Rajasthan Board RBSE Class 12 Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन Important Questions and Answers.
प्रश्न 1.
भारत की अतीत की जानकारी कहाँ से प्राप्त हो सकती है
(क) प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत से
(ख) आधुनिक भारत से
(ग) ब्रिटिश काल से
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(क) प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत से
प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध के पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय आवागमन के लिए पासपोर्ट का चलन
(क) अधिक था
(ख) सीमित क्षेत्रों के लोगों के पास ही उपलब्ध था
(ग) कम था
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) सीमित क्षेत्रों के लोगों के पास ही उपलब्ध था
प्रश्न 3.
उपनिवेशवाद के पहले भारत में समृद्धि सम्पन्नता थी लेकिन उपनिवेशवाद के बाद भारत की स्थिति क्या थी?
(क) गरीबी की
(ख) पहले जैसी समृद्धि एवं सम्पन्नता की
(ग) अधिक समृद्धि एवं सम्पन्नता की
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(क) गरीबी की
प्रश्न 4.
औद्योगिक क्षरण क्या है
(क) कुछ पुराने परम्परागत नगरीय केन्द्रों का पतन
(ख) उत्पादन व निर्माण में गिरावट आना
(ग) ग्रामीण संगठनों और कारोबारों का विघटन
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5.
परम्परागत ढंग से होने वाले रेशम व कपास के व्यापार के उत्पादन एवं निर्यात के पतन का मुख्य कारण क्या था?
(क) प्रतियोगिता
(ख) मेनचेस्टर प्रतियोगिता
(ग) औद्योगीकरण
(घ) नगरीकरण
उत्तर:
(ख) मेनचेस्टर प्रतियोगिता
प्रश्न 6.
जवाहरलाल नेहरू के अनुसार आधुनिक और समृद्धिशाली भारत की नींव किन केन्द्रों पर रखी जानी थी
(क) वृहद् लौह-इस्पात केन्द्रों
(ख) विशाल बाँधों
(ग) विद्युत शक्ति केन्द्रों
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 7.
उपनिवेशवाद पूँजीवादी व्यवस्था पर आधारित था
(क) ब्रितानी
(ख) पुर्तगाली
(ग) डच
(घ) भारतीय
उत्तर:
(क) ब्रितानी
प्रश्न 8.
भारत को भूमण्डलीकृत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विशेष स्थान प्राप्त है
(क) कच्चे माल का निर्यातक होने के कारण ।
(ख) अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के कारण
(ग) पूँजीवादी व्यवस्था के कारण
(घ) उपनिवेशवाद के कारण
उत्तर:
(ख) अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के कारण
प्रश्न 9.
चेन्नई से निर्यात किया जाता था
(क) कपास
(ख) कहवा.
(ग) चीनी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 10.
कोलीकाता, गोविंदपुर और सुतानुती ये तीन गाँव किस नदी के तट से लगे थे
(क) गंगा
(ख) गोदावरी
(ग) हुगली
(घ) कृष्णा
उत्तर:
(ग) हुगली
प्रश्न 11.
सन् 1900 तक भारत से कच्ची कपास को ब्रिटेन भेजा जा चुका था
(क) एक - तिहाई
(ख) दो - तिहाई
(ग) एक - चौथाई
(घ) उपर्युक्त में से एक भी नहीं
उत्तर:
(क) एक - तिहाई
प्रश्न 12.
चाय उद्योगों की भारत में शुरुआत हुई
(क) 1853
(ख) 1851
(ग) 1861
(घ) 1865
उत्तर:
(ख) 1851
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
प्रश्न 1.
भारत में स्थापित संसदीय,...........................एवं...........................व्यवस्था ब्रिटिश प्रारूप व प्रतिमानों पर आधारित है।
उत्तर:
विधि, शिक्षा
प्रश्न 2.
अंग्रेजी के ज्ञान के कारण भारत को ........................... अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में एक विशेष स्थान प्राप्त है।
उत्तर:
भूमण्डलीकृत
प्रश्न 3.
उपनिवेशवाद के कारण भारत में दो संरचनात्मक परिवर्तन हुए थे, वो हैं ................एवं ..................।
उत्तर:
औद्योगीकरण, नगरीकरण
प्रश्न 4.
ब्रितानी उपनिवेशवाद
................व्यवस्था पर आधारित था।
उत्तर:
पूँजीवादी
प्रश्न 5.
औपनिवेशिक काल में असम, आज के................पूर्वोत्तर राज्यों को मिलकर बनता था।
उत्तर:
सात
प्रश्न 6.
................या राष्ट्र-राज्य राष्ट्रवाद के उदय से घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध है।
उत्तर:
नेशन स्टेट
प्रश्न 7.
................का सम्बन्ध यांत्रिक उत्पादन के उदय से है जो शक्ति के गैरमानवीय संसाधन जैसे वाष्प या विद्युत पर निर्भर होता है।
उत्तर:
औद्योगीकरण
प्रश्न 8.
................औद्योगीकरण से गुजरने वाला पहला समाज था।
उत्तर:
ब्रिटेन
अतिलघूत्तरात्मक
प्रश्न 1.
आधुनिक भारत को समझने के लिए क्या जानना जरूरी है?
उत्तर:
प्राचीन और मध्यकालीन भारत को जानना।
प्रश्न 2.
भारत में स्थापित संसदीय, विधि एवं शिक्षा व्यवस्था किस देश के प्रारूप व प्रतिमान पर आधारित है?
उत्तर:
ब्रिटिश प्रारूप व प्रतिमान पर।
प्रश्न 3.
भारत में उपनिवेशवाद का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
पूँजीवाद का विकास।
प्रश्न 4.
स्वतंत्र भारत का पहला विशाल/ऊँचा बाँध कौनसा है?
उत्तर:
भाखड़ा नांगल बाँध।
प्रश्न 5.
सन् 1938 में किस योजना समिति का गठन हुआ?
उत्तर:
नेशनल प्लानिंग कमेटी का।
प्रश्न 6.
नेशनल प्लानिंग कमेटी के अध्यक्ष कौन थे?
अथवा
हमारे देश के उस प्रधानमंत्री का नाम लिखिये जो नेशनल प्लानिंग कमीशन के अध्यक्ष थे।
उत्तर:
जवाहरलाल नेहरू।
प्रश्न 7.
भारत में औद्योगीकरण व नगरीकरण उस प्रकार नहीं हुआ, जैसे ब्रिटेन का। इसका मुख्य कारण क्या था?
उत्तर:
भारत में औपनिवेशिक शासन।
प्रश्न 8.
औद्योगीकरण सबसे पहले कहाँ प्रारम्भ हुआ?
उत्तर:
ब्रिटेन में।
प्रश्न 9.
अंग्रेजी भाषा का ज्ञान किनके लिए लाभकारी सिद्ध हुआ?
उत्तर:
वंचित समूहों के लिए।
प्रश्न 10.
मार्च, 1950 में भारत सरकार के प्रस्ताव पर किस आयोग का गठन हुआ?
उत्तर:
योजना आयोग का।
प्रश्न 11.
किस भाषा के ज्ञान के कारण भारत ने भूमंडलीकृत अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में एक विशेष स्थान प्राप्त किया?
उत्तर:
अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के कारण।
प्रश्न 12.
