RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 12 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 12 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Students can access the class 12 hindi chapter 4 question answer and deep explanations provided by our experts.

RBSE Class 12 Hindi Solutions Aroh Chapter 11 भक्तिन

RBSE Class 12 Hindi भक्तिन Textbook Questions and Answers

पाठ के साथ -

Class 12 Hindi Chapter 11 Question Answer प्रश्न 1. 
भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा? 
उत्तर : 
भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था। उसे यह नाम माता-पिता ने दिया था। उन्होंने सोचा होगा कि उसके पास धन-धान्य होगा और जिस घर में जायेगी, वहाँ सम्पन्नता रहेगी। परन्तु उसे झेलनी पड़ी। अपने नाम के अनुसार गुण या दशा न होने से वह लोगों से अपना वास्तविक नाम छिपाती थी। लेखिका से नौकरी माँगते समय उसने अनुरोध किया कि उसे उसके वास्तविक नाम से नहीं पुकारा जावे। तब लेखिका ने उसकी कण्ठी-माला तथा वेश-भूषा को देखकर भक्तिन नाम दिया। 

भक्तिन पाठ के प्रश्न उत्तर प्रश्न 2. 
दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अक्सर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं? 
उत्तर : 
पहली कन्या के बाद जब भक्तिन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया, तो तब पुत्र-प्रेम से अंधी अपनी जिठानियों द्वारा वह उपेक्षा और घृणा का शिकार बनी। भक्तिन की सास तीन पुत्रों की माँ थी, उसने भी भक्तिन की उपेक्षा की। भक्तिन अपनी जिठानियों तथा सास की तरह पुत्र पैदा नहीं कर सकी। 

विचारणीय बात यह है कि भक्तिन को घृणा और उपेक्षा परिवार की नारियों से ही मिली, अपने पति से नहीं। तीन कन्याएँ पैदा करने पर भी पति ने उसके प्रति प्रेम में कमी नहीं आने दी। इस घटना से यह धारणा स्पष्ट हो जाती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है और वही एक-दूसरे की उपेक्षा करती हैं, आपस में ईर्ष्या-द्वेष रखती हैं। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

Class 12th Hindi Chapter 11 Question Answer प्रश्न 3. 
भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के सन्दर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परम्परा का प्रतीक है। कैसे? 
उत्तर : 
भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने जबर्दस्ती की थी, उसे जबरन अपने साथ कोठरी में बन्द कर दिया था। तब गाँव की पंचायत में लड़की की अनिच्छा के बावजूद उसे उस तीतरबाज युवक के साथ बाँध दिया गया और पति-पत्नी की तरह रहने का निर्णय सुनाया गया। इस घटना को स्त्री का सम्मान व अधिकार कुचलने वाली मानकर कहा जा सकता है कि स्त्रियों के साथ ऐसे व्यवहार सदियों से होते आ रहे हैं। 

नारी को अबला मानकर दबाया जाता है, उसकी इच्छा-अनिच्छा का ध्यान न रखकर किसी के भी साथ उसका विवाह कर दिया जाता है। इसी का दुष्परिणाम अपहरण और बलात्कार रूप में भी देखा जाता है। समय बदलता रहा, परन्तु स्त्री-जाति का ऐसा शोषण नहीं रुका, उनके अधिकारों का हनन होता रहा। आज भी गाँवों की पंचायतों में ऐसी गलत परम्पराएँ चल रही हैं। भक्तिन की बेटी के साथ घटित घटना इसी की प्रतीक है। 

Class 12 Hindi Bhaktin Question Answer प्रश्न 4. 
भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं'-लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा? 
उत्तर : 
अनेक दुर्गुणों के बाद भी भक्तिन उन्हें प्रकट नहीं होने देती थी। लेखिका भी उसके दुर्गुणों की ओर उतना ध्यान नहीं देती थी। लेखिका यह मानती कि भक्तिन में दुर्गुण हैं। वह सत्यवादी हरिश्चन्द्र नहीं बन सकती। वह लेखिका के इधर-उधर पड़े पैसे-रुपये मटकी में छिपाकर रख लेती। 

लेखिका को प्रसन्न रखने के लिए वह बात को इधर-उधर घुमा लेती। इसे आप झूठ कह सकते हैं। इतना झूठ और चोरी तो धर्मराज महाराज ने भी की है। वह सभी बातों और कामों को अपनी सुविधानुसार ढाल लेती और स्वयं रंचमात्र भी न बदलकर शास्त्रीय बातों की व्याख्या अपने अनुसार ही करती। इसी कारण लेखिका ने भक्तिन को लक्ष्य कर ऐसा कहा होगा। 

Class 12 Hindi Chapter Bhaktin Question Answer प्रश्न 5. 
भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है? 
उत्तर : 
भक्तिन शास्त्र के प्रश्न को अपने अनुसार सुलझा लेती थी। इस बात पर लेखिका ने उदाहरण दिया कि जब भक्तिन ने अपना सिर मुंडवाना चाहा, तो महादेवी ने उसे ऐसा करने से रोका, क्योंकि स्त्रियों का सिर बुटाना अच्छा नहीं लगता। इस प्रश्न पर भक्तिन ने अपने कार्य को शास्त्र-सम्मत बताया और उत्तर देते हुए कहा कि "तीरथ गए मुंडाए सिद्ध।" उसका यह वचन किसी शास्त्र का न होकर अपनी समझ से गढ़ा गया अथवा लोगों से सुना हुआ था, जिसे उसने शास्त्र का बता दिया। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 Question Answer प्रश्न 6. 
भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई? 
उत्तर : 
भक्तिन देहाती थी। सेविका रूप में आ जाने से महादेवी का खाना-पहनना देहाती ढरे का हो गया। भक्तिन ने देहाती खाने की विशेषताएँ बता-बताकर उनके खाने की आदत बदल डाली। उसके कारण लेखिका को रात में मकई के दलिए के साथ मट्ठा पीना पड़ा। बाजरे के तिल मिलाकर बने पुए खाने पड़े और ज्वार के भुने हुए भुट्टे की खिचड़ी खानी पड़ी। उसकी बनाई हुई सफेद महुए की लापसी को संसार के श्रेष्ठ हलवे से अधिक स्वादिष्ट मानकर खाना पड़ा। भक्तिन ने लेखिका को देहाती भाषा और कहावतें भी सिखा दीं। इस तरह महादेवी भी देहाती बन गईं। 

पाठ के आसपास - 

Bhaktin Class 12 Question Answer प्रश्न 1. 
'आलो आँधारि' की नायिका और लेखिका 'बेबी हालदार' और 'भक्तिन' के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?
उत्तर : 
'आलो आँधारि' की नायिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में यह समानता है कि दोनों को ही घर-परिवार छोड़ बाहर कार्य करना पड़ा। भक्तिन और बेबी हालदार दोनों को काफी कष्ट सहने पड़े तथा परिवार-जनों की उपेक्षा सहनी पड़ी व शोषण का शिकार बनीं। दोनों मानवीय संवेदना से पूर्ण होने पर भी नारी के अधिकारों से वंचित थीं। इन दोनों में यही समानता दिखाई देती है।
 
Hindi Class 12 Chapter 11 Question Answer प्रश्न 2. 
भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अखबारों या टी.वी. समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें। 
उत्तर : 
भक्तिन की बेटी के मामले में पंचायत ने जो फैसला सुनाया, वह कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। आज भी ग्राम पंचायतों तथा जातीय पंचायतों में विवाह-सम्बन्धी अनेक ऐसे मामले आते हैं। इनमें रूढ़िवादियों और संकीर्ण विचारधारा वाले अशिक्षित ग्रामीणों का दुराग्रह भी रहता है। समाचार-पत्रों तथा दूरदर्शन के चैनलों पर ऐसे समाचार आते रहते हैं कि किसी युवक-युवती का विवाह-सम्बन्ध अवैध मानकर उन्हें भाई-बहिन की तरह रहने को अथवा वैध मानकर पति-पत्नी की तरह रहने को कहा जाता है। इस तरह आज भी विवाह के मामलों में जातिवादी पंचायतों का रवैया अमानवीय है। 

Class 12 Hindi Ch 11 Question Answer प्रश्न 3. 
पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हजारों अभांगिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें। 
उत्तर : 
राजस्थान के ठेठ देहातों में, विशेषकर कुछ जातियों में लड़कियों एवं लड़कों के विवाह छोटी अवस्था में किये जाते हैं। कुछ विवाह अनमेल भी होते हैं। इनका प्रभाव लड़के पर कम, परन्तु लड़की पर अधिक पड़ता है तथा उसे अपने जीवन में अनेक तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं। विद्यार्थी इस बात को लेकर परस्पर या मित्रों के साथ स्वयं परिचर्चा करें। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

