These comprehensive RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 3 जनपोषण तथा स्वास्थ्य will give a brief overview of all the concepts.
→ जन स्वास्थ्य:
→ महत्त्व:
→ जन स्वास्थ्य पोषण से आशय:
→ पोषण समस्यायें:
किसी भी समाज में पोषण की समस्यायें केवल भोजन से ही संबंधित नहीं होतीं, अपितु विभिन्न स्तरों पर कई प्रकार के परस्पर क्रिया करने वाले/परस्पर सम्बद्ध कारक होते हैं, जिनकी जड़ें गरीबी में निहित
पोषण समस्याओं के कारण-पोषण समस्याओं के प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं
(अ) व्यक्तिगत स्तर पर तात्कालिक कारण
(ब) घरेल/पारिवारिक स्तर पर अन्तर्निहित कारण
(स) मूलभूत कारण
→ पोषण समस्याओं से संबंधित कारक-आर्थिक कारकों से लेकर कृषि नीति, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ/सेवाएँ, उनकी उपलब्धता और उन तक पहुँच, सरकारी नीतियाँ, राजनीतिक इच्छा शक्ति और सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों तक विस्तारित हैं।
→ भारत में पोषण सम्बन्धी समस्यायें:
भारत में पोषण सम्बन्धी प्रमुख समस्यायें निम्नलिखित हैं
→ पोषण समस्याओं का सामना करने के लिए कार्य नीतियाँ/हस्तक्षेप:
वर्ष 1993 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय पोषण नीति अपनाई जिसे महिला और बाल विकास विभाग ने तैयार किया था।
(1) इसमें प्रत्यक्ष अल्प अवधि हस्तक्षेप शामिल हैं, जैसे
(अ) समेकित बाल विकास सेवाएँ (आई.सी.डी.एस.)
(ब) आवश्यक खाद्य पदार्थों का पुष्टीकरण (नमक का आयोडीन द्वारा प्रबलीकरण)
(स) महिलाओं के सहयोग से कम कीमत वाले पोषक खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना और उन्हें लोकप्रिय बनाना।
(द) संवेदनशील वर्गों (बच्चों, गर्भवती महिलाओं व दुग्धपान कराने वाली महिलाओं) में सूक्ष्मपोषकों की कमी पर नियंत्रण लाना।
(2) अप्रत्यक्ष संस्थागत और ढाँचागत परिवर्तनों द्वारा राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अप्रत्यक्ष नीति साधनों में लंबी अवधि की योजनाएँ शामिल हैं, जैसे
(अ) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
(ब) पोषण तत्त्वों से युक्त पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करके आहार पद्धतियों में सुधार लाना।
(स) ग्रामीण और शहरी गरीबों की गरीबी कम करना।
→ अल्प पोषण कम करने के लिए विभिन्न हस्तक्षेप-विभिन्न कार्य नीतियाँ हैं जिनका उपयोग जन पोषक समस्याओं से जूझने के लिए किया जा सकता है। इनका मोटे तौर पर निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है
(अ) आहार अथवा भोजन-आधारित कार्यनीतियाँ।
(ब) पोषण आधारित दृष्टिकोण अथवा औषधीय दृष्टिकोण।
→ हमारे देश में चल रहे पोषण कार्यक्रमों की सूची.
→ स्वास्थ्य देखभाल यह सरकार का दायित्व है कि वह नागरिकों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराए। भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ तीन स्तरों--प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक पर की जाती हैं । यथा
→ प्राथमिक स्तर:
यह व्यक्ति, परिवार या समुदाय का स्वास्थ्य पद्धति से प्रथम सम्पर्क का स्तर है। ये सेवाएँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के नेटवर्क द्वारा उपलब्ध करायी जाती हैं।
→ द्वितीयक स्तर:
द्वितीय स्तर पर अधिक जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का निराकरण जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा किया जाता है।
→ तृतीयक स्तर:
यह उच्चतम स्तर है। यहाँ अधिक जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को सुलझाया जाता है। इस स्तर के संस्थान हैं—मेडिकल कॉलेजों के अस्पताल, क्षेत्रीय अस्पताल, विशिष्ट अस्पताल तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान।
→ जन पोषण विशेषज्ञ की भूमिका:
जन पोषण विशेषज्ञ सामुदायिक पोषण विशेषज्ञ भी कहलाते हैं । वे स्वास्थ्य संवर्धन और बीमारी की रोकथाम की सभी कार्यनीतियों में सहभागी बनने के लिए पूर्ण रूप से उपयुक्त होते हैं। इसके प्रमुख क्षेत्रों में पोषण विज्ञान, पूरे जीवन क्रम में स्वास्थ्य और रोग सम्बन्धी पोषण आवश्यकताएँ, पोषण मूल्यांकन, पोषण देखरेख, खाद्य विज्ञान और कला, शैक्षिक पद्धतियाँ, जनसंचार माध्यमों का प्रयोग और कार्यक्रम प्रबंधन शामिल हैं।
→ एक सामुदायिक पोषण विशेषज्ञ निम्नलिखित क्षेत्रों/परिस्थितियों में कार्य कर सकता है