Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 17 वस्त्रों की देखभाल तथा रखरखाव Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
वस्त्रों की देखभाल तथा रखरखाव के विभिन्न पहलू कौन से हैं?
उत्तर:
वस्वों की देखभाल तथा रख-रखाव के विभिन्न पहलू हैं
प्रश्न 2.
'दाग' शब्द को परिभाषित कीजिए। विभिन्न प्रकार के धब्बे कौन-कौन से हैं और उन्हें हटाने के लिए कौन-सी विभिन्न प्रकार की तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है?
उत्तर:
1. दाग: धब्या एक ऐसा अवांछित चिह्न (निशान) या रंग का लगना है जो किसी कपड़े पर बाहरी पदार्थ के सम्पर्क में आने से लग जाता है और जिसे सामान्य धुलाई प्रक्रिया द्वारा हटाया नहीं जा सकता एवं जिसको हटाने के लिए विशेष उपचार किये जाने की आवश्यकता होती है।
2. दाग: धब्बों के प्रकार-दाग-धब्बों को निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है
3. दाग-धब्बे हटाने की तकनीकें
दाग-धब्बे हटाने की प्रमुख तकनीकें निम्नलिखित हैं
प्रश्न 3.
वस्त्रों से अज्ञात दागों को हटाने के लिए किये जा सकने वाले तरीकें लिखें।
उत्तर:
वस्त्रों से अज्ञात दागों को हटाने के लिए किये जा सकने वाले प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं
प्रश्न 4.
गंदगी क्या है? पानी, साबुन तथा डिटर्जेंट किस प्रकार मिलकर वस्त्रों से गंदगी को दूर करते हैं?
उत्तर:
1. गंदगी से आशय: गंदगी, कपड़े के ताने-बाने के बीच फंसी चिकनाई, कालिख तथा धूल के लिए प्रयुक्त किया गया शब्द है। यह दो प्रकार की होती है-एक वह, जो कपड़े के ऊपरी सतह पर लगी होती है तथा आसानी से हटाई जा सकती है। दूसरी वह, जो पसीने तथा चिकनाई के द्वारा उस पर जमी होती है।
2. पानी द्वारा गंदगी दूर करना: पानी में खंगाल कर गंदगी को दूर किया जा सकता है। कपड़े और पानी के बीच एक प्रकार का जुड़ाव होता है। डुबोने के दौरान पानी कपड़े में प्रविष्ट हो जाता है तथा उसे गीला कर देता है। जल-कणों का संचलन कपड़े में चिकनाई रहित गंदगी को हटाने में सहायक होता है। हाथ द्वारा या मशीन में संचलन द्वारा केवल पानी में धोने से कुछ गंदगी तथा मिट्टी के कण हट जाते हैं।
पानी के तापमान में वृद्धि अर्थात् गर्म पानी से जलकणों की हलचल तथा भेदन शक्ति बढ़ जाती है। यदि गंदगी चिकनाई युक्त हो तो यह और भी लाभप्रद होता है।
लेकिन केवल पानी उस गंदगी को दूर नहीं कर सकता जो पानी में घुलनशील नहीं है। दूसरे, इसमें गंदगी को निलंबित रखने की सामर्थ्य भी नहीं है।
3. साबुन तथा डिटर्जेंट द्वारा गंदगी दूर करना-साबुन तथा डिटर्जेंट धुलाई के कार्य में प्रयुक्त होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा आवश्यक सफाई अभिकर्मक हैं।
साबुन तथा डिटर्जेंट दोनों को पाउडर, फ्लेक, बार तथा तरल स्वरूपों में बेचा जाता है। प्रयुक्त किए जाने वाले साबुन या डिटर्जेंट की किस्म, कपड़े की किस्म, रंग तथा कपड़े पर जमी गंदगी की किस्म पर निर्भर करती है। पानी, साबुन तथा डिटर्जेंट मिलकर निम्न प्रकार से वस्त्रों की गंदगी दूर करते हैं
प्रश्न 5.
धुलाई के पश्चात् फिनिशिंग से वस्त्रों की चमक तथा बुनावट की विशेषताओं में किस प्रकार सुधार आता है?
