Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण Important Questions and Answers.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Political Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Political Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Political Science Notes to understand and remember the concepts easily. The satta ke vaikalpik kendra notes in hindi are curated with the aim of boosting confidence among students.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण है।
(अ) पूँजी का प्रवाह
(स) विचारों का प्रवाह
(ब) वस्तुओं का प्रवाह
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले सही विकल्प को चुनिए।
(अ) युद्ध का खतरा
(ब) सुरक्षा को खतरे
(स) प्रौद्योगिकी का विकास
(द) संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियाँ।
उत्तर:
(स) प्रौद्योगिकी का विकास
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन - सा कथन 'वैश्वीकरण' का सही कारण है?
(अ) इसका प्रारम्भ अमेरिका के लोगों द्वारा हुआ।
(ब) प्रौद्योगिकी ने वैश्वीकरण को जन्म दिया।
(स) शीतयुद्ध के कारण वैश्वीकरण प्रारम्भ हुआ।
(द) गुट - निरपेक्षता की नीति ने वैश्वीकरण को जन्म दिया।
उत्तर:
(ब) प्रौद्योगिकी ने वैश्वीकरण को जन्म दिया।
प्रश्न 4.
वैश्वीकरण का राजनीतिक प्रभाव है।
(अ) वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि।
(ब) आर्थिक प्रवाह की तीव्रता
(स) सांस्कृतिक समरूपता
(द) राज्य के कार्यों में कमी।
उत्तर:
(अ) वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि।
प्रश्न 5.
मैक्डोनाल्डीकरण वैश्वीकरण के किस प्रभाव का संकेत देता है?
(अ) वित्तीय प्रभाव
(ब) राजनीतिक प्रभाव
(स) आर्थिक प्रभाव
(द) सांस्कृतिक प्रभाव।
उत्तर:
(स) आर्थिक प्रभाव
प्रश्न 6.
भारत में आर्थिक सुधारों की योजना प्रारम्भ हुई थी।
(अ) सन् 1991 में
(ब) सन् 2002 में
(स) सन् 2005 में
(द) सन् 2011 में।
उत्तर:
(अ) सन् 1991 में
प्रश्न 7.
वैश्वीकरण का विरोध नहीं करता।
(अ) वर्ल्ड सोशल फोरम
(ब) बहुराष्ट्रीय निगम
(स) इण्डियन सोशल फोरम
(द) वामपंथी कार्यकर्ता।
उत्तर:
(ब) बहुराष्ट्रीय निगम
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
वैश्वीकरण से आशय किसी वस्तु, सेवा, पूँजी एवं विचारों का एक देश से दूसरे देश में निर्बाध रूप से प्रवाह से है।
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण के विभिन्न प्रवाहों की निरन्तरता से क्या उत्पन्न हुआ है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के विभिन्न प्रवाहों की निरन्तरता से विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव उत्पन्न हुआ है।
प्रश्न 3.
वैश्वीकरण के जिम्मेदार कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
किन - किन आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार क्रान्ति ला दी है?
उत्तर:
टेलीग्राफ, टेलीफोन एवं माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार शक्ति ला दी है।
प्रश्न 5.
राष्ट्रवाद की आधारशिला किस प्रौद्योगिकी ने रखी?
उत्तर:
छपाई (मुद्रण) की तकनीक ने राष्ट्रवाद की आधारशिला रखी।
प्रश्न 6.
किसी एक उदाहरण द्वारा यह दर्शाइए कि विश्व के किसी एक भाग में होने वाली घटना का प्रभाव विश्व के किसी अन्य भाग में भी देखा जा सकता है।
उत्तर:
आर्थिक घटना का प्रभाव विश्वभर में देखा जा सकता है।
प्रश्न 7.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में विश्व में कल्याणकारी राज्य की धारणा के स्थान पर किस धारणा ने ले ली है?
उत्तर:
न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने।
प्रश्न 8.
वैश्वीकरण के कारण राज्य ने किन-किन मुख्य कार्यों तक अपने को सीमित कर लिया है?
उत्तर:
कानून व्यवस्था को बनाये रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना।
प्रश्न 9.
वैश्वीकरण के दौर में अब आर्थिक व सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक कौन है?
उत्तर:
बाजार।
प्रश्न 10.
आर्थिक वैश्वीकरण का एक लाभ लिखिए।
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण से विश्वभर में 'वस्तुओं' के व्यापार में वृद्धि हुई।
प्रश्न 11.
वैश्वीकरण के मध्यमार्गी समर्थकों का क्या मत है?
उत्तर:
वैश्वीकरण ने चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं, जिनका सजग होकर पूरी बुद्धिमत्ता से सामना करना चाहिए।।
प्रश्न 12.
वैश्वीकरण का एक प्रभाव बताइए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के विभिन्न भागों में सरकार, व्यवसाय एवं लोगों के बीच जुड़ाव बढ़ रहा है।
प्रश्न 13.
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए किस भय को बल मिला है?
उत्तर:
वैश्वीकरण विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगा।
प्रश्न 14.
कोई दो उदाहरण देकर यह दर्शाइए कि वैश्वीकरण ने हमारी खाने - पीने की आदतों को प्रभावित किया
उत्तर:
प्रश्न 15.
एक उदाहरण की सहायता से दर्शाइए कि वैश्वीकरण ने भारत में परिधान संस्कृति को प्रभावित किया
उत्तर:
नीली जीन्स के ऊपर खादी का कुर्ता पहनना।
प्रश्न 16.
सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण क्या है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के कारण प्रत्येक संस्कृति कहीं अधिक अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इस प्रक्रिया को सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं।
प्रश्न 17.
आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं कि सांस्कृतिक वैश्वीकरण न केवल निर्धन देशों के लिए अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरनाक है?
