Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत Textbook Exercise Questions and Answers.
क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
(पृष्ठ संख्या-24)
प्रश्न 1.
मैंने किसी को कहते हुए सुना है कि "सोवियत संघ का अन्त समाजवाद का अन्त नहीं है।" क्या यह सम्भव है ?
उत्तर:
राजनीति में रुचि रखने वाले लोग प्रायः परिचर्चा करते रहते हैं कि सोवियत संघ का अन्त समाजवाद का अन्त नहीं है क्योंकि विचारधाराओं की समाप्ति अचानक घटित किसी एक घटना से नहीं होती। समाजवाद एक विचारधारा है, जिसका विरोध पूँजीवादी ही करते हैं। जहाँ समाजवाद का आधार समाज या जनसाधारण का कल्याण है, वहीं पूँजीवाद का आधार व्यक्तिगत स्वार्थ तथा निर्बल व असहाय का शोषण करना है। समाजवाद आवश्यक है, आज नहीं तो कल अवश्य ही आएगा क्योंकि दुनिया में गरीब देशों तथा निर्धनों की संख्या अत्यधिक है। इतिहास साक्षी है कि राजतन्त्र अथवा तानाशाही का अन्त हुआ तो उसके स्थान पर लोकतन्त्र तथा उदारवादी शासन प्रणाली अस्तित्व में आयी। सामन्तवाद, जमींदारी तथा जागीरदारी का अन्त हुआ तो जमीन उसे जोतने वालों को ही प्राप्त हुई। पूँजीवाद का अन्त होगा तो समाजवाद ही आएगा।
(पृष्ठ संख्या-28)
प्रश्न 2.
सोवियत और अमेरिकी दोनों खेमों के शीतयुद्ध के दौर के पाँच-पाँच देशों को चुनें।
उत्तर:
शीतयुद्ध के दौर के सोवियत और अमेरिकी दोनों खेमों के पाँच-पाँच देशों के नाम निम्नलिखित हैं:
1. सोवियत खेमे के देश:
(i) सोवियत संघ,
(ii) पोलैंड,
(iii) हंगरी,
(iv) रोमानिया,
(v) पूर्वी जर्मनी।
2. अमेरिकी खेमे के देश:
(i) संयुक्त राज्य अमेरिका,
(ii) ब्रिटेन,
(iii) पश्चिमी जर्मनी,
(iv) इटली,
(v) फ्रांस।
प्रश्न 1.
सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है ?
(क) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी।
(ख) उत्पादन के साधनों पर राज्यों का स्वामित्व/नियन्त्रण होना।
(ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।
(घ) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियन्त्रण राज्य करता था।
उत्तर:
(ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित को कालक्रमानुसार सजाएँ
(क) अफगान संकट
(ख) बर्लिन दीवार का गिरना
(ग) सोवियत संघ का विघटन
(घ) रूसी क्रान्ति।
उत्तर:
(घ) रूसी क्रान्ति
(क) अफगान संकट
(ख) बर्लिन दीवार का गिरना
(ग) सोवियत संघ का विघटन।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है ?
(क) संयुक्त राज्य अमेरिकी और सोवियत संघ के बीच विचारधारात्मक लड़ाई का अन्त
(ख) स्वतन्त्र राज्यों के राष्ट्रकुल (सी. आई. एस.) का जन्म
(ग) विश्व-व्यवस्था के शक्ति संतुलन में बदलाव
(घ) मध्यपूर्व में संकट।
उत्तर:
(घ) मध्यपूर्व में संकट।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में मेल बैठाएँ
(1) मिखाइल गोर्बाचेव |
(क) सोवियत संघ का उत्तराधिकारी |
(2) शॉक थेरेपी |
(ख) सैन्य समझौता |
(3) रूस |
(ग) सुधारों की शुरुआत |
(4) बोरिस येल्तसिन |
(घ) आर्थिक मॉडल |
(5) वारसा |
(ङ) रूस के राष्ट्रपति। |
उत्तर:
(1) मिखाइल गोर्बाचेव |
(ग) सुधारों की शुरुआत |
(2) शॉक थेरेपी |
(घ) आर्थिक मॉडल |
(3) रूस |
(क) सोवियत संघ का उत्तराधिकारी |
(4) बोरिस येल्तसिन |
(ङ) रूस के राष्ट्रपति |
(5) वारसा |
(ख) सैन्य समझौता। |
प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(क) सोवियत राजनीतिक प्रणाली.................की विचारधारा पर आधारित थी।
उत्तर:
समाजवाद
(ख) सोवियत संघ द्वारा बनाया गया सैन्य गठबंधन.................था।
उत्तर:
वारसा पैक्ट
(ग).................पार्टी का सोवियत राजनीतिक व्यवस्था पर दबदबा था।
उत्तर:
कम्युनिस्ट
(घ).................'ने 1985 में सोवियत संघ के सुधारों की शुरुआत की।
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव
(ङ).................का गिरना शीतयुद्ध के अन्त का प्रतीक था।
उत्तर:
बर्लिन की दीवार
प्रश्न 6.