तंजौर, ढाका और मुर्शीदाबाद की राजसभाओं के विघटन का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर:
इनके विघटन का मुख्य कारण भारतीय राज्यों पर ब्रिटिश अधिकार था।
प्रश्न 13.
नगरीकरण का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
नगरीकरण लोगों के ग्रामीण क्षेत्रों से कस्बों और नगरों की ओर जाने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 14.
उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
उपनिवेशवाद क्या है ?
उत्तर:
एक देश का दूसरे देश पर शासन करना उपनिवेशवाद है।
प्रश्न 15.
ब्रितानी उपनिवेशवाद किस पर आधारित था?
उत्तर:
ब्रितानी उपनिवेशवाद पूँजीवाद पर आधारित था।
प्रश्न 16.
भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के कारण आए दो प्रमुख संरचनात्मक परिवर्तनों के नाम लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 17.
उपनिवेशवाद ने किन संरचना में नवीन परिवर्तन उत्पन्न किए?
उत्तर:
राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक।
प्रश्न 18.
स्वतंत्रता के बाद बम्बई का नाम बदलकर क्या कर दिया गया है?
उत्तर:
मुंबई।
प्रश्न 19.
बम्बई बोम्बे प्रेसीडेंसी की राजधानी कब बना?
उत्तर:
सन् 1819 में आंग्ल - मराठा युद्ध में मराठों की हार के बाद ।
प्रश्न 20.
प्रारम्भिक काल में मद्रास किन दो टाउनों के रूप में विकसित हुआ? उनके नाम लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 21.
किस सन् में मद्रास राज्य का नाम बदलकर 'तमिलनाडु' कर दिया गया?
उत्तर:
सन् 1968 में।
प्रश्न 22.
वर्तमान में मद्रास नगर का नाम क्या है?
उत्तर:
वर्तमान में मद्रास नगर का नाम चेन्नई है।
प्रश्न 23.
मद्रास शहर के नाम को चेन्नई किस आधार पर किया गया है?
उत्तर:
चेन्नापट्टम गाँव के आधार पर।
प्रश्न 24.
अमूल उद्योग का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
इसका पूरा नाम' आनन्द मिल्क यूनियन लिमिटेड' है।
प्रश्न 25.
स्वतंत्रता के बाद विकसित हुए किन्हीं चार औद्योगिक शहरों के नाम लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 26.
आन्ध्रपद्रेश में काकीनाडा नगर का विकास किसके कारण हुआ है?
उत्तर:
उर्वरक उत्पादन यंत्र के कारण।
प्रश्न 27.
सड़कों के किनारे, रेहड़ी व गाड़ियों पर ब्रेड-आमलेट और कटलेट जैसी खाने की चीजें मिलना किस देश की संस्कृति का अनुसरण है?
उत्तर:
ब्रिटिश संस्कृति का।
प्रश्न 28.
बंगाल के सन्दर्भ में निर्णायक घटना क्या थी?
उत्तर:
रेलवे की शुरुआत।
प्रश्न 29.
औपनिवेशिक काल के समय असम किसका हिस्सा था?
उत्तर:
बंगाल प्रांत का।
प्रश्न 30.
सन् 1834 से 1920 तक विभिन्न धर्मों, लिंग व जातियों के भारतीय लोग को कहाँ के बागानों में मजदूरी करने के लिए पहुँचाया जाता था?
उत्तर:
मॉरीशस के बागानों में।
प्रश्न 31.
उपनिवेशवादी शासन में कौनसे आधुनिक नगर प्रचलित हुए?
उत्तर:
बंबई और मद्रास।.
प्रश्न 32.
चेन्नई से ब्रिटेन को क्या निर्यात किया जाता था?
उत्तर:
कहवा, चीनी, नील और कपास।
प्रश्न 33.
राष्ट्रीय योजना समिति के संपादक कौन थे?
उत्तर:
के.टी. शाह
प्रश्न 34.
भारत सरकार की कौनसी योजना नगरीकरण की गति को तीव्र करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगी?
उत्तर:
'स्मार्ट सिटी' की महत्त्वाकांक्षी योजना।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उपनिवेशवाद क्या है ?
उत्तर:
जब शक्तिशाली राष्ट्र अपने अतिरिक्त उत्पादन की खपत के लिए दूसरे राज्यों में बाजार की तलाश में वहाँ अपना आधिपत्य स्थापित करता है, तो उस स्थिति को उपनिवेशवाद कहा जाता है।
प्रश्न 2.
नगरीकरण को परिभाषित करें।
अथवा
नगरीकरण क्या है?
उत्तर:
नगरीकरण लोगों के ग्रामीण क्षेत्रों से कस्बे, शहरों व महानगरों की ओर जाने की प्रक्रिया है। इसके तहत कस्बे छोटे शहरों में और छोटे शहर महानगरों में बदलते जाते हैं।
प्रश्न 3.
औद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
औद्योगीकरण क्या है?
उत्तर:
छोटे उद्योगों एवं छोटी-छोटी मशीनों की अपेक्षा बड़ी मशीनों द्वारा अधिक मात्रा में उत्पादन बढ़ाना औद्योगीकरण कहलाता है। इससे उद्योगों का विस्तार होता है।
प्रश्न 4.
अंग्रेजी भाषा का ज्ञान वंचित समूहों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ। कैसे?
उत्तर:
परम्परागत व्यवस्था में दलितों को औपचारिक शिक्षा से वंचित रहना पड़ता था। अंग्रेजी के ज्ञान से अब दलितों के लिए भी अवसरों के द्वार खुल गए हैं।
प्रश्न 5.
राष्ट्रीय योजना समिति का कार्य आगे क्यों नहीं बढ़ पाया?
उत्तर:
राष्ट्रीय योजना समिति का गठन 1938 में हुआ था। सन् 1939 से समिति ने अपना कार्य आरम्भ किया लेकिन यह ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई क्योंकि इसके अध्यक्ष नेहरू को गिरफ्तार कर लिया और बाद में विश्वयुद्ध भी छिड़ गया।
प्रश्न 6.
पश्चिमी और भारतीय औद्योगीकरण की कोई एक भिन्नता बताइये।
उत्तर:
पश्चिमी औद्योगीकरण में जनसंख्या का एक बड़ा भाग नौकरीपेशा लोगों का होता है, लेकिन भारतीय औद्योगीकरण में नौकरी पेशा लोगों का इतना बड़ा भाग नहीं होता है।
प्रश्न 7.
औपनिवेशिक भारत में संचार के विभिन्न रूपों को बढ़ाने वाली नई तकनीकें क्या थीं? .
उत्तर:
औपनिवेशिक भारत में संचार के विभिन्न रूपों को बढ़ाने वाली नई तकनीकें थीं - प्रिंटिंग प्रेस, टेलीग्राम, माइक्रोफोन, स्टीमर तथा रेलवे।
प्रश्न 8.
औपनिवेशिक साम्राज्य के लिए तटीय शहर महत्त्वपूर्ण क्यों थे?
उत्तर:
औपनिवेशिक साम्राज्य के लिए तटीय शहर महत्त्वपूर्ण थे क्योंकि ब्रिटिश साम्राज्य की अर्थव्यवस्था में इन शहरों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी तथा ये शहर भूमण्डलीय पूँजीवाद के ठोस उदाहरण थे।
प्रश्न 9.
