Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 4 आय और रोजगार के निर्धारण Important Questions and Answers.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Economics in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Economics Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Economics Notes to understand and remember the concepts easily.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात करने का सही सूत्र है।
(अ) mpc = 1 +mps
(ब) mpc = 1 - mps
(स) mpc = 2+ mps
(द) mpc = 2 - mps
उत्तर:
(द) mpc = 2 - mps
प्रश्न 2.
निम्न समीकरणों में से कौनसा समीकरण सही है।
(अ) mpc + mps = 1
(ब) mpc - mps = 1
(स) mpc x mps = 1
(द) mpc + mps = 1
उत्तर:
(ब) mpc - mps = 1
प्रश्न 3.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य क्या होगा यदि सीमान्त बचत प्रवृत्ति का माप 0.5 है।
(अ) 0.4
(ब) 0.5
(स) 0.6
(द) 0.7
उत्तर:
(अ) 0.4
प्रश्न 4.
अर्थव्यवस्था उस समय सन्तुलन की अवस्था में होती है, जब।
(अ) कुल माँग कुल पूर्ति के बराबर होती है
(ब) कुल माँग कुल पूर्ति से अधिक होती है
(स) कुल माँग कुल पूर्ति से कम होती है,
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 5.
एक अर्थव्यवस्था में लोग सम्पूर्ण रूप से अर्थव्यवस्था की कुल अतिरिक्त आय का जितना अंश बचाना चाहते हैं, उसे क्या कहा जाता है?
(अ) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति
(ब) सीमान्त बचत प्रवृत्ति
(स) सीमान्त उत्पादन प्रवृत्ति
(द) सीमान्त निवेश प्रवृत्ति
उत्तर:
(स) सीमान्त उत्पादन प्रवृत्ति
प्रश्न 6.
समीकरण C = C+c.Y में C क्या दर्शाता है।
(अ) निवेश का स्तर
(ब) उपभोग का जीवन निर्वाह स्तर
(स) बचत का न्यूनतम स्तर
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) उपभोग का जीवन निर्वाह स्तर
प्रश्न 7.
जब अर्थव्यवस्था में मांग पूर्ति की तुलना में अधिक होती है, तो इस अवस्था को कहा जाता है।
(अ) अधिमांग
(ब) अधिपूर्ति
(स) अधिउत्पाद
(द) अधिनिवेश
उत्तर:
(ब) अधिपूर्ति
प्रश्न 8.
जब अर्थव्यवस्था में पूर्ति माँग की तुलना में अधिक होती है, तो ऐसी अवस्था को कहा जाता है।
(अ) अधिपूर्ति
(ब) अधिमांग
(स) अधिउपभोग
(द) अधिनिर्गत
उत्तर:
(अ) अधिपूर्ति
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
'सेटेरिस पारिबस' की मान्यता का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सेटेरिस पारिबस की मान्यता का तात्पर्य अन्य बातें समान रहने की मान्यता से है।
प्रश्न 2.
यथार्थ माप को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में दिए हुए वर्ष में विभिन्न मदों के वास्तविक मूल्य को यथार्थ माप कहते हैं।
प्रश्न 3.
विनियोग का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक वर्ष की अवधि में उत्पादन हेतु किए जाने वाले व्यय को विनियोग कहते हैं।
प्रश्न 4.
प्रत्याशित माप से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विभिन्न परिवर्तों जैसे-उपभोग, निवेश, निर्गत आदि के नियोजित मूल्य को प्रत्याशित माप कहते
प्रश्न 5.
एक खुली अर्थव्यवस्था में समग्र मांग के क्या घटक होंगे?
उत्तर:
खुली अर्थव्यवस्था में समग्र माँग = कुल उपभोग + कुल निवेश + निर्यात - आयात।
प्रश्न 6.
यदि M.P.C. (सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति) का मान 0.6 हो तो गुणक का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
गुणक \(=\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}=\frac{1}{1-0.6}=\frac{1}{0.4}=2.5\)
प्रश्न 7.
जब सीमान्त बचत प्रवृत्ति शून्य हो तो सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य क्या होगा?
उत्तर:
MPC = 1 - MPS
= 1 - 0
MPC = 1
प्रश्न 8.
किसी अर्थव्यवस्था में घरेलू उपभोग माँग के स्तर को क्या निर्धारित करता है?
उत्तर:
घरेलू उपभोग माँग परिवार क्षेत्र की आय द्वारा निर्धारित होती है।
प्रश्न 9.
माँग आधिक्य से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जब अर्थव्यवस्था में समन माँग, समग्न पूर्ति से अधिक होती है।
प्रश्न 10.
बचत क्या है?
उत्तर:
आय का वह भाग जो उपभोग के पश्चात् शेष बचता है।
प्रश्न 11.
प्रभावपूर्ण माँग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कुल माँग का वह स्तर जहाँ कुल माँग एवं कुल पूर्ति बराबर हों।
प्रश्न 12.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) एवं सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) में सम्बन्ध बताइये। '
उत्तर:
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) + सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) =1
MPC = 1 - MPS
MPS = 1 - MPC
प्रश्न 13.
क्या अर्थव्यवस्था में AD = AS अथवा S= 1 होने पर पूर्ण रोजगार की स्थिति होती है?
उत्तर:
यह आवश्यक नहीं कि AD = AS अथवा S= 1 पर पूर्ण रोजगार हो।
प्रश्न 14.
यदि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य . 0.8 है तो गुणक मूल्य की गणना करें।
उत्तर:
गुणक \(=\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}=\frac{1}{1-0.8}=\frac{1}{0.2}=5\)
प्रश्न 15.
यदि सीमान्त बचत प्रवृत्ति का मूल्य 0.25 है, गुणक मूल्य की गणना करें।
उत्तर:
गुणक = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}} \text { } \frac{1}{\mathrm{MPS}}=\frac{1}{0.25}=4\)
प्रश्न 16.
राष्ट्रीय आय का अध्ययन अर्थशास्त्र की जिस शाखा में किया जाता है, उसका नाम बताइए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 17.
कोई एक समस्या बताइए, जिसका अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र में किया जाता है।
उत्तर:
बेरोजगारी की समस्या।
प्रश्न 18.
किसी अर्थव्यवस्था में लोगों द्वारा सम्पूर्ण रूप से अर्थव्यवस्था की कुल अतिरिक्त आय का जो अंश अथवा अनुपात बचाया जाता है, उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:
सीमान्त बचत प्रवृत्ति।
प्रश्न 19.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का योग कितना होता है?
उत्तर:
सीमान्त बचत प्रवृत्ति + सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति = 1
प्रश्न 20.
कुल प्रत्याशित उपभोग व्यय तथा कुल प्रत्याशित निवेश व्यय के योग को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
प्रत्याशित समस्त मांग।
प्रश्न 21.
समीकरण Y = A + c.Y में A द्वारा क्या दर्शाया जाता है?
उत्तर:
कुल स्वायत्त व्यय।
प्रश्न 22.
जब माँग की मात्रा पूर्ति की मात्रा से अधिक होती है, तो ऐसी स्थिति को क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
अधिौग।
प्रश्न 23.
जब पूर्ति की मात्रा, माँग की मात्रा से अधिक होती है, तो ऐसी स्थिति को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
अधिपूर्ति।
प्रश्न 24.
