These comprehensive RBSE Class 7 Social Science Notes History Chapter 1 हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 7 Social Science Notes History Chapter 1 हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
→ विश्व में प्रत्येक देश के इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया जाता है
- प्राचीन काल
- मध्य काल और
- आधुनिक काल।
700 ईस्वी से लेकर 1750 ई. तक के काल को मध्य काल माना जाता है। इस अध्याय में इन हजार वर्षों के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में हुए परिवर्तनों की पड़ताल की गई है।
→ नई और पुरानी शब्दावली
ऐतिहासिक अभिलेख कई तरह की भाषाओं में मिलते हैं और ये भाषाएँ भी समय के साथ बहुत बदली हैं। इनमें बदलाव व्याकरण, शब्द भंडार के साथ-साथ शब्दों के अर्थ में भी आया है।
→ इतिहासकार और उनके स्रोत
- सामान्यतः 700 से 1750 ईस्वी के काल के बारे में सूचनाएँ एकत्रित करने के लिए सिक्कों, शिलालेखों, स्थापत्य तथा प्रमाणित लिखित सामग्री पर निर्भर करते हैं।
- इस काल में अनेक रूपों में पांडुलिपियाँ लिखी गईं। पुस्तकालयों तथा अभिलेखागारों में संग्रहित इन पांडुलिपियों से इतिहासकारों को विस्तृत जानकारी मिलती है।
- लेकिन इन पांडुलिपियों की प्रतिकृतियों में अनेक कारणों से अन्तर आ जाने से बड़ी गंभीर समस्या पैदा हो जाती है।

→ नए सामाजिक और राजनैतिक समूह
- 700 से 1750 ईस्वी के काल में बड़े पैमाने पर और अनेक तरह के परिवर्तन हुए। यथा-नई प्रौद्योगिकी, नए खान-पान तथा नए विचार।
- इस काल में विभिन्न समुदायों का महत्त्व बढ़ा जिनमें राजपूत, मराठा, सिक्ख, जाट, आहोम तथा कायस्थ मुख्य थे।
- नए कृषकों के जटिल समाज का अंग बन जाने से समाज के लोग पृष्ठभूमि तथा व्यवसाय के आधार पर जातियों व उपजातियों में बंट गये।
→ क्षेत्र और साम्राज्य
- इस काल में अनेक विशाल साम्राज्य पनपे; जैसे-चोल, तुगलक तथा मुगल।
- इन साम्राज्यों ने अपने पीछे अनेक भिन्न-भिन्न परम्पराएँ एवं संस्कृतियाँ छोड़ी।
→ पुराने और नए धर्म
- इस युग में हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा, मंदिरों के निर्माण, ब्राह्मणों के बढ़ते महत्त्व तथा भक्ति की अवधारणा के रूप में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए।
- इसी युग में इस उपमहाद्वीप में नए-नए धर्मों, जैसे-इस्लाम धर्म का आगमन हुआ।
→ समय और इतिहास के कालखण्डों पर विचार
(1) अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तीन युगों में बाँटा था
- हिन्दू
- मुस्लिम और
- ब्रिटिश । लेकिन इस काल विभाजन को आज बहुत कम इतिहासकार ही स्वीकार करते हैं।
(2) अधिकतर इतिहासकार आर्थिक एवं सामाजिक कारकों के आधार पर ही विभिन्न कालखण्डों की विशेषताएँ तय करते हैं।