Rajasthan Board RBSE Class 7 Social Science Important Questions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
सूफी सन्त विशेष बैठकों का आयोजन करते थे-
(अ) दरगाहों में
(ब) खानकाहों में
(स) गुरुद्वारों में
(द) मस्जिदों में।
उत्तर:
(ब) खानकाहों में
प्रश्न 2.
नयनार सन्तों की कुल संख्या थी-
(अ) 63
(ब) 12
(स) 5
(द) 36
उत्तर:
(अ) 63
प्रश्न 3.
अलवार सन्त संख्या में थे-
(अ) 36
(ब) 63
(स) 12
(द) 20
उत्तर:
(स) 12
प्रश्न 4.
दार्शनिक शंकर का जन्म हुआ था-
(अ) केरल में
(ब) तमिलनाडु में
(स) महाराष्ट्र में
(द) गुजरात में
उत्तर:
(अ) केरल में
प्रश्न 5.
12वीं शताब्दी के मध्य में वीर शैव आंदोलन प्रारंभ हुआ-
(अ) तमिलनाडु में
(ब) गुजरात में
(स) उत्तर प्रदेश में
(द) कर्नाटक में
उत्तर:
(द) कर्नाटक में
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
1. रामानुज 11वीं शताब्दी में ............... में पैदा हुए थे।
2. ............... ने विशिष्टाद्वैत के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
3. बंगाल के जयदेव ने संस्कृत में ................. की रचना की।
4. कबीर ............. परमेश्वर में विश्वास करते थे।
5. 1699 ई. में ............... ने खालसा की संस्था का निर्माण किया।
उत्तर:
1. तमिलनाडु
2. रामानुज
3. गीत गोविन्द
4. निराकार
5. गुरु गोविन्द सिंह।
सत्य/असत्य कथन छाँटिये-
1. रामानुज आठवीं शताब्दी में तमिलनाडु में पैदा हुए थे।
2. शंकर का जन्म आठवीं शताब्दी में केरल प्रदेश में हुआ था।
3. संगम साहित्य तमिल साहित्य का प्राचीनतम उदाहरण है।
4. इस्लाम ने विशिष्टाद्वैत के सिद्धान्त का दृढ़ता से प्रचार किया।
5. कश्मीर में 15वीं एवं 16वीं सदियों में सफीवाद के ऋषि पंथ का उदय हुआ।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य
3. सत्य
4. असत्य
5. सत्य
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए-
1. सूरदास |
(अ) रामचरितमानस |
2. कबीर |
(ब) लंगर |
3. गुरु नानक |
(स) विशिष्टाद्वैत |
4. रामानुज |
(द) अद्वैतवाद |
5. शंकर |
(य) गुजराती संत |
6. नरसी मेहता |
(र) सूरसागर |
7. तुलसीदास |
(ल) जुलाहा |
उत्तर:
1. सूरदास |
(र) सूरसागर |
2. कबीर |
(ल) जुलाहा |
3. गुरु नानक |
(ब) लंगर |
4. रामानुज |
(स) विशिष्टाद्वैत |
5. शंकर |
(द) अद्वैतवाद |
6. नरसी मेहता |
(य) गुजराती संत |
7. तुलसीदास |
(अ) रामचरितमानस |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
श्रीमदभगवद् गीता में परमेश्वर का कौनसा विचार लोकप्रिय हुआ?
उत्तर:
यह विचार कि "यदि मनुष्य भक्तिभाव से परमेश्वर की शरण में जाए, तो परमेश्वर उसे इस बंधन से मुक्त कर सकता है।"
प्रश्न 2.
तमिल भाषा के प्राचीनतम साहित्य का नाम लिखिए।
उत्तर:
संगम साहित्य।
प्रश्न 3.
दार्शनिक शंकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
शंकर का जन्म आठवीं शताब्दी में केरल प्रदेश में हुआ था।
प्रश्न 4.
अद्वैतवाद से क्या आशय है?
उत्तर:
अद्वैतवाद के अनुसार जीवात्मा और परमात्मा (जो परम सत्य है) दोनों एक ही हैं।
प्रश्न 5.
रामानुज कहाँ व कब पैदा हुए थे?
