RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ  Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ 

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न  1. 
प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर उसे मूल्यवान बनाती हैं। 
(क) प्राथमिक क्रियाएँ 
(ख) द्वितीयक क्रियाएँ 
(ग) तृतीयक क्रियाएँ। 
(घ) चतुर्थक क्रियाएँ। 
उत्तर:
(ख) द्वितीयक क्रियाएँ 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ 

प्रश्न  2. 
किसी भी वस्तु का उत्पादन कहलाता है। 
(क) प्रसंस्करण 
(ख) विनिर्माण 
(ग) अवसंरचना
(ग) अवसंरचना 
(घ) उपर्युक्त सभी।' 
उत्तर:
(ख) विनिर्माण 

प्रश्न 3. 
निम्न में से आधुनिक निर्माण की विशेषता है। 
(क) एक जटिल प्रौद्योगिक यंत्र
(ख) अधिक पूँजी 
(ग) अत्यधिक विशिष्टीकरण
(घ) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी। 

प्रश्न 4. 
निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। 
(क) कुटीर उद्योग
(ख) छोटे पैमाने के उद्योग 
(ग) बड़े पैमाने के उद्योग
(घ) रसायन उद्योग। 
उत्तर:
(क) कुटीर उद्योग

प्रश्न 3. 
उद्योगों की सफल स्थापना होती है। 
(क) परिवहन केन्द्रों पर
(ख) कच्चे माल के समीपवर्ती क्षेत्र पर 
(ग) अधिकतम लाभ प्राप्त करने वाले स्थान पर 
(घ) उपभोक्ता क्षेत्र पर। 
उत्तर:
(ग) अधिकतम लाभ प्राप्त करने वाले स्थान पर 

प्रश्न 6. 
निम्न में से कौन - सा धात्विक उद्योग है। 
(क) लौह इस्पात उद्योग
(ख) सीमेंट उद्योग 
(ग) चीनी उद्योग
(घ) पेट्रो रसायन उद्योग। 
उत्तर:
(क) लौह इस्पात उद्योग

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प्रश्न 7. 
धुएँ की चिमनी वाला उद्योग है।  
(क) धातु पिघलाने वाले उद्योग
(ख) रसायन निर्माण 
(ग) वस्त्र उत्पादन
(घ) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(ग) वस्त्र उत्पादन

प्रश्न 8. 
निम्न में किस यूरोपीय देश में रूर कोयला क्षेत्र स्थित है। 
(क) जर्मनी 
(ख) फ्रांस 
(ग) स्पेन
(घ) स्विट्जरलैंड। 
उत्तर:
(क) जर्मनी 

प्रश्न 9. 
सिलीकॉन घाटी स्थित है
(क) सिएटल के समीप
(ख) पेरिस के समीप 
(ग) सैनफ्रांसिस्को के समीप
(घ) न्यूयार्क के समीप। 
उत्तर:
(घ) न्यूयार्क के समीप।

प्रश्न 10. 
निम्न में कौन-सा औद्योगिक क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका का जंग का कटोरा कहलाता है
(क) बफैलो 
(ख) ड्युलुथ
(ग) ईरी
(घ) पीट्सबर्ग।
उत्तर:
(घ) पीट्सबर्ग।

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में स्तम्भ अको स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए:

प्रश्न 1.

स्तम्भ अ (उद्योग)

स्तम्भ ब (उद्योग का सम्बंध) 

(i) चीनी उद्योग 

(अ) खनिज आधारित 

(ii) सीमेंट उद्योग

(ब) रसायन आधारित 

(iii) कागज उद्योग

(स) पशु आधारित 

(iv) चमड़ा उद्योग

(द) वन आधारित 

(v) उर्वरक उद्योग

(य) कृषि आधारित

उत्तर:

स्तम्भ अ (उद्योग)

स्तम्भ ब (उद्योग का सम्बंध) 

(i) चीनी उद्योग 

(य) कृषि आधारित

(ii) सीमेंट उद्योग

(अ) खनिज आधारित

(iii) कागज उद्योग

(द) वन आधारित 

(iv) चमड़ा उद्योग

(स) पशु आधारित 

(v) उर्वरक उद्योग

(ब) रसायन आधारित 


रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

प्रश्न 1.
विनिर्माण से आशय किसी भी वस्तु .............. है। 
उत्तर:
उत्पादन 

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प्रश्न 2.
उद्योग अपनी .............घटाकर लाभ को बढ़ाते हैं। 
उत्तर:
लागत 

प्रश्न 3.
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग .............के अधीन होते हैं।
उत्तर:
सरकार

प्रश्न 4.
निर्माण उद्योगों में ............... का अनुपात ऊँचा होता है। 
उत्तर:
रोजगार 

प्रश्न 5.
............... उद्योग सभी उद्योगों का आधार है।
उत्तर:
लौह - इस्पात 

सत्य - असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में से सत्य - असत्य कथनों की पहचान कीजिए:

प्रश्न 1. 
द्वितीयक गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।
उत्तर:
सत्य

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प्रश्न 2.
यंत्रीकरण से तात्पर्य किसी कार्य को हाथ से पूरा करना है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
उद्योगों की अवस्थिति में श्रम एक प्रमुख कारक है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
विभिन्न उद्योगों के मध्य पाई जाने वाली श्रृंखला से बचत नहीं होती।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5.
कुटीर उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई है।
उत्तर:
सत्य

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न: 

प्रश्न 1. 
द्वितीयक गतिविधि / क्रियाएँ क्या हैं?
अथवा 
द्वितीयक क्रियाकलाप किसे कहते हैं?
अथवा 
द्वितीयक व्यवसाय किसे कहते हैं? 
उत्तर:
वे व्यवसाय जो प्राथमिक क्रियाओं द्वारा उपलब्ध वस्तुओं को मानव के लिए प्रत्यक्ष रूप से अधिक उपयोगी व मूल्यवान बनाने का कार्य करते हैं, द्वितीयक व्यवसाय कहलाते हैं।

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प्रश्न 2. 
द्वितीयक व्यवसायों / क्रियाओं के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
लोहा गलाकर इस्पात एवं अन्य मशीनी सामग्री का निर्माण, कपास और ऊन से कपड़े का निर्माण, लकड़ी द्वारा फर्नीचर निर्माण तथा गेहूँ द्वारा आटा या मैदा तैयार करना द्वितीयक व्यवसायों के कुछ उदाहरण हैं।

प्रश्न 3. 
द्वितीयक गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के मूल्य में वृद्धि किस प्रकार होती है?
उत्तर:
द्वितीयक गतिविधियों द्वारा प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप परिवर्तित करके उसे मूल्यवान बना दिए जाने के फलस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।

प्रश्न 4. 
द्वितीय क्रियाकलापों में कौन-कौन सी क्रियाएँ शामिल होती हैं? 
उत्तर:

  1. विनिर्माण 
  2. प्रसंस्करण 
  3. निर्माण (अवसंरचना)। 

प्रश्न 5. 
विनिर्माण से क्या आशय है? 
उत्तर:
विनिर्माण से आशय किसी भी वस्तु के उत्पादन से है। 

प्रश्न 6. 
विनिर्माण किसके सहयोग से किया जाता है? 
उत्तर:
विनिर्माण आधुनिक शक्ति के साधनों एवं मशीनरी के द्वारा अथवा पुराने साधनों द्वारा किया जाता है। 

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प्रश्न 7. 
वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की कोई दो विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:

  1. यंत्रीकरण 
  2. प्रौद्योगिकीय नवाचार। 

प्रश्न 8.
विनिर्माण उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग एक ऐसा प्रक्रम है जिसके अन्तर्गत कच्चे माल को उच्च मूल्य की वस्तुओं में परिवर्तित किया जाता है।

प्रश्न 9. 
यन्त्रीकरण से क्या आशय है? 
उत्तर:
किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए मशीनों का प्रयोग करना यन्त्रीकरण कहलाता है। 

प्रश्न 10. 
प्रौद्योगिकीय नवाचार क्या है?
उत्तर:
शोध एवं विकसित विधियों द्वारा विनिर्माण की गुणवत्ता को नियन्त्रित करने, अपशिष्टों का निस्तारण करने, तकनीकी अदक्षता को समाप्त करने तथा प्रदूषण को नियन्त्रित करने सम्बन्धी समस्त क्रियाकलाप प्रौद्योगिकीय नवाचार कहलाते हैं।

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प्रश्न 11. 
आधुनिक निर्माण की कोई दो विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:

  1. एक जटिल प्रौद्योगिक तंत्र 
  2. अधिक पूँजी। 

प्रश्न 12. 
उद्योगों की स्थापना किस स्थान पर की जानी चाहिए?
उत्तर:
उद्योग अपनी लागत घटाकर लाभ को बढ़ाते हैं इसलिए उद्योगों की स्थापना उस स्थान पर की जानी चाहिए जहाँ पर उत्पादन लागत कम हो।।

प्रश्न 13. 
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. बाजार तक अभिगम्यता (पहुँच) 
  2. कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यता (पहुँच)। 

प्रश्न 14. 
बाजार से क्या आशय है? 
उत्तर:
बाजार से आशय उस क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की माँग एवं वहाँ के निवासियों में खरीदने की क्षमता से है। 

