Rajasthan Board RBSE Class 8 Science Important Questions Chapter 16 प्रकाश Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
जब दर्पण के पृष्ठ पर आपतित किरण अभिलम्बवत् पड़ती है तब परावर्तित किरण।
(अ) परावर्तन के पश्चात् उसी पथ पर वापस लौट आती है।
(ब) परावर्तन के पश्चात् अभिलम्ब से दूर जाती है।
(स) परावर्तन के पश्चात् अभिलम्ब से दूर नहीं जाती है।
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) परावर्तन के पश्चात् उसी पथ पर वापस लौट आती है।
प्रश्न 2.
समतल दर्पण से परावर्तन के द्वारा बना प्रतिबिम्ब।
(अ) केवल आभासी होता है।
(ब) केवल वास्तविक होता है।
(स) आभासी तथा वास्तविक कुछ भी हो सकता है।
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) केवल आभासी होता है।
प्रश्न 3.
अभिलम्ब पर आपतित किरण के लिए परावर्तन कोण का मान होगा।
(अ) 90°
(ब) 0°
(स) 45°
(द) 180°
उत्तर:
(ब) 0°
प्रश्न 4.
रतौंधी रोग का कारण हो सकता है।
(अ) विटामिन A की कमी
(ब) विटामिन B की कमी
(स) विटामिन A की वृद्धि
(द) विटामिन D की वृद्धि
उत्तर:
(अ) विटामिन A की कमी
प्रश्न 5.
आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।
(अ) परितारिका।
(ब) पक्ष्माभी पेशियाँ।
(स) पुतली।
(द) लेंस।
उत्तर:
(अ) परितारिका।
रिक्त स्थानों की पूर्ति:
प्रश्न 1.
विसरित परावर्तन .................... पृष्ठों से होता है।
उत्तर:
खुरदरे
प्रश्न 2.
सूर्य का प्रकाश ..................... से मिलकर बना है।
उत्तर:
सात रंगों
प्रश्न 3.
प्रकाश के अपने घटक रंगों में विभक्त होने को ................. कहते हैं।
उत्तर:
विक्षेपण
प्रश्न 4.
आपतन कोण, परावर्तन कोण ........................ होता है।
उत्तर:
के बराबर
सत्य / असत्य:
निम्नलिखित कथनों में सही के लिए 'T' तथा गलत के लिए 'F अंकित कीजिए:
प्रश्न 1.
प्रकाश सभी पृष्ठों से परावर्तित नहीं होता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 2.
खुरदरे पृष्ठों से नियमित परावर्तन होता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 3.
आपतन कोण तथा परावर्तन कोण बराबर होते हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
सूर्य का प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना होता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 5.
प्रकाश के अपने घटक रंगों में विभक्त होने को विक्षेपण कहते हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 6.
दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब में पार्श्व-परिवर्तन नहीं होता है।
उत्तर:
असत्य
'कॉलम - A' में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम - B' से कीजिए:
प्रश्न 1.
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(i) आपतित किरण |
(a) परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच कोण |
(ii) परावर्तित किरण |
(b) पृष्ठ पर पड़ने वाली किरण |
(iii) आपतन कोण |
(c) पृष्ठ से परावर्तन से वापस आने वाली किरण |
(iv) परावर्तन कोण |
(d) आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच कोण |
उत्तर:
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(i) आपतित किरण |
(b) पृष्ठ पर पड़ने वाली किरण |
(ii) परावर्तित किरण |
(c) पृष्ठ से परावर्तन से वापस आने वाली किरण |
(iii) आपतन कोण |
(d) आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच कोण |
(iv) परावर्तन कोण |
(a) परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच कोण |
प्रश्न 2.
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(i) परितारिका |
(a) वर्ण संवेदी |
(ii) कॉर्निया |
(b) प्रकाश संवेदी |
(iii) शंकु |
(c) नेत्र का पारदर्शी अग्र भाग |
(iv) शलाका |
(d) प्रकाश की मात्रा का |
उत्तर:
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(i) परितारिका |
(d) प्रकाश की मात्रा का |
(ii) कॉर्निया |
(c) नेत्र का पारदर्शी अग्र भाग |
(iii) शंकु |
(a) वर्ण संवेदी |
(iv) शलाका |
(b) प्रकाश संवेदी |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
हमें वस्तुएँ क्यों दिखाई देती हैं?
उत्तर:
वस्तु से आने वाला प्रकाश जब हमारे नेत्रों में प्रवेश करता है, तब वस्तुएँ दिखाई देती हैं।
प्रश्न 2.
समतल दर्पण से बने प्रतिबिम्ब की प्रकृति कैसी होती है?
उत्तर:
समतल दर्पण से बना प्रतिबिम्ब हमेशा सीधा व आभासी होता है।
प्रश्न 3.
