These comprehensive RBSE Class 6 Social Science Notes Civics Chapter 8 ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका will give a brief overview of all the concepts.
→ कलपट्ट गाँव:
→ तुलसी: तुलसी रामलिंगम की जमीन पर काम करती है। धान रोपने, निराई और कटाई के समय ही उसे नियमित मजदूरी मिलती है। खेत में काम करने के अलावा वह घर का सारा कार्य करती है, जंगल जाकर लकड़ी लाती है। एक किलोमीटर दूरी से पानी लेकर आती है।
→ शेखर: शेखर के परिवार के पास दो एकड़ जमीन है। खेत का सारा काम वह स्वयं कर लेता है। व्यापारी उधार पर बीज और खाद देता है, तो इसे चुकाने के लिए थोड़े कम दामों पर ही धान उसे ही बेचना पड़ता है। उसके पास बचे धान से आठ माह तक ही गुजारा होता है। इसलिए खाली समय में रामलिंगम की चावल की मिल में काम करता है। एक संकर गाय है। उसका दूध सहकारी समिति को बेच देता है।
→ कर्ज लेने पर: अक्सर शेखर जैसे किसानों को खाद, बीज के लिए तथा कई बार परिवार चलाने के लिए पैसा कर्ज पर लेना पड़ता है। फसल सही न होने पर वह उसे चुका नहीं पाता है तो वह कर्ज के तले दब जाता है जो कई बार उसकी आत्महत्या का कारण भी बन जाता है।
→ रामलिंगम और करुथम्मा: जमीन के अलावा रामलिंगम के परिवार के पास एक चावल की मिल, बीज व कीटनाशक बेचने की एक दुकान है। इनसे उसकी अच्छी-खासी कमाई हो जाती है।
→ भारत के खेतिहर मजदूर और किसान
कलपट्ट गांव में तुलसी की तरह खेतिहर मजदूर हैं, शेखर की तरह छोटे किसान हैं और रामलिंगम जैसे बड़े किसान हैं। भारत में प्रत्येक पाँच ग्रामीण परिवारों में से लगभग दो परिवार.खेतिहर मजदूरों के हैं। इनमें से कई भूमिहीन हैं और कइयों के पास जमीन के छोटे टुकड़े हैं। 80 प्रतिशत किसानों की यही स्थिति है। केवल 20 प्रतिशत किसान बड़े किसानों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे किसान गाँव की अधिकतर जमीन पर खेती करते हैं। उनकी उपज का बहुत बड़ा भाग बाजार में बेचा जाता है। कई बड़े किसानों ने अन्य काम-धन्धे भी शुरू कर दिए हैं, जैसे-दुकान चलाना, सूद पर पैसा देना, छोटी-छोटी फैक्ट्रियाँ चलाना आदि। संजीव आल इन वन ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के साथ-साथ लोग जंगल की उपज और पशुओं आदि पर भी निर्भर रहते हैं। दूध बेचना भी कई लोगों के लिए आजीविका कमाने का मुख्य साधन है।।
→ अरुणा और परिवेलन: अरुणा और परिवेलन का परिवार कलपट्ट के पास पुदुपेट नाम के गांव में रहता है। उनके घर समुद्र के पास होते हैं। वे मछली पकड़कर अपनी आजीविका चलाते हैं। लेकिन मॉनसून के दौरान वे लगभग 4 महीने तक समुद्र में नहीं जा पाते हैं क्योंकि यह मछलियों के प्रजनन का समय होता है। इन महीनों में ये व्यापारी से उधार लेकर गुजारा चलाते हैं। फलतः उन्हें मजबूरी में उसी व्यापारी को मछली बेचनी पड़ती है।
→ ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साधन
ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साधन हैं
लेकिन छोटे किसानों, खेतिहर मजदूरों, मछली पकड़ने वालों तथा हस्तशिल्पियों को पूरे साल रोजगार नहीं मिल पाता है।