भक्तिन पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 12 प्रश्न 4. 
महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता बसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढकर पढ़ें। जो 'मेरा परिवार' नाम से प्रकाशित है। 
उत्तर : 
महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ' मेरा परिवार' शीर्षक संस्मरणात्मक रेखाचित्र को पुस्तकालय से लेकर पढ़ें और पशु-पक्षियों का परिचय प्राप्त करें। 

भाषा की बात - 

Class 12th Hindi Bhaktin Question Answer प्रश्न 1. 
नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए 
(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले 
(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी 
(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण 
उत्तर : 
(क) जिस प्रकार किसी पुस्तक के पहले संस्करण के बाद उसके वैसे ही दो अन्य संस्करण भी निकलते हैं, उसी प्रकार भक्तिन ने अपनी पहली कन्या को जन्म देने के बाद उसी शक्ल-सूरत की दो और कन्याएँ पैदा कर दीं।

(ख) ऐसी टकसाल जिसमें खोटे सिक्के ढलते हों। समाज में लड़की को 'खोटा सिक्का' तथा लड़के को 'खरा सिक्का' माना जाता है। भक्तिन ने एक-एक कर तीन लड़कियाँ पैदा की, इसलिए व्यंग्य रूप में उसे खोटे सिक्कों की टकसाल कहा गया। 

(ग) भक्तिन जब अपने पिता की मृत्यु के काफी समय बाद अपने मायके पहुँची, तो गाँव के लोग अस्फुट स्वरों में बातें करने लगे कि 'हाय लछमिन अब आयी।' गाँव की स्त्रियाँ बार-बार यही कहती रहीं। इस तरह अस्पष्ट कथनों की आवृत्ति करके वे सहानुभूति व्यक्त करने लगीं कि उसकी सौतेली माँ ने उसे बीमारी के दौरान अपने पिता से मिलने नहीं बुलाया।

Class 12 Hindi Chapter 11 Vyakhya प्रश्न 2. 
'बहनोई' शब्द 'बहन (स्त्री) + ओई' से बना है। इस शब्द में हिन्दी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुल्लिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, पर स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पु. प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुः प्रत्यय 'ओई' हिन्दी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पु. प्रत्ययों की हिन्दी तथा और भाषाओं में खोज करें। 
उत्तर : 
अन्य शब्द :

  • ननद + ओई = ननदोई। 
  • रस + ओई = रसोई।

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

Class 12 Hindi Chapter 1 Bhaktin Question Answer प्रश्न 3. 
पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझ कर इन्हें खड़ी बोली हिन्दी में ढाल कर प्रस्तुत कीजिए 
(क) ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल राँध लेइत है, साग-भाजी ऊँउक सकित है, अउर बाकी का रहा। 
(ख) हमारे मालकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़े लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी। 
(ग) ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ, चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ। 
(घ) तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं। 
(ङ) तुम पचै का का बताईयहै पचास बरिस से संग रहित है। 
(च) हम कुकुरी बिलारी न होय, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा पूँजब और राज करब, समुझे रहौ।
उत्तर : 
(क) यह कौन बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती हूँ, दाल राँध लेती हूँ, साग-सब्जी छोंक सकती हूँ और बाकी क्या रहा। 
(ख) हमारी मालकिन तो रात-दिन किताबों में गड़ी रहती हैं। अब यदि मैं भी पढ़ने लगूं तो घर-परिवार के काम कौन देखेगा-सुनेगा? 
(ग) वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती हैं और तुम लोग घूमते-फिरते हो। चलो, थोड़ा हाथ बँटा लो। 
(घ) तब वह कुछ भी करता-धरता नहीं है, बस गली-गली में गाता-बजाता फिरता है। 
(ङ) तुम लोगों को क्या बताऊँ, यही पचास वर्ष से साथ रहते हैं। 
(च) मैं कुतिया-बिल्ली नहीं हूँ, मेरा मन करेगा तो मैं दूसरे के घर जाऊँगी, अन्यथा तुम लोगों की छाती पर ही होला भूगूंगी और राज करूँगी, अच्छी तरह समझ लो।

प्रश्न 4. 
भक्तिन पाठ में 'पहली कन्या के दो संस्करण' जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही ये प्रयोग कथ्य को सम्प्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिन्दी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसन्द का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक हैं? 
- अरे! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है। 
- घबरा मत! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पेवेलियन भेज दूंगा। 
- जानी टेंसन नई लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है। 
उत्तर : 
उपर्युक्त वाक्यों में कम्प्यूटर, खेल तथा फिल्मी जगत् की शब्दावलियों का प्रयोग किया गया है। यथा 
(i) वायरस, सिस्टम और हैंग - ये कम्प्यूटर से सम्बन्धित हैं। 
(ii) इनस्वींगर, फाउल, रेड कार्ड तथा पेवेलियन - ये खेल से सम्बन्धित हैं। 
(iii) जानी, टेंशन, नई, अपुन - ये फिल्मी जगत् (मुम्बइया भाषा) से सम्बन्धित हैं। 
ये सभी शब्द उनके क्षेत्र में विशिष्ट अर्थ एवं तात्पर्य के सूचक होते हैं तथा इन्हें क्षेत्र-विशेष की तकनीकी शब्दावली कहा जाता है। 
अन्य उदाहरण - 
(i) सरकारी राशन-प्रणाली का सिस्टम पूरा ही गलत है। 
(ii) हैरान मत हो, मैं दोस्तों के साथ पेवेलियन में रहूँगा। 
(ii) बेकार टेंशन लेते हो, हम हैं न, उसकी उस्तादी भुला देंगे। 

RBSE Class 12 भक्तिन Important Questions and Answers

लघूत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 1. 
"भक्तिन ने महादेवी वर्मा को अधिक देहाती बना दिया, किन्तु स्वयं शहर की हवा से दूर रही।" इस वाक्य की सत्यता सिद्ध कीजिए। 
उत्तर : 
भक्तिन ने महादेवी वर्मा को देहाती भोजन खाना सिखा दिया था। उन्हें कुछ देहाती भाषा की कहावतें भी सिखा दी थीं। परन्तु वह स्वयं रसगुल्ला नहीं खाती थी, साफ धोती पहनना नहीं सीख पायी थी और पुकारने पर 'आय' के स्थान पर 'जी' कहने का शिष्टाचार नहीं सीखी थी। इस तरह वह शहर की हवा से दूर ही रही।

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

प्रश्न 2. 
भक्तिन के चरित्र में क्या केवल स्वाभिमानी स्त्री का गुण ही था या कुछ और भी था? 
उत्तर : 
भक्तिन में स्वाभिमानी स्त्री के गुण के अतिरिक्त भी अनेक गुण थे। वह मान-सम्मान का ध्यान रखने वाली, मेहनती, स्वावलम्बी एवं कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करने वाली स्त्री थी। पति की मृत्यु के बाद वह सम्पत्ति के लोभी जेठ-जिठौतों का डटकर सामना करती रही। वह कर्त्तव्यपरायण, लगनशील एवं धार्मिक आस्था वाली स्त्री थी। वह सेवक-धर्म का दृढ़ता से पालन करती थी।
 
प्रश्न 3. 
भक्तिन अपनी विमाता और सास से क्यों नाराज थी? स्पष्ट बताइये। 
उत्तर : 
भक्तिन की सास को उसके पिता की मौत का समाचार पहले ही मिल गया था, परन्तु उसने अपने घर में बहू का रोना-विलाप करना अपशकुन मानकर वह समाचार नहीं सुनाया। मायके की सीमा में पहुँचते ही जब उसे पिता की मौत का समाचार मिला तो तब विमाता के कठोर व्यवहार से वह ससुराल लौट आयी। इसी कारण वह विमाता और सास से नाराज थी। 

प्रश्न 4. 
भक्तिन का बचपन और यौवन किस अवस्था में व्यतीत हुआ था? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
भक्तिन को बचपन से ही गरीबी. उपेक्षा तथा विमाता के अत्याचारों को सहना पडा था। उसका विवाह अल्पायु में हो गया था। विवाह के बाद तीन कन्याओं को पैदा करने से उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। फिर भरी-जवानी में वह विधवा हो गई। तब उसके जेठों के स्वार्थी व्यवहार के कारण उसका जीवन कष्टों में व्यतीत हुआ। 

प्रश्न 5.
भक्तिन के स्वभाव के दो गुण थे परिश्रम करना और कर्त्तव्य का पालन करना। भक्तिन' संस्मरण के आधार पर बताइए। 
उत्तर : 
पति की असामयिक मृत्यु के बाद भक्तिन ने परिश्रम करके गृहस्थी चलायी और बेटियों का विवाह कराया। लेखिका की सेविका बनने पर वह प्रत्येक काम परिश्रम से करती थी और मालकिन को प्रसन्न रखना अपना कर्तव्य मानती थी। इसी कारण लेखिका के प्रत्येक काम में सहायता करती थी। अतः परिश्रम करना और कर्त्तव्य-पालन करना उसका स्वभाव बन गया था। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

