These comprehensive RBSE Class 12 Economics Notes Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Economics Chapter 1 Notes व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय
→ सामान्य अर्थव्यवस्था:
- समाज में लोगों को जीवन यापन के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं की आवश्यकता होती है। सामान्यतः एक व्यक्ति की सभी आवश्यकताएँ पूरी नहीं होती हैं।
- प्रत्येक व्यक्ति जितनी वस्तुओं या सेवाओं का उपभोग करना चाहता है उनमें से कुछ ही उसे उपलब्ध हो पाती हैं। समाज में लोग विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करते हैं तथा इस उत्पादन का एक अंश वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में करते हैं।
- हर व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग कर सकता है, किन्तु लोगों की आवश्यकताएँ अधिक होती हैं तथा उनकी पूर्ति के लिए उसके पास संसाधन सीमित होते हैं। अतः लोग वस्तुओं एवं सेवाओं में से कुछ का चयन करने को बाध्य हो जाते हैं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सीमित संसाधनों का उत्कृष्ट प्रयोग करना पड़ता है।
→ समाज का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी वस्तु या सेवा का उत्पादन करता है। किसी भी अर्थव्यवस्था में लोगों की सामूहिक आवश्यकताओं तथा उनके द्वारा किए गए उत्पादन के बीच सुसंगतता होनी चाहिए। यदि किसी वस्तु या सेवा की पूर्ति माँग की तुलना में कम है तो दूसरी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए उपयोग में लाए जा रहे संसाधनों का पुनः विनिधान उस वस्तु के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। समाज के सामने सीमित संसाधनों का विनिधान तथा अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं का वितरण मूलभूत आर्थिक समस्याएँ हैं।

→ अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ-प्रत्येक समाज़ को उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग जैसी आधारभूत आर्थिक क्रियाओं में संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है, जिस कारण चयन की समस्या का जन्म होता है। अर्थव्यवस्था की प्रमुख केन्द्रीय समस्याएँ निम्न प्रकार हैं
- किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में?
- इन वस्तुओं का उत्पादन कैसे करते हैं?
- इन वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाए?
→ उपलब्ध संसाधनों की कुल मात्रा के परिप्रेक्ष्य में उन संसाधनों का विभिन्न रूपों में विनिधान संभव है और उससे सभी संभावित वस्तुओं तथा सेवाओं के विभिन्न मिश्रणों को प्राप्त किया जा सकता है। उपलब्ध संसाधनों की मात्रा तथा उपलब्ध प्रौद्योगिक ज्ञान के द्वारा उत्पादित की जा सकने वाली सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के सभी संभावित संयोगों के समूह को अर्थव्यवस्था का उत्पादन संभावना सेट कहते हैं तथा इनसे निर्मित वक्र को सीमान्त उत्पादन संभावना कहते हैं। प्रत्येक अर्थव्यवस्था को अपने पास उपलब्ध अनेक संभावनाओं में से किसी एक का चयन करना पड़ता है।
→ आर्थिक क्रियाकलापों का आयोजन-अर्थव्यवस्था की आधारभूत समस्याओं का निम्न तरीकों से समाधान किया जा सकता है
- केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था-केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग से सम्बद्ध सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय किए | जाते हैं।
- बाजार अर्थव्यवस्था-केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के विपरीत बाजार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण बाजार की स्थितियों के अनुसार होता है। बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग सम्बन्धी निर्णय बाजार शक्तियों अर्थात् माँग एवं पूर्ति की शक्तियों के द्वारा होता है। बाजार अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं के समाधान हेतु कीमत के माध्यम से विभिन्न आर्थिक क्रियाकलापों में समन्वय होता है।
→ इन दोनों अर्थव्यवस्थाओं के अतिरिक्त मिश्रित अर्थव्यवस्थाओं में महत्त्वपूर्ण निर्णय सरकार द्वारा लिए जाते हैं तथा आर्थिक क्रियाकलाप प्रायः बाजार द्वारा ही किए जाते हैं।
सकारात्मक तथा आदर्शक अर्थशास्त्र-अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं को सुलझाने हेतु अनेक विधियाँ हैं, किन्तु कौनसी विधि किसी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अच्छी है, इसका पता लगाने हेतु इन कार्यविधियों का तथा इनके परिणामों का विश्लेषण करना पड़ता है। ये दो प्रकार का हो सकता है
- सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण-सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के अन्तर्गत हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न क्रियाविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं।
- आदर्शक आर्थिक विश्लेषण-आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि ये क्रियाविधियाँ अर्थव्यवस्था के अनुकूल भी हैं या नहीं।

→ व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र-अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु का अध्ययन निम्न दो व्यापक शाखाओं के अन्तर्गत किया जाता रहा है
- व्यष्टि अर्थशास्त्र-व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत हम बाजार में उपलब्ध विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न आर्थिक अभिकर्ताओं के व्यवहार का अध्ययन करके यह जानने का प्रयास करते हैं कि इन बाजारों में व्यक्तियों की अंत:क्रिया द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की मात्राएँ और कीमतें किस प्रकार निर्धारित होती हैं।
- समष्टि अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत हम कुल निर्गत, रोजगार तथा समग्र कीमत स्तर आदि समग्र उपायों पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हुए पूरी अर्थव्यवस्था को समझने का प्रयास करते हैं। समष्टि अर्थशास्त्र में हम अर्थव्यवस्था के कार्य निष्पादन की समग्र अथवा समष्टिगत उपायों के व्यवहार का अध्ययन करने का प्रयास करते हैं।