृत करती है। संभव है कि वैयक्तिक रूप से हम सभी वांछित जानकारियों या सूचनाओं को प्राप्त न कर सकें। समूह इस प्रकार की जानकारी और ज्ञान की कमी को पूरा करता

प्रश्न 3. 
समूह निर्माण को समझने में टकमैन का अवस्था मॉडल किस प्रकार से सहायक है ?
उत्तर-
टकमैन का अवस्था मॉडल-टकमैन (Tuckman) ने बताया है कि समूह पाँच विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है। ये पाँच अनुक्रम हैं-निर्माण या आकृतिकरण, विप्लवन या झंझावात, प्रतिमान या मानक निर्माण, निष्पादन एवं समापन।

(i) निर्माण की अवस्था-जब समूह के सदस्य पहली बार मिलते हैं तो समूह, लक्ष्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने के संबंध में अत्यधिक अनिश्चितता होती है। लोग एक-दूसरे को जानने का प्रयत्न करते हैं और वह मूल्यांकन करते हैं कि क्या वे समूह के लिए उपयुक्त रहेंगे। यहाँ उत्तेजना के साथ ही साथ भय भी होता है। इस अवस्था को निर्माण या आकृतिकरण की अवस्था (Forming stage) कहा जाता है।

(ii) विप्लवन की अवस्था-प्रायः इस अवस्था के बाद अंतरा-समूह द्वंद्व की अवस्था होती है जिसे विप्लवन या झंझावात (Storming) की अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में समूह के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर द्वंद्व चलता रहता है कि समूह के लक्ष्य को केसे प्राप्त करना है, कौन समूह एवं उसके संसाधनों को नियंत्रित करने वाला है और कौन क्या कार्य निष्पादित करने वाला है। इस अवस्था के संपन्न होने के बाद समूह में नेतृत्व करने का एक प्रकार का पदानुक्रम विकसित होता है और समूह के लक्ष्य को केसे प्राप्त करना है इसके लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण होता है।

(iii) प्रतिमान अवस्था-विप्लवन या झंझावत की अवस्था के बाद एक दूसरी अवस्था आती है जिसे प्रतिमान या मानक निर्माण (Norming) की अवस्था के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में समूह के सदस्य समूह व्यवहार से संबंधित मानक विकसित करते हैं। यह एक सकारात्मक समूह अनन्यता के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। 

(iv) निष्पादन-चतुर्थ अवस्था निष्पादन (Performing) की होती है। इस अवस्था तक समूह की संरचना विकसित हो चुकी होती है और समूह के सदस्य इसे स्वीकृत कर लेते हैं। समूह लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में समूह अग्रसर होता है। कुछ समूहों के लिए यह समूह विकास की अंतिम अवस्था हो सकती है।

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(b) समापन की अवस्था-तथापि कुछ समूहों के लिए, जैसे विद्यालय समारोह के लिए आयोजन समिति के संदर्भ में एक अन्य अवस्था हो सकती है जिसे समापन की अवस्था (Adjourning stage) के नाम से जाना होता है। इस अवस्था में जब समूह का कार्य पूरा हो जाता है तब समूह भंग किया जा सकता है।

प्रश्न 4. 
समूह हमारे व्यवहार को किस प्रकार से प्रभावित करते हैं ?
अथवा
सामाजिक प्रभाव पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर-
समूह एवं व्यक्ति हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं। यह प्रभाव हम लोगों को अपने व्यवहार को एक विशिष्ट दिशा में परिवर्तित करने के लिए बाध्य कर सकता है। सामाजिक प्रभाव उन प्रक्रमों को इंगित करता है जिसके द्वारा हमारे व्यवहार एवं अभिवृत्तियाँ दूसरे लोगों को काल्पनिक या वास्तविक उपस्थिति से प्रभावित होते हैं। दिन भर में हम अनेक ऐसी स्थितियों का सामना कर सकते हैं जिसमें दूसरों ने हमें प्रभावित करने का प्रयास किया हो और हमें उस तरीके से सोचने को विवश किया हो जैसा वे चाहते हैं। 

