RBSE Class 8 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 8 Social Science Important Questions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को एक वकील के जरिये अपना बचाव करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है-
(अ) अनुच्छेद 22 
(ब) अनुच्छेद 21 
(स) अनुच्छेद 39 
(द) अनुच्छेद 23 
उत्तर:
(अ) अनुच्छेद 22 

प्रश्न 2. 
वह व्यक्ति जो सरकार की ओर से न्यायालय में मुकदमे की पैरवी करता है, कहलाता है-
(अ) पुलिस इन्स्पेक्टर 
(ब) सरकारी वकील 
(स) निजी वकील
(द) न्यायाधीश 
उत्तर:
(ब) सरकारी वकील 

प्रश्न 3. 
किसी अपराध के बारे में मिली शिकायत की जाँच की जाती है-
(अ) सरकारी वकील द्वारा 
(ब) पुलिस के द्वारा 
(स) सेना के द्वारा 
(द) न्यायपालिका द्वारा 
उत्तर:
(ब) पुलिस के द्वारा

प्रश्न 4. 
जब पुलिस जाँच पूरी करके अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर देती है, तब भूमिका शुरू होती है-
(अ) सरकारी वकील की 
(ब) न्यायाधीश की 
(स) बचाव पक्ष के वकील की 
(द) उपर्युक्त तीनों की
उत्तर:
(द) उपर्युक्त तीनों की

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प्रश्न 5. 
आरोपी वाकई दोषी है या नहीं, इसका निर्धारण करता है-
(अ) पुलिस इन्स्पेक्टर 
(ब) सरकारी वकील 
(स) बचाव पक्ष का वकील 
(द) न्यायाधीश 
उत्तर:
(द) न्यायाधीश 

प्रश्न 6. 
संविधान के किस अनुच्छेद में जीवन के अधिकार का आश्वासन दिया गया है? 
(अ) अनुच्छेद 16 
(ब) अनुच्छेद 20 
(स) अनुच्छेद 21 
(द) अनुच्छेद 22
उत्तर:
(स) अनुच्छेद 21 

प्रश्न 7. 
एफ. आई. आर. में उल्लेख किया जाता है- 
(अ) वारदात की तारीख का 
(ब) वारदात के समय का 
(स) वारदात के स्थान का 
(द) उपर्युक्त सभी का 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी का 

प्रश्न 8. 
किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी हिरासत और पूछताछ के बारे में बने नियमों को कहा जाता है-
(अ) अनुराग बसु दिशानिर्देश 
(ब) ज्योतिबसु दिशानिर्देश 
(स) डी. के. बसु दिशानिर्देश 
(द) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(स) डी. के. बसु दिशानिर्देश 

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प्रश्न 9. 
संविधान के किस अनुच्छेद के द्वारा गरीबों हेतु वकील उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य के ऊपर सौंपी गई है?
(अ) अनुच्छेद 21 
(ब) अनुच्छेद 39-ए
(स) अनुच्छेद 22 
(द) अनुच्छेद 40 
उत्तर:
(ब) अनुच्छेद 39-ए

प्रश्न 10. 
न्यायाधीश मुकदमे का फैसला सुनाते हैं-
(अ) अदालत में पेश किये गये साक्ष्यों के आधार पर 
(ब) पुलिस द्वारा बताई गई कहानी के आधार पर 
(स) आरोपी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर 
(द) पीड़ित की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर
उत्तर:
(अ) अदालत में पेश किये गये साक्ष्यों के आधार पर

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये-

1. अगर किसी व्यक्ति पर कोई ............ लगाया जाता है तो उसे निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार होता है। 
2. अपराध के बारे में मिली शिकायत की जाँच करना ............. का कार्य है। 
3. पुलिस .............. दर्ज होने के बाद ही किसी अपराध की पड़ताल शुरू कर सकती है। 
4. ............ की वही हैसियत होती है जो खेलों में अंपायर की होती है। 
5. ............ के सामने हर कोई बराबर है। 
उत्तर:
1. आरोप
2. पुलिस 
3. एफ.आई.आर. 
4. न्यायाधीश 
5. कानून। 