प्रश्न 6. 
"भक्तिन का दुर्भाग्य भी कम हठी नहीं था"-महादेवी के इस कथन को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
भक्तिन ने पति की असामयिक मृत्यु के बाद बड़े दामाद को घरजवाई बना लिया था। परन्त कछ समय बाद दामाद की मृत्यु हो गई। तब उसे उसके बड़े जिठौत के साले को पंचायत के गलत निर्णय के कारण दामाद मानना पड़ा। धीरे-धीरे सम्पत्ति जाती रही और समय पर लगान न चुका पाने से जमींदार द्वारा अपमानित होना पड़ा। इस प्रकार भक्तिन का दुर्भाग्य उसके साथ हठपूर्वक लगा रहा।
 
प्रश्न 7.
"तब उसके जीवन के चौथे और सम्भवतः अन्तिम परिच्छेद का जो अथ हुआ, उसकी इति अभी दूर है।" महादेवी के इस कथन का आशय बताइये। 
उत्तर : 
भक्तिन के जीवन का पहला परिच्छेद विवाह से पूर्व का, दूसरा विवाह होने का, तीसरा विधवा हो जाने के बाद का बताया गया है। महादेवी की सेविका बनने पर उसके जीवन का चौथा अध्याय प्रारम्भ हुआ। महादेवी के कथन का आशय यह है कि यह उसके जीवन का अन्तिम परिच्छेद है, क्योंकि भक्तिन का शेष जीवन अब उनके ही साथ बीतेगा। 

प्रश्न 8. 
"तब मैंने समझ लिया कि इस सेवक का साथ टेढ़ी खीर है।" लेखिका ने ऐसा किस कारण और कब कहा? समझाइए। 
उत्तर : 
महादेवी की सेवा में आने के दूसरे दिन तड़के भक्तिन ने स्नान किया, धुली धोती को जल के छींटे से पवित्र कर पहना, फिर सूर्य और पीपल को जल चढ़ाकर नाक दबाकर दो मिनट जप किया और कोयले की मोटी रेखा खींचकर चौके में प्रतिष्ठित हो गई। उस समय भक्तिन की छुआछूत मानने की प्रवृत्ति देखकर लेखिका ने समझ लिया कि उसके साथ रहना काफी कठिन कार्य है। 

प्रश्न 9. 
भक्तिन के आने से महादेवी के जीवन में क्या परिवर्तन आने लगा? 
उत्तर : 
भक्तिन के आने से महादेवी के जीवन में यह परिवर्तन आने लगा कि वह साधारण देहाती जीवन जीने की लगी। वह भक्तिन के कारण होने वाली अपनी असुविधा को छिपाने लगी। वह भक्तिन द्वारा पकाये गये देहाती भोजन खाने लगी और उससे अनेक दंतकथाएँ सुनकर उन्हें कण्ठस्थ रखने लगीं। इस तरह महादेवी के जीवन में देहातीपन आने लगा।

प्रश्न 10.
"मेरे भ्रमण की एकान्त साथिन भक्तिन ही रही है।" लेखिका के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
लेखिका जब भी कहीं दूर की यात्रा पर जाती, तो भक्तिन उनके साथ अवश्य जाती। बदरी-केदार की यात्रा में ऊँचे-नीचे और तंग पहाड़ी रास्ते में वह हठ करके लेखिका के आगे चलती। इसी प्रकार गाँव की धूलभरी पगडण्डी पर वह लेखिका के साथ छाया की तरह चलती रहती थी। इस तरह भक्तिन लेखिका के भ्रमण-काल में। साथिन बनी रहती थी। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

प्रश्न 11. 
कारागार से डर लगने पर भी भक्तिन ने वहाँ जाने का विचार कब और क्यों किया? : 
उत्तर : 
भक्तिन को कारागार से वैसे ही डर लगता था जैसे वह यमलोक हो। एक बार महादेवी के कारागार जाने की बात सुनकर भक्तिन ने भी वहाँ साथ जाने का निश्चय कर लिया। तब उसने लेखिका से पूछा कि वहाँ जाने के लिए क्या-क्या सामान बाँधना पड़ेगा। इस तरह अपनी मालकिन का साथ निभाने की खातिर भक्तिन ने कारागार का भय त्यागकर वहाँ जाने का विचार किया। 

प्रश्न 12. 
'भक्तिन' संस्मरण के आधार पर उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर : 
प्रस्तुत संस्मरण में भक्तिन के चरित्र की अनेक विशेषताएँ व्यक्त हुई हैं। भक्तिन स्वाभिमानी, मान-सम्मान का ध्यान रखने वाली, मेहनती एवं स्वावलम्बी थी। पति की मृत्यु के बाद वह सम्पत्ति के लोभी जेठ-जिठौतों का डटकर सामना करती रही। वह कर्त्तव्यपरायण, लगनशील, धार्मिक आस्था के साथ अन्धविश्वासी भी थी। वह सेवक-धर्म का दृढ़ता से पालन करती थी।

प्रश्न 13. 
"भक्तिन की कहानी अधूरी है, पर उसे खोकर मैं इसे पूरा नहीं करना चाहती।" लेखिका ने ऐसा कब और क्यों कहा? समझाकर लिखिए। 
उत्तर : 
भक्तिन हर दशा में अपनी मालकिन की सेवा करने के लिए उसके साथ रहना चाहती थी। वह लेखिका के साथ कारागार में जाने और अन्याय के खिलाफ बड़े लाट तक से लड़ने को उद्यत थी। एक प्रकार से वह अपने जीवनान्त तक लेखिका का साथ निभाना चाहती थी। उसके ऐसे आचरण एवं सेवा-भाव को देखकर लेखिका ने कहा कि उसकी कहानी का पूरा उल्लेख करना सम्भव नहीं है। 

प्रश्न 14. 
'भक्तिन' संस्मरण के आधार पर ग्राम-पंचायत के निर्णय पर टिप्पणी कीजिए। 
उत्तर : 
ग्राम-पंचायत ने निर्णय दिया था कि तीतरबाज युवक का भक्तिन की बेटी की कोठरी में प्रवेश करना कलियुग की समस्या है। चाहे दोनों में एक सच्चा हो अथवा दोनों झूठे हों, परन्तु एक कोठरी में साथ रहने से ये अब पति-पत्नी रूप में ही रहेंगे। पंचायत का यह निर्णय पूरी तरह अन्यायपूर्ण, धार्मिक मान्यता के विरुद्ध और अमानवीय था। पंचायत का निर्णय एक प्रकार से नारी जाति का घोर अपमान एवं शोषण था। 

प्रश्न 15. 
महादेवी भक्तिन को अपनी सेविका क्यों नहीं मानती थी? 'भक्तिन' पाठ के आधार पर बताइये। 
उत्तर : 
भक्तिन और महादेवी के सम्बन्ध इतने आत्मीय हो गये थे कि वह भक्तिन को अपनी सेविका नहीं, संरक्षिका मानने लगी थीं। भक्तिन भी स्वयं को उनकी सेविका नहीं मानती थी। इसी कारण महादेवी द्वारा नौकरी छोड़कर जाने के आदेश को वह हँसकर टाल देती थी। वह वयोवृद्ध अभिभाविका की तरह महादेवी की देखभाल करती थी और पूरी आत्मीयता रखती थी। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

प्रश्न 16. 
भारतीय समाज में लड़के-लड़कियों में किये जाने वाले भेदभाव का प्रस्तुत संस्मरण के आधार पर उल्लेख कीजिए। 
उत्तर : 
भारतीय समाज में रूढ़ियों एवं अशिक्षा के कारण लोग लड़के-लड़कियों को लेकर भेदभाव करते हैं। लड़के का पैदा होना वंश को बढ़ाने वाला माना जाता है और उसे खरा सिक्का या सोने का सिक्का माना जाता है। इसके विपरीत लड़की को ऐसे लोग खोटा सिक्का मानते हैं। इसी भेदभाव के कारण लड़कियों के खान-पान की उपेक्षा कर उनसे घर का काम कराया जाता है तथा. उन्हें सदैव महत्त्वहीन समझा जाता है। 

प्रश्न 17. 
'भक्तिन' संस्मरण के आधार पर बताइए कि समाज में विधवा के साथ कैसा व्यवहार किया जाता 
उत्तर : 
'भक्तिन' संस्मरण में बताया गया है कि हमारे समाज में विधवा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कि है। यदि विधवा जवान और नि:सन्तान है, तो उसके साथ दुराचार की कोशिश की जाती है। विधवा की सम्पत्ति पर परिवार के तथा अन्य लोग अपना अधिकार जमाना चाहते हैं। गाँवों की पंचायतें भी विधवाओं व अन्य महिलाओं के सम्मान की रक्षा नहीं करती हैं और उन पर मनमाने निर्णय थोपती हैं।
 
