RBSE Class 6 Social Science Notes Civics Chapter 9 शहरी क्षेत्र में आजीविका

These comprehensive RBSE Class 6 Social Science Notes Civics Chapter 9 शहरी क्षेत्र में आजीविका will give a brief overview of all the concepts.

RBSE Class 6 Social Science Notes Civics Chapter 9 शहरी क्षेत्र में आजीविका

→ भारत में पाँच हजार से ज्यादा शहर हैं और सत्ताइस महानगर हैं। प्रत्येक महानगर में दस लाख से भी ज्यादा लोग रहते हैं।

→ सड़कों पर काम करना: हमारे देश के शहरी इलाकों में लगभग एक करोड़ लोग फुटपाथ या ठेलों पर सामान बेचते हैं। अहमदाबाद शहर के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि काम करने वालों में से 12 प्रतिशत लोग सड़कों पर काम कर रहे थे। सड़कों पर काम करने वालों में प्रमुखतः सब्जी बेचने वाले, फूल बेचने वाले, अख़बार बेचने वाले, मोची, नाई, प्लास्टिक की छोटी-मोटी चीजें ठेलों पर बेचने वाले, रिक्शेवाले आदि हैं।

→ सड़कों पर काम करने वाले चीजें बेचते हैं, उनकी मरम्मत करते हैं या कोई सेवा देते हैं। वे स्व-रोजगार में लगे हैं। उन्हें कोई दूसरा व्यक्ति रोजगार नहीं देता। उनकी दुकानें अस्थायी होती हैं। वे अपने ठेले पर या सड़क की पटरी पर प्लास्टिक बिछाकर भी काम चलाते हैं। इनके लिए यह सुझाव है कि शहरों में कुछ इलाके फुटपाथ और ठेलों पर सामान बेचने वालों के लिए तय कर दिए जाएं, जिससे इनसे आम लोगों के यातायात-आवागमन में होने वाली असुविधाएँ खत्म हों तथा इन्हें भी सुविधाजनक स्थान मिल सके।

→ बाजार में : बाजार में मिठाई, खिलौने, कपड़े, चप्पल, बर्तन, बिजली के सामान इत्यादि की दुकानों की कतार पर कतार थीं। दाँत के डाक्टर की क्लीनिक, सिले हुए कपड़ों का शोरूम था। शोरूम में देश के अनेक स्थानों से माल खरीदकर लाया जाता है। कुछ माल विदेश से भी मँगाया जाता है। शोरूम को चलाने के लिए विज्ञापन दिए जाते हैं।

बाजार में दुकानें छोटी व बड़ी दोनों प्रकार की हैं और लोग अलग-अलग चीजें बेचते हैं। ज्यादातर व्यापारी अपनी दुकान स्वयं संभालते हैं तथा कुछ लोगों को सहायक व मैनेजर के रूप में नौकरी पर रखते हैं। इस बाजार में छोटे-छोटे दफ्तर और अन्य दुकानें भी हैं जो बैंक, कूरियर इत्यादि की सेवाएँ भी देते हैं।

→ लेबर चौक: शहर में कपड़े सिलने की फैक्ट्री है। फैक्ट्री के पास 'लेबर चौक' है, जहाँ दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर और मिस्त्री एकत्रित होते हैं। कुछ को काम मिल जाता है और कुछ को नहीं मिल पाता है। इन मजदूरों में भवन बनाने वाले मिस्त्री, सामान्य दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर आदि होते हैं।

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→ फैक्ट्री: फैक्ट्री में काम करने के अलग-अलग विभाग थे। कपड़े सिलने की मशीनों पर अनेक लोग काम कर रहे थे। यहाँ अमरीका, इंग्लैंड, जर्मनी, नीदरलैंड जैसे देश के लोगों के लिए गर्मी के कपड़े सिले जा रहे थे। यहाँ लोग एक हफ्ते में छः दिन काम करते हैं और प्रत्येक दिन सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक काम करते हैं। हर साल लगभग तीन से चार महीने के लिए उनके पास काम नहीं होता है। इस तरह उनकी नौकरियाँ अस्थायी हैं।

→ दफ्तर में: शहर में बिस्कुट बनाने वाली कंपनी का मार्केटिंग मैनेजर का दफ्तर है जहाँ पचास विक्रेताओं के काम का निरीक्षण किया जाता है जो शहर के विभिन्न भागों में आते-जाते हैं । ये लोग दुकानदारों से बड़े-बड़े आर्डर लेते हैं और उनसे भुगतान इकट्ठा करते हैं। मार्केटिंग मैनेजर को नियमित तनख्वाह मिलती है और वह बिस्कुट कंपनी की स्थायी कर्मचारी है। स्थायी कर्मचारी होने के कारण उसे निम्न फायदे मिलते हैं

  • भविष्य निधि के रूप में बचत और सेवानिवृत्ति होने पर मय ब्याज यह पैसा मिलता है।
  • रविवार और राष्ट्रीय त्यौहार की छुट्टियाँ तथा कुछ वार्षिक छुट्टियाँ।
  • परिवार के लिए चिकित्सा सुविधाएँ।
Prasanna
Last Updated on June 3, 2022, 3:58 p.m.
Published June 3, 2022