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प्रश्न 15. 
यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के क्षेत्र वृहद वैश्विक बाजार क्यों हैं?
उत्तर:
यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के क्षेत्र वृहद् वैश्विक बाजार हैं क्योंकि इन प्रदेशों के लोगों की क्रय क्षमता अधिक है।

प्रश्न 16. 
व्यापक बाजार रखने वाले किन्हीं दो उद्योगों का नाम लिखिए। 
उत्तर:
वायुयान निर्माण तथा शस्त्र निर्माण उद्योग ये दो प्रमुख उद्योग हैं। 

प्रश्न 17. 
पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में उद्योगों का अत्यधिक संकेन्द्रण क्यों हुआ है?
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में परिवहन तंत्र के अत्यधिक विकसित होने के कारण उद्योगों का अत्यधिक संकेन्द्रण हुआ है।

प्रश्न 18. 
उद्योगों के विकास में संचार की क्या आवश्यकता होती है? 
उत्तर:
उद्योगों के लिए सूचनाओं के आदान - प्रदान एवं प्रबंधन के लिए संचार के साधनों की आवश्यकता होती है। 

प्रश्न 19. 
स्वच्छंद उद्योगों की स्थापना में महत्वपूर्ण कारक कौन - सा है? 
उत्तर:
स्वच्छंद उद्योगों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण कारक सड़कों के जाल द्वारा अभिगम्यता होती है। 

प्रश्न 20. 
विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है? 
उत्तर:
विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण उनके आकार, कच्चा माल, उत्पाद एवं स्वामित्व के आधार पर किया जाता है। 

प्रश्न 21. 
किसी उद्योग का आकार किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी उद्योग का आकार उसमें निवेशित पूँजी, कार्यरत श्रमिकों की संख्या एवं उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है।

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प्रश्न 22. 
आकार के आधार पर उद्योगों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? 
उत्तर:

  1. घरेलू या कुटीर उद्योग 
  2. छोटे पैमाने के उद्योग 
  3. बड़े पैमाने के उद्योग।

प्रश्न 23. 
कच्चे माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:

  1. कृषि आधारित उद्योग 
  2. खनिज आधारित उद्योग 
  3. रसायन आधारित उद्योग 
  4. वन आधारित उद्योग 
  5. पशु आधारित उद्योग।

प्रश्न 24. 
लघु पैमाने के उद्योग के मुख्य क्षेत्र क्या हैं?
उत्तर:
इनमें स्थानीय कच्चे मालों का उपयोग होता है साथ ही इनमें अर्द्ध-कुशल श्रमिक व शक्ति संचालित यन्त्रों का प्रयोग भी किया जाता है।

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प्रश्न 25. 
कृषि आधारित उद्योगों की प्रमुख विशेषता बताइए। 
उत्तर:
इन उद्योगों में कृषि से प्राप्त उत्पादों का उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जाता है। 

प्रश्न 26. 
वन आधारित उद्योग किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऐसे उद्योग जिनको कच्चे माल की आपूर्ति वनों से होती है, वन आधारित उद्योग कहलाते हैं; जैसे-कागज व लुगदी, फर्नीचर तथा दियासलाई उद्योग आदि।

प्रश्न 27. 
कृषि व्यापार किसे कहा जाता है?
उत्तर:
कृषि व्यापार एक प्रकार की व्यापारिक कृषि है जो औद्योगिक स्तर पर की जाती है। इस कृषि में बड़े आकार के कृषि फार्म होते हैं जो यन्त्रीकृत दशाओं एवं रसायनों पर निर्भर तथा उत्तम संरचना वाले होते हैं।

प्रश्न 28. 
आधारभूत उद्योग क्या होते हैं?
उत्तर:
वे उद्योग जिनके उत्पाद को अन्य वस्तुएं बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, उन्हें आधारभूत उद्योग कहा जाता है।

प्रश्न 29. 
गैर - आधारभूत उद्योग किन्हें कहा जाता है? 
उत्तर:
उपभोक्ता वस्तुएँ तैयार करने वाले. उद्योगों को गैर - आधारभूत उद्योग कहा जाता है। 

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प्रश्न 30. 
आधारभूत और उपभोक्ता उद्योगों का एक - एक उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:

  1. आधारभूत उद्योग - लौह इस्पात उद्योग।
  2. उपभोक्ता उद्योग - चाय उद्योग। 

प्रश्न 31. 
लौह धातु एवं अलौह धातु उद्योगों का एक - एक उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:

  1. लौह धातु उद्योग - लौह-इस्पात उद्योग।
  2. अलौह धातु उद्योग - एल्युमिनियम उद्योग। 

प्रश्न 32. 
धुएँ की चिमनी वाले उद्योग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कोयले पर आधारित उद्योगों को धुएँ की चिमनी वाला उद्योग कहते हैं क्योंकि उद्योगों में प्रयुक्त कोयला बहुत अधिक धुआँ छोड़ता है।

प्रश्न 33. 
यूरोप के प्रमुख औद्योगिक प्रदेश का नाम लिखिए। 
उत्तर:
रूहर कोयला क्षेत्र (जर्मनी)। 

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प्रश्न 34. 
रूहर औद्योगिक प्रदेश की प्रमुख समस्या क्या है? 
उत्तर:

  1. प्रदूषण की समस्या, 
  2. औद्योगिक अपशिष्ट की समस्या, 
  3. कोयले की कमी की समस्या 
  4. उत्पादन में गिरावट की समस्या। 

प्रश्न 35. 
प्रौद्योगिक ध्रुव क्या है?
उत्तर:
एक संकेन्द्रीय क्षेत्र के भीतर अभिनव प्रौद्योगिकी एवं उद्योगों से सम्बन्धित उत्पादन के लिए नियोजित विकास प्रौद्योगिक ध्रुव कहलाता है।

प्रश्न 36. 
सिलीकॉन घाटी कहाँ स्थित है?
उत्तर:
सिलीकॉन घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका में सिएटल के समीप स्थित है। 

प्रश्न 37. 
महान झील औद्योगिक प्रदेश किस देश में स्थित है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में।

प्रश्न 38. 
किन्हीं दो निर्माण उद्योगों के उदाहरण लिखिए। 
उत्तर:

  1. लौह इस्पात उद्योग 
  2. पेट्रो रसायन उद्योग। 

प्रश्न 39. 
लौह इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है? 
उत्तर:
क्योंकि लौह इस्पात उद्योग पर अन्य सभी उद्योग निर्भर रहते हैं। 

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प्रश्न 40. 
संसार में सूती वस्त्र उद्योग के किन्हीं दो उपक्षेत्रों के नाम लिखिए।
अथवा 
सूती कपड़ा निर्माण के किन्हीं दो स्तरों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. हथकरघा क्षेत्र 
  2. विद्युत करघा क्षेत्र। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1):

प्रश्न 1. 
विनिर्माण उद्योग की परिभाषा लिखिए। 
उत्तर:
वे समस्त प्रक्रियाएँ जिनके द्वारा प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से प्राप्त कच्चे पदार्थों को शारीरिक अथवा यांत्रिक शक्ति द्वारा अधिक उपयोगी स्वरूप में परिवर्तित कर दिया जाता है, विनिर्माण उद्योग कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, विनिर्माण उद्योग एक ऐसा प्रक्रम है जिसके अन्तर्गत कच्चे माल को उच्च मूल्य की वस्तुओं में परिवर्तित किया जाता है। यह एक निर्माण प्रक्रिया है जो छोटे स्तर से उच्च स्तर तक हो सकती है जैसा कि हाथ से बनी साधारण वस्तुएँ यथा मिट्टी के बर्तन तथा जटिल प्रक्रिया द्वारा निर्मित भारी वस्तुएँ यथा रेलवे इंजन, बड़ी-बड़ी मशीनें आदि।

प्रश्न 2. 
विनिर्माण उद्योगों की तीन प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:
विनिर्माण उद्योगों की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. किसी एक वस्तु का आकार बदलकर कोई दूसरी वस्तु निर्मित की जाती है, जैसे लोहे का रूप बदलकर यंत्र आदि बनाना।
  2. किसी वस्तु या पदार्थ का उपयोग निर्माण के द्वारा परिवर्तित कर दिया जाता है, जैसे-कपास को वस्त्र के रूप में बदलना।
  3. किसी भी पदार्थ की मूल्य वृद्धि निर्माण द्वारा हो जाती है, जैसे-एल्यूमिनियम द्वारा वायुयान के निर्माण पर एल्यूमिनियम धातु के मूल्य में कई गुना वृद्धि हो जाती है।

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प्रश्न 3. 
आकार के आधार पर विनिर्माण उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रत्येक की दो-दो विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आकार के आधार पर विनिर्माण उद्योगों को निम्न वर्गों में विभाजित किया गया है 
1. कुटीर उद्योग:

  • निर्माण की सबसे छोटी इकाई है।
  • शिल्पकार स्थानीय कच्चे माल को प्रयुक्त करते हैं। 

2. छोटे पैमाने के उद्योग (लघु उद्योग):

  • इससे स्थानीय लोगों की क्रय शक्ति बढ़ती है।
  • अर्द्धकुशल श्रमिकों के साथ विद्युत संचालित यंत्र प्रयुक्त किये जाते हैं। 

3. बड़े पैमाने के उद्योग (वृहद् उद्योग):