उत्तर:
रामानुज 11वीं शताब्दी में तमिलनाडु में पैदा हुए थे।
प्रश्न 6.
विशिष्टताद्वैत का सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
विशिष्टताद्वैत के सिद्धान्त के अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है।
प्रश्न 7.
विशिष्टताद्वैत के सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया?
उत्तर:
रामानुज ने।
प्रश्न 8.
वीरशैव आंदोलन कब और कहाँ प्रारंभ हुआ था?
उत्तर:
वीरशैव आंदोलन 12वीं शताब्दी के मध्य में कर्नाटक में प्रारंभ हुआ था।
प्रश्न 9.
भगवान विट्ठल के उपासक महाराष्ट्र के किन्हीं दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
भगवान विट्ठल की आराधना ने किस सम्प्रदाय को जन्म दिया?
उत्तर:
भगवान विट्ठल की आराधना ने वारकारी सम्प्रदाय को जन्म दिया जो पंढरपुर की वार्षिक तीर्थयात्रा पर जोर देता है।
प्रश्न 11.
"वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जाने रे।" यह पंक्ति किसकी है?
उत्तर:
सुप्रसिद्ध गुजराती सन्त नरसी मेहता की।
प्रश्न 12.
सूफियों ने ईश्वर के प्रति किस प्रकार के समर्पण पर बल दिया?
उत्तर:
सूफियों ने ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत समर्पण पर बल दिया।
प्रश्न 13.
सूफियों ने औलिया या पीर की देखरेख में प्रशिक्षण की किन रीतियों का विकास किया?
उत्तर:
सूफियों ने औलिया या पीर की देखरेख में जिक्र, चिंतन, समा, रक्स, नीति-चर्चा, साँस पर नियंत्रण के जरिए प्रशिक्षण की रीतियों का विकास किया।
प्रश्न 14.
भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वाधिक प्रभावशाली सिलसिला कौनसा था?
उत्तर:
भारतीय उपमहाद्वीप में चिश्ती सिलसिला सर्वाधिक प्रभावशाली सिलसिला था।
प्रश्न 15.
रामचरितमानस की रचना किसने की थी?
उत्तर:
संत कवि गोस्वामी तुलसीदास ने।
प्रश्न 16.
बाबा गुरु नानक का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
बाबा गुरु नानक का जन्म 1469 ई. में तलवंडी (पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था।
प्रश्न 17.
बाबा गुरु नानक ने अपना उत्तराधिकारी किसे चुना था?
उत्तर:
बाबा गुरुनानक ने अपना उत्तराधिकारी 1539 में अपनी मृत्यु से पूर्व लहणा (गुरु अंगद देव) को अपना उत्तराधिकारी चुना था।
प्रश्न 18.
लंगर क्या था?
उत्तर:
धर्म, जाति तथा लिंग-भेद को नजरअंदाज करके एक सांझी रसोई में इकट्ठा खाने-पीने के कार्य को 'लंगर' कहा जाता है।
प्रश्न 19.
बाबा गुरु नानक ने उपासना और धार्मिक कार्यों के लिए कौनसी जगह नियुक्त की थी?
उत्तर:
बाबा गुरु नानक ने उपासना के लिए 'धर्मसाल' नामक जगह नियुक्त की थी जिसे आज गुरुद्वारा कहा जाता है।
प्रश्न 20.
अलवार-नयनार संतों का सम्बन्ध किस प्रान्त से था?
उत्तर:
तमिल प्रान्त से।
प्रश्न 21.
गुरुमुखी लिपि का प्रतिपादन किसने किया था?
उत्तर:
सिक्ख गुरु अंगद देव ने।
प्रश्न 22.
अकाल तख्त का निर्माण किसके द्वारा करवाया गया था?
उत्तर:
छठे सिक्ख गुरु हरगोविन्दजी के द्वारा।
प्रश्न 23.
खालसा का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर:
खालसा का शाब्दिक अर्थ है-शुद्ध।
प्रश्न 24.
सिक्ख धर्म की पवित्र पुस्तक का नाम क्या है?