प्रश्न 18. 
क्या 'भक्तिन' संस्मरण को रोचकता से युक्त कहा जा सकता है? यदि हाँ तो किस प्रकार? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
महादेवी के संस्मरणों-रेखाचित्रों में रोचकता का पूर्णतया समावेश रहता है। प्रस्तुत संस्मरण में भक्तिन की विधवा बेटी और तीतरबाज युवक के प्रसंग के साथ पंचायत के निर्णय को बड़ी रोचकता से समाविष्ट किया गया है। इसी प्रकार भक्तिन के आचरण, अन्धविश्वास, काम करने के तरीके आदि सभी का रोचक रूप में चित्रण किया गया है। 

प्रश्न 19. 
'भक्तिन' संस्मरण में निहित सन्देश पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर : 
'भक्तिन' संस्मरण में यह सन्देश व्यक्त हुआ है कि भारतीय समाज में नारियों को बाल-विवाह जैसी कुप्रथा से बचाना चाहिए। समाज में लड़कियों को लड़कों के समान सम्मान मिलना चाहिए। अल्पायु में विधवा होने वाली निस्सन्तान युवतियों का पुनर्विवाह सभी की सम्मति से होना चाहिए। गाँवों की जातीय पंचायतों के गलत निर्णयों पर कानूनी रोक होनी चाहिए। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

निबन्धात्मक प्रश्न -
 
प्रश्न 1. 
महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' पाठ के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर : 
'भक्तिन' शीर्षक से स्पष्ट होता है कि किसी की भक्त। चाहे किसी व्यक्ति विशेष की या भगवान विशेष . की हो। 'भक्तिन' नाम बताता है कि जरूर कोई वैरागन है जो सब कुछ छोड़-छाड़कर ईश्वर भजन में विरक्त है। 'भक्तिन' पाठ की भक्तिन में गृहस्थ और संन्यासी दोनों का सम्मिश्रण है। भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था। बचपन में विवाह होने पर अनेक जिम्मेदारियों को वहन करती लक्ष्मी नाम के अनुरूप सुख-सम्पदा से कोसों दूर थी। 

वह जीवन पर्यन्त अपने साहस और संघर्ष के बल पर जीवन जीती है। इसीलिए वह अपना नाम लक्ष्मी नहीं कहलवाना चाहती। लेखिका ने उसकी वेशभूषा देखकर उसे भक्तिन नाम दिया था। उसमें स्वामि-भक्ति के गुण होने के कारण लेखिका भी उसे ज्यादा कुछ नहीं बोल पाती थी। वह लेखिका की हरसंभव सेवा करती तथा उन्हें खुश रखना अपना जीवन-धर्म समझती थी। भक्तिन के जीवन का संघर्षमय पक्ष का चित्रण करना लेखिका का उद्देश्य रहा है, जिसमें वे सफल रही है इसलिए 'भक्तिन' शीर्षक भी उसके नाम व जीवन के अनुरूप सफल व सार्थक ही रहा है। 

प्रश्न 2. 
'ऐसे विषम प्रतिद्वन्द्वियों की स्थिति कल्पना में भी दुर्लभ है।' लेखिका ने ऐसा क्यों कहा ? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
लेखिका के पास रहने वाली 'भक्तिन' कारागार के नाम से ही बेहोश हो जाती थी। लेकिन जब उसे पता चला कि लेखिका को कारागार जाना पड़ सकता है तो उनके साथ जाने के लिए उसने अपने डर को पीछे छोड़ दिया। वह लेखिका से पूछती कि क्या सामान बाँध ले जो जेल में काम आएगा। लेखिका कहती है कि उसे कौन समझाए कि इस यात्रा में अपनी सुविधानुसार न तो सामान ले जा सकते हैं और न ही कोई व्यक्ति। 

लेकिन भक्तिन के लिए यह सब बातें कोई अर्थ नहीं रखती हैं। उसके लिए इससे बड़ा अंधेर कुछ और न होगा कि जितना मालिक को बंद करने में अन्याय नहीं लेकिन नौकर को अकेले छोड़ देने में अन्याय है। जहाँ मालिक वहाँ नौकर अगर नहीं होता है ऐसा तो वह बड़े लाट से लड़ने तक को तैयार है। कोई माई आज तक लाट से लड़ी या नहीं, पर भक्तिन का काम लाट से लड़े बिना चल ही नहीं सकता है। लेखिका उसके इसी व्यवहार और बातों के लिए उसे प्रतिद्वन्द्वी कहती है फिर भी दोनों को साथ रहना है, जिसके लिए कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है। 

प्रश्न 3. 
लेखिका महादेवी वर्मा और भक्तिन के मध्य किस प्रकार का सम्बन्ध है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
पाठ 'भक्तिन' में कहने भर के लिए लेखिका और भक्तिन के मध्य सेवक-स्वामी का सम्बन्ध है। लेकिन जहाँ तक लेखिका स्वयं बताती है कि संसार में ऐसा कोई स्वामी नहीं देखा गया होगा जैसी कि वह स्वयं थी। जो इच्छा होने पर सेवक को पदमुक्त करना चाहती थी, अपनी सेवा से हटाना चाहती थी। पर हटा नहीं पाती थी। और ऐसा सेवक भी नहीं सुना गया जो कि जाने की कहने के बाद भी अपने स्वामी की आज्ञा का उल्लंघन कर हँसी बिखेरती रहती। 

लेखिका की आज्ञानुसार किसी भी कार्य को नहीं करने के पश्चात् भी वह उनके चारों तरफ उनका कार्य करने को तत्पर रहती थी। लेखिका के कुछ कहने या न कहने का कोई असर उस पर नहीं होता किन्तु फिर भी अपने मनानुसार वह उनके कार्य करती रहती। उनका साथ छोड़ने के लिए वह किसी कीमत पर तैयार नहीं थी। दोनों स्वामी-सेवक विषम परिस्थितियों में भी प्रतिद्वन्द्वी की भाँति साथ-साथ रहती थी। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न - 

प्रश्न 1. 
महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर : 
महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद (उ.प्र.) में 1907 ई. में हुआ। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर के मिशन स्कूल में हुई थी। नौ वर्ष की उम्र में इनका विवाह हो गया पर इनका अध्ययन चलता रहा। 1929 में बौद्ध भिक्षुणी बनना चाहती थी परन्तु महात्मा गाँधी के सम्पर्क में आने के बाद समाज सेवा की ओर उन्मुख हो गई। 

इनका कार्यक्षेत्र बहुमुखी रहा। इनकी रचनाएँ - नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा (काव्य संग्रह); अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, मेरा परिवार (संस्मरण); श्रृंखला की कड़ियाँ, आपदा, भारतीय संस्कृति के स्वर (निबन्ध) आदि। पद्म विभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार, भारत-भारती पुरस्कारों से सम्मानित लेखिका की मृत्यु 1987 ई. में हुई। इनकी कविताओं में निजी वेदना व पीड़ा समाहित है। इनके गद्य में सामाजिक सरोकारों का चिंतन है।

भक्तिन Summary in Hindi

(महादेवी वर्मा) - लेखिका परिचय-साहित्य-रचना एवं समाज-सेवा के क्षेत्र में महादेवी वर्मा का आदरणीय स्थान रहा है। हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र एवं संस्मरण विधा को आगे बढ़ाने में इनका अनुपम योगदान रहा है। अपने सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों, साहित्यकारों, जीव-जन्तुओं आदि का संवेदनात्मक चित्रण कर महादेवी ने अतीव मार्मिकता प्रदान की है। 

ये छायावादी युग की नारी - संवेदना से मण्डित कवयित्री रही हैं। इनकी कविताओं में आन्तरिक वेदना और पीड़ा की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है, जिससे वे इस लोक से परे किसी अव्यक्त सत्ता की ओर अभिमुख दिखाई देती हैं। इनकी प्रतिभा कविता और गद्य इन दोनों में अलग-अलग स्वभाव लेकर सक्रिय रही है। गद्य के क्षेत्र में इनका दृष्टिकोण सामाजिक सरोकार के प्रति संवेदनामय रहा है।

महादेवी वर्मा का जन्म सन 1907 में फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में तथा निधन सन 1987 ई. में इलाहाबाद में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं-नीहार, नीरजा, रश्मि, सान्ध्यगीत, दीपशिखा तथा यामा (काव्य-संग्रह), अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी और मेरा परिवार (संस्मरण-रेखाचित्र), श्रृंखला की कड़ियाँ, आपदा, संकल्पिता, भारतीय संस्कृति के स्वर इत्यादि (निबन्ध-संग्रह)। ये ज्ञानपीठ पुरस्कार, भारत भारती पुरस्कार तथा पद्मभूषण से सम्मानित हुई हैं। 

पाठ-सार - 'भक्तिन' महादेवी वर्मा का प्रसिद्ध संस्मरणात्मक रेखाचित्र है। इसमें भक्तिन, एक ऐसी नारी का परिचय दिया गया है, जो लेखिका की सेविका रही है। भक्तिन छोटे कद तथा दुबले शरीर की थी। उसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था, किन्तु उसके निवेदन पर तथा उसकी कण्ठी-माला को देखकर लेखिका ने उसका नाम भक्तिन रख दिया था। 