  • अत्यधिक पूँजी का निवेश होता है।
  • उन्नत तकनीक एवं आधुनिक यंत्र प्रयुक्त किये जाते हैं। 

प्रश्न 4. 
आधुनिक निर्माण की प्रमुख विशेषताओं को बताइए। 
उत्तर:
आधुनिक निर्माण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. आधुनिक निर्माण एक जटिल प्रौद्योगिक तंत्र है।
  2. इसमें अत्यधिक विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के माध्यम से कम प्रयास एवं अल्प लागत से अधिक माल का उत्पादन किया जाता है।
  3. इसमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है।
  4. इसका एक बड़ा संगठन होता है। 
  5. इसमें प्रशासकीय अधिकारी वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

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प्रश्न 5. 
श्रम आपूर्ति तक अभिगम्यता उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों की अवस्थिति में श्रम एक प्रमुख कारक है। यद्यपि उद्योगों में बढ़ते हुए यन्त्रीकरण, स्वचालन एवं औद्योगिक प्रक्रिया के लचीलेपन ने श्रमिकों पर निर्भरता में कमी उत्पन्न की है परन्तु आज भी अनेक ऐसे उद्योग हैं जहाँ कुशल श्रमिकों के बिना कार्य संचालित नहीं हो पाता है। अतः आज भी कई उद्योगों में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता बनी हुई है। 

प्रश्न 6. 
स्वच्छंद उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
स्वच्छंद उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. ये उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों में स्थित होते हैं। 
  2. ये उद्योग किसी विशिष्ट कच्चे माल पर निर्भर नहीं करते हैं। 
  3. ये उद्योग संघटक पुों पर निर्भर रहते हैं जिन्हें कहीं से भी प्राप्त किया जा सकता है। 
  4. इन उद्योगों में उत्पादन कम मात्रा में होता है। 
  5. इन उद्योगों में श्रमिकों की भी कम आवश्यकता होती है। 
  6. सामान्यतः ये उद्योग प्रदूषण मुक्त होते हैं। 
  7. इनकी स्थापना में महत्त्वपूर्ण कारक सड़कों के जाल द्वारा अभिगम्यता होती है। 

प्रश्न 7. 
कुटीर उद्योगों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
कुटीर उद्योगों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:

  1. कुटीर उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। 
  2. इस उद्योग में शिल्पकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते हैं। 
  3. साधारण औजारों का प्रयोग कर परिवार के सदस्य मिलकर दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 
  4. दैनिक जीवन की वस्तुओं में कपड़ा, चटाइयाँ, औजार, बर्तन, जूते, फर्नीचर, मिट्टी के बर्तन मुख्यतः बनाये जाते हैं। 

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प्रश्न 8. 
छोटे पैमाने के उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
छोटे पैमाने के उद्योग उत्पादन की तकनीक एवं निर्माण स्थल दोनों में ही कुटीर उद्योग से भिन्नता रखते हैं। इनमें स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त अर्द्धकुशल श्रमिक एवं शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का भी प्रयोग किया जाता है। कुटीर उद्योग की तुलना में इस उद्योग में रोजगार के अवसर अधिक होते हैं। इन उद्योगों से स्थानीय निवासियों की क्रय शक्ति बढ़ती है।

प्रश्न 9. 
बड़े पैमाने के उद्योग की स्थापना के प्रमुख कारक बताइए।
उत्तर:
बड़े पैमाने के उद्योगों का विकास पिछले 200 वर्षों में हुआ है। पहले ये उद्योग ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी भाग आदि क्षेत्रों में लगाए गए थे परन्तु वर्तमान में इसका विस्तार सम्पूर्ण विश्व में है। इन उद्योगों की स्थापना के लिए विशाल बाजार, विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अत्यधिक पूँजी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 10. 
परम्परागत बड़े पैमाने वाले उद्योगों की विशेषताओं का वर्णन करते हुए, समायोजित उद्योगों के नाम लिखो।
उत्तर:
विशेषता:

  1. इन उद्योगों का विकास विगत दो शताब्दियों में हुआ है। 
  2. इनमें रोजगार का अनुपात उच्च होता है। 
  3. इनमें अत्यधिक पूँजी, उच्च तकनीक एवं भारी यन्त्रों की आवश्यकता होती है। 
  4. अधिक जनसांख्यिकीय दबाव के कारण घटिया आवास, प्रदूषित वातावरण, गुच्छित मकान प्रारूप मिलता है। 
  5. उद्योगों के बन्द होने पर परित्यक्त भूमि का स्वरूप दृष्टिगत होता है।

समायोजित उद्योग:

  1. रसायन उद्योग 
  2. इंजीनियरिंग उद्योग 
  3. वस्त्रोत्पादन। 

प्रश्न 11. 
कुटीर एवं छोटे पैमाने के उद्योगों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग की तुलना कीजिए।
उत्तर:

कुटीर उद्योग

छोटे पैमाने के उद्योग (लघु उद्योग)

1. यह निर्माण की सबसे छोटी इकाई है।

1. यह निर्माण की मध्यम स्तरीय इकाई है।

2. इस उद्योग में शिल्पकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते हैं।

2. इस उद्योग में स्थानीय कच्चे माल के साथ-साथ बाहर से भी मँगाये गये कच्चे माल का उपयोग होता है।

3. इस उद्योग में एक शिल्पकार अपनी दक्षता के आधार पर घर में ही वस्तुएँ बनाता है।

3. इस उद्योग में एक शिल्पकार छोटी-छोटी मशीनों का प्रयोग करता है।

4. इस उद्योग द्वारा निर्मित वस्तुओं का व्यापारिक महत्व कम होता है।

4. इस उद्योग द्वारा निर्मित वस्तुओं का व्यापारिक महत्व अधिक होता है।

5. इस उद्योग में घर के सदस्यों की प्रधानता रहती है।

5. इस उद्योग में स्थानीय श्रमिक भी कार्य करते हैं।


RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 12. 
छोटे एवं बड़े पैमाने के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:

छोटे पैमाने के उद्योग

बड़े पैमाने के उद्योग

1. इन उद्योगों में शक्ति से चलने वाली छोटी - छोटी मशीनों का प्रयोग होता है।

1. इन उद्योगों में शक्तिचालित बड़ी-बड़ी मशीनों का प्रयोग होता है।

2. इन उद्योगों में अर्द्धकुशल श्रमिकों द्वारा कार्य किया जाता है।

2. इन उद्योगों में कुशल श्रमिकों द्वारा कार्य किया जाता है।

3. इन उद्योगों में कम मात्रा में पूँजी का निवेश होता है।

3. इन उद्योगों में अधिक मात्रा में पूँजी का निवेश होता है।

4. ये उद्योग विकासशील देशों के विकास के आधार होते

4. ये उद्योग विकसित देशों के विकास का आधार होते हैं।


प्रश्न 13. 
कृषि आधारित उद्योग से क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कृषिजन्य उत्पादों पर आधारित उद्योगों को कृषि आधारित उद्योग कहा जाता है। अनेक उद्योगों की स्थापना और विकास में कृषि से प्राप्त कच्चे पदार्थों का बहुत अधिक योगदान रहता है। खेतों से प्राप्त कच्चे माल को विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा तैयार माल में बदलकर विक्रय हेतु ग्रामीण व नगरीय बाजारों में भेजा जाता है। प्रमुख कृषि आधारित उद्योगों में खाद्य सामग्री तैयार करने वाले उद्योग, शक्कर, अचार, फलों के रस, पेय पदार्थ, मसाले, तेल व वस्त्र (सूती, रेशमी व जूट) तथा रबर उद्योग सम्मिलित हैं। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 14. 
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना को संक्षेप में बताइए। 
अथवा 
उच्च प्रौद्योगिक उद्योग की विशेषता बताइए।
उत्तर:
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना-उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग निर्माण उद्योगों की नूतन पीढ़ी है जिसमें उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्माण गहन शोध एवं तकनीक के द्वारा किया जाता है। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग के अन्तर्गत यंत्र मानव, कम्प्यूटर आधारित कार्यों एवं शोधन सम्बन्धी कार्यों के साथ विद्युतीय नियंत्रण को शामिल किया जाता है। ऐसे उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग जो किसी विशिष्ट प्रदेश में संकेन्द्रित होते हैं, आत्मनिर्भर एवं उच्च विशिष्टता लिए होते हैं, उन्हें प्रौद्योगिकी ध्रुव कहा जाता है। 

प्रश्न 15. 
जर्मनी में 'नया रूर' भूदृश्य विकसित हो रहा है। कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जर्मनी यूरोप महाद्वीप का एक प्रमुख देश है। जर्मनी के समस्त इस्पात उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत रूर क्षेत्र से उत्पादित होता है। औद्योगिक ढाँचे में परिवर्तन के कारण कुछ क्षेत्रों के उत्पादन में गिरावट आ गयी है। इसके अतिरिक्त प्रदूषण व औद्योगिक अपशिष्ट की समस्या भी उत्पन्न हो गयी है। वर्तमान में रूर क्षेत्र के भविष्य की सम्पन्नता कोयले व इस्पात की अपेक्षा नवीन उद्योग जैसे ओपेल कार कारखाना, नए रासायनिक संयंत्र एवं विश्वविद्यालय आदि पर आधारित है। यहाँ सामग्री के क्रय - विक्रय के विशाल बाजारों का निर्माण हो गया है जिससे जर्मनी में एक नया रूर भूदृश्य विकसित हो रहा है। 