समग्र पूर्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल उत्पादन को समग्र पूर्ति कहते हैं।
प्रश्न 25.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:
आय में परिवर्तन के कारण उपभोग में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 26.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति \(\text { }(\mathrm{MPC})=\frac{\Delta \mathrm{C}}{\Delta \mathrm{Y}}\)
प्रश्न 27.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:
आय में परिवर्तन के कारण बचत में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 28.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
सीमान्त बचत प्रवृत्ति = \(\frac{\Delta S}{\Delta Y}\)
प्रश्न 29.
औसत उपभोग प्रवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:
समग्न उपभोग और समग्न आय के अनुपात को औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 30.
औसत उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) = \(\frac{\mathrm{C}}{\mathrm{Y}}\)
प्रश्न 31.
औसत बचत प्रवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुल बचत तथा कुल आय के अनुपात को औसत बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 32.
औसत बचत प्रवृत्ति ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
औसत बचत प्रवृत्ति = \(\frac{S}{Y}\)
प्रश्न 33.
उपभोग फलन किसे कहते हैं?
उत्तर:
उपभोग तथा आय के बीच फलनात्मक सम्बन्ध को उपभोग फलन कहते हैं।
प्रश्न 34.
निवेश गुणक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
निवेश में वृद्धि के फलस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि के अनुपात को निवेश गुणक कहते हैं।
प्रश्न 35.
निवेश गुणक ज्ञात करने का सूत्र लिखिए। आय में परिवर्तन (AY)
उत्तर:
प्रश्न 36.
अधिमांग के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 37.
राजकोषीय नीति किसे कहते हैं?
उत्तर:
विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई नीति को राजकोषीय नीति कहते हैं।
प्रश्न 38,
कुल स्वायत्त व्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुल प्रत्याशित उपभोग व्यय तथा कुल प्रत्याशित निवेश व्यय के योग को कुल स्वायत्त व्यय कहते है।
प्रश्न 39.
माल सूची का अनभिप्रेत संचय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब गोदाम में अत्यधिक स्टॉक का संचय होता है, तो इसे माल सूची का अनभिप्रेत संचय कहते हैं।
प्रश्न 40.
निवेश प्रेरणा को प्रभावित करने वाले कोई दो तत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 41.
एक अर्थव्यवस्था सन्तुलन की अवस्था में कब होती है?
उत्तर:
जब समस्त माँग एवं समस्त पूर्ति बराबर होती है।
प्रश्न 42.
यदि अर्थव्यवस्था में समग्र माँग, समग्र पूर्ति से अधिक है, तो आय तथा रोजगार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
समग्र माँग के अधिक होने पर आय एवं रोजगार में वृद्धि होगी।
प्रश्न 43.
मंदी की अवस्था से आप क्या समझते
उत्तर:
मंदी वह अवस्था है जिसमें कीमतें, उत्पादन तथा रोजगार में गिरावट आती है?
प्रश्न 44.
यदि अर्थव्यवस्था में अतिरेक मांग है तो सरकार कैसा बजट बनाती है?
उत्तर:
अतिरेक माँग की स्थिति में सरकार बचत का बजट बनाती है।
प्रश्न 45.
जब अर्थव्यवस्था में अतिरेक माँग की स्थिति होती है, तो सरकार कैसी कर नीति अपनाती है?
उत्तर:
अतिरेक मांग की स्थिति में सरकार कर की दरों में वृद्धि करती है तथा नए कर लगाती है।
प्रश्न 46.
यदि अर्थव्यवस्था में अल्प मांग की स्थिति रहती है तो सरकार कैसा बजट बनाती है?
उत्तर:
अल्प मांग की अवस्था में सरकार घाटे का बजट बनाती है।
प्रश्न 47.
उपभोग मांग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उपभोग मांग से अभिप्राय उपभोक्ताओं द्वारा मांगी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की मांग से है।
प्रश्न 48.
यदि सीमान्त बचत प्रवृत्ति 0.4 है तो गुणक का मूल्य क्या होगा?
उत्तर:
= \(\frac{1}{0.4}\) = 2.5
प्रश्न 49.
यदि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है तो गुणक के मूल्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
गुणक \(=\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}=\frac{1}{1-0.75}\)
\(=\frac{1}{0.25}\) = 4
प्रश्न 50.
समग्र माँग तथा कीमत स्तर में किस प्रकार का सम्बन्ध पाया जाता है?
उत्तर:
समन माँग तथा कीमत स्तर में विपरीत सम्बन्ध पाया जाता है।
प्रश्न 51.
उपभोग व्यय को प्रभावित करने वाले कोई दो तत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 52.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की वृद्धि का उत्पादन स्तर तथा आय के स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति बढ़ने से उत्पादन तथा आय के स्तर में वृद्धि होती है।
प्रश्न 53.
औसत उपभोग प्रवृत्ति तथा औसत बचत प्रवृत्ति का योग कितना होता है? .
उत्तर:
औसत उपभोग प्रवृत्ति तथा औसत बचत प्रवृत्ति का योग एक के बराबर होता है।।
प्रश्न 54.
यदि औसत बचत प्रवृत्ति 0.4 है तो औसत उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
औसत उपभोग प्रवृत्ति
= 1 - औसत बचत प्रवृत्ति
= 1 - 0.4
= 20.6
प्रश्न 55.
यदि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि होगी तो गुणक पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
यदि सीसान्त उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि होगी तो गुणक में भी वृद्धि होगी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
निवेश गुणक की प्रक्रिया को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
निवेश बढ़ने से लोगों की आय बढ़ती है जिससे माँग बढ़ती है, इससे उत्पादकों की आय बढ़ती है जिससे पुन: निवेश बढ़ता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है एवं आय में कई गुना वृद्धि होती है।
प्रश्न 2.
सरकार रहित अर्थव्यवस्था में अन्तिम वस्तु की कुल प्रत्याशित उपयोग व्यय 250 करोड़ रु. एवं कुल प्रत्याशित निवेश व्यय 100 करोड़ रु. है तो प्रत्याशित कुल माँग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अन्तिम वस्तु की प्रत्याशित कुल माँग = C + I
(यहाँ C =अन्तिम वस्तु की कुल प्रत्याशित उपयोग I = कुल प्रत्याशित निवेश है।)
प्रत्याशित कुल माँग = 250 + 100
= 350 करोड़ रुपये
प्रश्न 3.
निवेश किसे कहते हैं?
उत्तर:
निवेश को भौतिक पूँजी के स्टॉक में वृद्धि एवं उत्पादक की माल सूची में परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
प्रश्न 4.
प्रेरित निवेश किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रेरित निवेश वह निवेश होता है जो आय तथा व्यय की मात्रा पर निर्भर करता है। यदि आय तथा लाभ के बढ़ने की सम्भावना रहती है तो यह बढ़ता है।
प्रश्न 5.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
आय में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप बचत में होने वाले परिवर्तन को सीमान्त बचत प्रवृत्ति कहते हैं। इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है
सीमान्त बचत प्रवृत्ति = \(\frac{\Delta S}{\Delta Y}\)
प्रश्न 6.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
आय में परिवर्तन के कारण उपभोग में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात करेंगे
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति = \(\frac{\Delta \mathrm{C}}{\Delta \mathrm{Y}}\)
प्रश्न 7.