1. भक्तिन का प्रारम्भिक जीवन - सी गाँव के एक अहीर की इकलौती बेटी और विमाता की छाया में पली लक्ष्मी का विवाह पाँच वर्ष की होने पर हंडिया गाँव के एक सम्पन्न गोपालक के पुत्र से हुआ। नौ वर्ष की होने पर लक्ष्मी का गौना कर दिया। विमाता ने उसके पिता की मृत्यु का समाचार देर से भेजा। तब सास ने अपशकुन से बचने के लिए उसे नहीं बताया और पीहर भेज दिया। वहाँ उसके साथ कठोर व्यवहार किया गया, तो वह वापस ससुराल आ गयी। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

2. कन्या जन्म एवं विधवा जीवन - जीवन में भक्तिन को सुख नहीं मिला। उसकी तीन लड़कियाँ पैदा हुई तो सास व जिठानियों ने उसकी उपेक्षा प्रारम्भ कर दी। सास के तीन कमाऊ बेटे थे, जिठानियों के भी पुत्र थे। उनके लड़के खेलते-कूदते, जबकि घर का सारा काम भक्तिन और उसकी बेटियाँ करती थीं। लेकिन उसका पति उसे सच्चे मन से प्यार करता था। वह संयुक्त परिवार से अलग हो गई। जहाँ उसने बड़ी लड़की का धूमधाम से विवाह किया। 

दुर्भाग्य से लक्ष्मी विधवा हो गई। भक्तिन की सम्पत्ति पर कब्जा करने की नीयत से जेठ-जिठानियों ने उससे दूसरा विवाह करने को कहा, परन्तु उसने मना कर दिया रोज की कलह से उसने केश कटवा कर कण्ठी धारण कर ली और अपनी छोटी लड़कियों की शादी कर बड़े दामाद को घर-जमाई बना लिया। 

3. दुर्भाग्य एवं विवशता - भक्तिन का दुर्भाग्य उसके साथ लगा था, उसी समय बड़ी लड़की विधवा हो गई। अपनी विधवा बहन का दूसरा विवाह कराने के लिए जेठ का पुत्र अपने तीतर लड़ाने वाले साले को बुला लाया, पर लड़की. ने उसे अस्वीकार कर दिया। एक दिन वह जबर्दस्ती उसकी कोठरी में घुस गया। 

यद्यपि लड़की ने उसका भरपूर विरोध किया, उसके चेहरे को नोच दिया, परन्तु पंचायत ने उन्हें पति-पत्नी के रूप में रहने का आदेश दिया। माँ-बेटी विवश थीं। यह सम्बन्ध सुखकारी नहीं रहा। पैसों की कमी आने से समय पर लगान नहीं चुकाया, तो जमींदार ने भक्तिन को बुलाकर नभर कडी धुप में खडा रख दिया। इस अपमान को सहन न कर सकने से वह कछ कमाई करने के विचार से शहर चली आयी। 

4. महादेवी की सेविका - सिर मुंडा हुआ, गले में कण्ठी और मैली धोती पहने लक्ष्मी अर्थात् भक्तिन लेखिका के पास नौकरी पाने आयी और सेविका बन गई। भक्तिन पवित्र आचरण की थी। प्रात:काल स्नान करके, सूर्य और पीपल को अर्घ्य देकर तथा दो मिनट का जप कर वह चौके की सीमा निर्धारित कर खाना बनाने लगी। यह क्रम नित्य का बन गया। भक्तिन छुआछूत भी मानती थी। उसके द्वारा पकाया गया भोजन ग्रामीण परिवार के स्तर का था। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

5. भक्तिन का स्वभाव - भक्तिन दूसरों को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करती थी, किन्तु स्वयं अपरिवर्तित बनी रहती। वह लेखिका के इधर-उधर पड़े पैसों को किसी मटकी में रख लेती। लेखिका ने जब उसे सिर मुंडवाने से रोकना चाहा, तो उसने 'तीरथ गए मुँडाए सिद्ध' कहकर यह काम शास्त्रसिद्ध बताया। भक्तिन सरल स्वभाव की थी, उसे गर्व था कि उसकी मालकिन जो काम करती है, उसे दूसरा नहीं कर सकता। लेखिका की किसी पुस्तक के प्रकाशित होने पर उसे बहुत प्रसन्नता होती थी। भक्तिन लेखिका की हर तरह से सेवा करती थी और भक्ति-भावना से सारे काम करती थी। 

6. सेवार्थ समर्पित - जब भक्तिन को बेटी-दामाद, नाती को लेकर उसे बुलाने आये, तब वह समझाने-बुझाने पर भी उनके साथ नहीं गई। वह जीवन के अन्त तक लेखिका का साथ छोड़ने को तैयार नहीं हुई। भक्तिन लेखिका के परिचितों से परिचित हो गई थी, परन्तु कविता से उसका कोई लगाव नहीं था। वह महादेवी के साथ कारागार भी जाना चाहती थी। वह छात्रावास की लड़कियों के साथ स्नेह-सद्भाव रखती थी। इस तरह भक्तिन का जीवन लेखिका की सेवा के लिए समर्पित था।

सप्रसंग महत्त्वपूर्ण व्याख्याएँ -

निर्देश - निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उनसे सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

1. सेवक-धर्म में हनुमानजी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है-नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी। वैसे तो जीवन में प्रायः सभी को अपने अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • स्पर्धा = होड़, प्रतियोगिता। 
  • दुर्वह = कठिन। 
  • कुंचित = सिकुड़ी हुई।

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इसमें लेखिका ने 'भक्तिन' के नाम की विशेषता उसके भाग्य से जोड़कर बताई है। 

व्याख्या - लेखिका बताती है कि सीधी-सरल स्वभाव की भक्तिन सेवा धर्म का पालन,करने में हनुमानजी से भी होड़ रखती थी। वह एक गाय पालने वाले गोपालिका की बेटी थी। उसका नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था। लेखिका बताती है कि जैसे उनका नाम महादेवी था अर्थात् महानदेवी, उसी प्रकार उसका नाम लक्ष्मी था जो कि धन की देवी कही. जाती है। 

महादेवी कहती है, जिस प्रकार नाम अनुसार वह महान देवी नहीं बन पाई उसी प्रकार भक्तिन भी नामानुसार लक्ष्मी अर्थात् धन-धान्य से पूर्ण नहीं थी। लक्ष्मी की धन-सम्पदा भक्तिन के सिकुड़ी हुई भाग्य-रेखाओं में बँध ही नहीं सकी। अंत में लेखिका कहती है वैसे तो इस संसार में सभी को अपने-अपने नाम के विरोधाभास के साथ जीना ही पड़ता है। सभी अपने नाम के विपरीत ही होते हैं या फिर भाग्य-समय उन्हें वैसा बना देता है। 

विशेष-

1. लेखिका ने भक्तिनः की सेवा-प्रवृत्ति एवं उसके नाम पर प्रकाश डाला है।
2. भाषा सीधी-सरल व सहज है। संस्कृत के कहीं-कहीं कठिन शब्दों का प्रयोग हुआ है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

2. पिता का उस पर अगाध प्रेम होने के कारण स्वभावतः ईर्ष्यालु और सम्पत्ति की रक्षा में सतर्क विमाता ने उनके मरणांतक रोग का समाचार तब भेजा, जब वह मृत्यु की सूचना भी बन चुका था। रोने-पीटने के अपशकुन से बचने के लिए सास ने भी उसे कुछ न बताया। बहुत दिन से नैहर नहीं गई, सो जाकर देख आवे, यही कहकर और पहना-उढ़ाकर सास ने उसे विदा कर दिया। इस अप्रत्याशित अनुग्रह ने उसके पैरों में जो पंख लगा दिए थे, वे गाँव की सीमा में पहुँचते ही झड़ गए। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • अगाध = अत्यधिक। 
  • मरणांतक = मरने के अन्त तक। 
  • नैहर = पीहर। 
  • अनुग्रह = कृपा। 

प्रसंग - प्रस्तुत प्रसंग लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इसमें लेखिका ने 'भक्तिन' के जीवन की घटना को व्यक्त किया है। 

व्याख्या - लेखिका ने बताया कि भक्तिन पर उसके पिता का अत्यधिक प्रेम-स्नेह था। किंतु उसकी विमाता बड़ी ही ईर्ष्यालु थी। वह सम्पत्ति पर एकाधिकार चाहती थी। इसलिए जब उसके पिता बीमारी में मरणासन्न स्थिति में पहुँच चुके थे, तब भी भक्तिन को इस बात की खबर नहीं दी गई थी। जब वे मृत्यु को प्राप्त हुए, तब कई दिनों बाद भी उसे नहीं बताया गया। 

