RBSE Class 4 Hindi Rachana रचना

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 4 Hindi Rachana रचना Questions and Answers, Notes Pdf.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 4 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 4 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts.

RBSE Class 4 Hindi Rachana रचना

संक्षिप्तीकरण :

संक्षिप्तीकरण - एक आदर्श संक्षिप्तीकरण अपने आप में पूर्ण भौतिक रचना होती है। जिसमें मूल पाठ को लगभग एक-तिहाई शब्दों में इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है कि मूल पाठ का केन्द्रीय भाव पूर्ण स्पष्टता के साथ आ सके। 

निम्नलिखित गद्यांशों के संक्षिप्तीकरण कीजिए -
 
1. "हे स्वामी! यह तो सत्य है कि अपने स्वाभिमान के लिए युद्ध करना आप जैसे शूरवीरों का धर्म है, किन्तु दूसरा सिंह अपने दुर्ग में बैठा है। दुर्ग से बाहर आकर उसने हमारा रास्ता रोका था। दुर्ग में रहने वाले शत्रु पर विजय पाना कठिन है। दुर्ग में बैठा हुआ शत्रु सौ शत्रुओं के बराबर माना जाता है। दुर्गविहीन राजा, दंतहीन साँप और मदहीन हाथी की तरह कमजोर हो जाता है।"
उत्तर :
संक्षिप्तीकरण या संक्षेपण-यह सत्य है कि अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए युद्ध करना शूरवीरों का धर्म है लेकिन दुर्ग में रहने वाले शत्रु पर विजय पाना कठिन है, क्योंकि दुर्ग में बैठा हुआ शत्रु सौ शत्रुओं के बराबर माना जाता है।

2. गुलाब बाग में भाँति-भाँति के गुलाब खिलते हैं। इनकी भीनी महक से दर्शकों का दिल बागबाग हो जाता है। यहाँ एक चिड़ियाघर भी है। रंगबिरंगी चिडियाओं का चहकना सबको आनन्दित कर देता है। यहाँ बच्चों की रेलगाड़ी भी है। आप चाहो तो इसमें यात्रा कर सकते हो, किन्तु टिकट लेना मत भूलना! इसके अलावा यहाँ पहले भालू, शेर, चीते, बंदर आदि भी थे।
उत्तर :
संक्षेपण-गुलाब बाग में अनेक तरह के गुलाब खिलते हैं। साथ ही यहाँ चिडियाघर और रेलगाडी भी है। इनके लिए टिकट लेना आवश्यक है। इनके अलावा यहाँ और भी देखने लायक पशु हैं।

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3. हमारे देश में रामलीला का इतना प्रचार है कि छोटे-बड़े, शहरों-नगरों के अतिरिक्त गाँवों में भी लोग बड़े उत्साह से रामलीला का आयोजन करते हैं। बड़े-बड़े शहरों में प्रसिद्ध रामलीला-मण्डलियों द्वारा रामलीला की जाती है। गाँवों में वहाँ के लोग स्वयं अभिनेता बनकर रामलीला करते हैं।
उत्तर :
संक्षेपण-हमारे देश में रामलीला शहरों, नगरों तथा गाँवों में बड़े उत्साह के साथ आयोजित की जाती है। यह आयोजन मण्डलियों द्वारा किया जाता है।

4. घायल हो तो उस पर वार नहीं किया जाता था। एक वीर से एक |शत्रु ही युद्ध करता था। मगर उस बालक पर सातसात योद्धा टूट पड़े। आखिरी दम तक यह वीर उनसे लड़ता रहा और अन्त में वीर-गति को प्राप्त हो गया। वह घटना कौरवों के नाम पर भारी कलंक बनी और अभिमन्यु का नाम अमर हो गया।
उत्तर :
संक्षेपण-सब महारथियों ने वीर बालक अभिमन्यु को घेर कर युद्ध नियम के विरुद्ध युद्ध किया। लेकिन वह वीर उनसे लड़कर वीर गति को प्राप्त कर अमर हो गया।

कहानी-लेखन

निर्देश - पाठ्यपुस्तक में से पढ़ी हुई कोई एक कहानी लिखिए।

1. बुद्धिमान खरगोश 

किसी वन में भासुरक नाम का एक सिंह रहता था। वह प्रतिदिन वन्य जानवरों को मारा करता था। एक दिन सारे जानवर मिलकर उसके पास गए और निवेदन किया कि आप सब जानवरों को न मारा करें। प्रतिदिन एक पशु आपके पास आहार के लिए आ जाया करेगा। सिंह उनकी बात मान गया। इसी क्रम में कुछ दिनों बाद एक खरगोश की बारी आयी। जब वह सिंह के पास जा रहा था तो उसे रास्ते में एक कुआँ दिखाई दिया। 