सामूहिक (या समग्र) पूर्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में सभी उत्पादकों अथवा सभी फर्मों द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल उत्पादन सामूहिक पूर्ति अथवा समग्र पूर्ति कहलाती है।
प्रश्न 8.
प्रयोजित बचत का अर्थ बताइए।
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में कोई व्यक्ति अपनी आय में से जितना भाग बचाना चाहता है, उसे हम प्रयोजित बचत कहते हैं।
प्रश्न 9.
पूँजी की सीमान्त कुशलता (क्षमता) को बताइए।
उत्तर:
किसी पूँजी पदार्थ की एक अतिरिक्त इकाई में निवेश करने से जो लाभ की दर प्राप्त होने की आशा होती है,
प्रश्न 10.
औसत बचत प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कुल बचत तथा कुल आय के अनुपात को औसत बचत प्रवृत्ति कहते हैं। इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है।
औसत बचत प्रवृत्ति \(=\frac{\mathrm{S}}{\mathrm{Y}}\)
प्रश्न 11.
औसत उपभोग प्रवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुल उपभोग और कुल आय के अनुपात को औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है
औसत उपभोग प्रवृत्ति = \(\frac{C}{Y}\)
प्रश्न 12.
पूर्ण रोजगार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पूर्ण रोजगार अर्थव्यवस्था की वह स्थिति है जिसमें मजदूरी की वर्तमान दर पर जितने लोग काम करना चाहते हैं, उन्हें पूरा रोजगार प्राप्त हो जाए।
प्रश्न 13.
निर्गत गुणक किसे कहते हैं?
उत्तर:
अन्तिम वस्तुओं के निर्गत के सन्तुलन मूल्य में कुल वृद्धि और स्वायत्त व्यय में आरम्भिक वृद्धि के अनुपात को अर्थव्यवस्था का निर्गत गुणक कहते हैं।
प्रश्न 14.
वास्तविक बचत से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में किसी विशेष आय के स्तर पर उपभोग के पश्चात् आय का जो भाग बचता है, उसे वास्तविक बचत कहते हैं।
प्रश्न 15.
उपभोग प्रवृत्ति की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 16.
आय, बचत को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर:
आय एवं बचत में सकारात्मक सम्बन्ध है। आय बढ़ने पर बचत में वृद्धि होती है तथा आय के कम होने पर बचत की मात्रा भी कम होती है।
प्रश्न 17.
कीन्स के अनुसार आय तथा रोजगार का स्तर किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
कीन्स के अनुसार किसी विशेष समय अवधि में किसी देश में आय तथा रोजगार का स्तर प्रभावपूर्ण माँग पर निर्भर करता है।
प्रश्न 18.
कीन्स के अनुसार पूर्ण रोजगार के लक्ष्य को किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
माँग अर्थात् निवेश को बढ़ाकर पूर्ण रोजगार के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 19.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 20.
कीन्स का उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम क्या है?
उत्तर:
इस नियम के अनुसार जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोक्ता का उपभोग अवश्य बढ़ता है; किन्तु वह उतना नहीं बढ़ता जितनी आय में वृद्धि होती है।
प्रश्न 21.
प्रेरित निवेश किन तत्त्वों से प्रभावित होता है?
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में प्रेरित विनियोग आय के स्तर, आय के परिवर्तनों, उपभोग प्रवृत्ति, अचल पूँजी के स्टॉक आदि तत्वों द्वारा प्रभावित होता है।
प्रश्न 22.
पैरामेट्रिक शिफ्ट से आप क्या समझते
उत्तर:
b = ma + b के रूप में सरल रेखीय समीकरण को दर्शाने वाले एक आरेख में यदि m के मूल्य में परिवर्तन होता है तो आरेख में स्थित सरल रेखा ऊपर या नीचे की ओर शिफ्ट हो जाती है, इसे रेखा का पैरामेट्रिक शिफ्ट कहा जाता है।
प्रश्न 23.
निवेश का अर्थ उदाहरण सहित समझाइए। उत्पादक के निवेश सम्बन्धी निर्णय का निर्धारक कारक क्या है ?
उत्तर:
निवेश को भौतिक पूँजी स्टॉक जैसे मशीन, भवन, सड़क आदि (अर्थात् ऐसी कोई भी वस्तु जिससे भविष्य में अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़े) में वृद्धि और उत्पादक की माल सूची (तैयार माल का स्टॉक) में परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया जाता है। उत्पादकों का निवेश सम्बन्धी निर्णय ब्याज की बाजार दर पर निर्भर करता है।
प्रश्न 24.
मितव्ययता का विरोधाभास स्पष्ट कीजिए एवं रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
मितव्ययता के विरोधाभास के अनुसार बचत एक व्यक्ति के लिए उचित है किन्तु यदि अर्थव्यवस्था के सभी लोग बचत करें तो यह अर्थव्यवस्था के लिए घातक होगा। इसे निम्न रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं
चित्रानुसार सभी लोगों द्वारा बचत करने पर समस्त माँग (AD) में कमी आएगी तथा अर्थव्यवस्था में संतुलन E, से E,हो जाएगा जहाँ समस्त माँग एवं आय दोनों में कमी हो जाएगी।
प्रश्न 25.
उपभोग की सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPC) एवं बचत की सीमान्त प्रवृत्ति (MPS) के बीच सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
अथवा
के सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उपभोग की सीमान्त बचत (MPC) तथा बचत की सीमान्त प्रवृत्ति (MPS) दोनों का योग 1 के बराबर होता है। MPC तथा MPS के सम्बन्ध को निम्न समीकरणों से स्पष्ट कर सकते हैं।
MPC + MPS = 1
MPC = 1 - MPS
MPS = 1 - MPC
प्रश्न 26.
सीमान्त बचत की प्रवृत्ति की व्याख्या रेखाचित्र के सहारे कीजिये।
उत्तर:
कुल बचत में परिवर्तन तथा आय में होने वाले परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त बचत प्रवृत्ति कहते हैं। इसे निम्न रेखाचित्र से स्पष्ट कर सकते हैं।
चित्र में SS बचत वक्र है तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति की गणना निम्न सूत्र द्वारा की जा सकती है।
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) = \(\frac{\Delta S}{\Delta Y}\)
यहाँ ∆S = बचत में परिवर्तन एवं
∆Y = आय में परिवर्तन है।
प्रश्न 27.
गुणक निवेश क्या है? सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति एवं गुणक निवेश में सम्बन्ध का वर्णन करें।
उत्तर:
गुणक निवेश अथवा निवेश गुणकनिवेश में वृद्धि के फलस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि के अनुपात को गुणक निवेश कहते हैं, इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात कर सकते हैं।
निवेश गुणक = \(\frac{\Delta Y}{\Delta I}\)
निवेश गुणक तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) में धनात्मक सम्बन्ध होता है। MPC के अधिक होने पर निवेश गुणक का मूल्य अधिक एवं MPC के कम होने पर निवेश गुणक का मूल्य कम होगा।
प्रश्न 28.