उसकी सास ने सोचा पिता की मृत्यु की खबर सुनकर यह रोना-पीटना करके घर में अपशकुन करेगी इसलिए उसे बिना यह बात बताए प्यार व स्नेह जैसे बहुत बड़ी कृपा कर दी गई हो, उसे अच्छे कपड़े पहना कर पीहर भेजा। भक्तिन इस अचानक हुई कृपा से बहुत खुश थी और उसके पैरों में जैसे पंख लग गये थे अपने पीहर पहुँचने के लिए, पर जैसे ही वह अपने ग ने गांव की सीमा पर पहुंचती है उसे खबर मिल जाती है और उसी समय ऐसा प्रतीत होता है मानो खुशी के पंख वहीं झड़ गए हों। अर्थात् पिता की मृत्यु का समाचार उसकी खुशियों को खत्म कर देता है। 

विशेष :

1. लेखिका ने विमाता और सास द्वारा किये गए व्यवहार पर प्रकाश डाला है कि दोनों ही भक्तिन से स्नेह नहीं रखती थीं। 
2. तत्समप्रधान भाषा का प्रयोग है। 
3. पैरों में पंख लगना' जैसे मुहावरे का प्रयोग हुआ है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

3. जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुःख ही अधिक है। जब उसने गेहुँए रंग और बटिया जैसे मुख वाली पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और जिठानियों ने ओठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की। उचित भी था, क्योंकि सास तीन-तीन कमाऊ वीरों की विधात्री बनकर मचिया के ऊपर विराजमान पुरखिन के पद पर अभिषिक्त हो चुकी थी और दोनों जिठानियाँ काक-भुशंडी जैसे काले लालों की क्रमबद्ध सृष्टि करके इस पद के लिए उम्मीदवार थीं। छोटी बहू के लीक छोड़कर चलने के कारण उसे दण्ड मिलना आवश्यक हो गया। 

कठिन-शब्दार्थ :

  • परिच्छेद = भाग, हिस्सा। 
  • बटिया = बाटी (आटे की)। 
  • विधात्री = विधान करने वाली या रचना करने वाली। 
  • मचिया = खाट, चारपाई। 
  • पुरखिन = प्रमुख। 
  • काकभुशंडी = काले रंग का पक्षी। 
  • दण्ड = सजा।

 
प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। जिसमें लेखिका ने भक्तिन के तीन बेटियों के जन्म के विषय में बताया है। 

व्याख्या - लेखिका का बताती है कि जीवन का दूसरा भाग अर्थात् ससुराल में भी भक्तिन को सुख के बदले दःख ही अधिक प्राप्त हुआ था। पहली बेटी के जन्म के बाद गेहुएँ रंग की, आटे से बनी बाटी जैसी दो और बेटियों को जन्म दिया तब उसकी सास और जिठानियों ने मुँह बिचका अर्थात् मुँह बना कर बेटी-जन्म पर उसके प्रति उपेक्षा प्रकट की। 

ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि पुत्र-जन्म को ही समाज में उत्तम माना जाता था और सास तीन-तीन कमाने वाले पुत्रों को जन्म देने वाली उनकी भाग्य निर्मात्री बन कर चारपाई पर बैठ कर घर के प्रमुख का पात्र निभाती थी। कहने का आशय है कि घर में पुत्रों को जन्म देने के कारण उसका मान-सम्मान अधिक था और घर में उसी का आदेश चलता था। 

उसी प्रकार उसकी जिठानियाँ भी काकभुशंडी जैसे काले रंग वाले पुत्रों को जन्म देकर सास के बाद उसके पद की उम्मीदवार बनी हुई थीं। भक्तिन अर्थात् छोटी बहू ने परिवार की परम्परा से हट कर पुत्रियों को जन्म दिया था इसलिए उसे सजा अवश्य मिलनी थी।
 
विशेष : 

1. लेखिका ने समाज की गलत सोच को प्रकट किया है जहाँ पुत्र जन्म को अच्छा माना जाता है। 
2. तत्सम प्रधान भाषा का प्रयोग तथा देशज शब्दों का प्रयोग अधिक हुआ है। 
3. 'लीक छोड़कर चलना' जैसे मुहावरे का प्रयोग हुआ है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

4. इस दण्ड-विधान के भीतर कोई ऐसी धारा नहीं थी, जिसके अनुसार खोटे सिक्कों की टकसाल-जैसी पत्नी से पति को विरक्त किया जा सकता। सारी चुगली-चबाई की परिणति, उसके पत्नी-प्रेम को बढ़ाकर ही होती थी। जिठानियाँ बात-बात पर धमाधम पीटी-कूटी जाती; पर उसके पति ने उसे कभी उँगली भी नहीं छुआई। वह बड़े बाप की बड़ी बात वाली बेटी को पहचानता था। इसके अतिरिक्त परिश्रमी, तेजस्विनी और पति के प्रति रोम-रोम से सच्ची पत्नी को वह चाहता भी बहुत रहा होगा, क्योंकि उसके प्रेम के बल पर ही पत्नी ने अलगौझा करके सबको अंगूठा दिखा दिया। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • दण्ड विधान = सजा का नियम। 
  • टकसाल = जहाँ सिक्के बनते हैं। 
  • विरक्त = अलग। 
  • परिणति = परिणाम। 
  • अलगोझा = अलग होना। 

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इसमें लेखिका 'भक्तिन' के जीवन के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाल रही है। 

व्याख्या - लेखिका ने बताया कि 'भक्तिन' ने तीन पुत्रियों को जन्म दिया जिससे भक्तिन की सास और जिठानियाँ बहुत चिढ़ती थीं। लेकिन लेखिका या किसी अन्य की दृष्टि में भी सजा देने के नियम में ऐसा कहीं नहीं था कि खोटे सिक्के पैदा करने वाली अर्थात् बेटियों को जन्म देने वाली भक्तिन को पति से अलग किया जाये। सभी के द्वारा भक्तिन के प्रति की गई चुगली का परिणाम पति का उस पर और अधिक प्रेम प्रदर्शन होता। 

जहाँ उसकी जिंठानियाँ बात-बात पर अपने पतियों से मार खाती थीं वहीं भक्तिन को उसके पति ने मारने के नाम पर एक ऊँगली भी नहीं छुवाई थी। क्योंकि वह बड़े बाप की स्वाभिमानी बेटी के स्वभाव को अच्छे से जानता था। भक्तिन परिश्रमी, तेजस्विनी व रोम-रोम से पति को चाहने वाली पत्नी को वह बहत चाहता था इसीलिए वह पत्नी व बेटियों के साथ माँ एवं भाइयों से अलग होकर रहने लगा था। 

विशेष :

1. लेखिका ने भक्तिन के पति के प्रेम स्वभाव को व्यक्त किया है। 
2. तत्सम भाषा के साथ देशज शब्दावली की प्रचुरता है। 
3. 'अंगूठा दिखाना' मुहावरे का प्रयोग हुआ है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

5. भक्तिन का दुर्भाग्य भी उससे कम हठी नहीं था, इसी से किशोरी से युवती होते ही बड़ी लड़की भी विधवा हो गई। भइयहू से पार न पा सकने वाले जेठों और काकी को परास्त करने के लिए कटिबद्ध जिठौतों ने आशा की एक किरण देख पाई। विधवा बहिन के गठबन्धन के लिए बड़ा जिठौत अपने तीतर लड़ाने वाले साले को बुला लाया, क्योंकि उसका हो जाने पर सब कुछ उन्हीं के अधिकार में रहता। भक्तिन की लड़की भी माँ से कम समझदार नहीं थी, इसी से उसने वर को नापसन्द कर दिया।

कठिन-शब्दार्थ : 

  • भइयहू = बहनोई। 
  • जिठौत = जेठ का लड़का। 
  • कटिबद्ध = तत्पर, तैयार।

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इसमें भक्तिन की बेटी के विधवा होने तथा जेठों के बेटों द्वारा सम्पत्ति हड़पने की कूटनीति का वर्णन है। 

व्याख्या - लेखिका ने बताया कि दुर्भाग्य के कारण जिस प्रकार भक्तिन विधवा हो गई थी, उसके बाद भाग्य की जिद ने उसकी बेटी को भी विधवा कर दिया था। जो दामाद भक्तिन का सहारा बना हुआ था, भगवान ने उसे भी बुला लिया। इसे भक्तिन का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा। अभी तक बहनोई से पार नहीं पा सकने वाले जेठ के लड़के पुनः अपनी विधवा बहन का विवाह अपने तीतर लड़ाने वाले साले से करना चाहते थे, ताकि भक्तिन की सारी सम्पत्ति उनके हाथों में रहें। लेकिन अपनी माँ की तरह बेटी भी समझदार थी उसने अपने भाई के साले से विवाह करने को मना कर दिया। जिससे कुछ समय तक के लिए दोनों माँ-बेटी आराम से रहीं। 

विशेष : 