प्रश्न 16. 
लौह इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग भी कहा जाता है, क्यों?
अथवा 
लौह इस्पात उद्योग सभी उद्योगों का आधार है। कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लौह इस्पात उद्योग सभी उद्योगों को आधार प्रदान करता है इसलिए इसे आधारभूत उद्योग भी कहा जाता है। लौह इस्पात अनेक छोटे-बड़े उद्योगों की आधारभूत सामग्री है। सुई से लेकर पोत निर्माण तक लौह इस्पात उद्योग पर ही आश्रित हैं। किसी देश के विकास का मापदण्ड लौह इस्पात उद्योग ही है।

प्रश्न 17. 
लौह इस्पात उद्योग के विश्व वितरण को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
लौह: इस्पात उद्योग: लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहा जाता है। परम्परागत रूप से इस उद्योग की अवस्थिति कच्चे माल के स्रोतों के समीप ही रहती है। उत्तरी अमेरिका, यूरोप तथा एशिया के कुछ विकसित राष्ट्रों में लौह - इस्पात का संकेन्द्रण प्रमुख रूप से देखने को मिलता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, बेल्जियम, .. लक्जमबर्ग, नीदरलैण्ड तथा रूस के अलावा जापान, चीन तथा भारत इस उद्योग के प्रमुख उत्पादक देश हैं।

प्रश्न 18. 
सूती वस्त्र उद्योग के विश्व वितरण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूती कपड़ा उद्योग: इस उद्योग हेतु मुख्य कच्चा माल उत्तम किस्म की कपास है जो प्रमुख रूप से भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान तथा मिस्र में उत्पादित की जाती है। ग्रेट ब्रिटेन, उत्तरी - पश्चिमी यूरोपियन देश तथा जापान अपने यहाँ के सूती कपड़ा उद्योगों में आयातित कपास का उपयोग करते हैं। वर्तमान में यह उद्योग कम श्रम लागत वाले देशों की ओर स्थानान्तरित हो रहा है। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2):

प्रश्न 1. 
"द्वितीयक गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।" कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
द्वितीयक गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। द्वितीयक गतिविधियाँ प्रकृति से प्राप्त कच्चे माल का रूप बदलकर उसे और अधिक मूल्यवान बना देती हैं। द्वितीयक गतिविधियाँ खेतों, वनों, खदानों एवं सागरों व महासागरों से प्राप्त पदार्थों का रूप परिवर्तन कर उन्हें मूल्यवान बना देती हैं। द्वितीयक गतिविधियाँ विनिर्माण, प्रसंस्करण एवं निर्माण अवसंरचना उद्योग से सम्बन्धित हैं।

उदाहरण:

  1. कपास एक कच्चा पदार्थ है जिसका उपयोग सीमित है परन्तु रेशे में परिवर्तित होने के पश्चात् यह और अधिक मूल्यवान हो जाता है और इसका उपयोग वस्त्र निर्माण में होता है।
  2. खदानों से प्राप्त लौह अयस्क का प्रत्यक्ष उपयोग नहीं किया जाता लेकिन अयस्क से इस्पात बनाने के पश्चात् यह मूल्यवान हो जाता है तथा इसका उपयोग अनेक प्रकार की मशीनें व औजार बनाने में होता है।

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प्रश्न 2. 
"बाजार तक अभिगम्यता उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है।" स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
"उद्योगों की अवस्थिति निर्धारण में बाजार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।" कथन को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
उद्योगों की स्थापना में सबसे महत्वपूर्ण कारक उसके द्वारा उत्पादित माल के लिए उपलब्ध बाजार का होना है। बाजार से तात्पर्य उस क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की माँग एवं वहाँ के निवासियों में खरीदने की क्षमता अथवा क्रय शक्ति से है। जिन क्षेत्रों में किसी उद्योग विशेष की वस्तुओं की खपत अधिक होती है, वहीं वे उद्योग प्रारम्भ हो जाते हैं। ऐसा करने से तैयार माल को बाजार तक पहुँचाने का व्यय कम हो जाता है। यह तब अधिक लाभप्रद होता है, जब तैयार माल कच्चे माल की तुलना में अधिक स्थान घेरता है या अधिक भारी होता है। इसी कारण सीमेण्ट, फर्नीचर, काँच, मिट्टी के बर्तन, चीनी के बर्तन आदि उद्योग खपत क्षेत्र की समीपता पर निर्भर रहते हैं।

प्रश्न 3. 
कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यता उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
उद्योगों की स्थापना में कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यता की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों में बहुत बड़ी मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता होती है। यदि यह कच्चा माल दूर से मँगाया जाता है तो परिवहन में काफी खर्च होता है। उद्योगों के लिए कच्चा माल अपेक्षाकृत सस्ता एवं सरलता से परिवहन योग्य होना चाहिए। यदि कच्चा माल भारी है तो परिवहन मूल्य अधिक लगता है और लागत खर्च बढ़ जाता है।

अतः जिन क्षेत्रों में भारी कच्चे माल की प्राप्ति तक की अभिगम्यता होती है, उनमें विनिर्माण उद्योग लगाये जा सकते हैं; जैसे-लौह इस्पात व चीनी के कारखाने, सीमेण्ट के कारखाने, लुगदी का बनाना, कागज उद्योग आदि कच्चे माल की सुलभता से मिलने पर निर्भर रहते हैं। जो पदार्थ शीघ्र नष्ट होने वाले होते हैं, उनके निर्माण उद्योग भी उन पदार्थों की उपलब्धता के समीप ही स्थापित किए जाते हैं; जैसे-दुग्ध पदार्थों, पनीर, मक्खन आदि का निर्माण तथा फलों से डिब्बा बन्द सामग्री का निर्माण आदि।

प्रश्न 4. 
उद्योगों की स्थापना में परिवहन व संचार की सुविधाओं तक अभिगम्यता की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों की स्थापना में परिवहन व संचार के साधनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कच्चे माल, श्रमिकों और मशीनों को उद्योगों तक लाने एवं उत्पादित तैयार माल को बाज़ार तक पहुँचाने के लिए परिवहन की जरूरत पड़ती है। इसलिए स्थानीयकरण ऐसे ही स्थानों पर होता है, जहाँ सस्ता और तीव्रगामी परिवहन मिल सके। सस्ता परिवहन उत्पादन व्यय को कम रखता है।

पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में अत्यधिक परिवहन तंत्र विकसित होने के कारण सदैव इन क्षेत्रों में उद्योगों का संकेन्द्रण रहा है। परिवहन के साधनों की सस्ती दरों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में ईरी झील के निकटवर्ती क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र बना दिया है। परिवहन के अलावा उद्योगों के स्थानीयकरण में उद्योगों हेतु सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं प्रबन्धन के लिए उत्तम संचार सुविधाओं की उपलब्धता भी महत्त्वपूर्ण होती है।

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प्रश्न 5. 
उद्योगों की स्थापना में श्रम आपूर्ति एवं शक्ति के साधनों तक अभिगम्यता की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्रम आपूर्ति तक अभिगम्यता: उद्योगों के स्थानीयकरण में मानवीय श्रम की सस्ती व सुलभ उपलब्धता एक महत्त्वपूर्ण कारक रहा है। कुशल श्रमिक अधिक एवं अच्छा कार्य कर सकते हैं जिससे कारखाने में उत्तम व सस्ता माल बनता है। लेकिन वर्तमान समय में उद्योगों में बढ़ते यन्त्रीकरण तथा औद्योगिक प्रक्रियाओं के लचीलेपन ने उद्योगों में मानवीय श्रम की निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया है। वर्तमान में अनेक उद्योग ऐसे हैं जिनमें कुशल श्रमिकों की आपूर्ति उनके स्थानीयकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

शक्ति के स्रोतों की उपलब्धता: उद्योगों में मशीनों को चलाने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। शक्ति के प्रमुख स्रोतों में कोयला, पेट्रोलियम, जल विद्युत, प्राकृतिक गैस एवं परमाणु ऊर्जा आदि प्रमुख हैं। ऐसे उद्योग जिनमें ऊर्जा की खपत बहुत अधिक होती है, उनको ऊर्जा उत्पादक स्रोतों के समीप ही स्थापित किया जाता है; जैसे - एल्यूमिनियम उद्योग एवं लौह इस्पात उद्योग। लौह इस्पात जैसे उद्योग जो कोयले से शक्ति प्राप्त करते हैं, कोयला खानों के पास ही स्थापित किए जाते हैं। एल्युमिनियम जैसे उद्योग जिनमें जल विद्युत की अधिक आवश्यकता होती है जल विद्युत उत्पादक क्षेत्रों के समीप ही स्थापित किए जाते हैं। परन्तु अवस्थिति के कारक के रूप में अब शक्ति का महत्व कम होता जा रहा है क्योंकि ऊर्जा दक्षता में पर्याप्त सुधार हो गया है।

प्रश्न 6. 
कुटीर उद्योग किसे कहते हैं? इनकी विशेषताओं को संक्षेप में बताइए अथवा घरेलू उद्योग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
कुटीर उद्योग: वे उद्योग जो कि मानवीय श्रम एवं स्थानीय कच्चे माल पर आधारित होते हैं, कुटीर उद्योग कहलाते हैं।
कुटीर उद्योग की विशेषताएँ: कुटीर उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
 

