RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 3 समानता

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 3 समानता Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Political Science Solutions Chapter 3 समानता

RBSE Class 11 Political Science समानता InText Questions and Answers

प्रश्न 1. 
मैं जिन लोगों को जानता हूँ, वे सभी किसी न किसी धर्म में विश्वास करते हैं। मैं जिन धर्मों के बारे में जानता हूँ, वे सभी समानता का सन्देश देते हैं। जब ऐसा है, तो दुनिया में असमानता क्यों है ? 
उत्तर:
सभी धर्मों में 'समानता' का सन्देश दिया गया है और प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी धर्म में विश्वास करता है। ऐसा होने के बावजूद दुनिया में असमानता है, इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं
(i) धर्म की सुविधानुसार व्याख्या-यह बात सच है कि सभी धर्म समानता का सन्देश देते हैं, परन्तु लोग अपनी सुविधानुसार धर्म की व्याख्या करने लगते हैं। इसी से समस्या उत्पन्न हो जाती है। उच्च वर्गों के लोग निम्न वर्ग के लोगों को अपने समान नहीं आने देना चाहते हैं। अतः विभिन्न धार्मिक कर्मकाण्डों एवं रीति-रिवाजों में उन्होंने धर्म को अपनी भावना के क्रियान्वयन का साधन बना दिया।

(ii) धर्म में अन्धविश्वासों और आडम्बरों का उदय-धर्म में धीरे-धीरे अनेक आडम्बरों का उदय हो गया। इन आडम्बरों के पीछे धर्म के वास्तविक सन्देश छिपकर रह गये। प्रत्येक धर्म में उच्च और कुलीन लोगों को महत्व मिलने लगा और पिछड़े, उपेक्षित, कमजोर वर्गों के लोगों को कई धार्मिक अधिकारों से दूर कर दिया गया।

(iii) आदर्शों और व्यावहारिकता में अन्तर का होना-प्रत्येक धर्म और उसके सन्देशों को आदर्श माना जाता है। परन्तु जब व्यावहारिकता की बात आती है तो मानव अपनी संकीर्ण सोच से परे नहीं हो पाता। इस प्रकार भी समाज में असमानता व्याप्त है।

(iv) प्राकृतिक असमानताओं को समाज में अधिक महत्व दिया जाना-प्राकृतिक रूप से समाज में कोई व्यक्ति श्वेत होता है तो कोई अश्वेत होता है। इसी प्रकार कोई स्त्रीलिंग होता है तो कोई पुल्लिग। जब समाज में इन असमानताओं को अधिक महत्व दिया जाने लगता है तब भी समस्या उत्पन्न हो जाती है। कई प्रकार के भेदभाव जैसे-श्वेत-अश्वेत, स्त्री-पुरुष, ऊँच-नीच इत्यादि प्रारम्भ हो जाते हैं। इस स्थिति में भी धर्म के सन्देशों को उपेक्षित कर दिया जाता है और दुनिया में असमानता बनी रहती है।

RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 3 समानता

प्रश्न 2. 
हमारे चारों ओर बहुत-सी असमानताएँ ऐसी हैं, जिन पर कोई आपत्ति नहीं करता। ऐसे में देश और दुनिया की असमानताओं पर बात करना बकवास है। जरा इस बात पर ही ध्यान दो कि कैसे मेरे माता-पिता मेरे भाई की तरफदारी करते हैं ?
उत्तर:
यह बात बिल्कुल सत्य है कि हमारे चारों ओर अनेक प्रयासों के बावजूद भी कई प्रकार की असमानताएँ बनी हुई हैं। हम इन असमानताओं को जीवन का हिस्सा तक बना बैठे हैं। इसी प्रकार का एक उदाहरण है—अभी भी अनेक परिवारों में लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव किया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि इस भेदभाव को परिवार के महिला और पुरुष सदस्य जैसे-दादी, पिता, माता, चाचा, चाची इत्यादि सभी गलत नहीं मानते हैं। यह 'समानता' की धारणा का मजाक है और जब तक हमारे समाज में ऐसे भेदभाव होते रहेंगे तब तक समानता की बात करना वास्तव में बकवास ही है।

प्रश्न 3. 