उत्तर:
सिक्ख धर्म की पवित्र पुस्तक का नाम गुरु ग्रंथ साहब है।
प्रश्न 25.
चैतन्यदेव कौन थे?
उत्तर:
चैतन्यदेव, 16वीं सदी के बंगाल के एक भक्ति संत थे जिन्होंने राधा-कृष्ण के प्रति भक्तिभाव का उपदेश दिया।
प्रश्न 26.
शंकरदेव की भक्ति का सार किस नाम से जाना गया?
उत्तर:
शंकरदेव की भक्ति का सार 'एक शरण नाम धर्म' के नाम से जाना गया।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
नयनार और अलवार कौन थे तथा वे किसके प्रति समर्पित थे?
उत्तर:
7वीं से 9वीं शताब्दियों के बीच तमिलनाडु में कुछ नए धार्मिक आंदोलनों का सूत्रपात हुआ। इन आंदोलनों का नेतृत्व नयनारों और अलवारों ने किया। नयनार शैव (शिव) के प्रति समर्पित थे और अलवार विष्णु के प्रति समर्पित थे। वे शिव तथा विष्णु के प्रति सच्चे प्रेम को मुक्ति का मार्ग बताते थे। ये दोनों ही घुमक्कड साध-सन्त थे।
प्रश्न 2.
नयनार और अलवारों के आंदोलन का प्रसार किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
प्रश्न 3.
नयनार मुख्यतः किन जातियों से सम्बद्ध थे तथा सर्वाधिक प्रसिद्ध नयनार संतों के नाम लिखिये।
उत्तर:
नयनार सन्त-कुल मिलाकर 63 नयनार ऐसे थे, जो कुम्हार, 'अस्पृश्य' कामगार, किसान, शिकारी, सैनिक, ब्राह्मण और मुखिया जैसी जातियों में पैदा हुए थे। इनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध थे-अप्पार, संबंदर, सुंदरार और माणिक्कवसागर। इनके गीतों के दो संकलन हैं-तेवरम् और तिरुवाचकम्।
प्रश्न 4.
शंकर के अद्वैतवाद व उनकी शिक्षा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अद्वैतवाद-शंकर अद्वैतवाद के समर्थक थे, जिसके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा (जो परम सत्य है), दोनों एक ही हैं।
उन्होंने यह शिक्षा दी कि ब्रह्मा, जो एकमात्र या परम सत्य है, वह निर्गुण और निराकार है। उन्होंने हमारे चारों ओर के संसार को मिथ्या या माया माना और संसार को परित्याग करने अर्थात् संन्यास लेने और ब्रह्मा की सही प्रकृति को समझने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए ज्ञान का मार्ग अपनाने का उपदेश दिया।
प्रश्न 5.
रामानुज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
रामानुज-रामानुज 11वीं शताब्दी में तमिलनाडु में पैदा हुए थे। वे विष्णुभक्त अलवार संतों से बहुत प्रभावित थे। उनके अनुसार मोक्ष प्राप्त करने का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति भाव रखना है। भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि से भक्त उनके साथ एकाकार होने का परमानंद प्राप्त कर सकता है।
रामानुज ने विशिष्टाद्वैत के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है। इस सिद्धान्त ने भक्ति की नयी धारा को बहुत प्रेरित किया, जो परवर्ती काल में उत्तर भारत में विकसित हुई।
प्रश्न 6.
महाराष्ट्र में हुए प्रमुख सन्त कवियों के नाम लिखिये। इन्होंने कौनसी भक्ति परम्परा को प्रतिपादित किया?
उत्तर:
13वीं से 17वीं सदी तक महाराष्ट्र में अनेक संत कवि हुए। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण थे-ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ और तुकाराम, सखूबाई तथा चोखामेला परिवार। भक्ति की यह क्षेत्रीय परंपरा पंढरपुर में विट्ठल (विष्णु का एक रूप) पर और जन-मन के हृदय में विराजमान व्यक्तिगत देव (ईश्वर) सम्बन्धी विचारों पर केन्द्रित थी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि असली भक्ति संन्यास लेना नहीं, बल्कि दूसरों के दुःखों को बाँट लेना है।
प्रश्न 7.
