RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 History Solutions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

RBSE Class 11 History मूल निवासियों का विस्थापन InText Questions and Answers

प्रश्न 1. 
युरोपीय लोगों और अमरीकी मूल निवासियों के मन में एक-दसरे की जो छवि थी तथा प्रकति को देखने के जो उनके अलग-अलग तरीके थे, उन पर विचार करें। 
उत्तर:
यूरोपीय लोगों और अमरीकी मूल निवासियों के मन में एक-दूसरे की छवि तथा प्रकृति को देखने के जो उनके अलग-अलग तरीके थे, वे निम्नलिखित हैं
(i) यूरोपीय लोग विशेषकर पश्चिमी यूरोप के निवासी सभ्य मनुष्य की पहचान साक्षरता, शहरीपन तथा संगठित धर्म के आधार पर करते थे। उत्तरी अमरीका के मूल निवासी इन चीजों से दूर थे। इसीलिए उत्तरी अमरीका के सरल एवं निष्कपट मूल निवासी, अमरीका आये यूरोपीय लोगों को 'असभ्य' प्रतीत होते थे। जबकि अमरीकी मूल निवासियों का यूरोपियों के प्रति मित्रता का दृष्टिकोण था। वे यूरोपवासियों के साथ जिन वस्तुओं का आदान-प्रदान करते थे, वे उनके लिए मित्रता में दिए गए उपहार थे।

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(ii) उत्तरी अमरीका के मूल निवासी प्रकृति के अधिक निकट एवं उससे अधिक प्रेम करने वाले थे। मूल निवासी केवल जीवन-यापन के लिए प्रकृति का उपयोग करते थे। वे प्रकृति से अपनी जरूरत मात्र के लिए ही प्राकृतिक संसाधन प्राप्त करते थे, जबकि यूरोपीय लोग शीघ्र ही धनवान एवं साधन संपन्न बनने के लिए प्रकृति का अत्यधिक दोहन करने में विश्वास करते थे।

(iii) यूरोपीय लोग मूल निवासियों से केवल स्वार्थवश मिलते थे। क्योंकि उन्हें (यूरोपियों को) मछली पकड़ने एवं शिकार करने में उनकी (मूल निवासियों की) सहायता चाहिए होती थी।

(iv) यूरोपीय लोग अमरीका से प्राप्त मछली एवं रोंएदार खाल को 'माल' समझते थे तथा लाभ कमाने के लिए उन्हें यूरोपीय बाजारों में बेचना चाहते थे। जबकि अमरीकी मूल निवासियों को यूरोपीय बाजारों की बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी।
अमरीकी मूल निवासी यूरोपवासियों को लालची समझते थे। वे इस बात को देखकर बहुत अधिक दुखी होते थे कि ये लोग रोंएदार खाल प्राप्त करने के लिए सैकड़ों की संख्या में ऊदबिलावों की हत्या कर देते हैं।

(v) यूरोपीय लोग वनों को काटकर उनके स्थान पर मक्के की कृषि करना चाहते थे ताकि उन्हें यूरोप में बेचकर अधिक लाभ कमा सकें। जबकि मूल निवासी अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए फसलें उगाते थे न कि बेचने अथवा लाभ कमाने के लिए।

(vi) अमरीका के मूल निवासी जमीन का मालिक बनने को गलत मानते थे, जबकि यूरोपीय लोग यहाँ जमीन का मालिक बनने के लिए ही आये थे।
(vii) अमरीका के मूल निवासी प्राकृतिक दृश्यों व जलवायु को निस्वार्थ भाव से देखकर व महसूस कर प्रसन्न होते थे वहीं यूरोपीय लोग इनमें भी अपना स्वार्थ देखते थे।

प्रश्न 2.
इन दो तरह के जनसांख्यिक आँकड़ों पर टिप्पणी करें।

 