प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई किरण किसी सतह पर आपतित होकर उसी माध्यम में पुनः वापस लौटती है, तो इस परिघटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
प्रश्न 4.
पार्श्व परिवर्तन क्या है?
उत्तर:
समतल दर्पण में बने प्रतिबिम्ब का दाई ओर का ग बाई ओर तथा बाई ओर का भाग दाई ओर बनता है, इसे पार्श्व परिवर्तन कहते हैं।
प्रश्न 5.
कैलाइडोस्कोप की क्या विशेषता है?
उत्तर:
इसमें कभी भी एक पैटर्न को दोबारा नहीं देख पाते
प्रश्न 6.
प्रकाश का सात रंगों में विभाजन होने की क्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर:
प्रकाश विक्षेपण।
प्रश्न 7.
शंकु प्रकाश के किस भाग पर अनुक्रिया करते हैं?
उत्तर:
प्रकाश के रंग पर।
प्रश्न 8.
वे कौन - सी संवेदन कोशिकाएं हैं जो मंद प्रकाश के लिए संवेदनीय हैं?
उत्तर:
शलाकाएँ।
प्रश्न 9.
अंध बिन्दु क्या हैं?
उत्तर:
उसर - दृक् तंत्रिकाओं तथा रेटिना की संधि पर कोई तंत्रिका कोशिका नहीं होती। इस बिन्दु को अंध बिन्दु कहते हैं।
प्रश्न 10.
मोतियाबिन्द क्या है? यह कैसे ठीक किया जा सकता है?
उत्तर:
कुछ वृद्धों के नेत्र लेंस के धुंधला हो जाने से आँख की देखने की क्षमता कम या समाप्त हो जाती है। इसे मोतियाबिन्द कहते हैं। इसे शल्य चिकित्सा से ठीक किया जा सकता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
परावर्तन के दो नियमों का उल्लेख कीजिए एवं इन्हें रेखाचित्र से प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
परावर्तन के नियम
प्रश्न 2.
समतल दर्पण के सामने रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब बनने की क्रिया को समझाइए। इस प्रतिबिम्ब की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
यहाँ P एक वस्तु है जो समतल दर्पण AB के सामने है। इससे निकलने वाली प्रकाशीय किरणे PO व PO दर्पण पर आपतित होती हैं तो ये किरणें OR एवं OR की दिशा में परावर्तित हो जाती हैं। ये परावर्तित किरणे आँख पर पहुंचती हैं तो P से आती हुई प्रतीत होती हैं। P वस्तु P का प्रतिबिम्ब है। समतल दर्पण से प्राप्त
प्रतिबिम्ब की निम्न विशेषताएँ होती हैं।
प्रश्न 3.
परावर्तन क्या है? यह कितने प्रकार का होता है? प्रत्येक प्रकार को चित्र सहित समझाइए।
अथवा
प्रकाश का परावर्तन कितने प्रकार का होता है? समझाइए।
उत्तर:
परावर्तन: दो माध्यम को अलग - अलग करने वाली सतह से प्रकाश ऊर्जा स्पर्श कर (टकराकर) वापिस उसी माध्यम में लौट जाती है। इस परिघटना को परावर्तन कहते हैं।
परावर्तन के प्रकार: प्रकाश का परावर्तन निम्न दो प्रकार का होता है।
(1) नियमित परावर्तन: जब प्रकाश किसी समतल चिकने पृष्ठ जैसे समतल दर्पण पर आपतित होता है तो प्रकाश की प्रत्येक किरण एक निश्चित दिशा में परावर्तित होती है। इसे नियमित परावर्तन कहते हैं।
(2) विसरित परावर्तन: जब प्रकाश किरण किसी खुरदरे सतह पर आपतित होती है तो ये किरणें भिन्न - भिन्न दिशाओं में परावर्तित होती हैं, इसे विसरित या अनियमित परावर्तन कहते हैं।
प्रश्न 4.
प्रदीप्त पिण्ड से क्या आशय है? समझाइए।
उत्तर:
जो पिण्ड दूसरी वस्तुओं के प्रकाश में चमकते हैं, उन्हें प्रदीप्त पिण्ड कहते हैं। जैसे - चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश के परावर्तन के कारण चमकता है। यह प्रदीप्त पिण्ड है। स्वयं चमकने वाले पिण्ड दीप्त पिण्ड कहलाते हैं।
प्रश्न 5.
नेत्र के अन्दर लेंस की फोकस दूरी कैसे बदलती रहती है?
उत्तर:
नेत्र लेंस की आकृति पक्ष्माभी पेशियों द्वारा रूपान्तरित होती है, जिससे इसकी फोकस दूरी भी बदलती रहती है। जब पेशियाँ शिथिल होती हैं तो अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी बढ़ जाती है और दूर रखी वस्तुएँ स्पष्ट दिखती हैं। निकट की वस्तुओं को देखने के लिए पक्ष्माभी पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं, अत: फोकस दूरी कम हो जाती है और निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखती हैं।
प्रश्न 6.
