These comprehensive RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ will give a brief overview of all the concepts.
→ द्वितीयक क्रियाएँ
→ विनिर्माण
किसी भी वस्तु का उत्पादन विनिर्माण कहलाता है। विनिर्माण की सभी प्रक्रियाओं की कुछ सामान्य विशेषताएँ होती हैं, जैसे शक्ति का उपयोग, एक ही प्रकार की वस्तुओं का विशाल उत्पादन एवं कारखानों में कार्यरत विशिष्ट श्रमिकों द्वारा मानक वस्तुओं का उत्पादन।
→ आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताएँ
→ विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण
किसी विशेष कच्चे माल पर निर्भर नहीं रहने वाले, प्रदूषण रहित, संघटक पुरजों पर निर्भरता वाले उद्योग स्वच्छंद उद्योग कहलाते हैं।
विनिर्माण उद्योगों को निम्न आधारों पर वर्गीकृत किया गया है
1. आकार पर आधारित उद्योग-किसी उद्योग का आकार उसमें निवेशित पूँजी, कार्यरत श्रमिकों की संख्या एवं उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है। इसके अनुसार उद्योगों को तीन भागों में बाँटा गया है
2. कच्चे माल पर आधारित उद्योग
3. उत्पादन/उत्पाद आधारित उद्योग
4. स्वामित्व के आधार पर उद्योग
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश भारी उद्योग के क्षेत्र होते हैं जिनमें कोयला खदानों के समीप स्थित धातु पिघलाने वाले उद्योग, भारी इंजीनियरिंग, रसायन निर्माण एवं वस्त्र उत्पादन आदि का कार्य किया जाता है।
इस प्रकार के उद्योगों को धुएँ की चिमनी वाला उद्योग भी कहते हैं।
→ परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश
परम्परागत औद्योगिक प्रदेशों की पहचान निम्नलिखित तीन विशेषताओं के आधार पर की गई है
→ जर्मनी का रूहर कोयला क्षेत्र
→ लौह-इस्पात उद्योग
लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग भी कहा जाता है।
→ सूती वस्त्र उद्योग
→ उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना
→ द्वितीयक क्रियाएँ (Secondary Activities):
वे क्रियायें जो प्राथमिक क्रियाओं द्वारा उपलब्ध वस्तुओं को मनुष्य के लिए प्रत्यक्ष रूप से अधिक उपयोगी वस्तुओं तथा मूल्यवान रूप में रूपांतरित करते हैं।
→ खदान (Mines):
कोयला, लौह अयस्क और बहुमूल्य पत्थर जैसे खनिजों को निकालने के लिए पृथ्वी में की गई खुदाई वाली जगह।
→ उद्योग (Industries):
श्रम विभाजन और मशीनों के व्यापक प्रयोग से अभिलक्षित क्रमिक उत्पादन अथवा किसी भी व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध कार्य करने को उद्योग कहा जाता है। इसमें सभी प्रकार के आर्थिक कार्य सम्मिलित हो जाते हैं।
→ विनिर्माण (Manufacturing):
विनिर्माण से आशय किसी वस्तु के उत्पादन से है। हस्तशिल्प कार्य से लेकर लोहे व इस्पात को गढ़ना, प्लास्टिक के खिलौने बनाना, कम्प्यूटर के अति सूक्ष्म घटकों को जोड़ना एवं अंतरिक्ष यान निर्माण आदि सभी प्रकार के उत्पादन को विनिर्माण माना जाता है।
→ विनिर्माण उद्योग (Manufacturing Industry):
यह एक ऐसा प्रक्रम है, जिसके अन्तर्गत कच्चे माल को उच्च मूल्य की वस्तुओं में परिवर्तित किया जाता है। एक जटिल संगठन, विशिष्टीकृत श्रम, मशीनों का उपयोग, ऊर्जा का प्रयोग एवं बड़े पैमाने पर उत्पादन, विनिर्माण उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
→ उत्पाद (Product):
किसी उद्योग के अन्दर तैयार किये गये पदार्थ को उत्पाद कहा जाता है।
→ यन्त्रीकरण (Mechanisation):
किसी कार्य को पूरा करने के लिए मशीनों या यंत्रों का प्रयोग करना।
→ प्रौद्योगिकीय नवाचार (Technological Innovation):
शोध एवं विकसित विधियों द्वारा विनिर्माण की गुणवत्ता को नियंत्रित करने, अपशिष्टों का निस्तारण करने, तकनीकी अदक्षता को समाप्त करने एवं प्रदूषण को नियंत्रित करने सम्बन्धी समस्त क्रियाकलाप प्रौद्योगिकीय नवाचार कहलाते हैं।
→ बाजार (Market):
बाजार से आशय संबंधित क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की माँग एवं वहाँ के निवासियों में खरीदने की क्षमता के स्थान से है।
→ समूहन अर्थव्यवस्था (Collective Economy):
किसी क्षेत्र में कार्यरत प्रधान उद्योग की समीपता से अन्य उद्योगों को प्राप्त होने वाला लाभ या बचत।
→ स्वच्छंद उद्योग (Foot-loose Industries):
ऐसे उद्योग जो अपनी अवस्थिति का चुनाव करने में अपेक्षाकृत स्वतन्त्र होते हैं, स्वच्छन्द उद्योग कहलाते हैं।
→ बड़े पैमाने के उद्योग (Large Scale Industries):
जिन उद्योगों के लिए विशाल बाजार, विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है, बड़े पैमाने के उद्योग कहलाते हैं।
→ कुटीर उद्योग (Cottage Industries):
वे उद्योग जो कि मानवीय श्रम एवं स्थानीय कच्चे माल पर आधारित होते हैं।
→ छोटे पैमाने के उद्योग (Small Scale Industries):
वे उद्योग जिनमें स्थानीय कच्चे माल के साथ-साथ अर्द्ध कुशल श्रमिक व शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
→ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग (Public Sector Industries):
सरकार के नियन्त्रण में संचालित उद्योग।
→ निजी क्षेत्र के उद्योग (Private Sector Industries):
व्यक्तिगत निवेशकों के नियन्त्रण में संचालित उद्योग।
→ संयुक्त क्षेत्र के उद्योग (Joint Sector Industries):
निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी के संयुक्त प्रयासों से संचालित उद्योग।
→ आधारभूत उद्योग (Basic industries):
वे उद्योग जिनके उत्पादों को अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं।
→ उपभोक्ता उद्योग (Consumer industries):
वे उद्योग जिनका तैयार माल प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता द्वारा उपयोग कर लिया जाता है, उपभोक्ता उद्योग कहलाते हैं।
→ प्रौद्योगिक ध्रुव (Technopolies):
ऐसे. उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग जो प्रादेशिक रूप से संकेन्द्रित मिलते हैं, आत्मनिर्भर एवं उच्च विशिष्टता वाले होते हैं, प्रौद्योगिक ध्रुव कहलाते हैं। प्रौद्योगिक ध्रुव में विज्ञान अथवा प्रौद्योगिकी पार्क, विज्ञान नगर तथा दूसरे उच्च तकनीकी औद्योगिक संकुल सम्मिलित होते हैं।