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सही या गलत बताइए-

1. पुलिस ही तय करती है कि कोई अपराधी है या नहीं। 
2. पुलिस, सरकारी वकील, बचाव पक्ष का वकील और न्यायाधीश, ये चार अधिकारी आपराधिक न्याय व्यवस्था में मुख्य लोग होते हैं। 
3. पुलिस को जाँच के दौरान किसी को भी सताने, पीटने या गोली मारने का अधिकार होता है। 
4. अदालत में सरकारी वकील राज्य का पक्ष प्रस्तुत करता है। 
5. आरोपी के दोषी पाये जाने पर न्यायाधीश उसे सजा सुनाते हैं। 
उत्तर:
1. गलत 
2. सही 
3. गलत 
4. सही 
5. सही। 

सही मिलान कीजिए-

(अ)

(ब)

अपराध की शिकायत की जाँच करना

न्यायाधीश  

फैसला सुनाना

सरकारी वकील 

राज्य का पक्ष प्रस्तुत करना

बचाव पक्ष का वकील

अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करना

पुलिस  

उत्तर:

(अ)

(ब)

अपराध की शिकायत की जाँच करना

पुलिस

फैसला सुनाना

न्यायाधीश

राज्य का पक्ष प्रस्तुत करना

सरकारी वकील

अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करना

बचाव पक्ष का वकील

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
जब हम किसी को अपराध करते हुए देखते हैं तो सबसे पहले किसको खबर करते हैं?
उत्तर:
पुलिस को।

प्रश्न 2. 
आपराधिक न्यायिक व्यवस्था में कौन-कौन लोग मुख्य होते हैं?
उत्तर:
आपराधिक न्यायिक व्यवस्था में-

  • पुलिस, 
  • सरकारी वकील, 
  • बचाव पक्ष का वकील तथा 
  • न्यायाधीश प्रमुख होते हैं। 

प्रश्न 3. 
आपराधिक न्यायिक व्यवस्था में पुलिस का क्या काम है? 
उत्तर:
आपराधिक न्यायिक व्यवस्था में पुलिस का काम है-अपराध के बारे में मिली शिकायत की जाँच करना और यदि सबूतों से दोष साबित होता दिखाई दे तो अदालत में आरोप पत्र दाखिल करना। 

प्रश्न 4. 
पुलिस को जाँच करते समय किस बात का ध्यान रखना चाहिए? 
उत्तर:
पुलिस को हमेशा. कानून के मुताबिक, डी.के. बसु के दिशा-निर्देशों तथा मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए जाँच करनी चाहिए।

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प्रश्न 5. 
निष्पक्ष सुनवाई में क्या सुनिश्चित किया जाता है? 
उत्तर:
निष्पक्ष सुनवाई में यह सुनिश्चित किया जाता है कि संविधान के अनुच्छेद 21 का पूरी तरह पालन किया जायेगा। 

प्रश्न 6. 
अनुच्छेद 21 में क्या कहा गया है? 
उत्तर:
अनुच्छेद 21 में जीवन के अधिकार का आश्वासन दिया गया है जिसका अर्थ यह है कि किसी भी व्यक्ति के जीवन या स्वतन्त्रता को केवल एक तर्कसंगत और न्यायपूर्ण कानूनी प्रक्रिया के जरिये ही छीना जा सकता है। 

प्रश्न 7. 
पुलिस किसी अपराध की पड़ताल कब शुरू कर सकती है? 
उत्तर:
पुलिस एफ.आई.आर. (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज होने के बाद ही किसी अपराध की पड़ताल शुरू कर सकती है।

प्रश्न 8. 
अदालत में सरकारी वकील किसका पक्ष प्रस्तुत करता है?
उत्तर:
अदालत में सरकारी वकील राज्य का पक्ष प्रस्तुत करता है। 

प्रश्न 9. 
पुलिस को जाँच के दौरान क्या करने का अधिकार नहीं है? 
उत्तर:
पुलिस को जाँच के दौरान किसी को भी सताने, पीटने या गोली मारने का अधिकार नहीं है। 

