Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता Textbook Exercise Questions and Answers.
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
हमें विद्यालय जाने वाले बच्चे के आहार में संतृप्त वसा, अतिरिक्त चीनी तथा नमक की मात्रा को सीमित क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
स्कूल जाने वाले बच्चों का विकास विद्यालय जाने से पूर्व की अवस्था वाले बच्चों की तुलना में अपेक्षाकृत धीमा हो जाता है। इस अवस्था में कुल कैलोरी में से 20 प्रतिशत कैलोरी ही वसा के रूप में ली जानी चाहिए।
वसा एवं चीनी की प्रचुरता वाले आहार मोटापे के खतरे तथा इससे संबंधित समस्याओं को बढ़ाते हैं। अधिक चीनीयुक्त खाद्य-पदार्थ दाँत सम्बन्धी बीमारियों का कारण बनते हैं। नमक का अधिक मात्रा में सेवन रक्तदाब को बढ़ा सकता है, जिसके फलस्वरूप लकवा, गुर्दा एवं हृदय की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अधिक चीनी व नमक के सेवन के कारण ही आजकल छोटे बच्चे भी प्रायः मधुमेह तथा उच्च रक्तदाब का बार-बार शिकार हो रहे हैं।
प्रश्न 2.
भोजन की योजना बनाने में बच्चों को शामिल करना स्वस्थ खान-पान में किस प्रकार सहायक होता है?
उत्तर:
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन्हें उनके भोजन की योजना में शामिल किया जाना चाहिए। इससे उनकी पौष्टिक खाना खाने में रुचि बढ़ेगी। उनके पसंद एवं संतुलित आहारों की योजना बनाने के लिए उनसे विचार-विमर्श करने, कच्ची भोजन सामग्री को खरीदने के समय उन्हें अपने साथ ले जाने एवं उसकी परख बताने से बच्चों के लिए भोजन आकर्षक बन जाता है। उनमें भोजन के प्रति उत्साह बढ़ता है तथा उनमें भोजन के प्रति स्वस्थ और सकारात्मक धारणाएँ विकसित होती हैं।
प्रश्न 3.
बचपन में मोटापे में वृद्धि हो रही है। कारण बताइए।
उत्तर:
आजकल बचपन में मोटापे में वृद्धि हो रही है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
प्रश्न 4.
'मध्याह्न भोजन योजना' से किस प्रकार बच्चों के स्वास्थ्य एवं विद्यालय के कार्य निष्पादन में वृद्धि हुई है?
उत्तर:
हमारी सरकार द्वारा कार्यान्वित 'मध्याह्न भोजन योजना' के अन्तर्गत विद्यालय में पहली से आठवीं कक्षा वाले बच्चों को निःशुल्क भोजन प्रदान किया जाता है। इस योजना के निम्नलिखित अच्छे परिणाम दिखाई पड़े हैं
मध्याह्न भोजन के जरिए वे बच्चे पोषक भोजन प्राप्त करते हैं, जिससे उनकी प्रतिदिन की कुछ पौष्टिक आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं।
प्रस्तावित क्रियाकलाप
प्रश्न (क).
आप अपने पैतृक गाँव अथवा किसी अन्य गाँव में जा रहे हैं, जहाँ आप पाते हैं कि बच्चे कुपोषित हैं और इसके कारण होने वाले रोगों के शिकार हैं। यदि आपको बच्चों के माता-पिता से बात करने के लिए कहा जाए तो आप किसके बारे में बात करेंगे?
(i) बच्चों की रोगों से सुरक्षा करने के लिए पर्याप्त पोषण की भूमिका।
(ii) छोटे बच्चों के लिए संतुलित भोजन की योजना।
(iii) संचारी रोग तथा प्रतिरक्षण का महत्व।
(iv) विद्यालय-पूर्व वर्षों के दौरान प्रतिरक्षण कार्यक्रम।
उत्तर:
(i) बच्चों की रोगों से सुरक्षा करने के लिए पर्याप्त पोषण की भूमिका के बारे में बात करेंगे।
प्रश्न (ख).