  1. पुरुष स्त्रियों से बढ़कर हैं। यह एक प्राकृतिक असमानता है। आप इस सम्बन्ध में कुछ नहीं कर सकते।
  2. मेरे हर विषय में तुमसे ज्यादा अंक आते हैं। मैं घर के काम में माँ का हाथ भी बँटाती हूँ। तुम मुझसे बढ़कर कैसे हो ?

उत्तर:
2. यह सत्य है कि प्राकृतिक रूप से पुरुषों और स्त्रियों की संरचना समान नहीं है। परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम स्त्रियों को गुलाम या आश्रित ही बनाकर रखें। समाज में ऐसे अनेक उदाहरण रहे हैं जिनमें स्त्रियों ने पुरुषों को भी टक्कर दी है। उदाहरण के तौर पर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इन्दिरा गाँधी इत्यादि स्त्रियों ने वे साहसिक कार्य किये हैं जिन्हें पुरुष भी करने में कतराते हैं। अतः हमें यह नहीं समझना चाहिए कि स्त्री और पुरुष की प्राकृतिक भिन्नता स्त्री को कमजोर और पुरुष को ताकतवर बना देती है। सच तो यह है कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अगर स्त्रियों को पुरुषों की सहायता चाहिए तो पुरुषों को भी स्त्रियों की उतनी ही सहायता की आवश्यकता होती है।

3. यह तर्क एक स्त्री की श्रेष्ठता को सिद्ध करता है। आम तौर पर हमारे समाज में लड़के केवल पढ़ाई का कार्य ही करते हैं, घर का काम न के बराबर करते हैं। जबकि लड़कियाँ पढ़ाई के साथ-साथ ही घर में साफ-सफाई, खाना पकाना इत्यादि कार्यों में भी सहयोग करती हैं। इसके बावजूद लड़कियों का परीक्षा परिणाम लड़कों से बेहतर आता है। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि लड़कियों में प्रतिभा और क्षमताओं की कोई कमी नहीं है। एक प्रकार से पुरुषों की श्रेष्ठता खोखली है। वास्तव में स्त्री अधिक श्रेष्ठ है।

प्रश्न 4. 
शिक्षा में असमानता नीचे दी गई तालिका में विभिन्न समुदायों की शैक्षिक स्थिति से जुड़े कुछ आँकड़े दिए गए हैं। 

  1. इन समुदायों की शैक्षिक स्थिति में जो अंतर है, क्या वे महत्वपूर्ण हैं ?
  2. क्या इन अंतरों का होना केवल एक संयोग है या ये अंतर जाति व्यवस्था के असर की ओर संकेत करते हैं। 
  3. आप यहाँ जाति व्यवस्था के अलावा और किन कारणों का प्रभाव देखते हैं ?

जाति/समुदाय

प्रति हजार लोगों में स्नातकों की संख्या

अनुसूचित जाति मुस्लिम

47

हिन्दू (अन्य पिछड़ी जातियाँ)

61

अनुसूचित जनजाति

86

ईसाई

109

सिख

237

हिन्दू (उच्च जातियाँ)

253

अन्य धार्मिक समुदाय

315

अखिल भारतीय औसत

155

उत्तर:

  1. हाँ। इन समुदाओं की शैक्षिक स्थिति में जो अंतर है, वह महत्वपूर्ण है। 
  2. यह अंतर केवल एक संयोग नहीं है बल्कि ये अंतर जाति व्यवस्था के असर की ओर संकेत करते हैं।
  3. इस तालिका के विवरण के अनुसार हम उच्च शिक्षा पर जाति व्यवस्था के अतिरिक्त धर्म और आर्थिक असमानता का प्रभाव भी देखते हैं। 

