Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 English Woven Words Poem 5 The World is Too Much With Us Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 11 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 11 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with Tenses Class 11 to ensure that students have basic grammatical knowledge.
Understanding the Poem :
Question 1.
Why does the poet prefer to be a primitive Pagan rather than a member of civilized society?
कवि एक सभ्य समाज के सदस्य होने की अपेक्षा आरम्भिक समय का विधर्मी बनना क्यों अधिक पसन्द करता है?
Answer:
It was the age of the First Industrialisation Movement. Men were becoming more and more busy with new developments. They were getting away from the contact of nature. Wordsworth is deeply disturbed at the rising materialism among the people. Now they are busy in getting and spending. He mourns that humanity has wonderful powers. But we are letting such powers go waste. Mankind has given her heart away to this destructive blessing. Thus Wordsworth decides to become a Pagan.
These Pagans were the people living in the primitive age. They believed in many gods and goddesses. They lived in the close contact of nature and worshipped natural powers in the form of gods. The poet finds that to be close to nature, he should be one of them. He wishes to enjoy standing on the grasslands and have the glimpses of the country side. Thus he will feel a little less lonely. He wishes to go back in the times of Pagans where he would have the chances to see Proteus rising from the sea and Triton blowing his horn. Wordsworth wishes to be in absolute harmony with the nature.
यह प्रथम औद्योगीकरण आन्दोलन का समय था। लोग नये-नये विकासों के साथ अधिक से अधिक व्यस्त होते जा रहे थे। वे प्रकृति के सम्पर्क से दूर होते जा रहे थे। वर्ड्सवर्थ लोगों के बीच में बढ़ती हुई भौतिकवादिता पर बहुत ही व्यथित है। अब लोग पाने और खर्च करने में व्यस्त हैं। वह इस बात का शोक व्यक्त करता है कि मानवता के पास अद्भुत शक्तियाँ हैं, लेकिन हम उन शक्तियों को बर्बाद होने दे रहे हैं। मानव प्रजाति ने अपना हृदय इस विनाशकारी वरदान को दे डाला है। इस प्रकार से वर्ड्सवर्थ एक विधर्मी बन जाने का निश्चय करता है। ये विधर्मी आदिकालीन युग में रहने वाले लोग थे। वे बहुत से देवी-देवताओं में विश्वास करते थे। वे प्रकृति के घनिष्ठ सम्पर्क में रहते थे और देवताओं के रूप में प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करते थे।
कवि यह पाता है कि प्रकृति के साथ घनिष्ठता के लिये, उसे उन्हीं में से एक हो जाना चाहिये। वह घास के मैदानों पर खड़े होने का आनन्द लेना चाहता है और ग्राम्य क्षेत्रों की झलकियों को लेना चाहता है। इस प्रकार से उसे कम अकेलापन महसूस होगा। वह वापस विधर्मी लोगों के जमाने में चले जाना चाहता है जहाँ उसे समुद्र से निकलते हुए बहुरूपधारी प्राणी को देखने का अवसर प्राप्त हो और अपना शंख बजाते हुए ट्राइटन' को देखने का अवसर मिले । वर्ड्सवर्थ प्रकृति के साथ पूर्ण तादात्म्य की इच्छा रखता है।
Question 2.
What, according to the poet, are human beings out of tune?
कवि के अनुसार मानव प्राणी कौनसी तारतम्यता से अलग है?
Answer:
Wordsworth has always been close to nature. In this poem, the poet criticizes the humanity that is distanced from the nature. The materialistic tendency of getting and spending is found everywhere. It is all due to industrialisation and Wordsworth calls it a sordid boon. He is unhappy because mankind has given his heart away to this destructive blessing.
We consider the Industrial Revolution a boon. But the poet deeply condemns it. We do not see the nature that is ours. Wordsworth appreciates nature's beauty. He says how the sea bores her bosom to the moon. The beauty of white light reflected on the water is magnificent. Then the poet says how the wild winds blow hovering. However, he deplores the loss of nature. He suffers due to the mechanical advancement of the society. He says how the humanity is out of tune with nature. He wishes to become a Pagan so that he night enjoy the glimpses of the beauty of nature.
