RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

RBSE Class 12 Biology खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
मानव कल्याण में पशु पालन की भूमिका की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव कल्याण में पशुपालन की महती भूमिका है जिसे निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत समझा जा सकता है:

  1. पशु पालन द्वारा ही ऑपरेशन फ्लड जैसे कार्यक्रम सफल हए है जिनसे उच्च प्रोटीन व पोषक मान वाले दूध जैसे आहार का पर्याप्त उत्पादन सम्भव हुआ। 
  2. पोल्ट्री फार्मिंग व नस्ल सुधार से अण्डों व पोल्ट्री मांस का अधिक उत्पादन सम्भव हुआ। 
  3. मछली, अच्छी प्रोटीन, खनिज व विटामिनों का स्रोत होती है। जल कृषि विशेष रूप से फिशरीज के कारण ही इनका पर्याप्त उत्पादन कर करोड़ों लोगों की पोषक आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा रहा है। भारत जैसी तेजी से बढ़ने वाली जनसंख्या की पोषण आवश्यकताओं को पूर्ण करने में पशु पालन का विशेष महत्व है। 
  4. मधुमक्खी पालन जैसे कुटीर उद्योगों से न सिर्फ पोषक शहद प्राप्त होता है अपितु परागण सुनिश्चित होने के कारण सरसों जैसी फसल या फलों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है। 
  5. पशु पालन, विस्तारित कृषि का रूप है इससे किसानों की न सिर्फ अतिरिक्त आय होती है अपितु वर्ष पर्यन्त रोजगार प्राप्त होता है। साथ ही पशुओं के अपशिष्ट पदार्थों जैसे गोबर प्राप्त होता है जिर्स खाद के रूप म, गावर गस बनान'म या इधन क रूप में प्रयोग किया जाता है। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

प्रश्न 2. 
यदि आपके परिवार के पास एक डेरी फार्म है तब आप दुग्ध उत्पादन में उसकी गुणवत्ता तथा मात्रा में सुधार लाने के लिए कौन - कौन से उपाय करेंगे? 
उत्तर:
दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता व मात्रा में सुधार हेतु निम्न प्रयास किये जायेगे:

  1. यह सुनिश्चित करना कि डेयरी में पशु उन्नत नस्ल (Improved breed) के हो, यदि नहीं हैं तो डेयरी में उन्नत नस्ल के पशु जैसे साहीवाल, करन स्विस आदि गाय तथा मुर्रा जैसी भैंसों का प्रबन्ध करना। 
  2. डेरी पशुओं के लिए रेशे (roughage) व सान्द्रित पोषक (concentrates) जैसे अनाज/खल (oil cake) का सही अनुपात सुनिश्चित करना अर्थात् सन्तुलित आहार। 
  3. पशुओं के रहने के स्थान पर सुनिश्चित करना कि वह साफ सुथरा (Clean) सूखा, हवादार पर्याप्त रूप से बड़ा हो। उसमें पीने के पानी का उचित प्रबन्ध हो तथा पशु के मलमूत्र निकासी का समुचित प्रबन्ध हो। 
  4. डेरौ में वेटरिनरी चिकित्सक का नियमित दौरा (visit) होता हो। 
  5. दूध दुहने वाले व अन्य कर्मचारी स्वस्थ व स्वच्छ हो तथा स्वच्छता के नियमों का पालन करते हों। 

प्रश्न 3. 
नस्ल शब्द से क्या अर्थ है? पशु प्रजनन के क्या उद्देश्य हैं? 
उत्तर:
नस्ल (Breed): जन्तुओं का वह समूह जिसके सदस्य कद - काठी, रंग - रूप व अन्य आकारिकीय लक्षणों में समान व समान पूर्वज परम्परा के (related by descent) हों। 
पशु प्रजनन के उद्देश्य: पशु प्रजनन के मुख्य उद्देश्य है-

  • पशु उत्पादन को बढ़ाना (जैसे दुग्ध उत्पादन/माँस उत्पादन में वृद्धि )। 
  • उत्पाद के वांछित गुणों में सुधार (जैसे दूध की गुणवत्ता में सुधार) गुणों का चयन जन्तु प्रकार पर निर्भर करता है। 
  • रोग प्रतिरोधी पशुओं का विकास।
  • अधिक व्यापक क्षेत्र हेतु अनुकूलन के लिए। 