स्फीतिक अन्तराल की धारणा को स्पष्ट करो।
अथवा
एक रेखाचित्र की सहायता से स्फीतिक अन्तराल की व्याख्या करें।
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के स्तर के पश्चात् भी यदि समस्त माँग में वृद्धि होती है तो केवल कीमत में वृद्धि होती है तथा समस्त मांग के इस अन्तराल को स्फीतिक अन्तराल कहते हैं जिसे हम अग्र रेखाचित्र की सहायता से समझ सकते हैं
उपर्युक्त चित्र में \(\mathrm{Y}_{\mathrm{F}}\) पूर्ण रोजगार पर उत्पादन है। यह समस्त माँग AD1 से बढ़कर AD2 होने पर दोनों समस्त माँग वक्रों का अन्तराल (EA) स्फीतिक अन्तराल है।
प्रश्न 29.
गुणक निवेश का निम्नतम मूल्य क्या होता है एवं क्यों?
उत्तर:
गुणक निवेश का न्यूनतम मूल्य वहाँ होगा जहाँ पर सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति शून्य हो, सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ऋणात्मक नहीं हो सकती है, अतः शून्य MPC पर ही न्यूनतम निवेश गुणक होगा जहाँ इसका मूल्य 1 होगा। सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति शून्य होने पर निवेश के फलस्वरूप आय में वृद्धि नहीं होगी। इसे निम्न प्रकार ज्ञात करेंगे।
प्रश्न 30.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति एवं औसत बचत प्रवृत्ति के अर्थ बताओ। क्या औसत बचत प्रवृत्ति ऋणात्मक हो सकती है?
उत्तर:
आय में परिवर्तन के कारण बचत में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त बचत प्रवृत्ति कहा जाता है तथा कुल बचत एवं कुल आय के अनुपात को औसत बचत प्रवृत्ति कहा जाता है। चूंकि बचत ऋणात्मक भी हो सकती है इसी कारण औसत बचत प्रवृत्ति भी ऋणात्मक हो सकती है।
प्रश्न 31.
औसत उपभोग प्रवृत्ति एवं सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति में अन्तर बताइए। इन दोनों में से किसका मूल्य और कब इकाई से अधिक हो सकता है?
उत्तर:
कुल उपभोग और कुल आय के अनुपात को औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। आय में परिवर्तन के कारण उपभोग में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। जब उपभोग आय से अधिक हो जाये तो औसत उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य इकाई से अधिक हो सकता है।
प्रश्न 32.
एक अर्थव्यवस्था में न्यून माँग (अप्रभावी माँग) क्या है? इसका उत्पादन, रोजगार एवं कीमतों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
जब अर्थव्यवस्था में समस्त माँग (∆D), समस्त पूर्ति (∆S) से कम हो जाती है तो इसे न्यून माँग की स्थिति कहते हैं। जब अर्थव्यवस्था में समस्त माँग कम हो जाती है तो कीमतें कम हो जाती हैं तथा समस्त मांग कम होने से उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिसके फलस्वरूप रोजगार में कमी आएगी।
प्रश्न 33.
उत्पादन, रोजगार एवं कीमत पर अत्यधिक माँग के प्रभाव की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर:
जब अर्थव्यवस्था में समस्त माँग, समस्त पूर्ति से अधिक हो जाती है तो इसे अधिमांग की स्थिति कहते हैं। अर्थव्यवस्था में अधिमाँग होने के कारण कीमतों में भी वृद्धि होती है। अर्थव्यवस्था में मांग में वृद्धि होने से उत्पादकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिसके कारण उत्पादन व रोजगार में वृद्धि होगी।
प्रश्न 34.
सामूहिक माँग का क्या अर्थ है? सामूहिक माँग के कोई दो घटक बताइए।
उत्तर:
समस्त मांग अथवा सामूहिक माँग का तात्पर्य उस कुल व्यय से है जिसे एक देश के निवासी, वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदने में खर्च करने को तैयार हैं। सामूहिक माँग के दो प्रमुख घटक निम्न प्रकार हैं।
प्रश्न 35.
विस्फीतिक अन्तराल की धारणा की व्याख्या करें। उन दो उपायों की व्याख्या करें जिनके द्वारा केन्द्रीय बैंक इस अन्तराल को घटाने का प्रयास कर सकता है।
उत्तर:
पूर्ण रोजगार संतुलन की स्थिति को बनाए रखने के लिए जितनी समस्त मांग की आवश्यकता होती है, उससे कम समस्त माँग को विस्फीतिक अन्तराल कहा जाता है। अर्थव्यवस्था में समस्त मांग में वृद्धि हेतु केन्द्रीय बैंक द्वारा बैंक दर तथा आरक्षित अनुपातों में कमी की जाती है।
प्रश्न 36.
अत्यधिक माँग क्या है? अत्यधिक माँग को नियंत्रित करने के लिए किन्हीं दो राजकोषीय उपायों की व्याख्या करें।
उत्तर:
जब अर्थव्यवस्था में समस्त मांग, समस्त मुर्ति से अधिक होती है तो इसे अधिांग की स्थिति कहते हैं। अधिमांग की स्थिति को नियंत्रित करने हेतु राजकोषीय नीति के तहत सार्वजनिक व्यय में कमी की जाती है तथा करों में वृद्धि की जाती है।
प्रश्न 37.
निम्नलिखित तालिका को परा करें
आय का स्तर |
उपभोग बचत |
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति |
सीमान्त व्यय आय |
100 200 300 400 |
100 195 275 355 |
- - - - |
- - - - |
उत्तर:
आय का स्तर |
उपभोग बचत |
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति |
सीमान्त व्यय आय |
100 200 300 400 |
100 195 275 355 |
- 0.9 0.85 0.80 |
- 0.10 0.15 0.20 |
प्रश्न 38.
यदि प्रयोज्य आय 1000 करोड़ रु. और उपभोग व्यय 750 करोड़ रु. है, तब औसत बचत प्रवृत्ति का अनुमान लगाएँ।
उत्तर:
बचत = प्रयोज्य आय - उपभोग व्यय
= 1000 - 750 = 250 करोड़ रु.
= \(\frac{250}{1000}\) = 0.25
प्रश्न 39.
निवेश में 200 करोड़ रु. की वृद्धि से राष्ट्रीय आय में 1000 करोड़ रु. की वृद्धि होती है। सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
निवेश में वृद्धि (∆I) = 200 करोड़ रुपये
आय में वृद्धि (∆Y) = 1000 करोड़ रुपये
गुणक = \(\frac{\Delta Y}{\Delta I}=\frac{1000}{200}=5\)
गुणक = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}\)
5 = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}\)
1 - MPC = \(\frac{1}{5}\)
= 1 - MPC = 0.2
MPC = 1 - 0.2
MPC = 0.8
अतः सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति = 0.8
प्रश्न 40.
राष्ट्रीय आय में 1000 करोड़ रु. की वृद्धि की योजना है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निवेश में कितनी वृद्धि आवश्यक है? यह मानकर चलिए कि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.6 है। गणना कीजिए।
उत्तर:
सर्वप्रथम गुणक का मूल्य ज्ञात करेंगे
गुणक = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}\)
\(\frac{1}{1-0.6}\)
= \(\frac{1}{0.4}\) = 2.5
निवेश वृद्धि की मात्रा निम्न प्रकार ज्ञात करेंगे
गुणक = \(\frac{\Delta \mathrm{Y}}{\Delta \mathrm{I}}\)
2.5 = \(\frac{1000}{\Delta \mathrm{I}}\)
2.5 ∆I = 1000
∆I = 1000
∆I = 400
अतः राष्ट्रीय आय में 1000 करोड़ रु. की वृद्धि करने हेतु निवेश में 400 करोड़ की वृद्धि करनी होगी।
प्रश्न 41.