सोवियत अर्थव्यवस्था को किसी पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था से अलग करने वाली किन्हीं तीन विशेषताओं का जिक्र करें।
उत्तर:
सोवियत संघ में समाजवादी व्यवस्था को अपनाया गया, जबकि अमेरिका ने पूँजीवादी व्यवस्था को अपनाया। सोवियत अर्थव्यवस्था को पूँजीवादी देश; जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था से अलग करने वाली तीन विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं:
प्रश्न 7.
किन बातों के कारण गोर्बाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए ?
अथवा गोर्बाचेव द्वारा सोवियत संघ में सुधार के दो कारण बतलाइए।
उत्तर:
गोर्बाचेव निम्नलिखित कारणों से सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए
प्रश्न 8.
भारत जैसे देश के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए ? . उत्तर-सोवियत संघ के विघटन से पूर्व भारत और सोवियत संघ के बीच काफी अच्छे सम्बन्ध थे। इसके पश्चात् भारत के रूस के साथ भी गहरे सम्बन्ध बने। रूस और भारत दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है।
भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के परिणाम-भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के निम्न परिणाम हुए
प्रश्न 9.
शॉक थेरेपी क्या थी? क्या साम्यवाद से पूँजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सबसे बेहतर तरीका था ?
उत्तर:
शॉक थेरेपी का अर्थ:
साम्यवाद के पतन के पश्चात् पूर्व सोवियत संघ के गणराज्य एक सत्तावादी समाजवादी व्यवस्था से लोकतान्त्रिक पूँजीवादी व्यवस्था तक के कष्टप्रद संक्रमण से होकर गुजरे। रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों में पूँजीवाद की ओर से संक्रमण का एक खास मॉडल अपनाया गया। विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित इस मॉडल को 'शॉक थेरेपी' अर्थात् आघात पहुँचाकर उपचार करना कहा जाता है। शॉक थेरेपी में, सम्पत्ति पर निजी स्वामित्व, राज्य की सम्पदा के निजीकरण एवं व्यावसायिक स्वामित्व के ढाँचे को अपनाना पूँजीवादी पद्धति से खेती करना, मुक्त व्यापार को पूर्ण रूप से अपनाना, वित्तीय खुलापन एवं मुद्राओं की आपसी परिवर्तनशीलता को अपनाना सम्मिलित है।परन्तु साम्यवाद से पूँजीवाद की तरफ संक्रमण के शॉक थेरेपी के तरीकों को सबसे अच्छा तरीका नहीं कहा जा सकता क्योंकि एकदम से सभी प्रकार के पूँजीवादी सुधारों को लागू करने से सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तहस - नहस हो गयी। सबसे बेहतर उपाय यह होता है कि पूँजीवादी सुधार तुरन्त किये जाने की अपेक्षा धीरे-धीरे किए जाने चाहिए थे। एकदम से समस्त प्रकार के परिवर्तनों को लादने में सोवियत संघ पर नकारात्मक प्रभाव पड़े। अतः ऐसे परिवर्तनों को जनता पर थोपकर उन्हें आघात देना उचित नहीं था।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित कथन के पक्ष या विपक्ष में एक लेख लिखें "दूसरी दुनिया के विघटन के बाद भारत को अपनी विदेश नीति बदलनी चाहिए और रूस जैसे परम्परागत मित्र की जगह संयुक्त राज्य अमेरिका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।"
उत्तर:
पक्ष में तर्क-उपर्युक्त कथन के पक्ष में निम्न तर्क दिए जा सकते हैं:
1. भारत द्वारा अपनायी गयी गुटनिरपेक्षता की नीति वर्तमान में पूरी तरह से लाभप्रद नहीं हो सकती क्योंकि अब विश्व में दो महाशक्तियाँ नहीं हैं। सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् अब विश्व में अमेरिका ही सर्वोच्च शक्ति है। अतः अब हमें संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सम्बन्ध रखने चाहिए। इसमें ही भारत का हित होगा।
2. भारत और अमेरिका दोनों ही देशों में उदारीकरण की नीति अपनायी गई है। भारत के समान ही संयुक्त राज्य अमेरिका में भी शक्तिशाली लोकतन्त्र है। भारत ने अमेरिका के साथ सम्बन्धों में परिवर्तन करके सामान्यीकरण की प्रक्रिया अपनाई है।
3. संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत की स्वराज की माँग का समर्थन किया था और ब्रिटेन की सरकार पर भारत को शीघ्र स्वतन्त्रता देने के लिए दबाव डाला था। इसके पश्चात् भी संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को समय-समय पर विभिन्न प्रकार की सहायता दी। शीतयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् भारत की स्थिर लोकतन्त्रीय व्यवस्था, भारत में उदारीकरण, भारत के प्राकृतिक संसाधन आदि के कारण भारत और अमेरिका के सम्बन्धों में निकटता आती जा रही है।
4. 11 सितम्बर, 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आतंकवादी हमले के समय अमेरिका ने भारत तथा पाकिस्तान के साथ मधुर सम्बन्ध बनाने का प्रयास किया। भारत और अमेरिका दोनों ने मिलकर आतंकवाद को समाप्त करने की योजना बनाई।
5. भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका से सम्बन्ध बनाते समय अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहकर ही सम्बन्ध बनाने चाहिए और अपनी सम्प्रभुता और स्वतन्त्रता के प्रति सतर्क रहना चाहिए क्योंकि अमेरिका भी भारत के साथ व्यापारिक सम्बन्धों में भी वृद्धि करने को निरन्तर उत्सुक रहता है। उपर्युक्त बिन्दुओं से स्पष्ट है कि समय और परिस्थितियों को देखते हुए भारत को अपनी विदेश नीति में परिवर्तन लाना चाहिए, जो कि भारत के लिए हितकर होगा। दूसरी दुनिया के विघटन के पश्चात् भारत को अपनी विदेश नीति बदलने की आवश्यकता नहीं है। सोवियत संघ भारत का परम्परागत मित्र रहा है। भारत के विकास में सोवियत संघ का विशेष सहयोग रहा है। सोवियत संघ के विघटन के बाद से रूस उसका प्रतिनिधित्व कर रहा है। भारत ने रूस के साथ मधुर सम्बन्ध बना रखे हैं। रूस सदैव भारत की अपेक्षाओं पर खरा उतरा है।
विपक्ष में तर्क-उक्त कथन के विपक्ष में निम्न तर्क दिए जा सकते हैं:
1. सोवियत संघ भारत का परम्परागत मित्र रहा है। भारत के विकास में सोवियत संघ का विशेष सहयोग रहा है। खुश्चेव .. ने भारत-रूस मैत्री को मजबूत किया और कश्मीर के प्रश्न पर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का समर्थन किया। ताशकन्द समझौते ने भी भारत-रूस के सम्बन्धों को बढ़ावा दिया।
2. सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् भारत ने सभी 15 गणराज्यों को मान्यता दी। रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन 27 जनवरी, 1993 को भारत आये और 29 जनवरी, 1993 को भारत-रूस सन्धि की गई। जिसके अन्तर्गत तय किया गया था कि दोनों देश एक-दूसरे की अखण्डता तथा सीमाओं आदि की रक्षा करेंगे। इसी दौरान भारत-रूस के मध्य सैनिक तकनीकी समझौता भी हुआ।
3. जून 1994 के पश्चात् भारत और रूस के शासनाध्यक्षों का आवागमन हुआ और विभिन्न प्रकार के सैनिक, तकनीकी और व्यापारिक समझौते हुए।
4. भारत द्वारा मई 1998 में किए गए नाभिकीय परीक्षणों का रूस ने समर्थन किया और भारत को बधाई दी। भारत-पाक कारगिल युद्ध के समय भी. रूस ने भारत का समर्थन किया। 7 दिसम्बर, 1999 को भारत और रूस के मध्य एक दसवर्षीय समझौता हुआ। इसके अनुसार वे सभी प्रकार के सैन्य व असैन्य विमानों के उत्पादन का कार्य करेंगे।
5. भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए रूस व भारत के मध्य चार समझौते हुए और विभिन्न प्रकार से सहयोग का आदान-प्रदान हुआ। साथ ही यह भी तय किया गया कि भारत और पाकिस्तान के मध्य विवादों का निपटारा दोनों देश आपस में वार्ता करके समाप्त करेंगे। लेकिन कोई अन्य देश हस्तक्षेप नहीं करेगा।
6. आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए 4 नवम्बर, 2001 को भारत के प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी रूस गए। वहाँ आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त घोषणा-पत्र जारी किया गया।
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत द्वारा अपनायी गयी गुटनिरपेक्ष नीति के कारण भारत और अमेरिका के बीच कटुता पैदा हो गयी। इसके साथ ही अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की तरफ हो गया और उसने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारत के विरुद्ध पाकिस्तान को सैनिक सहायता प्रदान की। उपर्युक्त कारणों से भारत-अमेरिका के मधुर सम्बन्धों का ह्रास हुआ है।
(नोट-विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार पक्ष अथवा विपक्ष में से किसी एक का विवरण परीक्षा में दे सकते हैं।)