  1.  कुटीर उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई है।
  2. कुटीर उद्योग में शिल्पकार स्थानीय रूप से प्राप्त कच्चे माल का उपयोग करते हैं तथा साधारण औजारों द्वारा परिवार के सभी सदस्य मिलकर अपने दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
  3. कुटीर उद्योग में तैयार माल.का या तो स्वयं उपयोग किया जाता है अथवा इसे स्थानीय गाँव के बाजार में बेच दिया जाता है।
  4. कुटीर उद्योग में छोटे स्तर पर उत्पादन होता है। 
  5. कुटीर उद्योग में न्यूनतम पूँजी का व्यय होता है। 
  6. कुटीर उद्योगों में निर्मित वस्तुओं का व्यापारिक महत्व कम होता है।
  7. कुटीर उद्योग में दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुएँ; जैसे-खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयाँ, बर्तन, औजार, फर्नीचर, जूते एवं लघु मूर्तियाँ आदि निर्मित किये जाते हैं।
  8. कुटीर उद्योगों में प्रयुक्त अधिकांश उपकरण स्थानीय व्यक्तियों द्वारा निर्मित होते हैं। 

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प्रश्न 7. 
उत्पाद आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा 
आधारभूत एवं गैर आधारभूत उद्योगों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
उत्पाद आधारित उद्योग: उत्पादन के आधार पर उद्योगों को दो भागों में बाँटा जा सकता है।

  1. आधारभूत उद्योग
  2. गैर आधारभूत उद्योग। 

(i) आधारभूत उद्योग: वे उद्योग जिनके उत्पाद को अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं। जैसे - लौह इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है, जिसके उत्पादों का प्रयोग दूसरे उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है।

(ii) गैर आधारभूत उद्योग: इसे उपभोक्ता वस्तु उद्योग भी कहा जाता है। इन उद्योगों से निर्मित उत्पादों को सीधे उपभोग के लिए प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के रूप में ब्रेड व बिस्कुट, चाय, साबुन, वस्त्र, लिखने के लिए कागज, रेडियो, टेलीविजन एवं श्रृंगार का सामान आदि। इन विभिन्न प्रकार के सामानों का उत्पादन क.ने वाले उद्योगों को उपभोक्ता माल बनाने वाले अथवा गैर आधारभूत उद्योग कहा जाता है।

प्रश्न 8. 
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए। 
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों के निम्नलिखित तीन वर्ग होते हैं:
(i) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग: जब किन्हीं उद्योगों का स्वामित्व एवं प्रबंधन केन्द्र या राज्य सरकार के हाथ में हो, तो उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहते हैं। ये उद्योग पूर्णतया सरकार के स्वामित्व में संचालित होते हैं। भारत सहित विश्व के कई समाजवादी देशों में अनेक उद्योग इसी वर्ग से सम्बन्धित हैं।

(ii) संयुक्त क्षेत्र के उद्योग: जिन उद्योगों को सरकार एवं निजी लोग मिलकर चलाते हैं, उन्हें संयुक्त क्षेत्र के उद्योग कहते हैं। इन उद्योगों का संचालन निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र को कम्पनी के संयुक्त प्रयासों से किया जाता है।
 
(iii) निजी क्षेत्र के उद्योग: जब एक व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के समूह (निगम) अपने स्वामित्व व प्रबंधन में उद्योगों का संचालन करते हैं तो उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं। इन उद्योगों का स्वामित्व व्यक्तिगत पूँजी निवेशकों के पास होता है। विश्व के पूँजीवादी देशों में अधिकांश उद्योग इसी वर्ग से सम्बन्धित होते हैं। 

प्रश्न 9. 
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेशों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश:
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेशों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं।

  1. इनमें धातु पिघलाने वाले उद्योग, भारी इन्जीनियरिंग, रसायन निर्माण तथा वस्त्र उद्योग जैसे धुएँ की चिमनी वाले उद्योग कार्यरत मिलते हैं।
  2. इन उद्योगों में रोजगार का उच्च अनुपात मिलता है। 
  3. इन उद्योगों के क्षेत्रों में जन घनत्व बहुत अधिक देखने को मिलता है। 
  4. इन उद्योगों के क्षेत्रों में निम्न स्तर के आवासीय प्रारूप देखने को मिलते हैं। 
  5. इन उद्योगों के क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण मिलता है। 
  6. इन उद्योगों के क्षेत्रों में बेरोजगारी की भारी समस्या देखने को मिलती है। 
  7. यहाँ उत्प्रवास की समस्या देखने को मिलती है। 
  8. विश्व-व्यापी माँग कम होने से कारखाने बन्द होने के कारण यहाँ परित्यक्त भूमि भी अधिक मिलती है। 

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प्रश्न 10. 
जर्मनी के रूर कोयला क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जर्मनी का रूर क्षेत्र यूरोपीय महाद्वीप का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र है। कोयला, लोहा तथा इस्पात इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार रहा है। जर्मनी के कुल इस्पात उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत भाग रूर क्षेत्र से उत्पादित होता है। स्थानीय रूप से उपलब्ध उत्तम किस्म के कोयले ने यहाँ के लौह-इस्पात उद्योग को पर्याप्त प्रोत्साहन प्रदान किया है।
वर्तमान में यहाँ के लौह-इस्पात उद्योग के उत्पादन में गिरावट अनुभव की जा रही है। अब रूर के भविष्य की सम्पन्नता कोयले व इस्पात की अपेक्षा नये उद्योग जैसे ओपेल कार बनाने का कारखाना, नए. रासायनिक संयन्त्र तथा विश्वविद्यालय आदि पर अधिक निर्भर होती जा रही है। वर्तमान में इस क्षेत्र में खरीदारी के बड़े-बड़े बाजारों का उदय हो रहा है। जिससे यहाँ 'नवीन रूर' भूदृश्य विकसित हो रहा है। 

प्रश्न 11. 
सूती वस्त्र निर्माण के तीन स्तरों का उल्लेख कीजिए।
अथवा 
सूती कपड़ा उद्योग के तीन उपक्षेत्रों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। उत्तर-सूती कपड़ा उद्योग के तीन स्तर निम्नलिखित हैं।
(i) हथकरघा क्षेत्र: यह श्रम पर आधारित उपक्षेत्र है। इसमें कुशल व अर्द्धकुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। यह क्षेत्र बहुत बड़ी मात्रा में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराता है। इसमें कम पूँजी की भी आवश्यकता होती है। इसकी रोजगार उपलब्ध कराने की क्षमता एवं कम पूँजी निवेश के कारण ही महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में खादी के उपयोग पर बल दिया था। हथकरघा क्षेत्र के अन्तर्गत सूत की कताई एवं वस्त्रों की बुनाई आदि कार्य किये जाते हैं।

(ii) शक्ति चालित करघा क्षेत्र: इसमें कपड़ा बनाने का कार्य बिजली से संचालित करघों के माध्यम से होता है। अतः इसमें कम श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है लेकिन उत्पादन अधिक होता है।

(iii) कारखाना क्षेत्र: यह बड़ी इकाइयों वाला उपक्षेत्र है। इसमें वस्त्र निर्माण का कार्य बड़े - बड़े कारखानों में किया जाता है। इसमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है परन्तु इसमें उत्तम किस्म के वस्त्रों का बड़ी मात्रा में निर्माण किया जाता है। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
आधुनिक बड़े पैमाने के विनिर्माण उद्योग को स्पष्ट कीजिए तथा इसकी चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा 
आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण के प्रमुख लक्षणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की पाँच विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग: विनिर्माण का शाब्दिक अर्थ है-'हाथ से बनाना'। इसके बावजूद इसके अन्तर्गत यंत्रों द्वारा बनायी गयी सामग्री को भी सम्मिलित किया जाता है। यह एक अति आवश्यक प्रक्रिया है जिसमें कच्चे माल को स्थानीय अथवा दूरस्थ बाजार में बेचने के लिए ऊँचे मूल्य के तैयार माल में परिवर्तित कर दिया जाता है। यदि वैचारिक दृष्टिकोण से देखें तो उद्योग एक निर्माण इकाई होती है जिसकी भौगोलिक स्थिति भिन्न होती है तथा प्रबन्ध तंत्र के अन्तर्गत लेखा - बही एवं अभिलेख का रख-रखाव किया जाता है। उद्योग एक व्यापक नाम है और इसे विनिर्माण के पर्यायवाची के रूप में भी देखा जा सकता है।

जब कोई व्यक्ति इस्पात उद्योग व रसायन उद्योग अथवा सीमेंट उद्योग आदि शब्दावली का प्रयोग करता है तब उसके मस्तिष्क में कारखाने एवं कारखानों में होने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं का विचार पैदा होता है। लेकिन अनेक गौण क्रियाएँ भी हैं जो कि कारखानों में सम्पन्न नहीं होती जैसे कि मनोरंजन उद्योग या पर्यटन उद्योग आदि। अतः स्पष्टता के लिए विनिर्माण उद्योग शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। संक्षेप में कहें तो विनिर्माण उद्योग एक ऐसा प्रक्रम है जिसके अन्तर्गत कच्चे माल को उच्च मूल्य की वस्तुओं में परिवर्तित किया जाता है।