संयुक्त राज्य अमरीका-1820

स्पेनी अमरीका-1800

मूल निवासी

6 लाख

75 लाख

गोरे

90 लाख

33 लाख

मिले-जुले यूरोपीय

1 लाख

53 लाख

काले

19 लाख

8 लाख

कुल

1 करोड़ 16 लाख

1 करोड़ 69 ला

उत्तर:
दिये गये आँकड़ों को देखने से ज्ञात होता है कि 19वीं शताब्दी के आरम्भ में संयुक्त राज्य अमरीका की जनसंख्या एक करोड़ से ऊपर तथा स्पेन के प्रभुत्व वाले अमरीका की जनसंख्या लगभग 1.69 करोड़ थी। सन् 1820 में संयुक्त राज्य अमरीका की कुल जनसंख्या 1 करोड़ 16 लाख थी। इसमें 90 लाख गोरे लोग थे जबकि वहाँ के मूल निवासियों की जनसंख्या मात्र 6 लाख ही थी। काले लोग 19 लाख थे जबकि वहाँ मिले-जुले यूरोपीय लोग मात्र 1 लाख थे। संयुक्त राज्य अमरीका का 1820 का यह जनसांख्यिक आँकड़ा यह स्पष्ट बताता है कि बड़ी संख्या में यूरोपवासी संयुक्त राज्य अमरीका में आकर बस गये तथा कुछ ही दशकों में वहाँ के मूल निवासियों को संख्या के मामले में बहुत पीछे छोड़ दिया तथा पूरे क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व जमा लिया।

जबकि मूल निवासी संख्या में कम होते गये तथा वे अपने ही देश में प्रभावहीन हो गये। देखा जाए तो संयुक्त राज्य अमरीका एक प्रकार से दूसरा यूरोप हो गया। काले लोग जो अफ्रीका से श्रम उत्पादन हेतु लाये गये दास थे, उनकी संख्या भी 19 लाख थी जो मूल निवासियों से कहीं अधिक थी। सन् 1800 में स्पेन के प्रभुत्व वाले अमरीका की कुल जनसंख्या 1 करोड़ 69 लाख थी। इसमें सबसे ज्यादा मूल निवासियों की संख्या थी जो 75 लाख थी।

यहाँ मिले-जुले यूरोपीय लोग 53 लाख थे, जबकि गोरों की संख्या मात्र 33 लाख थी। काले लोग भी मात्र 8 लाख ही थे। आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि संयुक्त राज्य अमरीका के विपरीत स्पेनी अमरीका में यूरोपियनों के आगमन का वैसा व्यापक प्रभाव दिखाई नहीं देता क्योंकि यहाँ मूल निवासी बहुत बड़ी संख्या में हैं। अफ्रीका से आने वाले काले लोग जो यहाँ संभवतः श्रम उत्पादन हेतु दास के रूप में आये होंगे, भी बड़ी संख्या में यहाँ थे। किन्तु दोनों क्षेत्रों के जनसंख्या आँकड़ों से एक बात तो पूर्णतया स्पष्ट है कि यूरोपियन लोग बड़ी संख्या में यूरोप से आकर अमरीकी महाद्वीपों में बस गये तथा वहाँ अपना एक बड़ा यूरोपियन समूह बना लिया। यूरोपियन लोगों के आगमन का प्रत्यक्ष प्रभाव इन क्षेत्रों के मूल निवासियों पर पड़ा।

प्रश्न 3. 
अमरीकी इतिहासकार होवर्ड स्पॉडेक के इस कथन पर टिप्पणी करें-"अमरीकी क्रांति का जो प्रभाव (गोरे) आबादकारों के लिए था, उससे ठीक विपरीत मूल निवासियों के लिए था-फैलाव सिकुड़न बन गया, लोकतन्त्र तानाशाही बन गया, सम्पन्नता विपन्नता बन गई और मुक्ति कैद बन गई?
उत्तर:
अमरीकी इतिहासकार होवर्ड स्पॉडेक का यह कथन सत्य है। अमेरिका में गोरे अर्थात् यूरोपीय लोगों के आगमन का वहाँ के मूल निवासियों पर बड़ा ही विपरीत प्रभाव पड़ा। गोरे लोगों ने मूल अमरीकी लोगों की जमीन पर कब्जा कर लिया तथा उन्हें उनके क्षेत्रों से खदेड़ दिया। प्रशासन व राजनीति पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। अपनी धन-सम्पन्नता में वृद्धि कर ली, वहीं दूसरी ओर इन गोरे लोगों ने वहाँ के मूल निवासियों को छोटे क्षेत्रों में कैद कर दिया जिन्हें 'रिज़र्वेशन्स' कहा गया। अमरीकी क्रांति एवं लोकतन्त्र की स्थापना ने मुख्य रूप से गोरों को ही लाभ पहुँचाया। स्वतंत्रता, संपन्नता, लोकतन्त्र का स्वाद मुख्य रूप से गोरों ने चखा। गोरे आबादकार लोकतन्त्र के साथ लाभान्वित हुए।