औपनिवेशिक कानूनों ने चाय उद्योग के मालिकों और एबन्धकों को कैसे लाभ पहुँचाया?
उत्तर:
औपनिवेशिक श्रम कानूनों द्वारा चाय की बागवानी के मालिकों का पक्ष लिया गया ताकि बागान मालिकों को फायदा पहुँचाने के लिए मजदूरों पर कठोर बल प्रयोग किया जा सके।
प्रश्न 10.
ब्रिटिश औद्योगीकरण का भारतीय औद्योगीकरण पर प्रभाव लिखें।
उत्तर:
ब्रिटिश औद्योगीकरण के कारण भारत में कुछ परम्परागत औद्योगिक केन्द्रों का पतन हुआ और रेशम तथा कपास का उत्पादन व निर्यात मेनचेस्टर प्रतियोगिता में गिरता चला गया। भारतीय कारीगर कलाकारों का पतन हुआ। कलकत्ता तथा बम्बई जैसे आधुनिक औद्योगिक नगरों का विकास हुआ।
प्रश्न 11.
पूँजीवाद क्या है?
उत्तर:
पूँजीवाद ऐसी आर्थिक व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साधन का स्वामित्व कुछ विशेष लोगों के हाथों में होता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने पर जोर दिया जाता है।
प्रश्न 12.
पूँजीवाद किस कारण से जाना जाता है ?
उत्तर:
पूँजीवाद को गतिशीलता, वृद्धि की सम्भावनाएँ, प्रसार, नवीनीकरण तकनीक, श्रम के बेहतर उपयोग और अधिकतम लाभ के कारण जाना जाता है। .
प्रश्न 13.
राष्ट्रवादी सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष में लोगों के समूह को स्वतंत्रता और सम्प्रभुता प्राप्त हो तथा उन्हें अपनी स्वतंत्रता व सम्प्रभुता के इस्तेमाल का अधिकार प्राप्त हो तथा वहाँ प्रजातांत्रिक विचारों का उद्भव हो, तो उसे राष्ट्रवादी सिद्धान्त कहते हैं।
प्रश्न 14.
संरचनात्मक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
संरचनात्मक परिवर्तन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सामाजिक सम्बन्धों में होने वाले परिवर्तनों को संरचनात्मक परिवर्तन कहते हैं। परिवार, विवाह, नातेदारी और व्यावसायिक समूहों में आने वाले परिवर्तन संरचनात्मक परिवर्तन की प्रक्रिया के अंग हैं । औद्योगीकरण और नगरीकरण संरचनात्मक परिवर्तन के ही रूप हैं।
प्रश्न 15.
औपनिवेशिक शासन के बाद भारतीय राष्ट्रवादियों ने भारत के विकास और सामाजिक न्याय के लिए क्या अनुमान लगाया?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन के बाद भारतीय राष्ट्रवादियों ने भारत के विकास और सामाजिक न्याय के लिए यह अनुमान लगाया कि तीव्र और वृहद् औद्योगीकरण के द्वारा आर्थिक स्थिति में सुधार किये जा सकते हैं।
प्रश्न 16.
'भारतीय मूल' से आपका क्या आशय है ?
उत्तर:
उपनिवेशवादी शासन ने भारतीय मजदूरों एवं दक्ष सेवाकर्मियों को जहाजों के माध्यम से सुदूर एशिया, अफ्रीका और अमरीका में स्थित अन्य उपनिवेशों में भी भेजा। कितने लोग तो जहाज पर रास्ते में ही मर जाते थे। जाने वाले अधिकांश लोगों में से कुछ तो कभी लौट कर ही नहीं आए। आज उन भारतीयों के वंशजों को 'भारतीय मूल' का माना जाता है।
प्रश्न 17.
पश्चिमी शिक्षा पद्धति को भारत में लाने का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
पश्चिमी शिक्षा पद्धति को भारत में इस उद्देश्य से लाया गया कि उससे भारतीयों का एक ऐसा वर्ग तैयार हो जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद को बनाए रखने में सहयोगी हो। लेकिन हम यह भी पाते हैं कि यही पश्चिमी शिक्षा पद्धति राष्ट्रवादी चेतना एवं उपनिवेश विरोधी चेतना का माध्यम बनी।
प्रश्न 18.
पश्चिम में पूँजीवाद का प्रारम्भ किस प्रक्रिया के फलस्वरूप हुआ?
उत्तर:
पश्चिम में पूँजीवाद का प्रारंभ एक जटिल प्रक्रिया के फलस्वरूप हुआ। इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से यूरोप द्वारा शेष दुनिया की खोज, गैर यूरोपीय देशों की संपत्ति और संसाधनों का दोहन, विज्ञान और तकनीक का अद्वितीय विकास और इसके उपयोग से उद्योग एवं कृषि में रूपांतरण आदि सम्मिलित हैं। पूँजीवाद को प्रारंभ से ही इसकी गतिशीलता, वृद्धि की संभावनाएँ, प्रसार, नवीनीकरण, तकनीक और श्रम के बेहतर उपयोग के लिए जाना गया। इन्हीं गुणों के कारण पूँजीवाद ज्यादा से ज़्यादा लाभ सुनिश्चित करता है।
प्रश्न 19.
क्या भारत में परम्परागत व्यवस्था में दलितों को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था?
उत्तर:
नहीं, भारत में परम्परागत व्यवस्था में दलितों को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नहीं था। औपनिवेशिक काल में समाज सुधार आन्दोलन, पाश्चात्य उदारवाद और अंग्रेजी ज्ञान के कारण इनके औपचारिक शिक्षा के द्वार खुले।
प्रश्न 20.
विजय (कांक्वेस्ट) के पूर्व रूपों से उपनिवेशवाद किस प्रकार भिन्न है?
अथवा
ब्रिटिश शासन का प्रभाव पहले के सभी अन्य शासकों से भिन्न था, क्योंकि ?
उत्तर:
ब्रिटिश पूँजीवादी शासन द्वारा प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक व्यवसाय में व्यापक स्तर पर हस्तक्षेप किये गये, जबकि पूर्व-पूँजीवादी शासक समाज के आर्थिक आधार में हस्तक्षेप नहीं कर सके। उन्होंने परम्परागत आर्थिक व्यवस्थाओं पर अधिकार करके अपनी सत्ता को कायम रखा।
प्रश्न 21.
उपनिवेशवाद से आए किन्हीं दो संरचनात्मक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 22.
भारतीय समाज पर औपनिवेशीकरण का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
प्रश्न 23.
अपने शासन के निर्बाध संचालन के लिए औपनिवेशिक शासकों ने क्या कदम उठाया?
उत्तर:
अपने शासन के निर्बाध संचालन के लिए औपनिवेशिक शासकों ने
प्रश्न 24.
औद्योगिक प्रणाली के अन्तर्गत उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है?
उत्तर:
प्रश्न 25.
उपयुक्त उदाहरण देते हुए उद्योगों में प्रवासी कामगारों की स्थिति पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
प्रवसन करने वाले मजदूर आमतौर पर सूखाग्रस्त तथा कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों से पंजाब तथा हरियाणा के खेतों में, उत्तरप्रदेश के ईंट-भट्टों में, नई दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भवन निर्माण में काम करने के लिए जाते हैं । इनके पास अधिक अधिकार नहीं होते। अतः इन मजदूरों का आसानी से शोषण किया जाता है।
प्रश्न 26.