प्रश्न 4. 
पशु प्रजनन के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली विधियों के नाम बताएँ। आपके अनुसार कौन - सी विधि सर्वोत्तम है? क्यों? 
उत्तर:
पशु प्रजनन की विभिन्न विधियाँ हैं - अन्तः प्रजनन (inbreeding), बहिः प्रजनन (out breeding), बहि: संकरण (out crossing), संकरण (cross breeding), तथा अन्तः प्रजाति संकरण (Interspecific hybridization)। इन सब विधियों में संकरण (cross breeding) सर्वोत्तम प्रजनन विधि है। इस विधि में दो भिन्न नस्लों के वांछित गुणों का बनने वाले संकर में संयोजन हो जाता है। इस प्रकार बनने वाला संकर हेटेरोसिस (heterosis) प्रदर्शित करता है अर्थात् गुणों में दोनों जनकों से बेहतर होता है। पशुओं की अनेक उन्नत नस्लें इसी विधि से विकसित की गई हैं, जैसे करन स्विस व सुनन्दिनी गाय। 

प्रश्न 5. 
मौन (मधुमक्खी ) पालन से आप क्या समझते हैं? हमारे जीवन में इसका क्या महत्त्व है? 
उत्तर:
व्यापारिक स्तर पर शहद व मोम के उत्पादन के लिए कृत्रिम छत्तों जिन्हें एपिएरी कहा जाता है, में मधुमक्खियों का पालना, मधुमक्खी पालन (apiculture) कहलाता है।

  • मधुमक्खी पालन से पोषक तत्वों से भरपूर शहद प्राप्त होता है। शहद का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में भी होता है। 
  • मधुमक्खी पालन प्राकृतिक मोम का भी स्रोत है जो सौन्दर्य प्रसाधन व अनेक पालिशों को बनाने में प्रयोग होता है। 
  • मधुमक्खी बेहतरीन परागणकर्ता (pollinating agent) है। फलों के बाग, सरसों, सूरजमुखी आदि फसलों के साथ 
  • मधुमक्खी पालन करने से उत्पादन बढ़ जाता है।
  • यह किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है। 

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प्रश्न 6. 
खाद्य उत्पादन बढ़ाने में फिशरीज की भूमिका की विवेचना कीजिए। 
उत्तर:
भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इस तेजी से बढ़ती जनसंख्या की पोषक आवश्यकताओं को मात्रात्मक व गुणात्मक रूप में पूरा करने में फिशरीज की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में 8 हजार किलोमीटर से भी लम्बी तटीय रेखा है। स्वच्छ जलीय संसाधन भी पर्याप्त है। अत: जल कृषि व फिशरीज देश की एक बड़ी जनसंख्या को उच्च गुणवत्ता की प्रोटीन, विटामिन व खनिज उपलब्ध कराते हैं। फिशरीज की इस बड़ी मांग की पूर्ति के लिए उत्पादन बढ़ाने हेतु विभिन्न तकनीके विकसित की गई है। इस क्षेत्र में हुई नीली क्रान्ति (Blue revolution) से भारत इस उद्योग में एक बड़ा निर्यातक बन गया है। 

प्रश्न 7. 
पादप प्रजनन में शामिल विभिन्न चरणों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
पावप प्रजनन के विभिन्न चरण - विभिन्नताओं का संग्रहण (collection of variability), जनकों का मूल्यांकन तथा चयन (evaluation and selection of parents), चयनित जनकों के बीच संकरण (cross hybridization among the selected parents)। श्रेष्ठ पुनयोजन का चयन तथा परीक्षण (selection and testing of superior recombinants), नये कंषणों का परीक्षण, निर्मुक्ति तथा व्यावसायीकरण (testing, release and commercialization of new cutivars) 

