RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

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RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

→ अधिकार क्या है?-अधिकार लोगों के तार्किक दावे हैं, इन्हें समाज से स्वीकृति और अदालतों द्वारा मान्यता मिली होती है। लोकतंत्र में अधिकारों की आवश्यकता
लोकतंत्र में अधिकारों की अत्यधिक आवश्यकता होती है। यथा

  • लोकतंत्र की स्थापना के लिए अधिकारों का होना आवश्यक है-
    • लोकतंत्र में हर नागरिक को वोट देने | और चुनाव लड़कर प्रतिनिधि चुने जाने का अधिकार होना आवश्यक है।
    • लोकतांत्रिक चुनाव हों इसके लिए लोगों को अपने विचारों को व्यक्त करने की, राजनैतिक पार्टी बनाने और राजनैतिक गतिविधियों की आजादी का होना जरूरी हे।
  • लोकतंत्र में अधिकार बहुसंख्यकों के दमन से अल्पसंख्यकों की रक्षा करते हैं।
  • अधिकार स्थितियों के बिगड़ने पर एक तरह की गारंटी होते हैं। 
  • इसलिए अधिकांश लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में नागरिकों के अधिकार संविधान में लिखित रूप में दर्ज होते है।

RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

→ भारतीय संविधान में अधिकार भारत का संविधान नागरिकों को निम्नलिखित छ: मौलिक अधिकार प्रदान करता है
(1) समानता का अधिकार-संविधान के अनुसार सरकार भारत में किसी व्यक्ति को कानून के सामने समानता या कानून से संरक्षण के मामले में समानता के अधिकार से वंचित नहीं कर सकती।

  • सरकार किसी से भी उसके धर्म, जाति, समुदाय, लिंग और जन्मस्थल के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश, सार्वजनिक संसाधनों जैसे—सार्वजनिक कुएं, तालाब, स्नान घाट, सड़क, खेल के मैदान, पार्क आदि और सार्वजनिक भवनों के इस्तेमाल से किसी को वंचित नहीं किया जा सकता।
  • सरकार में किसी पद पर नियुक्ति या रोजगार के मामले में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता है। लेकिन सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जातियों के लिए नौकरियों में प्रवेश के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर सकती है। संविधान छुआछूत को समाप्त करने पर बल देता है। संविधान ने छुआछूत को दंडनीय अपराध घोषित किया है।

(2) स्वतंत्रता का अधिकार-भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को निम्नलिखित छः स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  • शांतिपूर्ण ढंग से जमा होने की स्वतंत्रता
  • संगठन और संघ बनाने की स्वतंत्रता
  • देश में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता
  • देश के किसी भी भाग में रहने-बसने की स्वतंत्रता
  • कोई भी काम करने, धंधा करने या पेशा करने की स्वतंत्रता।

जीवन का अधिकार तथा निजी स्वतंत्रता का अधिकार-किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन के अधिकार और निजी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता-कानून द्वारा स्थापित व्यवस्थाओं को छोड़कर। इसका अभिप्राय यह है कि कानूनी आधार होने पर ही सरकार या पुलिस अधिकारी किसी नागरिक को गिरफ्तार कर सकता है। यदि वे ऐसा करते हैं तो उन्हें निम्न नियमों का पालन करना होता है
(क) किसी व्यक्ति को बिना कारण बताये गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
(ख) गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को 24 घंटों के अन्दर न्यायपालिका के समक्ष प्रस्तुत करना होता है।
(ग) ऐसे व्यक्ति को वकील से विचार-विमर्श करने और अपने बचाव के लिए वकील रखने का अधिकार होता है।

(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार-संविधान ने कमजोर वर्ग के शोषण को समाप्त करने के लिए शोषण के विरुद्ध अधिकार प्रदान किया है।

  • संविधान मनुष्य जाति के अवैध व्यापार का निषेध करता है।
  • संविधान किसी किस्म के बेगार या जबरन काम लेने का निषेध करता है।
  • संविधान बाल मजदूरी का भी निषेध करता है।

(4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार-भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। यहाँ प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म मानने, उस पर आचरण करने और शांतिपूर्वक उसका प्रचार करने का अधिकार है।

(5) सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार-संविधान में स्पष्ट कहा गया है कि

  • नागरिकों में विशिष्ट भाषा या संस्कृति वाले किसी भी समूह को अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने का अधिकार है।
  • किसी भी सरकारी या सरकारी अनुदान पाने वाले शैक्षणिक संस्थान में किसी नागरिक को धर्म या भाषा के आधार पर दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता।
  • सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद का शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार है।

(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार-संवैधानिक उपचारों के अधिकार के तहत नागरिकों को उपर्युक्त अधिकारों को लागू कराने की माँग करने का अधिकार है। यह भी एक मौलिक अधिकार है। यह अधिकार अन्य अधिकारों को प्रभावी बनाता है।
सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालयों को मौलिक अधिकार लागू कराने के मामले में निर्देश देने, आदेश या रिट जारी करने का अधिकार है। मौलिक अधिकारों के हनन के मामले में कोई भी पीड़ित व्यक्ति न्याय पाने के लिए तुरन्त अदालत में जा सकता है। पर अगर मामला सामाजिक या सार्वजनिक हित का हो तो ऐसे मामलों में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कोई भी व्यक्ति अदालत में जा सकता है। ऐसे मामलों को 'जनहित याचिका' के माध्यम से उठाया जा सकता है।

RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार

→ अधिकारों का बढ़ता दायरा - समय-समय पर न्यायालयों ने ऐसे फैसले दिए हैं जिनसे अधिकारों का दायरा बढ़ा है। यथा

  • प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार, सूचना का अधिकार और शिक्षा का अधिकार जैसे अधिकार मौलिक अधिकारों का ही विस्तार हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने जीवन के अधिकार को नया विस्तार देते हुए उसमें भोजन के अधिकार को भी शामिल कर दिया है।
  • संविधान अनेक दूसरे अधिकार भी देता है जो मौलिक अधिकार नहीं हैं, जैसे - संपत्ति रखने का अधिकार, चुनाव में वोट देने का अधिकार।
  • मानवाधिकारों के विस्तार, कई अन्तर्राष्ट्रीय संधियों और प्रतिज्ञा-पत्रों ने भी अधिकारों का दायरा बढ़ाने में (सहायता की है।
Prasanna
Last Updated on May 7, 2022, 4:22 p.m.
Published May 7, 2022