प्रश्न 5. 
वाद-विवाद-संवाद
महिलाओं को सेना की लड़ाकू टुकड़ियों में शामिल होने और सेना के सर्वोच्च पद पर पहुँचने की अनुमति होनी चाहिए।
उत्तर:
दिये गये मुद्दे पर वाद-विवाद और संवाद को हम पक्ष में तर्क (वाद), विपक्ष में तर्क (विवाद) तथा निष्कर्ष (संवाद) द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैंपक्ष में तर्क (वाद)

  1. महिलाओं में साहस और पराक्रम होता है, अतः उन्हें अपने पराक्रम को दिखाने का मौका मिलना ही चाहिए। 
  2. महिलाओं को सैन्य टुकड़ी में शामिल करके हम उनकी योग्यता, चतुराई, धैर्य जैसे गुणों का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  3. महिलाओं में गजब की नेतृत्व क्षमता और वीरता होती है इसलिए उन्हें सेना का सर्वोच्च पद दिया जाना कहीं से अनुचित नहीं होगा। जब देश का सर्वोच्च पद महिलाएँ प्राप्त कर सकती हैं तो सेना का क्यों नहीं।

दाहरण के तौर पर हमारी पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल तथा जर्मनी की चांसलर एंजिला मार्केल इत्यादि को देखा जा सकता है। 
विपक्ष में तर्क (विवाद)-

  1. महिलाओं को सेना की लड़ाकू टुकड़ियों में पुरुषों के साथ शामिल करने से उनका शारीरिक शोषण हो सकता है, अतः ऐसा करना ठीक नहीं होगा।
  2. महिलाएँ स्वभाव से चंचल और शरीर से कोमल होती हैं, अतः एक सैनिक के रूप में वह ज्यादा श्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाएँगी।
  3. महिलाओं को सेना का सर्वोच्च पद प्रदान करने से पुरुषों में हीन भावना आ सकती है। वे इसे अपनी प्रतिष्ठा और स्वाभिमान का प्रश्न बना सकते हैं। अत: यह सेना के अनुशासन और मनोबल के लिए गलत हो सकता है।

निष्कर्ष (संवाद)-
अन्त में दोनों पक्षों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि महिलाओं को सेना की लड़ाकू टुकड़ियों में शामिल करना या सेना के सर्वोच्च पद पर पहुँचना किसी भी प्रकार से गलत नहीं है क्योंकि अतीत में भी ऐसे अनेक उदाहरण हम देख चुके हैं। लेकिन ऐसा करने में सबसे बड़ी समस्या हमारी पुरुषवादी सोच है। अतः इस सोच को बदले बिना ऐसी अनुमति सीधे देना खतरनाक हो सकता है। इसका यह मतलब नहीं कि महिलाओं को हमेशा इन पाबन्दियों के साथ ही रहना होगा। हमें जल्द से जल्द ऐसी घृणित सोच बदलनी होगी और महिलाओं को भी मानव होने के नाते प्रत्येक क्षेत्र में बराबर का भागीदार बनाना होगा। 

RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 3 समानता

प्रश्न 6. 
आओ कुछ करके सीखें- अलग-अलग तरह की शारीरिक विकलांगता के शिकार छात्रों को अन्य छात्रों की भाँति सीखने के लिए आवश्यक सुविधाओं की एक सूची बनाओ। आपके विद्यालय में इनमें से कौन-कौन सी सुविधाएँ उपलब्ध हैं ?
उत्तर:
अलग-अलग तरह की शारीरिक विकलांगता के शिकार छात्र/छात्राओं को अन्य छात्रों की भाँति सीखने के लिए आवश्यक सुविधाओं की सूची निम्नलिखित है 

क्विकलांगता का प्रकार

आवश्यक यन्त्र एवं सुविधाएँ

1. दृष्टिबाधित छात्र

ब्रेल लिपि सिखाने वाली किताबें व उपकरण, अलग अध्ययन कक्ष, जहाँ इन्हें ब्रेल लिपि में समस्त विषय पढ़ाये जायें।