उत्तर:
मैं उक्त कथन से पूर्णतः सहमत हूँ क्योंकि वैश्वीकरण के कारण संस्कृतियों एवं भाषाओं आदि की विविधता नष्ट हो रही है।
प्रश्न 18.
औपनिवेशिक दौर में भारत किस प्रकार का देश था?
उत्तर:
औपनिवेशिक दौर में भारत आधारभूत वस्तुओं एवं कच्चे माल का निर्यातक एवं बने-बनाये सामानों का आयातक देश था।
प्रश्न 19.
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत ने किस प्रकार की आर्थिक नीति अपनायी?
उत्तर:
संरक्षणवाद की नीति।
प्रश्न 20.
भारत ने आर्थिक सुधारों की नीति कब व क्यों प्रारम्भ की?
उत्तर:
भारत ने आर्थिक सुधारों की नीति सन् 1991 में वित्तीय संकट से उबरने एवं आर्थिक वृद्धि की उच्च दर प्राप्त करने के लिए प्रारम्भ की।
प्रश्न 21.
भारत ने आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कौन-कौन से कार्य किए हैं?
उत्तर:
प्रश्न 22.
वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचक किस बात को लेकर चिन्तित हैं?
उत्तर:
वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचक इसके राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव को लेकर चिन्तित
प्रश्न 23.
वैश्वीकरण के विरोध में स्थापित की गयी किसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का नाम लिखिए।
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम।
प्रश्न 24.
वर्ल्ड सोशल फोरम में कौन - कौन सम्मिलित हैं?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम में मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला-कार्यकर्ता सम्मिलित
प्रश्न 25. वर्ल्ड सोशल फोरम की प्रथम बैठक कब और कहाँ पर हुई ? उत्तर-वर्ल्ड सोशल फोरम की प्रथम बैठक सन् 2001 में ब्राजील के पोर्टो अलगेरे में हुई।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA1):
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण के सम्बन्ध में प्रवाहों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
संवाद, विचार, पूँजी, वस्तु तथा लोगों का विश्व के विभिन्न हिस्सों में आवागमन की सरलता प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति की वजह से ही सम्भव हुई है। इन प्रवाहों की गति में अन्तर हो सकता है। उदाहरणार्थ, विश्व के विभिन्न हिस्सों के मध्य पूँजी एवं वस्तु की गतिशीलता लोगों के आवागमन की तुलना में अधिक तीव्र तथा व्यापक होगी।
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण किस प्रकार एक बहुआयामी अवधारणा है?
उत्तर:
निम्न तथ्यों के आधार पर कह सकते हैं कि वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है।
प्रश्न 3.
वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ (लक्षण) लिखिए।
अथवा
वैश्वीकरण के किन्हीं दो लाभों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ निम्नवत् हैं।
प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के उदय के चार कारण लिखिए।
अथवा
आपकी राय में वैश्वीकरण के क्या कारण हैं? किन्हीं चार की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के उदय के चार कारण निम्नवत् हैं।
प्रश्न 5.
वैश्वीकरण के चलते किस कारण से अब विचारों के प्रवाह में राष्ट्रीय सीमाओं की बाधा (रुकावट) नहीं रही है ?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व वृद्धि की वजह से वैश्वीकरण के चलते अब विचारों के प्रवाह में राष्ट्रीय सीमाएँ, किस भी प्रकार से बाधक नहीं रह गई हैं। निःसन्देह टेलीग्राफ, टेलीफोन, माइक्रोचिप, इन्टरनेट इत्यादि नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न हिस्सों के बीच क्रान्तिकारी बदलाव किए हैं। वैश्वीकरण प्रक्रिया के पश्चात् वर्तमान में विभिन्न महाद्वीपों के लोग परस्पर एक दूसरे से जुड़े हैं। वे प्रत्यक्ष विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, प्रौद्योगिकी की वजह से सभी बाधाओं का अन्त कर दिया गया है।
प्रश्न 6.
यह कथन कहाँ तक उचित है कि वैश्वीकरण राज्य की सम्प्रभुता का हनन करता है?
उत्तर:
उदारीकरण तथा निजीकरण की भाँति (तरह) वैश्वीकरण के दो पहलुओं की वजह से राज्य का कल्याणकारी स्वरूप परिवर्तित हो रहा है और बाजार शक्तियाँ (माँग एवं पूर्ति) अत्यधिक प्रतिस्पर्धा को उत्पन्न कर रही हैं। अत: यह कहना उचित है कि वैश्वीकरण राज्य की सम्प्रभुता का हनन करता है।
प्रश्न 7.
वैश्वीकरण के समक्ष विद्यमान चुनौतियों में से किन्हीं चार चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के समक्ष विद्यमान चुनौतियों से प्रमुख रूप से निम्न चार चुनौतियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं
प्रश्न 8.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के प्रवाह के समान क्यों नहीं बढ़ी है ?
उत्तर:
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही बढ़ी है, लेकिन यह आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के समान नहीं बढ़ पायी है। इसका प्रमुख कारण यह है कि विकसित देश अपनी वीजा नीति के माध्यम से अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को बड़ी सावधानी से अभेद्य बनाये रखते हैं ताकि दूसरे देशों के नागरिक उनके देशों में आकर कहीं उनके नागरिकों के नौकरी - धन्धे पर कब्जा न कर लें।
प्रश्न 9:
विश्व के मैक्डोनॉल्डीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विश्व के मैक्डोनॉल्डीकरण से अभिप्राय यह है कि सम्पूर्ण विश्व पर कुछ ताकतवर शक्तियों, जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका का सांस्कृतिक प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। विश्व में नीली जीन्स व बर्गर की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमेरिकी जीवन-शैली से है। मैक्डोनॉल्डीकरण के अन्तर्गत विश्व जैसा ही बनता जा रहा है जैसा अमेरिकी सांस्कृतिक जीवन-शैली बनाना चाहती है।
प्रश्न 10.