1. सम्पत्ति हड़पने के लिए चचेरे भाइयों की चाल प्रकट हुई है। 
2. तत्समप्रधान भाषां व देशज भाषा का अधिक प्रयोग है। 
3. 'पार न पाना मुहावरे का प्रयोग है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

6. एक दिन माँ की अनुपस्थिति में वर महाशय ने बेटी की कोठरी में घुसकर भीतर से द्वार बन्द कर दिया और इसके समर्थक गाँव वालों को बुलाने लगे। युवती ने जब इस डकैत वर की मरम्मत कर कंडी खोली, तब पंच बेचारे समस्या में पड़ गए। तीतरबाज युवक कहता था, वह निमन्त्रण पाकर भीतर गया और युवती उसके मुख पर अपनी पाँचों उँगलियों के उभार में इस निमन्त्रण के अक्षर पढ़ने का अनुरोध करती थी। अन्त में दूध का दूध पानी का पानी करने के लिए पंचायत बैठी और सबने सिर हिला-हिलाकर इस समस्या का मूल कारण कलियुग को स्वीकार किया। 

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इसमें उस घटना का वर्णन है जहाँ मनुष्य अपने स्वार्थ हेतु कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं। 

व्याख्या - लेखिका ने बताया कि भक्तिन के जेठ के बेटे उसकी सम्पत्ति को हड़पने हेतु किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। इसलिए अपनी चचेरी विधवा बहन की शादी अपने साले से करवाना चाहते थे। लड़की द्वारा मना किये जाने पर एक दिन भक्तिन की अनुपस्थिति में वर महाशय अर्थात् तीतरबाज साले ने बेटी की कोठरी (कमरे) में घुसकर भीतर से दरवाजा बंद कर लिया तथा बाहर खड़े उसका साथ देने वाले चचेरे भाइयों ने गाँव वालों को बुलाना शुरू कर दिया। 

युवती ने जब उस साले की पिटाई करने के बाद दरवाजा खोला तो गाँव के सभी पंच हैरान हो गए थे क्योंकि तीतरबाज लड़का, लड़की को गलत साबित करने के लिए कह रहा था कि उसे लड़की ने बुलाया था और उसके चेहरे पर बने की के नाखूनों के निशान लड़की को सही बता रहे थे। वह अनुरोध करती रही कि लड़का गलत है वह नहीं, लेकिन पंचों ने उसकी बातं नहीं सुनी। जैसा कि सही निर्णय करने के लिए पंचायत बैठी और इस समस्या को कलियुग का पापकर्म मान कर दोनों को साथ पाये जाने पर. शादी का फैसला सुना दिया। जो कि भक्तिन और उसकी लड़की दोनों के लिए गलत था। 

विशेष : 

1. गाँव-समाज-पंचायत में बिना गलती जहाँ औरतों-लड़कियों को दबाया जाता है उसका वर्णन हुआ है। 
2. तत्सम व देशज भाषा का प्रयोग है। 
3. 'दूध का दूध पानी का पानी' मुहावरे का प्रयोग हुआ है। 

7. दूसरे दिन तड़के ही सिर पर कई लोटे औंधा कर उसने मेरी धुली धोती जल के छींटों से पवित्र कर पहनी और पूर्व के अन्धकार और मेरी दीवार से फूटते हुए सूर्य और पीपल का, दो लोटे जल से अभिनंदन किया। दो मिनट नाक दबाकर जप करने के उपरान्त जब वह कोयले की मोटी रेखा से अपने साम्राज्य की सीमा निश्चित कर चौके में प्रतिष्ठित हुई, तब मैंने समझ लिया कि इस सेवक का साथ टेढ़ी खीर है। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • तड़के = सुबह-सुबह। 
  • औंधा = उल्टा। 
  • अभिनंदन = स्वागत। 
  • साम्राज्य = अधिकार क्षेत्र। 
  • चौका = रसोई। 

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। जिसमें बताया गया है कि भक्तिन जब उनके पास कार्य करने हेतु आई तब उसका कैसा कार्य-व्यवहार रहा। 

व्याख्या - लेखिका ने बताया कि दूसरे दिन सुबह-सुबह सिर पर कई लौटे पानी के डाल कर लेखिका की धुली साड़ी पहन कर, पूर्व में उगते सूर्य को जल देकर तथा पीपल में जल चढ़ा कर, भक्तिन दो मिनट नाक बंद कर जाप करके रसोई में प्रविष्ट हुई। अर्थात् सुबह के सारे सेवा-कर्म करने के पश्चात् कोयले की मोटी रेखा से अपने अधिकार क्षेत्र चिह्नित कर यह बता दिया कि वह छुआछूत को बहुत मानती है।

कहने का आशय है कि लेखिका भक्तिन के पहले दिन के कार्य-व्यवहार को देख कर ही समझ गई थी कि इस सेवक का साथ निभाना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि जो उनकी धुली साड़ी को पवित्र जल के छींटे लगाकर पहनती है, रसोई के अन्दर अपने अधिकार क्षेत्र की रेखा खींचती है. ये सारे कार्य लेखिका के जीवन में कठिनाई उत्पन्न करने वाले थे। 

विशेष : 

1. लेखिका ने भक्तिन के चरित्र पर पहले दिन के कार्य-व्यवहार की दृष्टि से प्रकाश डाला है।
2. तत्सम भाषा व देशज शब्दावली का प्रयोग हुआ है। 
3. 'टेढ़ी खीर' लोकोक्ति का प्रयोग हुआ है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

8. भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। वह सत्यवादी हरिश्चन्द्र नहीं बन सकती; पर 'नरो वा कुंजरो वा' कहने में भी विश्वास नहीं करती। मेरे इधर-उधर पड़े पैसे-रुपये, भंडार कैसे अन्तरहित हो जाते हैं. यह रहस्य भी भक्तिन जानती है। पर. उस सम्बन्ध में किसी के संकेत करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए सम्भव नहीं। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • नरो वा कुंजरो वा = नर या हाथी (महाभारत की कथा से लिया गया है)। 
  • शिरोमणि = प्रमुख। 

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इसमें भक्तिन के चारित्रिक पक्ष पर प्रकाश डाला गया है

व्याख्या - लेखिका बताती है कि भक्तिन को अच्छी कहना थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि अनेक मानवीय अवगुण उसमें भरे हुए थे। वह सत्यवादी हरिश्चन्द्र नहीं बन सकती थी अर्थात् वह सब सत्य कहे हम ऐसा नहीं मान सकते थे। अर्थात् उसकी बातों में झूठ ही अधिक होता था। वह उन धृतराष्ट्र की तरह भी व्यवहार नहीं करती थी जिन्होंने कहा कि 'नर है या हाथी, मैं नहीं जानता'।

कहने का आशय झूठ बोलने पर भी उसको स्वीकार करने की कला उसे नहीं आती थी। लेखिका बताती थी कि उनके इधर-उधर रखे पैसे भी न जाने वहाँ से गायब होकर भंडार घर के किस मटके में जाकर छुप जाते थे, उन्हें पता ही नहीं चल पाता था। यह रहस्य केवल भक्तिन ही जानती थी कि रुपये-पैसे कहाँ गायब हो रहे थे। अगर कोई इस विषय में कुछ कहने की कोशिश भी करता तो वह लड़ने के लिए चुनौती दे देती जो कि किसी के भी वश में नहीं था कि उससे आगे से होकर लड़ाई करे। 

विशेष : 

1. लेखिका ने भक्तिन के झूठ बोलने, चोरी करने व लड़ाई करने जैसे अवगुणों के बारे में बताया है।
2. तत्सम व देशज शब्दों की भरमार है। 
3. 'नरो वा कुंजरो वा' महाभारत की प्रसिद्ध उक्ति को लिया गया है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

9. पर वह स्वयं कोई सहायता नहीं दे सकती, इसे मानना अपनी हीनता स्वीकार करना है-इसी से वह द्वार पर बैठकर बार-बार कछ काम बताने का आग्रह करती है। कभी उत्तर : पस्तकों को बाँध को कोने में रखकर, कभी रंग की प्याली धोकर और कभी चटाई को आँचल सें झाड़कर वह जैसी सहायता पहुँचाती है, उससे भक्तिन का अन्य व्यक्तियों से अधिक बुद्धिमान होना प्रमाणित हो जाता है। 

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है । लेखिका ने इसमें भक्तिन का उसके प्रति सेवा-भाव रखना बताया है। 

व्याख्या - लेखिका बताती है कि जब वह कोई कार्य कर रही होती उस समय भक्तिन का प्रयास रहता कि कोई काये करके यह बताये कि वह उनको सहयोग दे रही है। वह उनकी किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं करती इस बात को मानना उसे अपनी हीनता या कमी को स्वीकार करने जैसा लगता। इसलिए वह दरवाजे पर बैठ कर बार बार उनसे कुछ कार्य बताने का आग्रह करती।