खरगोश ने सोचा कि वह सिंह को इस कुएं में गिराकर मार डालेगा। वह सिंह के पास थोड़ी देर से पहुंचा। सिंह ने क्रोध से उसे देरी से आने का कारण पूछा तो खरगोश ने कहा कि रास्ते में एक और सिंह मिला। उसने मुझे रोक लिया था। वह अपने आपको इस जंगल का राजा बता रहा था। इतना सुनते ही भासुरक सिंह को गुस्सा आ गया। उसने खरगोश से उस सिंह के पास ले चलने को। कहा, जिससे वह उसे मार सके। 

खरगोश भासुरक सिंह को उस कुएँ के पास ले गया और पानी में उसकी परछाईं दिखाकर बोला कि वही है वह दूसरा सिंह, अभी वह गुफा में छुप कर बैठा है। इतना सुनते ही भासुरक दूसरे सिंह को मारने के लिए कुएँ में कूद गया और पानी में डूब कर मर गया। खरगोश ने अपनी बुद्धि से सभी जानवरों की जिन्दगी बचा ली।

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2. वीर बालक अभिमन्यु 

लगभग पाँच हजार साल पुरानी बात है। कौरव और पांडव भाई थे। कौरवों ने धोखाधड़ी करके पांडवों का राज्य छीन लिया और उन्हें कई बार मारने का प्रयास किया। अन्त में उनके बीच युद्ध की घोषणा हो गई। पांडवों में अर्जुन बेजोड़ धनुर्धारी था। वह कौरव सेना का बहुत नुकसान कर रहा था। एक दिन कौरवों ने योजना बनाई जिससे अर्जुन को युद्ध के लिए मैदान से दूर अकेले जाना पड़ा। उधर कौरवों ने युद्ध के मैदान में सेना को चक्करदार तरीके से जमाकर चक्रव्यूह की रचना की। 

अर्जुन के अलावा कोई भी चक्रव्यूह को भेदने की विद्या नहीं जानता था। पांडवों की सेना में सब चिंतित थे। ऐसे में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने कहा कि वह चक्रव्यूह में घुसने की विद्या तो जानता है लेकिन उसे वापस बाहर निकलने की विद्या नहीं आती। धर्मराज युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह में भेजने से मना कर दिया, लेकिन अभिमन्यु के कहने पर उन्होंने सेनापति बनाकर उसे युद्ध में भेज दिया और पीछे-पीछे सभी पांडव भी चक्रव्यूह में प्रवेश कर गए।

अभिमन्यु वीरता के साथ लड़ता हुआ चक्रव्यूह के सातों घेरे तोडकर केन्द्र में पहुंच गया। बाकी सारे वीर तीसरे घेरे से आगे नहीं बढ़ सके। उधर कौरवों में इस बात की चिन्ता थी कि यदि यह बालक बचकर निकल गया तो उनकी वीरता पर कलंक लग जाएगा। अभिमन्यु को मारने के संकल्प के साथ सात कौरव योद्धा अकेले घायल और निहत्थे अभिमन्यु पर टूट पड़े। अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुआ और उसका नाम अमर हो गया।

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3. गुरुभक्त कालीबाई 

दक्षिणी राजस्थान में आदिवासियों के गढ़ डूंगरपुर जिले में एक गाँव है-रास्तापाल। आजादी से पहले वहाँ कोई सरकारी स्कूल नहीं था। प्रजामंडल के सहयोग से नानाभाई खाँट वहाँ पाठशाला चलाते थे तथा सेंगाबाई रोत वहाँ पढ़ाते थे। पाठशाला के विद्यार्थियों में एक छात्रा थी कालीबाई। सेंगाभाई बालकों को अंग्रेजों के अत्याचारों और सामंत के शोषण की कहानियाँ सुनाते थे, जिन्हें सुनकर कालीबाई का खून खौल उठता था। एक बार गाँव के जागीरदार ने पाठशाला को बन्द करवाने के लिए गाँव वालों की सभा बुलाई, लेकिन नानाभाई के समझाने पर कोई भी व्यक्ति सभा में नहीं गया। जागीरदार ने ये बात सामंत को बढ़ा-चढ़ा कर बताई। 