आधुनिक बड़े पैमाने के विनिर्माण उद्योग की विशेषताएँ (लक्षण) वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण उद्योग की निम्नलिखित पाँच विशेषताएँ हैं:
(i) कौशल का विशिष्टीकरण/उत्पादन की विधियाँ: बड़े पैमाने पर कार्यरत विनिर्माण उद्योगों में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है तथा इसमें प्रत्येक श्रमिक लगातार एक ही प्रकार के कार्य को करता है।

(ii) यन्त्रीकरण: आधुनिक बड़े पैमाने के विनिर्माण में स्वचालित यन्त्रीकरण देखने को तो मिलता ही है साथ ही कम्प्यूटर युक्त नियन्त्रण प्रणाली से युक्त कारखानों में स्वचालित मशीनों की उत्पादन प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। आज बड़े पैमाने पर विनिर्माण में यंत्रीकरण समस्त विश्व में नजर आने लगा है।

(iii) प्रौद्योगिकीय नवाचार: इसके अन्तर्गत शोध एवं विकसित विधियों के द्वारा विनिर्माण की दक्षता को नियन्त्रित करना, अपशिष्टों का समुचित निस्तारण, तकनीकी दक्षता में अभिवृद्धि तथा प्रदूषण को नियन्त्रित करने जैसे उपाय सम्मिलित हैं।

(iv) संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण: इसके अन्तर्गत जटिल औद्योगिकी तन्त्र अत्यधिक विशिष्टीकरण श्रम विभाजन, कम लागृत से अधिक उत्पादन प्राप्त करना, अधिक पूँजी, बड़ा संगठन तथा प्रशासकीय अधिकारी वर्ग सम्मिलित होते हैं।

(v) अनियमित भौगोलिक वितरण: विश्व के कुल स्थानीय भाग के 10 प्रतिशत से भी कम भू-भाग पर आधुनिक विनिर्माण का मुख्य जमाव देखने को मिलता है। आधुनिक विनिर्माण किसी देश की आर्थिक तथा राजनैतिक शक्ति का केन्द्र होते हैं .यद्यपि ये विनिर्माण क्षेत्र कृषि की तुलना में बहुत छोटे क्षेत्र पर संकेन्द्रित मिलते हैं लेकिन उत्पादन तथा रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से ये क्षेत्र किसी भी देश के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होते हैं। 

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प्रश्न 2. 
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
उद्योगों के स्थानीकरण पर प्रभाव डालने वाले कारकों को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने में निम्नलिखित सात कारकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है
(i) बाजार तक अभिगम्यता (पहुँच): जिन क्षेत्रों में किसी उद्योग विशेष की वस्तुओं की खपत अधिक होती है, वहीं वे उद्योगाप्रारम्भ हो जाते हैं। ऐसा करने से तैयार माल को बाजार तक पहुँचाने का व्यय कम हो जाता है। यह तब अधिक लाभप्रद होता है, जब तैयार माल कच्चे माल की तुलना में अधिक स्थान घेरता है या अधिक भारी होता है। इसी कारण सीमेण्ट, फर्नीचर, काँच मिट्टी के बर्तन, चीनी के बर्तन आदि उद्योग खपत क्षेत्र की समीपता पर निर्भर रहते हैं।

(ii) कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यता: उद्योगों में बहुत बड़ी मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता होती है। यदि यह कच्चा माल दूर से मैंगाया जाता है तो परिवहन में काफी खर्च होता है। यदि कच्चा माल भारी है तो परिवहन मूल्य अधिक लगता है और लागत खर्च बढ़ जाता है। अत: जिन क्षेत्रों में भारी कच्चे माल की प्राप्ति तक की अभिगम्यता होती है, उनमें विनिर्माणी उद्योग लगाये जा सकते हैं।

जैसे - चीनी के कारखाने, सीमेण्ट की फैक्ट्रियाँ, लुगदी का बनाना, कागज उद्योग आदि कच्चे माल की सुलभता मिलने पर निर्भर रहते हैं। जो पदार्थ शीघ्र नष्ट होने वाले होते हैं, उनके निर्माण उद्योग भी उन पदार्थों की उपलब्धता के समीप ही स्थापित किए जाते हैं जैसे - दुग्ध पदार्थों, पनीर, मक्खन आदि का निर्माण तथा फलों से डिब्बाबन्द सामग्री का निर्माण आदि।

(iii) श्रम आपूर्ति तथा अभिगम्यता: उद्योगों के स्थानीयकरण में मानवीय श्रम की सस्ती व सुलभ उपलब्धता एक महत्त्वपूर्ण कारक रहा है। उद्योगों में बढ़ते यन्त्रीकरण तथा औद्योगिक प्रक्रियाओं के लचीलेपन ने उद्योगों में मानवीय श्रम की निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया है लेकिन वर्तमान में अनेक उद्योग ऐसे हैं जिनमें कुशल श्रमिकों की आपूर्ति उनके स्थानीयकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

(iv) शक्ति के साधनों तक अभिगम्यता: ऐसे उद्योग जिनमें ऊर्जा की खपत बहुत अधिक होती है, उनको ऊर्जा उत्पादक स्रोतों के समीप ही स्थापित किया जाता है; जैसे - एल्यूमिनियम उद्योग। शक्ति के स्रोतों में कोयला के अलावा खनिज तेल तथा जलविद्युत भी सम्मिलित होते हैं।

(v) परिवहन एवं संचार सुविधाओं तक अभिगम्यता: उद्योगों के लिए कच्चे माल को लाने और उत्पादित तैयार माल को बाजार तक पहुँचाने के लिए परिवहन की जरूरत पड़ती है। इसलिए उद्योगों का स्थानीयकरण ऐसे ही स्थानों पर होता है, जहाँ सस्ता और तीव्रगामी परिवहन मिल सके। सस्ता परिवहन उत्पादन व्यय को कम करता है। परिवहन के साधनों की सस्ती दरों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में ईरी झील के निकटवर्ती क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र बना दिया है। परिवहन के अलावा उद्योगों के स्थानीयकरण में उद्योगों हेतु सूचनाओं के आदान - प्रदान एवं प्रबन्धन के लिए उत्तम संचार सुविधाओं की उपलब्धता भी महत्त्वपूर्ण होती है।

(vi) सरकारी नीति: उद्योगों की स्थापना में किसी देश या राज्य की सरकारी नीति भी विशेष महत्त्व रखती है। ऐसे क्षेत्र जहाँ सरकार उद्योग स्थापित करने के लिए विशेष सुविधायें प्रदान करती है, उनमें उद्योगों की शीघ्र ही स्थापना होने लगती है।

(vii) समूहन अर्थव्यवस्था तक अभिगम्यता/ उद्योगों के मध्य सम्बन्ध: ऐसे औद्योगिक क्षेत्र जहाँ उद्योगों का भारी जमघट मिलता है तथा विभिन्न उद्योगों के मध्य अन्तर्सम्बन्ध स्थापित हो जाते हैं, उनके अधिकांश उद्योग समूहन अर्थव्यवस्था से लाभ प्राप्त कर अधिक बचत कर पाने में सफल हो जाते हैं।

प्रश्न 3. 
आकार के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
किसी उद्योग का आकार उसमें निवेशित पूँजी, कार्यरत श्रमिकों की संख्या तथा उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है। उद्योगों को उनके आकार के आधार पर निम्नलिखित तीन वर्गों में रखा जाता है।
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(1) कुटीर उद्योग: कुटीर या घरेलू उद्योग वस्तु निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। इस उद्योग के अन्तर्गत शिल्पकार अपने घरों पर ही स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग करते हैं। इसमें पूँजी का समावेश न्यूनतम तथा मानवीय श्रम का समावेश अधिकतम होता है। कुटीर उद्योग में साधारण औजारों द्वारा परिवार के अधिकांश सदस्य मिलकर विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। पूँजी एवं परिवहन इन उद्योगों के स्थानीयकरण को अधिक प्रभावित नहीं कर पाते क्योंकि इन उद्योगों में उत्पादित वस्तुओं के अधिकांश भाग का उपभोग स्थानीय स्तर पर कर लिया जाता है। भारत में कुटीर उद्योग के अन्तर्गत जुलाहों द्वारा कपड़े बनाने, चमड़े से निर्मित वस्तुएँ, कुम्हार द्वारा मिट्टी के बर्तनों के निर्माण को प्रमुख रूप से शामिल किया जाता है। कुछ वस्तुएँ स्थानीय रूप से उपलब्ध वनोत्पादों से भी निर्मित की जाती हैं।

(2) छोटे पैमाने के उद्योग: इस स्तर के उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल, अर्द्ध-कुशल श्रमिक तथा शक्ति संचालित मशीनों का प्रयोग होता है। यह उद्योग घर से बाहर लगाए जाते हैं तथा इनमें उत्पादन की तकनीक कुटीर उद्योगों की तुलना में उत्तम होती है। छोटे पैमाने के उद्योग स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे
स्थानीय निवासियों की क्रय शक्ति में वृद्धि होती है। विश्व में भारत, चीन, इण्डोनेशिया तथा ब्राजील जैसे विकासशील राष्ट्रों में स्थानीय लोगों को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के लिए छोटे पैमाने के उद्योगों की स्थापना पर बल दिया जा रहा है।