लेखिका के कुछ नहीं बताने पर उनकी उत्तर-पुस्तिकाओं को बाँध कर रखती, कभी अधूरे चित्र को उठा कर कोने में रखती, तो कभी रंग की प्याली को धोकर रखती, तो कभी चटाई को अपनी साड़ी से झाड़कर कार्य करने का उपक्रम करती-सी दिखाई देती है। उसका इस तरह कार्य करने का एक ही अर्थ होता कि वह लेखिका की कार्य में सहायता कर रही है और इस तरह कार्य करने से यह प्रमाणित हो जाता था कि वह अन्य व्यक्तियों से अधिक बुद्धिमान है जो बिना कहे ही लेखिका के कार्य करके उनकी सहायता करती है। 

विशेष : 

1. लेखिका ने भक्तिन की कार्य-प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला है।
2. तत्सम प्रधान हिन्दी शब्दों का प्रयोग हुआ है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

10. मेरे पास वहाँ जाकर रहने के लिए रुपया नहीं है, यह मैंने भक्तिन के प्रस्ताव को अवकाश न देने के लिए कहा था; पर उसके परिणाम ने मुझे विस्मित कर दिया। भक्तिन ने परम रहस्य का उद्घाटन करने की मुद्रा बनाकर और पोपला मुँह मेरे कान के पास लाकर हौले-हौले बताया कि उसके पास पाँच बीसी और पाँच रुपया गड़ा रखा है। उसी से वह सब प्रबन्ध कर लेगी। फिर लड़ाई तो कुछ अमरौती खाकर आई नहीं है। जब सब ठीक हो जाएगा, तब यहीं लौट आएँगे। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • मुद्रा = भाव-भंगिमा, चेहरे के भाव। 
  • बीसी = बीस पैसे। 
  • अमरौती = अमृत। 

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इस प्रसंग में लेखिका ने बताया कि युद्ध समय भक्तिन उनसे गाँव चलने की कह रही थी। 

व्याख्या - लेखिका ने बताया कि उस समय युद्ध का माहौल था और भक्तिन उससे बार-बार गाँव चलने का आग्रह कर रही थी। भक्तिन को इस बात से ध्यान हटाने के लिए लेखिका ने कहा कि उनके पास रुपये-पैसे नहीं है इसलिए वे नहीं जा सकती है। लेकिन इस बात के उत्तर में भक्तिन ने जो कहा उसे सुनकर लेखिका आश्चर्यचकित हो गई। भक्तिन ने जैसे बहुत बड़े रहस्य पर से पर्दा उठाने की मुद्रा बनाकर और अपना दाँतों रहित पोपला मुँह लेखिका के कानों के पास लाकर कहा कि उसके पास पाँच बीस पैसे और पाँच रुपया है। 

उसी से वह उन दोनों के आने-जाने का सारा प्रबन्ध कर लेगी। उन्हें चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है। साथ ही वह कहती है कि युद्ध कोई अमृत पीकर तो आया नहीं जो हमेशा ही रहेगा। जब युद्ध खत्म हो जाएगा वे यहीं वापस आ जायेंगी। लेखिका के आश्चर्य का कारण उसके पास पैसे होना तथा आश्वासन देना रहा कि वह किस प्रकार से सभी स्थितियों में तैयार रहती है। 

विशेष :

1. लेखिका ने भक्तिन के अविश्वसनीय चरित्र को उभारा है। 
2. तत्समप्रधान भाषा तथा देशज भाषा जैसे-बीसी, अमरौती आदि का प्रयोग किया है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

11. भक्तिन और मेरे बीच में सेवक-स्वामी का सम्बन्ध है, यह कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाकर अवज्ञा से हँस दे। 

भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतन्त्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • अवज्ञा = आज्ञा का उल्लंघन। 
  • असंगत = गलत। 

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इसमें लेखिका ने स्वयं का और भक्तिन का सम्बन्ध स्पष्ट किया गया है। 

व्याख्या - लेखिका बताती है कि कहने के लिए भक्तिन और लेखिका के मध्य सेवक-स्वामी का सम्बन्ध है, पर भक्तिन को देख कर कहना कठिन है कि उसमें सेवक भाव वाले सभी गुण मौजूद हैं। जहाँ तक स्वामी के बारे में कहा जाये तो लेखिका जैसी स्वामिन कोई हो नहीं सकती है क्योंकि उनकी इच्छा भक्तिन को हटाने की होती है पर वे उसे हटा नहीं पाती आशय उनका यह आदेश भक्तिन पर कोई प्रभाव नहीं डालता है। 

दूसरी तरफ भक्तिन जैसा कोई सेवक भी इस व्यवहार का नहीं सुना गया जो चले जाने का आदेश पाकर भी आज्ञा का उल्लंघन कर हँस देती है। भक्तिन को नौकर कहना या मानना उतना ही गलत है जितना घर में बारी-बारी आने वाले अंधेरे-उजाले हैं। अंधेरों-उजालों को हम आने-जाने से रोक नहीं सकते उन पर हमारे किसी आदेश का कोई प्रभाव नहीं होता है। इसी प्रकार आँगन में खिलने वाला गुलाब और आम अपनी मर्जी के मालिक हैं, उन्ही की तरह भक्तिन का व्यवहार है। 

जिसका रहना न रहना स्वयं उसकी मर्जी पर निर्भर है। जैसे अंधेरे-उजाले, गुलाब-आम हमें सुख-दुःख देते हैं उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने आपको प्रमाणित करने के लिए मेरे जीवन को पूरी तरह से घेरे हुए है। कहने का आशय है कि लेखिका के स्वयं का कोई अधिकार या इच्छा भक्तिन पर प्रभाव उत्पन्न नहीं करता है। 

विशेष : 

1. लेखिका ने अंधेरे-उजाले तथा दुःख-सुख की तरह भक्तिन के अस्तित्व को माना है। 
2. तत्सम शब्दावली तथा देशज शब्दों का प्रभाव सर्वत्र विद्यमान है। 

RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन

12. भक्तिन के संस्कार ऐसे हैं कि वह कारागार से वैसे ही डरती है, जैसे यमलोक से। ऊँची दीवार देखते ही, वह आँख मूंदकर बेहोश हो जाना चाहती है। उसकी यह कमजोरी इतनी प्रसिद्धि पा चुकी है कि लोग मेरे जेल जाने की सम्भावना बता-बताकर उसे चिढ़ाते रहते हैं। वह डरती नहीं, यह कहना असत्य होगा; पर डर से भी अधिक महत्त्व मेरे साथ का ठहरता है। चुपचाप मुझसे पूछने लगती है कि वह अपनी कै धोती साबुन से साफ कर ले, जिससे मुझे वहाँ उसके लिए लज्जित न होना पड़े। क्या-क्या सामान बाँध ले, जिससे मुझे वहाँ किसी प्रकार की असुविधा न हो सके। 

कठिन-शब्दार्थ :

कै = कितनी। 

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' संस्मरण से लिया गया है। इसमें लेखिका ने ' भक्तिन के जेल जाने के भय को स्पष्ट किया है। 

व्याख्या - लेखिका बताती है कि 'भक्तिन' को प्रारम्भ से ही ऐसे संस्कार मिले हैं कि वह कारागार (जेल) जाने के नाम से डरती है। और उसका यह डर इतना ज्यादा है कि जैसे कारागार न होकर यमलोक जाना हो। कारागार की तरह ऊँची दीवारें जब कहीं देखती है तो वह आँख मूंद कर बेहोश हो जाना चाहती है। उसके इस डर को सभी लोग जान गये थे और इसलिए सभी उसे इस बात के लिए चिढ़ाते थे कि लेखिका भी स्वतंत्रता आन्दोलन के कारण जेल जाएंगी। 

ऐसा नहीं है कि वह डरती नहीं थी। पर इस डर से अधिक महत्त्व इस बात का था कि उसे लेखिक चाहे जेल में ही क्यों न रहना पड़े? लोगों की जेल जाने की बात पर विश्वास करके वह लेखिका से चुपचाप आकर पूछती है कि वह अपनी कितनी साड़ियाँ धोकर-साफ करके रख ले ताकि जब वो जेल में उनके साथ रहे तब उसकी गन्दी साड़ियों की वजह से लेखिका को शर्मिंदा नहीं होना पड़े और पूछती है कि और क्या-क्या सामान बाँध कर रखे जिनकी जरूरत लेखिका को वहाँ पर पड़ेगी। आशय यह है कि अनेक अवगुणों के बाद भी लेखिका को उसके स्वभाव का यह भोलापन तथा साथ रहने की लालसा अचंभित भी करती है। 

विशेष : 

1. लेखिका ने भक्तिन के सरल स्वभाव की व्याख्या की है। 
2. तत्सम प्रधान शब्दावली तथा देशज शब्दों का प्रयोग हुआ है।

Prasanna
Last Updated on Dec. 16, 2023, 9:58 a.m.
Published Nov. 12, 2023