सामंत ने अगले ही दिन पाठशाला बन्द करवाने के लिए जिला न्यायाधीश व कुछ पुलिस अधिकारियों को वहाँ भेजा। उन लोगों ने पाठशाला को बन्द करने व चाबी उन्हें देने के लिए कहा। नानाभाई व सेंगाभाई ने उनका विरोध करते हुए चाबी देने व पाठशाला बन्द करने से मना कर दिया। गुस्से से बौखलाए न्यायाधीश ने सेंगाभाई को ट्रक से बाँधकर घसीटने का आदेश दिया। जब नानाभाई ने सेंगाभाई को बचाने की कोशिश की तो उन्हें पीटपीट कर मार डाला गया और सेंगाभाई को घसीटने लगे। 

उसी समय कालीबाई खेत से लौटी और यह सब देखा तो उसने हंसिया से ट्रक से बँधी रस्सी काट दी और अपने गुरुजी को मुक्त करा लिया। अंग्रेज पुलिस वालों ने कालीबाई को गोलियों से भून दिया। चालीस घण्टे बाद उस वीर बाला ने दम तोड़ दिया। कालीबाई शहीद हो गई, किन्तु उसने अपने गुरुजी को बचा लिया। कालीबाई हजारों दिलों में आजादी की अलख जगा गई।

निर्देश - कोई सुनी हुई कहानी लिखिए।

1. खट्टे अंगूर 

एक बार एक लोमड़ी वन में इधर-उधर घूम रही थी। घूमते-घूमते वह अंगूरों के बाग में पहुँची। वहाँ अंगूरों के बहुत-से गुच्छे लटक रहे थे। उन्हें देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। वह सोचने लगी कि ये अंगूर बहुत ही मीठे हैं, यदि ये मुझे मिल जावें, क्या ही आनन्द आ जावे। यह सोचकर लोमड़ी उछलने-कूदने लगी, परन्तु अंगूर बहुत ऊँचाई पर लटक रहे थे। इसलिए वह उन तक नहीं पहुंच सकी। वह कुछ पीछे हटी और फिर वहाँ से दौड़ लगाकर आयी और उछली, पर अंगूरों तक नहीं जा सकी। इस प्रकार उसकी मेहनत सफल नहीं रही। तब वह वहाँ से जाने लगी और बोली कि ये अंगूर तो खट्टे हैं, मुझे इनकी आवश्यकता नहीं है।

2. झूठ का फल बुरा 

किसी गाँव में एक गडरिया रहता था। वह रोज जंगल में अपनी भेड़ें चराने ले जाता था। एक दिन उसे मजाक करने की सूझी। वह झूठ-मूठ में ही चिल्लाने लगा-भेड़िया आया, बचाओ, भेड़िया आया। उसका चिल्लाना सुनकर गाँव वाले सहायता करने आये। वह गडरिया लोगों को देखकर हँसने लगा और बोला कि मैं तो मजाक कर रहा था। गाँव वाले बुरा मानकर चले गये। एक दिन सचमुच भेड़िया आया। गडरिया     अपनी सहायता के लिए खूब चिल्लाया, परन्तु गाँव वालों ने मजाक मानकर उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया। गडरिया रोता रहा, भेड़िये ने उसकी कई भेड़ों को मार डाला। तब वह बहुत पछताया और समझ गया कि झूठ बोलने का फल बुरा होता है।

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पत्र-लेखन 

1. अपने प्रधानाध्यापकजी को अवकाश के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए। 

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय, 
राजकीय प्राथमिक विद्यालय,
नदबई (भरतपुर)। 

महोदय,
नम्र निवेदन है कि मुझे कल से तेज बुखार आ रहा है। इस कारण मैं आज और कल विद्यालय में आने में असमर्थ हूँ।
अतः प्रार्थना है कि मुझे दि. 16-10-20XX व 17-10-20XX का अवकाश देने की कृपा करें।

दिनांक 16-10-20XX

आपका आज्ञाकारी शिष्य, 
अमित गुप्ता
कक्षा 4 

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2. अपनी शाला के प्रधानाध्यापकजी को टी.सी. प्राप्त करने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए। 
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय, 
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय,
सीकर। 
महोदय,
सादर निवेदन है कि मेरे पिताजी का तबादला यहाँ से अलवर हो गया है। मुझे भी पिताजी के साथ रहकर वहीं पढ़ना है। अतः प्रार्थना है कि मुझे शाला स्थानान्तरण प्रमाणपत्र (टी.सी.) देने की कृपा करें।

