Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 14 हमारे परिधान Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
आप कपड़े क्यों पहनते हैं? इसके कोई तीन कारण बताइए।
उत्तर:
हम कपड़े निम्नलिखित कारणे से पहनते हैं
1. शालीनता (मर्यादा):
कपड़े पहनने का सर्वाधिक स्पष्ट कारण यह है कि हमारे समाज में प्रत्येक व्यक्ति के लिए कपड़े पहनना अनिवार्य है। हम मर्यादावश भी कपड़े पहनते हैं। मर्यादा सम्बन्धी धारणाएँ उस समाज द्वारा बनाई जाती है जिसमें हम रहते हैं। जो एक समाज में शालीनता समझी जाती है, संभवतः वह दूसरे समाज में मर्यादा नहीं समझी जाती हो। उदाहरण के लिए कुछ समुदायों में महिलाओं का सिर न ढकना अमर्यादा माना जाता है जबकि अन्य समुदायों में महिलाओं का अपनी टाँगे न ढंकना अश्लीलता माना जाता है।
2. सुरक्षा:
हम पर्यावरण से अपनी सुरक्षा के लिए भी कपड़े पहनते हैं। हम मौसम की कठोर स्थितियों, धूल-मिट्टी तथा प्रदूषण से बचने के लिए कपड़े पहनते हैं। हम सर्दी-गर्मी से बचने के लिए क्रमशः ऊनी व सूती वस्त्र पहनते हैं। कपड़े हमें शारीरिक हानि से भी बचा सकते हैं। अग्निशमनकर्मी आग, धुएँ तथा पानी से सुरक्षा हेतु विशेष प्रकार की पोशाक पहनते हैं। बहुत से खेलों में खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से तैयार पोशाकें पहनी जाती हैं।
3. भंगार:
हम अच्छे कपड़े आकर्षक दिखाई देने के लिए भी पहनते हैं। शरीर को सजाना-संवारना व शृंगार करना पुरुष व महिला सभी की चाहत होती है। ये हमारे व्यक्तित्व को निखारते हैं।
प्रश्न 2.
बच्चों के लिए कपड़ों के चयन को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
उत्तर:
बच्चों के लिए कपड़ों के चयन को प्रभावित करने वाले कारक
बच्चों के लिए कपड़ों के चयन को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं
1. आयु:
बच्चों की वेशभूषा और परिधान का चयन करते समय आयु एक महत्वपूर्ण कारक है। जो वस्य एक वर्ष के बच्चे के लिए उपयुक्त होंगे, वे 6 वर्ष के बच्चे के लिए उपयुक्त नहीं होंगे। उदाहरण के लिए, एक वर्ष के लड़के या लड़की के लिए एक समान वस्व ही उपयुक्त रहते हैं, परन्तु 6 वर्ष के लड़के व लड़की के परिधान एक दम भिन्न होते हैं। इस प्रकार जैसे-जैसे बच्चे बढ़ते हैं, उनके पहनावे का रूप बदल जाता है। किशारोवस्था में तीव्र गति से होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के कारण पहनावे में और अन्तर आ जाता है। किशोर सांस्कृतिक, सामाजिक मानदण्डों और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित होने लगते हैं और ये उनके कपड़ों के चयन को प्रभावित करता है।
2. जलवायु व मौसम:
बच्चों के लिए कपड़ों के चयन का एक अन्य कारक जलवायु व मौसम है। ठण्डे मौसम में या ऐसी जलवायु में पहने जाने वाले कपड़े गर्म होंगे और शीतोष्ण मौसम में पहने जाने वाले कपड़े अपेक्षाकृत सूती होंगे। यहाँ तक कि भारी वर्षा वाले क्षेत्रों या अधिक आर्द्रता वाले क्षेत्रों में भी कपड़ों के प्रकार भिन्न होंगे।
3. अवसर:
बच्चों के परिधान अवसर के अनुकूल होने आवश्यक हैं। प्रतिदिन पहने जाने वाले कपड़े सादे व आसानी से खुलने वाले होते हैं जबकि विशेष त्यौहारों पर पहने जाने वाले कपड़े चमकीले व आकर्षक होते हैं। प्रत्येक अवसर के लिए वस्त्र सम्बन्धी अलिखित नियम व परम्पराएँ भी हैं। अधिकांश स्कूलों की यूनिफार्म सम्बन्धी अपने नियम होते हैं। शादी-विवाह जैसे पारंपरिक समारोहों में बच्चों को भी पारंपरिक मानकों का अनुसरण करना पड़ता है। वेशभूषा का चयन न केवल पहनावे की शैली में अपित कपडे के प्रकार. बनावट, रंग और सहवस्त्रों में भी परिलक्षित होता है।
4. फैशन:
बच्चों के टी.वी. के निरन्तर सम्पर्क में रहने से बच्चे भी फैशन के प्रति बहुत सचेत हो जाते हैं। ये फैशन कपड़े के प्रकार, रंग, कपड़े का डिजाइन, आकृति या परिधान की सिलाई तथा सहवस्त्रों-स्कार्ल्स, बैग, बैज, बैल्ट आदि में परिलक्षित हो सकते हैं।
5. आय:
परिधान अथवा वस्त्रों के चयन में परिवार की आय का कारण भी महत्वपूर्ण होता है। परिवार के बजट को ध्यान में रखते हुए वस्त्रों का चयन किया जाना चाहिए। खरीदारी के दौरान कीमत के साथ-साथ उसके विभिन्न प्रयोजनों में प्रयोग, उसके टिकाऊपन, देखभाल की सरलता आदि तथ्यों को भी ध्यान में रखना होता है।
दूसरे, उच्च आय-वर्ग वाले परिवारों में प्रायः परिधानों की बहुत ज्यादा वैरायटी होती है, जबकि मध्यम व निम्न आय वाले परिवारों में बड़े बच्चों के कपड़ों को पुनः प्रयोग में लाया जाता है अर्थात् वे कपड़े पुनः छोटे बच्चों को पहनाए जाते हैं जिससे कपड़ों पर उनके व्यय में किफायत होती है।
प्रश्न 3.
बच्चों के परिधान की किन्हीं चार आवश्यकताओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
बच्चों के परिधान की मूल आवश्यकताएँ
बच्चों की शैशवावस्था से किशोरावस्था तक वस्त्र सम्बन्धी चार आवश्यकताओं की चर्चा निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत की गई है
1. आराम और सुविधा: बच्चों के कपड़े उनके लिए आरामदायक होने चाहिए। उन्हें लोट-पोट होने, घुटनों के बल चलने, पालथी मारने, ऊपर चढ़ने, भागने आदि क्रियायें करने के लिए ऐसे पहनावों की आवश्यकता होती है जो इन क्रियाओं में बाधा न डालें। यथा
इससे अतिरिक्त कपड़े मुलायम और नमी सोखने वाले हों, जो बच्चे की कोमल त्वचा के लिए उपयुक्त हों। बहुत बड़े कपड़े भी बहुत छोटे कपड़ों की तरह आरामदायक नहीं होते हैं। इसलिए शरीर की सही फिटिंग वाले परिधान होने चाहिए।
2. सुरक्षा:
बच्चों के लिए वस्त्र आरामदायक होने के साथ-साथ सुरक्षित भी होने चाहिए। ज्यादा ढीले कपड़े सुरक्षित नहीं होते क्योंकि उनके अटकने की संभावना हरती है जिससे बच्चे गिर सकते हैं। खाना पकाने वाले क्षेत्र में ढीले कपड़े आसानी से आग पकड़ सकते हैं। लटके हुए दुपट्टे कमरबंद और झालर आदि तिपहिया साइकिल या घूमती वस्तु में फंस सकते हैं।
बच्चों के कपड़ों के लिए चटक रंगों का उपयोग उपयुक्त है क्योंकि चटक रंग सरलता से दिखाई दे जाते हैं। ढीले बटन और झालर एक-डेढ़ साल के बच्चों के लिए असुरक्षित होते हैं जो हर चीज को अपने मुँह में डालते रहते हैं।