वैश्वीकरण के विरोध में वामपंथी आलोचक क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
वैश्वीकरण के विरोध में वामपंथी आलोचक यह तर्क देते हैं कि मौजूदा वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवाद की एक विशेष अवस्था है जो धनिकों को और अधिक धनी एवं गरीबों को और अधिक गरीब बनाती है। राज्य के कमजोर होने से गरीबों के हितों की रक्षा करने की उनकी क्षमता में कमी आती है।
प्रश्न 11.
वैश्वीकरण के विरोध में दक्षिणपंथी आलोचक क्या तर्क देते हैं ?
उत्तर:
वैश्वीकरण के विरोध में दक्षिणपंथी आलोचक इसके राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रभावों को लेकर चिन्तित हैं। उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिन्ता है। परम्परागत संस्कृति को हानि होगी तथा लोग अपने सदियों पुराने जीवन-मूल्य व तौर-तरीकों से हाथ धो बैठेंगे।
प्रश्न 12.
वर्ल्ड नेशनल फोरम के बारे में संक्षेप में जानकारी दीजिए।
उत्तर:
नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) है। इस मंच के तहत् मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा एवं महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं। इस संगठन की प्रथम बैठक सन् 2001 में ब्राजील के पोर्टो अलगेरे में हुई थी।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA2):
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण की अवधारणा से आप क्या समझते हैं? व्याख्या कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण से अभिप्राय: जब कोई देश विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी तथा बौद्धिक सम्पदा आदि का बिना किसी प्रतिबन्ध के परस्पर आदान - प्रदान करता है तो इसे वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, वर्तमान समय में संचार क्रान्ति ने सम्पूर्ण विश्व की दूरियाँ कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। इसी कारण सम्पूर्ण विश्व एक विश्व गाँव में परिवर्तित हो गया है। विश्व में संचार क्रान्ति की प्रभावशाली भूमिका के कारण एक नयी विचारधारा का जन्म हुआ है, जिसे वैश्वीकरण के नाम से जाना जाता है।
वैश्वीकरण की अवधारणा-एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण की बुनियादी बात है - प्रवाह। प्रवाह कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे - विचार प्रवाह, वस्तु प्रवाह, व्यापार प्रवाह, पूँजी प्रवाह एवं आवाजाही का प्रवाह आदि। इन सब प्रवाहों की निरन्तरता से विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव उत्पन्न हुआ है और फिर यह जुड़ाव निरन्तर बना हुआ है। इन सबका मिला-जुला रूप वैश्वीकरण की अवधारणा है।
प्रश्न 2.
“वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण को एक बहुआयामी अवधारणा कहा जा सकता है क्योंकि यह कई पक्षों से सम्बन्धित है, जैसे - राजनीतिक पक्ष, आर्थिक पक्ष, सांस्कृतिक पक्ष। वैश्वीकरण से विचारों का प्रवाह, पूँजी का प्रवाह, वस्तुओं व सेवा प्रवाह एवं आवाजाही का प्रवाह बढ़ता है जिससे व्यापार में वृद्धि होती है, पूँजी निवेश बढ़ता है। वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही एक देश से दूसरे देश में बढ़ती है। इससे वैश्वीकरण के आर्थिक पक्ष की जानकारी प्राप्त होती है, लेकिन यह मान लेना गलत है कि वैश्वीकरण एकमात्र आर्थिक परिघटना है। वैश्वीकरण का राजनीतिक पक्ष भी है क्योंकि वैश्वीकरण के कारण कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ चुकी है और इसके स्थान पर न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा स्थापित हुई हैं।
वैश्वीकरण के राजनीतिक एवं आर्थिक पक्ष के साथ - साथ एक सांस्कृतिक पक्ष भी है। वैश्वीकरण से हमारी पसन्द - नापसन्द का निर्धारण होता है। हम जो कुछ विशेष प्रकार का खाते-पीते व पहनते हैं अथवा सोचते हैं, इन सभी पर इसका प्रभाव दिखलाई देता है।
प्रश्न 3.
वैश्वीकरण के कारण बताइए।
अथवा
वैश्वीकरण के लिए कौन-कौन से कारक जिम्मेदार हैं?
उत्तर:
(1) प्रौद्योगिकी - वैश्वीकरण के लिए प्रमुख जिम्मेदार कारक प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति है। टेलीग्राफ, टेलीफोन एवं माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के मध्य संचार की क्रान्ति कर दिखाई है। विचार, पूँजी, वस्तु एवं लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही आसान हुई है। इन प्रवाहों की गति में अन्तर हो सकता है। उदाहरणस्वरूप विश्व के विभिन्न भागों के मध्य पूँजी और वस्तु की गतिशीलता, लोगों के आवागमन की तुलना में अधिक तीव्र एवं व्यापक होगी। इसी प्रकार हमारे सोचने - समझने के तरीके पर भी प्रौद्योगिकी का प्रभाव पड़ा है। हम अपने तथा सामूहिक जीवन के बारे में जिस ढंग से सोचते हैं उस पर भी प्रौद्योगिकी का प्रभाव पड़ा है।
(2) लोगों की सोच में विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ना: विश्व के विभिन्न भागों के लोग अब समझ रहे हैं कि .वे आपस में जुड़े हुए हैं। आज हम इस बात को लेकर सतर्क हैं कि विश्व के एक हिस्से में घटने वाली घटना का प्रभाव विश्व के दूसरे हिस्से में भी पड़ेगा। उदाहरण के लिए; सुनामी अथवा बर्ड फ्लू किसी एक राष्ट्र की सीमाओं में सिमटे नहीं रहते। इस प्रकार की घटनाएँ राष्ट्रीय सीमाओं का जोर नहीं मानती हैं। ठीक इसी प्रकार जब कोई कोई बड़ी आर्थिक घटना होती है तो उसका प्रभाव क्षेत्रीय परिवेश तक सीमित नहीं रहकर सम्पूर्ण विश्व में महसूस किया जाता है।
प्रश्न 4.
वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार योगदान दिया?
अथवा
प्रौद्योगिकी में हुई तरक्की तथा परस्पर जुड़ाव की मान्यता ने वैश्वीकरण को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी के योगदान को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
(1) हालाँकि वैश्वीकरण हेतु कोई एक कारक उत्तरदायी नहीं है तथापि प्रौद्योगिकी अपने आप में एक अपरिहार्य कारण सिद्ध हुई है। नि:सन्देह टेलीग्राफ, टेलीफोन, इंटरनेट तथा सूचना प्रौद्योगिकी के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न हिस्सों के मध्य संचार क्रान्ति का बिगुल बजाया है।
(2) प्रारम्भ में जब मुद्रण अर्थात् छपाई की तकनीक विकसित हुई तब उसने राष्ट्रवाद की आधारशिला रखी थी। इसी तरह वर्तमान में हम यह अपेक्षा कर सकते हैं कि प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारी सोच को भी प्रभावित करेगा। हम स्वयं अपने सम्बन्ध में जिस प्रकार से सोचते हैं और हम सामूहिक जीवन के बारे में जिस ढंग से चिन्तन करते हैं उस पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव भी किसी न किसी रूप में पड़ता है।
(3) विचार, पूँजी, वस्तु तथा लोगों का विश्व के विभिन्न हिस्सों में सुगमतापूर्वक आवागमन सिर्फ प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति के फलस्वरूप ही सम्भव हो पाया है। इन प्रवाहों की गति में अन्तर हो सकता है। उदाहरणार्थ - विश्व के विभिन्न हिस्सों के बीच पूँजी तथा वस्तु की गतिशीलता जनसाधारण के आवागमन की अपेक्षाकृत अधिक तीव्र एवं व्यापक होगी।
(4) प्रौद्योगिकी के विकास, अनुसंधान, विनिमय एवं विस्तार ने भी वैश्वीकरण के प्रचार - प्रसार में विशेष भूमिका का निर्वहन किया है। खाद्यान्न, फल, सब्जियों के व्यापार, श्रम के आवागमन तथा लोगों के परस्पर विचार - विमर्श इत्यादि में भी प्रौद्योगिकी ने किसी - न - किसी रूप में अपना योगदान देकर वैश्वीकरण को उपयोगी बनाया है।
प्रश्न 5.
वैश्वीकरण के गुणों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के गुणों को संक्षेप में निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
प्रश्न 6.
वैश्वीकरण के दोष अथवा अवगुणों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
उत्तर:
20वीं शताब्दी के अन्तिम चौथाई दशक में विकसित वैश्वीकरण की अवधारणा में अनेक अवगुण अथवा दोष भी हैं, जिन्हें संक्षेप में निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
प्रश्न 7.
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव निम्नलिखित हैं
(i) वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता में कमी आती है। सम्पूर्ण विश्व में कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गयी है और इसका स्थान न्यूनतम हस्तक्षेप राज्य ने ले लिया है। लोक कल्याणकारी राज्य के स्थान पर अब बाजार आर्थिक एवं सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक हो गया है। सम्पूर्ण विश्व में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का प्रसार हो गया है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रसार ने इनकी भूमिका में वृद्धि की है। इससे सरकारों में अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आयी है।
(ii) कुछ मायनों में वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की ताकत में वृद्धि हुई है। अब राष्ट्र आधुनिक तकनीक के बल पर अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं तथा इसके आधार पर राज्य अधिक अच्छे ढंग से कार्य कर सकते हैं।
(iii) राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राष्ट्र की प्रधानता को वैश्वीकरण से कोई चुनौती नहीं मिली है।
प्रश्न 8.
आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में कौन - कौन से तर्क दिये जा सकते हैं?
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं
प्रश्न 9.
आर्थिक वैश्वीकरण के पक्ष में अपने तर्क दीजिए।
अथवा
आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रियाओं के समर्थकों के तर्कों का विवरण दीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के किन्हीं चार आर्थिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के किन्हीं दो आर्थिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं।
प्रश्न 10.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया किस प्रकार विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहँचा सकती है?
उत्तर:
वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लेकर आता है। सांस्कृतिक समरूपता की आड़ में विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति को थोपा जा रहा है। विश्व में राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम शक्तिशाली समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है और विश्व वैसा ही दिखलाई देता है जैसा शक्तिशाली संस्कृति उसे बनाना चाहती है।
यही कारण है कि नीली जीन्स या बर्गर: मसाला डोसा की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमेरिकी जीवन शैली के गहरे प्रभाव से है। विश्व के मैक्डोनॉल्डीकरण की ओर संकेत देते हैं। उनका मानना है कि विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं, इससे सम्पूर्ण विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इसलिए यह केवल निर्धन देशों के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरनाक हो सकती है।
प्रश्न 11.
वैश्वीकरण के प्रतिरोध के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण का प्रतिरोध क्यों हो रहा है? प्रमुख कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के प्रतिरोध के कारण - वैश्वीकरण का प्रतिरोध निम्न कारणों से हो रहा है
प्रश्न 12.
वैश्वीकरण का क्या अर्थ है? वैश्वीकरण के प्रतिरोध के किन्हीं दो रूपों को सूचीबद्ध कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के ऐसे किन्हीं दो सांस्कृतिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए, जिनका भारत द्वारा विरोध किया गया है?