2. मूक-बधिर छात्र

ये छात्र आम छात्रों के साथ भी बैठकर लिख सकते हैं बशर्ते इनकी पुस्तकें ब्रेल लिपि की हों।

3. शारीरिक विकलांग छात्र

श्रवण यन्त्र, अलग कक्षा-कक्ष व संकेत भाषा को समझने व समझाने वाले शिक्षक। बैसाखी, व्हील चेयर, कृत्रिम हाथ व पैर, विशेष प्रोत्साहन।

इनमें से आपके विद्यालय में जो भी सुविधाएँ आपको दिखती हैं, उनकी सूची आप स्वयं बनाइए। 

प्रश्न 7. 
वाद-विवाद-संवाद
अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए सकारात्मक कार्यवाही (कोटा, छात्रवृत्ति, प्रशिक्षण आदि) की नीतियाँ निजी शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए भी लागू की जानी चाहिए।
उत्तर:
पक्ष में तर्क (वाद)

  1. आजकल शिक्षा का निजीकरण बढ़ता जा रहा है। अतः यह आवश्यक है कि समाज के शोषित, अति पिछड़े और उपेक्षित वर्गों को निजी शिक्षण संस्थानों में विशेष रियायतें प्रदान की जाएँ।
  2. समाज में उपेक्षित वर्गों को मुख्य धारा में शामिल करने हेतु यह आवश्यक है कि उन्हें सभी प्रकार के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश व विशिष्ट सुविधाएँ प्रदान की जाएँ।

विपक्ष में तर्क (विवाद)-
(i) निजी शैक्षिक संस्थाओं में विशेष रियायतें लागू होने से शिक्षा का स्तर प्रभावित होगा।
उदाहरण के तौर पर किसी निजी अच्छी साख वाले कॉलेज में सामान्य वर्ग के 80% अंक वाले छात्र का प्रवेश न हो पाये और आरक्षित वर्ग में 50% अंक वाले छात्र को 'आरक्षण' के तहत प्रवेश मिल जाए तो यह सरासर गुणवत्ता से खिलवाड़ है।z

(ii) आरक्षण या अन्य रियायतों का आधार जाति न होकर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति होनी चाहिए। 

(iii) निजी संस्थाओं में भी ऐसा करने से छात्रों के मध्य वैमनस्य उत्पन्न हो जाएगा।
निष्कर्ष (संवाद)-दोनों पक्षों के देखते हुए अन्ततः यह कहा जा सकता है कि समाज में अनुसूचित जाति/जनजातियों की स्थिति आज भी अच्छी नहीं है। अतः निःसन्देह इन्हें विशेष सुविधाओं की जरूरत है। शैक्षिक संस्थाएँ चाहे सरकारी हों या गैर सरकारी इन्हें रियायतें मिलनी ही चाहिए। परन्तु ऐसा करते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि प्रतिभावान छात्रों का मनोबल न गिरे। 

प्रश्न 8. 
चिन्तन-मंथन
नीचे दी गई स्थितियों पर विचार करें। क्या इनमें से किसी भी स्थिति में विशेष और विभेदकारी बरताव करना न्यायोचित होगा ?
(i) कामकाजी महिलाओं को मातृत्व अवकाश मिलना चाहिए।
(ii) एक विद्यालय में दो छात्र दृष्टिहीन हैं। विद्यालय को उनके लिए कुछ विशेष उपकरण खरीदने के लिए धनराशि खर्च करनी चाहिए।
(iii) गीता बॉस्केटबॉल बहुत अच्छा खेलती है। विद्यालय को उसके लिए बॉस्केटबाल कोर्ट बनाना चाहिए जिससे वह अपनी योग्यता का और भी विकास कर सके।
(iv) जीत के माता-पिता चाहते हैं कि वह पगड़ी पहने। इरफान चाहता है कि वह जुम्मे (शुक्रवार) को नमाज पढ़े। ऐसी बातों को ध्यान में रखते हुए स्कूल को जीत से यह आग्रह नहीं करना चाहिए कि वह क्रिकेट खेलते समय हेल्मेट पहने और इरफान के अध्यापक को शुक्रवार को उससे दोपहर बाद की कक्षाओं के लिए रुकने को नहीं कहना चाहिए।
उत्तर:
(i) हाँ, कामकाजी महिलाओं को मातृत्व अवकाश मिलना चाहिए। यह विभेदकारी बरताव न्यायोचित है क्योंकि एक महिला होने के नाते यह उनका मानवाधिकार है।