प्रश्न 8. 
जैवप्रबालीकरण का क्या अर्थ है? व्याख्या कीजिष्ट। 
उत्तर:
विश्व की लगभग आधी जनसंख्या विशिष्ट भूख का दंश झेल रही है अर्थात् कुपोषित है। उसकी खुराक में एक या अधिक पोषक तत्वों की कमी है। भोजन में आयरन, जिंक, प्रोटीन, आयोडीन आदि की कमी न सिर्फ रोग का कारण बनती है अपितु जीवन अवधि कम कर शारीरिक व मानसिक दुर्बलता पैदा करती है। इस समस्या से निपटने का सर्वोत्तम उपाय है खाद्यान्न या मुख्य आहार का जैव प्रबलीकरण (Biofortification)। फसली पौधों को संकरण या जैव प्रौद्योगिकी अपना कर पोषक पदार्थों से समृद्ध बनाना जैव प्रबलीकरण कहलाता है। 
इसके प्रमुख उद्देश्य है-

  1. प्रोटीन की मात्रा व गुणवत्ता बढ़ाना 
  2. तेल की मात्रा व गुणवत्ता बढ़ाना 
  3. विटामिन व खनिजों की मात्रा बढ़ाना। 

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प्रश्न 9. 
विषाणूमुक्त पादप तैयार करने के लिए पादपों का कौन - सा भाग सर्वाधिक उपर्युक्त है तथा क्यों?
उत्तर:
पौधों के शीर्षस्थ व कक्षस्थ विभज्योतक (Apical and axillary meristem) विषाणुरहित होते हैं। अत: पौधे का शीर्षस्थ (apical) भाग विषाणुमुक्त पादप तैयार करने के लिए उपयुक्त है। 

प्रश्न 10. 
सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा पादप उत्पादन के मुख्य लाभ क्या है? 
उत्तर:
सूक्ष्म प्रवर्धन (micropropagation) द्वारा पादप उत्पादन के निम्न लाभ हैं:

  1. कम समय में बड़ी संख्या में पौधे तैयार किये जा सकते हैं। 
  2. इस प्रकार बने पौधे विषाणुरहित व स्वस्थ होते हैं। 
  3. पौधे वर्षपर्यन्त तैयार हो सकते हैं। अनुकूल मौसम आने का इंतजार नहीं करना होता।
  4. जो पादप बीज बनाने में असमर्थ हैं उनका उत्पादन इस विधि से करना सम्भव है। 
  5. जनक पौधे के मूल गुणों को बनाये रखा जा सकता है क्योंकि यह क्लोन होते हैं। 

प्रश्न 11. 
पत्ती में कर्तोतक पदाप के प्रवर्धन में जिस माध्यम का प्रयोग किया जाता है, उसमें विभिन्न घटकों का पता लगाइए। 
उत्तर:
संवर्धन माध्यम के निम्न प्रमुख घटक होते हैं:

  1. कार्बन स्रोत- सुक्रोस या अन्य शर्करा को कार्बन के स्रोत के रूप में प्रयोग किया जाता है। 
  2. अन्य कार्बनिक पदार्थ है अमीनो अम्ल व विटामिन। 
  3. अकार्बनिक लवण (Inorganic salt) पोटैशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, सल्फर आदि के लवण पादप कोशिकाओं की वृद्धि हेतु आवश्यक है। 
  4. वृद्धि नियामक (Growth regulator) ऑक्सिन व साइटोकाइनिन जैसे वृद्धि नियामकों का प्रयोग ऊतक सम्वर्धन में आवश्यक है। 
  5. जल। 
  6. माध्यम को ठोस बनाने हेतु अगर - अगर का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 12. 
शस्य पादपों की किन्हीं पाँच संकर किस्मों के नाम बताएँ जिनका विकास भारतवर्ष में हुआ है। 
उत्तर:
धान: IR - 36, पूसा बासमती - I, जया, पदमा, रतना
गेहूँ: सोनलिका, कल्यान सोना, (HD - 3090 पूसा अमूल्या 2013 में), (HD - 3086 पूसा गौतमी 2013 में) 
मक्का: गंगा - 5, रंजीत नवजोत,

Bhagya
Last Updated on Dec. 1, 2023, 9:29 a.m.
Published Nov. 30, 2023