राष्ट्रवादी सिद्धान्त के अनुसार किसी क्षेत्र विशेष में लोगों के समूह को कौनसे अधिकार प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रवादी सिद्धांत के अनुसार किसी क्षेत्र विशेष में लोगों के समूह को स्वतंत्रता एवं संप्रभुता प्राप्त होती उन्हें अधिकार प्राप्त होता है कि वे अपनी स्वतंत्रता एवं संप्रभुता का इस्तेमाल कर सकें। ये प्रजातांत्रिक विचारों के उद्भव का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न 27.
उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद के सिद्धान्त तथा प्रजातांत्रिक अधिकार के बीच कैसा सम्बन्ध है?
उत्तर:
उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद के सिद्धान्त तथा प्रजातांत्रिक अधिकार के बीच विपरीतार्थक सम्बन्ध हैं। उपनिवेशवाद का मतलब, साधारणतः विदेशी शासन जैसे भारत में ब्रिटिश शासन से है जबकि इसके विपरीत राष्ट्रवाद का निर्देश था कि भारत के लोग या किसी भी उपनिवेशीय समाज के लोगों को संप्रभु होने का समान अधिकार है।
प्रश्न 28.
अंग्रेजी भाषा के बहुआयामी और विरोधात्मक प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
बहआयामी प्रभाव - उपयोग में आने वाली अंग्रेजी मात्र भाषा नहीं है बल्कि बहुत से भारतीयों ने अंग्रेजी भाषा में उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाएँ की हैं। अंग्रेजी के ज्ञान के कारण भारत को भूमंडलीकृत अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में विशेष स्थान प्राप्त है।विरोधात्मक प्रभाव-जिसे अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं होता है, उसे रोजगार के क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 29.
औद्योगीकरण का सामाजिक जीवन पर प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर:
औद्योगीकरण के कारण हमारी सामाजिक संरचना में अन्तर आ गया। पहले सामाजिक वर्गों के आधार धर्म और जाति थे, आज वर्गों के आधार व्यवसाय तथा आय बन गए हैं और इस प्रकार आज भारतीय समाज में पूँजीपति, श्रमिक और मध्यम वर्ग देखे जा सकते हैं। औद्योगीकरण के कारण नगरीकरण बढ़ रहा है। जाति - प्रथा, संयुक्त परिवार प्रथा तथा विवाह प्रथा पर प्रभाव पड़ा है।
प्रश्न 30.
ब्रिटिश साम्राज्यवाद की अर्थव्यवस्था में समुद्रतटीय नगरों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ब्रिटिश साम्राज्यवाद की अर्थव्यवस्था में समुद्रतटीय नगरों - बम्बई, कलकत्ता, मद्रास आदि - से उपयोग की आवश्यक वस्तुओं का निर्यात तथा ब्रिटेन से उत्पादित वस्तुओं का आयात सस्ती लागत से आसानी से किया जा सकता था। उदाहरण के लिए बम्बई से कपास का, कलकत्ता से जूट का तथा मद्रास से कहवा, चीनी व नील का निर्यात किया जाता था।
प्रश्न 31.
उपनिवेशवाद का भारत की आधुनिकता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
उपनिवेशवाद का भारत की आधुनिकता पर प्रभाव
प्रश्न 32.
क्या औपनिवेशिक भारत में कोई विरोधाभासी स्थिति थी? यदि हाँ, तो कौनसी?
उत्तर:
हाँ, औपनिवेशिक भारत में एक विरोधाभासी स्थिति थी क्योंकि इस दौर में भारत ने उदारवाद एवं स्वतंत्रता को आधुनिकता के रूप में जाना। वहीं दूसरी तरफ भारत में उपनिवेशवादी शासन के अन्तर्गत स्वतंत्रता व उदारता का अभाव था।
प्रश्न 33.
ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने व्यवस्थित शासन के लिए क्या प्रयास किये ?
उत्तर:
प्रश्न 34.
औद्योगीकरण और नगरीकरण का परस्पर संबंध है। कैसे?
उत्तर:
औद्योगीकरण शहरीकरण के विकास का सर्वाधिक शक्तिशाली कारक है। औद्योगीकरण से देश के कुटीर उद्योग धन्धों का पतन होता है और इनमें कार्यरत व्यक्ति रोजगार व व्यवसाय की तलाश में कारखानों में आने लगते हैं। इस तरह धीरे-धीरे नगरीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। लेकिन भारत में इसके कारण कुछ पुराने परम्परागत नगरीय केन्द्रों का पतन भी हुआ।
प्रश्न 35.
पूर्व पूँजीवादी शासन और ब्रितानी उपनिवेशवादी पूँजीवादी शासन में अन्तर बताइये।
उत्तर:
पूर्व पूँजीवादी शासन समाज के आर्थिक आधार में हस्तक्षेप नहीं करते थे। उन्होंने परम्परागत आर्थिक व्यवस्थाओं पर कब्जा करके अपनी सत्ता को बनाए रखा। इसके विपरीत ब्रितानी उपनिवेशवादी पूँजीवादी शासन ने कानूनी रूप से प्रत्यक्ष रूप में आर्थिक व्यवसाय में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप कर पूँजीवाद का विस्तार किया। इसने भूमि के स्वामित्व के नियमों को बदला, जंगलों पर नियंत्रण किया आदि।
प्रश्न 36.
ब्रिटिश औद्योगीकरण का भारत के आर्थिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
प्रश्न 37.
औपनिवेशिक काल में चाय बागानों के मालिक कैसे रहते थे ?
उत्तर:
औपनिवेशिक काल में चाय-बागानों के मालिक एशो-आराम से रहते थे। उनकी जीवन-शैली में भोगविलास की भरपूर चमक थी। उनके विशाल बंगले थे, जिनके चारों ओर मखमली बाग थे जिनकी रौनक में रंग-बिरंगे फूलों की कतार थी। उनकी सेवा के लिए माली, बावर्ची, घरेलू नौकर आदि थे।
प्रश्न 38.
औद्योगीकरण का प्रभाव भारत और ब्रिटेन में किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
ब्रिटेन में औद्योगीकरण के प्रभाव से ज्यादातर लोग नगरों में आए लेकिन इसके विपरीत भारत में ब्रिटिश औद्योगीकरण के प्रारंभिक समय में ज्यादातर लोगों को कृषि की ओर जाना पड़ा। भारतीय जनगणना रिपोर्ट इसे स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
प्रश्न 39.
राष्ट्रीय योजना समिति के विचाराधीन क्षेत्र क्या थे?
उत्तर:
राष्ट्रीय योजना समिति के विचाराधीन क्षेत्र निम्नलिखित थे
(क) कृषि और उत्पादन के अन्य प्राथमिक साधन
(ख) उद्योग और उत्पादन के द्वितीयक साधन
(ग) मानवीय कारक - श्रम व आबादी
(घ) वित्त और विनिमय ।
(ङ) सार्वजनिक उपयोगिता - आवागमन और संचार
(च) सामाजिक सेवा - स्वास्थ्य और आवास
(छ) शिक्षा - सामान्य और तकनीकी
(ज) नियोजित अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका।
प्रश्न 40.
पूर्व भारत में उपनिवेशीय जंगल-नीति के प्रभाव के तीन बिन्दु बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 41.
