प्रश्न 1.
हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?
उत्तर:
हमारी आजादी की लड़ाई में प्रत्येक धर्म और हिन्दू समाज के प्रत्येक वर्ग ने बढ़-चढ़ कर अपना योगदान दिया। इसमें शिक्षित एवं उच्च वर्ग का योगदान रहा है, परन्तु समाज के उपेक्षित एवं पिछड़े वर्ग का योगदान भी प्रस्तुत कहानी उपेक्षित वर्ग के प्रतिनिधि पात्र गौनहारिन दलारी के और ट्रन्न जैसे पात्र के बलिदान को भी प्रेमकथा के रूप में रेखांकित करती है। टुन्नू से प्रेरित होकर दुलारी रेशमी वस्त्रों का बंडल विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए दे देती है और खादी की साड़ी धारण कर लेती है। दुलारी का यह कदम क्रान्ति का सूचक है वहीं टुन्नू खद्दर.का कुरता और गाँधी टोपी धारण कर अंग्रेज पुलिस की यातनाओं को झेलते हुए देश-हित में अपना बलिदान कर देता है।
प्रश्न 2.
कठोर हृदया समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
उत्तर:
दुलारी अपने पेशे के आधार पर कठोर हृदया थी। वह मुँहफट और अक्खड़ स्वभाव की थी। लेकिन वह टुन्नू की मृत्यु पर विचलित हो उठी थी, क्योंकि उसके मन में उसके लिए एक अलग ही स्थान बन गया था। वह समझ गयी थी कि टुन्नू उसके शरीर से नहीं बल्कि उसकी गायन-कला से प्रेम करता था। इसलिए वह मन-ही-मन उससे प्रेम करने लग गयी थी। फेंकू द्वारा टुन्नू की मृत्यु का समाचार पाकर उसका हृदय दर्द से फट पड़ा और आँखों से आँसुओं की धारा बह निकली।
प्रश्न 3.
कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परम्परागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन आम जनता के मनोरंजन के लिए हुआ करता होगा। इसे भादों की तीज पर गाया जाता है। कजली दंगल को लोग अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर अपमे-अपने दल में गायक गायिका को जोड़ कर इसका आयोजन करते थे। इस आयोजन में नए-नए गायकों की प्रतिभा को भी उजागर होने का मौका मिलता था। कजली दंगल जैसे कुछ परंपरागत लोक-आयोजन हैं-जैसे-त्रिंजन (पंजाब), आल्हा उत्सव (राजस्थान), रागनी-प्रतियोगिता (हरियाणा), फूल वालों की सैर (दिल्ली), उत्तर भारत में पहलवानी या कुश्ती का आयोजन, दक्षिण में बेलों के दंगल व हाथी-युद्ध का आयोजन आदि।
प्रश्न 4.
दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ
दुलारी एक गौनहारिन है। इसलिए सामाजिक दृष्टि से वह उपेक्षित एवं तिरस्कृत है। लेकिन वह अपनी चारित्रिक विशेषताओं के कारण अतिविशिष्ट है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं -
1. कुशल गायिका-दुलारी एक कुशल गायिका है। उसका स्वर मधुर और बेजोड़ है, इसलिए कजली दंगल में वह जिस ओर खड़ी हो जाती है, उस पक्ष की निश्चित ही जीत होती है।
2. स्वाभिमानिनी-दुलारी स्वाभिमानिनी है। वह अपने स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए. रोज कसरत करती है। पुलिस का मुखबिर फेंकू सरदार जब उससे बदतमीजी करने की कोशिश करता है तब वह इस बात. की बिना परवाह किए उसकी झाडू से खबर लेती है।।
3. देश-प्रेमी-दुलारी के मन में देश-प्रेम की अपार भावना समायी हुई है। इसलिए वह देशप्रेमियों के जुलूस की . चादर पर अपने विदेशी वस्त्र फेंक देती है। ये विदेशी वस्त्र होली जलाने के लिए ले जा रहे थे।
4. भावुक हृदय-ऊपर से कठोर दिखने वाली दुलारी टुन्नू के प्रति अव्यक्त प्रेम रखती है। वह यह भली प्रकार जान चुकी है कि टुन्नू उसके शरीर को नहीं, गायन-कला को प्रेम करता है। वह टुन्नू को डाँटती-फटकारती भी है, परन्तु उसकी हत्या पर व्यथित भी होती है। उसका यह रूप उसे विशिष्ट बना देता है।
5. निडर स्त्री-दुलारी एक निडर स्त्री थी। दुलारी अकेली रहती थी। अतः अपनी रक्षा हेतु उसने स्वयं को निडर बनाया हुआ था।
प्रश्न 5.
दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?
उत्तर:
दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कजली दंगल में तीज के अवसर पर हुआ था। दुक्कड़ पर गानेवालियों में दुलारी का खासा नाम था। उसे पद्य में ही सवाल-जवाब करने की महारत हासिल थी। दुलारी खोजवाँ वालों की ओर से प्रतियोगी थी और टुन्नू बजरडीहा की ओर से प्रतिद्वन्द्वी था। उस दंगल में दोनों का प्रतियोगी की दृष्टि से आमना-सामना हुआ था। एक सोलह-सत्रह वर्ष के लड़के ने दुलारी को भी अपने आगे नतमस्तक कर दिया था और यहीं पर एक-दूसरे का पहली बार परिचय हुआ था।
प्रश्न 6.
दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था-"तैं सरबउला बोल, जिन्नगी में कब देखले लोट?....!" दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
टुन्नू के गायन का जवाब देते हुए दुलारी ने कहा था कि "रौं सरबउला बोल, जिन्नगी में कब देखले लोट" इसका भाव यह था कि तुझ जैसे सिरफिरे ने जिन्दगी में नोट कब देखे? यहाँ 'लोट' के दो अर्थ ये हैं कि न तो सोलह-सत्रह वर्ष की अवस्था में टुन्नू ने परमेश्वरी लोट (प्रॉमिसरी नोट) ही देखे हैं और न ही नोट अर्थात् धन, रुपया ही देखा हैं, क्योंकि टुन्नू के पिता गरीब पुरोहित थे, जो कोड़ी-कोड़ी जोड़कर अपनी गृहस्थी जैसे-तैसे चल दुलारी के इस आक्षेपपूर्ण कथन में यह सन्देश छिपा है कि युवा वर्ग को अपने सपनों की मनमोहक दुनिया को छोड़कर कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए, क्योंकि जिन्दगी में न जाने कब किस कठोर स्थिति का सामना करना पड़ जाए।
प्रश्न 7.
भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में दुलारी और टूनू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
अथवा
भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में दुलारी और टुन्नू के त्याग को बताएँ।
उत्तर:
दुलारी और टुन्नू एक-दूसरे को मन-ही-मन चाहते थे। उन दोनों ने भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में अपनी-अपनी तरह से त्याग किया। टुन्नू द्वारा विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले आन्दोलन कार्यक्रम में दुलारी ने विदेशी मिलों में बनी मखमली किनारे वाली नई साड़ियों का बंडल खिड़की खोलकर नीचे फैली चादर पर फेंक कर अपनी देश-भक्ति का परिचय दिया। टन्न द्वारा इस आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने प पिटाई के कारण बलिदान देना पड़ा। टुन्नू के बलिदान का सम्मान करने की दृष्टि से दुलारी ने खादी की साड़ी पहनकर अमन सभा में आँसू बहाते हुए गाया-'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' इस प्रकार उन दोनों का स्वाधीनता आन्दोलन में विशिष्ट योगदान रहा।
प्रश्न 8.
दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश-प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
उत्तर:
दुलारी और टुन्नू दोनों की अवस्थाओं में एक बहुत बड़ा अन्तराल था। इसलिए उनके प्रेम के पीछे कामेच्छा क उनका कलाकार मन और उनकी कला थी। उनका प्रेम आत्मा का था। टुन्नू केवल दुलारी की कला का दीवाना था, इसीलिए वह दुलारी के पास घंटे-आध घंटे आकर बैठता था और दुलारी भी उसकी वेशभूषा पर आधारित भावनाओं और कला को पहचान कर उसका सम्मान करने लगी थी।
जब दुलारी ने टुन्नू को स्वाधीनता आन्दोलन में भाग लेते हुए और विदेशी कपड़ों को जलाने के कार्यक्रम में अग्रणी देखा तो उसके मन में भी देश-भक्ति का जज्बा फूट पड़ा और उसने विदेशी मिलों में बनी साड़ियों का बंडल होली जलाने के लिए अपनी खिड़की से फेंक कर अपने मन में समाये देश-प्रेम को प्रकट कर दिया। इसके साथ ही वह खादी की साड़ी पहन कर उस स्थान पर गयी जहाँ उसका देश-प्रेमी टुन्नू बलिदान हो गया था। उसने वहाँ पर सांकेतिक रूप में टुन्नू को श्रद्धांजलि देते हुए अश्रुपूर्ण गायन किया। यहीं से उसने देश-प्रेम का मार्ग चुना।
प्रश्न 9.
जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे, परन्तु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना किस मानसिकता को दर्शाता है?
उत्तर:
स्वयंसेवकों द्वारा फैलाई चादर पर दुलारी द्वारा फेंकी गयी कोरी साड़ियाँ उसकी इस मानसिकता को दर्शाता है कि वह एक सच्ची हिन्दुस्तानी है, जिसके हृदय में देश के प्रति प्रेम व आदरभाव है। देश के आगे उसके लिए साड़ियों का कोई मूल्य नहीं है। वस्त्र तो घर-घर से फेंके गए थे पर वे सारे वस्त्र या तो पुराने थे या तो घिसे हुए या फटे हुए थे। परन्तु उसके वस्त्र बिल्कुल नए थे। उसके हृदय में उन रेशमी साड़ियों का मोह नहीं था। मोह था' मोह था तो अपने देश के सम्मान का। वह उसके सच्चे देश-प्रेम की मानसिकता को दर्शाता है।
प्रश्न 10.
"मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।" टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर-जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परन्तु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?
उत्तर:
टुन्नू का यह कथन अपने आप में सत्य है। लेकिन टुन्नू का प्यार आत्मिक था। वह दुलारी के शरीर से नहीं बल्कि उसकी कला से प्रेम करता था। इसलिए उसके विवेक ने उसके प्रेम को श्रद्धा का स्थान दे दिया जिसने उसे देश-प्रेम की ओर मोड़ दिया। उस प्रेम में केवल वही नहीं रंगा बल्कि उसने दुलारी को भी रंग दिया और उसी प्रेम में उसे दीवाना बना दिया। इसीलिए उसके बलिदान स्थल पर सम्मान-श्रद्धाञ्जलि रूप में दुलारी की आँखों से आँसू निकल पड़े थे।
प्रश्न 11.
"एही छैयाँ झलनी हेरानी हो रामा!" का प्रतीकार्थ समझाइए।
उत्तर:
"एही छैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!"-लोकभाषा में रचित इस गीत के मुखड़े का शाब्दिक अर्थ है-इसी स्थान पर मेरी नाक की नथनी खो गई है। इसका प्रतीकार्थ अपने आप में गहन है। नाक में पहने जाने वाली नथ सुहाग की प्रतीक मानी जाती है। दुलारी गौरहारिन है, इसलिए वह किसके नाम की नथ अपनी नाक में पहने। उसने अपने मन रूपी नाक में टुन्न के नाम की नथ पहन रखी थी। इसीलिए वह उसी स्थान पर गा रही थी, जहाँ उसके प्रेमी टुन्न की हत्या हुई थी-एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! भाव यह है कि यह वही स्थान है जहाँ मेरी नथ (सुहाग) लुट गया है और मेरा प्रेमी सदा के लिए बिछुड़ गया है। अब मैं किससे उसके बारे में पूछू कि मेरा प्रियतम मुझे कहाँ मिलेगा? उसे पाना अब उसके बस में नहीं है।
बहुविकल्पात्मके प्रश्न
प्रश्न 1.
'एही छैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ के रचनाकार कौन हैं?
(क) शिवपूजन सहाय
(ख) कमलेश्वर
(ग) शिवप्रसाद मिश्र 'रुद्र'
(घ) अज्ञेय
उत्तर:
(ग) शिवप्रसाद मिश्र 'रुद्र'
प्रश्न 2.
शिवप्रसाद मिश्र 'रुद्र' का जन्म कहाँ हुआ?
(क) काशी
(ख) इलाहाबाद
(ग) लखनऊ
(घ) कानपुर
उत्तर:
(क) काशी
प्रश्न 3.
शिवप्रसाद मिश्र का जन्म कब हुआ?
(क) सन् 1911 में
(ख) सन् 1912 में
(ग) सन् 1913 में
(घ) सन् 1915 में
उत्तर:
(क) सन् 1911 में
प्रश्न 4.
'रुद्र' का गीत एवं व्यंग-गीत संग्रह कौनसा है?
(क) तालतलैया
(ख) परीक्षा पचीसी
(ग) गजलिका
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5.
"एहि ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!" पाठ की विधा क्या है?
(क) निबन्ध
(ख) यात्रा-वृत्तान्त
(ग) कहानी
(घ) उपन्यास
उत्तर:
(ग) कहानी
प्रश्न 6.
दुलारी कौन है?
(क) लेखिका
(ख) कहानी की नायिका
(ग) अध्यापिका
(घ) डॉक्टर
उत्तर:
(ख) कहानी की नायिका
प्रश्न 7.
दुलारी ने कसरत करते हुए धोती कैसे पहन रखी थी?
(क) राजस्थानी महिलाओं की तरह
(ख) महाराष्ट्रीय महिलाओं की तरह
(ग) बंगाली महिलाओं की तरह
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) महाराष्ट्रीय महिलाओं की तरह
प्रश्न 8.
दुलारी के शरीर से गिरी बून्दों से भूमि पर क्या बन गया था?
(क) पसीने का चिह्न
(ख) पसीने का पुतला
(ग) पसीने का धब्बा
(घ) पसीने का पानी
उत्तर:
(ख) पसीने का पुतला
प्रश्न 9.
कसरत करने के बाद दुलारी क्या खाती थी?
(क) प्याज के टुकड़े
(ख) हरी मिर्च
(ग) भिगोए हुए चने
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 10.
टुन्नू ने कजरी दंगल में किसकी ओर से भाग लिया?
(क) खोजवां बाजार वालों की ओर से
(ख) पलटन बाजार वालों की ओर से
(ग) लालबाग वालों की ओर से
(घ) बजरडीहा वालों की ओर से
उत्तर:
(घ) बजरडीहा वालों की ओर से
प्रश्न 11.
'दुक्कड़' किसे कहते हैं?
(क) शहनाई के साथ बजाए जाने वाले तबले जैसे बाजे को
(ख) रामढोल को
(ग) मोरबीन को
(घ) तम्बूरे को
उत्तर:
(क) शहनाई के साथ बजाए जाने वाले तबले जैसे बाजे को
प्रश्न 12.
दुलारी ने टुन्नू से मिली साड़ी को सब कपड़ों के नीचे दबाकर क्यों रखा?
(क) वह उस साड़ी को किसी को दिखाना नहीं चाहती थी।
(ख) वह उसे सहेजकर रखना चाहती थी।
(ग) वह उसकी दी साड़ी से नफरत करती थी।
(घ) वह उसको वापस करना चाहती थी।
उत्तर:
(क) वह उस साड़ी को किसी को दिखाना नहीं चाहती थी।
प्रश्न 13.
टुन्नू के प्रति दुलारी का उपेक्षा भाव कैसा था?
(क) स्वाभाविक
(ख) उम्र के अनुसार
(ग) कृत्रिम
(घ) कटुता भरा
उत्तर:
(ग) कृत्रिम
प्रश्न 14.
दुलारी किस सत्यता का सामना नहीं करना चाहती थी?
(क) कि उसके मन में टुन्नू के प्रति प्यार है।
(ख) कि टुन्नू उसको चाहता था।
(ग) कि टुन्नू उससे अच्छा गायक है।
(घ) कि टुन्नू एक होनहार युवक है।
उत्तर:
(क) कि उसके मन में टुन्नू के प्रति प्यार है।
प्रश्न 15.
टुन्नू के पिता क्या काम करते थे?
(क) वे एक व्यापारी थे।
(ख) वे एक किसान थे
(ग) वे यजमानी का कार्य करते थे
(घ) वे डॉक्टर थे
उत्तर:
(ग) वे यजमानी का कार्य करते थे
प्रश्न 16.
टुन्नू ने किसको अपना उस्ताद बनाया?
(क) घौलाहेरू को
(ख) भैरोहेला को
(ग) भैरोंसिंह को
(घ) लक्ष्मीचन्द को
उत्तर:
(ख) भैरोहेला को
प्रश्न 17.
टुन्नू कहाँ की बनी साड़ी दुलारी के लिए लाया?
(क) मैनचेस्टर की
(ख) बनारस की
(ग) गाँधी आश्रम की
(घ) अहमदाबाद की
उत्तर:
(ग) गाँधी आश्रम की
प्रश्न 18.
"पत्थर की देवी तक अपने भक्त द्वारा दी गई भेंट को नहीं ठुकराती।" यह कथन किसका है?
(क) दुलारी का
(ख) टुन्नू का
(ग) फेंकू सरदार का
(घ) अली सगीर का
उत्तर:
(ख) टुन्नू का
प्रश्न 19.
कजली क्या है?
(क) एक गाय का नाम है।
(ख) एक पक्षी का नाम है।
(ग) एक राग का नाम है।
(घ) एक तरह का लोकगीत है।
उत्तर:
(घ) एक तरह का लोकगीत है।
प्रश्न 20.
लोग टुन्नू को कैसा आदमी समझते थे?
(क) धनवान
(ख) ईमानदार
(ग) चतुर
(घ) व्यर्थ
उत्तर:
(घ) व्यर्थ
प्रश्न 21.
विदेशी कपड़ों की होली जलाने के लिए दुलारी ने कहाँ की बनी हुई साड़ियाँ दी?
(क) गाँधी आश्रम
(ख) मैनचेस्टर तथा लंकाशायर की मिलों
(ग) उपर्युक्त दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) मैनचेस्टर तथा लंकाशायर की मिलों
प्रश्न 22.
दुलारी और टुन्नू की भेंट किस स्थान पर हुई थी?
(क) खोजवाँ बाजार में
(ख) पनघट पर
(ग) दंगल में
(घ) जुलूस के समय
उत्तर:
(क) खोजवाँ बाजार में
प्रश्न 23.
फेंकू सरदार दुलारी के लिए क्या भेंट लाया था?
(क) श्रृंगारदान
(ख) सोने के कँगन
(ग) गले का हार
(घ) धोतियों का बण्डल
उत्तर:
(घ) धोतियों का बण्डल
प्रश्न 24.
कजली-दंगल प्रतियोगिता का आयोजन क्यों होता होगा?
(क) मनोरंजन के उद्देश्य से
(ख) लोक कला के प्रदर्शन के लिए
(ग) संस्कृति के पोषण के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं
प्रश्न 25.
निम्नलिखित में से कौनसा गुण दुलारी में नहीं था?
(क) प्रतिभाशाली
(ख) स्वाभिमानी
(ग) कोमलांगी
(घ) सच्ची प्रेमिका
उत्तर:
(ग) कोमलांगी
प्रश्न 26.
कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित क्यों हो उठी?
(क) प्रेम अधूरा रह जाने के कारण
(ख) पश्चात्ताप के कारण
(ग) अपनी अज्ञानता के कारण
(घ) 'क' और 'ख' दोनों कथन सत्य हैं
उत्तर:
(घ) 'क' और 'ख' दोनों कथन सत्य हैं
प्रश्न 27.
"एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!" का प्रतीकार्थ बताइए।
(क) हे राम! इसी स्थान पर मेरी नाक का गहना खो गया है।
(ख) हे राम! इस स्थान में मेरे प्राण प्रिय खो गए।
(ग) हे राम! मैं अब जीवित रहकर क्या करूँगा।
(घ) हे राम! अब मेरी रक्षा कौन करेगा।
उत्तर:
(क) हे राम! इसी स्थान पर मेरी नाक का गहना खो गया है।
प्रश्न 28.
टुन्नू दुलारी के लिए उपहार लाया था
(क) कानों के झुमके
(ख) गले का हार
(ग) गाँधी आश्रम में बनी खादी की धोती
(घ) पाँवों की पायल
उत्तर:
(ग) गाँधी आश्रम में बनी खादी की धोती
प्रश्न 29.
दुलारी ने कहाँ की बुनी हुई साड़ियाँ विदेशी कपड़ों की होली जलाने के लिए दीं?
(क) बनारस की
(ख) लंका की
(ग) मैं इण्डियन हूँ
(घ) मैनचेस्टर तथा लंकाशायर की
उत्तर:
(घ) मैनचेस्टर तथा लंकाशायर की
प्रश्न 30.
दुलारी द्वारा धोतियाँ नीचे डालने पर अली सगीर ने क्या किया?
(क) अली सगीर ने दुलारी की शिकायत अंग्रेज अफसर से की।
(ख) अली सगीर ने दुलारी के घर का नम्बर मन-ही-मन नोट कर लिया।
(ग) अली सगीर ने दुलारी को ऐसा करने से मना किया।
(घ) अली सगीर ने दुलारी को थाने चलने के लिए कहने लगा।
उत्तर:
(ख) अली सगीर ने दुलारी के घर का नम्बर मन-ही-मन नोट कर लिया।
प्रश्न 31.
अली सगीर कौन था?
(क) दुलारी का चाहने वाला
(ख) एक ठेकेदार
(ग) खुफिया पुलिस का रिपोर्टर
(घ) पुलिस का अधिकारी
उत्तर:
(ग) खुफिया पुलिस का रिपोर्टर
प्रश्न 32.
पुलिस वाले टुन्नू को कहाँ लेकर गए?
(क) थाने में
(ख) अस्पताल में
(ग) टुन्नू के घर
(घ) वरुणा नदी में प्रवाहित करने
उत्तर:
(घ) वरुणा नदी में प्रवाहित करने
प्रश्न 33.
अली सगीर ने दुलारी के घर का नम्बर किसलिए नोट किया?
(क) ताकि वह उस पर कार्यवाही कर सके
(ख) उसे दुलारी के घर जाना था
(ग) वह दुलारी का नृत्य देखना चाहता था
(घ) दुलारी देशद्रोही थी
उत्तर:
(क) ताकि वह उस पर कार्यवाही कर सके
प्रश्न 34.
दुलारी क्या काम करती है?
(क) मेहनत-मजदूरी का काम
(ख) गाने-बजाने का काम
(ग) देश की आजादी के लिए प्रेरक का काम
(घ) संगीत सिखाने का काम
उत्तर:
(ख) गाने-बजाने का काम
प्रश्न 35.
मेघमाला का क्या अर्थ है?
(क) बारिश होना
(ख) बादल छा जाना
(ग) आँसुओं की झड़ी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) आँसुओं की झड़ी
प्रश्न 36.
टुन्नू के मारे जाने का समाचार सुनकर दुलारी की क्या दशा हुई?
(क) दुलारी स्तब्ध हो गई।
(ख) दुलारी शान्त हो गई।
(ग) दुलारी उत्साहित हो गई
(घ) दुलारी खुश हो गई
उत्तर:
(क) दुलारी स्तब्ध हो गई।
प्रश्न 37.
टुन्नू कहाँ मारा गया?
(क) टाउन हॉल में
(ख) थाने में
(ग) अमन सभा में
(घ) भैरवनाथ की सँकरी गली में
उत्तर:
(क) टाउन हॉल में
प्रश्न 38.
प्रधान संवाददाता ने शर्माजी के संवाद को क्या बताया?
(क) गोरे सिपाहियों की कहानी
(ख) अलिफ लैला की कहानी
(ग) दुलारी की कहानी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अलिफ लैला की कहानी
प्रश्न 39.
नगर में लोगों का जुलूस क्या कर रहा था?
(क) जलाने के लिए विदेशी वस्त्रों का संग्रह
(ख) गोरे लोगों का बहिष्कार
(ग) टाउन हॉल में आयोजित समारोह की तैयारी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) जलाने के लिए विदेशी वस्त्रों का संग्रह
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
दुलारी के व्यक्तित्व की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
दुलारी के व्यक्तित्व की पहली विशेषता यह थी कि वह कशल कजली गायिका थी। उसकी दूसरी विशेषता स्वाभिमानी स्वभाव था।
प्रश्न 2.
टुन्नू को दुलारी के उपेक्षापूर्ण धमकाने पर टुन्नू ने रोते हुए क्या कहा था?
उत्तर:
टुन्नू ने रोते हुए कहा था कि मैं तुमसे कुछ माँगता तो हूँ नहीं। पत्थर की देवी भी अपने भक्त द्वारा दी गई भेंट को नहीं ठुकराती है, तुम तो साक्षात् हाड़-मांस की बनी हुई हो।
प्रश्न 3.
अपने सारे अन्तर्विरोधों के साथ पलता दुलारी और टुन्नू का व्यक्तिगत प्रेम, देश-प्रेम में किस प्रकार परिणत हो जाता है?
उत्तर:
सार अन्तर्विरोधों के बीच दोनों का व्यक्तिगत प्रेम जागी भावनाओं अर्थात् आजादी के आन्दोलन के कारण देश-प्रेम में परिणित हो जाता है।
प्रश्न 4.
टुन्नू दुलारी को भेंट करने के लिए खद्दर की ही साड़ी क्यों लाया था?
उत्तर:
टुन्नू दुलारी से आत्मिक प्रेम करता था। वह खद्दर की साड़ी इसलिए लाया था क्योंकि वह स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़ने का प्रतीक थी।
प्रश्न 5.
होली पर उपहार लेकर आए टुन्नू को दुलारी ने अपमानित क्यों किया?
उत्तर:
दुलारी टुन्नू के आत्मिक प्रेम को समझती थी। लेकिन वह यह नहीं चाहती थी कि एक ब्राह्मण का पुत्र उसके यहाँ आने-जाने से बदनाम हो जाए।
प्रश्न 6.
टुन्नू ने सिर झुकाए हुए आई कंठ से दुलारी से क्या कहा था?
उत्तर:
टुन्नू ने कहा था- "मैं तुमसे कुछ माँगता तो हूँ नहीं। देखो, पत्थर की देवी तक अपने भक्त द्वारा दी गई भेंट नहीं ठुकराती, तुम तो हाड़-माँस की बनी हो।"
प्रश्न 7.
यह जानते हुए कि दुलारी एक बदनाम बस्ती में रहने वाली बदनाम स्त्री है। फिर भी टुन्नू उसे होली के त्योहार पर साड़ी भेंट करने क्यों गया था?
उत्तर:
टुन्नू इसलिए गया था, क्योंकि वह उस स्वर-कोकिला को वासनारहित पवित्र हृदय से प्रेम करता था।
प्रश्न 8.
दुलारी को संगीत की किस विधा में महारत हासिल थी?
उत्तर:
दुलारी को संगीत की कजली विधा में विशेष महारत हासिल थी। .
प्रश्न 9.
कजली दंगल में खोजवाँ वालों ने अपनी जीत सुनिश्चित क्यों कर ली?
उत्तर:
कजली गायन की सुप्रसिद्ध गायिका दुलारी प्रतिद्वन्द्विता में उनके पक्ष की ओर से गाने वाली थी, जिसका सामना अब तक कोई भी नहीं कर पाया था। इसलिए जीत सुनिश्चित कर ली थी।
प्रश्न 10.
टुन्नू को किस विशेषता के कारण बजरडीहा वालों ने कजली दंगल में बुलाया था?
उत्तर:
टुन्नू का कण्ठ मधुर था। वह शायरी का शौकीन, कजली-रचना, पद्यात्मक प्रश्नोत्तरी की रचना में कुशल था इसलिए बजरडीहा वालों ने उसे बुलाया था। .
प्रश्न 11.
टन के पिता अपनी गृहस्थी कैसे चलाया करते थे?
उत्तर:
टुन्नू के पिता ब्राह्मण थे। वे घाट पर बैठकर और कच्चे महाल के दस-पाँच घर यजमानों में धार्मिक कार्य करवाकर बड़ी मुश्किल से अपनी गृहस्थी की नौका खे रहे थे।
प्रश्न 12.
टुन्नू कौन था? उसने कजली गायन की विद्या किससे सीखी थी?
उत्तर:
टुन्नू सोलह-सत्रह वर्ष का गोरे रंग और दुबले-पतले शरीर वाला ब्राह्मण पुत्र था। उसने यह कला उस्ताद भैरोहेला से सीखी थी।
प्रश्न 13.
"टुन्नू ने अपने पद्य में दुलारी की तुलना कोयल से करके एक साथ दो तीर चलाये थे।" कैसे?
उत्तर:
टुन्नू ने दुलारी की तुलना कोयल से करके उसके कंठ की जहाँ प्रशंसा की थी वहीं उसको कोयल की भाँति दूसरों के द्वारा पोषित होने का भी आक्षेप किया था।
प्रश्न 14.
कजली दंगल में टुन्नू और दुलारी ने एक-दूसरे पर क्या आक्षेप लगाया था?
उत्तर:
टुन्नू ने दुलारी को कोयल की भाँति दूसरों के द्वारा पोषित होने का और दुलारी ने टुन्नू को हंस की चाल चलने वाला बगुला भगत का आक्षेप लगाया था।
प्रश्न 15.
दुलारी टुन्नू के किस उन्माद पर हँसी?
उत्तर:
टुन्नू मन ही मन दुलारी से प्रेम करता था। वह दुलारी के सामने आकर बैठ जाता था और मनोयोग से दुलारी की बातें सुनता था, इसी उन्माद पर दुलारी हँसती थी।
प्रश्न 16.
"आज उसे कृशकाय और कच्ची उमर के पाँडुमुख बालक टुन्नू पर करुणा हो आई।" दुलारी के मन में टुन्नू के प्रति करुणा जागने का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर:
दुलारी समझ गयी कि टुन्नू उसकी जिस वस्तु पर आसक्त है, उसका संबंध शरीर से न होकर आत्मा से ही है। इसलिए उसके मन में टुन्नू के प्रति करुणा जाग गयी थी।
प्रश्न 17.
दुलारी को वादे के अनुसार होली पर साड़ी न दे पाने के लिए फेंकू सरदार ने क्या मजबूरी बताई थी?
उत्तर:
फेंकू सरदार ने बताया था कि आजकल रोजगार मंदा पड़ा है। अतः उसने तीज पर साड़ी लाकर देने का वादा किया था।
प्रश्न 18.
किस बात ने विदेशी वस्त्रों का संग्रह करने वाले आन्दोलनकारियों को आश्चर्य में डाल दिया था?
उत्तर:
आन्दोलनकारियों की चादर पर सब फटे-पुराने कपड़े डाल रहे थे लेकिन किसी ने नयी साड़ियों का बण्डल उस पर फेंक दिया था। इसी बात ने उन्हें आश्चर्य में डाल दिया।
प्रश्न 19.
"खुफिया पुलिस के रिपोर्टर अली सगीर ने भी यह दृश्य देखा था।" वह दृश्य क्या था?
उत्तर:
विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए आन्दोलनकारियों की फैली चादर पर नई साड़ियों का बंडल गिराया गया था। उस दृश्य को अली सगीर ने भी देख लिया था।
प्रश्न 20.
बालक झींगुर ने आँगन में प्रवेश करते ही क्या ताजा समाचार सुनाया था? उसका दुलारी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
बालक झींगुर ने सुनाया था कि टुन्नू महाराज को गोरे सिपाहियों ने मार डाला है। उस समाचार को सुनकर दुलारी स्तब्ध रह गयी और उसके नेत्रों से आँसू झरने लगे।
प्रश्न 21.
टुन्नू के मारे जाने के समाचार को सुनकर दुलारी पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
उस समाचार से दुलारी स्तब्ध रह गयी। तब किसी भी बात पर न पसीजने वाला दुलारी का हृदय कातर हो उठा। उसकी आँखों से आँसुओं की झड़ी लग गयी।
प्रश्न 22.
गोरे सैनिकों ने टुन्न को अस्पताल जाने की बात क्यों कही?
उत्तर:
क्योंकि टुन्नू की मौत अली सगीर की बूट की ठोकर से हो गयी थी। यदि वे ऐसा नहीं कहते तो लोग भड़क जाते और उनसे पिंड छुड़ाना मुश्किल हो जाता।
प्रश्न 23.
'एही छैयाँ झलनी हेरानी हो रामा! कासों मैं कहूँ।' दुलारी के कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उक्त कथन का भाव यह है कि यह वही स्थान है जहाँ मेरी नाक की नथ खो गई है अर्थात् मेरे सुहाग के प्रतीक देश-भक्त टुन्नू का बलिदान हुआ है। हाय राम! मैं किससे पूछू?
प्रश्न 24.
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! पाठ के आधार पर बताइए कि संपादक ने यह क्यों कहा कि शर्मा द्वारा लिखी रिपोर्ट सच है, पर छप नहीं सकती?
उत्तर:
संपादक को भय था कि यदि उसने यह सच अपने अखबार में छाप दिया तो अंग्रेज सरकार उसके अखबार को बंद कर देगी और उसे भी जेल में डाल देगी।
प्रश्न 25.
किस घटना से पता चलता है कि दुलारी के मन में टुन्नू के प्रति प्रेम था?
उत्तर:
कजरी दंगल में टुन्नू के गायन से प्रभावित होना और टुन्नू के आँसुओं से सनी धोती पर बड़े धब्बों को चूमना।
प्रश्न 26.
स्वाधीनता आन्दोलन में दुलारी का क्या योगदान है?
उत्तर:
विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए अपनी नई धोतियाँ देना।
प्रश्न 27.
प्रधान सम्पादक ने अपने सहकर्मी शर्माजी को क्यों डाटा?
उत्तर:
उसने टुन्नू से सम्बन्धित रिपोर्ट ज्यों की त्यों लिख दी थी और अंग्रेज सरकार के खिलाफ उन दिनों लिखना अपने अखबार को बन्द करना था।
प्रश्न 28.
कठोर हृदय समझी जाने वाली दुलारी का मन टुन्नू की मृत्यु पर विचलित क्यों हो उठा?
उत्तर:
दुलारी का मन इसलिए विचलित हो गया क्योंकि वह अपना प्रेम प्रकट नहीं कर पायी। टुन्नू का अपमान करने का पश्चात्ताप था और उसका प्रेम अधूरा रह गया।
प्रश्न 29.
फेंकू सरदार के प्रति दुलारी के क्रोध करने का प्रमुख कारण क्या था?
उत्तर:
दुलारी के क्रोध करने का प्रमुख कारण यह था कि फेंकू सरदार उसे अपनी रखैल समझता था और उस पर नाजायज दबाव डालता था।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
"अपने सारे अन्तर्विरोध के साथ पलता दुलारी और टुन्नू का व्यक्तिगत प्रेम, अन्ततः देश-प्रेम में परिणत हो जाता है।"-कहानी में घटित घटना के आधार पर उक्त कथन को समझाइए।
उत्तर:
टुन्नू का प्रेम कामेच्छा से रहित था, वह दुलारी की कला का दीवाना था। दुलारी भी उसकी भावनाओं को समझने लगी थी। टुन्नू को स्वाधीनता आन्दोलन में भाग लेते हुए देखकर दुलारी के मन में भी देशभक्ति का भाव उमड़ पड़ा था। तब उसने विदेशी नयी साड़ियों का बण्डल जलाने के लिए दे दिया था। इससे टुन्नू की तरह उसका प्रेम देशप्रेम में बदल गया था।
प्रश्न 2.
'एही छैयाँ झुलनी हेरानी हे रामा!' कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हे रामा!' शीर्षक प्रतीकार्थ को व्यक्त करता है। इसका शाब्दिक अर्थ—इसी स्थान पर मेरी नाक की नथ खो गई है। प्रतीकार्थ की दष्टि से दलारी गौनहारिन होने के नाते किसके उसने मन रूपी नाक में टुन्नू के नाम की नथ या बेसर पहनी थी। जिस स्थान पर वह गा रही थी, उसके पास ही उसके प्रेमी टुन्नू की हत्या हुई थी, अर्थात् उसका सुहाग लुट गया था। उसी मुखड़े द्वारा कहानी के शीर्षक की रचना हुई, जो सभी तरह से सार्थक है।
प्रश्न 3.
दुलारी एक गौनहारिन थी फिर भी उसने टुन्नू द्वारा प्रेम से लाये उपहार को क्यों ठुकरा दिया था?
उत्तर:
दुलारी गौनहारिन होने के कारण समाज द्वारा उपेक्षित थी। युवक टुन्नू उसकी कला का पुजारी था। वह उससे आत्मिक प्रेम करता था। त्योहार पर खद्दर की साड़ी लाने पर दुलारी ने उसकी उपेक्षा करके उसको फटकार दिया, क्योंकि टुन्नू उससे आयु में काफी छोटा था। वह ब्राह्मण का पुत्र था और दुलारी उसे नादान मानती थी। वह नहीं चाहती थी कि टुन्नू उसकी बदनाम बस्ती में आए और लोगों की उपेक्षा का शिकार बने। इसलिए उसने उसके द्वारा लायी साड़ी को ठुकरा दिया था।
प्रश्न 4.
गोरे सिपाहियों ने टुन्नू को अस्पताल ले जाने की बात क्यों कही थी?
उत्तर:
टुन्नू आन्दोलनकारी था। पुलिस के जमादार अली सगीर द्वारा उसकी पसलियों पर बूट की ठोकर मारे जाने से उसके मुंह से खून आने लगा था। परिणामस्वरूप उसकी वहीं पर मृत्यु हो गयी थी। पास में खड़े गोरे सैनिकों ने उसे उठाकर जीप में लाद लिया था और पास खड़ी भीड़ से कहा था कि वे उसे अस्पताल लेकर जा रहे हैं। अस्पताल ले जाना तो उनका बहाना था। क्योंकि उसकी मृत्यु होने की बात सुनकर लोग भड़क जाते और उनसे पिंड छुड़ाना उनके लिए मुश्किल हो जाता।
प्रश्न 5.
सम्पादक ने कहा-"सत्य है, परन्तु छप नहीं सकता।" टुनू से सम्बन्धित रिपोर्ट न छप सकने के पीछे सम्पादक की क्या विवशता रही होगी? स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
टुन्नू के मारे जाने के सम्बन्ध में जो रिपोर्ट संवाददाता ने सम्पादक को पढ़कर सुनाई थी, वह तथ्यों पर आधारित सत्य थी, लेकिन उस समय अंग्रेजों का शासन था। यद्यपि अखबार का सम्पादक निर्भीक, निष्पक्ष और मानसिक स्वतन्त्रता से पूरित होना चाहिए, लेकिन उस काल में उसे यह स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी। इसलिए वह उस रिपोर्ट को छापना नहीं चाहता था क्योंकि उसे भय था कि या तो उसका अखबार बन्द कर दिया जावेगा या फिर उसे जेल में डाल दिया जावेगा।
प्रश्न 6.
दुलारी ने स्वाधीनता आन्दोलन में विदेशी साड़ियों को जला दिया। इस प्रसंग के आलोक में आज की पीढ़ी को आप किन जीवन मूल्यों की सलाह देना चाहेंगे?
उत्तर:
प्रेम व देश-भक्ति के लिए किया गया दुलारी का यह छोटा-सा त्याग उसके चरित्र की महानता का द्योतक है। आज समाज में प्रेम की पवित्रता प्रभावित हो रही है, देश-भक्ति एवं त्याग जैसे जीवन-मूल्यों से आज की पीढ़ी दूर होती जा रही है, वह केवल वही कार्य अधिक उपयोगी समझती है, जो उसके लिए हितकारी हो, ऐसे में दुलारी के इस त्याग से आज की पीढ़ी को पवित्र प्रेम, देश-भक्ति, त्याग आदि मूल्यों की सलाह देना चाहेंगे, ताकि इन्हें अपनाकर वह केवल जीवन को अपने तक न समेटे, वरन् यह जाने कि जीवन का सच्चा सुख उदात्त गुणों में निहित है।
प्रश्न 7.
'एही छैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ के सन्देश को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ का मुख्य सन्देश यह कि देशप्रेम की ज्वाला और विदेशी शासन के प्रति क्षोभ ने समाज के द्वारा बहिष्कृत वर्ग को भी प्रभावित किया था। उनका योगदान भी स्वतन्त्रता आन्दोलन में कम करके नहीं आंका जा सकता। समाज ने भले ही उन्हें खुद से भली प्रकार न जोड़ा हो, तथापि उन्होंने देश को अपना देय शत-प्रतिशत दिया। दुलारी और टुन्नू के चरित्रों के माध्यम से लेखक ने अपने बहिष्कृत वर्ग से जुड़े विचारों को पूरी तरह प्रेषित किया है। उनमें एक पात्र टन्न का बलिदान, पाठक वर्ग को हिला देता है और दुलारी भी अपने योगदान से पाठक को यह बता देती है कि देश सभी का है और हर एक देश-प्रेमी और बलिदानी नायक-नायिका है। फिर चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का क्यों न हो।
प्रश्न 8.
'एही छैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि एक सामान्य प्राणी भी किन गुणों के कारण अति विशिष्ट हो सकता है?
उत्तर:
'एही छैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ के अनुसार एक सामान्य प्राणी भी अपने गुणों के कारण अति विशिष्ट बन सकता है। ये गुण निम्नलिखित हो सकते हैं
- देश-प्रेम की भावना और उस पर मर मिटने का भाव साधारण व्यक्ति को भी असाधारण बना सकता है।
- जब मानव का प्यार शारीरिक न होकर आत्मिक या परोपकार की भावना से प्रेरित होता है, तब वह व्यक्ति को अति विशिष्ट बना देता है।
- निःस्वार्थ प्रेम और बलिदान की भावना भी साधारण मानव को विशिष्ट बना देती है। जिस प्रकार दुलारी और टुन्नू साधारण से विशिष्ट व्यक्ति बन गये।
प्रश्न 9.
कैसे कहा जा सकता है कि दुलारी टुन्नू को हृदय से चाहती थी?
उत्तर:
दुलारी टुन्नू को हृदय से चाहती थी क्योंकि वह भी उसकी तरह एक कुशल गायक था और दुलारी की गायन कला का प्रशंसक था। वह उसे चुपचाप देखता रहता पर उससे अपने मन की बात न कह पाता। जब होली पर वह उसके लिए खादी की साड़ी लाता है तो दुलारी उसे प्यार से फटकारती है और अपनी बड़ी उम्र का हवाला देती है, तब वह कहता है कि उसका प्यार उम्र व शरीर की सीमा में नहीं बँधा है, फिर वह उसके आत्मीय प्यार को समझ जाती है। ढलती उम्र में किशोर जनित प्रेम को महसूस करती है। टुन्नू के बलिदान के बाद वह उसकी दी हुई साड़ी को निकालकर पहनती है और टुन्नू के प्रति अपने सात्विक प्रेम का परिचय देती है।
लेखक-परिचय :
शिव प्रसाद मिश्र 'रुद्र' का जन्म सन् 1911 में काशी में हुआ। उनकी शिक्षा काशी के हरिश्चन्द्र कॉलेज, क्वीन्स कॉलेज एवं काशी विश्वविद्यालय में हुई। उन्होंने स्कूल और विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया और कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया। बहुभाषाविद 'रुद्र' जी एक साथ ही उपन्यासकार, नाटककार, गीतकार, व्यग्यकार, पत्रकार एवं चित्रकार थे। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- 'बहती गंगा', 'सुचिवाच' (उपन्यास); 'ताल तलैया', 'गजलिका', 'परीक्षा पचीसी' (गीत एवं व्यंग्य गीत सग्रंह) आदि। सन् 1970 में उनका देहांत हो गया।
पाठ-परिचय :
एही छैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा ! (हे राम! इसी स्थान पर मेरी नाक की लोंग गिर गई) में यथार्थ और आदर्श, दंतकथा और इतिहास, मानव-मन की कमजोरियों और उदात्तताओं की अभिव्यक्ति है। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने गाने-बजाने वाले समाज के, देश के प्रति असीम प्रेम, विदेशी शासन के प्रति क्षोभ और पराधीनता की जंजीरों को उतार फेंकने की तीव्र लालसा का वर्णन किया है। इसका सार इस प्रकार है
1. व्यायामकर्ती दुलारी-दुलारी महाराष्ट्रीय महिलाओं की तरह धोती बाँधे दंड लगा रही थी। उसके शरीर से गिरे पसीने से भूमि पर पसीने का पुतला बन गया था। कसरत समाप्त कर उसने अंगोछे से अपना बदन पोंछा, बँधा हुआ जूड़ा खोलकर सिर का पसीना सुखाया। फिर उसने भिगोए हुए चने खाने प्रारम्भ किए।
2. टुन्नू का आगमन-अभी चने चबाने का काम समाप्त नहीं हुआ था तभी दरवाजे पर खट-खट की आवाज सुनकर कपड़े पहने और दरवाजे की खिड़की खोल दी। बाहर बगल में एक बंडल-सा दबाये टुन्नू खड़ा था। दुलारी के पूछने पर उसने बताया - साल भर का त्योहार होली था। इसलिए वह खादी की साड़ी लाया था। दुलारी चिल्लाई होली का त्योहार था तो तुम यहाँ क्यों आए? खैरियत चाहते हो तो अपना यह कफन लेकर यहाँ से चले जाओ। उसने उपेक्षापूर्वक वह धोती टुन्नू के पैरों के पास फेंक दी। तब आँसू टपकाते हुए टुन्नू ने केवल इतना ही कहा - मन पर किसी का वश नहीं। वह रूप या उम्र का कायल नहीं होता। इतना कहकर टुन्नू बाहर चला गया और दुलारी उसे खड़ी-खड़ी देखती रही। वह उस साड़ी पर पड़े काजल के आँसू रूपी धब्बों को देखती रही।
3. टुन्नू और दुलारी का संजोग-छह माह पहले भादों में तीज के अवसर पर दुलारी और टुन्नू का मिलन हुआ था। दुलारी पद्य में ही सवाल-जवाब करके ही अपनी अद्भुत क्षमता के लिए जानी जाती थी। कजली गाने वाले विख्यात शायर भी उससे दबते थे। आयोजकों ने दुलारी को कजली के दंगल में उतार कर अपनी जीत निश्चित कर ली थी। साधारण गाना समाप्त होने पर सवाल-जवाब के लिए दुक्कड़ पर चोट पड़ी तो विपक्ष की ओर से सोलह-सत्रह वर्षीय टुन्नू ने आगे आकर दुलारी को ललकारा।
4. दुलारी और दुनू में गायन स्पर्धा-दुलारी और टुन्नूं के बीच गायन स्पर्धा प्रारम्भ हुई। दुलारी आज अपने स्वभाव के प्रतिकूल टुन्नू की गायकी सुनकर खड़ी-खड़ी मुस्कुरा रही थी। यह देखकर लोग हैरान थे। टुन्नू ने दुलारी के जामुन जैसे काले रंग पर पद्य में रचना करके उस पर व्यग्य कसा तो दुलारी ने टुन्नू पर बगुला भगत का व्यग्य कसा था। जवाब-सवाल का क्रम इसी प्रकार चला। टुन्नू द्वारा गाये जवाब को सुनकर फेंकू सरदार लाठी लेकर टुन्नू को मारने दौड़ा था। यही दोनों का प्रथम परिचय था। उस दिन लोगों के बहुत कहने पर भी दोनों में से किसी ने भी गाना स्वीकार नहीं किया। मजलिस बेस्वाद हो गयी।
5. दुलारी की सोच-टुन्नू के जाने के बाद दुलारी ने सोचा कि आज टुन्नू की वेशभूषा में भारी अन्तर था। उसने खद्दर का कुरता और गाँधी टोपी पहन रखी थी। दुलारी ने भी कपड़ों का सन्दूक खोला और टुन्नू की दी गई साड़ी को निकाला। उसका चित्त आज चंचल हो उठा था। टुन्नू उसके पास कई बार आया था। वह केवल दुलारी की बातें सुनता था। अपने हृदय की कामना प्रकट नहीं करता था। दुलारी यह समझ रही थी कि उसका उसके शरीर के प्रति कोई लोभ नहीं है। उसका सम्बन्ध तो आत्मा से है। टुन्नू के प्रति उसकी उपेक्षा कृत्रिम थी।
6. फेंकू का आगमन-फेंकू ने दुलारी की कोठरी में प्रवेश करके उसके पैरों के पास लायी हुई साड़ियों का बंडल रख दिया। दुलारी ने बण्डल को ठोकर मारते हुए कहा-तुमने होली पर साड़ी देने का वादा किया था। फेंकू ने अपनी परेशानी बतलाई। तभी देश के दीवानों का एक दल भैरवनाथ की गली में घुसा और 'भारत जननी की जय' के नारे गूंजने लगे। चार व्यक्तियों ने एक चादर को फैलाकर उसके कोनों को मजबूती से पकड़ रखा था। विदेशी कपड़ों की होली जलाने के नाम पर उस फैली चादर पर विदेशी फटे-पुराने कपड़े फेंक रहे थे। दुलारी ने भी फेंकू द्वारा लाये गये साड़ियों के बंडल को फेंक दिया। यह दृश्य खुफिया पुलिस के रिपोर्टर अली सगीर ने देख लिया।
7. दुलारी के दिल में आग-दुलारी का मन फेंकू के प्रति बदल गया था। वह उसे झाडू से मारते हुए चिल्ला रही थी - निकल-निकल। अब मेरी देहरी डाँका तो दाँत से तेरी नाक काट लूँगी। इसके बाद उसने दरवाजा बन्द कर लिया। दुलारी के मन में आग अब भी भट्टी की तरह जल रही थी। जब फेंकू की पुरानी रक्षिता बिट्टो ने कहा कि फेंकू पर झाडू क्यों उठा ली? उसने तो तुम्हें रानी की तरह रख छोड़ा है।
इस बात को सुनकर दुलारी उबल पड़ी। मैंने भी तो उसे अपनी अनमोल इज्जत सौंपी है? तभी एक नौ वर्षीय झींगुर ने वहाँ आकर कहा-टुन्नू महाराज को गोरे सिपाहियों ने मार डाला और लाश भी उठा ले गये। दुलारी यह बात सुनकर स्तब्ध रह गयी। उसकी आँखें आसुओं से भर गयीं। उसने झींगुर से टुन्नू के मारे जाने वाले स्थान के बारे में पूछा। उसी समय थाने के मुंशी के साथ फेंकू ने आकर कहा-दुलारी को थाने जाना होगा। आज अमन सभा द्वारा आयोजित समारोह में उसे गाना होगा।
8. संपादक और संवाददाता-प्रधान संवाददाता ने अपने सहकर्मी को डाँटते हुए कहा-आप जो अलिफ-लैला की कहानी से पन्ना रंग लाए हो, वह कहाँ छपेगी? आपकी रिपोर्ट पर तो अखबार बन्द हो जायेगा। यह सुनकर संपादकजी के भी कान खड़े हो गये। शर्माजी ने घंटित घटना की रिपोर्ट पढ़कर सुनायी। सम्पादक ने सुनकर कहा कि सत्य है, परन्तु छप नहीं सकती। उधर दुलारी टाउन हाल की सभा में खद्दर की साड़ी पहने हुए और जिस स्थान पर टुन्नू गिरा था उस ओर दृष्टि जमाये हुए भरे गले से गा रही थी-एही छैयाँ झुलनी हेरानी हे रामा! कासों मैं पूछू?'
कठिन शब्दार्थ :
- झुलनी = एक आभूषण (नाक में पहनने वाला)।
- पुतला = आकृति।
- अंगोछा = गमछा।
- चणक चर्वण पर्व = चने चबाने का कार्य।
- विलोल = चंचल।
- शीर्ण वदन = उदास मुख।
- दुक्कड़ = शहनाई के साथ बजाया जाने वाला तबले जैसा वाद्य यंत्र।
- कजली = भादों की तीज पर गाया जाने वाला लोक गीत।
- कोर दबना = लिहाज करना।
- गौनहारियों की गोल = गाने वालियों की टोली।
- परमेसरी लोट = प्रॉमिसरी नोट, रुपये पर मुद्रित रुपये के मूल्य के बराबर रुपये चुकाने का वायदा।
- मद विह्वल = अंहकार से पूर्ण।
- सरबउला = सिरफिरा।
- मजलिस = सभा।
- बदमजा = बेस्वाद।
- पाँडु मुख = पीला मुख।
- निभृत = एकान्त।
- शपाशप = जोर-जोर से।
- देहरी-डाँकना = दहलीज पार करना।
- उत्कट = प्रबल।
- कर्कशा = कटु वचन बोलने वाली।
- दिल्लगी = मज़ाक।
- विघटित = छंट गया।
- आमोदित = प्रसन्न।
- उद्धांत दृष्टि = उड़ती-सी बेचैन नजर।
- स्मित = हल्की-सी मुस्कान।
- आविर्भाव = उदय।
- प्रतिवाद = विरोध।
- आमोदित = सुगन्धित।
- उद्भ्रान्त = भ्रमित चित्त, हैरान।
- अधरप्रान्त = होंठ।