These comprehensive RBSE Class 12 Psychology Notes Chapter 1 मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ will give a brief overview of all the concepts.
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→ व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ है व्यक्तियों की विशेषताओं तथा व्यवहार के स्वरूपों में पाया जाने वाला वैशिष्ट्य तथा विचलनशीलता।
→ स्थितिवाद के अनुसार किसी व्यक्ति का व्यवहार उसकी परिस्थिति या वर्तमान दशाओं से प्रभावित होता है।
→ स्थितिवादी परिप्रेक्ष्य मनुष्य के व्यवहार को बाह्य तथा आंतरिक कारकों की अंतः क्रिया का परिणाम मानता है।
→ मूल्यांकन किसी मनोवैज्ञानिक गुण को समझने का पहला चरण है। मूल्यांकन करने का अर्थ व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक गुणों का मापन करने से है।
→ किसी व्यक्ति में किसी गुण की उपस्थिति तभी स्वीकार की जाती है जब उस गुण का किसी वैज्ञानिक विधि से मापन किया जा सके।
→ औपचारिक मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ, मानकीकृत तथा व्यवस्थित रूप में किया जाता है।
→ अनौपचारिक मूल्यांकन जिन व्यक्तियों का किया जाना है उनके बदल जाने से तथा मूल्यांकन करने वाले व्यक्तियों के बदल जाने से परिवर्तित होता रहता है जिससे प्राप्त परिणाम या मूल्यांकन की व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या होने लगती है।
→ यदि किसी व्यक्ति में अभिप्रेरणा की मात्रा बहुत कम है तो हम उसकी अभिरुचियों तथा वरीयताओं का मूल्यांकन कर सकते
→ व्यक्तियों की योग्यताओं, व्यवहारों और व्यक्तिगत गुणों के मनोवैज्ञानिक मापन में व्यवस्थित परीक्षण की विधियों का उपयोग किया जाता है।
→ बुद्धि का आशय पर्यावरण को समझने, सविवेक चिंतन करने तथा किसी चुनौती के सामने होने पर उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की व्यापक क्षमता से है।
→ बुद्धि परीक्षणों से व्यक्ति की व्यापक सामान्य संज्ञानात्मक सक्षमता तथा विद्यालयीय शिक्षा से लाभ उठाने की योग्यता का ज्ञान होता है।
→ अभिक्षमता का अर्थ किसी व्यक्ति की कौशलों के अर्जन के लिए अंतर्निहित संभाव्यता से है।
→ अभिरूचि का अर्थ किसी व्यक्ति द्वारा दूसरी क्रियाओं की अपेक्षा किसी एक अथवा एक से अधिक विशिष्ट क्रियाओं में स्वयं को अधिक व्यस्त रखने की वरीयता से है।
→ व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति की अपेक्षाकृत स्थायी प्रकार की उन विशेषताओं से है जो उसे अन्य व्यक्तियों से भिन्न बनाती
→ मूल्य आदर्श व्यवहारों के संबंध में व्यक्ति के स्थायी विश्वास होते हैं।
→ व्यक्ति के मूल्य उसके जीवन में व्यवहारों के लिए एक मानक निर्धारित करते हैं और उन्हें निर्देशित करते हैं।
→ व्यक्ति की मानसिक और व्यवहारपरक विशेषताओं का वस्तुनिष्ठ तथा मानकीकृत मापक होता है।
→ साक्षात्कार की विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से वार्तालाप करके सूचनाएँ एकत्र करता है।
→ व्यक्ति अध्ययन विधि में किसी व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक गुणों तथा उसके मनोसामाजिक और भौतिक पर्यावरण के संदर्भ में उसके मनोवैज्ञानिक इतिहास आदि का गहनता से अध्ययन किया जाता है।
→ प्रेक्षण में व्यक्ति की नैसर्गिक या स्वाभाविक दशा में घटित होने वाली तात्क्षणिक व्यवहारपरक घटनाओं का व्यवस्थित, संगठित . तथा वस्तुनिष्ठ ढंग से अभिलेख तैयार किया जाता है।
→ एक बुद्धिमान व्यक्ति न केवल अपने पर्यावरण से अनुकूलन करता है बल्कि उसमें सक्रियता से परिवर्तन और परिमार्जन भी करता है।