यथार्थ माप से आपका क्या अभिप्राय
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत जब एक दिए हुए वर्ष में उत्पादन गतिविधियों का माप किया जाता है तो उपभोग, निवेश, उत्पादन आदि का वास्तविक मूल्य प्राप्त होता है। इस वास्तविक अथवा लेखांकन मूल्य को ही यथार्थ माप कहते हैं।
प्रश्न 42.
प्रत्याशित माप किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी अर्थव्यवस्था में कोई आर्थिक क्रिया प्रारम्भ की जाती है तो इससे पूर्व उसके सम्बन्ध में अनुमान लगाया जाता है, इस अनुमानित माप को ही प्रत्याशित माप कहा जाता है।
प्रश्न 43.
समग्र मांग से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में समग्र मांग से अभिप्राय अर्थव्यवस्था में वस्तुओं तथा सेवाओं की कुल मांग है। इसमें अर्थव्यवस्था के कुल उपभोग व्यय तथा कुल निवेश व्यय का योग किया जाता है अर्थात्
समग्र माँग = कुल उपभोग व्यय + कुल निवेश व्यय
प्रश्न 44.
अनैच्छिक बेरोजगारी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अनैच्छिक बेरोजगारी का अभिप्राय अर्थव्यवस्था की ऐसी स्थिति से है जिसमें काम करने के इच्छुक तथा योग्य व्यक्ति जो प्रचलित दर पर काम करना चाहते हैं, किन्तु उन्हें काम नहीं मिलता। इस प्रकार की बेरोजगारी को अनैच्छिक बेरोजगारी कहते हैं क्योंकि यह रोजगार की खोज करने वाले लोगों की इच्छा के विरुद्ध है।
प्रश्न 45.
निवेश गुणक से आप क्या समझते
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में निवेश में वृद्धि के फलस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि के अनुपात को निवेश गुणक कहा जाता है। इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है।
निवेश गुणक = 47
यहाँ ∆Y = आय में परिवर्तन तथा
∆I = निवेश में परिवर्तन है।
प्रश्न 46.
अर्थव्यवस्था में निवेश गुणक किस प्रकार कार्य करता है?
उत्तर:
जब अर्थव्यवस्था में निवेश में वृद्धि होती है तो इससे लोगों की आय में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप लोगों का उपभोग बढ़ता है तथा माँग में वृद्धि होती है, जिससे आय में वृद्धि होती है। आय बढ़ने से पुनः उपभोग में परिवर्तन होता है, इस प्रकार यह क्रम चलता रहता है।
प्रश्न 47.
राजकोषीय नीति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में सरकार द्वारा विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपनाई गई नीति को राजकोषीय नीति कहा जाता है। इस नीति में सरकार कर, सार्वजनिक व्यय तथा सार्वजनिक ऋण सम्बन्धी नीति बनाती है।
प्रश्न 48.
पूर्ण रोजगार सन्तुलन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब समग्र माँग तथा समग्र पूर्ति का सन्तुलन उस बिन्दु पर हो कि सभी उत्पादन साधनों को काम मिल जाए। जब पूर्ण रोजगार के लिए जितनी समग्र मांग की आवश्यकता हो यदि समग्र माँग उतनी है तो इसे पूर्ण रोजगार सन्तुलन कहते हैं।
प्रश्न 49.
यदि अर्थव्यवस्था में अतिरेक माँग की स्थिति है तो कैसी मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति अपनाई जाती है ?
उत्तर:
यदि अर्थव्यवस्था में अतिरेक माँग की स्थिति है तो केन्द्रीय बैंक द्वारा कठोर मौद्रिक नीति अपनायी जाती है, इसी प्रकार सरकार द्वारा भी राजकोषीय नीति में करों में वृद्धि की जाती है, सार्वजनिक व्यय में कमी तथा सार्वजनिक ऋणों में वृद्धि की जाती है।
प्रश्न 50.
यदि अर्थव्यवस्था में अल्प मांग की स्थिति है तो कैसी मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति अपनायी जाती है?
उत्तर:
यदि अर्थव्यवस्था में अल्प माँग की स्थिति है तो केन्द्रीय बैंक द्वारा सस्ती मौद्रिक नीति अपनायी जाती है तथा सरकार द्वारा राजकोषीय नीति में करों में कमी की जाती है, सार्वजनिक व्यय में वृद्धि की जाती है तथा सार्वजनिक ऋणों में कमी की जाती है।
प्रश्न 51.
अतिरेक माँग से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यदि अर्थव्यवस्था में लोगों द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की अधिक माँग की जाती है तो इससे समग्र माँग में वृद्धि हो जाती है तथा यदि अर्थव्यवस्था में समग्र पूर्ति इस समन माँग से कम होती है तो यह अतिरेक माँग की स्थिति कहलाएगी।
प्रश्न 52.
अतिरेक पूर्ति से आपका क्या अभिप्राय
उत्तर:
यदि अर्थव्यवस्था में किसी कारण से समग्र पूर्ति में वृद्धि हो जाए किन्तु यदि अर्थव्यवस्था में लोगों द्वारा समन माँग कम हो अर्थात् समग्र पूर्ति समग्र माँग से अधिक हो तो इसे अतिरेक पूर्ति कहेंगे।
प्रश्न 53.
अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की स्थिति में सामूहिक माँग के बढ़ने पर भी उत्पादन स्तर में वृद्धि सम्भव क्यों नहीं होती है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की स्थिति में सामूहिक मांग बढ़ने पर भी उत्पादन में वृद्धि संभव नहीं हो पाती है क्योंकि उत्पादन के साधन पहले से ही पूर्ण रूप से रोजगार पर लगे होते हैं अतः अतिरिक्त उत्पादन संभव नहीं हो पाता है।
प्रश्न 54.
अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की स्थिति में समस्त माँग के बढ़ने पर कीमतों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की स्थिति में सामूहिक मांग बढ़ने पर भी अतिरिक्त उत्पादन नहीं किया जा सकता है क्योंकि सभी उत्पादन के साधन पहले से ही रोजगार पर लगे होते हैं अतः समग्र मांग बढ़ने पर ऐसी अवस्था में कीमतों में वृद्धि हो जाएगी।
प्रश्न 55.
अर्थव्यवस्था में समग्र माँग तथा सामान्य कीमत स्तर में कैसा सम्बन्ध पाया जाता है ?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में समग्र मांग तथा सामान्य कीमत स्तर में धनात्मक सम्बन्ध पाया जाता है। यदि अर्थव्यवस्था में समग्र माँग में वृद्धि होती है तो इसके फलस्वरूप सामान्य कीमत स्तर में भी वृद्धि होती है, यदि उत्पादन स्थिर रहे।
प्रश्न 56.
अर्थव्यवस्था में समग्र पूर्ति तथा सामान्य कीमत स्तर में क्या सम्बन्ध पाया जाता है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में समग्र पूर्ति तथा सामान्य कीमत स्तर में विपरीत सम्बन्ध पाया जाता है। यदि समग्न पूर्ति में वृद्धि होती है एवं समस्त माँग स्थिर रहे तो सामान्य कीमत स्तर कम होता है तथा समग्र पूर्ति में कमी होने पर सामान्य कीमत स्तर में वृद्धि होती है।
प्रश्न 57.