अथवा
भारत में वैश्वीकरण का प्रतिरोध करने के किन्हीं तीन आधारों का आकलन कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण - किसी वस्तु, सेवा, पूँजी एवं बौद्धिक सम्पदा का एक देश से दूसरे देश के साथ निर्बाध रूप से आदान-प्रदान वैश्वीकरण कहलाता है।
वैश्वीकरण के प्रतिरोध के दो रूप:
(i) वामपंथी राजनीतिज्ञों का तर्क है कि वर्तमान वैश्वीकरण की प्रक्रिया अमीरों को और अधिक अमीर एवं गरीबों को और अधिक गरीब बना रही है। अमीर व गरीब के मध्य अधिक अन्तर पैदा हो रहा है। राज्य के कमजोर होने से गरीबों के हितों की रक्षा करने की उसकी क्षमता में कमी आती है।
(ii) दक्षिणपंथी आलोचक वैश्वीकरण के राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रभावों को लेकर चिन्ता व्यक्त कर रहे हैं। राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिन्ता है। वे चाहते हैं कि कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता और संरक्षणवाद का दौर पुनः स्थापित हो। सांस्कृतिक सौन्दर्य में इनकी चिन्ता है कि वैश्वीकरण से परम्परागत संस्कृति को हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य व तौर-तरीकों से हाथ धो बैठेंगे।
भारत द्वारा विरोध किए जाने वाले वैश्वीकरण के दो सांस्कृतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के निम्न दो सांस्कृतिक प्रभावों का भारत द्वारा विरोध किया गया है
(1) वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों (विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी बर्गर तथा नीली जीन्स सम्पूर्ण विश्व में प्रयोग होना) को रखते हुए इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को अपार क्षति पहुँचाएगी। विश्व संस्कृति के नाम पर शेष संसार पर पश्चिमी संस्कृति थोपी जा रही है।
(2) राजनीति के दक्षिणपंथी खेमों द्वारा वैश्वीकरण का विरोध किया गया है। यह खेमा विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों का विरोध कर रहा है जिसमें केबल नेटवर्क द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे विदेशी टी.वी. चैनलों से लेकर वैलेण्टाइन डे मनाने तथा स्कूल-कॉलेज के छात्र - छात्राओं की पाश्चात्य परिधानों के प्रति बढ़ती अभिरुचि तक का विरोध सम्मिलित है।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण के विभिन्न पक्षों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
“वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है।" इस कथन की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
अथवा
दुनिया के लोगों पर वैश्वीकरण के किन्हीं छः प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पक्ष हैं, जिनका विवरण निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
(1) वैश्वीकरण का राजनीतिक पक्ष (प्रभाव): वैश्वीकरण के राजनीतिक पक्ष (प्रभाव) का वर्णन तीन आधारों पर किया जा सकता है
(i) वैश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय निगमों के हस्तक्षेप से राज्य की स्थिति कमजोर हुई है। राज्यों के कार्य करने की क्षमता अर्थात् सरकारों को जो करना है उसे करने की ताकत में कमी आई है। सम्पूर्ण विश्व में आज लोक कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गयी है और इसका स्थान न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले लिया है।
अब राज्य कुछ मुख्य कार्यों तक ही अपने को सीमित रखता है जैसे कानून और व्यवस्था को बनाये रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना। इस प्रकार के राज्य ने स्वयं को कई ऐसे लोक कल्याणकारी कार्यों से अलग कर लिया है जिनका लक्ष्य आर्थिक और सामाजिक कल्याण होता था। लोक कल्याणकारी राज्य के स्थान पर अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक है।
(ii) कुछ विद्वानों के अनुसार वैश्वीकरण के चलते राज्य की शक्तियाँ कम नहीं हुई हैं। राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को कोई चुनौती नहीं मिली है। राज्य कानून और व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अपने अनिवार्य कार्यों को पूरा कर रहे हैं और अपनी इच्छा से कई कार्यों से राज्य अपने आपको अलग कर रहे हैं।
(iii) वैश्वीकरण के कारण राज्यों को आधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त हुई है, जिसके बल पर राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं। इन सूचनाओं के आधार पर राज्य अधिक कारगर ढंग से कार्य कर सकते हैं। उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हुई है।
(2) वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष (प्रभाव)-वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने अधिक जोर पकड़ा है। वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव निम्न हैं
(i) आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया में विश्व के विभिन्न देशों के मध्य आर्थिक प्रवाह तीव्र हो जाता है। कुछ आर्थिक प्रवाह स्वेच्छा से होते हैं तो कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं शक्तिशाली देशों द्वारा थोपे जाते हैं।
(ii) वैश्वीकरण के अन्तर्गत वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी, विचारों एवं जनता का एक देश से दूसरे देश में आवागमन आसान हुआ
(iii) विश्व के अधिकांश देशों ने आयात से प्रतिबन्ध हटाकर अपने बाजारों को विश्व समुदाय के लिए खोल दिया है। अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विकासशील देशों में निवेश कर रही हैं। यद्यपि वैश्वीकरण के समर्थकों के अनुसार इससे अधिकांश लोगों को लाभ प्राप्त होगा परन्तु वैश्वीकरण के आलोचक इस कथन से सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार विकसित देशों ने अपने वीजा नियमों को कठोर बनाना शुरू कर दिया है जिससे लोगों के वैश्विक आवागमन में कमी आयी है।
(iv) आर्थिक वैश्वीकरण का लाभ धनिक वर्ग को अधिक प्राप्त हुआ है। निर्धन वर्ग आज भी इसके लाभों से वंचित है।
(3) वैश्वीकरण का सांस्कृतिक पक्ष (प्रभाव): वैश्वीकरण के सांस्कृतिक पक्ष ने भी लोगों को निम्न प्रकार प्रभावित किया है।
(i) वैश्वीकरण का हमारे खाने-पीने, पहनने तथा सोचने पर प्रभाव पड़ रहा है। वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए इस बात को बल मिला है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगी।
(ii) विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति थोपी जा रही है, जिससे एक देश विशेष की संस्कृति के पतन का डर उत्पन्न हो गया है। परन्तु वैश्वीकरण के समर्थकों का मत है कि वैश्वीकरण से संस्कृति के पतन की आशंका निराधार है बल्कि इससे एक मिश्रित संस्कृति का उदय होता है।
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है? इसके किन्हीं अच्छे एवं बुरे पहलुओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
वैश्वीकरण के किन्हीं दो सकारात्मक तथा किन्हीं दो नकारात्मक प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अभिप्राय-जब कोई देश विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी तथा बौद्धिक सम्पदा इत्यादि का किसी प्रतिबन्ध के बिना परस्पर आदान - प्रदान करता है, तो इसे वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण के नाम से जाना जाता है।
वैश्वीकरण तभी सम्भव है जब परस्पर ऐसे आदान - प्रदान के दौरान किसी भी देश द्वारा कोई रुकावट अर्थात् बाधा उत्पन्न न की जाए और इस प्रक्रिया को कोई भी ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था संचालित करे जिसमें सभी देशों का अटूट विश्वास हो तथा जो सभी की अनुमति से नीति निर्धारक सिद्धान्तों का प्रतिपादन करे।
जब सभी देश एक समान नियमों के अन्तर्गत अपने व्यापार तथा निवेश का संचालन करते हैं तो स्वाभाविक रूप से एक ही धारा प्रभावित होती है और यही वैश्वीकरण है।
वैश्वीकरण के अच्छे एवं बुरे प्रभाव वैश्वीकरण के अच्छे (सकारात्मक) प्रभाव:
जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने में सहायता मिलती है। वैश्वीकरण के बुरे (नकारात्मक) प्रभाव:
प्रश्न 3.
