These comprehensive RBSE Class 9 Social Science Notes Economics Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती will give a brief overview of all the concepts.
→ अवलोकन - भारत में निर्धनता की समस्या एक विकट समस्या है। इस अध्याय में निर्धनता की समस्या का विस्तृत अध्ययन किया गया है। भारत में ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में निर्धनता व्याप्त है तथा भारत में लगभग 27 करोड़ लोग निर्धनता का जीवन जी रहे हैं । अतः भारत के सम्मुख निर्धनता की एक कठिन चुनौती है। सामान्य अर्थ में निर्धनता का तात्पर्य लोगों को उनकी मूलभूत आवश्यकता प्राप्त न होना है अर्थात् यदि लोगों को भोजन, आवास, स्वच्छ जल, स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि पर्याप्त मात्रा में प्राप्त न हों तो उन्हें निर्धन माना जाएगा।
→ सामाजिक वैज्ञानिकों की दृष्टि में निर्धनता - सामाजिक वैज्ञानिकों की दृष्टि से निर्धनता के अनेक सूचक हैं। वर्तमान में निर्धनता को निरक्षरता स्तर, कुपोषण के कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुँच की कमी आदि सामाजिक सूचकों के माध्यम से देखा जाता है।
→ निर्धनता रेखा - निर्धनता रेखा की अवधारणा एक सर्वमान्य सामान्य विधि आय अथवा उपभोग स्तरों पर आधारित है। यदि कोई व्यक्ति इस निर्धारित आय अथवा उपभोग स्तर से नीचे रह जाता है तो वह निर्धन माना जाएगा। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में जिस व्यक्ति को 2400 कैलोरी प्रतिदिन तथा शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिदिन से कम मिलती है वह निर्धन माना जाता है। इन कैलोरी आवश्यकताओं को खरीदने के मौद्रिक आधार पर वर्ष 2011-12 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में 816 रुपये प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपये प्रतिमाह किया गया था। भारत में निर्धनता सम्बन्धी आँकड़े राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (N.S.S.0.) द्वारा एकत्रित किए जाते हैं।
→ निर्धनता के अनुपात - भारत में निर्धनता अनुपात में वर्ष 1993-94 में लगभग 45 प्रतिशत से वर्ष 2011-12 में 22 प्रतिशत तक महत्त्वपूर्ण गिरावट आई है। देश में 2004-05 में 40.7 करोड़ लोग निर्धनता रेखा से नीचे थे। यह संख्या वर्ष 2011-12 में 27 करोड़ हो गई।
→ असुरक्षित समूह - निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात सभी सामाजिक समूहों और आर्थिक वर्गों में एक समान नहीं है। भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार इस दृष्टि से सर्वाधिक असुरक्षित हैं। इसी प्रकार आर्थिक समूहों में ग्रामीण कृषक एवं शहरी अनियत मजदूर परिवार सर्वाधिक असुरक्षित हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इनकी स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है; किन्तु अभी भी यह सुधार अपर्याप्त है।
→ अंतर्राज्यीय असमानताएँ - भारत में निर्धनता अनुपात के आधार पर विभिन्न राज्यों में काफी असमानता पाई जाती है। देश में मध्यप्रदेश, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं ओडिशा में निर्धनता की समस्या काफी गंभीर है। देश में कुछ राज्यों में निर्धनता का प्रतिशत काफी कम है तथा उनमें तीव्र गति से निर्धनता में गिरावट आई है।
→ वैश्विक निर्धनता परिदृश्य - वैश्विक स्तर पर भी निर्धनता के अनुपात में काफी असमानता है। पिछले वर्षों में चीन एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में निर्धनता में विशेष कमी आई है, जबकि कई देशों में निर्धनता में धीमी गति से गिरावट आई है। अफ्रीका में निर्धनता अनुपात काफी ऊँचा है।
→ निर्धनता के कारण - भारत में निर्धनता की समस्या के अनेक कारण हैं, जो निम्न प्रकार हैं-ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा शोषण, जनसंख्या की उच्च दर से वृद्धि, रोजगार अवसरों में कमी, बेरोजगारी, आय की असमानता, भूमि सुधार की कमी, भूमि संसाधनों की कमी, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारण, आर्थिक कारण इत्यादि।
→ निर्धनता विरोधी उपाय - भारत में सरकार ने निर्धनता निवारण हेतु अनेक प्रयास किए हैं, इन्हें दो भागों में बाँटा जा सकता है
→ भावी चुनौतियाँ - भारत में निर्धनता में कमी आई है; परन्तु निर्धनता उन्मूलन अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। इसके अतिरिक्त सभी को स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षा एवं रोजगार सुरक्षा उपलब्ध कराना, लैंगिक समता, निर्धनों का सम्मान | जैसी चुनौतियाँ भी हैं।