अपने लोकतान्त्रिक प्रतिनिधि चुनने का अधिकार, वोट देने का अधिकार और सम्पत्ति का अधिकार जैसे मूल अधिकार केवल गोरे लोगों को ही प्राप्त थे, मूल निवासी इनसे वंचित थे। रिज़र्वेशन्स में रह रहे मूल निवासियों के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव रहता था। गोरे लोगों ने यहाँ के मूल निवासियों के जीवन को नरक बना दिया। इस प्रकार अमरीकी क्रांति का गोरे लोगों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा, वहीं मूल निवासियों को इसका विपरीत प्रभाव झेलना पड़ा। इस प्रकार अमरीकी क्रांति के पश्चात् मूल निवासियों का जीवन कहीं अधिक कठिन हो गया।

प्रश्न 4. 
1911 में यह घोषणा हुई कि नयी दिल्ली और कैनबरा को क्रमशः ब्रिटिश भारत और आस्ट्रेलियाई राष्ट्रमण्डल की राजधानी बनाया जाएगा। उस समय में इन देशों के मूल निवासियों की राजनीतिक स्थितियों की तुलना कीजिए और उसकी विषमता को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
1911 ई. में आस्ट्रेलियाई राष्ट्रमण्डल की एक राजधानी बनाने की योजना चल रही थी, तब उसके लिए 'वूलव्हीटगोल्ड' नामक सुझाव दिया गया था। अन्ततः उसका नाम 'कैनबरा' रखा गया जो एक स्थानीय शब्द 'कैमबरा' से बना था जिसका अर्थ होता है-सभास्थल। ठीक इसी वर्ष अर्थात् सन् 1911 में दिल्ली के ब्रिटिश भारत की राजधानी बनने के समय भारत में राजनीतिक चेतना जाग्रत हो चुकी थी। उस समय भारत में मूल निवासी ब्रिटिश शासन का घोर विरोध कर रहे थे। वे स्वराज तथा अपने लोकतन्त्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे। भारतीय मूल निवासियों ने क्रांतिकारी एवं अहिंसापूर्ण तरीकों से ब्रिटिश शासन का घोर विरोध किया तथा अपने स्वराज हेतु कई आंदोलन भी चलाये।

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उन्होंने अपने प्रयासों से ब्रिटिश सरकार से विभिन्न अधिकार भी प्राप्त कर लिए थे तथा भारतीयों में स्वराज एवं स्वतन्त्रता की न बुझने वाली ज्वाला प्रज्वलित हो चुकी थी और यह ज्वाला 15 अगस्त सन् 1947 में भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात ही बुझी। किन्तु आस्ट्रेलिया में यूरोपियनों का वर्चस्व अत्यधिक था। ब्रिटेन से आने वाले लोगों ने वहाँ के मूल निवासियों की संपत्तियों और जमीनों पर कब्जा कर लिया तथा उन पर बहुत अधिक अत्याचार किए। जिसका परिणाम यह हुआ कि आस्ट्रेलिया में वहाँ के मूल निवासियों की जनसंख्या में भारी कमी आ गई थी। सन् 1911 में केनबरा के राजधानी बनने की घोषणा के समय तक आस्ट्रेलिया के मूल निवासी अत्यंत दयनीय स्थिति में पहुँच चुके थे।

किन्तु एक बात स्पष्ट है कि इस समय तक भारत के मूल निवासी राजनीतिक रूप से अधिक जाग्रत तथा विदेशी शासन के प्रति अधिक संघर्षशील थे। दूसरी बात, आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों ने यूरोपीय आगन्तुओं को खतरा नहीं माना था, जबकि भारत में शुरू से ही राजनीतिक व सामाजिक परिवेश में अंग्रेजों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता था। केनबरा को जब आस्ट्रेलिया की केन्द्रीय राजधानी बनाने की घोषणा हुई, उस समय केनबरा एक वीरान क्षेत्र था, इससे मूल निवासियों में कोई राजनीतिक हलचल नहीं हुई। जबकि भारत में दिल्ली लम्बे समय तक मुगल बादशाहों की राजधानी रह चुकी थी। अतः यह बदलाव भारतीयों के लिए राजनीतिक जागरूकता का एक सुखद अनुभव था। आस्ट्रेलिया एवं भारत के मूल निवासियों में एकमात्र अन्तर यह था कि जहाँ ब्रिटिश लोगों ने आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को उनकी भूमि से खदेड़कर उन पर कब्जा कर लिया और अब भी वहीं रह रहे हैं जबकि भारतीय ब्रिटिश लोगों को 1947 ई. में भारत से खदेड़कर स्वयं मालिक बन गए।