उत्तर:
धुलाई के पश्चात् फिनिशिंग करना-धुलाई के पश्चात् कपड़े को तब तक साफ पानी में खंगालना अत्यधिक आवश्यक है, जब तक कि इसमें से साबुन या डिटरजेंट पूरी तरह निकल नहीं जाता। प्रायः अंतिम बार खंगालने की प्रक्रिया में कुछ अन्य अभिकर्मक भी पानी में मिलाये जाते हैं जो वस्य की चमक को बहाल करने में सहायक होते हैं। कपड़े को अधिक कड़ा तथा चरचरा बनाने के लिए भी कपड़े पर कुछ अन्य अभिकर्मक प्रयुक्त किए जाते हैं। यथा
नील तथा चमक पैदा करने वाले पदार्थ-बार-बार प्रयोग किए जाने पर तथा धुलाई के साथ सफेद सूती कपड़ों की सफेदी व चमक समाप्त होने लगती है तथा वे पीले पड़ने लगते हैं। संश्लेषित या विनिर्मित या उनके मिश्रण वाले वस्त्रों के मामले में यह रंग खराब होकर मटमैला-सा हो जाता है।
दैर्ध्य पर पुनः निनावित करते हैं। किसी वस्त्र पर फ्लूरोसेंट चमक लाने वाले अभिकर्मक का प्रयोग करने से उसमें गहन चमकदार सफेदी आ जाती है जो पीलेपन और मटमैलेपन, दोनों को दूर कर देती है। इनका प्रयोग रंगीन प्रिंटेड वस्यों पर भी किया जा सकता है। चमक लाने वाले अभिकर्मकों को कई बार श्वेतकर्ता भी कहा जाता है किंतु ये रंग को खराब नहीं करते तथा इसलिए इन्हें विरंजक नहीं समझा जाना चाहिए।
3. स्टार्च तथा कड़ा करने वाले अभिकर्मक-बार-बार धुलाई से वस्त्र के ताने-बाने को नुकसान पहुंचता है, जिससे इसकी चमक तथा चटक भी कम हो जाती है। वस्त्र को कड़ा तथा चिकना एवं चमकीला बनाने के लिए स्टार्च लगाया जाता है तथा कड़ा करने वाले अभिकर्मकों का प्रयोग किया जाता है।
इस फिनिशिंग से न केवल कपड़े के रूप रंग व बुनावट में सुधार आता है बल्कि वस्त्र पर सीधी गंदगी के सम्पर्क से भी बचाव होता है। स्टार्च लगाने से बाद की धुलाई भी सहज हो जाती है क्योंकि गंदगी वस्त्र के बजाए स्टार्च से चिपकती है। कड़ा करने वाले सामान्य अभिकर्मक हैं-स्टार्च, बबूल का गोंद, बोरेक्स और जिलेटिन।
4. सिरका-रंगीन वस्त्र, विशेषकर रेशमी रंगीन वस्त्रों में चमक लाने के लिए सिरके का प्रयोग किया जाता है। सिरका वस्त्र के रंग को पक्का करने के साथ-साथ उन पर लगे धब्बों को भी दूर करता है।
प्रश्न 6.
ड्राई-क्लीनिंग क्या है? किस प्रकार के वस्त्रों के लिए ड्राई-क्लीनिंग की सिफारिश की जाती है?
उत्तर:
ड्राई क्लीनिंग-ड्राई-क्लीनिंग को एक जल रहित तरल माध्यम में वस्त्रों की सफाई करने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। शुष्क-विलायकों से रेशे फूलते नहीं हैं। अत: ड्राई-क्लीनिंग नाजुक वस्त्रों को साफ करने के लिए एक सुरक्षित विधि है। ड्राई-क्लीनिंग के लिए, सर्वाधिक सामान्य रूप से प्रयुक्त विलायक हैं-परक्लोरोएथीलीन, पेट्रोलियम विलायक या फ्लोरो कार्बन विलायक।
ड्राई-क्लीनिंग सामान्यतः औद्योगिक स्थापनाओं में की जाती है, घरेलू स्तर पर नहीं । शुष्क धुलाई के लिए विशेष ड्राईक्लीन करने वाली मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
ऊनी, रेशमी तथा रेयान से बने वस्त्रों की धुलाई के लिए ड्राईक्लीन की सिफारिश की जाती है क्योंकि इसमें उनके कमजोर रेशों व रंगों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। कुछ ड्राईक्लीनर फेदर के तकियों, कंबलों, रजाइयों तथा कारपेटों की सफाई तथा स्वच्छता भी करते हैं तथा पर्दो आदि को साफ करते हैं।