→ बुद्धि के संप्रत्यय को मानसिक संक्रियाओं के रूप में औपचारिक बनाने का प्रयास करने वालों में अल्फ्रेड बिने प्रथम मनोवैज्ञानिक थे।
→ भाषागत बुद्धि-अपने विचारों को प्रकट करने तथा दूसरे व्यक्तियों के विचारों को समझने हेतु प्रवाह तथा नम्यता के साथ भाषा का उपयोग करने की क्षमता है।
→ देशिक बुद्धि-मानसिक बिंबों को बनाने. उनका उपयोग करने तथा उनमें मानसिक धरातल पर परिमार्जन करने की योग्यता:
→ किसी वस्तु अथवा उत्पाद के निर्माण के लिए अथवा मात्र शारीरिक प्रदर्शन के लिए संपूर्ण शरीर अथवा उसके किसी एक अथवा एक से अधिक अंग की लोच तथा पेशीय कौशल की योग्यता शारीरिक गतिसंवेदी योग्यता कही जाती है।
→ अंतर्वैयक्तिक योग्यता द्वारा व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों की अभिप्ररेणाओं या उद्देश्यों, भावनाओं तथा व्यवहारों का सही बोध करते हुए उनके साथ मधुर संबंध स्थापित करता है।
→ अंतः व्यक्ति योग्यता के अंतर्गत व्यक्ति को अपनी शक्ति तथा कमजोरियों का ज्ञान और उस ज्ञान का दूसरे व्यक्तियों के साथ सामाजिक अंतःक्रिया में उपयोग करने का ऐसा कौशल सम्मिलित है जिससे वह अन्य व्यक्तियों से प्रभावी संबंध स्थापित करता है।
→ घटकीय बुद्धि द्वारा व्यक्ति किसी समस्या का समाधान करने के लिए प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है।
→ आनुभविक बुद्धि वह बुद्धि है जिसके द्वारा व्यक्ति किसी नई समस्या के समाधान हेतु अपने पूर्व अनुभवों का सर्जनात्मक रूप से उपयोग करता है।
→ सांदर्भिक बुद्धि वह बुद्धि है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में आने वाली पर्यावरणी मांगों से निपटता है।
→ 'पास' मॉडल के अनुसार बौद्धिक क्रियाएँ अन्योन्याश्रित तीन तंत्रिकीय क्रियाओं-भाव प्रबोधन, कूट संकेतन और योजना निर्माण द्वारा संपादित होती हैं।
→ भाव प्रबोधन तथा अवधान व्यक्ति को सूचना का प्रक्रमण करने के योग्य बनाता है।
→ आनुक्रमिक प्रक्रमण उस समय होता है जब सूचनाओं को एक के बाद एक क्रम से याद रखना होता है ताकि एक सूचना का पुनः स्मरण ही अपने बाद वाली सूचना का पुनः स्मरण करा देता है।
→ योजना बुद्धि का एक आवश्यक अभिलक्षण है। योजना के कारण हम क्रियाओं के समस्त संभावित विकल्पों के बारे में सोचने लगते हैं, लक्ष्य की प्राप्ति हेतु योजना को कार्यान्वित करते हैं तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न परिणामों की प्रभाविता का मूल्यांकन करते हैं।
→ बुद्धि आनुवंशिकता (प्रकृति) तथा पर्यावरण (पोषण) की जटिल अंत:क्रिया का परिणाम होती है।
→ आनुवंशिकता द्वारा किसी व्यक्ति की बुद्धि की परिसीमाएँ तय हो जाती हैं और बुद्धि का विकास उस परिसीमन के अंतर्गत पर्यावरण में उपलभ्य अवलंबों और अवसरों द्वारा निर्धारित होता है।
→ मानसिक आयु के माप का अर्थ है किसी व्यक्ति का बौद्धिक विकास अपनी आयु वर्ग के अन्य व्यक्तियों की तुलना में कितना हुआ है।
→ बच्चे की कालानुक्रमिक आयु जन्म लेने के बाद बीत चुकी अवधि के बराबर होती है।
→ एक तीव्र बुद्धि बच्चे की मानसिक आयु उसकी कालानुक्रमिक आयु से अधिक होती है जबकि एक मंदबुद्धि बच्चे की मानसिक - आयु उसकी कालानुक्रमिक आयु से कम होती है।
→ किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि-लब्धि प्राप्त हो जाती है।
→ किसी जनसंख्या की बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक का माध्य 100 होता है।
→ ऐसे बच्चों को जिनमें बौद्धिक न्यूनता होती है उन्हें मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त या मानसिक रूप से मंदित कहा जाता है।
→ अनुकूलित व्यवहार का अर्थ व्यक्ति की उस क्षमता से है जिसके द्वारा वह आत्मनिर्भर बनता है और अपने पर्यावरण से प्रभावी ढंग से अपना समायोजन करता है।