क्या कारण है कि धीमे प्रकाश में हम किसी वस्तु के सही रंगों का पता लगा नहीं पाते?
उत्तर:
कम प्रकाश में, शलाकाएँ तो सुग्राही होती हैं पर शंकु कोशिकाएँ उतनी नहीं। शंकु कोशिकाओं के द्वारा ही रंगों पर उचित अनुक्रिया होती है।
प्रश्न 7.
प्राथमिक प्रकाश के सभी वर्गों के लिए, क्या दृष्टिपटल की शंकु कोशिकाएँ बराबर की सुग्राही होती हैं?
उत्तर:
नहीं, शंकु कोशिकाएँ प्राथमिक रंग लाल, हरा तथा नीले प्रकाश के लिए अलग - अलग संवेदी होती. हैं। जब लाल प्रकाश दृष्टिपटल पर पड़ता है, तो सिर्फ वही कोशिकाएँ संवेदी हो जाती हैं जो लाल रंग के लिए उत्तरदायी हैं, शेष कोशिकाएँ नहीं।
प्रश्न 8.
बैल पद्धति क्या है? इसे बिन्दुकित पैटर्न द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
बैल पद्धति चाक्षुष विकृतियुक्त व्यक्तियों के लिए पढ़ने का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है। बैल पद्धति में 63 बिंदुकित पैटर्न हैं अथवा छाप हैं। प्रत्येक छाप एक अक्षर, अक्षरों के समुच्चय, सामान्य शब्द अथवा व्याकरणिक चिह्न को प्रदर्शित करती है। बिन्दुओं को ऊर्ध्वाधर पंक्तियों के दो कक्षों में व्यवस्थित किया गया है। प्रत्येक पंक्ति में तीन बिन्दु हैं। इन पैटों को जब ब्रैल शीट पर उभारा जाता है तो ये चाक्षुष विकृतियुक्त व्यक्तियों को छूकर शब्दों को पहचानने में सहायता करते हैं। स्पर्श को आसान करने के लिए बिन्दुओं को थोड़ासा उभार दिया जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
परावर्तन क्या है? इसके क्या नियम हैं? परावर्तन कोण और आपतन कोण को समझाते हुए इनमें सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
परावर्तन: दो माध्यम को अलग - अलग करने वाली सतह से प्रकाश ऊर्जा स्पर्श कर (टकराकर) वापिस उसी माध्यम में लौट जाती है। इस परिघटना को परावर्तन कहते हैं। इसमें प्रकाश माध्यम को नहीं, मार्ग को बदल लेता है।
परावर्तन के नियम:
(1) आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब ये सभी एक तल में रहते हैं।
(2) आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है। आपतन कोण आपतित किरण व अभिलम्ब के बीच बनता है। \(\angle \mathrm{AON}=\angle i\)
परावर्तन कोण r परावर्तित किरण व अभिलम्ब के बीच बनता है। \(\angle \mathrm{BON}=\angle r\)
सम्बन्ध \(\angle i=\angle r\)
प्रश्न 2.
मानव नेत्र की संरचना को नामांकित चित्र बनाते हुए समझाइए।
अथवा
हमारे नेत्र की संरचना एवं कार्य-विधि को समझाइए।
उत्तर:
हमारे नेत्र की संरचना में निम्न भाग होते हैं
(1) श्वेत पटल (Sclera): यह आँख के गोले (eyeball) के ऊपरी सतह पर एक मोटी सख्त, सफेद एवं अपारदर्शक तह के रूप में होता है। इसका कार्य आँख के गोले की आकृति को बनाये रखना एवं आँख की बाहरी चोट से रक्षा करना होता है।
(2) कॉर्निया या स्वच्छमण्डल (Cornea): यह श्वेत पटल के सामने का कुछ उभरा हुआ भाग होता है। इसे श्वेत पटल के ऊपरी एवं नीचे के भागों को जोड़ने वाली पारदर्शक तह भी कह सकते हैं।
(3) परितारिका या आइरिस (Iris): यह कॉर्निया के पीछे एक अपारदर्शक परदा होता है। आइरिस के बीच में एक छिद्र होता है। आइरिस का रंग अधिकांशत: काला होता है।
(4) तारा या पुतली (Pupil): आइरिस के बीच वाले छिद्र को तारा कहते हैं। इसकी विशेषता यह है कि मांसपेशियों की सहायता से अधिक प्रकाश में स्वतः ही छोटी और अंधेरे में स्वतः ही बड़ी हो जाती है जिससे आँख में आवश्यक प्रकाश ही प्रवेश कर सके । अन्धकार में इसका व्यास लगभग 1 सेमी. एवं सूर्य की रोशनी में इसका आकार पिन के सिर (pin head) जितना हो जाता है।