पूँजीवाद की संरचना को समझाइये।
उत्तर:
प्रश्न 42.
उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद के सिद्धान्त के बीच किस प्रकार का सम्बन्ध है?
उत्तर:
उपनिवेशवाद का अर्थ है: विदेशी शासन। जैसे - भारत में ब्रिटिश शासन था। राष्ट्रवादी सिद्धान्त के अनुसार किसी क्षेत्र विशेष के लोगों को स्वतंत्रता और सम्प्रभुता की प्राप्ति और उनके इस्तेमाल के अधिकार की प्राप्ति। इस प्रकार उपनिवेशवाद जहाँ पराधीनता का प्रतीक है तो राष्ट्रवाद स्वाधीनता का।
प्रश्न 43.
ब्रिटिश राज के चाय - बागानों में श्रमिकों के जीवन को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 44.
औपनिवेशिक सरकार के समय में चाय - बागानों में मजदूरों का चयन और नियुक्ति किस प्रकार होती थी?
उत्तर:
औपनिवेशिक सरकार के समय में चाय - बागानों में मजदूरों का चयन व नियुक्ति ठेकेदारों के द्वारा होती थी जो बंगाल के ट्रांसपोर्ट ऑफ नेटिव लेबरर्स एक्ट का इस्तेमाल करके मजदूरों को प्रलोभन, बल, भय के द्वारा कई बरसों के लिए करते थे और उन्हें असम भेजते थे। इस कानून में मजदूरों के हितों को नजरअंदाज किया गया था।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ब्रिटिश राज के चाय बागानों में बागान-मालिकों और श्रमिकों के जीवन की तुलना कीजिये।
उत्तर:
सन् 1851 में चाय उद्योगों की भारत में शुरुआत हुई। ज्यादातर चाय के बागान असम में थे।
ब्रिटिश राज के चाय बागानों में बागान - मालिकों और श्रमिकों के जीवन की तुलना:
1. शोषक और शोषित वर्ग सम्बन्धी अन्तर:
आधिकारिक रिपोर्ट से पता चलता है कि ब्रिटिश राज में चाय बागान श्रमिकों की भर्ती गलत तरीकों से की जाती थी तथा उनसे जबरदस्ती काम लिया जाता था। चाय - बागान मालिकों के लिए सरकारी बलों का प्रयोग कर मजदूरों से सस्ते में काम कराया जाता था। इस प्रकार चाय-बागान मालिक शोषक वर्ग था और चाय-बागान मजदूर शोषित वर्ग । कथा - साहित्य एवं अन्य स्रोतों से बागान में काम करने वालों के जीवन से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त होती है। औपनिवेशिक प्रशासक यह मानकर चलते थे कि बागान वालों को फायदा पहुँचाने के लिए मजदूरों पर कड़े से कड़ा बल प्रयोग किया जाए।
2. जीवन - शैली का अन्तर:
चाय - बागान श्रमिकों को दूसरे प्रान्तों से लाया जाता था। वहाँ की जलवायु मजदूरों के स्वास्थ्य के प्रतिकूल होती थी। वे अनेक प्रकार के बुखारों से ग्रसित रहते थे। चाय बागान के मालिक व ठेकेदार उनके इलाज पर पैसा खर्च नहीं करते थे। दूसरी तरफ, चाय बागानों के मालिकों की जीवन - शैली भोग - विलास की चमक से भरपूर थी। उनके राजसी बंगलों के चारों ओर मखमली बाग थे तथा सेवा के लिए नौकरों की भरमार होती थी।
3. एक्ट सम्बन्धी अन्तर :
ब्रिटिश राज इस तथ्य से अवगत था कि औपनिवेशिक देश में चलाए गए नियम कानून अलग हो सकते हैं और यह जरूरी नहीं है कि ब्रिटिश उन प्रजातांत्रिक नियमों का निर्वाह औपनिवेशिक देश में भी करें जो ब्रिटेन में लागू होते थे। जिस एक्ट के तहत चाय-बागान के मजदूरों की भर्ती की जाती थी, उस एक्ट की धाराएँ चाय-बागानों के मालिकों के पक्ष में थीं। चाय - बागानों के मजदूर वहाँ मजदूरी के अतिरिक्त कोई दूसरा कार्य नहीं कर सकते थे। अगर कोई मजदूर इस निर्देश का पालन करने में विफल रहता तो उसे जेल हो सकती थी। इस प्रकार इस कानून का मुख्य उद्देश्य बागान मालिकों को फायदा पहुँचाना तथा मजदूरों का शोषण करना था।
प्रश्न 2.
औपनिवेशिक युग में दिखाई पड़ने वाले संरचनात्मक परिवर्तनों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय समाज पर उपनिवेशवाद के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
औपनिवेशिक युग में भारत में दिखाई पड़ने वाले संरचनात्मक परिवर्तन या सामाजिक प्रभाव औपनिवेशिक युग में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक संरचना में निम्नलिखित परिवर्तन हुए
1. आर्थिक क्षेत्र में संरचनात्मक परिवर्तन - ब्रिटिश उपनिवेशवाद का आधार पूँजीवादी व्यवस्था था। इसके द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर आर्थिक व्यवसाय में व्यापक स्तर पर हस्तक्षेप किये गये। उदाहरण के लिए:
2. सामाजिक तथा सांस्कृतिक संरचना में परिवर्तन:
3. राजनैतिक क्षेत्र में परिवर्तन - ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान व्यवस्थित शासन के लिए अनेक क्षेत्रों में भारी परिवर्तन किये गये। ये परिवर्तन वैधानिक क्षेत्र में भी किये गये हैं तथा पाश्चात्य शिक्षा पद्धति को इस उद्देश्य से लाया गया कि उससे भारतीयों का एक ऐसा वर्ग बन सके जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद को कायम रखने में सहायक हो। हमारी वर्तमान संसदीय विधि व्यवस्था ब्रिटिश उपनिवेशवाद के प्रभाव के रूप में ही स्थापित हुई है। हमारे देश में राष्ट्रवाद भी उपनिवेशवाद के विरोध की प्रतिक्रिया में पैदा हुआ है।
4.पूँजीवाद का विकास-ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान भारत में पूँजीवाद का विकास हुआ तथा उत्पादन के साधनों का स्वामित्व कुछ विशेष लोगों के हाथों में होने लगा। इससे उपनिवेशवाद भी मजबूत हुआ।
प्रश्न 3.
औद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं?ब्रिटिश औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप भारत में 'औद्योगिक क्षरण' और 'शहरीकरण' कैसे हुआ?