→ प्रतिभा का अर्थ उस असाधारण सामान्य प्रकार की योग्यता से है जो विस्तृत क्षेत्र के कार्यों में किए गए श्रेष्ठ निष्पादन में दिखाई पड़ती है।
→ प्रवीणता का अर्थ किसी विशिष्ट अथवा संकुचित क्षेत्र में श्रेष्ठ योग्यता से होता है।
→ किसी व्यक्ति की प्रतिभाशीलता उसकी उच्च योग्यता, उच्च सर्जनात्मकता तथा उच्च प्रतिबद्धता जैसे गुणों के संयोजन पर निर्भर करती है।
→ वैयक्ति बुद्धि परीक्षण वह परीक्षण होता है जिसके द्वारा एक समय में एक ही व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जा सकता है।
→ बहुत से बुद्धि परीक्षण उस संस्कृति के प्रति अभिनति प्रदर्शित करते हैं जिसमें वे बुद्धि परीक्षण विकसित किए जाते हैं।
→ सी. आई. ई. शाब्दिक समूह बुद्धि परीक्षण को उदय शंकर द्वारा विकसित किया गया।
→ "बिहार टेस्ट ऑफ इंटेलिजेंस' को एस. एम. मोइसिन ने निर्मित किया।
→ सामान्य मानसिक योग्यता (हिन्दी) परीक्षण को एस. सी. जोशी ने निर्मित किया।
→ बुद्धि की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह पर्यावरण से अनुकूलित होने में व्यक्ति की सहायता करती है।
→ संस्कृति एक ऐसा सामाजिक संदर्भ प्रदान करती है, जिसमें व्यक्ति रहता है, विकसित होता है और अपने आस-पास के जगत को समझता है।
→ संस्कृति रीति-रिवाजों, विश्वासों, अभिवृत्तियों तथा कला और साहित्य में उपलब्धियों की एक सामूहिक व्यवस्था को कहते विकसित समाज के व्यक्ति ऐसी बाल-पोषण रीतियाँ अपनाते हैं जिससे बच्चों में सामान्यीकरण तथा अमूर्तकरण, गति, न्यूनतम प्रयास करने तथा मानसिक स्तर पर वस्तुओं का प्रहस्तन करने की क्षमता विकसित हो सके।
→ भारतीय परंपरा में बुद्धि को जिस प्रकार समझा गया है उसे समाकलित बुद्धि कहा जा सकता है जिसमें समाज और सम्पूर्ण वैश्विक पर्यावरण से व्यक्ति के संबंधों को अधिक महत्त्व प्रदान किया गया है।
→ सांवेगिक बुद्धि का संप्रत्यय बुद्धि के संप्रत्यय को उसके बौद्धिक क्षेत्र से अधिक विस्तार देता है और संवेगों को भी बुद्धि के अंतर्गत सम्मिलित करता है।
→ सैलोवी और मेयर के अनुसार अपने तथा दूसरे व्यक्तियों के संवेगों का परिवीक्षण करने एवं उनमें विभेदन करने की योग्यता तथा प्राप्त सूचना के अनुसार अपने चिंतन तथा व्यवहारों को निर्देशित करने की योग्यता ही सांवेगिक बुद्धि है।
→ सांवेगिक लब्धि का उपयोग किसी व्यक्ति की सांवेगिक बुद्धि की मात्रा बताने में उसी प्रकार किया जाता है जिस प्रकार बुद्धि-लब्धि का उपयोग बुद्धि की मात्रा बताने में किया जाता है।
→ अभिक्षमता विशेषताओं का ऐसा संयोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशल के अर्जन की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
→ लिपिकीय अभिक्षमता, यांत्रिक अभिक्षमता, आंकिक अभिक्षमता तथा टंकण अभिक्षमता आदि के परीक्षण स्वतंत्र अभिक्षमता परीक्षण हैं।
→ सर्जनात्मकता नूतन, उपयुक्त और उपयोगी विचारों, वस्तुओं या समस्या समाधानों को उत्पन्न करने की योग्यता है।
→ सर्जनशील होने के लिए एक निश्चित स्तर की बुद्धि का होना आवश्यक है परंतु किसी व्यक्ति की उच्च-स्तरीय बुद्धि फिर भी यह सुनिश्चित नहीं करती है कि वह अवश्य ही सर्जनशील होगा।
→ सर्जनात्मकता में पाई जाने वाली व्यक्तिगत भिन्नताओं को समझने में उत्पन्न वाद-विवाद का एक महत्त्वपूर्ण कारण बुद्धि तथा सर्जनात्मकता के संबंधों का स्वरूप है।
→ सर्जनात्मकता परीक्षणों में अभिव्यक्तियों की विविधता पाई जाती है इसलिए इन परीक्षणों के निर्माण में विभिन्न प्रकार के उद्दीपकों, जैसे-शब्दों, चित्रों, क्रियाओं तथा ध्वनियों का उपयोग किया जाता है।