प्रश्न 10. 
केवल सवाल पूछने के लिए किन्हें थाने में नहीं बुलाया जा सकता? 
उत्तर:
15 साल से कम उम्र के बालक और किसी भी महिला को केवल सवाल पूछने के लिए थाने में नहीं बुलाया जा सकता।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
अपराध की जाँच करने में पुलिस की क्या भूमिका होती है? 
उत्तर:
अपराध की जाँच में पुलिस की भूमिका-अपराध की जाँच करने में पुलिस की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस जाँच के लिए गवाहों के बयान दर्ज करती है। सबूतों को इकट्ठा करती है। इस जाँच के आधार पर पुलिस अपनी राय बनाती है। अगर पुलिस को ऐसा लगता है कि सबूतों से आरोपी का दोष साबित होता दिखाई दे रहा है तो पुलिस अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर देती है। 

प्रश्न 2. 
जाँच करने के दौरान पुलिस को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 
उत्तर:
पुलिस को हमेशा कानून के मुताबिक और मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए जाँच करनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी, हिरासत और पूछताछ के बारे में पुलिस के लिए कुछ दिशा-निर्देश तय किये हुए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार पुलिस को जाँच के दौरान किसी को भी सताने, पीटने या गोली मारने का अधिकार नहीं है। 

प्रश्न 3. 
गिरफ्तार व्यक्ति को क्या मौलिक अधिकार प्राप्त है? 
उत्तर:
संविधान के अनुच्छेद 22 और फौजदारी कानून में प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को निम्नलिखित मौलिक अधिकार दिए गए हैं-

  • गिरफ्तारी के समय उसे यह जानने का अधिकार है कि गिरफ्तारी किस कारण से की जा रही है। 
  • गिरफ्तारी के 24 घण्टों के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने उसे पेश होने का अधिकार है। 
  • गिरफ्तारी के दौरान या हिरासत में किसी भी तरह के दुर्व्यवहार या यातना से बचने का अधिकार। 
  • पुलिस हिरासत में दिए गए इकबालिया बयान को आरोपी के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। 

प्रश्न 4. 
प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) क्या है? 
उत्तर:
कानून के अनुसार किसी संज्ञेय अपराध की सूचना मिलते ही थाने के प्रभारी अधिकारी को उसे रजिस्टर में दर्ज करना चाहिए। इसे ही एफ.आई.आर. (प्रथम सूचना रिपोर्ट) कहा जाता है। पुलिस को यह सूचना मौखिक या लिखित किसी भी रूप में मिल सकती है। एफ.आई.आर. में प्रायः वारदात की तारीख, समय और स्थान का उल्लेख किया जाता है। इसमें वारदात के मूल तथ्यों और घटनाओं का विवरण, अपराधियों का नाम, पते और गवाहों का उल्लेख किया जाता है। इसमें शिकायत दर्ज करने वाले का नाम और पता लिखा होता है। एफ.आई.आर. के लिए पुलिस के पास एक खास फार्म होता है। इस पर शिकायतकर्ता के दस्तखत कराये जाते हैं। शिकायतकर्ता को पुलिस एफ.आई.आर. की नकल मुफ्त देती है। 

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प्रश्न 5. 
आपराधिक न्याय व्यवस्था में सरकारी वकील की क्या भूमिका होती है? 
उत्तर:
अदालत में सरकारी वकील ही राज्य का पक्ष प्रस्तुत करता है। सरकारी वकील की भूमिका तब शुरू होती है जब पुलिस जाँच पूरी करके अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर देती है। सरकारी वकील को राज्य की ओर से अभियोजन प्रस्तुत करना होता है। उसकी जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष रूप से अपना काम करे और अदालत के सामने सारे ठोस तथ्य, गवाह और सबूत पेश करे। तभी अदालत सही फैसला दे सकती है। 

प्रश्न 6. 
आपराधिक न्याय व्यवस्था में न्यायाधीश की भूमिका को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
न्यायाधीश निष्पक्ष भाव से और खुली अदालत में मुकदमे का संचालन करते हैं। न्यायाधीश सारे गवाहों के बयान सुनते हैं और अभियोजन पक्ष तथा बचाव पक्ष की तरफ से पेश किए गए सबूतों की जाँच करते हैं। अपने सामने मौजूद बयानों व सबूतों के आधार पर कानून के अनुसार न्यायाधीश ही यह तय करते हैं कि आरोपी दोषी है या नहीं। अगर आरोपी दोषी पाया जाता है तो न्यायाधीश उसे सजा सुनाते हैं। सजा में वे कानून के प्रावधानों के आधार पर व्यक्ति को जेल भेज सकते हैं या उस पर जुर्माना लगा सकते हैं या एक-साथ दोनों तरह की सजा दे सकते हैं। 