उत्तर:
औद्योगीकरण का तात्पर्य:
औद्योगीकरण का सम्बन्ध यांत्रिक उत्पादन के उदय से है जो कि शक्ति के गैर - मानवीय संसाधन जैसे वाष्प या विद्युत पर निर्भर होता है। अति विकसित परंपरात्मक सभ्यताओं में भी खेत या जमीन पर उत्पादन से संबंधित कार्य करने के लिए अधिकाधिक मानवों की आवश्यकता होती थी। अपेक्षाकृत निम्न तकनीकी विकास की वजह से बहुत ही कम लोग कृषि कार्य के अतिरिक्त कुछ अन्य आसान व्यवसाय कर सकते थे। इसके विपरीत औद्योगिक समाजों में ज्यादा से ज्यादा लोग कारखानों, ऑफिसों और दुकानों में कार्य करते हैं।
ब्रिटिश औद्योगीकरण के कारण भारत में 'औद्योगिक क्षरण':
ब्रिटिश औद्योगीकरण के कारण भारत में औद्योगिक क्षरण हुआ। ब्रिटिश औद्योगीकरण के कारण भारत में कुछ परम्परागत नगरीय औद्योगिक केन्द्रों का पतन हुआ। जिस तरह भारत में उत्पादन व निर्माण में चढ़ाव आया, उसके विपरीत भारत में गिरावट आयी। परम्परागत ढंग से होने वाले रेशम और कपास का उत्पादन और निर्यात 'मेनचेस्टर प्रतियोगिता' में गिरता चला गया। भारत के कुछ प्राचीन व्यापारिक केन्द्र, जैसे सूरत और मुसलीपट्टम का अस्तित्व कमजोर हो गया। भारतीय राज्यों पर ब्रिटिश अधिकार के बाद तंजौर, ढाका और मुर्शीदाबाद की राजसभाओं का विघटन हो गया। फलतः इन राजसभाओं के संरक्षण में कार्यरत कारीगर, कलाकार और कुलीन लोगों का भी पतन हुआ।
ब्रिटिश औद्योगीकरण के कारण भारत में शहरीकरण:
औद्योगीकरण और नगरीकरण ज्यादातर साथ - साथ चलने वाली प्रक्रियाएँ हैं। 19वीं सदी के अन्त में भारत के कुछ आधुनिक नए शहरों में यांत्रिक उद्योग लगाने से जनसंख्या बढ़ी तथा शहरीकरण की प्रक्रिया में तेजी आयी। इस काल में समुद्रतटीय नगर, जैसे-कलकत्ता, बम्बई और मद्रास का तेजी से विकास हुआ।स्पष्ट है कि औपनिवेशिक काल के ब्रिटिश औद्योगीकरण के दौर में भारत में पुराने औद्योगिक व व्यावसायिक नगरों का जहाँ क्षरण हुआ, वहाँ उनके स्थान पर नये शहर अस्तित्व में आए।
प्रश्न 4.
नगरीकरण को औद्योगीकरण से जोड़कर देखते हैं। ब्रिटेन का उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
औद्योगीकरण का संबंध यांत्रिक उत्पादन के उदय से है जो शक्ति के गैरमानवीय संसाधन जैसे-वाष्प या विद्युत पर निर्भर होता है। अतिविकसित परंपरात्मक सभ्यताओं में भी खेत या जमीन पर उत्पादन से संबंधित कार्य करने के लिए अधिकाधिक मानवों की आवश्यकता होती थी। अपेक्षाकृत निम्न तकनीकी विकास की वजह से बहुत ही कम लोग कृषि कार्य के अतिरिक्त कुछ अन्य आसान व्यवसाय कर सकते थे। इसके विपरीत, औद्योगिक समाजों में ज्यादा से ज्यादा रोजगारवृत्ति में लगे लोग कारखानों, ऑफिसों और दुकानों में कार्य करते हैं। औद्योगिक परिवेश में कृषि संबंधी व्यवसाय में लोगों की संख्या कम होती जाती है। यह देखने में आया है कि पश्चिम में 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग कस्बों और शहरों में रहते हैं क्योंकि वहीं पर रोजगार व व्यवसाय के अवसर अधिक होते हैं। अतः हम नगरीकरण को औद्योगीकरण से जोड़कर देखते हैं।
उदाहरण के लिए ब्रिटेन औद्योगीकरण से गुजरने वाला पहला समाज था जो सबसे पहले ग्रामीण से रूपांतरित होकर नगरीय देश बना। सन् 1800 में 10,000 निवासियों वाले कस्बों और शहरों में पूरी जनसंख्या के 20 प्रतिशत लोग रहते थे। सन् 1900 तक यह अनुपात 74 प्रतिशत का हो गया। राजधानी लंदन में, सन् 1800 में, लगभग 1.1 करोड़ लोग रहा करते थे। बीसवीं सदी के प्रारंभ तक यह आकार बढ़कर इतना हो गया कि इसकी जनसंख्या तकरीबन 7 करोड़ हो गई थी। लंदन, उस वक्त तक दुनिया का सबसे बड़ा नगर था। वह उत्पादन, वाणिज्य और आर्थिकी का सबसे बड़ा केंद्र था। यह केंद्र निरंतर फैलते हुए ब्रिटिश साम्राज्य का हृदय क्षेत्र हो गया था।
प्रश्न 5.
नगरीकरण का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
अथवा
नगरीकरण के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय समाज पर नगरीकरण का प्रभाव नगरीकरण के भारतीय समाज पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ रहे हैं।
(i) गाँव के युवक रोजगार के लिए महानगरों तथा विदेशों में चले जाते हैं, लेकिन उनके परिवार गाँव में ही रह जाते हैं। वे अपने परिवार को पैसे भेजते रहते हैं। इससे गाँव में आधुनिकता का प्रवेश हुआ है, इन्होंने गाँवों में आधुनिक फैशन के मकान बना लिये हैं तथा जमीन - जायदाद में निवेश किया है और शिक्षण संस्थान तथा जनकल्याण के लिए स्थापित ट्रस्टों को दान दिया है।
(ii) औद्योगिक शहरों के निकट के गाँवों की जमीन उन शहरों का हिस्सा बन गयी है। यहाँ प्रवासी कामगार आते रहते हैं, जिससे गाँवों में मकानों की मांग बढ़ी है और बाजार का विस्तार हुआ है। साथ ही स्थानीय निवासियों और अप्रवासियों के बीच सम्बन्धों के संतुलन की समस्या उत्पन्न होती है।
(iii) शहरीकरण से भारत में महानगरों का उद्भव तथा विकास हुआ है तथा नगरों के विस्तार में कुछ सीमावर्ती गाँव पूरी तरह से नगर के प्रसार में विलीन हो जाते हैं।
प्रश्न 6.