RBSE Class 11 History मूल निवासियों का विस्थापन Textbook Questions and Answers 

संक्षेप में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1. 
दक्षिणी और उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के बीच के फ़र्को से सम्बन्धित किसी भी बिन्दु पर टिप्पणी करिए।
उत्तर:
दक्षिणी अमरीका के मूल निवासी बड़े पैमाने पर कृषि कार्य करते थे। यहाँ जमीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ नहीं थी, फिर की लोगों ने पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेत बनाए और जल निकासी तथा सिंचाई की प्रणालियों का विकास किया। मक्का की फसल दक्षिण अमरीकी सभ्यताओं का आधार थी। साथ ही यहाँ पर आलू व अन्य सब्जियाँ भी बड़े पैमाने पर उगाई जाती थीं। इसीलिए परिवार पर होने वाले व्यय के पश्चात अधिशेष बचता था। इस अधिशेष के कारण दक्षिण अमरीका में राजशाही और साम्राज्य का विकास हुआ। जबकि उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों ने बड़े पैमाने पर खेती करने का कभी भी प्रयास नहीं किया। वे कभी भी अपनी आवश्यकता से अधिक उत्पादन नहीं करते थे जिससे उनके पास अधिशेष नहीं बचता था।

उत्तरी अमरीका के मूल निवासी शिकार करने एवं मछली पकड़ने का कार्य मुख्यरूप से करते थे। वे ज़मीन पर अपना स्वामित्व स्थापित करने की आवश्यकता अनुभव नहीं करते थे। ये भूमि से मिलने वाले भोजन से सन्तुष्ट थे। इसीलिए वहाँ राजशाही व साम्राज्य का विकास नहीं हुआ। दक्षिण अमरीकी सभ्यताओं में भूमि का स्वामित्व व्यक्ति विशेष का न होकर पूरे कबीले या कुल का होता था। जबकि उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों में भूमि स्वामित्व का कोई पक्ष नहीं था। इसीलिए दक्षिणी अमरीका में राजतन्त्र एवं साम्राज्य का अस्तित्व था किन्तु उत्तरी अमरीका राजतन्त्रीय व्यवस्था से मुक्त था। 

प्रश्न 2. 
आप उन्नीसवीं सदी के संयुक्त राज्य अमरीका में अंग्रेज़ी के उपयोग के अतिरिक्त अंग्रेज़ों के आर्थिक और सामाजिक जीवन की कौन-सी विशेषताएँ देखते हैं ?
उत्तर:
हम उन्नीसवीं सदी के संयुक्त राज्य अमरीका में अंग्रेज़ी के उपयोग के अतिरिक्त अंग्रेजों के आर्थिक और सामाजिक जीवन की निम्नलिखित विशेषताएँ देखते हैं

  1. लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। उन्होंने कृषि क्षेत्र में पर्याप्त विस्तार किया। 
  2. खेतों में मकई, गेहूँ, आलू व सब्जियाँ उगाते थे। 
  3. वे मछली तथा माँस का आहार करते थे। 
  4. वे कुशल कारीगर थे और आकर्षक कपड़े बनाते थे। 
  5. उन्होंने खनन उद्योग और कारखानों का विकास किया। 
  6. संयुक्त राज्य अमरीका में प्रजातंत्रीय शासन व्यवस्था एक बड़ी विशेषता थी। 
  7. संयुक्त राज्य अमरीका की अर्थव्यवस्था पूँजीवादी थी। 

प्रश्न 3. 
अमरीकियों के लिए 'फ्रंटियर' के क्या मायने थे ?
उत्तर:
अमरीकियों के लिए फ्रंटियर का मायना (मतलब) उनकी पश्चिमी सीमा से था। यह सीमा आबादकारों (सेटलरों) के कारण पीछे खिसकती रहती थी। जैसे-जैसे ये आबादकार (सेटलर) पश्चिम की ओर बढ़ते गये मूल निवासी भी पीछे खिसकने के लिए बाध्य किए जाते थे। इस प्रकार यूरोपियों द्वारा जीती गई भूमि तथा खरीदी गई भूमि के कारण संयुक्त राज्य अमरीका का विस्तार होता रहा। इससे अमरीका की पश्चिमी सीमा खिसकती रहती थी और इसके साथ मूल अमरीकियों को भी पीछे हटना पड़ता था। वे राज्य की जिस सीमा तक पहुँच जाते थे उसे 'फ्रंटियर' कहा जाता था।

प्रश्न 4. 
इतिहास की किताबों में आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को शामिल क्यों नहीं किया गया था ?
उत्तर:
इतिहास की किताबों में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को शामिल नहीं करने के पीछे कई कारण हैं। आस्ट्रेलिया में शुरुआती मानव या आदिमानव जन्म से यहाँ नहीं थे। वे आस्ट्रेलिया में 40 हजार वर्ष पहले आने शुरू हुए। वे आस्ट्रेलिया के साथ एक भू-सेतु से जुड़े न्यू गिनी से आये थे। 1770 ई. में आस्ट्रेलिया की खोज कैप्टन कुक ने की। उसकी हत्या हवाई में एक आस्ट्रेलियाई मूल निवासी ने कर दी थी, जिस कारण यूरोपीय लोगों के आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों से सम्बन्ध कटु हो गए। इस हत्या से उत्पन्न कटुता के कारण आस्ट्रेलिया के विषय में जानने या जानकारी देने का यूरोपीय लोगों ने कोई प्रयत्न नहीं किया।

इंग्लैण्ड से निर्वासित होकर आए लोगों ने आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों से उनकी जमीनें हथिया लीं एवं उन्हें बाहर निकाल दिया। इससे उनमें नफ़रत उत्पम्न हो गयी। इन सब कारणों से यूरोपीय इतिहासकारों ने आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के प्रति भेद-भाव की नीति अपनाई। उन्होंने अपनी पुस्तकों में केवल आस्ट्रेलिया में आकर बसे यूरोपीय लोगों की ही उपलब्धियों का वर्णन किया तथा यह दिखाने का प्रयास किया कि वहाँ के मूल निवासियों की न तो कोई परम्परा है और न ही कोई इतिहास। यही कारण है कि इतिहास की किताबों में आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को शामिल नहीं कर उनकी उपेक्षा की गई। संक्षेप में निबन्ध लिखिए

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प्रश्न 5. 
लोगों की संस्कृति को समझाने में संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शित चीजें कितनी कामयाब रहती हैं ? किसी संग्रहालय को देखने के अपने अनुभव के आधार पर सोदाहरण विचार करिए।
उत्तर:
किसी भी देश के लोगों की संस्कृति को समझाने में संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शित चीजें बहुत अधिक कामयाब रहती हैं क्योंकि संग्रहालय में विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ; जैसे-वस्त्र, ग्रन्थ, चित्र, औजार, हथियार, मिट्टी के बर्तन, सिक्के, पत्थर, धातु मूर्तियाँ, मिट्टी की मूर्तियाँ आदि उपलब्ध होती हैं। इनकी सहायता से किसी भी देश अथवा राष्ट्र के लोगों की संस्कृति के बारे में आसानी से जाना जा सकता है। उदाहरण-राजकीय संग्रहालय, भरतपुर राजकीय संग्रहालय भरतपुर में प्रतिमाएँ, शिलालेख, सिक्के, लघु चित्र, हथियार, हस्तकला एवं अन्य प्रकार की सामग्री मिलती है। यहाँ प्रस्तर प्रतिमाओं, मृणमूर्तियों, धातु प्रतिमाओं, ईंटों व शिलालेखों के रूप में सैकड़ों पुरा वस्तुएँ संग्रहीत हैं।