वर्ड्सवर्थ हमेशा प्रकृति के सन्निकट रहा है। इस कविता में कवि उस मानव प्रजाति की आलोचना करता है जो प्रकृति से दूर हो गई है। पाने और खर्च करने की भौतिकवादी प्रवृत्ति हर जगह दिखाई दे रही है। यह सब कुछ औद्योगीकरण के कारण हुआ है और वर्ड्सवर्थ इसे एक बुरा वरदान कहता है। वह इसलिये दु:खी है क्योंकि मानव जाति ने इस विनाशकारी वरदान के लिए अपने हृदय का बलिदान कर दिया है। हम औद्योगिक क्रान्ति को एक वरदान मानते हैं। परन्तु कवि गहराई से इसकी भर्त्सना करता है। हम उस प्रकृति को
नहीं देखते हैं जो हमारी है। वर्ड्सवर्थ प्रकृति की सुन्दरता की प्रशंसा करता है। वह कहता है कि किस प्रकार से समुद्र चन्द्रमा के लिये अपनी छाती को खोल कर रख देता है। पानी पर प्रतिबिम्बित होती हुई सफेद रोशनी की सुन्दरता आलीशान हो जाती है। इसके बाद कवि कहता है कि किस प्रकार से जंगली हवाएँ शोर करती हुई मण्डराती हैं। फिर भी वह प्रकृति की हानि पर विलाप करता है। वह समाज की यान्त्रिक प्रगति के कारण दु:खी है। वह कहता है कि किस प्रकार से मानवता प्रकृति के तारतम्य से अलग हो चुकी है। वह एक विधर्मी बन जाने की इच्छा करता है जिससे कि वह प्रकृति की सुन्दरता की झलकियों का आनन्द ले सकता है।
Question 1.
Write down the summary of the poem 'The World is too Much With Us'.
कविता 'The World is too Much with Us' का सारांश लिखिये।
Answer:
We are so much preoccupied with our worldly affairs - including making money and spending it - that it weakens our ability to perceive what really matters. We have given our souls away in order to reap a material blessing (a sordid boon). In our quest for material gain, we do not notice the beauty of the sea or the fury of the winds. Nothing in nature moves us. The poet wishes to be a Pagan brought up in an outdated religion.
हम सांसारिक मामलों में जिनमें धन कमाना और खर्च करना शामिल है इतने अधिक अधिगृहीत हो चुके हैं कि वास्तविक रूप से जो कुछ महत्त्वपूर्ण है उसे देखने की हमारी क्षमता कमजोर हो चुकी है। हमने भौतिक सुख (एक बुरा वरदान) प्राप्त करने के लिए अपनी आत्मा का बलिदान कर दिया है । भौतिक लाभ के लिए अपनी खोज में हम समुद्र की सुन्दरता और हवाओं की भयंकरता पर ध्यान नहीं देते हैं। प्रकृति का कुछ भी हमें प्रभावित नहीं करता है। कवि एक प्राचीन समय की आस्था वाले लोगों के बीच में पाला-पोषा हुआ एक प्रकृति-पूजक बन जाने की इच्छा करता है।
Question 2.
In what way has Wordsworth's love of Nature been brought out in the sonnet "The World is too Much With Us'?
प्रस्तुत सोनेट 'The World is too Much With Us' में वर्ड्सवर्थ का प्रकृति के प्रति प्रेम किस प्रकार व्यक्त हुआ है?
Answer:
Wordsworth's love of Nature is clearly brought out in this sonnet when he deplores the tendency of his contemporaries to pursue materialistic gains at the cost of what Nature offers. The people of his times are terribly busy in earning wealth and spending it on wasteful pleasures and needless luxuries. They have lost the capacity to appreciate the beauty of Nature and, thus, have deprived themselves of the blessings of Nature. The poet longs to go back to the times of Pagans, who worshipped Nature.
वर्ड्सवर्थ का प्रकृति के प्रति प्रेम स्पष्ट रूप से तब प्रकट हो जाता है जब वह इस सोनेट में इस बात पर अफसोस प्रकट करता है कि उसके समकालीन लोग भौतिक उपलब्धियों का पीछा प्रकृति के द्वारा प्रस्तुत वरदानों की कीमत पर कर रहे हैं। उसके समय के लोग दौलत कमाने तथा उसे व्यर्थ के आनन्दों एवं गैरजरूरी विलासिताओं पर खर्च करने में अत्यधिक व्यस्त हैं। उन्होंने प्रकृति के सौन्दर्य को पसन्द करने की क्षमता ही खो दी है और इस प्रकार उन्होंने स्वयं को प्रकृति के वरदानों से वंचित कर लिया है। कवि पैगन (प्रकृति की पूजा करने वाले) लोगों के समय में वापस लौटने की कामना करता है।
Question 3.