आपके पड़ौसी का दो वर्षीय बच्चा बार-बार डायरिया से पीड़ित होता है। उसको इसके बारे में बताएँ
(i) शिशुओं की पोषण सम्बन्धी आवश्यकता।
(ii) शिशु के स्वास्थ्य एवं विकास के लिए अनन्य स्तन पान का महत्व।
(iii) अल्प लागत वाले पूरक भोजन तथा स्थानीय रूप से उपलब्ध भोजन पदार्थों में उनका निर्माण।
उत्तर:
(i) शिशुओं की पोषण सम्बन्धी आवश्यकता:
शिशुओं की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ माँ के दूध के संघटन तथा उनको दिए जाने वाले अनुपूरक भोजन से पूरी हो जाती हैं। यदि माँ को अच्छी खुराक दी जाती है तो शिशु भी अच्छी तरह बढ़ता व फलता-फूलता है। इसलिए माँ को प्रोटीन, कैल्शियम तथा लौह तत्व युक्त भोजन करना चाहिए तथा कुपोषण से बचने के लिए उसे पर्याप्त मात्रा में दूध, सूप, फलों का जूस तथा जल जैसे तरल पदार्थ लेने चाहिए।
(ii) शिशु के स्वास्थ्य एवं विकास के लिए अनन्य स्तनपान का महत्व
(iii) अल्प लागत वाले पूरक भोजन तथा स्थानीय रूप से उपलब्ध भोजन पदार्थों से उनका निर्माण
ये सभी खाद्य पदार्थ स्थानीय रूप से उपलब्ध अनाज से बनाए जाते हैं। ये बहुत ही पौष्टिक होते हैं तथा घर पर आसानी से तैयार किए जा सकते हैं।
प्रश्न (ग).
विद्यालय जाने वाले बच्चों में पौष्टिक भोजन करने की आदतें विकसित करने के लिए उपायों की सूची बनाइए एवं उनकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विद्यालय जाने वाले बच्चों में पौष्टिक भोजन करने की आदतें विकसित करने के उपाय
प्रश्न (घ).
पोषण संबंधी मुद्दों सहित विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सहायता करने के लिए उन पहलुओं की व्याख्या कीजिए जिन्हें आप ध्यान में रखेंगे।
(i) प्रेक्षण (निगरानी),
(ii) शारीरिक गतिविधियाँ,
(iii) खाने के कौशल का विकास,
(iv) विविधता
(v) विशेष आहार।
उत्तर:
भोजन तथा अन्य पोषण सम्बन्धी मुद्दों पर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सहायता करने के लिए निम्नलिखित पहलुओं को हम ध्यान में रखेंगे
कुछ बच्चों को उनकी योग्यता के आधार पर उनके आहारों एवं दैनिक आहार के समय में परिवर्तन की भी आवश्यकता पड़ सकती है। यथा
प्रश्न:
परिवार, संचार माध्यम एवं दोस्त बच्चों की भोजन की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
बच्चों की आहार मात्रा को प्रभावित करने वाले कारक-बच्चों की आहार मात्रा को निम्नलिखित कारक अत्यधिक प्रभावित करते हैं
1. परिवार:
सामान्य तौर पर जो परिवार, बच्चों के पालन-पोषण में सकारात्मक तरीकों का प्रयोग करते हैं; वे उनके समग्र विकास को प्रोत्साहित करते हैं। परिवार अपने स्कूली बच्चों को आहार सम्बन्धी मार्गदर्शन देते हैं, आहार के प्रति उनकी अभिरुचि बढ़ाने का प्रयास करते हैं तथा उनके आहार पैटनों को सुनिश्चित करते हैं।
सुखद एवं आरामदेह पारिवारिक वातावरण में साथ-साथ खाना अच्छी भोजन की आदतों एवं पोषक तत्वों के ग्रहण करने के लिए उपयुक्त होता है।
2. संचार माध्यम:
टी.वी. विज्ञापन और उनके लोकप्रिय फिल्मी कलाकार जो उत्पादों का समर्थन करते हैं, बच्चों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। अधिक खुलापन, अधिक स्वतंत्रता तथा आकर्षक नारे इस उम्र के बच्चों को आकर्षित करते हैं।
विज्ञापनों द्वारा दिए गए संदेशों से आकर्षित होकर बच्चे उन्हीं भोजनों पर जोर देते हैं जिनमें रेशे की कमी होती है, चीनी, वसा तथा नमक की मात्रा अधिक होती है।
3. मित्र मंडली:
जैसे ही बच्चा विद्यालय में प्रवेश करता है, तब हमउम्र मित्र समूह द्वारा स्थापित मानकों के कारण, माता-पिता के मानकों पर उसकी निर्भरता में परिवर्तन होता है। इसलिए घर पर ली जा रही भोजन की मात्रा में दोस्त द्वारा खाई जाने वाली मात्रा के प्रभाव के कारण परिवर्तन हो सकता है। पोषक तत्वों के मामले में पर्याप्तता इस उम्र के बच्चों को उपलब्ध भोजन पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उस पर निर्भर करती है जो उसके दोस्त खाते हैं।
बच्चे प्रायः दोस्तों के साथ बैठकर अच्छी तरह खाते हैं। जब वे अपने मित्रों के साथ खाते हैं, तो वे नए भोजन खाने के इच्छुक होते हैं, जिसे वे अन्यथा मना कर देते हैं।