माता-पिता, अध्यापक, मित्र, रेडियों तथा टेलीविजन विज्ञापन आदि किसी न किसी प्रकार का सामाजिक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। सामाजिक प्रभाव हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। कुछ स्थितियों में हम लोगों पर सामाजिक प्रभाव बहुत अधिक प्रबल होता है जिसके परिणामस्वरूप हम लोग उस प्रकार के कार्य करने की ओर प्रवृत्त होते हैं जो हम दूसरी स्थितियों में नहीं करते। दूसरे अवसरों पर हम दूसरे लोगों के प्रभाव को नकारने में समर्थ होते हैं और यहाँ तक कि हम उन लोगों को अपने विचार या दृष्टिकोण को अपनाने के लिए अपना प्रभाव डाल सकते हैं।

प्रश्न 5. 
समूहों में सामाजिक स्वैराचार को कैसे कम किया जा सकता है ? अपने विद्यालय में सामाजिक स्वैराचार की किन्हीं दो घटनाओं पर विचार कीजिए। आपने इसे कैसे दूर किया ?
उत्तर-
सामाजिक स्वैराचार को निम्न के द्वारा कम किया जा सकता है:

  • प्रत्येक सदस्य के प्रयासों को पहचानने योग्य बनाना।
  • कठोर परिश्रम के लिए दबाव को बढ़ाना (सफल कार्य निष्पादन के लिए समूह सदस्यों को वचनबद्ध करना)।
  • कार्य के प्रकट महत्त्व या मूल्य को बढ़ाना।
  • लोगों को यह अनुभव कराना कि उनका व्यक्तिगत प्रयास महत्त्वपूर्ण है।
  • समूह संतक्तता को प्रबल करना जो समूह के सफल परिणाम के लिए अभिप्रेरणा को बढ़ाता है।

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प्रश्न 6.
आप अपने व्यवहार में प्रायः सामाजिक अनुरूपता का प्रदर्शन कैसे करते हैं ? सामाजिक अनुरूपता के कौन-कौन से निर्धारक हैं ?
अथवा 
सामाजिक अनुरूपता पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
हम अपने व्यवहार में प्राय: सामाजिक अनुरूपता का प्रदर्शन निम्न तरीके से करते हैं :
ऐसा लगता है कि मानक के अनुसरण करने की प्रवृत्ति नैसर्गिक है और इसकी किसी विशेष व्याख्या की आवश्यकता नहीं है। इसके बावजूद हम यह जानना चाहते हैं कि क्यों इस प्रकार की प्रवृत्ति नैसर्गिक अथवा स्वतःस्फूर्त होती है।

(i) मानक व्यवहार के नियमों के एक अलिखित तथा अनौपचारिक समुच्चय को निरूपित करता है जो एक समूह के सदस्यों को यह सूचना प्रदान करता है कि विशिष्ट स्थितियों में उनसे क्या अपेक्षित है। यह संपूर्ण स्थिति को स्पष्ट बना देता है और व्यक्ति तथा समूह दोनों को अधिक सुगमता से कार्य करने का अवसर प्रदान करता है।

(ii) सामान्यतया लोग असहजता का अनुभव करते हैं यदि उन्हें दूसरों से 'भिन्न' समझा जाता है। व्यवहार करने का वैसा तरीका जो व्यवहार के प्रत्याशित ढंग से भिन्न होता है, तो वह दूसरों के द्वारा अनुमोदन एवं नापसंदगी को उत्पन्न करता है जो सामाजिक दंड का एक रूप है। यह एक ऐसी चीज है जिससे लोग प्रायः काल्पनिक रूप से डरते हैं। इस प्रकार मानक का अनुसरण करना अनुमोदन का परिहार करने एवं अन्य लोगों से अनुमोदन प्राप्त परिहार करने एवं अन्य लोगों से अनुमोदन प्राप्त करने का सरलतम तरीका है।

(iii) मानक को बहुसंख्यक के विचार एवं विश्वास को 1 प्रतिबिंबित करने वाला समझा जाता है। अधिकांश लोग मानते हैं कि बहुसंख्यक के गलत होने की तुलना में सही होने की संभावना अधिक होती है। इसके एक दृष्टांत को टेलीविजन पर दिखाई जाने बाली प्रश्नोत्तरी में प्राय: देखा जाता है। जब एक प्रतियोगी किसी प्रश्न का सही उत्तर नहीं जानता है तो वह दर्शकों की राय ले सकता है और प्रायः व्यक्ति उसी विकल्प को चुनता है जिसे बहुसंख्यक दर्शक चुनते हैं। इसी तर्क के आधार पर यह कहा जा सकता है कि लोग मानक के प्रति अनुरूपता का प्रदर्शन करते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि बहुसंख्यक को सही होना चाहिए।

अनुरूपता के निर्धारक

(i) समूह का आकार-अनुरूपता तब अधिक पाई जाती है जब समूह बड़े से अपेक्षाकृत छोटा होता है। छोटे समूह में विसामान्य सदस्य (वह जो अनुरूपता प्रदर्शित नहीं करता है) का पहचानना आसान होता है परन्तु एक बड़े समूह में यदि अधिकांश सदस्यों के बीच प्रबल सहमति होती है तो यह बहुसंख्यक समूह को मजबूत बनाता है और इसलिए मानक भी सशक्त होते हैं। ऐसी स्थिति में अल्पसंख्यक सदस्यों के अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना अधिक होती है क्योंकि समूह दबाव प्रबल होगा।

(ii) अल्पसंख्यक समूह का आकार-मान लीजिए कि रेवाओं के बारे में निर्णय के कुछ प्रयासों के बाद प्रयोज्य यह देखता है कि एक दूसरा सहभागी प्रयोज्य की अनुक्रिया से सहमति प्रदर्शित करना प्रारंभ कर देता है। क्या अब प्रयोज्य के अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना अधिक है या ऐसा करने की संभावना कम है ? जब असहमत अधवा विसामान्य अल्पसंख्यकों का आकार बढ़ता है तो अनुरूपता की संभावना कम होती है। वास्तव में यह समूह में भिन्न मताधारियों या अननुपथियों की संख्या बढ़ा सकता

(iii) कार्य की प्रकृति-ऐश के प्रयोग में प्रयुक्त कार्य में ऐसे उत्तर की अपेक्षा की जाती है जिसका सत्यापन किया जा सकता है और वह गलत अथवा सही हो सकता है। मान लीजिए कि प्रायोगिक कार्य में किसी विषय के बारे में मत प्रकट करना निहित है। ऐसी स्थिति में कोई भी उत्तर सही या गलत नहीं होता है। किस स्थिति में अनुरूपता के पाए जाने की संभावना अधिक है, पहली स्थिति जिसमें गलत या सही उत्तर की तरह कोई चीज हो अथवा दूसरी स्थिति जिसमें बिना किसी सही या गलत उत्तर के व्यापक रूप से उत्तर बदले जा सकते हों ? संभव है कि सही अनुमान लगाया होगा; दूसरी स्थिति में अनुरूपता के पाए जाने की संभावना कम है।

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(iv) व्यवहार की सार्वजनिक या व्यक्तिगत अभिव्यक्ति-ऐश की प्रविधि में समूह के सदस्यों को सार्वजनिक रूप से अपनी अनुक्रिया देने के लिए कहा जाता है अर्थात् सभी सदस्य जानते हैं कि किस व्यक्ति ने क्या अनुक्रिया दी है। यद्यपि, एक दूसरी स्थिति भी हो सकती है (उदाहरणार्थ, गुप्त मतपत्र द्वारा मतदान करना) जिसमें सदस्यों के व्यवहार व्यक्तिगत होते हैं (जिन्हें दूसरे लोग नहीं जानते हैं)। व्यक्तिगत अभिव्यक्ति में सार्वजनिक अभिव्यक्ति की तुलना में कम अनुरूपता पाई जाती

(v) व्यक्तित्व-ऊपर वर्णित दशाएँ यह प्रदर्शित करती हैं कि कैसे स्थितिपरक विशेषताएँ प्रदर्शित अनुरूपता के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण हैं। कुछ व्यक्तियों का व्यक्तित्व अनुरूपतापरक होता है। अधिकांश स्थितियों में दूसरे लोग जो कहते हैं या करते हैं उसके अनुसार अपने व्यवहार को परिवर्तित करने की ऐसे व्यक्तियों में एक प्रवृत्ति पाई जाती है। इसके विपरीत कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जो आत्मनिर्भर होते हैं और वे किसी विशिष्ट स्थिति में कैसे व्यवहार करना है इसके लिए किसी मानक की तलाश नहीं करते हैं। शोध यह प्रदर्शित करते हैं कि वैसे व्यक्ति जो उच्च बुद्धि वाले होते हैं, जो स्वयं के बारे में विश्वस्त होते हैं, जो प्रबल रूप से प्रतिबद्ध होते हैं एवं जो उच्च आत्म-सम्मान वाले होते हैं उनमें अनुरूपता प्रदर्शित करने की संभावना कम होती है।