वैश्वीकरण के कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के उद्भव के लिए उत्तरदायी कारकों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यदि वैश्वीकरण विचार, पूँजी, वस्तु, सेवा एवं लोगों के आवागमन से जुड़ी परिघटना है तो फिर वैश्वीकरण मानव इतिहास के अधिकांश समय में जारी रहा है। वैश्वीकरण का एक मजबूत ऐतिहासिक आधार है इसलिए आवश्यक है कि हम इन प्रवाहों को इतिहास के सन्दर्भ में देखें। वैश्वीकरण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
(i) प्रौद्योगिकी का विकास-प्रौद्योगिकी अपने आप में वैश्वीकरण का एक अपरिहार्य कारण सिद्ध हुई है। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि टेलीग्राफ, टेलीफोन व माइक्रोचिप ने विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के मध्य संचार की क्रान्ति उत्पन्न कर दी है। प्रारम्भ में जब मुद्रण की तकनीक आयी थी तो उसने राष्ट्रवाद की आधारशिला रखी।
इसी तरह प्रौद्योगिकी के युग में आज हम यह अपेक्षा कर सकते हैं कि इसका हमारे सोचने के ढंग पर प्रभाव पड़ रहा है, हम अपने बारे में जिस ढंग से सोचते हैं और हम सामूहिक जीवन के बारे में जिस तर्क पर सोच सकते हैं प्रौद्योगिकी का उस पर प्रभाव पड़ेगा।
(ii) पूँजी और वस्तुओं का आवागमन: विचार, पूँजी, वस्तु और व्यक्तियों की विश्व के विभिन्न भागों में आवागमन की सुगमता प्रौद्योगिकी में हुई उन्नति के कारण ही सम्भव हुई है। इन प्रवाहों की गति में अन्तर हो सकता है। उदाहरणस्वरूप; विश्व के विभिन्न भागों के मध्य पूँजी और वस्तुओं की गतिशीलता व्यक्तियों के आवागमन की तुलना से अधिक तीव्र एवं व्यापक हुई है।
(iii) विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ना: वैश्वीकरण का दूसरा प्रमुख कारक विश्वव्यापी प्रवाहों की निरन्तरता से लोगों में विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव उत्पन्न हुआ है। इस जुड़ाव ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया में तीव्रता ला दी है। विश्व के विभिन्न हिस्सों में निवास करने वाले लोग यह समझ रहे हैं कि वे आपस में जुड़े हुए हैं।
आज हम इस बात को लेकर सतर्क हैं कि विश्व के एक हिस्से में घटने वाली घटना का प्रभाव विश्व के दूसरे हिस्से में भी पड़ेगा। सुनामी एवं बर्ड फ्लू जैसे खतरे किसी एक राष्ट्र की सीमाओं में सिमटे नहीं रहते। ये घटनाएँ राष्ट्रीय सीमाओं का पालन नहीं करती हैं। इनका प्रभाव राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर शेष विश्व पर भी पड़ता है। उसी प्रकार जब बड़ी आर्थिक घटनाएँ होती हैं तो उनका प्रभाव क्षेत्रीय परिवेश तक सीमित नहीं रहता है बल्कि सम्पूर्ण विश्व में महसूस किया जाता है।
प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के राजनीतिक आयाम का वर्णन कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण ने विश्व की राज व्यवस्थाओं को कैसे प्रभावित किया है?
अथवा
वैश्वीकरण के राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण से राज्यों के कार्य करने की क्षमता में कमी कैसे आती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव (आयाम): वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों (आयामों) का वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है।
(i) वैश्वीकरण द्वारा कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति को कमजोर करना: वैश्वीकरण ने कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति को कम किया है। वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता अर्थात् सरकारों को जो करना है उसे करने की शक्ति में कमी आती है।
(अ) न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा को अपनाया जाना: वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में लोक कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गयी है। इसके स्थान पर राज्य की एक नयी धारणा का विकास हुआ है जिसे न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा कहा जाता है। इस धारणा को अपनाये जाने के कारण राज्य अब कुछ कार्यों तक ही अपने को सीमित रखता है, जैसे-कानून और व्यवस्था को बनाये रखना एवं अपने नागरिकों की सुरक्षा करना आदि।
(ब) बाजार द्वारा आर्थिक व सामाजिक प्राथमिकताओं का निर्धारण: राज्य पूर्व में कई लोककल्याणकारी कार्य करता था जिनका लक्ष्य अपनी जनता का आर्थिक और सामाजिक कल्याण करना होता था, परन्तु वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण लोक कल्याणकारी राज्य के स्थान पर अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक बन गया है।
(स) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रभाव में वृद्धि: वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में विशेषकर विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपने पैर पसार लिए हैं और उनकी भूमिका में वृद्धि हुई है। इससे सरकारों को अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आयी है।
(ii) कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति पर वैश्वीकरण का कोई प्रभाव नहीं: यह बात ध्यान रखने योग्य है कि वैश्वीकरण से सदैव राज्य की शक्ति में कमी नहीं आती है। राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को वैश्वीकरण से कोई चुनौती नहीं मिली है और राज्य इस अर्थ में आज भी प्रमुख है। वैश्विक राजनीति में अब भी विभिन्न देशों के मध्य मौजूद पुरानी ईर्ष्या और प्रतिद्वन्द्विता विद्यमान है। आज भी राज्य कानून और व्यवस्था तथा राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अनिवार्य कार्यों को पूर्ण कर रहे हैं। राज्य बहुत सोच - समझकर अपने कंदम उन्हीं कार्यों से खींच रहे हैं जहाँ उनकी मर्जी हो। राज्य अभी भी महत्त्वपूर्ण बने हुए हैं।
(iii) वैश्वीकरण द्वारा कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति में वृद्धि करना: कुछ क्षेत्रों में वैश्वीकरण के कारण राज्य की शक्ति में वृद्धि भी हुई है। वर्तमान विश्व में वैश्वीकरण के कारण राज्यों के पास आधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बल पर राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकता है। इन सूचनाओं के बल पर राज्य अधिक कारगर ढंग से कार्य कर सकते हैं। इस क्षेत्र में राज्यों की क्षमता बढ़ी है, कम नहीं हुई है। इस प्रकार नवीन प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप राज्य अब पूर्व की तुलना में अधिक शक्तिशाली हुए हैं।
प्रश्न 5.
वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
किसी देश की अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण के किन्हीं तीन प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है:
(1) वैश्वीकरण के सकारात्मक आर्थिक प्रभाव
(2) वैश्वीकरण के नकारात्मक आर्थिक प्रभाव:
प्रश्न 6.
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
किसी देश की संस्कृति पर वैश्वीकरण के होने वाले किन्हीं तीन प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को मुख्य रूप से निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है
(1) वैश्वीकरण के सकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव:
(i) पसन्द - नापसन्द का दायरा बढ़ना: संस्कृति कोई जड़ वस्तु नहीं होती। कभी-कभी बाहरी संस्कृति के प्रभावों से हमारी पसन्द-नापसन्द का दायरा बढ़ता है। उदाहरणस्वरूप; बर्गर, मसाला-डोसा का विकल्प नहीं है जबकि बर्गर से वस्तुतः कोई खतरा नही हैं। इससे मात्र इतना हुआ है कि हमारे भोजन की पसन्द में एक और वस्तु सम्मिलित हो गयी।
(ii) संस्कृति का परिष्कार होना: वैश्वीकरण से परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार होता है। उदाहरणस्वरूप, नीली जीन्स (संयुक्त राज्य अमेरिका की जीवन शैली से सम्बन्धित) भी हथकरघा पर बुने खादी के कुर्ते के साथ खूब चलती है।
यहाँ हम बाहरी प्रभाव से एक अनूठी बात देखते हैं कि नीली जीन्स के ऊपर खादी का कुर्ता पहना जा रहा है जो कि भारत की देन है। मजेदार बात यह है कि हम अनूठे पहनावे को उसी देश को निर्यात किया जा रहा है जिसने हमें नीली जीन्स दी है। हम अनेक अमेरिकी लोगों को नीली जीन्स के ऊपर खादी का कुर्ता पहने देख सकते हैं। यह संस्कृति का परिष्कार ही
(iii) सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण: वैश्वीकरण से प्रत्येक संस्कृति कहीं अधिक अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इस प्रक्रिया को सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं। इसका अभिप्राय यह नहीं है कि संस्कृतियों के मेलजोल से उनकी ताकत का सवाल गौण है, परन्तु इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सांस्कृतिक प्रभाव एकतरफा नहीं होता है।
(2) वैश्वीकरण के नकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव:
(i) वैश्वीकरण द्वारा सांस्कृतिक समरूपता लाना: वैश्वीकरण के कारण सांस्कृतिक समरूपता आती है। सांस्कृतिक समरूपता का यह अर्थ नहीं है कि किसी विश्व संस्कृति का उदय हो रहा है बल्कि विश्व संस्कृति के नाम पर विश्व पर पश्चिमी संस्कृति थोपी जा रही है।
(ii) प्रभुत्वशाली संस्कृति द्वारा कम शक्तिशाली समाजों पर अपनी छाप छोड़ना: कुछ विद्वानों का मत है कि बर्गर अथवा नीली जीन्स की लोकप्रियता का समीपी रिश्ता अमेरिका जीवन - शैली के गहरे प्रभाव से है, क्योंकि राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है और विश्व वैसा ही दिखाई देता है जैसा ताकतवर संस्कृति इसे बनाना चाहती है।
(iii) विभिन्न संस्कृतियाँ अपने को अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं: सम्पूर्ण विश्व के मैक्डोनॉल्डीकरण के आधार पर कुछ विद्वानों का तर्क है कि विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। चूँकि वैश्वीकरण से पड़ने वाले प्रभावों से सम्पूर्ण विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इसलिए यह केवल निर्धन देशों के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरनाक है।
स्रोत पर आधारित प्रश्न:
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए अवतरण का ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
हालाँकि वैश्वीकरण के लिए कोई एक कारक जिम्मेवार नहीं है फिर भी प्रौद्योगिकी अपने आप में एक अपरिहार्य कारण साबित हुई है। इसमें कोई शक नहीं कि टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रान्ति कर दिखायी है। शुरू-शुरू में जब छपाई (मुद्रण) की तकनीक आयी थी तो उसने राष्ट्रवाद की आधारशिला रखी। इसी तरह आज हम यह अपेक्षा कर सकते हैं कि प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारे सोचने के तरीके पर पड़ेगा। हम अपने बारे में जिस ढंग से सोचते हैं और हम सामूहिक जीवन के बारे में जिस तर्ज पर सोचते हैं-प्रौद्योगिकी का उस पर असर पड़ेगा।
(i) प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार वैश्वीकरण को सहायता प्रदान की है?