(ii) हाँ, दृष्टिहीन छात्रों को यदि कुछ विशेष उपकरण विद्यालय द्वारा दिये जाते हैं तो यह सर्वथा न्यायोचित है क्योंकि उन्हें सभी विद्यार्थियों के समान योग्य बनाने के लिए यह आवश्यक है।

(iii) नहीं, किसी एक विद्यार्थी की रुचि या प्रतिभा की खातिर विद्यालय इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकता। इससे विद्यालय में छात्रों की विभिन्न रुचियों के अनुसार माँगें प्रारम्भ हो जाएंगी। एक-एक छात्र के लिए ऐसे अलग-अलग संसाधन जुटा पाना विद्यालय के लिए सम्भव नहीं होगा। इससे अन्य छात्रों का मनोबल भी गिरेगा। अतः केवल गीता के लिए बॉस्केटबॉल कोर्ट बनाना न्यायोचित नहीं होगा।

(iv) नहीं, जीत को बिना हेल्मेट क्रिकेट खेलने से चोट लग सकती है। इरफान को नमाज के लिए विद्यालय से अवकाश देना भी अन्य विद्यार्थियों और विद्यालय के शैक्षणिक अनुशासन का मनोबल तोड़ देगा। शिक्षा स्वयं में एक साधना है। अतः ऐसे अवकाश या विशेष रियायतों की कोई आवश्यकता या औचित्य नहीं है।

RBSE Class 11 Political Science समानता Textbook Questions and Answers 

प्रश्न 1.
छ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि कुछ अन्य का कहना है कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं उसे समाज ने पैदा किया है। आप किस मत का समर्थन करते हैं ? कारण दीजिए।
उत्तर:
सामान्यतया समानता का यह अर्थ लिया जाता है कि सभी व्यक्ति समान हैं, सभी के साथ समान व्यवहार होना चाहिए और सभी को समान वेतन मिलना चाहिए। इस मत के समर्थकों का कहना है कि प्रकृति ने सभी मनुष्यों को समान बनाया है। परन्तु यह विचार ठीक नहीं है। प्रकृति ने सभी मनुष्यों को समान नहीं बनाया। कोई व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से शक्तिशाली है तो कोई कमजोर, कोई गोरा है तो कोई काला, कोई बुद्धिमान है तो कोई मूर्ख तथा सभी व्यक्तियों के समान विचार नहीं होते। इस विचार को नहीं माना जा सकता कि प्रकृति ने सभी को समान बनाया है।

प्रकृति ने मनुष्य में असमानताएँ उत्पन्न की है परन्तु सभी मनुष्यों में मौलिक समानताएँ भी होती हैं। समानता का अर्थ है, मनुष्य की मौलिक समानताएँ जो समाज की असमानताओं से नष्ट नहीं होनी चाहिए। समाज में पाई जाने वाली असमानताओं को दूर करके सभी को उन्नति के समान अवसर मिलने चाहिए। किसी मनुष्य के साथ जाति, धर्म, रंग, लिंग, धन आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। यदि हो तो उन्हें समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। 