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
पाठ्यपुस्तक की चित्रकथा-पट्ट में दिये गए शान्ति के मुकदमे को निष्पक्ष तथा खुली सुनवाई की दृष्टि से संक्षेप में लिखिए। 
उत्तर:
न्यायालय में शान्ति के मुकदमे को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है-
1. आरोप पत्र देना-सबसे पहले शान्ति को आरोप पत्र । और उन सभी साक्ष्यों की एक-एक प्रति दी गयी थी जो अभियोजन पक्ष ने उसके खिलाफ अदालत में पेश किये थे। शान्ति पर चोरी का आरोप लगाया गया था जो कानूनन एक अपराध है। 

2. खुली अदालत-मुकदमा जनता के सामने खुली अदालत में चलाया गया। शान्ति का भाई सुशील अदालत की कार्यवाहियों में मौजूद था। मुकदमा आरोपी की उपस्थिति में चलाया गया। शान्ति का एक वकील ने बचाव किया। शान्ति की अधिवक्ता रॉय को अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सारे गवाहों से जिरह करने का मौका दिया गया तथा अधिवक्ता रॉय को शान्ति की ओर से गवाह पेश करने का अधिकार दिया गया। 

3. आरोपी को निर्दोष मानते हुए मुकदमे का प्रारम्भयद्यपि पुलिस ने शान्ति के खिलाफ चोरी का मामला दर्ज किया था, लेकिन न्यायाधीश ने उसे निर्दोष मानते हुए मुकदमा चलाया। अब अभियोजन पक्ष को निर्णायक रूप से सिद्ध करना था कि शान्ति ही दोषी है। इस मुकदमे में अभियोजन पक्ष ऐसा नहीं कर पाया। 

4. न्यायाधीश का निर्णय-न्यायाधीश ने अदालत के सामने पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर ही मुकदमे का फैसला सुनाया। न्यायाधीश का आचरण लगातार निष्पक्ष रहा और चूँकि साक्ष्यों से यह सिद्ध हो गया कि शान्ति की बजाय कुछ युवकों ने चोरी की थी, इसलिए उन्होंने शान्ति को आजाद कर दिया। शान्ति को इसलिए न्याय मिला क्योंकि उसे निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था। 

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प्रश्न 2. 
सर्वोच्च न्यायालय ने किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी, हिरासत और पूछताछ के बारे में पुलिस को क्या दिशा-निर्देश दिये हैं?
अथवा 
डी. के. बसु दिशानिर्देशों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पुलिस को जाँच के लिए दिये गये दिशा-निर्देशों में, जिन्हें डी. के. बसु दिशानिर्देश भी कहा जाता है, कुछ प्रमुख ये हैं-

  • गिरफ्तार या जाँच करने वाले पुलिस अधिकारी की पोशाक पर उसकी पहचान, नामपट्टी तथा पद स्पष्ट व सटीक रूप से अंकित होना चाहिए। 
  • गिरफ्तारी के समय अरेस्ट मेमो के रूप में गिरफ्तारी सम्बन्धी पूरी जानकारी का कागज तैयार किया जाए, जिसमें गिरफ्तारी के समय व तारीख, कम-से-कम एक गवाह तथा अरेस्ट मेमो पर गिरफ्तार व्यक्ति के दस्तखत होने चाहिए। 
  • गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को अपने किसी सम्बन्धी या दोस्त या शुभचिन्तक को जानकारी देने का अधिकार होता है। 
  • जब गिरफ्तार व्यक्ति का दोस्त या सम्बन्धी उस जिले से बाहर रहता हो तो गिरफ्तारी के 8-12 घंटे के भीतर उसे गिरफ्तारी के समय, स्थान और हिरासत की जगह के बारे में जानकारी भेज दी जानी चाहिए।
admin_rbse
Last Updated on June 6, 2022, 7:16 p.m.
Published June 4, 2022