RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Biology Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Biology Notes to understand and remember the concepts easily. Browsing through manav janan class 12 in hindi that includes all questions presented in the textbook.

RBSE Class 12 Biology Solutions Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव

RBSE Class 12 Biology मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
जीवाणुओं को नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता, परन्तु सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। यदि आपको अपने घर से अपनी जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक एक नमूना ले जाना हो और सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इस नमूने से सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति को प्रदर्शित करना हो तो किस प्रकार का नमूना आप अपने साथ ले जायेंगे और क्यों? 
उत्तर:
घर से एक स्वच्छ ढके पात्र में दही (curd) ले जाकर उसकी एक स्लाइड पर पतली फिल्म बनाई जा सकती है। इसमें यीस्ट (yeast) की उपस्थिति को प्रयोगशाला में आसानी से दिखाया जा सकता है। यदि प्रयोगशाला में अच्छे माइक्रोस्कोप व अच्छे स्टेन (stains) उपलव्य है तब दही में जीवाणुओं की उपस्थिति को भी दर्शाया जा सकता है। दही को सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति देखने के लिए ले जाना ही सर्वाधिक उपयुक्त है क्योंकि यह सुलभ है, सभी घरों में प्रायः इसका दैनिक जीवन में प्रयोग किया जाता है। दूसरे इसका प्रयोग सुरक्षित (safe) भी है। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव

प्रश्न 2. 
उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव गैसों का निष्कासन करते हैं। उदाहरणों द्वारा सिद्ध करें। 
उत्तर:

  1. बेकरी उद्योग में गुंथे आटे का फूलना (leavening of dough) तथा पकने के बाद बेड का स्पंजी हो जाना सूक्ष्मजीवों द्वारा उपापचय में गैस निष्कासन का उदाहरण है। आटे में मिलाई गई यीस्ट सेकेरोमाइसिस सेरेविसी, अवायवीय श्वसन (किण्वन) में कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस मुक्त करती है। डोसा, इडली, भटूरा भी इसी प्रकार के उदाहरण है। 
  2. बायोगैस संयंत्र में मेथेनोजेन कार्बनिक पदार्थ का अपघटन कर मेथेन, CO2 आदि गैस मुक्त करते हैं। 
  3. स्विस 'चीज में उपस्थित बड़े - बड़े छिद्र प्रोपिओनीबैक्टीरियम शारमानाई (Propionibacterium sharmanil) द्वारा उत्पन्न कार्बन डाइ ऑक्साइड द्वारा बनते हैं। 

प्रश्न 3. 
किस भोजन (आहार) में लैक्टिक एसिह बैक्टीरिया मिलते हैं? इनके कुछ लाभप्रद उपयोगों का वर्णन करें।
उत्तर:
लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (Lactic Acid Bacteria; LAB)- दही में बहुतायत से पाये जाते हैं (दूध में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया की वृद्धि से बनने वाले लैक्टिक एसिड द्वारा दुग्ध प्रोटीन के स्कंदन व आंशिक पाचन से दही बनता है। यह विटामिन B12 के संश्लेषण द्वारा दही के पोषक मान में वृद्धि कर देते हैं। यह मनुष्य के पेट में रोगजनक जीवाणुओं की वृद्धि को रोककर हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं। 

प्रश्न 4. 
कुछ पारम्परिक भारतीय आहार जो गेहूँ, चावल तथा चना (अथवा उनके उत्पाद) से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग शामिल हो, उनके नाम बताएं। 
उत्तर:
गेहूँ अथवा मैदा (processed white flour) से बनने वाले खाद्य भटूरा, जलेबी, कुल्चे, नॉन। चावल से बनने वाले खाद्य- इडली, डोसा।
चना अथवा बेसन से बनने वाले उत्पाद- दोकला, खमण। 