प्रश्न 2.
एक मत है कि पूर्ण आर्थिक समानता न तो सम्भव है और न ही वांछनीय। एक समाज ज्यादा से ज्यादा बहुत अमीर और बहुत गरीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। क्या आप इस तर्क से सहमत हैं ? अपना तर्क दीजिए।
उत्तर:
हाँ, हम दिये गये तर्क (अभिमत) कि 'पूर्ण आर्थिक समानता न तो सम्भव है और न ही वांछनीय' से सहमत हैं। इस सन्दर्भ में हमारे निम्नलिखित तर्क हैं
(i) व्यक्तियों की प्रतिभा व क्षमता का भिन्न होना-समाज में विभिन्न प्रकार के लोगों की योग्यता, प्रतिभा व क्षमता में व्यापक भिन्नताएँ हैं। उदाहरणस्वरूप कोई मजदूरी करता है तो कोई पढ़-लिखकर अधिकारी बन जाता है। ऐसे में एक अधिकारी और मजदूर की आर्थिक स्थिति में समानता स्थापित नहीं की जा सकती। एक व्यक्ति अपनी प्रतिभा, मोरयता व शाला में अन्न कर वहाँ तक पहुँचा है। अतः सरकार या समाज किसी अधिकारी की सम्पत्ति छीनकर आर्थिक समानता स्थापित कर दे तो यह अन्यायपूर्ण होगा। 

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(ii) लगन, मेहनत और मनोबल की दृष्टि से उचित-यदि समाज में सभी प्रकार के लोगों को समान सम्पत्ति व धन दे भी दिया जाये तो भी यह अन्यायपूर्ण होगा क्योंकि अनेक ऐसे लोग हैं जो लगन व मेहनत के बल पर धन कमाते हैं। एक तरफ ऐसे लोग भी हैं जो कि अकर्मण्य बने रहते हैं। ऐसे दोनों प्रकार के लोगों में आर्थिक समानता की स्थापना से मेहनती लोगों का मनोबल टूट जाएगा और समाज का विकास रुक जाएगा।

(iii) आर्थिक विकास की लालसा ही मनुष्य को कर्मठ बनाती है यह एक अटल सत्य है कि मनुष्य में अपना आर्थिक विकास करने की तीव्र लालसा होती है। वह इसी कारण अथक परिश्रम करता है और योग्य बनता है। ऐसे में सभी को आर्थिक रूप से समान कर दिया जाए तो यह कर्मठों और अयोग्यों को एक साथ लाने जैसा होगा। अतः मनुष्य को कर्मठ बनाए रखना है तो समाज केवल असमानता की मात्रा कम कर सकता है। आर्थिक असमानता को पूर्ण रूप से समाप्त करना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 3. 
नीचे दी गई अवधारणा और उसके उचित उदाहरणों में मेल बैठाइए

(क) सकारात्मक कार्यवाही

(1) प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार है।

(ख) अवसर की समानता

(2) बैंक वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज की ऊँची दर देते हैं।

(ग) समान अधिकार

(3) प्रत्येक बच्च्चे को निःशल्क शिक्षा मिलनी चाहिए।

उत्तर:

(क) सकारात्मक कार्यवाही

(1) प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार है।

(ख) अवसर की समानता

(2) बैंक वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज की ऊँची दर देते हैं।

(ग) समान अधिकार

(3) प्रत्येक बच्च्चे को निःशल्क शिक्षा मिलनी चाहिए।

प्रश्न 4.
किसानों की समस्या से सम्बन्धित एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार छोटे और सीमान्त किसानों को बाजार से अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता। रिपोर्ट में सलाह दी गई कि सरकार को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। लेकिन यह प्रयास केवल लघु और सीमांत किसानों तक ही सीमित रहना चाहिए। क्या यह सलाह समानता के सिद्धान्त से सम्भव है ?
उत्तर:
हाँ, यह सलाह वास्तव में समानता के सिद्धान्त के तहत ही आती है। इसके निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं
(i) चूँकि छोटे और सीमान्त किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलता। अत: वे बड़े किसानों की तुलना में पिछड़ जाएँगे। इन्हें बड़े किसानों के समान बनाने के लिए सरकार का हस्तक्षेप जरूरी है।

