Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 3 Hindi Rachana रचना Questions and Answers, Notes Pdf.
कहानियाँ :
निर्देश - अपनी पाठ्य-पुस्तक में से पढ़ी हुई कोई एक कहानी संक्षेप में लिखिए।
1. मीठे बोल
एक खरगोश था। एक दिन वह बाजार में दुकानदार से मीठा बोलकर थोड़ा सा गुड़ ले आया। जंगल में उसे गुड़ खाते हुए लोमड़ी ने देख लिया। लोमड़ी ने खरगोश से पूछा कि वह गुड़ कहाँ से लाया। नहीं बताने पर उसने उसे मारने की धमकी दी। खरगोश ने डर के मारे सारी बात बता दी। लोमड़ी को खरगोश पर तरस आया। उसने सोचा कि खरगोश तो मूर्ख है, थोड़ा सा गुड़ लेकर खुश हो गया। मैं दुकानदार को धमकाकर बहुत सारा गुड़ लाऊँगी।
लोमड़ी दुकानदार के पास जाकर अकड़कर बोली, 'तुम बेईमान हो, कम तौलते हो, मिलावट करते हो। मुझे गुड़ की भेली दो नहीं तो मैं तुम्हारी शिकायत कर दूंगी।' दुकानदार समझ गया कि वह लोमड़ी धूर्त है। उसने उसे सबक सिखाने के लिए गुड़ का एक बोरा दिया, जिसमें बहुत सारे चींटे थे। लोमड़ी ने गुड़ लेने के लिए बोरे में हाथ डाला, तो चींटे उसके हाथ पर चिपक गए और काटने लगे। लोमड़ी दर्द के मारे चिल्लाने लगी और भाग गई । वह बोली नहीं चाहिए तेरा गुड़। तेरा गुड़ तो खारा है।'
2. कलाकार का असंतोष
एक गाँव में एक कलाकार रहता था। वह बहुत सुंदर मूर्तियाँ बनाता था। उसका गुज़ारा आराम से हो जाता था। उसने अपने बेटे को भी मूर्तियाँ बनाना सिखा दिया। बेटा अपने बाप से भी सुंदर मूर्तियाँ बनाने लगा। उसकी मूर्तियाँ अपने पिता से भी महँगी और जल्दी बिकने लगीं। लेकिन पिता अपने बेटे की मूर्तियों में कोई-न-कोई कमी निकालता रहता था। एक दिन बेटे ने गुस्से से अपने पिता से कहा कि बापू, तुम मेरी मूर्तियों में दोष निकालते हो, लेकिन तुम्हारी खुद की मूर्तियों में दोष होता है।
मेरी मूर्तियाँ बहुत सुन्दर हैं। इनमें अब सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। यह सुनकर पिता को बहुत दुःख हुआ। उसने कहा कि अब तेरी मूर्तियाँ बीस रुपये से अधिक कभी नहीं बिकेंगी। यह सुनकर बेटे को आश्चर्य हुआ। तब पिता ने उसे समझाया कि जब कलाकार को खुद यह लगने लगे कि उसके काम में निखार आ गया है, तो समझो उसका विकास रुक गया है। कलाकार का संतोष उसकी प्रगति को वहीं रोक देता है। यह सुनकर बेटे का सिर लज्जा से झुक गया।
3. साहसी बालिका
एक छोटी लड़की थी। उसका नाम मैना था। उसके पिता का नाम नाना फडनवीस था। उसके पिता की तरह मैना भी अंग्रेजों से आजादी चाहती थी। अंग्रेज इस बात से नाराज थे। एक दिन उन्होंने नाना साहब के महल में आग लगवा दी। नाना साहब और मैना किसी तरह महल से बाहर निकल गए। बाहर आते ही मैना को अंग्रेज सैनिकों ने पकड़ लिया। वे उसे जनरल के पास ले गए। जनरल ने मैना से उसका नाम पूछा और कहा कि क्या वह भी अपने पिता की तरह आजादी चाहती है। मैना के हाँ कहने पर अंग्रेज अफसर को गुस्सा आ गया। उसने मैना को आग में डालने का आदेश दिया। तभी एक अंग्रेज अफसर ने मैना को जनरल से क्षमा माँगने के लिए कहा, लेकिन मैना ने मना कर दिया। इस पर जनरल और भी चिढ गया। उसने मैना को तुरन्त आग में झोंकने का आदेश दे दिया। मैना ने हँसते-हँसते अपने प्राण दे दिए, लेकिन वह हमें वीरता और साहस का पाठ पढ़ा गई।
4. अटल ध्रुव
राजा उत्तानपाद महाप्रतापी थे। उनकी दो रानियाँ थीं। सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव और सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम था। राजा और राज्य के लोग सुरुचि का ही आदर करते थे। सुनीति अपने पुत्र ध्रुव के साथ महल में अकेली रहती थी। एक दिन दरबार में जब नृत्य-गान चल रहा था तो उत्तम अपने पिता की गोद में खेल रहा था। यह देखकर ध्रुव का मन भी हुआ और वह भी पिता की गोद में बैठ गया। यह देखकर रानी सुरुचि ने ध्रुव को पिता की गोद से उतार दिया और बहुत भला बुरा कहा। भरी सभा में अपना अपमान ध्रुव को सहन नहीं हुआ और अपनी माँ के पास जाकर रोने लगा।
सुनीति ने ध्रुव को समझाया कि ईश्वर एक दिन उसकी मनोकामना ज़रूर पूरी करेंगे। यह सुनकर वह भगवान से मिलने की जिद करने लगा। वह तप करने जंगल में चला गया। वह यमुना किनारे बैठकर मंत्र-जाप करने लगा। पहले कन्दमूल खाकर, बाद में निराहार और एक पैर पर खड़ा होकर जप करने लगा। छह महीने बाद ईश्वर उसके सामने प्रकट हुए और उसकी मनोकामना पूरी होने का वरदान दिया। आशीर्वाद पाकर ध्रुव वापस नगर में आ गया, जहाँ उसका बहुत स्वागत हुआ। राजा उत्तानपाद को भी अपनी गलती का अहसास हुआ। वे ध्रुव को अपना राज्य सौंपकर जंगल में चले गए। ध्रुव राजा बना। अपनी अटल भक्ति और दृढ़ निश्चय के कारण ध्रुव को आज भी याद किया जाता है।
निर्देश - कोई सुनी हुई कहानी संक्षेप में लिखिए।
1. दो आलसी
एक बाग में दो आलसी पड़े हुए थे। एक आदमी उधर से जा रहा था। एक आलसी ने उससे कहा कि हे भाई, मेरी छाती पर पड़े इस आम को मेरे मुँह में निचोड़ दो। यह सुनकर वह आदमी बोला कि तुम कितने आलसी हो, जो अपनी छाती पर पड़े हुए आम को भी नहीं खा सकते हो। यह सुनकर दूसरा आलसी बोला - हे भाई, तुम ठीक कहते हो। यह बड़ा आलसी है। कल रात एक कुत्ता मेरा मुँह चाट रहा था, परन्तु इस आलसी ने उसे एक बार भी नहीं हटाया। उन दोनों आलसियों की बात सुनकर वह आदमी हँसता हुआ वहाँ से चला गया।
2. प्यासा कौआ
गर्मी का मौसम था, एक काला कौआ बहुत प्यासा था। वह पानी की खोज में इधर-उधर खूब घूमा। उसे एक झोंपड़ी के पास घड़ा दिखाई दिया। वह घड़े के पास गया, पर उस घड़े में बहुत कम पानी था। तब कौए को एक उपाय सूझा। उसने पास से छोटे-छोटे कंकड़ अपनी चोंच से उठाकर घड़े में डाले। ज्यों-ज्यों घड़े में कंकड़ पड़ते गये, उसका पानी ऊपर आता गया। बहुत सारे कंकड़ डालने पर पानी घड़े के गले तक आ गया, तब कौए ने प्रसन्न होकर पानी पिया और अपनी प्यास बुझाकर उड़ गया।
3. लालच का फल बुरा
एक बुढ़िया के पास एक मुर्गी थी। वह प्रतिदिन सोने का अण्डा देती थी। बुढ़िया उस अण्डे को बेचकर अपना खर्च चलाती थी और जो शेष बचता, उसे जोड़ती जाती थी। एक दिन बुढ़िया ने सोचा कि यदि मैं इस मुर्गी को दुगुनी खुराक देने लगूं तो वह रोज दो अण्डे देने लगेगी। इससे मैं मालदार हो जाऊँगी। बुढ़िया ने ऐसा ही किया। इसका फल यह हुआ कि अधिक खाने से मुर्गी अधिक मोटी हो गई और उसने अण्डा देना बिल्कुल बन्द कर दिया। बेचारी बुढ़िया लालच के कारण पछताती रही।
4. बुद्धि की जीत
पहाड़ियों की तलहटी में बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर तरह-तरह के पक्षी रहते थे। जब बरसात आने का समय हुआ तो सभी ने अपने लिए घोंसले बनाये। तभी एक बन्दर भी उस पेड़ पर आ गया। बया ने उससे कहा कि बरसात आने वाली है, तुम भी अपना घोंसला बना लो। परन्तु बन्दर ने उसे डाँट दिया। कुछ दिनों बाद मूसलाधार वर्षा हुई । बन्दर भीगता हुआ उसी पेड़ के नीचे आया, उसने देखा कि सभी पक्षी अपने घोंसलों में सुरक्षित बैठे हैं। तब बन्दर ईर्ष्या करने लगा और क्रोध में आकर उसने सब पक्षियों के घोंसले तोड़ दिये। बेचारे पक्षी परेशान हो रहे थे। बया चतुर थी। उसने बन्दर को मजा चखाने की एक तरकीब सोची। उसने बन्दर के पास जाकर कहा कि वह बड़ा-सा घोंसला तो रह ही गया, यह कहकर उसने मधुमक्खियों के छत्ते की तरफ इशारा किया। बन्दर उस छत्ते पर लपका, तो मधुमक्खियों ने उसे काट लिया। बन्दर दर्द के मारे चीखने-चिल्लाने लगा। बया ने उसे अच्छा सबक सिखाया।
प्रार्थना पत्र एवं पत्र-लेखन :
1. अपने प्रधानाध्यापकजी को अवकाश के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय,
मथुरा गेट, भरतपुर।
महोदय,
नम्र निवेदन है कि मुझे कल शाम से बुखार आ रहा है। इस कारण मैं आज विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकूँगा।
अतः प्रार्थना है कि मुझे आज दि. 22.7.20XX का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
दिनांक 22.7.20XX
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मनोज कुमार
कक्षा 3
2. अपने भाई के विवाह के कारण चार दिन के अवकाश के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय,
घाटगेट, जयपुर।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे बड़े भाई का विवाह हो रहा है। बारात दौसा जायेगी। इस कारण मैं चार दिन तक विद्यालय में नहीं आ सकूँगी।
अतः प्रार्थना है कि दिनांक 16.11.20XX से 19.11.20XX तक चार दिन का अवकाश स्वीकृत करने की कृपा करें।
दिनांक 16.11.20XX
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
मीना गुप्ता
कक्षा 3
3. विद्यालय से पुस्तकें प्राप्त करने के लिए प्रधानाध्यापकजी को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापकजी,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय,
सरदारपुरा, जोधपुर।
महोदय,
नम्र निवेदन है कि मेरे पिताजी की दो साल पहले मृत्यु हो गई थी। मेरी माताजी मजदूरी करके परिवार का पालन करती हैं। हम तीनों भाई-बहिन इसी विद्यालय में पढ़ते हैं। मेरे पास पाठ्यपुस्तकें नहीं हैं। मैं पुस्तकें खरीदने में असमर्थ हूँ। इसलिए प्रार्थना है कि मुझे कक्षा 3 की पुस्तकें पाठशाला से दिलवाने की कृपा करें। मैं आपका आभारी रहूँगा।
दिनांक 25.7.20XX
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
शिवदयाल
कक्षा 3
4. जन्म-दिन की पार्टी में बुलाने के लिए मित्र को निमन्त्रण-पत्र लिखिए।
जयपुर
18-8-20XX
प्रिय मित्र सुधीर,
तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि दि. 25-820XX को मेरे छोटे भाई का जन्म-दिन है। इस अवसर पर एक अल्पाहार पार्टी रखी गई है। इसके लिए मैं तुम्हें आमन्त्रित करता हूँ। इस अवसर पर आने की अवश्य ही कृपा करना। शेष मिलने पर।
आपका दर्शनाभिलाषी,
मनोज
निबन्ध-लेखन :
निर्देश-निम्नलिखित विषयों पर आठ-दस वाक्यों का निबन्ध लिखिए।
1. मेरा घर
1. मेरा घर गाँव में है। 2. मेरे घर में चार कमरे हैं। 3. बीच में चौक तथा एक तरफ जीना है। 4. मेरे घर में एक शौचालय और एक स्नानघर है। 5. मेरे घर में सफाई रहती है। 6. मेरा घर पत्थरों का पक्का बना हुआ है। 7. घर के बाहर एक गोशाला है। 8. मेरे घर के सामने छोटा-सा बगीचा है। 9. मेरे घर में मेरा भाई व बहिन और माता-पिता रहते हैं। 10. मेरा घर मुझे बहुत अच्छा लगता है।
2. मेरा विद्यालय
1. मेरा विद्यालय कस्बे के बीच में है। 2. मेरे विद्यालय का भवन बहुत सुन्दर है। 3. मेरे विद्यालय में सात कमरे हैं। 4. मेरे विद्यालय में सात शिक्षक और एक चपरासी है। 5. मेरे विद्यालय में कक्षा पाँच तक पढ़ाई होती है। 6. मेरे विद्यालय में खेल का मैदान भी है। 7. विद्यालय में एक प्याऊ भी है। 8. मेरे विद्यालय में अच्छी पढ़ाई होती है। 9. सभी अध्यापक छात्रों को प्यार करते हैं। 10. मेरे विद्यालय में डेढ़ सौ छात्र पढ़ते हैं। 11. मुझे मेरा विद्यालय प्यारा लगता है।
3. गाय
1. गाय एक पालतू पशु है। 2. गाय के दो सींग दो कान, चार पैर, एक पूँछ होती है। 3. गाय हमें दूध देती है। 4. गाय का दूध मीठा, पौष्टिक और लाभकारी होता है। 5. इसके दूध से दही, छाछ, घी, मक्खन आदि बनते हैं। 6. गाय घास खाती है। 7. यह खाने के बाद जुगाली करती है। 8. इसके गोबर से खाद बनती है और उपले भी बनते हैं। 9. गायें कई रंग की होती हैं। 10. गायों के बछड़े बड़े होकर बैल बनते हैं, जो हल और बैलगाड़ी चलाने में काम आते हैं। 11. गाय बहुत उपयोगी जानवर है।
4. घोड़ा
1. घोड़ा एक पालतू पशु है। 2. इसका रंग भूरा, काला, लाल और सफेद होता है। 3. इसके कान लम्बे होते हैं और गर्दन के ऊपर लम्बे बाल होते हैं। 4. घोड़े की पूँछ लम्बी होती है और उस पर बालों का गुच्छा होता है। 5. घोड़ा घास, चारा, दाना आदि खाता है। 6.घोड़ा सवारी के काम आता है।7. इससे गाड़ी और ताँगा भी चलाया जाता है। 8. प्राचीन काल में घोड़े युद्ध में काम आते थे और ये रथ खींचते थे। 9. अब भी सेना और पुलिस में घोड़े रखे जाते हैं। 10. घोड़ा चतुर स्वभाव का होता है और अपने मालिक के इशारों को अच्छी तरह समझता है।
5. कुत्ता
1. कुत्ता एक पालतू जानवर है। 2. इसका रंग काला, भूरा, सफेद, चितकबरा आदि होता है। 3. इसके चार । पैर, दो कान, एक मुड़ी हुई पूँछ होती है। 4. कुत्ते का भोजन रोटी और माँस है। 5. यह दूध भी पीता है। 6.कुत्ते को नींद बहुत कम आती है।7. इसकी नाक में सूंघने की अनोखी शक्ति होती है। 8. पुलिस में जासूसी कुत्ते रखे जाते हैं। 9. ये अपनी नाक से सूंघ कर चोरों और अपराधियों का पता लगाते हैं। 10. कुत्ता अपने मालिक का वफादार और चतुर जानवर होता है। 11. यह रात में घरों की रखवाली करता है।
6. ऊँट
1. ऊँट एक पालतू जानवर है। 2. ऊँट की चार लम्बी टाँगें, लम्बी गर्दन, दो छोटे-छोटे कान और एक छोटी पूँछ होती है। 3. ऊँट का रंग भूरा व मटमैला होता है। 4. ऊँट का भोजन घास, सूखे पत्ते और काँटेदार पौधे होते हैं। 5. ऊँट का स्वभाव सरल होता है। 6. यह कई दिनों तक बिना खाये-पीये रह सकता है। 7. इसके पैर गद्दीदार होते हैं, जो रेत में नहीं फँसते हैं। 8. इससे रेगिस्तान की यात्रा आसानी से हो जाती है। 9. इसीलिए ऊँट को 'रेगिस्तान का जहाज' भी कहते हैं। 10. ऊँट राजस्थान का राज्य पशु भी है।
7.हाथी
1. हाथी पशुओं में सबसे बड़ा पशु है। 2. यह मुख्यतः काले रंग का होता है। 3. यह जंगलों में पाया जाता है और पालतू भी होता है। 4. उसके चार पैर खम्भे जैसे होते हैं। 5. इसकी दो छोटी आँखें और दो बड़े-बड़े कान होते हैं। 6. इसकी एक छोटी पूँछ होती है। 7. इसकी सूंड लम्बी-मोटी होती है। 8. हाथी सैंड से पानी पीता है और इसी से उठाकर अपना भोजन मुँह में रखता है। 9. हाथी घास, फल, केले के पत्ते, गन्ना आदि बड़े चाव से खाता है। 10. इसके दो बड़े दाँत दिखावटी होते हैं। 11. इसकी चमड़ी खुरदरी और मोटी होती है। 12. यह बहुत ही ताकतवर होता है।
8. मोर
1. मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। 2. मोर देखने में बहुत सुन्दर लगता है। 3. हमारे देश में नीले रंग के मोर होते हैं, कुछ देशों में सफेद मोर भी होते हैं। 4. इसकी गर्दन लम्बी और चोंच मजबूत होती है। 5. इसके पंख नीले, हरे व भूरे रंग के होते हैं। 6. मोर के सिर पर कलंगी होती है। 7. मोर को वर्षा बहुत सुहाती है। 8. यह वर्षा ऋतु में पंख फैलाकर नाचता है। 9. यह दाना चुगता है और पेड़ों पर रहता है। 10. मोर सर्प को शत्रु मानता है और इसे मारकर निगल जाता है।
9. तोता
1. तोता हरे रंग का पक्षी होता है। 2. इसकी चोंच लाल रंग की होती है। 3. पहाड़ी तोते बड़े और नीले रंग के होते हैं। 4. तोता देखने में सुन्दर लगता है। 5. इसके पूँछ जैसे लम्बे पंख होते हैं। 6. इसे लोग पालते हैं। 7. तोता मनुष्य की तरह चतुर होता है। 8. यह जैसा रटा दो, वैसा बोल लेता है। राम-राम, जैराम, नमस्ते आदि बोलकर यह सभी को प्रसन्न करता है। 9. तोता दाडिम और हरी मिर्च को बड़े चाव से खाता है। 10. यह चने की दाल और दाना खाता है। 11. तोता अपनी बोली से सभी को आकृष्ट करता है।
10. चिड़ियाघर की सैर
चिड़ियाघर उस स्थान को कहते हैं, जहाँ पशु-पक्षियों को प्रदर्शन के लिए रखा जाता है। एक दिन मैं अपने चाचाजी के साथ चिड़ियाघर गया। चिड़ियाघर में दो हिस्से थे, एक चिड़ियों का और दूसरा जानवरों का। हमने पहले जानवरों का कक्ष देखा। वहाँ पर शेर और बाघ लोहे के बाड़े में बन्द थे। फिर हमने भालू देखा। एक ओर काले और लाल मुँह के बन्दर थे, दूसरी तरफ हिरन और जंगली गायें चर रही थीं। फिर हम पक्षी कक्ष देखने गये। वहाँ पर पिंजरों में अनेक प्रकार की रंग-बिरंगी चिड़ियाएँ थीं। वे बहुत अच्छी लग रही थीं। वहाँ पर तालाब में बतख, सारस, बगुला आदि पक्षी थे। इसी प्रकार कबूतर, तोते, मोर, मुर्गी आदि पक्षी अच्छे लग रहे थे। हमने दो घण्टे तक चिड़ियाघर की सैर की। मुझे चिड़ियाघर बहुत अच्छा लगा।
11. मेरा प्यारा मित्र
1. मेरे अनेक मित्र हैं। 2. मोहन मेरा सबसे प्यारा मित्र है। 3. वह मेरे पड़ोस में ही रहता है। 4. हम विद्यालय साथ-साथ जाते हैं। 5. वह पढ़ाई में होशियार है। 6. वह पढ़ाई में मेरी सहायता करता है। 7. वह अपने से बड़ों का सम्मान करता है। 8. वह हमारी कक्षा का मॉनीटर भी है। 9. उसे जरा भी घमण्ड नहीं है। 10. सब लोग उसे प्यार करते हैं।
12. मेरा प्रिय खेल
1. मैं प्रतिदिन शाम को एक घण्टा खेल खेलता हूँ। 2. फुटबाल मेरा प्रिय खेल है। 3. फुटबाल खेलने के लिए हम स्कूल के मैदान में जाते हैं। 4. फुटबाल मेरा प्रिय खेल इसलिए है, क्योंकि इससे शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है। फुटबाल महँगा खेल भी नहीं है। 5. फुटबाल खेलने से हममें टीम भावना का विकास होता है। 6. इस खेल से हमारा शरीर भी मजबूत होता है। 7. फुटबाल के खेल में बहुत दौड़ना पड़ता है और फुर्ती रखनी पड़ती है। 8. इससे शरीर का अच्छा व्यायाम हो जाता है। 9. मैं हमारी कक्षा की फुटबाल टीम का कप्तान भी हूँ।
13. मेरे प्रिय अध्यापक
1. हमारे विद्यालय में 15 अध्यापक हैं। 2. श्री मदनलाल शर्मा मेरे प्रिय अध्यापक हैं। 3. वे हमारे कक्षा अध्यापक भी हैं। 4. वे हमें हिन्दी पढ़ाते हैं। 5. वे छात्रों को बहुत प्यार से पढ़ाते हैं। 6. सभी छात्र उनका आदर करते हैं। 7. अन्य अध्यापक भी उन्हें बहुत पसन्द करते हैं। 8. वे सादा जीवन एवं उच्च विचार में विश्वास करते हैं। 9. वे समय के बहुत पाबन्द हैं। 10. विद्यालय के अतिरिक्त समय में भी छात्रों की उनकी पढ़ाई में सहायता करते हैं।
14. मेरा गाँव
1. मैं रामपुरा गांव में रहता हूँ। 2. यह एक छोटा गाँव है। 3. यहाँ लगभग दो हजार लोग रहते हैं। 4. अधिकतर लोग किसान हैं। 5. लोग साधारण जीवन व्यतीत करते हैं। 6. यहाँ एक छोटा बाजार है जिसमें कुछ दुकानें हैं। 7. यहाँ एक उच्च प्राथमिक विद्यालय है।8. मेरे गाँव में एक पोस्ट ऑफिस भी है। 9. मेरे गाँव में अस्पताल नहीं है। 10. यहाँ कच्ची सड़कें हैं। 11. गाँव में एक चौपाल है। 12. गाँव के बाहर एक मन्दिर है। 13. मुझे मेरा गाँव बहुत अच्छा लगता है।
15. दीपावली
हमारा भारत त्योहारों का देश है। यहाँ अनेक त्योहार मनाये जाते हैं । दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इससे पहले घरों की सफाई और पुताई की जाती है। फिर घरों को बिजली की रोशनी और फूलमालाओं से सजाया जाता है। रात में सब लोग दीपकों को जलाकर रोशनी करते हैं। बच्चे फूलझड़ी, पटाखे आदि चलाते हैं। रात में लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। घरों में अच्छा भोजन पकता है, मिठाई बनायी जाती है। दीपावली पर सभी लोग नये कपड़े पहनते हैं और आपस में अभिवादन करते हैं। इस अवसर पर सभी लोग मिठाई खाते हैं और दूसरे को भी खिलाते हैं। बाजारों में रंग-बिरंगी रोशनी तथा सजावट की जाती है। इस प्रकार दीपावली का त्योहार आनन्द और प्रेमभाव बढ़ाता है।
16. होली
होली हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। कहा जाता है कि प्रह्लाद ईश्वर का भक्त था। हिरण्यकश्यप को वह अच्छा नहीं लगता था। इसलिए उसने प्रह्लाद को मारने का विचार किया। उसने प्रह्लाद को उसकी बुआ होलिका की गोद में बिठाया और वह लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई। उस पर आग लगाने से प्रहलाद तो बच गया और होलिका जल गई। इसी घटना की याद में होली जलाते हैं। इस अवसर पर लोग चंग बजाते हैं, गीत गाते हैं, नाचते हैं और खुशी में अबीर-गुलाब लगाते हैं। सन्ध्या को होली जलाई जाती है और दूसरे दिन धुलण्डी होती है। घर-घर में पकवान बनते हैं। सभी लोग आपस में मिलते हैं तथा भाईचारा प्रकट करते हैं।
17. महात्मा गाँधी
हमारे देश में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है। ऐसे महापुरुषों में महात्मा गाँधी को प्रमुख माना जाता है। इन्हें 'बापू' और 'राष्ट्रपिता' भी कहते हैं। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई.को काठियावाड़ के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ। इनके पिता का नाम कर्मचन्द और माता का नाम पुतलीबाई था। गाँधीजी ने विलायत जाकर वकालात की परीक्षा पास की। इन्होंने अंग्रेज सरकार का विरोध करके आन्दोलन चलाया। अहिंसा और सत्याग्रह का रास्ता अपनाकर इन्होंने भारत को आजाद कराया। ये कई बार जेल गये। 30 जनवरी, सन् 1948 को बापू का जीवनान्त हो गया। महात्मा गाँधी विश्व के महान् नेता और भारत के सच्चे सपूत थे।
18. स्वतन्त्रता दिवस।
पन्द्रह अगस्त हमारा राष्ट्रीय पर्व है। सन् 1947 को इसी दिन हमारा देश स्वतन्त्र हुआ था। हम प्रतिवर्ष अपने स्वतन्त्रता दिवस को मनाते हैं। इस दिन दिल्ली में लाल किले पर प्रधानमंत्री तिरंगा झण्डा फहराते हैं। इसी प्रकार सभी जगहों पर और सरकारी भवनों पर तिरंगा फहराया जाता है। इस दिन अनेक समारोह तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। स्वतंत्रता दिवस का उत्सव विद्यालयों में खुशी के साथ मनाया जाता है। किसी विशिष्ट अतिथि को बुलाकर विद्यालय में झण्डा फहराया जाता है । सभा होती है और उसमें देशभक्ति के कार्यक्रम रखे जाते हैं। अन्त में बच्चों को मिठाई बाँटी जाती है। रात में सरकारी भवनों एवं स्मारकों पर रोशनी की जाती है। इस दिन हम शहीदों के बलिदान को याद करते हैं और अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करते हैं।
19. मेरी एक यात्रा-ऐतिहासिक यात्रा