दिनांक 12-9-20xx

प्रार्थी, 
महेन्द्र कुमार
कक्षा 4 (अ) 

3. अपने बड़े भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें आपकी पढ़ाई का समाचार हो।

243, बापू नगर,
अलवर
10 सितम्बर, 20xx 

पूजनीय अग्रज,
सादर प्रणाम!
आपका पत्र मिला। पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई। यहाँ के समाचार ठीक हैं। मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है। मेरे प्रथम व द्वितीय परख में अच्छे अंक आये हैं। अब अगले हफ्ते अर्द्ध-वार्षिक परीक्षा है। मैं मन | लगाकर पढ़ रहा हूँ। आप मेरी चिन्ता न करें। . पूज्या माताजी को प्रणाम तथा शीला को प्यार।

आपका आज्ञाकारी भाई,
गोपाल सागर

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4. अपने मित्र को प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर एक बधाई पत्र लिखिए।

15, बापू बाजार,
जोबनेर
दिनांक-16 मई, 20xx 

प्रिय मित्र संजय,
तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई कि तुम कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हो। तुम्हें इस सफलता के लिए हार्दिक बधाई भेज रहा हूँ। मैं भी अपनी कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ हूँ। पत्रोत्तर देना। शेष कुशल।

तुम्हारा मित्र,
राकेश

5. जन्म-दिन की पार्टी में बुलाने के लिए मित्र को निमन्त्रण-पत्र लिखिए।

जयपुर
18-8-20XX 

प्रिय मित्र सुधीर, 
तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि दि. 25-820XX को मेरे छोटे भाई का जन्म-दिन है। इस अवसर पर एक अल्पाहार पार्टी रखी गई है। इसके लिए मैं तुम्हें आमन्त्रित करता हूँ। इस अवसर पर आने की अवश्य ही कृपा करना। शेष मिलने पर।

आपका दर्शनाभिलाषी,
मनोज

निबन्ध-लेखन

1. गाय (प्रिय पशु) 

गाय मेरा प्रिय पशु है। सभी पालतू पशुओं में गाय का। अत्यधिक महत्त्व है। हमारे देश में गाय को माता की तरह मानते हैं। गाय का स्वभाव सरल होता है। पालतू जानवरों में यह सबसे अधिक भोली और समझदार होती है। इसके एक लम्बी पूँछ, चार पैर, दो सींग, दो कान, दो आँखें और चार थन होते हैं। गाय काली, सफेद, भूरी, लाल, चितकबरी आदि रंग की होती है। गाय घास, खल, चारा आदि खाती है। गाय हमें दूध देती है। गाय का दूध मीठा और ताकतवर होता है। इससे दही, घी, मक्खन, मावा आदि बनाते हैं। इसके गोबर से खाद बनती है। गाय के बछड़े बड़े होकर बैल बनते हैं जो कि खेती के काम में सहायक होते हैं। इस तरह गाय अत्यन्त उपयोगी पशु है।

2. गुलाबी नगर-जयपुर। 

राजस्थान में कई नगर हैं, किन्तु अपनी सुन्दरता के कारण जयपुर नगर बहुत प्रसिद्ध है। इस नगर के परकोटे तथा मकानों पर गुलाबी रंग पुता रहता है, इस कारण इसे 'गुलाबी नगर' भी कहते हैं। जयपुर नगर हमारे प्रदेश की राजधानी है। यहाँ सभी बड़े कार्यालय एवं राज्य का विधानसभा भवन है। जयपुर नगर की सड़कें चौड़ी और सीधी हैं। जयपुर नगर में अनेक दर्शनीय स्थान हैं। इनमें हवामहल, जन्तर-मन्तर, सिटी पैलेस, गोविन्ददेवजी का मन्दिर, बिरला मन्दिर, रामनिवास बाग, चिड़ियाघर, अल्बर्ट हॉल, सिसोदिया गार्डन, गलता, आमेर का महल, नाहरगढ़ आदि विशेष दर्शनीय हैं। इन दर्शनीय स्थानों को देखने के लिए देश-विदेश के हजारों यात्री यहाँ आते हैं। जयपुर अपने कला-कौशल के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ कपड़े की रंगाई-छपाई का काम, पीतल पर खुदाई का काम, मर्तियाँ और हाथीदाँत के खिलौने बनाने का काम होता है। यहाँ की लाख की चूड़ियाँ, कामदार जूतियाँ भी प्रसिद्ध हैं। जयपुर भारत का ऐतिहासिक तथा सुन्दर नगर है।