(ii) छोटे और सीमान्त किसानों के पास कम जमीन होती है। उनकी उपज की मात्रा भी कम होती है। ये समाज के पिछड़े व निर्बल वर्गों में आते हैं। अतः इन वर्गों के लिए विशेष सुविधाएँ दिया जाना समानता के सिद्धान्त के तहत किये जाने वाले 'सकारात्मक विभेदीकरण' का ही हिस्सा है।

(iii) सरकार हस्तक्षेप द्वारा छोटे और सीमान्त किसानों को यदि उनकी उपजों का उचित मूल्य दिलाती है तो यह 'सकारात्मक कार्यवाही के तहत आता है। यह समानता की स्थापना का ही एक तरीका है। अतः यदि सरकार को समाज में समानता की स्थिति प्रदान करनी है तो यह विभेद करना ही होगा।

प्रश्न 5. 
निम्नलिखित में से किसमें समानता के किस सिद्धान्त का उल्लंघन होता है और क्यों ? 
(क) कक्षा का हर बच्चा नाटक का पाठ अपना क्रम आने पर पड़ेगा।
(ख) कनाडा सरकार ने दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति से 1960 तक यूरोप के श्वेत नागरिकों को कनाडा में आने और बसने के लिए प्रोत्साहित किया।
(ग) वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से रेलवे आरक्षण की एक खिड़की खोली गई। 
(घ) कुछ वन क्षेत्रों को निश्चित आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
उत्तर:
(ख) कनाडा सरकार ने दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति से 1960 तक यूरोप के श्वेत नागरिकों को कनाडा में आने और बसने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस स्थिति में 'राजनीतिक और सामाजिक समानता के सिद्धान्त' का उल्लंघन किया गया है। कनाडा सरकार की यह नीति रंगभेद व नस्लभेद पर आधारित है। यह कार्यवाही सर्वथा असमानतापूर्ण व अनुचित है।

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प्रश्न 6. 
यहाँ महिलाओं को मताधिकार देने के पक्ष में कुछ तर्क दिए गए हैं। इनमें से कौन-से तर्क समानता के विचार से संगत हैं ? कारण भी दीजिए।
(क) स्त्रियाँ हमारी माताएँ हैं। हम अपनी माताओं को मताधिकार से वंचित करके अपमानित नहीं करेंगे।
(ख) सरकार के निर्णय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए शासकों के चुनाव में उनका भी मत होना चाहिए।
(ग) महिलाओं को मताधिकार न देने से परिवारों में मतभेद पैदा हो जाएँगे।
(घ) महिलाओं से मिलकर आधी दुनिया बनती है। मताधिकार से वंचित करके लम्बे समय तक उन्हें दबाकर नहीं रखा जा सकता है।
उत्तर:
(ख) सरकार के निर्णय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए शासकों के चुनाव में उनका भी मत होना चाहिए। यह तर्क समानता के विचार से संगत है। इसका कारण यह है कि जब हम राजनीतिक समानता की बात करते हैं तो इसमें सभी नागरिकों को मताधिकार दिया जाता है। इसमें स्त्री और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

(घ) महिलाओं से मिलकर आधी दुनिया बनती है। मताधिकार से वंचित करके लम्बे समय तक उन्हें दबाकर नहीं रखा जा सकता है। यह तर्क समानता के विचार से संगत है। महिलाएँ हमारे समाज का हिस्सा हैं। ऐसे में महिलाओं को भी पुरुषों के समान सामाजिक और राजनीतिक अधिकार मिलने ही चाहिए। यह तर्क महिलाओं के राजनीतिक व सामाजिक समानता के अधिकारों से सम्बन्धित है। 

Prasanna
Last Updated on Aug. 30, 2022, 5:39 p.m.
Published Aug. 30, 2022