Why does Wordsworth wish to be a Pagan?
वर्ड्सवर्थ एक पैगन क्यों बनना चाहता है?
Answer:
Wordsworth regrets the fact that the people of his times are lost in worldly affairs and in earning money and spending it on wasteful pleasures and luxuries, so much so, that Nature has lost all meaning to them. This tendency of theirs has led to their spiritual and moral deterioration. As such, the poet is attracted to Paganism, an out-dated religion, which prescribed worship of Natural objects and appreciation of the beautiful aspects of Nature. The poet fancies to go back to such times in order to be close to Nature.
वर्ड्सवर्थ इस तथ्य पर दुःख व्यक्त करता है कि उसके समय के लोग सांसारिक क्रिया-कलापों में तथा धन अर्जित करने तथा इसे व्यर्थ के आनन्दों तथा विलासिता की वस्तुओं पर खर्च करने में खो गए हैं। यह प्रवृत्ति इतनी अधिक है कि प्रकृति ने उनके लिए अर्थ ही खो दिया है। उनकी इस प्रवृत्ति ने उनके आध्यात्मिक एवं नैतिक पतन का रास्ता ही खोल दिया है। इस कारण कवि पैगन लोगों के धर्म की ओर आकर्षित हुआ है। पैगनिज्म अब लुप्त हो गया है। इस धर्म में प्रकृति की वस्तुओं की पूजा करना तथा प्रकृति के सुन्दर रूपों का गुणगान करना शामिल होता था। कवि उस समय में लौटने की कल्पना करता है ताकि वह प्रकृति के निकट रह सके।
Seen Passages
Read the following stanzas carefully and follow the questions set thereon keeping the answers in mind :
Stanza-1.
The World is too much with us; late and soon,
Getting and spending, we lay waste our powers :
Little we see in Nature that is ours;
We have given our hearts away, a sordid boon!
Questions :
1. What does the world' stand for?
'the world' किस बात का परिचायक है?
2. What are we doing at all hours?
हम पूरे समय क्या करते रहते हैं?
3. What do we see little' according to the poet?
कवि के अनुसार क्या हम कम देखते हैं?
4. Which 'sordid boon' is the poet talking about?
कवि किस गंदे एवं दूषित लाभ की बात कर रहा है?
Answers :
1. The poet has used the world' for materialistic achievements and inclinations.
कवि ने 'the world' का प्रयोग भौतिक उपलब्धियों तथा भौतिकतावादी रुचियों के लिए किया है।
2. We are busy all the time in earning wealth and wasting it on fruitless pleasures and luxuries of life.
हम पूरे समय सम्पत्ति को अर्जित करने तथा इसे व्यर्थ के आनन्दों एवं विलासिता की वस्तुओं पर खर्च करने में व्यस्त रहते हैं।
3. We see little that what is beautiful in Nature. And hence, we are deprived of the spiritual uplift which Nature can provide.
हम प्रकृति के सौन्दर्य को कम देखते हैं। और इस कारण उस आध्यात्मिक उन्नयन से वंचित रहते हैं जो प्रकृति हमें प्रदान कर सकती है।
4. The poet is talking about the materialistic pursuits which have taken us away from the spiritual and moral blessings of Nature.
कवि उन भौतिक लक्ष्यों की बात कर रहा है जिनके अनुसरण ने हमें प्रकृति के आध्यात्मिक एवं नैतिक वरदानों से दूर कर दिया है।
Stanza-2.
The Sea that bares her bosom to the moon;
The Winds that will be howling at all hours,
And are up-gathered now like sleeping flowers,
For this, for everything, we are out of tune;
Questions :
1. What are we out of tune with?
हम किससे अलग हैं अथवा हमारा सामंजस्य किससे नहीं है?
2. Which beauties of Nature do we fail to appreciate?
प्रकृति की किन सुन्दरताओं का आनन्द हम नहीं ले पाते?
3. To whom does the poet compare the howling winds falling silent?
शोर मचाती हुई हवाओं के शांत हो जाने की तुलना कवि किस चीज से करता है?
4. What idea about the poet do you form after reading these lines?
इन पंक्तियों को पढ़ने के बाद कवि के बारे में आप क्या धारणा बनाते हैं?
Answers :
1. We are out of tune with the beautiful sights and sounds of Nature.
हम प्रकृति के सुन्दर दृश्यों एवं ध्वनियों से सामंजस्य नहीं रखते।
2. We fail to appreciate such scenes of Nature as the sea-water reflecting the moon light and the noisy winds becoming calm and quiet.
हम प्रकृति के ऐसे दृश्यों का आनन्द नहीं ले पाते जैसे, समुद्र के जल का चाँदनी में चमचमाना तथा शोर मचाती हवाओं का शान्त हो जाना।
3. The poet compares the silent winds with flowers that appear to be sleeping quietly having closed up their petals for the night.
कवि शान्त हवाओं की तुलना उन फूलों से करता है जो उनकी पंखुड़ियों को रात-भर के लिए बन्द कर सो रहे प्रतीत होते हैं।
4. The poet appears to be a great lover of Nature and its beautiful phenomena.
कवि प्रकृति तथा इसके सुन्दर दृश्यों का बहुत बड़ा प्रेमी प्रतीत होता है।
Stanza-3
It moves us not. Great God! I'd rather be -
A Pagan suckled in a creed outworn;
So might I, standing on this pleasant lea,
Have glimpses that would make me less forlorn;
Have sight of Proteus rising from the sea;
Or hear old Triton blow his wreathed horn.
Questions :
1. What is it that “moves us not”?
यह क्या है जो हमें प्रभावित नहीं करती?
2. What does the poet long for?
कवि किस बात की लालसा रखता है?
3. What would the poet have gained if he had been a Pagan?
कवि को पैगन होने से क्या लाभ मिला होता?
4. Which sights would the poet have had if he had been a Pagan?
कवि ने कौनसे दृश्य देखे होते अगर वह एक पैगन होता?
Answers :
1. We are so grossly lost in material pursuits that the beautiful sights and sounds of Nature do not attract or impress us any more.
हम भौतिक उपलब्धियों के अनुसरण में इतने खो चुके हैं कि प्रकृति के सुन्दर दृश्य एवं ध्वनियाँ हमें प्रभावित नहीं कर पातीं।
2. The poet longs to go back to the time when, now out-dated, Paganism was prevalent.
कवि उस काल-खण्ड में वापस लौटना चाहता है जब, अब लुप्त हो चुका, पैगन धर्म प्रचलित था।
3. If he had been nurtured as a Pagan, a worshipper of the objects of Nature, he would not have felt so lonely, being in the company of Nature.
अगर वह एक प्रकृति-पूजक पैगन के रूप में पाला-पोषा गया होता तो उसने इतना अकेला महसूस नहीं किया होता, क्योंकि तब वह प्रकृति की संगति में होता।
4. The poet would have had the sights of Greek gods and goddesses, such as, Proteus, a character in Greek mythology and Triton, a sea-deity.
कवि ने यूनानी देवी-देवताओं को देखा होता, जैसे यूनानी कथाओं में उपस्थित पात्र, प्रोटिअस तथा ट्राइटन, जो एक समुद्री देवता था।
About the Poet
William Wordsworth (1770-1850) spent most of his life in the Lake district or northern England, and the many hours that he spent wandering about the hills and woods led to the production of some of the finest poetry on nature. His work Lyrical Ballads, co-authored with Coleridge in 1798, is regarded as the beginning of the English Romantic Movement. He selected subjects from nature and rustic life. He held the view that the language of poetry should be simple and natural.
कवि के बारे में
विलियम वर्ड्सवर्थ (1770-1850) ने अपना अधिकांश जीवन उत्तरी इंग्लैण्ड के लेक क्षेत्र में व्यतीत किया था और जो समय उन्होंने पहाड़ियों और जंगलों में इधर-उधर घूमने में बिताये थे, समय के वे पल उन्हें प्रकृति की कुछ सुन्दरतम कविताओं की उत्पत्ति की ओर ले गये। सन् 1798 में कॉलरिज के साथ मिलकर की गई उनकी रचना 'लिरिकल बैलड्स' को अंग्रेजी की कल्पित कथा आन्दोलन के प्रारम्भ के रूप में माना जाता है। वह विषय-वस्तु का चुनाव प्रकृति और ग्राम्य जीवन से करते थे। उनका यह सोचना था कि कविता की भाषा सरल और स्वाभाविक होनी चाहिए।
About the Poem
The World is too Much With Us' a sonnet by William Wordsworth who is known to be a Romantic Poet in English literature. He is a great worshipper of nature. It was a period of the First Industrial Revolution in which the world was being absorbed in materialism and thus an increasing distance was being created between the man and the nature. The poet says that people have forsaken their souls for material gains. In fact the whole text of the poem denounces materialism which the poet has seen around him.
He claims that materialistic approach to mankind has transformed human beings in senseless individuals. The lust for power and money has made people hollow as they have readily given their hearts to the things they need for material comforts. They fail to perceive beauty in nature. He swears that he would rather be a Pagan than a rich man alienated from the bliss of nature. He wants to see and hear the Greek gods and feel less forlorn.
कविता के बारे में
'The World is too Much With Us' वर्ड्सवर्थ के द्वारा लिखी हुई एक सौनेट (14 लाइन की कविता) है जिन्हें अंग्रेजी साहित्य में रोमांटिक कवि माना जाता है। वह प्रकृति के एक बड़े पुजारी हैं । यह प्रथम औद्योगिक क्रान्ति का समय था जिसमें संसार भौतिकवादिता में डूबता जा रहा था और इस प्रकार से मनुष्य तथा प्रकृति के बीच में एक बढ़ती हुई दूरी बनती जा रही थी। कवि कहता है कि भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए लोगों ने अपनी-अपनी आत्माओं का भी त्याग कर दिया है।
वास्तविक रूप से कविता की सम्पूर्ण विषय-वस्तु उस भौतिकवादिता की तीव्र निन्दा करती है जिसे कवि ने अपने चारों ओर देखा है। वह दावे के साथ कहता है कि मानव प्रजाति तक पहुँची हुई इस भौतिकवादी सोच ने लोगों को भावनाहीन एकात्मता में परिवर्तित कर दिया है। शक्ति और सम्पत्ति के लिये उत्पन्न हुई लालसा ने लोगों को खोखला कर दिया है क्योंकि लोगों ने स्वेच्छापूर्वक अपनी हार्दिक भावनाओं को उन वस्तुओं के लिये दे डाला है जो वस्तुएँ उनके भौतिक सुख के लिए आवश्यक हुईं। वे प्रकृति में सौन्दर्य देखने में असफल रहे । वह शपथ लेते हुए कहता है कि प्रकृति के आनन्द से विमुख एक धनी व्यक्ति होने की अपेक्षा वह एक विधर्मी बनना अधिक पसन्द करेगा। वह यूनानी देवताओं को सुनना और देखना चाहता है और अपने को कम उपेक्षित अनुभव करना चाहता है।
Stanza-1.
The World is too much with us; late and soon,
Getting and spending, we lay waste our powers :
Little we see in Nature that is ours;
We have given our hearts away, a sordid boon! (Page 117)
कठिन शब्दार्थ-The World (द वल्ड्) = worldly things (सांसारिक वस्तुएँ) । too much (टू मच्) = more than the proper limit (एक उचित सीमा से भी अधिक)। late and soon (लेट एण्ड सून्) = at any time (किसी भी समय)। lay waste (ले वेस्ट) = get used up for no profit (व्यर्थ में बर्बाद होने देना)। powers (पाउअ(र)स) = capabilities (शक्तियाँ, सामर्थ्य)। little (लिट्ल) = not at all (बिल्कुल भी नहीं)। hearts (हाट्स) = heart-touching feelings I sordid (सॉडिड्) = unpleasant (गंदा)।
हिन्दी अर्थ-सांसारिक वस्तुएँ (भौतिकताएँ) हमारे साथ एक उचित सीमा से भी अधिक जुड़ गई हैं। हमारा समय (भौतिक) उपलब्धि और (उसे प्राप्त करने में समय और शक्ति को) खर्च में व्यतीत हो रहा है। इस प्रकार से हम (इस भौतिकवादिता में) अपनी (शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक) शक्तियों को व्यर्थ में बर्बाद होने दे रहे हैं। हम प्रकृति में तो (आनन्द के लिये) बिल्कुल भी नहीं देख रहे हैं। (इस भौतिकवादितो की उपलब्धियाँ हमारे लिये) एक बहुत ही बुरा वरदान है।
Stanza–2.
The Sea that bares her bosom to the moon;
The Winds that will be howling at all hours,
And are up-gathered now like sleeping flowers,
For this, for everything, we are out of tune; (Page 117)
कठिन शब्दार्थ-bears (बेअ(र)स) = shows openly (खुले रूप से दिखाना) | howling (हाउलिङ्) = making a loud sound (जोर की हवा बहने की आवाज होना)। up-gathered (अप्- गैद(र)ड) = altogether ready or inclined (सब एक-साथ तैयार)। for this (फॉ(र) दिस्) = for the bliss of nature (प्रकृति के आनन्द के लिये)। out of tune (आउट ऑव् ट्यून्) = isolated from the main stream of life i.e. living with nature (विचारों, रुचियों, भावनाओं की दृष्टि से अलग हो जाना)।
हिन्दी अर्थ-समुद्र है (प्रकृति का एक अंग) जो चन्द्रमा के लिये अपनी छाती को खोलकर रख देता है अर्थात् स्वच्छ चाँदनी में सागर तल लहराता है। बहती हुई हवाएँ हैं (प्रकृति का एक और अंग) जो पूरे समय हू-हू की आवाज करते हुए बहती रहेंगी और हम सब हैं कि सोये हुए फूलों की तरह हो गये हैं। (क्योंकि) इस (प्रकृति) के लिये और हर वस्तु के लिये हम विचारों, रुचियों और भावनाओं की दृष्टि से (प्रकृति से) अलग हो गये हैं।
Stanza-3
It moves us not.
Great God! I'd rather be
A Pagan suckled in a creed outworn;
So might I, standing on this pleasant lea,
Have glimpses that would make me less forlorn;
Have sight of Proteus rising from the sea;
Or hear old Triton blow his wreathed horn. - (Page 117)
कठिन शब्दार्थ-It (इट्) = these incidents of nature (प्रकृति की ये घटनाएँ)। moves us not (मूव्स अस् नॉट) = we are not impressed at all and take no interest in (हम प्रभावित नहीं होते हैं)। pagan (पेगन्) = people of ancient times who believed in many Gods and worshipped idols i.e. non-Christian or non-Muslim (विधर्मी)। suckled (सक्ल्ड ) = bred (पालन-पोषण किया हुआ)। creed (क्रीड्) = a religious belief (कोई धार्मिक आस्था)। Outworn (आउट्वॉन्) = lasted for a much longer time; hence old (बहुत पुराना)। lea (ली) = grassland (घास का मैदान)। glimpse (ग्लिम्प्स ) = a sudden flash (झलक)। forlorn (फलॉन्) = lonely (अकेला)। Proteus (प्रोटिअस) = a sea-god in Greek mythology who made prophesies and disappeared (एक समुद्री देवता जो भविष्यवाणियाँ करता था और ओझल हो जाता था)। Triton (ट्राइट्न्) = a sea god who appears blowing a shell and his body above the waist is that of a man, below it of a dolphin (एक समुद्री देवता जो शंख बजाता है, उसका ऊपर का आधा शरीर मनुष्य का है और नीचे का आधा शरीर डॉलफिन मछली का है)। wreathed (रीथ्ड) = decorated with flowers (फूलों से सजा हुआ)।
हिन्दी अर्थ-यह प्रकृति (भौतिकता में डूबे हुए होने के कारण) हमें प्रभावित नहीं करती है। हे परमेश्वर! मैं तो चाहता हूँ कि मैं एक पैगन हो जाऊँ और अति प्राचीन धार्मिक आस्था वाले लोगों के यहाँ पाला-पोषा जाऊँ जिससे कि मैं (भी) इस सुहावने घास के मैदान पर खड़े होकर प्रकृति की झलकियों को देख सकूँ और मुझे कम सूनापन महसूस हो। मैं उस समुद्री देवता प्रोटियस जो समुद्र से बाहर अपना सिर निकाल रहा हो उसे देखें और फिर मैं समुद्र के उस बूढ़े ट्राइटन देवता को सुनूँ जो फूलों से सजे हुए शंख को बजा रहा हो।