प्रश्न 5. 
हानिप्रद जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न रोगों के नियंत्रण में सूक्ष्मजीव किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? 
उत्तर:
अनेक सूक्ष्मजीव विशेष रूप से जीवाणु व कवक, एंटीबायोटिक का उत्पादन करते हैं। एंटीबायोटिक वह रासायनिक पदार्थ हैं जो रोगजनक जीवाणुओं को या तो खत्म कर देते हैं या उनकी वृद्धि को रोक देते है। पुराने समय में जानलेवा समझे जाने वाले रोग टी बी, डिपथीरिया, काली खाँसी, कुष्ठ रोग आदि का नियंत्रण अब एंटीबायोटिक की मदद से सहज सुलभ हो गया है। 
कुछ जीवाणु जैसे लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया, व हमारी त्वचा पर पाये जाने वाले भिन्न सूक्ष्मजीव रोगजनकों (pathogens) से हमारी रक्षा करते हैं। 

प्रश्न 6. 
किन्हीं दो कवक प्रजातियों के नाम लिखें जिनका प्रयोग प्रतिजैविकों (एंटीबायोटिक्स) के उत्पादन में किया जाता है। 
उत्तर:

  • पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) तथा पेनिसिलियम क्राइसोजेनम (Penicilliurn chrysoghenum) का प्रयोग पेनिसीन (Penicillin) के उत्पादन में किया जाता है।
  • पेनिसिलियम ग्रीसियोफल्वम (Penicillium griseofulvum) का प्रयोग प्रीसियोफल्विन (griseofulvin) बनाने में होता है। 

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प्रश्न 7. 
वाहितमल से आप क्या समझते हैं? वाहित मल हमारे लिए किस प्रकार से हानिप्रद है? 
उत्तर:
1. नगर व शहरों में प्रयोग के बाद का व्यर्थ जल अर्थात म्यूनिसपिल अपशिष्ट जल जिसमें मानव मलमूत्र प्रमुख होता है वाहित मल (sewage) कहलाता है। 

2. सीवेज में चूंकि मानव मल होता है। अतः यह अनेक रोगजनकों (pathogens) का स्रोत होता है। जल आपूर्ति के सीवेज द्वारा संदूषित होने पर अनेक जल जन्य रोगों का खतरा रहता है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का निर्माण नहीं हुआ है जिससे सीवेज को बिना उपचारित करे नदियों में छोड़ दिया जाता है। इससे देश की अनेक नदियों में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुँच गया है। इससे जल की BOD अधिक होती है। खुला सीवेज रोगवाहको (vectors) के प्रजनन स्थल का कार्य करता है। 

प्रश्न 8. 
प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहितमल उपचार के बीच पाए जाने वाले मुख्य अन्तर कौन - से हैं? 
उत्तर:

प्राथमिक उपचार

द्वितीयक उपचार

1. यह एक भौतिक यान्त्रिक प्रक्रिया है जिसमें तैरने वाली अशुद्धियाँ, रेत - मिट्टी, कंकड़ आदि छानकर/निधारकर अलग होते हैं।

यह एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें कार्बनिक पदार्थों का क्रमश: वायवीय व अवायवीय अपघटन होता है।

2. प्रक्रिया से BOD पर कोई प्रभाव नहीं होता।

प्रक्रिया से BOD कम हो जाती है।


प्रश्न 9. 
सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है। यदि हाँ, तो किस प्रकार? इस पर विचार करें। 
उत्तर:

  • सूक्ष्मजीवों का ऊर्जा उत्पादन में भी प्रयोग होता है। सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र के द्वितीयक उपचार में या किसी बॉयोगैस संयंत्र में ऊर्जा, सूक्ष्मजीवों की उपापचयी क्रियाओं से उत्पन्न गैसों द्वारा ही प्राप्त होती है। अत: मेथेनोजेन (methanogens), सूक्ष्मजीवों द्वारा ऊर्जा उत्पादन का एक अच्छा उदाहरण है। 
  • एकल कोशिका प्रोटीन (SCP) द्वारा उत्पन्न खाद्य रासायनिक ऊर्जा का ही एक प्रकार है। 
  • बीस्ट द्वारा उत्पादित व्यापारिक ऐल्कोहॉल जिसका प्रयोग ईंधन (fuel) के रूप में होता है इसका एक अन्य उदाहरण है।