3. वृद्धि के लिए गुंजाइश:
बच्चों की शारीरिक वृद्धि और विकास को ध्यान में रखते हुए कपड़ों में वृद्धि की गुंजाइश होनी चाहिए, विशेषकर लम्बाई बढ़ने के लिए। यद्यपि बहुत बड़े कपड़े आरामदायक और सुरक्षित नहीं होते, तथापि ऐसे फिट कपड़े चुनने चाहिए जिनमें लम्बाई बढ़ाने का प्रावधान हो।
दूसरे, ऐसे कपड़े चुनें जो सिकुड़ते न हों। पैंटों के निचले किनारे पर अतिरिक्त कपड़ा लगा होना चाहिए ताकि लम्बाई बढ़ने पर पैंट को लम्बा किया जा सके। इसी प्रकार स्कटौँ पर बड़ा या छोटा करने वाली पट्टियाँ होनी चाहिए। कंधे पर प्लेटें और चुन्नटें होने से चौड़ाई बढ़ने पर ढीला करने की गुंजाइश रहती है।
4. सरल देखभाल:
बच्चे उन कपड़ों में ज्यादा आराम महसूस करते हैं जिनके गंदे होने की चिंता नहीं होती। माताएँ भी ऐसे कपड़ों को अधिक पसंद करती हैं, जिनकी देख-रेख की आवश्यकता अधिक नहीं पड़ती तथा जिन्हें आसानी से धोया जा सकता है और इस्त्री करने की जरूरत नहीं होती या बहुत कम होती है।
दूसरे, कपड़ों में दुहरी सिलाई होनी चाहिए क्योंकि यह सीधी सिलाई की तुलना में अधिक समय तक चलती है।
तीसरे, जेब के कोने और कोहनियों जैसे खिंचने वाले हिस्सों को अतिरिक्त मजबूत बनाया जाना चाहिए।
प्रश्न 4.
बच्चों की परिधान-सम्बन्धी आवश्यकताएँ उम्र के साथ क्यों बदलती हैं? शैशवावस्था, पूर्वविद्यालयी आयु और प्राथमिक विद्यालय वर्षों में बच्चों के परिधान की विशेषताओं पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
बच्चों के परिधान का चुनाव करते समय बच्चों की उम्र को ध्यान में रखना आवश्यक है क्योंकि जहाँ एक शिशु के लिए परिधान का चयन करते समय हम सुरक्षा, आराम, आसान रख-रखाव व आसानी से पहनने वाले कारणों को ध्यान में रखते हैं, वहाँ एक किशोर के वस्त्रों का चयन करते समय प्रचलित फैशन तथा उचित फिटिंग का ध्यान रखना आवश्यक है।
शैशवावस्था में बच्चों के परिधान की विशेषताएँ
पूर्व-विद्यालयी आयु (2-6 वर्ष) के बच्चों के परिधानों की विशेषताएँ
प्राथमिक विद्यालय जाने वाले बच्चों (5-11 वर्ष) के परिधानों की विशेषताएँ इस मध्य बाल्यावस्था की अवस्था में बच्चों की शारीरिक सक्रियता बहुत ज्यादा होती है और लड़के व लड़कियाँ दोनों खेल-कूद में रुचि रखते हैं। उनके सामाजिक एवं भावात्मक विकास में परिधान अब महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस आयु के बच्चों की परिधानों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 5.
विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के कपड़ों की क्या विशेषताएं होनी चाहिए?
उत्तर:
वस्त्रों का मूल कार्य हमें सुरक्षा प्रदान करना है। सुरक्षा के अलावा परिधान बच्चे में स्वायत्तता और सक्षमता की भावना का भी विकास करने का अवसर प्रदान करता है। यह सामाजिक माहौल में दूसरों पर व्यक्ति के निजी प्रभावों को अभिव्यक्त करता है।
विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के वस्त्रों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं