प्रश्न 1.
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?
उत्तर:
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहकासी दिखाई देती है, उसमें सरकारी तंत्र की स्वाभिमान से रहित गुलाम और औपनिवेशिक मानसिकता का बोध होता है। उससे पता चलता है कि जिन्होंने हमें गुलाम बनाकर रखा, आजाद होने के बाद भी हम उनके गुलाम हैं। सरकारी लोग उस जॉर्ज पंचम के नाम से चिन्तित हैं जिसने न जाने कितने ही कहर ढहाए। उसके अत्याचारों को याद न कर उसके सम्मान में जुट जाते हैं। सरकारी तन्त्र अपनी अयोग्यता, अदूरदर्शिता, मूर्खता और चाटुकारिता को दर्शाता है।
प्रश्न 2.
रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?
उत्तर:
रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी यह थी कि भारत, पाकिस्तान और नेपाल के शाही दौरे पर रानी एलिजाबेथ कौनसी ड्रेस पहनेगी। उसे लगता था कि रानी की आन-बान-शान भी बनी रहनी चाहिए और उनकी वेशभूषा भी विभिन्न देशों के अनुकूल होनी चाहिए। दरजी की परेशानी एक सीमा तक ठीक भी थी, क्योंकि रानी के कपड़े तैयार करना उसकी जिम्मेदारी थी। यदि उससे कोई चूक हो जाती, तो उसे रानी के क्रोध का सामना करना पड़ता। इसलिए उसे ही रानी की शान-शौकत और वातावरण के अनुकूल उनकी वेशभूषा तो तैयार करनी पड़ रही थी।
प्रश्न 3.
'और देखते ही देखते नयी दिल्ली की कायापलटे होने लगी।' नयी दिल्ली की कायापलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किये गये होंगे?
उत्तर:
नई दिल्ली की कायापलट करने की दृष्टि से सड़कों की मरम्मत कराई गयी होगी। उन पर डामर डलवाकर चमकाया गया होगा। उनके किनारों पर संकेत चिह्न, नाम-पट्ट आदि लगवाकर रोशनी की उत्तम व्यवस्था की गई होगी। सरकारी इमारतों पर, पर्यटन स्थलों पर रंग-रोगन किया गया होगा। उनकी सजावट की गयी होगी। सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया होगा। सरकारी इमारतों के लॉन में लगे फब्बारे सुधारे और चलवाये गये होंगे। ट्रेफिक पुलिस की सुव्यवस्था के साथ ही मेहमान-नवाजी की विशेष व्यवस्था की गयी होगी।
प्रश्न 4.
आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खानपान सम्बन्धी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?।
उत्तर:
(क) इस तरह की पत्रकारिता राष्ट्र-हित के अनुकूल नहीं है क्योंकि यह पत्रकारिता युवा पीढ़ी को भ्रमित कर रही है। यह पीढ़ी हमारे समाज के होने वाले मजबूत स्तम्भ है। हमें चाहिए की हमारी पत्रकारिता उनका कल्याण करे, मार्गदर्शन करे न कि उनको, उनके मार्ग से विचलित करे। यदि यही इस तरह के समाचारों को अपना विषय बनाएँगे तो देश इन स्तम्भों के सहारे अधिक समय तक खड़ा नहीं हो पाएगा।
(ख) इस प्रकार की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभाव डालती है। क्योंकि युवा-पीढ़ी नये जोश और नई उमंगों से पूरित होती है, इसलिए वह नये रहन-सहन, चाल-ढाल आदि का अनुकरण करती है। इससे वह अपने मुख्य लक्ष्य से भटक जाती है और पढ़ने-लिखने के स्थान पर वह इन बातों पर विशेष ध्यान देती है। राष्ट्र को सही दिशा में चलाने के लिए यह आवश्यक है कि पत्रकारिता का प्रत्येक विषय समस्त नागरिकों के हित में हो।।
प्रश्न 5.
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यल किए?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक प्रयत्न किए। उसने सबसे पहले उस पत्थर को खोजने का प्रयत्न फाइलों के माध्यम से देशाटन से करने का प्रयास किया, किन्तु वह असफल रहा। इसके बाद उसने भारत के नेताओं और महापुरुषों की लगी मूर्तियों की नाकों की नाप ली ताकि जिस मूर्ति की नाक फिट बैठे उस नाक को जॉर्ज पंचम के लगा दी जाए। फिर उसने बिहार सचिवालय के सामने 1942 के आन्दोलन में शहीद हुए बच्चों की नाक को परखा, लेकिन समस्या का हल नहीं हुआ। अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक लगाने का निर्णय किया।
प्रश्न 6.
प्रस्तत कहानी में जगह-जगह कछ ऐसे कथन आए हैं, जो मौजदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए 'फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं। "सब हुक्कामों ने एक-दूसरे की तरफ ताका'। पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
पाठ में आए ऐसे व्यंग्यात्मक कथन इस प्रकार हैं
- शंख इंग्लैण्ड में बज रहा था, गूंज हिन्दुस्तान में आ रही थी।
- गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
- सभी सहमत थे कि अगर यह नाक नहीं है तो हमारी भी नाक नहीं रह जायेगी।
- एक की नज़र ने दूसरे से कहा कि यह बताने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।
- पुरातत्व विभाग की फाइलों के पेट चीरे गये पर कुछ पता नहीं चला।
- जब हिन्दुस्तान में बाल डांस तक मिल जाता है तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता?
- एक आम कमेटी बनाई गई और उसके जिम्मे यह काम दे दिया गया।
- यह छोटा-सा भाषण फौरन अखबारों में छप गया।
प्रश्न 7.
नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आयी है? लिखिए
उत्तर:
इस पाठ में नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात लेखक ने विभिन्न बातों द्वारा व्यक्त की है। रानी एलिजाबेथ अपने पति के साथ भारत दौरे पर आ रही थीं। ऐसे मौके में जॉर्ज पंचम की नाक का न होना उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसा था। यदि जॉर्ज पंचम की नाक नहीं लगाई जाती तो ब्रिटिश सरकार के नाराज हो जाने का शब्दों में लेखक ने स्पष्ट करते हुए कहा है खोज करने के लिए मेहनत तो करनी होगी, इस मेहनत का फल हमें मिलेगा-"आने वाला ज़माना खुशहाल होगा।" यहाँ तक कि जॉर्ज पंचम की नाक का सम्मान भारत के महान् नेताओं एवं साहसी बालकों के सम्मान से भी ऊँचा था। इसलिए तो उनकी नाक हटाने को सब तैयार हो गए पर जॉर्ज पंचम की नाक लगाना ज्यादा जरूरी था। यही बात लेखक ने कई स्थानों पर बताने का प्रयत्न किया है।
प्रश्न 8.
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक इस ओर संकेत करना चाहता है कि भारतीय नेता और बलिदानी भारतीय बच्चों की नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी है, अर्थात् वे अधिक सम्माननीय हैं। हमारे देश में उस व्यक्ति की नाक ऊँची होती है अर्थात् वह सम्मान का हकदार बनता है जो देश के लिए त्याग-बलिदान करता है। जॉर्ज पंचम जैसे निर्दय और हृदयहीन शासक को कभी भी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा गया।
प्रश्न 9.
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?
उत्तर:
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को बड़ी कुशलता के साथ छापा। उन्होंने अखबारों में केवल इतना ही छापा-नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट के नाक लग रही है। इसके अतिरिक्त अखबारों में नाक के विषय को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई न ही किसी समारोह के होने की खबर को छापा गया।
प्रश्न 10.
नई दिल्ली में सब था-सिर्फ नाक नहीं थी।' इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता
उत्तर:
इस कथन के माध्यम से लेखक ने स्वतन्त्र भारत के शासकों की मनोवृत्ति पर तीखा व्यंग्य किया है। उन्होंने इंग्लैण्ड की महारानी के स्वागतार्थ दिल्ली को खूब सजा दिया, सारी सुविधाएँ उपलब्ध करा दीं, परन्तु उनमें राष्ट्रीय स्वाभिमान और आत्म-सम्मान की भावना नहीं थी। ब्रिटिश शासक जॉर्ज पंचम ने अपने शासन की कुनीतियों के आधार पर उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचायी थी, फिर भी उसे गलत ठहराने को किसी भी भारतीय में साहस नहीं था और साथ ही इससे हमारे प्रशासन की कमजोर एवं त्रुटिपूर्ण व्यवस्था का भी पता चलता है।
प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप इसलिए थे, क्योंकि जार्ज पंचम की बुत पर जिंदा नाक लगाना अपमानजनक कृत्य था। वे इसका विरोध चुपचाप कर रहे थे। यही कारण था किसी स्वागत-समारोह का कोई समाचार और चित्र अखबार में नहीं छपा था।
बहुविकल्पात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ के लेखक का नाम बताइए।
(क) शिवपूजन सहाय
(ख) कमलेश्वर
(ग) प्रेमचन्द
(घ) अज्ञेय
उत्तर:
(ख) कमलेश्वर
प्रश्न 2.
कमलेश्वर का जन्म कब और कहाँ हुआ?
(क) सन् 1935 में मैनपुरी (बिहार)
(ख) सन् 1987 में मैनपुरी (राजस्थान)
(ग) सन् 1932 में मैनपुरी (उत्तरप्रदेश)
(घ) सन् 1936 में मैनपुरी (बंगाल)
उत्तर:
(ग) सन् 1932 में मैनपुरी (उत्तरप्रदेश)
प्रश्न 3.
कमलेश्वर ने इनमें से कौनसा पुरस्कार प्राप्त किया?
(क) ज्ञानपीठ
(ख) व्यास सम्मान
(ग) साहित्य अकादमी
(घ) उर्दू अकादमी
उत्तर:
(ग) साहित्य अकादमी
प्रश्न 4.
कमलेश्वर को भारत सरकार ने किससे अलंकृत किया?
(क) पद्मश्री
(ख) पद्मभूषण
(ग) पद्म विभूषण
(घ) इनमें से सभी
उत्तर:
(ख) पद्मभूषण
प्रश्न 5.
रानी एलिजाबेथ द्वितीय कहाँ की रानी थी?
(क) हिन्दुस्तान की
(ख) पाकिस्तान की
(ग) इंग्लैण्ड की
(घ) नेपाल की
उत्तर:
(ग) इंग्लैण्ड की
प्रश्न 6.
रानी एलिजाबेथ किस देश के दौरे पर आने वाली थी?
(क) हिन्दुस्तान
(ख) पाकिस्तान
(ग) इंग्लैण्ड
(घ) नेपाल
उत्तर:
(क) हिन्दुस्तान
प्रश्न 7.
रानी एलिजाबेथ के दर्जी की परेशानी का क्या कारण था?
(क) अखबारों में उनकी चर्चा हो रही थी
(ख) शाही दौरे के लिए कैसी-कैसी तैयारियाँ हो रही थीं
(ग) हिन्दुस्तान दौरे पर रानी कब कौनसा सूट पहनेगी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) हिन्दुस्तान दौरे पर रानी कब कौनसा सूट पहनेगी
प्रश्न 8.
रानी के सूट पर कितना खर्च आया?
(क) आठ सौ पौंड का
(ख) चार सौ पौंड का
(ग) सात सौ पौंड का
(घ) तीन सौ पौंड का
उत्तर:
(ख) चार सौ पौंड का
प्रश्न 9.
नाक किसका द्योतक होती है?
(क) मान-सम्मान या प्रतिष्ठा की
(ख) गुलामी की
(ग) गुलामी की मानसिकता की
(घ) गुस्से की
उत्तर:
(क) मान-सम्मान या प्रतिष्ठा की
प्रश्न 10.
जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर सरकारी तन्त्र की बदहवासी उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?
(क) उनके स्वाभिमान की।
(ख) आजादी की मानसिकता
(ग) गुलामी की मानसिकता
(घ) विदेश जाने के लिए जुगाड़ की मानसिकता
उत्तर:
(ग) गुलामी की मानसिकता
प्रश्न 11.
इमारतों ने किस प्रकार श्रृंगार किया?
(क) हसीनाओं की तरह
(ख) नाजनीनों की तरह
(ग) महिलाओं की तरह
(घ) नौटंकी वालों की तरह
उत्तर:
(ख) नाजनीनों की तरह
प्रश्न 12.
जॉर्ज पंचम की नाक के लिए हथियार बन्द पहरेदार क्यों नियुक्त किए गए थे?
(क) जॉर्ज पंचम की नाक बहुत सुन्दर थी।
(ख) कुछ लोग उसकी नाक तोड़ देना चाहते थे।
(ग) वो जॉर्ज पंचम को इंग्लैण्ड भेजना चाहते थे।
(घ) वे नाक को दोबारा बनाना चाहते थे।
उत्तर:
(ख) कुछ लोग उसकी नाक तोड़ देना चाहते थे।
प्रश्न 13.
भारतीय अधिकारियों की परेशानी का कारण क्या था?
(क) रानी आए और नाक न हो
(ख) रानी का स्वागत किस प्रकार करें
(ग) रानी की आगवानी कौन करे
(घ) रानी को कहाँ ठहराया जाए
उत्तर:
(क) रानी आए और नाक न हो
प्रश्न 14.
दिल्ली में फौरन हाजिर होने का हुक्म किसे दिया गया?
(क) चित्रकार को
(ख) नाटककार को
(ग) मिस्त्री को
(घ) मूर्तिकार को
उत्तर:
(घ) मूर्तिकार को
प्रश्न 15.
लोगों ने अंग्रेजों के लाटों को कहाँ पहुँचाया?
(क) चिड़ियाघर में
(ख) अजायबघर में
(ग) नहर में
(घ) यमुना को समर्पित किया
उत्तर:
(ख) अजायबघर में
प्रश्न 16.
जॉर्ज पंचम की किस स्थान पर स्थित लाट की नाक गायब हुई थी?
(क) इण्डिया गेट
(ख) चाँदनी चौक
(ग) हवामहल
(घ) ताजमहल
उत्तर:
(क) इण्डिया गेट
प्रश्न 17.
कहाँ की हर खबर हिन्दुस्तान में सुर्खियों में दिखती है
(क) इंग्लैण्ड
(ख) लंदन
(ग) पाकिस्तान
(घ) नेपाल
उत्तर:
(ख) लंदन
प्रश्न 18.
'नाजनीन' का क्या अर्थ है?
(क) मान-सम्मान
(ख) प्रतिष्ठा
(ग) कोमलांगी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) कोमलांगी
प्रश्न 19.
एलिजाबेथ के आने पर कौनसे शहर का कायापलट होने लगा?
(क) लखनऊ
(ख) दिल्ली
(ग) पटना
(घ) भोपाल
उत्तर:
(ख) दिल्ली
प्रश्न 20.
'ऐसी क्या चीज है जो हिन्दुस्तान में मिलती नहीं।' यह किसका कथन है?
(क) सभापति का
(ख) मूर्तिकार का
(ग) रानी का
(घ) दर्जी का।
उत्तर:
(क) सभापति का
प्रश्न 21.
मूर्तिकार ने बंगाल में किन-किन देश-भक्त नेताओं की मूर्तियाँ देखीं-
(क) गुरुदेव रवीन्द्रनाथ
(ख) सुभाषचन्द्र बोस
(ग) राजा राममोहन राय
(घ) उपर्युक्त सभी की
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी की
प्रश्न 22.
मूर्तिकार ने भारत की कितनी जनसंख्या में से किसी एक की नाक लगाने की सलाह दी?
(क) 60 करोड़
(ख) 50 करोड़
(ग) 30 करोड़
(घ) 40 करोड़
उत्तर:
(घ) 40 करोड़
प्रश्न 23.
जॉर्ज पंचम की खोई हुई नाक का नाप किसने लिया?
(क) सभापति
(ख) मूर्तिकार
(ग) रानी
(घ) दर्जी
उत्तर:
(ख) मूर्तिकार
प्रश्न 24.
दिल्ली में सब कुछ था परन्तु __________ .
(क) नाक नहीं थी।
(ख) जॉर्ज पंचम की लाट नहीं थी
(ग) ईमानदारी नहीं थी
(घ) चापलूसी नहीं थी।
उत्तर:
(क) नाक नहीं थी।
प्रश्न 25.
जॉर्ज पंचम की नाक में कब की घटना का उल्लेख है?
(क) सन् 1947 की
(ख) लॉर्ड डलहौजी के समय की
(ग) सन् 1942 की
(घ) इंग्लैण्ड की रानी एलिजाबेथ के भारत आगमन की
उत्तर:
(घ) इंग्लैण्ड की रानी एलिजाबेथ के भारत आगमन की
प्रश्न 26.
मूर्तिकार यों तो कलाकार था, पर __________ ।
(क) होनहार था।
(ख) पैसे से लाचार था।
(ग) ईमानदार था।
(घ) दुनियादारी से बेखबर था।
उत्तर:
(ख) पैसे से लाचार था।
प्रश्न 27.
'जॉर्ज पंचम की नाक' व्यंग्य में किस विदेशी के भारत आने की चर्चा हो रही है?
(क) जॉर्ज डब्ल्यू.
(ख) जॉर्ज पंचम
(ग) रानी एलिजाबेथ
(घ) राजकुमारी डायना
उत्तर:
(ग) रानी एलिजाबेथ
प्रश्न 28.
किस चीज को लेकर दिल्ली में तहलका मचा था?
(क) जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर
(ख) एलिजाबेथ के कुत्ते को लेकर
(ग) सारे पर्वतों की खोज को लेकर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर
प्रश्न 29.
अन्त में मूर्तिकार ने क्या सुझाव दिया?
(क) किसी भारतीय नेता की नाक लगा दी जाए
(ख) जिन्दा नाक लगा दी जाए
(ग) प्लास्टिक की नाक लगा दी जाए
(घ) पत्थर की नाक बनवा दी जाए
उत्तर:
(ख) जिन्दा नाक लगा दी जाए
प्रश्न 30.
किन फाइलों की छानबीन की गई?
(क) सार्वजनिक विभाग की
(ख) दिल्ली नगर निगम की
(ग) पुरातत्त्व विभाग की
(घ) गृह मन्त्रालय की
उत्तर:
(ग) पुरातत्त्व विभाग की
प्रश्न 31.
पहली बार दरवाजे बन्द कर मूर्तिकार ने क्या सुझाव दिया?
(क) नेताओं की मूर्ति से नाक उखाड़कर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगाने का
(ख) नकली नाक लगाने का
(ग) प्लास्टिक की नाक लगाने का
(घ) अजायबघर में पड़ी मूर्ति की नाक इस पर लगाने का
उत्तर:
(क) नेताओं की मूर्ति से नाक उखाड़कर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगाने का
प्रश्न 32.
अखबारों में क्या खबर छपी?
(क) नाक के लिए पत्थर नहीं मिला
(ख) नाक लग गई है
(ग) नाक का मसला हल हो गया
(घ) रानी का आगमन टल गया
उत्तर:
(ग) नाक का मसला हल हो गया
प्रश्न 33.
मूर्ति के आसपास के तालाब में पानी क्यों भरा गया?
(क) ताकि नाक सूखने न पाए
(ख) ताकि कोई नाक तक पहुँचने न पाए
(ग) ताकि नाक दूर से स्पष्ट दिखाई न दे
(घ) ताकि उनकी पोल न खुल जाए
उत्तर:
(क) ताकि नाक सूखने न पाए
प्रश्न 34.
बिहार में सेक्रेटेरिएट पर झण्डा फहराने को लेकर बच्चे कब शहीद हुए थे?
(क) सन् 1932 में
(ख) सन् 1935 में
(ग) सन् 1930 में
(घ) सन् 1942 में
उत्तर:
(क) सन् 1932 में
प्रश्न 35.
'जॉर्ज पंचम की नाक' में किस पर व्यंग्य किया गया है? .
(क) रानी एलिजाबेथ पर
(ख) सरकारी तन्त्र पर
(ग) रानी के दर्जी पर
(घ) भारतीयों की मेहमान नवाजी पर
उत्तर:
(ख) सरकारी तन्त्र पर
प्रश्न 36.
शाही लाटों की नाकों के लिए क्या होता रहा है?
(क) संघर्ष
(ख) पहरेदारी
(ग) युद्ध
(घ) जिहाद
उत्तर:
(ग) युद्ध
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
'जॉर्ज पंचम की नाक' व्यंग्यात्मक कहानी में भारत सरकार की किस मनोवृत्ति पर व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
'जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी में भारत सरकार की राजनीतिक कमजोरी एवं सामन्तशाही मनोवृत्ति पर व्यंग्य किया गया है।
प्रश्न 2.
"कमलेश्वर ने 'जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी का सारा व्यंग्य 'नाक' शब्द पर केन्द्रित किया।" उक्त कथन को पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लेखक ने व्यंग्य किया है जो अंग्रेजों की हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भी मानसिक गुलामी से ग्रस्त हैं और विदेशियों के मान-सम्मान अर्थात् जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को सर्वोपरि मानते हैं।
प्रश्न 3.
नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। पाठ के आधार पर समझाइये।
उत्तर:
नाक मनुष्य की प्रतिष्ठा, मान-सम्मान की प्रतीक है जिसके न होने पर मनुष्य का सौन्दर्य और प्रतिष्ठा नष्ट हो जाती है जैसे भारत में विदेशी जॉर्ज पंचम की कटी हुई नाक उनके अपमान की प्रतीक है।
प्रश्न 4.
मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के क्या भाव रहे होंगे?
उत्तर:
मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के मन में प्रसन्नता के भाव जाग गए होंगे क्यों कमाई और सम्मान मिलने का लालच आ गया था।
प्रश्न 5.
रानी एलिजाबेथ के आने से पूर्व दिल्ली के इण्डिया गेट पर क्या हादसा हुआ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रानी एलिजाबेथ के आने से पूर्व दिल्ली के इण्डिया गेट के सामने चौराहे पर लगी जॉर्ज पंचम की लाट पर बनी मूर्ति से नाक अचानक गायब हो गई थी।
प्रश्न 6.
"लेकिन इस दिन के अखबारों में एक बात गौर करने की थी"'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ के आधार पर बताइए कि उस दिन के अखबारों में गौर करने की बात क्या थी?
उत्तर:
अखबारों में उस दिन देश में कहीं भी किसी उद्घाटन की, सार्वजनिक सभा होने की, किसी के अभिनन्दन, मान-पत्र भेंट, सम्मान आदि कोई भी खबर नहीं छपी थी।
प्रश्न 7.
इंग्लैण्ड की महारानी के हिन्दुस्तान आने पर होने वाली तैयारियों में अचानक क्या बाधा आ पड़ी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की मूर्ति से नाक का गायब हो जाना। अचानक उसे सुधारने की बाधा आ गई।
प्रश्न 8.
किस विचार से पूरित होकर भारत सरकार के अधिकारियों ने जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर नाक लगवाने का शीघ्रातिशीघ्र निर्णय लिया?
उत्तर:
रानी एलिजाबेथ जॉर्ज पंचम की नाक गायब देखकर बुरा मानेगी, अपनी इज्जत का प्रश्न मानेगी। इस विचार से पूरित होकर नाक लगवाने का शीघ्रातिशीघ्र निर्णय लिया गया।
प्रश्न 9.
"इंग्लैण्ड के अखबारों की कतरनें हिन्दुस्तानी अखबारों में दूसरे दिन चिपकी नजर आती थीं।" कथन में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निर्भीकता एवं निष्पक्षता की द्योतक पत्रकारिता आज विशुद्ध पत्रकारिता न रहकर व्यवसाय बन गई है। अब पत्रकारिता अर्थ कमाने, बड़ी हस्तियों की प्रशंसा और मनोरंजनात्मक खबरें छापने लगी है।
प्रश्न 10.
अखबारी कतरनों के रूप में हिन्दुस्तानी अखबारों में क्या छापा जा रहा था?
उत्तर:
महारानी के पहनावे का शौक, उनकी जन्मपत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे, उनके अंगरक्षकों की जीवनियाँ आदि को हिन्दुस्तानी अखबारों में छापा जा रहा था।
प्रश्न 11.
"राजधानी में तहलका मचा हुआ था।" यह तहलका किस संबंध में था और हमारी किस मानसिकता का द्योतक था?
उत्तर:
यह तहलका भारत आने वाली महारानी एलिजाबेथ के सम्बन्ध में था। जो स्वतन्त्र होने पर भी हमारी गुलामी की मानसिकता का ही द्योतक था।
प्रश्न 12.
रानी एलिजाबेथ के भारत आगमन के समय सरकारी-तंत्र असमंजस में क्यों पड़ गया था?
उत्तर:
सरकारी-तंत्र जॉर्ज पंचम की कटी नाक देखकर उसे वापस कैसे लगवाया जाए यह सोचकर असमंजस में पड़ गया था।
प्रश्न 13.
नई दिल्ली की कायापलट क्यों होने लगी थी?
उत्तर: भारत-सरकार रानी एलिजाबेथ के आगमन पर शाही सम्मान करना चाहती थी। इसलिए उनके स्वागत की तैयारियों में नई दिल्ली की कायापलट होने लगी थी।
प्रश्न 14.
जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर किसने आन्दोलन किए थे?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक बनी रहे या हटा दी जाए, के संबंध में राजनीतिक दलों ने आन्दोलन किए थे।
प्रश्न 15.
जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक किसने और क्यों तोड़ी होगी?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक किसी देशभक्त ने ही तोड़ी होगी। क्योंकि स्वतन्त्रता के भाव से पूरित होकर गुलामी और शोषक के प्रतीक जॉर्ज पंचम की मूर्ति को हटाना चाहता था।
प्रश्न 16.
अखबारों के पन्ने किस बात को लेकर रंग गये थे?
उत्तर:
अखबारों के पन्ने जॉर्ज पंचम की कटी नाक पर होने वाली बहसों को लेकर रंग गये थे।
प्रश्न 17.
पुरातत्त्व विभाग की फाइलों के पेट चीरने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इसका अभिप्राय यह है कि उन फाइलों को देखने से यह पता चल सके कि जॉर्ज पंचम की मूर्ति में लगा पत्थर कब, कहाँ से तथा किस किस्म का मँगवाया गया था?
प्रश्न. 18.
"हथियारबन्द पहरेदार अपनी जगह तैनात रहे और लाट की नाक चली गई।" लेखक का यह कथन सरकारी तंत्र की किस कमजोरी पर व्यंग्य करता है? .
उत्तर:
लेखक का यह कथन सरकारी तंत्र की अकर्मण्य और ढीली-ढाली व्यवस्था पर व्यंग्य करता है।
प्रश्न 19.
सभापति ने चलते-चलते गर्व से क्या कहा था?
उत्तर:
सभापति ने कहा था, "ऐसी क्या चीज है जो हिन्दुस्तान में नहीं मिलती। हर चीज इस देश के गर्भ में छिपी हुई है, हमें खोज करनी है, मेहनत का फल अवश्य मिलेगा।"
प्रश्न 20.
सभापति ने जॉर्ज पंचम की मूर्ति में लगे विदेशी पत्थर के बारे में जानकर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?
उत्तर:
सभापति ने तैश में आकर कहा कि भारत में विदेशी पत्थर क्यों उपलब्ध नहीं है, जबकि भारत विदेशों की सारी चीजें अपना चुका है।
प्रश्न 21.
विदेशी सभ्यता और वस्तुओं के प्रति भारतीयों के मोह पर लेखक ने क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर:
लेखक ने कहा-जब हम भारतीय दिल-दिमाग से विदेशी तौर-तरीके अपना चुके तो पत्थर को क्यों छोड़ें, उसे भी विदेश से मँगवा लिया जाए।
प्रश्न 22.
मूर्तिकार की सहसा आँखों में चमक आ गई। चमक आने का क्या कारण था और उसने क्या कहा?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर नाक लगाने की युक्ति आ जाना उसकी आँखों में चमक आने का कारण था। उसने कहा अपने नेताओं की मूर्ति पर से नाक उतार कर जॉर्ज पंचम की नाक पर लगा दी जाए।
प्रश्न 23.
"वह छोटा-सा भाषण फौरन अखबारों में छप गया।"कथन के माध्यम से लेखक ने किन-किन के बीच के ताल-मेल पर व्यंग्य किया है?
उत्तर:
इस कथन के माध्यम से लेखक ने सरकार और अखबारों के बीच चलने वाले ताल-मेल पर व्यंग्य किया है।
प्रश्न 24.
मूर्तिकार को बिहार के शहीद बच्चों की नाक भी जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी क्यों लगी?
उत्तर:
बिहार के शहीदी बच्चों ने देश की खातिर प्राणों को न्यौछावर किया था, देश का मान-सम्मान बढ़ाया था, जबकि जॉर्ज पंचम ने देश को गुलाम बनाकर अपनी दुर्नीतियों के साथ शासन किया था।
प्रश्न 25.
कहानी में सरकारी खैरख्वाह किन्हें कहा गया है, उनकी मूल चिन्ता क्या थी?
उत्तर:
कहानी में सरकार के शुभचिन्तकों को सरकारी खैरख्वाह कहा गया है। उनकी मूल चिन्ता सरकार के चलते रहने की थी।
प्रश्न 26.
सरकारी खैरख्वाहों ने क्या निर्णय लिया?
उत्तर:
सरकारी खैरख्वाहों ने निर्णय लिया कि महारानी के आगमन पर जॉर्ज पंचम की कटी नाक फिर से लगवाने की व्यवस्था की जाये।
प्रश्न 27.
रानी एलिजाबेथ के सूट के बारे में कैसी खबरें छप रही थीं?
उत्तर:
रानी एलिजाबेथ के सूट के बारे में छपा था कि रानी ने एक ऐसा हल्के नीले रंग का सूट बनवाया है। जिसका रेशमी कपड़ा हिन्दुस्तान से मँगवाया गया है।
प्रश्न 28.
'विदेश की सारी चीजें हम अपना चुके हैं सभापति के इस कथन का क्या आशय है?
उत्तर:
सारी चीजें हम अपना चुके हैं इसका आशय यह है कि भारतीय संस्कृति ने पाश्चात्य संस्कृति को पूरी तरह अपना लिया।
प्रश्न 29.
मूर्तिकार को देश-भक्त नेताओं और जॉर्ज पंचम की नाक में क्या अन्तर लगा?
उत्तर:
मूर्तिकार को देश-भक्त नेताओं की नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी लगी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
" 'जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी में कमलेश्वर ने सत्ता से जुड़े विभिन्न प्रकार के लोगों की औपनिवेशिक दौर की मानसिकता और विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट की है।" कथन की सत्यता को सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
'जॉर्ज पंचम की नाक' व्यंग्य-प्रधान कहानी में अंग्रेजों के जाने के बाद भी देश का सरकारी तंत्र अब तक मानसिक गुलामी को न त्याग सका, परिणामस्वरूप भारत की यात्रा पर आने वाली एलिजाबेथ के समाचार अखबारों में ही नहीं छपे, दिल्ली की काया-कल्प भी होने लगी। स्वागत क्रम में कमेटियों का गठन, जॉर्ज पंचम की टूटी नाक जोड़ने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जाना। अन्त में जिन्दा नाक लगाने का निर्णय, ये सब सत्ता से जुड़े लोगों की औपनिवेशिक दौर की मानसिकता और विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट करती हैं।
प्रश्न 2.
'जॉर्ज पंचम की नाक कहानी में किस मनोवृत्ति पर व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
'जॉर्ज पंचम की नाक' व्यंग्यात्मक शैली में रचित कहानी में नाक के सवाल पर व्यंग्य किया गया है। इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ जॉर्ज पंचम की कटी नाक देखकर बुरा मानेंगी। इस कारण पूरा सरकारी तंत्र जॉर्ज पंचम की कटी नाक कैसे ठीक की जाए और उसकी सुरक्षा व्यवस्था होती रहे। इस प्रकार नाक को इज्जत से जोड़ कर सामन्ती मनोवृत्ति के साथ ही भारतीयों की गुलामी की मानसिकता पर तीखा व्यंग्य किया गया है।
प्रश्न 3.
'जॉर्ज पंचम की नाक' शीर्षक कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में स्वाभिमान रहित भारतीय शासकों पर व्यंग्य है। जो आजाद होते हुए भी अपने आत्मसम्मान को भूलकर अत्याचारियों का सम्मान करने में लगे हुए हैं। उन्हें भारतीय महापुरुषों एवं देशभक्त शहीदों के त्याग-बलिदान की चिंता नहीं है, उन्हें चिन्ता महारानी और उसके पुरखों की है जिन्होंने इस देश को कभी गुलाम बनाया था। इस प्रकार जॉर्ज पंचम की नाक को इज्जत का प्रतीक मानने वाली सरकार और उसकी कार्य-प्रणाली पर व्यंग्य करना कहानी का उद्देश्य है।
प्रश्न 4.
नाक लगने पर भी कोई सरकारी समारोह क्यों नहीं हो पाया? 'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की लाट पर कलाकार को किसी भारतीय की जिन्दा नाक लगानी थी। इस कारण पूरा सरकारी तंत्र डरा हुआ था कि कहीं उनकी नाक ही जॉर्ज पंचम की लाट पर फिट न कर दी जाए। इसलिए उस दिन न कोई अधिकारी वहाँ पर आया, न कोई सार्वजनिक समारोह किया गया और न स्वागत समारोह। इसके साथ ही वह दिन देश के लिए शर्म का भी दिन था, क्योंकि अब भी उपनिवेशवादी ब्रिटिश शासकों को खुश करने के लिए भारतीयों की बलि चढ़ाई जा रही थी।
प्रश्न 5.
'जॉर्ज पंचम की नाक' कहानी में सरकारी कार्यालयों की कार्य-प्रणाली पर किए गये व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कहानी में सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली और उत्तरदायित्वहीनता पर तीखा व्यंग्य है। सभी अधिकारी एवं कर्मचारी किसी समस्या निदान हेतु समिति गठित करते हैं। व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी न बन कर अधीनस्थ कर्मचारियों को दोषी ठहरा देते हैं और अपना पिंड छुड़ा लेते हैं। इस प्रकार सरकारी हुक्म की तामील करने में स्वाभिमान रहित होकर वे उचित-अनुचित समयानुसार अपनाने में किंचित्मात्र भी संकोच नहीं करते हैं और स्वार्थसिद्धि में लगे रहते हैं।
प्रश्न 6.
एलिजाबेथ के भारत आगमन पर इंग्लैण्ड और भारत दोनों स्थानों पर हलचल मच गई। उनके इस दौरे का असर किन-किन पर हुआ?
उत्तर:
रानी एलिजाबेथ के आगमन से इंग्लैण्ड और भारत दोनों ही जगहों पर हलचल बढ़ गई। उनके इस दौरे से प्रभावित होने वालों में विभिन्न समाचार-पत्र, पूरी दिल्ली, एलिजाबेथ का दरजी, विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी और मन्त्रीगण विशेष रूप से प्रभावित हुए। अखबारों में रानी एलिजाबेथ, प्रिंस फिलिप, उनके नौकरों, बावर्चियों, अंगरक्षकों तथा कुत्तों की जीवनी तथा फोटो छपे राजधानी दिल्ली में तहलका मचा हुआ था। सरकारी तन्त्र दिल्ली की साफ तथा सुन्दर तस्वीर प्रस्तुत करना चाहता था। इसके अलावा अफसरों तथा मन्त्रियों की परेशानी तो देखते ही बनती थी क्योंकि जॉर्ज पंचम की टूटी नाक जोड़ने का प्रबन्ध उन्हें जो करना था।
प्रश्न 7.
मर्तिकार की उन परेशानियों का वर्णन कीजिए जिनके कारण उसे हैरत-अंगेज निर्णय लेना पड़ा। वह निर्णय क्या था?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक ठीक करने के लिए पहले तो मूर्तिकार पहाड़ी प्रदेशों और पत्थर की खानों में उसी किस्म का पत्थर तलाशता रहा। ऐसा करने में असफल रहने पर उसने देश के शहीद नेताओं की नाक काटकर लगाने का निर्णय लिया। यहाँ भी असफल रहने पर उसने बिहार सचिवालय के सामने शहीद बच्चों की मूर्तियों की नाकों का नाप लिया, पर यह भी असफल रहा। तब उसने ऐसा हैरत-अंगेज निर्णय लिया कि चालीस करोड़ में से कोई एक जिन्दा नाक काट ली जाए और जॉर्ज पंचम की टूटी नाक पर लगा दी जाए।
प्रश्न 8.
'जॉर्ज पंचम की नाक' नामक पाठ में भारतीय अधिकारियों, मन्त्रियों और कार्यालयी कार्य-प्रणाली पर कठोर व्यंग्य किया गया है। इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
'जॉर्ज पंचम की नाक' नामक पाठ व्यंग्य-प्रधान रचना है। इसमें जॉर्ज पंचम की टूटी नाक को प्रतिष्ठा बनाकर मन्त्रियों एवं सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया गया है। एलिजाबेथ के भारत आगमन पर राजधानी में तहलका मचने, अफसरों और मन्त्रियों के परेशान होने की स्थिति देखकर यही लगता है कि जैसे आज भी हम अंग्रेजों के गुलाम हों। देश के सम्मान से सरकारी कर्मचारियों का कुछ लेना-देना नहीं होता है। यदि उनकी स्वार्थपूर्ति हो रही हो तो वे देश के सम्मान को ठेस पहुँचाने में जरा-सा भी संकोच नहीं करते हैं। येन-केन प्रकारेण स्वार्थ-सिद्धि ही उनका उद्देश्य बनकर रह गया है।
प्रश्न 9.
जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्त्व विभाग की फाइलों की छानबीन की . जरूरत क्यों आ गई? इस छानबीन का क्या परिणाम रहा? ..
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की लाट की टटी नाक लगाने के क्रम में परातत्त्व विभाग की फाइलों की छानबीन की जरूरत इसलिए आ गई क्योंकि इन्हीं फाइलों में प्राचीन वस्तुओं, इमारतों, लाटों तथा महत्त्वपूर्ण वस्तुओं से सम्बन्धित विस्तृत जानकारी संजोकर रखी जाती है, जिससे समय आने पर इनसे देश के इतिहास सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सके। इन फाइलों की खोजबीन इसलिए की जा रही थी जिससे मूर्तिकार लाट के पत्थर का मूलभाव, लाट कब बनी, कहाँ बनी, किसके द्वारा बनाई गई आदि सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर उसकी टूटी नाक की मरम्मत कर सके।
प्रश्न 10.
'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ में देश के विभिन्न भागों के प्रसिद्ध नेताओं, देश-भक्तों और स्वाधीनता सेनानियों का उल्लेख हुआ है। इनके जीवन चरित्र से आप किन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे?
उत्तर:
'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ में गाँधीजी. रवीन्द्रनाथ टैगोर, लाला लाजपत राय से लेकर रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद जैसे देश-भक्तों का उल्लेख हुआ है। इन शहीदों एवं देश-भक्तों ने देश के लिए अपना तन, मन, धन और सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए नाना प्रकार के कष्ट सहे। इन नेताओं, देश भक्तों और स्वतन्त्रता सेनानियों के जीवन एवं चरित्र से मैं देश-प्रेम एवं देश-भक्ति, देश के स्वाभिमान पर मर-मिटने की भावना, देश-भक्तों का सम्मान, राष्ट्र के गौरव को सर्वोपरि समझने जैसे मूल्यों को अपनाना चाहूँगा तथा समय पर उचित निर्णय लेते हए ऐसा कार्य करूँगा जिससे देश का गौरव बढे।
प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक प्रयास किए। उन प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताइए कि आप इनमें से किसे सही मानते हैं और किसे गलत? इससे उसमें किन मूल्यों का अभाव दिखता है?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लगाने के लिए मूर्तिकार सबसे पहले उसी किस्म का पत्थर खोजने के लिए हिन्दुस्तान के पहाड़ी प्रदेशों के दौरे पर गया। उसके इस प्रयास को मैं सही मानता हूँ। लेकिन मूर्तिकार देश के नेताओं की मूर्तियों की नाप, शहीदी बच्चों की नाकों का नाप लिया और अन्ततः सफल न होने पर एक जिन्दा नाक लगा दी तो उसका यह कृत्य गलत लगा। क्योंकि एक बुत के लिए जिन्दा नाक कितनी विचित्र और लज्जाजनक बात थी। मूर्तिकार के कृत्य से उसमें दूरदर्शिता, शहीदों के प्रति सम्मान और देश के मान-सम्मान की रक्षा करने जैसे मूल्यों का अभाव नजर आता है।
प्रसिद्ध कहानीकार कमलेश्वर का जन्म सन् 1932 में मैनपुरी (उ.प्र.) में हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने एम.ए. किया। दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर कार्य करने वाले कमलेश्वर ने कई पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। जिनमें 'सारिका', 'दैनिक जागरण' और 'दैनिक भास्कर' प्रमुख हैं। साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत कमलेश्वर को भारत सरकार ने 'पदम्भूषण' से भी सम्मानित किया। 27 जनवरी सन् 2007 को उनका निधन हो गया। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं - 'राजा निरबंसिया', 'खोई हुई दिशाएँ', 'सोलह छतों वाला घर', 'जिंदा मुर्दे' (कहानी-संग्रह); 'वही बात', 'आगामी अतीत', 'डाक बंगला', 'काली आँधी', 'कितने पाकिस्तान' (उपन्यास)। उन्होंने यात्रा-वृत्तान्त, संस्मरण और आत्मकथा भी लिखी हैं।
'जॉर्ज पंचम की नाक' कमलेश्वर द्वारा रचित एक व्यंग्यात्मक कहानी है। यह कहानी सामन्तशाही मनोवृत्ति पर आधारित है। लेखक ने इस लेख के माध्यम से रानी एलिजाबेथ द्वितीय के भारत आने पर भारतीय शासन व्यवस्था की शर्मनाक हरकत और परतन्त्र मानसिकता का वर्णन किया है। इसका सार इस प्रकार है
1. रानी एलिजाबेथ का भारत आगमन-बात उन दिनों की है जब इंग्लैण्ड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ भारत पधारने वाली थीं। अखबारों में उनसे सम्बन्धित खबरें छपती थीं। उधर रानी के दरजी उनकी वेशभूषा तय करने के संबंध में परेशान थे। अखबारों में रानी के बारे में, उसके पति प्रिंस फिलिप के कारनामों के बारे में, उनके नौकरों, कुत्तों आदि के बारे में खबरें छपती थीं। इन सब खबरों के बीच ही देखते-देखते दिल्ली की कायापलट होने लगी। सड़कें जवान हो गईं और इमारतें सुन्दरियों की भाँति सज गईं।
2. जॉर्ज पंचम की नाक की परेशानी-अचानक जॉर्ज पंचम की नाक की परेशानी सामने आ गयी, क्योंकि इण्डिया गेट के पास लगी उनकी मर्ति से नाक गायब थी। नाक गायब होना राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जाने लग की रानी जब जॉर्ज पंचम की लाट देखने जायेगी और उनकी मूर्ति से नाक गायब देखकर बुरा मानेगी। अपनी इज्जत का प्रश्न मानेगी और भारत की नाक कट जायेगी। इस विचार से भारत सरकार के अधिकारियों ने उस मूर्ति पर जल्दी से जल्दी नाक लगवाने का निर्णय लिया।
3. मूर्तिकार को बुलावा-निर्णय के अनुसार एक मूर्तिकार को तुरन्त दिल्ली बुलाया गया और उसे जॉर्ज पंचम की नाक लगाने के लिए कहा गया। उसने हाँ करते हुए पूछा कि इसकी लाट का पत्थर कहाँ से लाया गया था। यह जानने के लिए पुरातत्व विभाग की फाइलें खोली गयीं, लेकिन कुछ पता न लग सका। फिर एक खास कमेटी बनाकर उसे नाक लगवाने का काम सौंप दिया गया।
4. सारे. पर्वतों की खोज-मूर्तिकार ने सुझाव दिया कि देशभर के पर्वतों पर जाकर पत्थर की किस्म का पता लगाकर पत्थर खोज लाऊँगा। स्वीकृति पाकर मूर्तिकार देशभर के पहाड़ों के पत्थरों की जाँच कर आया लेकिन उसे मूर्ति वाला पत्थर नहीं मिला। तब उसने कहा-यह विदेशी पत्थर है।
5. भारत में लगी मूर्तियों की नाक की खोज-मूर्तिकार ने यह सुझाव दिया कि हमारे देश में लगी नेताओं की मूर्तियों में से जॉर्ज पंचम की नाक से मेल खाती नाक को ले लिया जाए और उसे जॉर्ज पंचम की नाक की जगह लगा दिया जाये। मूर्तिकार के सुझाव को स्वीकृति मिल गयी। उसने सारे देश में दौरा किया, लेकिन महापुरुषों और नेताओं की लगी मूर्तियों की नाक जॉर्ज पंचम की-नाक से बड़ी निकली।
6. जिंदा नाक लगाने का प्रस्ताव-दिल्ली में रानी के स्वागत की सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी थीं। मूर्ति को मल-मलकर नहलाया गया था, परन्तु नाक नहीं थी। इस हेतु एक नयी योजना पेश की गयी कि चालीस करोड़ जनता में से कोई एक जिंदा नाक काटकर लगा दी जाए। नाक के चुनाव का काम मूर्तिकार को सौंपा गया। अखबारों में छप गया कि नाक का मसला हल हो गया।
नाक लगने से पहले हथियारबन्द पहरेदारों की तैनाती हुई। मूर्ति के आस-पास का तालाब साफ किया गया और उसमें ताजा पानी डाला गया, ताकि नाक सूखने न पाए। आखिरकार अन्तिम दिन चुपचाप जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लग गई। सब अखबारों में छपा कि जॉर्ज पंचम के जिन्दा नाक लगाई गई है लेकिन उस दिन अखबारों में किसी उद्घाटन, सभा, अभिनन्दन, मानपत्र देने या स्वागत समारोह होने का समाचार नहीं छपा। सब अखबार खाली थे। पता नहीं क्यों? नाक तो एक ही चाहिए थी और वह भी बुत के लिए।