प्रश्न 10. 
सूक्ष्मजीवों का प्रयोग, रसायनिक उर्वरकों तथा पीड़क नाशियों के प्रयोग को कम करने के लिए भी किया जा सकता है। यह किस प्रकार सम्पन्न होगा? व्याख्या कीजिए। 
उत्तर:
सूक्ष्मजीवों को जैव उर्वरक के रूप में रासायनिक उर्वरक के स्थान पर तथा जैव नियंत्रकों के रूप में रासायनिक पीड़क - नाशियों के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है जो कि इन समस्याओं का पारिस्थितिक मित्र (ecofriendly) समाधान है।

(a) सूक्ष्मजीवों को जैव उर्वरक के रूप में निम्न प्रकार प्रयोग किया जा सकता है-
खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए लेग्यूमिनस पौधों की जड़ प्राधियों में पाये जाने वाले सहजीवी जीवाणु राइजोबियम (Rhizobium) का प्रयोग किया जाता है। यह नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणु है। एजोस्पाइरिलम (Aazospirillum) जैसे जीवाणु कुछ पौधों की जड़ों से ढीले रूप से सम्बद्ध रहते हैं। एजोटोबैक्टर (Asotobactre) एक मुक्तजीवी (free living) नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणु है। साएनोबैक्टीरिया, जैसे-नास्टॉक, एनाबीना, ओसीलेटोरिया आदि स्वपोषी जीव है जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सक्षम होते हैं। वह धान के खेत में न सिर्फ नाइट्रोजन की वृद्धि करते हैं अपितु खेत में कार्बनिक पदार्थ (organic matter) में भी वृद्धि करते हैं। एनाबीना एजौली (Anabaena azollace) एजोला फर्न में पाया जाता है। धान के खेत में इस प्रकार के एजोला के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरकता बढ़ जाती है। माइकोराइजा (Mycorrhizae) भी जैव उर्वरक का उदाहरण है। ग्लोमस (Glomus) कवक माइकोराइजा बनाती है। 

(b) सूक्ष्मजीवों का जैव नियंत्रकों के रूप में निम्न प्रकार प्रयोग किया जा सकता है-
बेसीलस थरिनजिएन्सिस (Bacillus thuringiensis) के बीजाणुओं को अनेक प्रकार के कीट लावाओं के नियंत्रण में प्रयोग किया जाता है। जीवाणुओं के 'स्पोर' बाजार में पैकेटों में उपलब्ध होते है। इस जीवाणु विष (Bacterial toxin) को कोड करने वाली जीन को अनेक फसली पौधों में स्थानान्तरित कर प्रतिरोधकता विकसित की कवक दाइकोडर्मा (Trichoderma) का प्रयोग भी कवकों के जैव नियंत्रण में किया जाता है। बैक्यूलोवाइरस अनेक कीटों के परजीवी है इन्हें प्रजाति विशिष्ट नियंत्रण हेतु प्रयोग किया जाता है। 

प्रश्न 11. 
जल के तीन नमूने लो, एक - नदी का जल, दूसरा अनुपचारित वाहितमल जल तथा तीसरा वाहितमल उपचार संयंत्र से निकला द्वितीयक बहिःसावः इन तीनों नमूनों पर 'अ', 'ब', 'स' के लेबल लगाओ। इस बारे में प्रयोगशाला कर्मचारी को पता नहीं है कि कौन - सा क्या है? इन तीनों नमूनों 'अ', 'ब' तथा 'स' का बी ओ डी रिकार्ड किया गया जो क्रमशः 20 mg/L,8mg/L तथा 400 mg/L निकला। इन नमूनों में कौन - सा सबसे प्रदूषित नमूना है? इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए कि नदी का जल अपेक्षाकृत अधिक स्वच्छ है, क्या आप सही लेबल का प्रयोग कर सकते हैं। 
उत्तर:
बी०ओ०डी० (BOD) बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड - 1 लीटर जल में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ के अपघटन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा उस जल की बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड
अपथ्य को दालनमूनों में कहलाती है। अधिक बी०ओ०डी० का अर्थ है - जल में अधिक कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अर्थात् अधिक प्रदूषित जला।

