RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

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RBSE Class 12 Geography Chapter 2 Notes प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

→ किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा अपने निवास स्थान का स्थायी एवं अस्थाई परिवर्तन सामान्यतया 'प्रवास' कहा जाता है।

  • भारत की सन् 1881 में सम्पन्न हुई प्रथम जनगणना से ही प्रवास सम्बन्धी आँकड़ों का संग्रह किया गया है।
  • वर्तमान में भारत की जनगणना में प्रवास की गणना निम्नलिखित दो तथ्यों के आधार पर की जाती है
    • जन्म का स्थान, यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है।
    • निवास का स्थान, यदि निवास का पिछला स्थान गणना के स्थान से भिन्न है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल जनसंख्या का लगभग 37 प्रतिशत भाग प्रवासियों के रूप में निवासित था।

→ प्रवास की धाराएँ

  • • प्रवास मुख्यतः दो प्रकार का होता है
    • आन्तरिक प्रवास एवं
    • अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास।
  • भारत में होने वाले आन्तरिक प्रवास के अन्तर्गत निम्नलिखित चार धाराएँ सम्मिलित हैं
    • ग्रामीण से ग्रामीण
    • ग्रामीण से नगरीय
    • नगरीय से नगरीय
    • नगरीय से ग्रामीण।
  • उक्त सभी प्रकार के प्रवासों में सर्वाधिक प्रवास ग्रामीण से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर हुआ जिसके अन्तर्गत सर्वाधिक संख्या विवाहोपरान्त महिला प्रवासियों की रही है।
  • इसी प्रकार अन्तर्राज्यीय व अन्त:राज्यीय प्रवास की दृष्टि से भी ग्रामीण से ग्रामीण प्रवास की धाराओं में भी महिलाओं की संख्या सर्वाधिक है।
  • भारत में आन्तरिक प्रवास के अलावा अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास की धाराएँ भी देखी गयीं।
  • सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अन्य देशों से 50 लाख व्यक्तियों का आप्रवास हुआ। जिसमें से 88.9 प्रतिशत व्यक्ति पड़ोसी देशों (प्रमुख रूप से बांग्लादेश, नेपाल तथा पाकिस्तान) से आये।
  • दूसरी ओर ऐसा अनुमान है कि भारतीय प्रसार (Indian Diaspora) के लगभग 2 करोड़ व्यक्ति हैं जो विश्व के 110 देशों में वर्तमान में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। 

RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम 

→ प्रवास में स्थानिक भिन्नताएँ

  • राज्य स्तर पर आप्रवासियों की संख्या की दृष्टि से महाराष्ट्र का प्रथम स्थान है जबकि उत्प्रवासियों की संख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश तथा बिहार अग्रणी राज्य हैं। 
  • नगरीय समूहनों में भारत में सर्वाधिक आप्रवासी वृहत् मुम्बई में आकर बस गये। इसमें अंत:राज्यीय प्रवास का भाग सर्वाधिक है। 

→ प्रवास के कारण
भारत में प्रतिवर्ष लाखों व्यक्ति अपने जन्म-स्थान को छोड़ते हैं। प्रवास कई कारणों से होता है जिन्हें मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा गया है

  • प्रतिकर्ष या निष्कासक कारक-ये वे कारक होते हैं जिनकी वजह से व्यक्ति अपने निवास क्षेत्र को छोड़ता है। जैसे-गरीबी, कृषि भूमि पर जनसंख्या का बढ़ता दबाव, स्वास्थ्य सेवाओं तथा शिक्षा की कमी इसके अलावा विविध प्राकृतिक आपदाएँ, युद्ध व स्थानीय संघर्ष।
  • अपकर्ष या आकर्षक कारक-ये वे कारक होते हैं जिनकी वजह से व्यक्ति उस क्षेत्र में निवास करने हेतु आकर्षित होता है। रोजगार के पर्याप्त व बेहतर अवसर, पर्याप्त वेतन, शिक्षा के बेहतर अवसर, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ तथा मनोरंजन के साधन। 

→ पुरुष प्रवास के कारणों में रोजगार प्रमुख कारण है जबकि महिला प्रवास के कारणों में विवाह के उपरान्त निवास परिवर्तन सर्वाधिक प्रभावी कारक है।

→ प्रवास के परिणाम 
मानव में स्वभावतः कम सुरक्षा व कम अवसरों वाले स्थानों से बेहतर सुरक्षा व अधिक अवसरों वाले स्थान की ओर जाने की प्रवृत्ति पायी जाती है। प्रवास के अच्छे एवं बुरे दोनों प्रकार के परिणाम होते हैं। इनमें आर्थिक, जनांकिकीय, सामाजिक एवं पर्यावरणीय परिणाम अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।