प्रस्तर प्रतिमाएँ द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व से 19वीं शताब्दी ई. तक की उपलब्ध हैं। मूर्तिकला के अध्ययन की दृष्टि से यह संग्रहालय अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ मुख्य रूप से बोधिसत्व, मैत्रेय, यक्ष प्रतिमा, एकमुखी शिवलिंग, चक्रेश्वरी प्रतिमा, कार्तिकेय, शिव-पार्वती प्रतिमा आदि उपलब्ध हैं। शिलालेखों की पंक्तियों का अरबी भाषा में अनुवाद मुगल बादशाहों ने करवाया था। बाबर के समय (सन् 1526 ई.) का शिलालेख महत्वपूर्ण है। जिसमें शहजादा कामरान को बयाना का स्थानीय शासक बनाया गया है। सिक्के-इस संग्रहालय में चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से 20वीं शताब्दी तक की अवधि के सैकड़ों सिक्के संग्रहीत हैं, जो स्वर्ण, रजत, ताम्र मिश्रित धातु आदि से निर्मित हैं। यहाँ कुछ सिक्के अमरीका व नेपाल के भी उपलब्ध हैं। यहाँ आहत सिक्के, गुप्तकालीन सिक्के तथा विभिन्न रियासतों के सिक्के आदि भी उपलब्ध हैं।

गुप्तकालीन स्वर्ण सिक्कों में समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त के सिक्के सम्मिलित हैं। लघु चित्र-इस संग्रहालय में मुगल शैली तथा राजस्थान की विभिन्न शैलियों; यथा- भरतपुर, जयपुर, जोधपुर, कोटा, किशनगढ़, उदयपुर, बूंदी आदि के चित्र उपलब्ध हैं। हस्तलिखित ग्रन्थ-इस संग्रहालय में कई हस्तलिखित ग्रन्थ उपलब्ध हैं। इनमें कवि मोहन द्वारा रचित ग्रन्थ 'सहज सनेही' 1610 ई. का है, जो सचित्र है।

इनके अतिरिक्त महाराजा बलवन्त सिंह के समय का पुत्रोत्सव ग्रन्थ (1851 ई.), सुजान विवरण, रामचरितमानस, उत्तरकांड, भ्रमरगीत आदि भी उल्लेखनीय हैं हथियार-इस संग्रहालय में तलवारें, छुरे, पिस्तौल, बन्दूकें, रिवाल्वर, तीर, तोप, ढालें, सिर के अस्त्र आदि उपलब्ध हैं। कला, उद्योग व विविध सामग्री-इस संग्रहालय में भरतपुर रियासती काल की एवं विदेशों में निर्मित वस्तुएँ; यथा- मिट्टी, चीनी तथा काँच से निर्मित बर्तन, फूलदान तथा चन्दन व हाथी दाँत से निर्मित शृंगार दान, इत्रदान, धातु की घरेलू उपयोग की तथा सजावटी वस्तुएँ; जैसे-थाल, तश्तरियाँ आदि, जानवरों की भूसा भरी खालें, मिट्टी के खिलौने, कपड़े, भरतपुर के शासकों के फोटो चित्र तथा विभिन्न रियासतों के शासकों के फोटोचित्र आदि उपलब्ध हैं। इस प्रकार राजकीय संग्रहालय, भरतपुर लोगों को संस्कृति को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रश्न 6. 
कैलिफोर्निया में चार लोगों के बीच 1880 ई. में हुई किसी मुलाकात की कल्पना करिए। ये चार लोग हैं: एक अफ्रीकी गुलाम, एक चीनी मज़दूर, गोल्ड रश के चक्कर में आया हुआ एक जर्मन और होपी कबीले का एक मूल निवासी। उनकी बातचीत का वर्णन करिए।
उत्तर:
कैलिफोर्निया संयुक्त राज्य अमेरिका का एक राज्य है, जो प्रशान्त महासागर के तट के साथ-साथ स्थित है। 1880 ई. में एक अफ्रीकी गुलाम ओलाउदाह एक्वियानो, कांग यूनेई नाम का एक चीनी मज़दूर, एंड्रिउ कार्नेगी नाम का एक जर्मन व्यापारी और होपी नाम का एक मूल निवासी यात्रा पर जाने के लिए रेल के आने का इन्तजार कर रहे थे। उस समय अफ्रीकी दासों और चीनी मजदूरों को संयुक्त राज्य अमेरीका में स्वतन्त्र जीवन जीने की अनुमति मिल चुकी थी। चारों लोग अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखते थे और आर्थिक रूप से जर्मनी का व्यापारी अधिक धनाढ्य प्रतीत हो रहा था तो बाकी तीनों की भी आर्थिक स्थिति ठीक-ठीक दिख रही थी। ये चारों लोग आपस में वार्तालाप करना शुरू करते हैं। जो इस प्रकार है 