(ii) "वैश्वीकरण एक बहु - आयामी अवधारणा है।" इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
उत्तर:
(i) विचार, पूँजी, वस्तु तथा लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी प्रौद्योगिकी में हुई तरक्की के कारण संभव हुई है। इन प्रवाहों की गति में अन्तर हो सकता है। उदाहरण के लिए, विश्व के विभिन्न भागों के बीच पूँजी और वस्तु की गतिशीलता लोगों की आवाजाही की तुलना से ज्यादा तेज एवं व्यापक होगी।
(ii) वैश्वीकरण एक बहु आयामी धारणा है जिसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्वरूप हैं:
(iii) प्रौद्योगिकीय प्रगति, बाजार तथा संसाधन, आर्थिक प्रभाव आदि।
प्रश्न 2.
दिए गए अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
सबसे सीधा - सरल विचार यह है कि वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता यानी सरकारों को जो करना है उसे करने की ताकत में कमी आती है। पूरी दुनिया में कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गई है और इसकी जगह न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले ली है। राज्य अब कुछेक मुख्य कामों तक ही अपने को सीमित रखता है, जैसे कानून और व्यवस्था को बनाये रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना। इस तरह से राज्य ने अपने को पहले के कई ऐसे लोक - कल्याण कारी कामों से खींच लिया है जिनका लक्ष्य आर्थिक और सामाजिक - कल्याण होता था। लोक कल्याणकारी राज्य की जगह अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है।
(i) 'राज्य की क्षमता में कमी आना' - एक उदाहरण द्वारा इन शब्दों का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
(ii) 'कल्याणकारी राज्य' की धारणा का स्थान न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य' क्यों ले रहा है?
(iii) बाजार किस प्रकार सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक बन गया है?
उत्तर:
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये इस अध्याय से सम्बन्धित प्रश्न:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन - सा अभिकथन गलत है?
(अ) वैश्वीकरण का तात्पर्य अर्थव्यवस्था का अन्तर्राष्ट्रीयकरण है।
(ब) वैश्वीकरण बाजार-अर्थव्यवस्था पर बल देता है।
(स) वैश्वीकरण अर्थव्यवस्था की निगरानी के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को बढ़ावा देता है।
(द) वैश्वीकरण संकीर्ण संस्कृति को बढ़ावा देता है।
उत्तर:
(द) वैश्वीकरण संकीर्ण संस्कृति को बढ़ावा देता है।
प्रश्न 2.
उदारीकरण के सकारात्मक प्रभाव हैं
(1) विदेशी निवेश
(2) बढ़ा हुआ उत्पादन
(3) बढ़ी हुई बेरोजगारी
(4) प्रौद्योगिकीय उन्नति। सही
उत्तर:
(अ) (1), (2) और (4)
(ब) (2) और (3)
(स) (1) और (3)
(द) (2), (3) और (4)
उत्तर:
(स) (1) और (3)
प्रश्न 3.
नीचे दो कथन दिए गए हैं, एक को अभिकथन (A) और दूसरे को कारण (R) का नाम दिया गया है।
(UGC NET, 2014) अभिकथन (A) : वैश्वीकरण बहुआयामी प्रक्रिया है। कारण (R) : आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वैश्वीकरण इसमें समाविष्ट हैं। कूट
(अ) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।
(ब) (A) और (R) दोनों सत्य हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(स) (A) सत्य है और (R) असत्य है।
(द) (A) असत्य है और (R) सत्य है।
उत्तर:
(अ) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।
प्रश्न 4.
वैश्वीकरण निम्नलिखित में से किसे सूचित करता है?
(अ) समय-स्थान संपीड्य
(ब) विश्व-अर्थव्यवस्था का एकीकरण
(स) लोगों के बीच अधिक्षेत्रीय सम्बन्धों की वृद्धि
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ब) विश्व-अर्थव्यवस्था का एकीकरण
प्रश्न 5.
उदारीकरण, निजीकरण और भूमण्डलीकरण की नई आर्थिक नीति की घोषणा की गई, प्रधानमन्त्री
(अ) राजीव गांधी द्वारा
(ब) विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा
(स) नरसिम्हाराव द्वारा
(द) अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा।
उत्तर:
(द) अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा।
प्रश्न 6.
फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबन्ध अधिनियम) को अन्तिम रूप से लागू किया गया वर्ष:
(अ) 1991
(ब) 1997
(स) 2002
(द) 2007.
उत्तर:
(अ) 1991
प्रश्न 7.
वैश्वीकरण के कारण भारतीय उद्योग सकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं:
(i) विदेशी निवेश में वृद्धि
(ii) सकल घरेलू उत्पाद में औद्योगिक क्षेत्र के अंशदान में वृद्धि
(iii) औद्योगिक क्षेत्र में कठोर प्रतिस्पर्धा
(iv) रोजगार के अवसरों में वृद्धि।
(अ) i, ii एवं iv
(ब) i, ij एवं iii
(स) ii, iii एवं iv
(द) i, ii एवं iv
उत्तर:
(स) ii, iii एवं iv