भारत पर ब्रिटिश औद्योगीकरण के प्रभाव का विवेचन कीजिये।
उत्तर:
भारत पर ब्रिटिश औद्योगीकरण के प्रभाव भारत पर ब्रिटिश औद्योगीकरण के प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है:
1. पुराने नगरीय केन्द्रों का पतन:ब्रिटिश औद्योगीकरण के प्रभाव स्वरूप भारत के कुछ पुराने परम्परागत नगरीय केन्द्रों का पतन हो गया। परम्परागत ढंग से होने वाले रेशम और कपास का उत्पादन और निर्यात 'मेनचेस्टर प्रतियोगिता' में गिरता चला गया।
2. पुराने व्यापारिक शहरों का पुनः पतन - भारत पर ब्रिटिश औद्योगीकरण के प्रभावस्वरूप ही भारत के प्राचीन नगर, जैसे सूरत और मसुलीपट्नम का अस्तित्व कमजोर होने लगा, जबकि आधुनिक नगर, जैसे बम्बई और मद्रास, जो उपनिवेशवादी शासन में स्थापित हुए, मजबूत होते गए।
3. भारतीय कारीगर, कलाकार तथा कुलीन लोगों का पतन: भारतीय राज्यों पर ब्रिटिश अधिकार के बाद तंजौर, ढाका और मुर्शीदाबाद की राजसभाओं का विघटन हो गया, फलत: इन राजसभाओं के संरक्षण में कार्यरत कारीगर, कलाकार और कुलीन लोगों का भी पतन हुआ क्योंकि नगरों में स्थित उत्पादकों के द्वारा बनाए गए विलासिता के सामानों, ढाका या मुर्शीदाबाद की उच्चकोटि की रेशम की माँग में दरबारों के विघटन के बाद भारी कमी हो गई। ये उत्पादन जिन बाह्य बाजारों पर निर्भर थे उनका भी कमोबेश सफाया हो गया था।
4. आधुनिक शहरों की जनसंख्या का बढ़ना: 19वीं सदी के अंत से भारत के कुछ आधुनिक नए शहरों में जहाँ यांत्रिक उद्योग लगाए गए थे, वहाँ लोगों की जनसंख्या बढ़ने लगी।
5. रेलवे के विस्तार से ग्राम-शिल्प पर दुष्प्रभाव: पूर्वी भारत के ग्राम शिल्प को रेलवे के विस्तार ने गंभीर रूप से प्रभावित किया।
6. कृषि क्षेत्रों की ओर पलायन: भारत में ब्रिटिश औद्योगीकरण के प्रारम्भिक समय में ज्यादातर लोगों को कृषि की ओर जाना पड़ा। भारतीय जनगणना रिपोर्ट इसे स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
प्रश्न 7.
ब्रिटिश औद्योगीकरण का भारत पर विपरीत प्रभाव पड़ा। इस कथन की तर्क सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटिश औद्योगीकरण का एक उल्टा असर यानी कि भारत के कुछ क्षेत्रों में औद्योगिक क्षरण (डीइंडस्ट्रीयलाइजेशन) हुआ। इस कथन के सत्यापन में हम निम्न तर्क दे सकते हैं।भारत में कुछ पुराने, परंपरात्मक नगरीय केंद्रों का भी पतन हो गया। जिस तरह ब्रिटेन में उत्पादन व निर्माण में चढ़ाव आया, उसके विपरीत भारत में गिरावट आई। परंपरागत ढंग से होने वाले रेशम और कपास का उत्पादन और निर्यात 'मेनचेस्टर प्रतियोगिता' में गिरता चला गया। भारत के प्राचीन नगर, जैसे-सूरत और मसुलीपट्नम, जहाँ से व्यापार हुआ करता था, का अस्तित्व कमजोर होने लगा जबकि आधुनिक नगर जैसे बंबई और मद्रास जो उपनिवेशवादी शासन में प्रचलित हुए, मजबूत होते गए। भारतीय राज्यों पर ब्रिटिश अधिकार के बाद तंजौर, ढाका और मुर्शीदाबाद की राजसभाओं का विघटन हो गया।
फलतः इन राजसभाओं के संरक्षण में कार्यरत कारीगर, कलाकार और कुलीन लोगों का भी पतन हुआ। 19वीं सदी के अंत से भारत के कुछ आधुनिक नए शहरों में जहाँ यांत्रिक उद्योग लगाए गए थे, लोगों की जनसंख्या बढ़ने लगी। - ब्रिटेन में औद्योगीकरण के प्रभाव से ज्यादातर लोग नगरों में आए लेकिन इसके विपरीत भारत में ब्रिटिश औद्योगीकरण के प्रारंभिक समय में ज्यादातर लोगों को कृषि की ओर जाना पड़ा। भारत में समाजशास्त्रीय लेखन में उपनिवेशवाद के विरोधाभासी और अनिच्छित परिणामों के बारे में अक्सर चर्चा की गई है। पश्चिमी औद्योगीकरण और उसके परिणामस्वरूप उभरे मध्यवर्ग की तुलना भारत में हुए औद्योगीकरण के अनुभवों के साथ की जाती रही है। औद्योगीकरण में पुराने शहरों का अस्तित्व कमजोर हुआ।
प्रश्न 8.
ब्रितानी उपनिवेशवाद ने किस प्रकार औपनिवेश कानन विशेषकर जंगल से सम्बन्धित कानन बनाकर भारत पर प्रभाव डाला?
उत्तर:
ब्रितानी उपनिवेशवाद पूँजीवादी व्यवस्था पर आधारित था। इसने प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक व्यवसाय में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किए, जिनसे ब्रितानी पूँजीवाद का विस्तार हुआ और उसे मजबूती मिली । औपनिवेशिक कानून के कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं।
1. भूमि स्वामित्व के नियमों में परिवर्तन - ब्रितानी उपनिवेशवाद ने भूमि स्वामित्व के नियमों को बदला। साथ ही यह भी इन्होंने निर्धारित किया कि कौनसी फसल उगाई जाएगी, कौनसी नहीं?
2. उत्पादन के क्षेत्र तथा उत्पादन प्रणाली में परिवर्तन - इसने उत्पादन के क्षेत्र को भी परिवर्तित किया। वस्तुओं के उत्पादन की प्रणाली और उनके वितरण के तरीकों को भी बदल दिया।
3. जंगलों की कटाई तथा चाय की खेती की शुरुआत - ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने ब्रिटिश पूँजीवाद के प्रसार के लिए जंगलों में पेड़ों की कटाई और बागानों में चाय की खेती की शुरुआत कराई।
4. जंगलों पर नियंत्रण हेतु अनेक कानूनों को पारित करना - जंगलों को नियंत्रित एवं प्रशासित करने के लिए अनेक कानून बनाए गए। इससे जंगलों पर आश्रित गड़रिये व ग्रामीण लोगों के जीवन में परिवर्तन आए। इस नए कानून से ग्रामीणों, चरवाहों व गड़रियों का जंगलों में आना - जाना प्रतिबंधित कर दिया गया। इस प्रतिबन्ध के प्रभावस्वरूप जंगल से भेड़-बकरियों, गाय - भैंसों आदि पशुओं के लिए चारा इकट्ठा करना दुर्लभ हो गया।
5. रेलवे की शुरुआत - इसी समय बंगाल में रेलवे की शुरुआत हुई, जिससे असम की जंगल से सम्बन्धित नीतियों में एक परिवर्तन आया। रेलवे के शयनयानों की माँग बढ़ने के कारण जंगल के विस्तृत क्षेत्र को आरक्षित घोषित कर दिया गया।
6. आदिवासियों की कठिनाइयों का बढ़ना - इस आरक्षण का प्रभाव यह पड़ा कि आदिवासी समुदाय जो सदियों से वहाँ जीवनयापन करते थे, वे भी प्रशासकीय नियंत्रण में आ गए। उनका अब जीवनयापन करना कठिन हो गया।
प्रश्न 9.