  • आर्थिक परिणाम-अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा इंडियों के रूप में खरबों रुपये भारत के विभिन्न राज्यों में निवासित अपने सम्बन्धियों को भेजे जाते हैं। जिन क्षेत्रों में यह भारी धनराशि प्राप्त होती है, उन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में वृद्धि होने लगती है।
  • जनांकिकीय परिणाम-प्रवास से आयु संरचना तथा लिंग संरचना में उल्लेखनीय परिवर्तन होने लगते हैं।
  • सामाजिक परिणाम-प्रवास मिश्रित संस्कृति उद्विकास में सकारात्मक योगदान प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त प्रवास के कुछ नकारात्मक परिणाम भी देखे जाते हैं।
  • पर्यावरणीय परिणाम-प्रवास से नगरीय बस्तियों में अनियोजित वृद्धि तथा गन्दी बस्तियों का विकास होता है, जिससे अनेक पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।

→ प्रवास (Migration):
किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा अपने निवास स्थान का स्थायी एवं अस्थायी परिवर्तन प्रवास कहलाता है।

→ उत्प्रवास (Emigration):
एक देश या राज्य से दूसरे देश या राज्य में जाकर बसने की प्रक्रिया। 

→ उत्प्रवासी (Emigrants):
एक देश या राज्य से दूसरे देश या राज्य में जाकर बसने वाला व्यक्ति।

→ आप्रवासन (Immigration):
जब एक व्यक्ति या समुदाय किसी अन्य क्षेत्र या देश से किसी देश में आकर रहता है। उस क्रिया को आप्रवास कहते हैं।

→ आप्रवासी (Immigrant):
स्थायी निवास के उद्देश्य से किसी ऐसे देश में आकर बसना, जिसका वह मूल निवासी नहीं है।

→ आन्तरिक प्रवास (Internal Migration):
एक ही राष्ट्र में एक स्थान से दूसरे स्थान को होने वाला आवागमन।

→ अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International Migration):
एक राजनैतिक इकाई/देश से किसी अन्य राजनैतिक इकाई/देश को होने वाला व्यक्तियों का आवागमन।।

→ अंत:राज्यीय प्रवास (Intra-state Migration):
एक ही राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान को होने वाला आवागमन। 

RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

→ अन्तर्राज्यीय प्रवास (Inter-state Migration):
एक राज्य से दूसरे राज्य में होने वाला लोगों का आवागमन । 

→ विवाहजन्य प्रवास:
विवाहोपरान्त महिलाओं का अपने निवास स्थान को छोड़कर पति के निवास पर होने वाला प्रवास।

→ हुंडी (Remittances):
अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्देशीय प्रवासियों द्वारा अपने मूल स्थान अथवा निवास स्थान को भेजी जाने वाली धनराशि हुंडी कहलाती है।

→ प्रवास प्रवाह (Migration Flow):
एक उद्गम तथा गन्तव्य स्थान वाले प्रवासियों के समूह को प्रवास प्रवाह कहा जाता है।

→ उद्गम स्थान (Place of origin):
जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो वह स्थान जहाँ से लोग गमन करते हैं, उद्गम स्थान कहलाता है।

→ गंतव्य स्थान (Place of Destination):
लोग जिस स्थान की ओर जाते हैं, वह स्थान गंतव्य स्थान कहलाता है।

→ शरणार्थी (Refugee):
जो लोग अपने देश में जीवन घातक स्थिति, असुरक्षा, युद्ध अथवा मानव अधिकारों के अतिक्रमण के कारणों से दूसरे देश में शरण लेने के लिए बाध्य हो जाते हैं, उन्हें शरणार्थी कहा जाता है।

→ निवल प्रवास अथवा प्रवास का सन्तुलन (Balance of Migration):
एक स्थान में आने वाले तथा उस स्थान से बाहर जाने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या का अन्तर। दूसरे शब्दों में, प्रवासियों और आप्रवासियों की कुल संख्या में से बाहर जाने वाले प्रवासियों तथा उत्प्रवासियों की संख्या निकालकर प्राप्त होने वाली संख्या।
गणितीय विधि में इसे इस प्रकार दर्शाया जाता है-(आने वाले प्रवासी + आप्रवासी) - (बाहर जाने वाले प्रवासी + उत्प्रवासी)।

→ प्रतिकर्ष कारक (Push Factor):
वे कारक जो लोगों को निवास स्थान अथवा उद्गम स्थान को छुड़वाने का कारण बनते हैं, प्रतिकर्ष कारक कहलाते हैं।

→ अपकर्ष कारक (Pull Factor):
वे कारक जो विभिन्न स्थानों के लोगों को आकर्षित करते हैं, अपकर्ष कारक कहलाते हैं।

→ प्रेषण (Remittance):
प्रवासी द्वारा अपने उत्पत्ति स्थान को भेजी गई धनराशि अथवा माल या मनीऑर्डर प्रेषण का एक रूप है।

Prasanna
Last Updated on Jan. 4, 2024, 9:18 a.m.
Published Jan. 3, 2024