(3) बड़े पैमाने के उद्योग: बड़े पैमाने के उद्योगों की स्थापना मुख्यतः वाष्पचालित मशीनों के आविष्कार के बाद प्रारम्भ हुई। इन शक्ति संचालित यन्त्रों की सहायता से उद्योगों में वृहत् स्तर पर उत्पादन प्रारम्भ हो गया। बड़े पैमाने के लिए विस्तृत बाजार, विभिन्न प्रकार के कच्चे माल, पर्याप्त शक्ति आपूर्ति, कुशल श्रमिक, विकसित तकनीक, अधिक उत्पादन तथा पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता होती है। प्रारम्भ में इन उद्योगों का विकास ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी भाग तथा यूरोपियन देशों में हुआ, लेकिन वर्तमान में इन उद्योगों का विकास विश्व के अधिकांश देशों में मिलता है।

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प्रश्न 4. 
कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए। 
उत्तर:
उद्योगों द्वारा प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित पाँच वर्गों में रखा जाता है

  1. कृषि आधारित उद्योग
  2. खनिज आधारित उद्योग 
  3. रसायन आधारित उद्योग
  4. वन आधारित उद्योग 
  5. पशु आधारित उद्योग।

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ 1

(i) कृषि आधारित उद्योग: इस वर्ग के उद्योग कृषि से प्राप्त उत्पादों का प्रयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं। ऐसे उद्योगों में भोजन प्रसंस्करण उद्योग, चीनी उद्योग, सूती व रेशमी वस्त्र उद्योग, जूट, चाय, कॉफी तथा रबड़ उद्योग सम्मिलित हैं।

(ii) खनिज आधारित उद्योग:इस वर्ग में वे उद्योग सम्मिलित हैं जो कच्चे माल के रूप में खनिजों का प्रयोग करते हैं। इनमें से कुछ उद्योग लौह अंश वाले धात्विक खनिजों का उपयोग करते हैं जैसे - लौह - इस्पात उद्योग। जबकि कुछ उद्योग अलौह धात्विक खनिजों का प्रयोग करते हैं; जैसे - ताँबा, एल्यूमिनियम एवं रत्न-आभूषण उद्योग। दूसरी ओर कुछ उद्योग ऐसे होते हैं जो कच्चे माल के रूप में अधात्विक खनिजों का उपयोग करते हैं; जैसे - सीमेण्ट व चीनी मिट्टी के बर्तनों का उद्योग।

(iii) रसायन आधारित उद्योग: इस वर्ग के उद्योग कच्चे माल के रूप में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं। पेट्रो-रसायन उद्योग, नमक उद्योगे, गन्धक उद्योग, पोटाश उद्योग, प्लास्टिक उद्योग तथा कृत्रिम रेशे बनाने का उद्योग इस वर्ग के प्रमुख रसायन आधारित उद्योग हैं।

(iv) वनों पर आधारित उद्योग: इस वर्ग के उद्योग वनों से प्राप्त अनेक मुख्य व गौण उत्पादों का उपयोग अपने कच्चे माल के रूप में करते हैं। फर्नीचर उद्योग, कागज उद्योग तथा लाख उद्योग प्रमुख वन आधारित उद्योग हैं। फर्नीचर उद्योग के लिए इमारती लकड़ी, कागज उद्योग के लिए लकड़ी, बाँस व घास तथा लाख उद्योग के लिए लाख वनों से ही प्राप्त होती है।

(v) पशु आधारित उद्योग: पशुओं से प्राप्त चमड़ा तथा ऊन ऐसे महत्त्वपूर्ण पशु उत्पाद हैं जिनका उपयोग कच्चे माल के रूप में क्रमशः चमड़ा उद्योग तथा ऊनी वस्त्र उद्योग द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 5. 
लौह - इस्पात उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का विश्लेषण करते हुए विश्व में लौह - इस्पात उद्योग के वितरण प्रतिरूप की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक उद्योगों में लौह - इस्पात आधारभूत उद्योग है। लौह - इस्पात का निर्माण मानव की वर्तमान आधुनिक सभ्यता का मुख्य आधार है। मानव के अधिकांश आर्थिक क्रियाकलापों में लौह - इस्पात का सर्वाधिक उपयोग किया जा रहा है। यह उद्योग आधारभूत इसलिए भी है क्योंकि यह अन्य उद्योगों (जैसे - मशीनें, औजार आदि) को कच्चा माल प्रदान करता है। लौह - इस्पात उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक - लौह इस्पात निर्माण के लिए लौह अयस्क को वात भट्टियों में कार्बन कोक (कोयला) एवं चूना पत्थर के साथ पिघलाया जाता है। पिघला हुआ लोहा जब बाहर निकलकर ठण्डा हो जाता है तो उसमें मैंगनीज मिलाकर इस्पात का निर्माण कर लिया जाता है।

लौह - इस्पात उद्योग की अवस्थिति / स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित तीन कारक महत्त्वपूर्ण हैं:

  1. कोकिंग कोयले के उत्पादक क्षेत्रों का समीप होना। 
  2. लौह - अयस्क के उत्पादक क्षेत्रों का समीप होना। 
  3. लौह - इस्पात उद्योग के उत्पादों के लिये बाजार-क्षेत्र की समीपता।

वस्तुतः लौह - इस्पात उद्योगों की स्थिति पर लौह अयस्क एवं कोकिंग कोयले के स्रोत सर्वाधिक प्रभाव डालते हैं। चूँकि उक्त दोनों कच्चे माल भारी पदार्थ हैं अतः इनका अधिक दूरी तक परिवहन इन कच्चे मालों के मूल्यों में वृद्धि करता है। फलतः लौह अयस्क तथा कोयले का अधिक दूरी तथा परिवहन लौह - इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के लिये लाभप्रद नहीं रहता। यही कारण है कि विश्व में अधिकांश लौह - इस्पात उद्योग कोयले अथवा लौह अयस्क खानों की समीपता को ध्यान में रखकर स्थापित किये जाते हैं। लेकिन कभी - कभी यह उद्योग ऐसे स्थानों पर भी स्थापित किए जा सकते हैं जहाँ सभी कच्चे माल आसानी से पहुँचाए जा सकते हों जैसे-पत्तनों (बंदरगाहों) के समीप।

दूसरी ओर लघु स्तर के लौह: इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण को कच्चे माल की तुलना में बाजार की समीपता अधिक प्रभावित करती है क्योंकि वहाँ कच्चे माल के रूप में रद्दी धातु (लौह छीलन) की उपलब्धता सुगमता से हो जाती है।

विश्व में लौह: इस्पात का वितरण: उत्तरी अमेरिका यूरोप एवं एशिया महाद्वीप के विकसित देशों में लौह-इस्पात उद्योग का संकेन्द्रण प्रमुख रूप से मिलता है। विश्व में लौह - इस्पात उद्योग के प्रमुख केन्द्रों का विवरण निम्नवत् है
(1) संयुक्त राज्य अमेरिकालौह-इस्पात उद्योग के प्रमुख क्षेत्र व केन्द्र:

  • उत्तरी अप्लेशियन प्रदेश में पिट्सबर्ग। 
  • महान झील क्षेत्र में शिकागो, गैरी, इरी, क्लीवलैण्ड, लोरेन, बफैलो एवं ड्यूलुथ। 
  • अटलांटिक तट पर स्पैरोज पॉइंट एवं मोरिसविले। 
  • अलाबामा राज्य में अलाबामा। 

(2) ग्रेट ब्रिटेन के प्रमुख केन्द्र: बर्मिंघम व शैफील्ड। 

(3) जर्मनी-प्रमुख केन्द्र: डेट्राइट, डोरटमुंड, डूसूलडोरफ एवं ऐसेन। 

(4) फ्रांस: प्रमुख केन्द्र: ली क्रीयुसोट एवं सेंट इटीनी। 

(5) सोवियत रूस-प्रमुख केन्द्र: मास्को, सेंट पीट्सबर्ग, लीपेटस्क एवं तुला। 

(6) यूक्रेन-प्रमुख केन्द्र: क्रिबाईरॉग एवं दोनेत्सक। 

(7) जापान-प्रमुख केन्द्र: नागासाकी, टोक्यो एवं याकोहामा। 

(8) चीन - प्रमुख केन्द्र: शंघाई, तियनस्तिन एवं वूहान।

(9) भारत - प्रमुख केन्द्र: जमशेदपुर, कुल्टी-बर्नपुर, दुर्गापुर, राउरकेला, भिलाई, सलेम, विशाखापटट्नम एवं भद्रावती।

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 6. 
सूती वस्त्र निर्माण के स्तर एवं विश्व वितरण का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
सूती वस्त्र उद्योग का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग सूती वस्त्र उद्योग एक प्राचीन उद्योग है। इस उद्योग में तीन उपक्षेत्र हैं जिन्हें सूती वस्त्र निर्माण के स्तर भी कहते हैं
(i) हथकरघा क्षेत्र: यह श्रम पर आधारित उपक्षेत्र है। इसमें कुशल व अर्द्धकुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। यह क्षेत्र बहुत बड़ी मात्रा में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराता है। इसमें कम पूँजी की भी आवश्यकता होती है। इसकी रोजगार उपलब्ध कराने की क्षमता एवं कम पूँजी निवेश के कारण ही महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में खादी के उपयोग पर बल दिया था। इस क्षेत्र के अन्तर्गत सूत की कताई एवं वस्त्रों की बुनाई आदि कार्य किये जाते हैं। 

(ii) शक्तिचालित करघा क्षेत्: इसमें कपड़ा बनाने का कार्य बिजली से संचालित करघों के माध्यम से होता है। अतः इसमें कम श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। इस क्षेत्र में उत्पादकता अधिक होती है।

(iii) कारखाना क्षेत्र: यह बड़ी इकाइयों वाला उपक्षेत्र है। इसमें वस्तु निर्माण का कार्य बड़े-बड़े कारखानों में किया जाता है। इसमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत उत्तम किस्म के वस्त्रों का बड़ी मात्रा में निर्माण किया जाता है। सूती वस्त्र उद्योग का विश्व वितरण-सूती वस्त्र निर्माण के लिए उत्तम किस्म की कपास की पर्याप्त आवश्यकता होती है। विश्व की लगभग 50 प्रतिशत से अधिक कपास का उत्पादन छः देशों - भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान व मिस्र में किया जाता है। अतः इन देशों में सूती वस्त्र उद्योग का अधिक विकास हुआ है।

ग्रेट ब्रिटेन एवं उत्तरी: पश्चिमी यूरोप के अन्य देशों एवं जापान में आयातित कपास पर आधारित सूती वस्त्र उद्योग का विकास किया गया है। अकेला यूरोप विश्व की लगभग आधी कपास का आयात करता है। वर्तमान समय में सूती वस्त्र उद्योग को कृत्रिम रेशे से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है जिसके कारण अनेक देशों में इस उद्योग में गिरावट देखी जा रही है। श्रम की लागत, वैज्ञानिक प्रगति एवं तकनीकी सुधारों से भी इस उद्योग पर बहुत प्रभाव पड़ता है। उदाहरणतया द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर सत्तर के दशक तक जर्मनी ने सूती वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में आशातीत प्रगति की लेकिन वर्तमान में इसके उत्पादन में कमी आ रही है। वर्तमान में सूती वस्त्र उद्योग उन कम विकसित देशों में स्थानान्तरित हो रहा है जहाँ श्रम लागत कम है।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अध्याय से पूछे गये प्रश्न:

प्रश्न 1. 
सूची - I (नगर) को सूची - II (प्रमुख उद्योग) से सुमेलित कीजिए व दिए गए कूटों में से सही उत्तर चुनिए

सूची-।

सूची-॥ 

(i). लोहा एवं इस्पात

a. डेट्रायट

(ii). ऑटोमोबाइल

b. पिट्सबर्ग

(iii). पोत निर्माण

c. हैम्बर्ग (जर्मनी)  

(iv). सूती वस्त्र 

d. ओसाका (जापान)  

कूट a b c d 
(अ) (ii) (i) (iii) (iv) 
(ब) (ii) (i) (iv) (iii)
(स) (i) (ii) (iii) (iv)
(द) (i) (iii) (ii) (iv) 
उत्तर:
(अ) (ii) (i) (iii) (iv) 

प्रश्न 2. 
जापान का निम्न में से कौन सा औद्योगिक प्रदेश कार उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
(अ) किंकी मैदान
(ब) क्योटो 
(स) क्वांटो
(द) नागोया 
उत्तर:
(स) क्वांटो 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 3. 
लंकाशायर सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति के निम्नलिखित अनुकूल कारक है।
(a) नम जलवायु व मीठा जल 
(b) बैंकिग व वित्त सेवाएँ 
(c) पर्याप्त मात्रा में कोयले की उपलब्धता 
(d) अटलांटिक व्यापारिक क्षेत्र में लिवरपुल की स्थिति निम्न में से सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
(अ) a, b व d
(ब) a, b व c 
(स) a, c वd
(द) केवल b व c 
उत्तर:
(स) a, c व d। 

प्रश्न 4. 
कैलिफोर्निया के सिलिकान वैली की उच्च तकनीकी फर्मों की अवस्थिति में निम्न में से कौन सा कारक सर्वाधिक प्रभावपूर्ण है?
(अ) सस्ता श्रम
(ब) बाजार तक पहुँच 
(स) तीव्र गति परिवहन
(द) समूहन अर्थव्यवस्था 
उत्तर:
(द) समूहन अर्थव्यवस्था। 

प्रश्न 5. 
परिवहन लागत की वस्त्र उद्योग के स्थान निर्धारण में कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं होती है क्योंकि
(अ) कपास का भार घटता है। 
(ब) कपास का भार बढ़ता है। 
(स) कपास एक शुद्ध सामग्री है जिसका वजन उससे तैयार उत्पाद के करीब-करीब समान होता है। 
(द) विनिर्माण के दौरान कपास के वजन में अधिक कमी आती है।
उत्तर:
(स) कपास एक शुद्ध सामग्री है जिसका वजन उससे तैयार उत्पाद के करीब - करीब समान होता है। 

प्रश्न 6. 
निम्न में से किस पेशे को द्वितीयक कार्यकलाप के रूप में वर्गीकृत किया जाता है? 
(अ) बढ़ई
(ब) कोयला खनिक 
(स) स्कूल शिक्षक
(द) किसान 
उत्तर:
(अ) बढ़ई। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 7. 
आर्थिक दृष्टि से जापान का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश है
(अ) नागोया
(ब) क्वान्टो 
(स) उत्तरी क्यूशू
(द) कोबे - ओसाका - क्योटो। 
उत्तर:
(ब) क्वान्टों 

प्रश्न 8. 
सूची I को सूची II से सुमोलित कीजिए व सही उत्तर का चयन नीचे दिए कोड से कीजिए:

सूची-।(औद्योगिक प्रदेश)

सूची- II (देश) 

(i). मिडलैण्ड प्रदेश

a. जापान 

(ii). पिट्सबर्ग

b. फ्रांस 

(iii). नागोया प्रदेश

c. ग्रेट ब्रिटेन 

(iv). रोन घाटी

d. संयुक्त राज्य अमेरिका

कूट   a  b  c  d 
(अ) (iii) (iv) (i) (ii) 
(ब) (ii) (iii) (iv) (i) 
(स) (iii) (i) (i) (iv) 
(द) (iv) (iii) (ii) (i)
उत्तर:
(अ) (iii) (iv) (i) (ii) 

प्रश्न 9. 
फ्रांस का तोलूज औद्योगिक प्रदेश किस उद्योग के लिए प्रसिद्ध है:
(अ) लौह - इस्पात 
(ब) मोटर वाहन 
(स) सूती वस्त्र 
(द) विमान
उत्तर:
(द) विमान 

प्रश्न 10. 
जापान विश्व का अग्रणी औद्योगिक राष्ट्र बन गया है क्योंकि:
(अ) उसके पास उच्च तकनीकी क्षमता है। 
(ब) वहाँ औद्योगिक क्रांति का प्रारम्भ हुआ। 
(स) उसके पास जैव ईंधन का बाहुल्य है। 
(द) उसके पास प्रचुर मात्रा में खनिज संसाधन है।
उत्तर:
(अ) उसके पास उच्च तकनीकी क्षमता है। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 11. 
निम्न में से कौन सा सही सुमेलित नहीं है?
(अ) न्यू इंग्लैण्ड औद्योगिक प्रदेश - संयुक्त राज्य अमेरिका 
(ब) राइन औद्योगिक प्रदेश - फ्रांस 
(स) यार्कशायर औद्योगिक प्रदेश - ग्रेट ब्रिटेन 
(द) नगोया औद्योगिक प्रदेश - जापान
उत्तर:
(ब) राइन औद्योगिक प्रदेश - फ्रांस 

प्रश्न 12. 
ब्लैक कन्ट्री के नाम से विख्यात औद्योगिक प्रदेश है।
(अ) मिडलैण्ड
(ब) शिकागो - गैरी 
(स) टोकियो याकोहामा
(द) रूर 
उत्तर:
(अ) मिडलैण्ड। 

प्रश्न 13. 
निम्न में से किसे स्वच्छन्द उद्योग के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है? 
(अ) सीमेण्ट उद्योग को।
(ब) जहाज निर्माण उद्योग को 
(स) इलैक्ट्रोनिक उद्योग को
(द) सूती वस्त्र उद्योग को। 
उत्तर:
(स) इलैक्ट्रोनिक उद्योग को। 

प्रश्न 14. 
सूती वस्त्र उद्योग स्थापित करने के लिए निम्न में से कौन सा तत्व अधिक आदर्श तत्व है?
(अ) बाजार से निकटता
(ब) कच्चे माल की समीप उपलब्धता 
(स) जल संसाधन की उपलब्धता
(द) परिवहन नेटवर्क। 
उत्तर:
(ब) कच्चे माल की समीप उपलब्धता। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 15. 
निम्न में से कौन सूती वस्त्र उद्योग का अग्रणी क्षेत्र है? 
(अ) सार बेसिन 
(ब) लंकाशायर क्षेत्र 
(स) दामोदर घाटी प्रदेश 
(द) मिशीगन क्षेत्र। 
उत्तर:
(ब) लंकाशायर क्षेत्र।

Prasanna
Last Updated on Dec. 30, 2023, 10:18 a.m.
Published Dec. 29, 2023