RBSE Class 7 Social Science Notes Civics Chapter 9 समानता के लिए संघर्ष

These comprehensive RBSE Class 7 Social Science Notes Civics Chapter 9 समानता के लिए संघर्ष will give a brief overview of all the concepts.

RBSE Class 7 Social Science Notes Civics Chapter 9 समानता के लिए संघर्ष

→ भारत का संविधान हर भारतीय नागरिक को समान दृष्टि से देखता है।

→ राज्य और उसके कानून की दृष्टि में किसी भी व्यक्ति के साथ उसकी लिंग, धर्म, जाति तथा उनके अमीर या गरीब होने के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

→ देश के हर वयस्क नागरिक को चुनावों के दौरान समान रूप से मतदान करने का अधिकार है।

→ लेकिन भारत में व्यवहार में असमानता विद्यमान है। इस असमानता जनक व्यवहार के प्रमुख कारण हैं

  • गरीबी और संसाधनों का अभाव
  • जाति और
  • धर्म
  • लिंग तथा
  • इनका मिला जुला रूप।

RBSE Class 7 Social Science Notes Civics Chapter 9 समानता के लिए संघर्ष

→ समानता के लिए संघर्ष

  • कुछ लोग समानता के लिए किये गए संघर्षों के कारण सम्मान से पहचाने जाते हैं। इन्होंने भेदभाव के व्यवहार का विरोध किया तथा प्रत्येक व्यक्ति को उसे मानवीय गरिमा के साथ स्वीकार किया।
  • समता की लड़ाई में बड़ी संख्या में लोग उनके साथ आ जुटते हैं, जैसे—समानता के लिए महिलाओं का आंदोलन, तवा मत्स्य संघ, बीड़ी मजदूरों, मछुआरों, खेतिहर मजदूरों तथा झुग्गीवासियों के समूहों ने न्याय के लिए लड़ाइयाँ लड़ीं।
  • इसके अतिरिक्त लोगों ने मिल-जुलकर संसाधनों पर नियंत्रण हेतु सहकारी संगठन खड़े किये।

→ तवा मत्स्य संघ

  • तवा मत्स्य संघ मछुआरों की सहकारी समितियों का एक संघ है जो सतपुड़ा के जंगलों से विस्थापित लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रहा है।
  • छिंदवाड़ा जिले की महादेव पहाड़ियों से निकलने वाली तवा नदी पर बने बाँध के कारण जंगल के लोग विस्थापित हो गए। इनमें से कुछ विस्थापितों ने बाँध के आस-पास रहकर खेती के साथ-साथ मछली पकड़ने का व्यवसाय आरंभ किया। लेकिन 1994 में सरकार ने तवा बाँध के क्षेत्र में मछली पकड़ने का काम निजी ठेकेदारों को सौंप दिया। गाँव के लोगों ने इसके विरोध में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ने के लिए तवा मत्स्य संघ' नामक संगठन बनाया। जिसने बाँध में मछलियाँ पकड़ने के काम को जारी रखने की अनुमति माँगी। उनके प्रतिरोध को देखकर सरकार ने 1996 में उन्हें तवा बाँध से मछली पकड़ने के अधिकार देने के साथ ही 1997 में इस कार्य हेतु पाँच वर्ष का पट्टा देना स्वीकार कर लिया।

→ तवा मत्स्य संघ ने एक सहकारी समिति बनाई। इसके कारण मछुआरों की आय में निरन्तर वृद्धि हुई क्योंकि

  • अब उन्हें मछलियों की उचित कीमत मिलने लगी जो कि पहले कि तुलना में लगभग 3 गुना थी;
  • उन्हें जाल खरीदने और रखरखाव के लिए ऋण मिलने लगा तथा
  • मछलियों को ठीक ढंग से पलने और बढ़ने की स्थितियों की भी व्यवस्था की गई। 

→ भारत का संविधान:
एक जीता हुआ दस्तावेज-तवा मत्स्य संघ के मछुआरों के संघर्ष एवं उनकी आशा का आधार संविधान के समता और न्याय के प्रावधान ही हैं।

Prasanna
Last Updated on June 6, 2022, 12:30 p.m.
Published June 6, 2022