  • सेम्पल 'A' जिसकी BOD 20 mg/L है वाहितमल उपचार संयंत्र से निकला द्वितीयक बहिस्साय है। इसकी बी०ओ०डी० अनुपचारित वाहितमल जल से कम होगी क्योंकि द्वितीयक उपचार में बहुत से कार्बनिक पदार्थ का अपघटन हो जाता है। 
  • सेम्पल 'B' जिसकी बी०ओ०डी० 8 mg/L है नदी का जल होगा। नदी का जल सीवेज के जल से साफ होगा। 
  • सेम्पल 'C जिसकी बी०ओ०डी० 400 mg/L है अनुपचारित वाहितमल है। यह सबसे अधिक प्रदूषित होगा। इसमें सर्वाधिक मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होगा। अधिक बी०ओ०डी० अधिक प्रदूषण की परिचायक होती है। 

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प्रश्न 12. 
उस सूक्ष्मजीवी का नाम बताओ जिससे साइक्लोस्पोरिन A (प्रतिरक्षा निरोधक औषधि) तथा स्टैटिन (रक्त कोलेस्टेरॉल कम करने वाला कारक) प्राप्त किया जाता है।
उत्तर:

  • साइक्लोस्पोरिन A (Cyclosporin A) को कवक ट्राइकोडर्मा पॉलीस्पोरम (Trichoderma polysporum) से प्राप्त किया जाता है।
  • स्टैटिन (Statin) को यीस्ट प्रजाति मोनेस्कस परप्यूरियस (Monascus purpureus) से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 13. 
निम्नलिखित में सूक्ष्मजीवियों की भूमिका का पता लगाओ तथा अपने अध्यापक से इनके विषय में विचार विमर्श करें।
(क) एकल कोशिका प्रोटीन 
(ख) मृदा। 
उत्तर:
(क) एकल कोशिका प्रोटीन प्रमुखतः सूक्ष्म जीवों से ही प्राप्त होते है। सूक्ष्मजीवों, प्राय: एक कोशिकीय अथवा बहुकोशिकीय की वृद्धि से प्राप्त जीवभार (biomass) जो प्रोटीन, खनिज, विटामिन आदि पोषक पदार्थों का समृद्ध स्रोत होते हैं एकल कोशिका प्राटीन कहलाते हैं। यह प्रोटीन, खनिज, विटामिन आदि के समृद्ध स्रोत हैं। निम्न सूक्ष्मजीव एकल कोशिका प्रोटीन बनाने में काम आते हैं

  1. आर्थोस्पाइरा मेक्सिमा (Arthrospira maxima) जो बाजार में स्पाइरुलीना (Spirulina) के नाम से बिकता है। इसे पहले स्पाइरुलीना ही माना जाता था। 
  2. क्लोरेला (Chlorella) 
  3. मिथाइलोफिलस मिथाइलोट्रोफस (Methylophilus methylotrophus) मुटीना 
  4. फ्यूजेरियम प्रजाति से प्राप्त कान (Quorn) 
  5. खाद्य कवक - मशरूम, मारकैला आदि 

(ख) सूक्ष्मजीवों को मृदा में निम्न भूमिका है:

  1. अपघटक (Decomposers): अपपटक सूक्ष्मजीव, प्रमुखतः जीवाणु व फंजाई मृदा में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों का अपघटन कर इन्हें सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते है, जिससे मृदा की उर्वरकता (fertility) बढ़ती है। अतः अपघटक भूजैव रासायनिक चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  2. नाइट्रोजन स्थिरीकरण सूक्ष्मजीव (Nitrogen fixing bacteria): राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, अनेक साएनोबैक्टीरिया आदि वायुमण्डलीय मुक्त नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के लवणों में बदल कर मृदा की उर्वरकता बढ़ाते हैं। अर्थात यह भूमि को नाइट्रोजन से समृद्ध करते है।
  3. नाइट्रीफांइंग जीवाणु (Nitrifying bacteria): नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas) व नाइट्रोबैक्टर (Nitrobacter) जैसे जीवाणु अमोनिया को नाइट्राइट व नाईट्रेट में बदल देते हैं। अत: मृदा की - उर्वरकता बढ़ाते हैं।
  4. डिनाइट्रीफाइंग जीवाणु (Denitrifying bacteria): नाइट्रेट को मुक्त नाइट्रोजन में बदलकर मृदा की उर्वरकता कम करते हैं, जैसे: स्यूडोमोनास डिनाइट्रिफिकेंस।
  5. माइकोराइजा (Mycorrhiza): माइकोराइजा की कवक पौधों को रोग जनकों के आक्रमण से बचाती है। 
  6. रोगजनक (Pathogens): अनेक रोगों के रोगजनक मृदा में ही निवास करते हैं। 

प्रश्न 14. 
निम्नलिखित को घटते कम में मानव समाज कल्याण के प्रति उनके महत्व के अनुसार संयोजित करें। सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ को सबसे पहले रखते हुए अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
बायोगैस, सिट्रिक अम्ल, पैनिसिलिन व दही। 
उत्तर:
इन्हें निम्न क्रम में व्यवस्थित किया जा सकता है-
पेनिसिलिन > बायोगैस > दही> सिट्रिक अम्ल
पेनिसिलिन (Penicillin) एक महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक है। यद्यपि यह ब्रॉड स्पेक्ट्रम (Broad Spectrum) एंटीबायोटिक नहीं है फिर भी यह प्राम पॉजिटिव जीवाणुओं से होने वाले अनेक जटिल रोगों के उपचार के लिए ड्रग ऑफ च्चॉइस (Drug of choice) है। इसीलिए इसे 'वंडर ड्रग' नाम दिया गया है। यह लाखों लोगों को जानलेवा बीमारियों से मुक्त करती है। अत: यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। बायोगैस (Biogas) फार्म अपशिष्टों गोबर आदि का एक बेहतरीन उपयोग है जिससे ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा की समस्या को कम किया जा सकता है। इससे अच्छी गुणवत्ता वाली खाद भी प्राप्त होती है। लकड़ी/गोबर के जलने से होने वाले प्रदूषण को कम करने में भी इसकी प्रमुख भूमिका है। उपरोक्त दोनों बिन्दु समाज कल्याण से सम्बंधित है शेष दो का वैयक्तिक महत्व है। दही (Curd) एक अच्छा पोषक पदार्थ है जो प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज व लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया का स्रोत है। इसका लगभग हर घर में प्रयोग होता है। सिट्रिक अम्ल एक प्रिजरवेटिव के रूप में प्रयुक्त होता है। 

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प्रश्न 15. 
जैव उर्वरक किस प्रकार मृदा की उर्वरकता को बढ़ाते हैं?
उत्तर:
अनेक सहजीवी जीवाणु (राइजोबियम) व मुक्तजीवी जीवाणु (एजोटोबैक्टर) वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि करते हैं। नाएनोबैक्टीरिया भी वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं साथ ही इनके जैव भार मृदा के कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि करते हैं जिससे मृदा की गठन संरचना (texture) सुधरती है व उसकी जलधारण क्षमता (water holding capacity) बढ़ती है। माइकाराइजा मृदा को फास्फोरस से भी समृद्ध करते हैं। एजोला में पाया जाने वाला साएनोबैक्टीरिया एनाबीना एजोली (Anabaena azollae) भी भूमि को दोहरा लाभ पहुंचाता है। पहला नाइट्रोजन स्थिरीकरण से व बाद में एजोला के रूप में कार्बनिक पदार्थों को मृदा में मिलाकर।

Bhagya
Last Updated on Dec. 1, 2023, 9:29 a.m.
Published Nov. 30, 2023