These comprehensive RBSE Class 6 Maths Notes Chapter 11 बीजगणित will give a brief overview of all the concepts.
→ शब्द 'चर' का अर्थ है वह वस्तु जो विचरण करती है अर्थात् बदलती रहती है। एक चर विभिन्न मान ग्रहण कर सकता है। चर का मान स्थिर नहीं होता है। n चर का एक उदाहरण है।
→ चर को दर्शाने के लिए किसी भी अक्षर n, m, l, p, x, y, z इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है।
→ चरों की सहायता से विभिन्न संबंधों को व्यक्त किया जा सकता है।
→ चर संख्याएँ ही हैं, यद्यपि इनके मान स्थिर या निश्चित नहीं हैं। हम संख्याओं की तरह इन पर योग, व्यवकलन, गुणन और विभाजन की संक्रियाएँ कर सकते हैं। विभिन्न संक्रियाओं का प्रयोग करके, हम चर वाले व्यंजक जैसे x - 4, x + 4, 2n, 6m, \(\frac{p}{4}\), 2y + 3, 41 - 5 इत्यादि बना सकते हैं।
→ चर हमें ज्यामिति और अंकगणित दोनों के सामान्य नियमों को व्यापक रूप में व्यक्त करने में समर्थ बनाते हैं। जैसे, यह नियम कि दो संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ने पर योग वही रहता है, हम a + b = b + a के रूप में लिख सकते हैं। यहाँ चर a और b किसी भी संख्या 3, 22, 100, - 5, - 20 इत्यादि के मान ले सकते हैं।
→ सामान्यतः कोई गणितीय सत्य वाक्य जिसमें एक या एक से अधिक बीजों का प्रयोग करते हुए '=' के चिन्ह से उनकी समानता व्यक्त की जाये तो वह समीकरण कहलाता है।
→ एक समीकरण चर पर एक प्रतिबन्ध होता है। यह चर के केवल एक निश्चित मान के लिए ही संतुष्ट होता
→ एक समीकरण के दो पक्ष होते हैं-बायाँ पक्ष (LHS) और दायाँ पक्ष (RHS)। इन दोनों के बीच में समता (समिका) का चिन्ह (=) होता है।
→ समीकरण में चर का वह निश्चित मान जो समीकरण को संतुष्ट करता है, वह समीकरण का एक हल कहलाता
→ समीकरण का हल ज्ञात करने की प्रयत्न और भूल विधि में, चर को कोई मान देकर यह जाँच की जाती है कि यह मान समीकरण को संतुष्ट करता है या नहीं। चर को ऐसे विभिन्न मान तब तक देते रहते हैं, जब तक चर का वह सही मान न प्राप्त हो जाये, जो समीकरण को संतुष्ट करता है।