(5) नेत्र लेंस (Eye lens): आइरिस के पीछे एक मोटा उत्तल लैंस होता है जिसे नेत्र लेंस कहते हैं। यह लेंस मुलायम एवं पारदर्शक पदार्थ का बना होता है तथा मांसपेशियों की सहायता से अपने निश्चित स्थान पर टिका रहता है। सामान्यतया इस उत्तल लेंस के तल की वक्रता त्रिज्या 1 सेमी. तथा पीछे के तल की त्रिज्या लगभग 6 मिमी. होती है। मांसपेशियों पर तनाव को परिवर्तित कर इस लेंस की वक्रता त्रिज्या को परिवर्तित किया जा सकता है। इसी लेंस से देखने वाली वस्तु का उल्टा, छोटा एवं वास्तविक प्रतिबिम्ब बनता है।
(6) रक्तक पटल या कॉरोइड (Choroid): यह श्वेत पटल के नीचे अन्दर की ओर एक काले रंग की झिल्ली होती है। काली होने के कारण यह आपतित प्रकाश का शोषण कर लेती है जिससे आँख के गोले के भीतर प्रकाश का परावर्तन नहीं होने पाता है। इसके पृष्ठ भाग में बहुतसी रक्त की धमनी एवं शिराएँ होती हैं जो नेत्र का पोषण करती हैं।
(7) दृष्टिपटल या रेटिना (Retina): यह रक्त पटल के नीचे आँख की सबसे भीतरी पारदर्शक झिल्ली होती है। इस परत को रेटिना (दृष्टि पटल) कहते हैं। रेटिना अनेक तंत्रिका कोशिकाओं का बना होता है। तंत्रिका कोशिका द्वारा अनुभव की गई संवेदनाओं को दृक् तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुंचा दिया जाता है।
तंत्रिका कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं।
(i) शंकु, जो तीव्र प्रकाश के लिए सुग्राही होते हैं।
(ii) शलाकाएँ, जो मंद प्रकाश के लिए सुग्राही होती हैं। इसके अतिरिक्त शंकु वर्गों की सूचनाएँ भी भेजते हैं। दृक् तंत्रिकाओं तथा रेटिना की संधि पर कोई तंत्रिका कोशिका नहीं होती। इस बिन्दु को अंध बिन्दु कहते हैं। यदि किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब अन्ध बिन्दु पर बने तो वह वस्तु दिखाई नहीं देती है। [नोट - मानव नेत्र का नामांकित चित्र इसी अध्याय के पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों में प्रश्न संख्या 10 के उत्तर में देखें।]
प्रश्न 3.
नेत्र की समंजन क्षमता व दृष्टि परास क्या है? समझाइए। मानव में दृष्टि दोष कैसे उत्पन्न होते हैं? उनका निवारण कैसे करते हैं?
उत्तर:
आँख की समंजन क्षमता:
नेत्र लेंस की फोकस दूरी उससे सम्बद्ध मांसपेशियों द्वारा आसानी से बदली जाती है। मांसपेशियों द्वारा लेंस की फोकस की दूरी को इस प्रकार बदलने की प्रक्रिया को नेत्र की समंजन क्षमता 'कहते हैं। दृष्टि परास - एक मानव की स्वस्थ आँख के लिये निकटतम दृष्टि सीमा 25cm है और सबसे दूर अनन्त (∞) पर होता है। निकटतम तथा दूर बिन्दु के बीच की दूरी ही दृष्टि परास कहलाती है।
दृष्टि दोष:
आयु के साथ या अन्य कारणों से मनुष्य की आँखों में दृष्टि दोष उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे कुछ मनुष्य पास रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं परन्तु दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई देती है। यह निकट दृष्टि दोष है तथा कुछ मनुष्य निकट रखी वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाते किन्तु दूर रखी वस्तु को स्पष्ट देख सकते हैं। यह दूरदृष्टि दोष कहलाता है। इनके लिए हम उचित संशोधक लेंसों का उपयोग कर इन दोषों को दूर कर सकते हैं।
मोतियाबिन्द (Cataract):
यह वृद्ध व्यक्तियों में एक सामान्य रोग है जिसमें क्रिस्टलीय लेंस धुंधला या अपारदर्शी हो जाता है क्योंकि इस पर एक झिल्ली बन जाती है। इसके कारण दृष्टि कमजोर हो जाती है। इस दोष के निवारण के लिए शल्य क्रिया द्वारा अपारदर्शी लेंस को हटाकर नया कृत्रिम लेंस लगा दिया जाता है।