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3. हमारा विद्यालय 

हमारा विद्यालय उदयपुर शहर के मध्य में स्थित है। इसका नाम 'महाराणा भूपाल राजकीय प्राथमिक विद्यालय' है। हमारे विद्यालय में लगभग चार सौ विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहाँ शिक्षा का उत्तम प्रबन्ध है। इसमें पन्द्रह बड़े कमरे, एक विशाल पुस्तकालय और एक वाचनालय है। वाचनालय में अनेक पत्रिकाएँ और समाचार-पत्र आते हैं। हमारे विद्यालय में खेलकूद के लिए एक विशाल मैदान है और खेलकूद की अच्छी व्यवस्था है। हमारा विद्यालय अनुशासन में श्रेष्ठ है। इसमें पन्द्रह अध्यापक और सात अध्यापिकाएँ हैं। एक व्यायाम शिक्षक तथा एक पुस्तकालयाध्यक्ष है। हमारे गुरुजनों का सभी छात्रों के साथ मधुर व्यवहार रहता है। हमारे प्रधानाध्यापकजी विद्यालय की प्रगति का ध्यान रखते हैं। हमारे विद्यालय में पढ़ाई के अलावा समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। अन्य शैक्षिक प्रवृत्तियाँ भी चलती हैं। इन सब विशेषताओं से हमें अपने विद्यालय पर गर्व है।

4. दशहरा 

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में दशहरा भी एक त्योहार है। यह त्योहार आसोज सुदी दशमी को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान् राम ने राक्षसों के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस दिन को विजय-दशमी भी कहते हैं। दशहरा शरद् ऋतु का प्रमुख त्योहार है। दस दिन पहले से जगह-जगह रामलीला शुरू होती है। दशमी के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाये जाते हैं। इन पुतलों पर पटाखे बाँधे जाते हैं। इनसे अनेक प्रकार की आवाजें निकलती हैं। इस मौके पर भगवान् श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की झाँकी भी निकलती है। दशहरा पर क्षत्रिय लोग शस्त्रों की पूजा करते हैं। कुछ लोग देवी की पूजा करते हैं। दशहरे का त्योहार पाप पर पुण्य की और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। इससे हमें अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।

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5. दीपावली 

भारत में समय-समय पर अनेक त्योहार मनाये जाते हैं। इन त्योहारों में दीपावली एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान् राम चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। उस खुशी में अयोध्या के लोगों ने घी के दीपक जलाये थे। उसी स्मृति में यह त्योहार खुशी के साथ प्रतिवर्ष मनाया जाता है। दीपावली से दस-पन्द्रह दिन पहले घरों की सफाई प्रारम्भ हो जाती है। धनतेरस को लोग नये बर्तन खरीदते हैं। चतुर्दशी को छोटी दीपावली होती है। अमावस्या की रात को घरों में सब ओर दीपक जलाये जाते हैं, लक्ष्मीजी की पूजा होती है। घरों में अच्छे पकवान बनते हैं, मिठाई खायी जाती है। बच्चे पटाखे एवं फुलझड़ियाँ चलाते हैं। लोग आपस में मिलते हैं और खुशी प्रकट करते हैं। व्यापारी लोग इस दिन अपने बहीखाते बदलते हैं। दीपावली का त्योहार मंगल-कामना का त्योहार है।

6. रक्षाबंधन (राखी) 

रक्षाबन्धन हमारे देश का प्रमुख त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बाँधती है। इसलिए इसे भाई-बहिनों के प्रेम का त्योहार भी कहते हैं। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। राखो के दिन बहिनें अपने भाइयों के मस्तक पर तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं और उनकी कलाई पर राखी बाँधती हैं। राखी बहिन के पवित्र प्रेम का सूचक है। इस अवसर पर भाई अपनी बहिन को कुछ उपहार भी देता है। वह बहिन की रक्षा और |सहायता करने का वचन देता है। कहते हैं कि राजपूत रानी कर्णावती ने शत्रुओं से अपनी रक्षा करने के लिए मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी थी। तब हुमायूँ मुसीबत के समय उसकी रक्षा करने आया था। यह भाई-बहिनों के पवित्र सम्बन्धों का त्योहार है। इससे |प्रेम-भाव और खुशहाली प्रकट होती है।