प्रश्न 7. 
लोग यह जानते हुए भी कि उनका व्यवहार दूसरों के लिए हानिकारक हो सकता है, वे क्यों आज्ञापालन करते हैं ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
लोग आज्ञापालन निम्नलिखित कारणों से करते हैं :

(i) लोग इसलिए आज्ञापालन करते हैं क्योंकि वे अनुभव करते हैं कि वे स्वयं के क्रियाकलापों के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, वे मात्र आप्त व्यक्तियों द्वारा निर्गत आदेशों का पालन कर रहे हैं।

(ii) सामान्यतया आप्त व्यक्तियों के पास प्रतिष्ठा का प्रतीक (जैसे-वर्दी, पद-नाम) होता है जिसका विरोध करने में लोग कठिनाई का अनुभव करते हैं।

(iii) आप्त व्यक्ति आदेशों को क्रमशः कम से अधिक कठिन स्तर तक बढ़ाते हैं और प्रारंभिक आज्ञापालन अनुसरणकर्ता को प्रतिबद्धता के लिए बाध्य करता है। एक बार जब कोई किसी छोटे आदेश का पालन कर रोता है तो धीरे-धीरे यह आप्त व्यक्ति के प्रति प्रतिबद्धता को बढ़ाता है और व्यक्ति बड़े आदेशों का पालन करना प्रारंभ कर देता है। 

(iv) अनेक बार घटनाएँ शीघ्रता से बदलती रहती हैं, जैसे-दंगे की स्थिति में, कि एक व्यक्ति के पास विचार करने के लिए समय नहीं होता है, उसे मात्र ऊपर से मिलने वाले आदेशों का पालन करना होता है।

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प्रश्न 8. 
सहयोग के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
जब समूह किसी साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक साथ कार्य करते हैं तो हम इसे सहयोग कहते हैं। सहयोगी स्थितियों में प्राप्त होने वाले प्रतिफल सामूहिक पुरस्कार होते हैं न कि वैयक्तिक पुरस्कार। किसी समूह में सहयोगी लक्ष्य वह है जिसमें कोई व्यक्ति तभी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है जब उसके समूह के अन्य व्यक्ति भी लक्ष्य को प्राप्त कर लें। उदाहरण के लिए. एक रिले रेस विजय टीम के सभी सदस्यों के सामूहिक निष्पादन पर निर्भर करती है। यदि समूह में सहयोग होता है तो लोगों के बीच अधिक तालमेल होती है. एक-दूसरे के विचारों के लिए अधिक स्वीकृति होती है। जहाँ सहयोग होता है वहाँ लोगों के अधिक मित्रवत होते हैं तथा किसी भी कार्य का निष्पादन श्रेष्ठ होता है। अगर हम किसी व्यक्ति का सहयोग करते हैं तो वह व्यक्ति भी हमारी सहायता करता है। 

प्रश्न 9. 
एक व्यक्ति की अनन्यता कैसे बनती है ?
अथवा 
सामाजिक अनन्यता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
सामाजिक अनन्यता हमारे आत्म-संप्रत्यय का वह पक्ष है जो हमारी समूह सदस्यता पर आधारित है। सामाजिक अनन्यता हमें स्थापित करती है, अर्थात् एक बड़े सामाजिक संदर्भ में हमें यह बताती है कि हम क्या हैं और हमारी क्या स्थिति है तथा इस प्रकार समाज में हम कहाँ हैं इसको जानने में सहायता करती है। अपने विद्यालय के एक विद्यार्थी के रूप में छात्र की एक सामाजिक अनन्यता है। एक बार जब एक छात्र अपने विद्यालय के एक विद्यार्थी के रूप में एक अनन्यता स्थापित कर लेता है तो वह उन मूल्यों को आत्मसात् कर लेते हैं जिन पर उसके विद्यालय में बल दिया जाता है और उन मूल्यों को वह स्वयं का मूल्य बना लेते हैं। वह अपने विद्यालय के आदर्श वाक्यों का पालन करने का पूरा प्रयास करता है। 

सामाजिक अनन्यता सदस्यों को स्वयं के तथा उनके सामाजिक जगत के विषय में एक जैसे मूल्यों, विश्वासों तथा लक्ष्यों का एक संकलन (सेट) प्रदान करती है। एक बार जब कोई छात्र अपने विद्यालय के मूल्यों को आत्मसात् कर लेता है तो यह उनकी अभिवृत्तियों एवं व्यवहार के समन्वयन एवं नियमन में सहायता करता है। वह अपने विद्यालय को शहर राज्य के सर्वोत्तम विद्यालय बनाने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं। जब हम अपने समूह के साथ एक दृढ़ अनन्यता विकसित कर लेते हैं तो अंत:समूह एवं बाह्य समूह का वर्गीकरण महत्त्वपूर्ण हो जाता है। 