औपनिवेशिक भारत में चाय की बागवानी में श्रमिकों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चाय उद्योगों की भारत में शुरुआत-सन् 1851 में चाय उद्योगों की भारत में शुरुआत हुई। भारत में ज्यादातर चाय के बागान असम में थे। चूँकि असम की जनसंख्या सघन नहीं थी और चाय के बागान निर्जन पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित थे, इसलिए बड़ी संख्या में श्रमिकों को दूसरे प्रान्तों से लाया गया था। चाय बागानों में श्रमिकों की स्थिति
1. स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल वातावरण में रहने के लिए मजबूर होना-यहाँ की आबोहवा स्वास्थ्य के प्रतिकूल थी, यहाँ तक कि विचित्र प्रकार के बुखारों का प्रकोप था। इलाज भी अत्यधिक खर्चीला होता था। इस खर्चे के लिए बागानों के मालिक और ठेकेदार सहमत नहीं थे।
2. गलत तरीकों से श्रमिकों की भर्ती करना तथा उनसे बलपूर्वक काम लेना-सही तरीके से मजदूरों का लाना खर्चीला होता था इसलिए ब्रिटिश व्यवसायियों ने श्रमिकों की भर्ती के लिए गलत नीति व सरकारी ताकत का सहारा लिया था और उनसे बलपूर्वक काम लिया जाता था। ब्रिटिश व्यवसायियों के लिए सरकारी बल का प्रयोग कर बागानों में मजदूरों से सस्ते में काम करवाया जाता था। औपनिवेशिक प्रशासक बागान वालों को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूरों पर कड़े से कड़ा बल प्रयोग करते थे।
3. बागान मालिकों के पक्षधर कानूनों का निर्माण-ऐसे कानून बनाए जाते थे जो बागानों के मालिक के पक्ष में होते थे, मजदूर के विपक्ष में । उदाहरण के लिए-असम में मजदूरों की भर्ती का काम ठेकेदारों को दिया जाता था जो बंगाल के ट्रांसपोर्ट ऑफ नेटिव लेबरर्स एक्ट का इस्तेमाल करके मजदूरों को प्रलोभन, बल, भय के द्वारा असम भेजते थे।
4. समझौते के पट्टे के अनुसार व्यावसायिक शर्ते पूरा नहीं करने पर दंड का प्रावधान - औपनिवेशिक सरकार की तरफ से उन मजदूरों को दंडित करने का प्रावधान था जो समझौते के पट्टे के अनुसार व्यावसायिक शर्ते पूरी नहीं करते थे। पट्टे पर किए गए मजदूरों को यह कानून विधिवत् रूप से निर्देश देता था कि वह चार साल के लिए असम में मजदूरी करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। यदि कोई मजदूर इस निर्देश का पालन करने में विफल रहता था तो उसे जेल भी हो सकती थी।
प्रश्न 10.
समाजशास्त्री एम.एस.ए. राव के अनुसार शहरी प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आजादी के बाद के दो दशकों में भारत में नगरीकरण की प्रक्रिया का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखने लगा था। नगरीकरण भी अनेक प्रकारों से हो रहा था। इस पर समाजशास्त्री एम.एस.ए. राव ने निम्नलिखित विचार व्यक्त किए:
1. प्रथम प्रकार का शहरी प्रभाव: सबसे पहले वे गाँव आते हैं जहाँ से बड़ी संख्या में लोग दूर-दराज के शहरों में रोजगार ढूँढ़ने के लिए जाते हैं लेकिन उनके परिवार के सदस्य गाँवों में ही रहते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तरमध्य भारत के एक गाँव माधोपुर में 298 घरों में से 77 घर ऐसे हैं जिनके सदस्य प्रवासी हैं, जबकि 77 अप्रवासियों में से लगभग आधे ऐसे लोग हैं जो मुम्बई या कोलकाता में काम करते हैं। कुल अप्रवासियों के 75 प्रतिशत ऐसे प्रवासी भी हैं जो गाँव में अपने परिवार को नियमित रूप से पैसे भेजते हैं और 83 प्रतिशत अप्रवासी प्रत्येक साल या चार से पाँच बार या दो साल में एक बार अपने गाँवों में आते हैं।
बहुत सारे प्रवासी केवल भारतीय नगरों में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रहते हैं, जैसे कि गुजरात के गाँवों में अनेक प्रवासी अफ्रीका और ब्रिटेन के शहरों में रहते हैं। इन लोगों ने अपने गाँवों में आधुनिक फैशन के मकान भी बनाए हुए हैं। इन्होंने जमीन - जायदाद में भी निवेश किया हुआ है तथा शिक्षण संस्थान और जनकल्याण के लिए स्थापित ट्रस्टों को भी दान दिया है।
2. दूसरे प्रकार का शहरी प्रभाव: दूसरे प्रकार का शहरी प्रभाव उन गाँवों में देखा जाता है जो औद्योगिक शहरों के निकट स्थित हैं। जब एक भिलाई जैसा औद्योगिक शहर उभरता है तो उसके आस-पास के कुछ गाँवों की पूरी जमीन उस शहर का हिस्सा बन जाती है, जबकि कुछ गाँवों की आंशिक भूमि अधिग्रहित की जाती है, ऐसे शहरों में प्रवासी कामगार आते ही रहते हैं, जिससे गाँवों में मकानों की मांग बढ़ जाती है और बाजार का विस्तार होता है। साथ ही साथ स्थानीय निवासियों और अप्रवासियों के बीच के सम्बन्धों को संतुलित करने की समस्या उत्पन्न होती है।
3. तीसरे प्रकार का शहरी प्रभाव: नगरों के विस्तार में कुछ सीमावर्ती गाँव पूरी तरह से नगर के प्रसार में विलीन हो जाते हैं जबकि वे क्षेत्र जहाँ लोग नहीं रहते नगरीय विकास के लिए प्रयोग कर लिए जाते हैं।
प्रश्न 11.
बागानों के मालिक किस प्रकार रहते थे?
उत्तर:
बागानों के मालिकों के रहने की शैली सामान की लदाई और उतारने के लिए परबतपुरी एक अहम जगह थी, जहाँ भाप छोड़ते पानी के स्टीमर किनारे लगते थे। स्टीमर के किनारे लगने पर आस - पास के बागानों के मालिक अंग्रेज और उनकी मेम जहाज से उतरते।
भोग - विलास की चमक: यद्यपि बागानों के मालिकों के बगीचे दूरदराज थे और उन्हें एकांत में ही रहना पड़ता था लेकिन उनकी जीवन - शैली में भोग-विलास की भरपूर चमक थी।
विशाल बंगले: उनके विशाल बंगले थे जो मजबूत लकड़ी के पट्टों पर स्थित और घिरे हुए थे ताकि जंगली जानवर वहाँ न आ पाएँ।
बंगले के चारों ओर बाग: राजसी बंगले के चारों ओर मखमली बाग थे जिनकी रौनक में रंग-बिरंगे फूलों की कतार थी।
नौकर: चाकर - गोरे मालिकों ने अनेक स्थानीय लोगों को विशेष ट्रेनिंग देकर बेहतर सेवा देने लायक बना दिया था। माली, बावर्ची और घरेलू कामकाज करने वाले नौकर काफी मात्रा में होते थे। नौकरों की सेवा की वजह से उन विशाल बंगलों के बरामदे और एक - एक सामान दूर से ही चमकते थे।
आवश्यकता की चीजें जहाज से आती थीं: सारी जरूरत की चीजें, साफ - सफाई के पाउडर से लेकर परिष्कृत काटे, सेफ्टीपिन से लेकर चांदी के बर्तन तक, टेबल क्लाथ से लेकर नहाने के साबुन तक सब जहाज से आते थे। नहाने के टब भी स्टीमर से ही आते थे।
नहाने के विशाल टब: बड़े - बड़े नहाने के विशाल टब नहाने के कमरे में रखे जाते थे, जिन्हें हर दिन सवेरे भिश्ती बंगले के कुए के पानी से भर देता था।