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7. होली 

होली हमारे देश के प्रमुखं त्योहारों में से एक है। इसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार का सम्बन्ध भक्त प्रह्लाद की कथा से माना जाता है। उसे सजा देने हेतु उसके पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहिन होलिका की गोद में उसे रखकर आग में बैठाया। होलिका तो जल गई परन्तु भक्त प्रह्लाद बच गया। तब से यह त्योहार उसकी याद में मनाया जाता है। संध्या के समय होली जलायी जाती है। उसमें नये अनाज की बालियों को सेका जाता है। अगले दिन धुलण्डी होती है। सभी लोग रंग, अबीर, गुलाल आदि से खेलते हैं और अपनी खुशी प्रकट करते हैं। इस दिन आपसी मतभेद भुलाकर सभी लोग गले मिलते हैं, घरों में मिठाई तथा अच्छे पकवान परोसे जाते हैं। इस त्योहार पर कुछ लोग कीचड़ उछालते हैं और शराब आदि का नशा करते हैं। यह बुराई नहीं अपनानी चाहिए। होली का त्योहार आपसी मेल-जोल, प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने वाला है।

8. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी) 

26 जनवरी सन् 1950 को हमारे देश का नया संविधान लागू हुआ। अपना संविधान के लागू होने से हमारा देश पूर्ण रूप से गणतंत्र बन गया। इसलिए 26 जनवरी का दिन हम गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाते हैं। गणतन्त्र दिवस हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व है। परे देश में इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। भारत की राजधानी दिल्ली में बडी तैयारियां की जाती हैं। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, लाल किले एवं सरकारी इमारतों पर रोशनी की जाती है। इस दिन हमारे देश के राष्ट्रपति विजय चौक पर झण्डा फहराते हैं। समारोह के सारे कार्यक्रम वहीं पर आयोजित किये जाते हैं। राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम सन्देश देते हैं तथा सेना की तीनों टुकड़ियों की सलामी लेते हैं। सभी राज्यों की सुन्दर झांकियाँ भी निकाली जाती हैं। हमारे विद्यालय में भी गणतन्त्र दिवस उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रधानाध्यापक महोदय झण्डा फहराते हैं। कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। सभी विद्यार्थियों को मिठाई बाँटी जाती है।

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9. मेरे प्रिय अध्यापक

मैं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता हूँ। मेरे विद्यालय में पन्द्रह अध्यापक हैं। श्री गंगाराम मेरे प्रिय अध्यापक हैं। वे हमारे कक्षाध्यापक भी हैं। वे हमें हिन्दी पढ़ाते हैं। उनकी आयु पैंतालीस वर्ष है। वे लम्बे तथा गठीले शरीर के हैं। वे समय के बहुत पाबन्द हैं। उनका स्वभाव बहुत अच्छा है। वे सभी लोगों के साथ मधुर व्यवहार रखते हैं। वे छात्रों के प्रति बहुत स्नेह रखते हैं। वे कक्षा में बहुत अच्छे ढंग से पढ़ाते हैं। उन्हें अपने विषय का पूरा ज्ञान है। वे कमजोर छात्रों की विशेष रूप से सहायता करते हैं। वे सभी छात्रों की समस्याओं का तुरन्त समाधान करते हैं। हमारे प्रधानाध्यापक एवं अन्य अध्यापक भी उन्हें बहुत पसन्द करते हैं।

10. स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त) 

15 अगस्त हमारा स्वतन्त्रता दिवस है। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है। 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश सैकड़ों वर्षों की गुलाबी से स्वतन्त्र हुआ था। उसी की स्मृति में हम प्रतिवर्ष इस पर्व को मनाते हैं। स्वतन्त्रता दिवस के दिन हमारे देश के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर झण्डा फहराते हैं और देश के नाम सन्देश देते हैं। सभी सरकारी भवनों व कार्यालयों पर तिरंगा झण्डा फहराया जाता है। विद्यालयों में यह पर्व बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन किसी विशिष्ट व्यक्ति को विद्यालय में आमंत्रित किया जाता है। मुख्य अतिथि महोदय झण्डा फहराते हैं और अपना सन्देश देते हैं। इस दिन कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। स्वतन्त्रता दिवस पर बच्चों को फल व मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं। यह पर्व हमें स्वतन्त्रता का महत्त्व दर्शाता है। हम अपने देश की स्वतन्त्रता की रक्षा का संकल्प दुहराते हैं। स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए हम अपने प्राण भी न्यौछावर कर सकते हैं। हमें हमारी स्वतन्त्रता पर गर्व है।