मैंने अपने साथियों के साथ गत माह जयपुर की यात्रा बस द्वारा की। जयपुर में हमारी बस प्रात: दस बजे पहुँच गयी। वहाँ मैंने जयपुर के जिन ऐतिहासिक स्थानों को देखा उनका संक्षेप में वर्णन इस प्रकार है -
ऐतिहासिक स्थान - मैंने जयपुर में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थानों को देखा - सिटी पैलेस, हवामहल, जंतर-मंतर, जयगढ़ किला, नाहरगढ़ किला, जल महल और अल्बर्टहॉल आदि।
20. मेरी एक यात्रा-धार्मिक यात्रा
मैंने अपने साथियों के साथ गत माह जयपुर की यात्रा बस द्वारा की। जयपुर में हमारी बस प्रात: ग्यारह बजे पहुँच गयी। वहाँ मैंने जयपुर के धार्मिक स्थानों को देखा उनका संक्षेप में वर्णन इस प्रकार हैं -
धार्मिक स्थान - मैंने जयपुर में गोविन्द देव जी का मन्दिर, बिरला मन्दिर या लक्ष्मी नारायण मंदिर, मोती डूंगरी (गणेशजी) का मंदिर, खोले के हनुमान जी का मन्दिर, गढ़-गणेश जी का मंदिर, इस्कॉन मंदिर और संघी जी सांगानेर जैन मंदिर आदि।
आत्मकथा :
प्रश्न 1.
कल्पना कीजिये आप मोहन सिंह हैं। आप एक ग्रामीण किसान के पुत्र हो। अपने बारे में एक संक्षिप्त आत्मकथा लिखिये।
उत्तर :
मोहन सिंह की आत्मकथा मेरा नाम मोहन सिंह है। मेरा जन्म एक किसान परिवार में रामपुरा नामक गाँव में हुआ। मेरे पिता का नाम श्री सोहन सिंह है। मेरे पिता गाँव के प्रसिद्ध किसान हैं। वह गरीब किसानों की बहुत मदद करते हैं। वह स्वयं बहुत परिश्रमी हैं। वह कृषि की नई उपज के विषय में सोचते रहते हैं। मैं भी कृषि कार्यों में अपने पिता की मदद करता हूँ। मेरे पिता अधिक शिक्षित नहीं हैं परन्तु मैं पढ़ लिखकर तकनीकी ज्ञान के माध्यम से अच्छी फसल उगाना चाहता हूँ। मैं भविष्य में एक शिक्षित कृषक बनना चाहता हूँ।
प्रश्न 2.
कल्पना कीजिये कि आप नवल शर्मा हैं और आपके पिता एक श्रेष्ठ अध्यापक हैं। अपने बारे में एक संक्षिप्त आत्मकथा लिखिये। उत्तर :
नवल शर्मा की आत्मकथा मेरा नाम नवल शर्मा है। मेरा जन्म एक शिक्षक परिवार में जयपुर में हुआ। मेरे पिता का नाम श्री बृजेश शर्मा है। वह हिन्दी और संस्कृत के अध्यापक हैं। वह छात्रों में अति लोकप्रिय हैं। वह पढ़ाई के साथ-साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार से अनुशासन की भी शिक्षा देते हैं। मैं भी अपने पिता के द्वारा बताये गये नैतिक मूल्यों का अनुसरण करता हूँ और भविष्य में एक अच्छा अध्यापक बनना चाहता हूँ।
प्रश्न 3.
कल्पना कीजिये आप सैनिक परिवार से सम्बन्धित हैं। आपके पिता फौज में एक सैनिक हैं। अपने बारे में आत्मकथा लिखिये।
उत्तर :
अरुण सिंह की आत्मकथा मेरा नाम अरुण सिंह है और मेरा जन्म एक सैनिक परिवार में हुआ। मेरे पिता एक सच्चे देशभक्त हैं। उन्होंने करगिल युद्ध में बड़ी बहादुरी दिखाई थी। उन्होंने दुश्मनों से लोहा लिया था। मैं भी अपने पिता की तरह एक अच्छा देशभक्त बनना चाहता हूँ। मेरे पिता पूर्णतया देश के प्रति समर्पित हैं। मैं भी सैन्य शिक्षा प्राप्त करके देश का सच्चा सिपाही बनना चाहता हूँ।