जिस समूह से हम अपना तादात्म्य रखते हैं वह अंत:समूह बन जाता है और दूसरे समूह बाह्य समूह बन जाते हैं। इस अंतःसमूह तथा बाह्य समूह वर्गीकरण का एक नकारात्मक पक्ष यह है कि हम बाह्य समूह की तुलना में अंत:समूह का अधिक अनुकूल निर्धारण करते हुए अंत:समूह के प्रति पक्षपात का प्रदर्शन प्रारंभ कर देते हैं और बाह्य समूह का अवमूल्यन करने लगते हैं। अनेक अंतर-समूह द्वंद्वों का आधार बाह्य समूह का यह अवमूल्यन ही होता है।

प्रश्न 10. 
अंतर-समूह द्वंद्व के कुछ कारण क्या हैं ? किसी अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष पर विचार कीजिए। इस संघर्ष की मानवीय कीमत पर विचार कीजिए।
उत्तर-
अंतरसमूह द्वंद्व के कुछ मुख्य कारण निम्नांकित हैं:
(i) दोनों पक्षों में संप्रेषण का अभाव एवं दोषपूर्ण संप्रेषण द्वंद्व का एक प्रमुख कारण है। इस प्रकार का संप्रेषण संदेह अर्थात् विश्वास के अभाव को उत्पन्न करता है। इसके परिणामस्वरूप द्वंद्व उत्पन्न होता है।

(ii) सापेक्ष वंचन अंतर समूह द्वंद्व का एक दूसरा कारण है। यह तब उत्पन्न होता है जब एक समह के सदस्य स्वयं की तलना दूसरे समूह के सदस्यों से करते हैं और यह अनुभव करते हैं कि वे जो चाहते हैं वह उनके पास नहीं है परन्तु वह दूसरे समूह के पास है। दूसरे शब्दों में, वे यह अनुभव करते हैं कि वे दूसरे समूह की तुलना में अच्छा नहीं कर पा रहे हैं। यह वचन एवं असंतोष की भावनाओं को उत्पन्न करता है जो द्वंद्व को उद्दीप्त कर सकते

(iii) द्वंद्व का एक दूसरा कारण किसी एक पक्ष का यह विश्वास होता है कि एक पक्ष दूसरे से बेहतर हैं और वे जो कुछ कह रहे हैं उसे होना चाहिए। जब यह नहीं होता है तो दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोषारोपण करने लगते हैं। बहुत छोटे से भी मतभेद या विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर देखने की एक प्रवृत्ति को प्रायः देखा जा सकता है. जिसके कारण द्वंद्व बढ़ जाता है क्योंकि प्रत्येक सदस्य अपने समूह के मानकों का आदर करना चाहता है।

(iv) यह भावना कि दूसरा समूह मेरे समूह के मानकों का आदर नहीं करता है और अपकारी या द्वेषपूर्ण आशय के कारण वास्तव में इन मानकों का उल्लंघन करता है। 

(v) पूर्व में की गई किसी क्षति का बदला लेने की इच्छा भी द्वंद्व का एक कारण हो सकती है।

(vi) पूर्वाग्रही प्रत्यक्षण अधिकांश द्वंद्व के मूल या जड़ में होते हैं। जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि 'वे' एवं 'हम' की भावनाएँ पूर्वाग्रही प्रत्यक्षण को जन्म देती हैं।

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(vii) शोध कार्यों ने यह प्रदर्शित किया है कि अकेले की अपेक्षा समूह में कार्य करते समय लोग अधिक प्रतिस्पर्धी एवं आक्रामक होते हैं। समूह दुर्लभ संसाधनों, दोनों ही प्रकार के संसाधनों भौतिक, जैसे-भू-भाग या क्षेत्र एवं धन एवं सामाजिक जैसे-आदर और सम्मान के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।

(viii) प्रत्यक्षित असमता द्वंद्व का एक दूसरा कारण है। समता व्यक्ति के योगदान के अनुपात में लाभों या प्रतिफलों के वितरण को बताता है।

Bhagya
Last Updated on Sept. 28, 2022, 12:30 p.m.
Published Sept. 28, 2022