11. गणगौर का मेला
अथवा
किसी मेले का वर्णन 

राजस्थान में अनेक मेले लगते हैं। गणगौर का मेला भी एक प्रसिद्ध मेला है। यह मेला राजस्थान के सभी शहरों और कस्बों में लगता है। जयपुर में गणगौर का मेला विशेष रूप से लगता है। यह चैत्र शुक्ल तीज और चौथ को लगता है। इस दिन आसपास के गाँवों के हजारों लोग मेले में सम्मिलित होने आते हैं। उनकी रंग-बिरंगी पोशाकें होती हैं। मेले के दिन गणगौर की सवारी निकलती है। इसके आगे सजे हुए हाथी, घोड़े और बैलगाड़ियाँ चलती हैं। बैण्ड-बाजे वाले मधुर धुन छेड़ते हैं। ढोल-नगाड़े बजते हैं, पहलवान अपने करतब दिखाते हैं। यह सवारी त्रिपोलिया बाजार से छोटी चौपड़ होती हुई गणगौरी बाजार में जाती है। चौगान स्टेडियम में कई खेल होते हैं। लोग वहाँ झूले झूलते हैं और तमाशे देखते हैं। इसी प्रकार दूसरे दिन भी गणगौर की सवारी निकलती है। गणगौर का मेला मनोरंजन की दृष्टि से बहुत अच्छा है। इस अवसर पर सभी लोग अपनी खुशियाँ प्रकट करते हैं। मेले में अनेक लोग सामान की खरीदफरोख्त करते हैं। इसमें लोगों को मेल-मिलाप का मौका मिलता है। आपसी सहयोग और प्रेम की भावना बढ़ती है। इस तरह मेले का हमारे सामाजिक जीवन में बहुत महत्त्व है। 

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डायरी विधा 

डायरी को दैनन्दिनी भी कहा जाता है। इसका लेखन व्यक्तिगत होता है; क्योंकि इसमें निजी जीवन से सम्बन्धित दैनिकचर्या का उल्लेख रहता है। इसे जीवन में घटित महत्त्वपूर्ण घटनाओं को स्मरण करने के लिए तिथि के अनुसार लिखा जाता है। इसे लिखने से पूर्व, उस पर पूरा नाम व पता आदि लिखा होना चाहिए। इसे लिखते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए
1. डायरी में लिखा गया विवरण संक्षिप्त और स्पष्ट होना चाहिए।
2. इसमें महत्त्वपूर्ण घटनाओं का ही उल्लेख होना चाहिए।
3. इसमें नई जानकारी अथवा सूचना भी लिखी जानी चाहिए।
4. जीवन में घटित घटनाओं के प्रति अपनी प्रतिक्रिया का भी उल्लेख होना चाहिए।
उदाहरण - 15 मार्च, 20XX परीक्षा की तैयारी के सम्बन्ध में डायरी लिखिए :
15 मार्च, 20xx
16 मार्च, 20XX को होने वाली हिन्दी की परीक्षा की तैयारी करनी थी, मैं प्रात: चार बजे उठकर बैठा तो बिजली गुल थी। रात्रि को बिजली न होने से शीघ्र ही सो गया था। अब बिना बिजली के हिन्दी को कैसे दुहराया जाए? यह सोचकर मन काँप उठा। मुझे आपातकालीन प्रकाश व्यवस्था की कमी खल रही थी। जैसे-तैसे लैम्प ढूँढ़कर जलाया। हिन्दी के कुछ प्रश्नोत्तर दुहराये। छः बजे नित्य कर्म से निबटने के लिए उठ गया। फिर जलपान कर परीक्षा भवन के लिए चल दिया।