उपभोग मांग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उपभोग माँग से अभिप्राय उपभोक्ताओं द्वारा मांगी जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं की उस मात्रा से है जिसे परिवार क्षेत्र खरीदने को तैयार है तथा उनके पास उन वस्तुओं तथा सेवाओं को खरीदने की क्षमता हो।
प्रश्न 58.
समग्र प्रभावपूर्ण माँग तथा समग्र माँग में कोई एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
समग्र प्रभावपूर्ण माँग वह होती है जिसमें समग्न मांग तथा समग्न पूर्ति बराबर होती है जबकि समग्र माँग में समग्र माँग तथा समग्र पूर्ति के बीच समानता की कोई शर्त नहीं होती है।
प्रश्न 59.
बचत प्रवृत्ति की अवधारणा को समझाइए।
उत्तर:
प्रयोज्य आय का वह भाग जिसे उपभोग पर व्यय नहीं किया जाता है उसे बचत कहा जाता है। आय तथा बचत के मध्य जो सम्बन्ध पाया जाता है उसे बचत फलन अथवा बचत प्रवृत्ति कहते हैं। बचत प्रवृत्ति लोगों की आय पर निर्भर करती है।
प्रश्न 60.
उपभोग प्रवृत्ति की अवधारणा को समझाइए।
उत्तर:
उपभोग तथा व्यक्तियों की आय में धनात्मक सम्बन्ध पाया जाता है। उपभोग तथा आय में जो सम्बन्ध पाया जाता है उसे उपभोग फलन अथवा उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता है। उपभोग आय में वृद्धि के साथ-साथ बढ़ता जाता है, किन्तु उपभोग में वृद्धि दर, आय में वृद्धि दर की तुलना में कम होती है।
प्रश्न 61.
किसी अर्थव्यवस्था में वास्तविक बचत तथा प्रत्याशित बचत से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वास्तविक बचत: एक अर्थव्यवस्था में किसी विशेष आय के स्तर पर उपभोग के पश्चात् आय का जो भाग बचता है, उसे वास्तविक बचत कहते हैं।
प्रश्न 62.
एक तालिका के माध्यम से उपभोग प्रवृत्ति तथा बचत प्रवृत्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आय का स्तर |
उपभोग |
बचत |
0 100 200 300 400 500 |
60 100 150 200 250 340 |
-20 30 10 40 50 10 |
प्रश्न 63.
आय तथा उपभोग में सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
आय तथा उपभोग में प्रत्यक्ष सम्बन्ध पाया जाता है। आय में वृद्धि के साथ - साथ उपभोग में भी वृद्धि होती है किन्तु उपभोग में वृद्धि आय की अपेक्षा कम होती है। इसे कीन्स का उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम कहते हैं। एक व्यक्ति की शून्य आय पर भी उपभोग धनात्मक रहता है।
प्रश्न 64.
उपभोग प्रवृत्ति की कोई चार प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 65.
प्रभावी माँग का सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
प्रभावपूर्ण माँग कुल माँग का वह स्तर है, जिस पर कुल मांग तथा कुल पूर्ति बराबर होती है अर्थात् प्रभावपूर्ण माँग कुल व्यय की वह मात्रा है जो कुल पूर्ति अर्थात् राष्ट्रीय आय के बराबर होने के फलस्वरूप प्रभावपूर्ण सिद्ध होती है। अतः प्रभावपूर्ण अथवा प्रभावी माँग अल्पकालीन सन्तुलन को प्रकट करती है।
प्रश्न 66.
नीचे दी गई तालिका के आंकड़ों के आधार पर उपभोग की गणना कीजिए।
आय |
उपभोग |
बचत |
0 100 200 300 400 500 |
- - - - - - |
-20 30 10 40 50 10 |
उत्तर:
आय |
उपभोग |
बचत |
0 100 200 300 400 500 |
10 100 180 260 340 280 |
-20 30 10 40 50 10 |
प्रश्न 67.
निम्न स्थितियों में गुणक का मूल्य ज्ञात कीजिए।
(i) जब सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.5 हो।
(ii) जब सीमान्त बचत प्रवृत्ति 0.25 हो।
उत्तर:
(i) जब सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.5 हो।
गुणक = \(\frac{1}{1-M P C}\)
\(=\frac{1}{1-0.5}=\frac{1}{0.5}\) = 2
(ii) जब सीमान्त बचत प्रवृत्ति 0.25 हो।
गुणक = \(\frac{1}{1-M P C}\)
अथवा \(\frac{1}{\mathrm{MPS}}\)
\(=\frac{1}{0.25}\) = 4
प्रश्न 68.
निम्न तालिका को पूरा कीजिए।
राष्ट्रीय आय |
उपभोग |
बचत |
0 100 200 300 400 500 |
20 40 110 160 190 210 |
- - - - - - |
उत्तर:
राष्ट्रीय आय |
उपभोग |
बचत |
0 100 200 300 400 500 |
20 40 110 160 190 210 |
-20 40 60 30 20 10 |
प्रश्न 69.
यदि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.8 है तो सीमान्त बचत प्रवृत्ति का मूल्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) + सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = 1
अतः
MPS = 1 - MPC - MPS
= 1 - 0.8
MPS = 0.2
प्रश्न 70.
यदि सीमान्त बचत प्रवृत्ति 0.1 है तो गुणक का मूल्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
गुणक = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}} \text { or } \frac{1}{\mathrm{MPS}}\)
= \(\frac{1}{0.1}\) = 10
प्रश्न 71.
यदि किसी अर्थव्यवस्था में सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ( MPC ) = \(\frac{4}{5}\) है तथा निवेश में 100 करोड़ रु. की वृद्धि होती है तो आय में कितनी वृद्धि होगी?
उत्तर:
आय में परिवर्तन \((\Delta \mathrm{Y})=\frac{1}{1-\mathrm{MPC}} \times \Delta \mathrm{I}\)
\(=\frac{1}{1-\frac{4}{5}} \times 100\)
\(\begin{aligned} &=\frac{1}{\frac{1}{5}} \times 100 \\ &=\frac{1}{0.20} \times 100 \end{aligned}\)
= 5 x 100
= 500 करोड़ रु.
प्रश्न 72.
यदि आय 600 रुपये से बढ़कर 1000 रुपये हो जाती है तथा बचत 200 रुपये से बढ़कर 500 रुपये हो जाती है तो सीमान्त बचत प्रवृत्ति तथा सीमान्त उपभोगं प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त बचत प्रवृत्ति की गणना:
∆S = 500 - 200 = 300 रुपये
∆Y = 1000 - 600 = 400 रुपये
अतः सीमान्त बचत प्रवृत्ति
\(\begin{aligned} &=\frac{\Delta S}{\Delta Y} \\ &=\frac{300}{400}=0.75 \end{aligned}\)
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की गणना:
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति = 1 - सीमान्त बचत प्रवृत्ति
= 1 - 0.75
= 0.25
प्रश्न 73.