खानकाह पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
खानकाह-खानकाह एक सूफी संस्था थी जहाँ सूफी सन्त अक्सर रहते भी हैं। सूफी सन्त अपने खानकाहों में विशेष बैठकों का आयोजन करते थे, जहाँ सभी प्रकार के भक्तगण, जिनमें शाही घरानों के लोग तथा अभिजात और आम लोग भी शामिल होते थे, आते थे। वे आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करते थे। अपनी दनियादारी की समस्याओं को सुलझाने के लिए सन्तों का आशीर्वाद माँगते थे अथवा संगीत तथा नृत्य के जलसों में ही शामिल होकर चले जाते थे।
प्रश्न 8.
जलालुद्दीन रूमी कौन था?
उत्तर:
जलालुद्दीन रूमी 13वीं सदी का महान सूफी शायर था। वह ईरान का रहने वाला था और उसने फारसी में काव्य रचना की। उसने कहा कि ईश्वर का निवास न तो ईसाइयों की सूली पर है, न हिन्दू मंदिरों में है, न ऊँचाइयों में है, न खाइयों में, न मक्का के काबा में है। वह दार्शनिकों की पहुँच से परे है और प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में निवास करता है।
प्रश्न 9.
13वीं सदी के बाद उत्तरी भारत में आई भक्ति आंदोलन की लहर के प्रमुख संत कवियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
13वीं सदी के बाद उत्तरी भारत में भक्ति आंदोलन की एक नयी लहर आयी। उनमें कबीर, बाबा गुरु नानक, गोस्वामी तुलसीदास, सूरदास, शंकरदेव, दादू दयाल, रविदास और मीराबाई जैसे संत शामिल थे।
प्रश्न 10.
भक्ति संतों का क्या योगदान रहा?
उत्तर:
भक्ति सन्तों का योगदान-
प्रश्न 11.
भक्ति आंदोलन तथा सूफी पंथ में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर:
भक्ति आंदोलन और सूफी पंथ में समानताएँ-
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
उन परिस्थितियों व विचारों का उल्लेख कीजिए जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में मध्यकाल में 'सर्वोच्च ईश्वर' के विचार को विकसित किया।
उत्तर:
नगर, व्यापार और साम्राज्यों के कारण नए विचारों का उदय- जब लोग नगरों के विकास, व्यापार और साम्राज्यों के माध्यम से एक साथ आते गए, तब नए-नए विचार विकसित होने लगे। यथा-
विशद धार्मिक अनुष्ठान, पुराणं और शिव, विष्णु व दुर्गा परम देवताओं की पूजा का विकास-विशद धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से शिव, विष्णु तथा दुर्गा को परम देवताओं के रूप में पूजा जाने लगा। साथ-साथ भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में पूजे जाने वाले देवी-देवताओं को शिव, विष्णु या दुर्गा के रूप में पूजा जाने लगा।
प्रश्न 2.
दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन के सन्तों के प्रमुख विचारों को समझाइए।
अथवा
अलवार और नयनार सन्तों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
सिक्ख धर्म के विभिन्न गुरुओं का क्या योगदान रहा? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिक्ख धर्म के गुरुओं का योगदान-
(1) गुरु नानक-गुरु नानक ने अपने अनुयायियों के लिए करतारपुर में एक नियमित उपासना पद्धति अपनाई जिसके अन्तर्गत उन्हीं के शब्दों (भजनों) को गाया जाता है। उन्होंने 'लंगर' की प्रथा जारी की तथा उपासना और धार्मिक कार्यों के लिए जो जगह नियुक्त की थी उसे धर्मसाल कहा गया। आज इसे गुरुद्वारा कहा जाता है।
(2) गुरु अंगद-गुरु अंगद ने बाबा गुरु नानक की रचनाओं का संग्रह किया और उस संग्रह में अपनी कृतियाँ भी जोड़ दीं। यह संग्रह एक नई लिपि गुरुमुखी में लिखा गया। इस प्रकार गुरु अंगद ने 'गुरुमुखी लिपि' का महत्त्व बढ़ाया।
(3) गुरु अमरदास-गुरु अमरदास ने लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया।
(4) अन्य गुरु-