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(1) जर्मन ओलाउदाह एक्वियानो ने होपी से पूछा कि वह क्या करता है और कहाँ रहता है, तो होपी बोला-"मैं कैलिफोर्निया में रहता हूँ और मेरा वहाँ से कुछ दूरी पर स्थित एक फार्म हाउस है। जहाँ हमारी कुछ गाय और भैंसें तथा घोड़े हैं। एक मोटरगाड़ी है तथा मैं खेती करता हूँ, जिससे मुझे काफी मात्रा में धन की प्राप्ति होती है। मेरे बच्चे स्कूल मल निवासियों का विस्थापन (345) जाते हैं जिन्हें मैं उच्च शिक्षित करना चाहता हूँ।" इसके बीच में चीनी मज़दूर कांग यूनेई ने प्रश्न किया। “कुछ वर्ष पहले तक तो आप लोगों की स्थिति बहुत दयनीय होती थी।" उसने उत्तर दिया कि "आप ठीक कह रहे हैं तब हम अशिक्षित थे और आदिम लोगों की तरह घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करते थे।" वह आगे कहता गया कि "भला हो आप जैसे यूरोपियों का जिन्होंने यहाँ आकर हमें शिक्षा, ज्ञान, कृषि के नये-नये तरीके, खनन और व्यापार करना सिखा दिया। सरकार ने भी मूल निवासियों के सुधार एवं विकास हेतु अनेक नये कानून बनाये हैं।"

(2) होपी की बातों को सुनकर कांग यूनेई भी बोल पड़ा कि "मैं कैलिफोर्निया के निकट एक कारखाने में मज़दूर हूँ। हमारी भी स्थिति कुछ वर्ष पहले अच्छी नहीं थी। हमारे पूर्वज चीन में मजदूरी करते थे और यहाँ भी मज़दूरों के रूप में आये थे। सरकार ने मजदूर और दासों के प्रति अच्छे विकास कार्य किए हैं। अब हमें तथा अन्य काले लोगों के बच्चों को भी स्कूल में प्रवेश मिलने लगा है। अब तो उत्तरी अमरीका ही हमारी मातृभूमि बन गई है।"

(3) अब अफ्रीकी गुलाम ओलाउदाह भी चुप न रह सका और बोला कि "कुछ वर्ष पूर्व तक यूरोपियों द्वारा हम लोगों को कृषि फार्मों और कारखानों में काम करने के लिए अफ्रीका से गुलाम के रूप में खरीदकर लाया गया था। लेकिन भला हो अमरीका के राष्ट्रपति अब्राह्म लिंकन का जिन्होंने हमें दासता के जीवन से मुक्ति दिला दी। इस दास प्रथा को समाप्त करने में उन्हें अपने प्राण भी गँवाने पड़े थे। अब दासों को भी स्वतन्त्र जीवन जीने की, पढ़ने-लिखने की अनुमति मिल गई है।" अन्त में एंड्रिउ कार्नेगी, जो जर्मनी से कैलिफोर्निया सोने की खबर सुनकर आया था, बोला "उस सोने की खबर से हजारों लोग यहाँ आ गये थे। हमें सोने के भण्डार भी मिले। मैंने खानों से सोने का व्यापार करना शुरू कर दिया था और शीघ्र ही काफी धनवान भी बन गया और तब से यहीं का होकर रह गया।" इसी समय रेल आ गई और चारों लोग, जो अब अच्छे दोस्त बन गये थे, रेल में चढ़ गये। जर्मनी के एंड्रिउ कार्नेगी की शेष तीनों लोग मन ही मन प्रशंसा कर रहे थे। अब यूरोपियों में पहले जैसा घमण्ड और अहंकार नहीं है। यह कितना विनम्र और मिलनसार है।

Prasanna
Last Updated on July 27, 2022, 6:14 p.m.
Published July 27, 2022