यदि आय 1200 रुपये से बढ़कर 2000 रुपये हो जाती है तथा उपभोग 400 रुपये से बढ़कर 1000 रुपये हो जाता है तो सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति की गणना कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की गणना:
\(\mathrm{MPC}=\frac{\Delta \mathrm{C}}{\Delta \mathrm{Y}}\) अर्थात्
∆C = 1000 - 400 = 600
∆Y = 2000 - 1200 = 800
अत:
\(\begin{aligned} \text { MPC } &=\frac{600}{800} \\ &=\frac{3}{4}=0.75 \end{aligned}\)
सीमान्त बचत प्रवृत्ति की गणना:
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS)
= 1 - सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) =1 - 0.75
= 0.25
प्रश्न 74.
एक अर्थव्यवस्था में निवेश में 20 करोड़ रुपये की वृद्धि होने के फलस्वरूप आय में 100 करोड़ रुपये की वृद्धि होती है। निवेश गुणक की गणना कीजिए।
उत्तर:
गुणक = \(\frac{\Delta \mathrm{Y}}{\Delta \mathrm{I}}\)
यहाँ ∆Y = राष्ट्रीय आय में परिवर्तन तथा ∆I = निवेश में परिवर्तन है अतः
गुणक = \(\frac{\Delta \mathrm{Y}}{\Delta \mathrm{I}}\)
\(=\frac{100}{20}=5\)
प्रश्न 75.
यदि सीमान्त बचत प्रवृत्ति 0.2 है तो गुणक के मूल्य एवं सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
गुणक = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}\) अथवा MPS
\(\begin{aligned} &=\frac{1}{0.2} \\ &=5 \end{aligned}\)
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC)
MPC = 1 - सीमान्त बचत प्रवृत्ति
= 1 - 0.2
= 0.8
प्रश्न 76.
यदि किसी अर्थव्यवस्था में 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश किया जाता है तथा अर्थव्यवस्था में सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.9 है तो निम्न की गणना कीजिए
(i) निवेश गुणक
(i) राष्ट्रीय आय में वृद्धि।
उत्तर:
(I)निवेश गुणक की गणना
गुणक = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}\)
\(=\frac{1}{1-0.9}=\frac{1}{0.1}=10\)
(ii) राष्ट्रीय आय में वृद्धि (∆Y) की गणना
ΔΥ = K x ΔΙ
यहाँ ∆Y = राष्ट्रीय आय में वृद्धि,
K = गुणक तथा ∆I = निवेश में वृद्धि है
अतः
∆Y = 10 x 100
= 1000 करोड़ रुपये
प्रश्न 77.
एक अर्थव्यवस्था में निवेश में 600 करोड़ रुपये की वृद्धि होती है। यदि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.7 है तो राष्ट्रीय आय में कितनी वृद्धि होगी?
उत्तर:
∆Y = K x ∆I
यहाँ ∆Y = राष्ट्रीय आय में परिवर्तन,
K = गुणक तथा
∆I = निवेश में वृद्धि है अतः
\(\Delta \mathrm{Y}=\frac{1}{1-\mathrm{MPC}} \times \Delta \mathrm{I}\)
\(\begin{aligned} &=\frac{1}{1-0.7} \times 600 \\ &=\frac{1}{0.3} \times 600 \end{aligned}\)
= 2000 करोड़ रुपये
प्रश्न 78.
यदि निवेश गुणक का मान 4 है तो सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की गणना कीजिए।
उत्तर:
गुणक = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}\)
\(4=\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}\)
4 - 4 MPC = 1
-4 - 4MPC = -3
MPC = \(\frac{-3}{-4}\) = 0.75
प्रश्न 79.
यदि निवेश में वृद्धि 100 करोड़ रुपये की है तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.8 है तो राष्ट्रीय आय में वृद्धि की गणना कीजिए।
उत्तर:
∆Y = K x ∆I
यहाँ ∆Y = आय में परिवर्तन, K= गुणक तथा ∆I = निवेश में परिवर्तन है अतः
\(\begin{aligned} \Delta \mathrm{Y} &=\frac{1}{1-\mathrm{MPC}} \times 100 \\ &=\frac{1}{1-0.8} \times 100 \\ &=\frac{1}{0.2} \times 100 \end{aligned}\)
= 5 x 100
∆Y = 500 करोड़ रुपये
प्रश्न 80.
एक देश में निवेश में वृद्धि होने से राष्ट्रीय आय में 200 करोड़ रुपये की वृद्धि होती है। यदि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है तो बताइए निवेश में कितनी वृद्धि हुई ?
उत्तर:
गुणक (K) = \(\frac{\Delta \mathrm{Y}}{\Delta \mathrm{I}}\)
\(\begin{aligned} \frac{1}{1-\mathrm{MPC}} &=\frac{200}{\Delta \mathrm{I}} \\ \frac{1}{1-0.75} &=\frac{200}{\Delta \mathrm{I}} \\ \frac{1}{0.25} &=\frac{200}{\Delta \mathrm{I}} \\ 4 &=\frac{200}{\Delta \mathrm{I}} \\ 4 \Delta \mathrm{I} &=200 \\ \Delta \mathrm{I} &=\frac{200}{4} \end{aligned}\)
= 50 करोड़ रुपये
प्रश्न 81.
स्वायत्त निवेश से आप क्या समझते हैं ? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वायत्त निवेश: स्वायत्त निवेश अथवा स्वचालित निवेश वह निवेश होता है जो अन्य तत्त्वों पर निर्भर नहीं करता है। आय के विभिन्न स्तरों पर स्वचालित निवेश सदैव स्थिर रहता है।
आय प्रस्तुत रेखाचित्र में II स्वायत्त निवेश वक्र है अर्थात् आय के विभिन्न स्तरों पर निवेश की मात्रा समान है।
प्रश्न 82.
वास्तविक निवेश तथा वास्तविक बचत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वास्तविक निवेश: अर्थव्यवस्था में हम वास्तव में जितना निवेश करते हैं या पूँजी भण्डार में हम जितनी वृद्धि करते हैं उसे वास्तविक निवेश कहा जाता है।
वास्तविक बचत: एक अर्थव्यवस्था में जितना वास्तव में वहाँ के लोग बचा पाते हैं अथवा आय में से उपभोग व्यय घटाने पर जो कुछ शेष बचता है उसे वास्तविक बचत कहते हैं।
प्रश्न 83.
किसी अर्थव्यवस्था में समस्त माँग के किसी एक घटक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की माँग-सरकार उपभोक्ता और उत्पादक दोनों ही है। इसलिए सरकार उपभोग वस्तुओं और निवेश वस्तुओं दोनों की माँग करती है। उत्पादक के रूप में सरकार सड़कें, पुल, इमारतें आदि के निर्माण के लिए वस्तुओं और सेवाओं की माँग करती है। सरकार की माँग उसकी नीतियों से प्रभावित होती है।
प्रश्न 84.
प्रेरित निवेश तथा स्वायत्त निवेश में अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रेरित निवेश: यह निवेश आय स्तर पर निर्भर करता है। यह आय लोच है। प्रेरित निवेश वक्र बायें से दायें और ऊपर की ओर जाता है।
राष्ट्रीय आय स्वायत्त निवेश: इसका आय स्तर से कोई सम्बन्ध नहीं होता। यह आय लोच नहीं है। स्वायत्त निवेश वक्र ox वक्र के समान्तर होता है।
प्रश्न 85.
प्रत्याशित बचत और प्रत्याशित निवेश दोनों के बराबर न होने पर राष्ट्रीय आय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
प्रश्न 86.