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आत्मकथा 

प्रश्न 1. 
कल्पना कीजिये आप अनुज वर्मा हैं। आप एक ग्रामीण किसान के पुत्र हो। अपने बारे में एक संक्षिप्त आत्मकथा लिखिये।
उत्तर :
अनुज वर्मा की आत्मकथा 
मेरा नाम अनुज वर्मा है। मेरा जन्म एक किसान परिवार में रामपुरा नामक गाँव में हुआ। मेरे पिता का नाम श्री मोहन वर्मा है। मेरे पिता गाँव के प्रसिद्ध किसान हैं। वह गरीब किसानों की बहुत मदद करते हैं। वह स्वयं बहुत परिश्रमी हैं। वह कृषि की नई उपज के विषय में सोचते रहते हैं। मैं भी कृषि कार्यों में अपने पिता की मदद करता हूँ। मेरे पिता अधिक शिक्षित नहीं हैं परन्तु मैं पढ़ लिखकर तकनीकी ज्ञान के माध्यम से अच्छी फसल उगाना चाहता हूँ। मैं भविष्य में एक शिक्षित कृषक बनना चाहता हूँ। मुझे विश्वास है कि मैं अपने पिता के नैतिक मूल्यों का अनुसरण करूँगा।। 

प्रश्न 2.
कल्पना कीजिये कि आप दिनेश शर्मा हैं और आपके पिता एक श्रेष्ठ अध्यापक हैं। अपने बारे में एक संक्षिप्त आत्मकथा लिखिये। 
उत्तर :
दिनेश शर्मा की आत्मकथा 
मेरा नाम दिनेश शर्मा है। मेरा जन्म एक शिक्षक परिवार में जयपुर में हुआ। मेरे पिता का नाम श्री राजेश शर्मा हैं। वह हिन्दी और संस्कृत के अध्यापक हैं। वह छात्रों में अति लोकप्रिय हैं। वह पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक मूल्यों पर भी बल देते हैं। वह छात्रों को अपने प्रेमपूर्ण व्यवहार से अनुशासन की भी शिक्षा देते हैं। मैं भी अपने पिता के द्वारा बताये गये नैतिक मूल्यों का अनुसरण करता हूँ और भविष्य में एक अच्छा अध्यापक बनना चाहता हूँ। 

RBSE Class 4 Hindi Rachana रचना

प्रश्न 3. 
कल्पना कीजिये आप सैनिक परिवार से सम्बन्धित हैं। आपके पिता फौज में एक सैनिक हैं। अपने बारे में आत्मकथा लिखिये। 
उत्तर :
नरेन्द्र की आत्मकथा
मेरा नाम नरेन्द्र सिंह है और मेरा जन्म एक सैनिक परिवार में हुआ था। मेरे पिता एक सच्चे देशभक्त हैं। उन्होंने करगिल युद्ध में बड़ी बहादुरी दिखाई थी। उन्होंने दुश्मनों से लोहा लिया था। मैं भी अपने पिता की तरह एक अच्छा देशभक्त बनना चाहता हूँ। मेरे पिता पूर्णतया देश के प्रति समर्पित हैं। मैं भी सैन्य शिक्षा प्राप्त करके देश का सच्चा सिपाही बनना चाहता हूँ। 

प्रश्न 4. 
कल्पना कीजिए कि आप अनिल कुमार हैं और आपके पिता एक सफल व्यापारी हैं। आप भी अपने पिता के सहयोग से एक अच्छा व्यवसायी बनना चाहते हैं। अपनी रुचि के अनुसार अपने विचार व्यक्त करते हुए अपनी आत्मकथा लिखिये।
उत्तर :
अनिल कुमार की आत्मकथा 
मेरा नाम अनिल कुमार है। मेरे पिता का नाम श्री मनोज कुमार है और वह कपड़े के एक फुटकर व्यापारी हैं। मुझे भी कपड़े का व्यवसाय बहुत पसन्द हैं। मेरे पिता उचित मूल्य पर ग्राहकों को कपड़ा बेचते हैं। ग्राहकों को मेरे पिता का व्यवहार बहुत पसन्द हैं क्योंकि वह मृदुभाषी हैं। वह सभी लोगों से बड़ी विनम्रता से पेश आते हैं। मेरी एक बहिन है। मेरी माता एक सफल गृहणी हैं मेरे पिता हम सभी को अत्यन्त प्रेम करते हैं। वह निर्धन व्यक्तियों को उनकी आर्थिक स्थिति के अनुसार कम मूल्य पर कपड़े बेचते हैं। उच्च शिक्षित होकर मैं भी अपने पिता की तरह विनम्रता का व्यवहार करूँगा और एक सफल व्यापारी बनूँगा।

Prasanna
Last Updated on Sept. 12, 2022, 12:31 p.m.
Published Sept. 12, 2022