These comprehensive RBSE Class 8 Social Science Notes Civics Chapter 7 हाशियाकरण की समझ will give a brief overview of all the concepts.
→ सामाजिक रूप से हाशिये पर होने का क्या मतलब होता है?
सामाजिक रूप से हाशिये पर होने का अर्थ होता है वह व्यक्ति या समुदाय जिसे किनारे या हाशिये पर धकेल दिया गया हो और वह चीजों के केन्द्र में नहीं रह गया हो। उनके हाशियेकरण के अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे—अलग भाषा का होना, अलग रीति-रिवाज का होना, अल्पसंख्यक धर्मावलम्बी होना, गरीबी, सामाजिक हैसियत में कमजोर होना आदि।
→ हाशियाकरण और अलग-थलग किये जाने का यह एहसास समुदायों को संसाधनों और मौकों का फायदा उठाने से रोकता है। उन्हें समाज के अधिक पढ़े-लिखे, धनी, जमींदार तथा राजनीतिक रूप से शक्तिशाली तबकों के मुकाबले शक्तिहीनता और पराजय का एहसास होता है। इस प्रकार आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सभी दायरे समाज के कुछ तबकों को हाशियायी महसूस करने के लिए विवश करते हैं।
→ आदिवासी लोग कौन हैं?
आदिवासी ऐसे समुदाय हैं जो जंगलों के साथ जीते आए हैं और आज भी उसी तरह जी रहे हैं। भारत की लगभग 8 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है। देश के बहुत सारे महत्त्वपूर्ण खनन एवं औद्योगिक क्षेत्र आदिवासी इलाकों में हैं। भारत में 500 से ज्यादा तरह के आदिवासी समूह हैं। आदिवासी समाज औरों से बिल्कुल अलग दिखाई देते हैं क्योंकि उनके भीतर ऊँच-नीच का फर्क बहुत कम होता है। उनके धर्म इस्लाम, हिन्दू, ईसाई आदि धर्मों से बिल्कुल अलग हैं। उनकी अपनी अलग भाषाएँ रही हैं। :
→ आदिवासी, विकास और हाशियाकरण: 19वीं सदी तक हमारे देश का बड़ा हिस्सा जंगलों से ढका हुआ था और आदिवासियों के पास इस हिस्से की गहरी पैठ थी। उनका जंगलों पर पूरा नियन्त्रण था। औपनिवेशिक शासन से पहले वे शिकार और चीजें बीनकर आजीविका चलाते थे, स्थानान्तरित खेती करते थे। लेकिन पिछले 200 सालों में आए आर्थिक बदलावों, वन नीतियों और राज्य व निजी उद्योगों के राजनीतिक दबाव के कारण इन लोगों को बागानों, निर्माण स्थलों, उद्योगों और घरों में नौकरी करने के लिए धकेला जा रहा है। आज उनका वन क्षेत्रों पर कोई नियन्त्रण नहीं है और न ही उन तक सीधी पहुँच है। आदिवासियों की भूमि पर ताकतवर गुटों ने कब्जा करलिया है या खनन व खनन परियोजनाओं, बाँधों, राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव अभयारण्य के कारण उन्हें वहाँ से विस्थापित कर दिया गया है। इससे न केवल उनकी आमदनी के स्रोत छिन गये हैं, बल्कि उनकी परम्पराएँ और रीति-रिवाज भी छूट रहे हैं। आज उन्हें हाशियायी और शक्तिहीन समुदाय के रूप में देखा जाता है।
→ अल्पसंख्यक और हाशियाकरण-हमारा संविधान धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करता है। संविधान के प्रावधान उन्हें भेदभाव और नुकसान की आशंका से बचाते हैं तथा बहुसंख्यक समुदाय के सांस्कृतिक वर्चस्व की आशंका से भी बचाते हैं। मौलिक अधिकारों को साकार करने में न्यायपालिका एक अहम भूमिका निभाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या में मुसलमानों की संख्या 14.2 प्रतिशत है। उन्हें हाशियायी समुदाय माना जाता है क्योंकि दूसरे समुदायों के मुकाबले उन्हें सामाजिक-आर्थिक विकास के उतने लाभ नहीं मिले हैं। न्यायमूर्ति राजिन्दर सच्चर समिति की रिपोर्ट (2005) से पता चलता है कि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक संकेतकों के हिसाब से मुसलमानों की स्थिति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे अन्य हाशियायी समुदायों से मिलती-जुलती है।। हाशियाकरण का सम्बन्ध अभाव, पूर्वाग्रह और शक्तिहीनता के अहसास से जुड़ा हुआ है। हमारे देश में कई और भी हाशियायी समुदाय हैं। लेकिन हाशियायी समुदायों का जीवन भी बदला जा सकता है।