सार्वजनिक निवेश से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सार्वजनिक निवेश मुख्य रूप से सरकार द्वारा सामाजिक कल्याण की दृष्टि से प्रेरित होकर किया जाता है। यह निवेश राजनैतिक और सामाजिक कारकों से प्रभावित होता है। भारत में सरकार ने सार्वजनिक निवेश के तहत रेलों, सड़कों, बांध, बिजलीघरों, शिक्षा, चिकित्सा, तकनीकी संस्थाओं, सुरक्षा आदि पर भारी निवेश किया है।
प्रश्न 87.
प्रेरित निवेश से आप क्या समझते हैं? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रेरित निवेश: प्रेरित निवेश, निवेश की वह मात्रा होती है, जो अर्थव्यवस्था के अन्य तत्त्वों पर निर्भर करती है। प्रेरित निवेश अर्थव्यवस्था में आय एवं लाभ की मात्रा पर निर्भर करता है। प्रेरित निवेश मात्रा तथा लाभ व आय में धनात्मक सम्बन्ध पाया जाता है। इसे दिए हुए रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
प्रश्न 88.
किसी अर्थव्यवस्था में उपभोग प्रवृत्ति बढ़ाने वाले किन्हीं दो तत्त्वों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 89.
गुणक का व्यापार चक्रों के विश्लेषण में क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
गुणक सिद्धान्त व्यापार चक्रों के विश्लेषण में सहायक होता है। यह सिद्धान्त व्यापार चक्रों के दौरान अर्थव्यवस्था में भारी उतार-चढ़ावों की व्याख्या तथा व्यापार चक्रों की विभिन्न अवस्थाओं का विश्लेषण करने में सहायक है। विनियोग में कमी के संचयी प्रभावों से प्रतिसार तथा मंदी की स्थिति उत्पन्न होती है तथा विनियोग में वृद्धि से पुनरुत्थान और अन्त में तेजी आती है।
प्रश्न 90.
गुणक को प्रभावित करने वाले कोई दो तत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 91.
पूँजी की सीमान्त उत्पादकता अथवा दक्षता से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पूँजी की सीमान्त उत्पादकता अथवा दक्षता का अभिप्राय किसी पूँजी पदार्थ में निवेश करने से प्रत्याशित लाभ की दर से है। किसी पूँजी पदार्थ की एक अतिरिक्त इकाई में निवेश करने से जो लाभ की दर प्राप्त होने की आशा होती है, उसे उस पूँजी की इकाई की सीमान्त उत्पादकता कहते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
उपभोग फलन किसे कहते हैं ? उपयुक्त चित्र द्वारा स्पष्ट करें।
अथवा
उदाहरण एवं रेखाचित्र की सहायता से उपभोक्ता की उपभोग प्रवृत्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोग और आय के बीच के संबंध को उपभोग की प्रवृत्ति या उपभोग फलन कहते हैं। केन्ज के अनुसार, उपभोग आय पर निर्भर करता है। आय बढ़ने पर उपभोग भी बढ़ता है परन्तु उपभोग उस दर से नहीं बढ़ता जिस दर से आय बढ़ती है। उपभोग फलन को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है।
S = f (y)
शून्य आय के स्तर पर भी उपभोग संभव है। यह उपभोग पुरानी बचतों में से या उधार द्वारा या आर्थिक अनुदान द्वारा हो सकता है। आय और उपभोग में प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है। उपभोग फलन को औसत उपभोग प्रवृत्ति (ARC) और सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) द्वारा व्यक्त किया जाता है। आय उपभोग सीमांत उपभोग औसत उपभोग
आय (Y) |
उपभोग (C) |
सीमांत उपभोग (MPC) |
औसत उपभोग (APC) |
0 100 200 300 400 500 |
40 100 160 200 280 350 |
- 6 6 6 6 5 |
α 1.0 80 70 30 40 |
प्रस्तुत रेखाचित्र में cc वक्र उपभोग वक्र है तथा इस रेखाचित्र से स्पष्ट है कि शून्य आय पर भी न्यूनतम उपभोग होता है तथा आय में जैसे - जैसे वृद्धि होती है, उपभोग में भी निरन्तर वृद्धि होती है; किन्तु उपभोग में वृद्धि की दर आय में वृद्धि की दर से कम होती है।
प्रश्न 2.
उदाहरण एवं रेखाचित्र की सहायता से बचत प्रवृत्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रयोज्य आय का वह भाग जिसे उपभोग पर व्यय नहीं किया गया है, बचत कहलाता है। आय और बचत के बीच के सबध को बचत फलन या बचत प्रवृत्ति कहते हैं। बचत, आय पर निर्भर करती है। जैसे-जैसे आय बढ़ती है वैसे - वैसे बचतों में भी वृद्धि होती है। बचत के बढ़ने की दर सामान्यतया आय के बढ़ने की दर से अधिक होती है। बचत फलन को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता।
S = fy)
बचत फलन को निम्न सारणी तथा रेखाचित्र की सहायता से समझा जा सकता है।
आय (करोड़ रु.) (Y) |
उपभोग (करोड़ रु.) (C) |
बचत (करोड़ रु.) (S) |
0 100 200 300 400 500 |
40 100 160 220 280 340 |
-40 0 40 80 120 100 |
प्रस्तुत रेखाचित्र से स्पष्ट है कि शून्य आय के स्तर पर बचत ऋणात्मक होती है; क्योंकि शून्य आय के स्तर पर भी उपभोक्ता उपभोग करता है तथा वह यह उपभोग पूर्व की बचतों अथवा ऋण लेकर करता है जिससे बचत इस स्तर पर ऋणात्मक होती है। सामान्यतः बचत आय में वृद्धि के साथ-साथ बढ़ती है तथा बचत की दर, आय वृद्धि की दर से अधिक होती है।
प्रश्न 3.
अर्थव्यवस्था में दो सेक्टर मॉडल में आय निर्धारण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दो सेक्टर मॉडल में आय का निर्धारणसरकार रहित अर्थव्यवस्था में अन्तिम वस्तु की प्रत्याशित समस्त माँग ऐसी वस्तुओं पर किए गए कुल प्रत्याशित उपभोग व्यय और प्रत्याशित निवेश व्यय का योग होती है अर्थात्
AD = C+ I होती है।
यहाँ C = C + c.Y
तथा I = होता है।
अत: C तथा । के मूल्यों को प्रतिस्थापित करने पर अन्तिम वस्तुओं की समस्त माँग को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है।
AD = C + I + c.Y.
यदि अन्तिम वस्तु बाजार संतुलन में हो, तो इसे इस प्रकार लिखा जा सकता है।
Y= C + 1 + c.Y .............(i)
यहाँ Y अन्तिम वस्तु की प्रत्याशित अथवा नियोजित निर्गत है। इस समीकरण को दो स्वायत्त पदों C और I को जोड़कर पुनः इस प्रकार सरल किया जा सकता है
Y= A + c
जहाँ A = C + 1
अर्थव्यवस्था का कुल स्वायत्त व्यय है। वास्तव में स्वायत्त व्यय के ये दोनों घटक भिन्नभिन्न प्रकार से व्यवहार करते हैं और अर्थव्यवस्था के जीवन निर्वाह उपभोग स्तर को प्रदर्शित करने वाला प्रायः स्थिर ही रहता है। किन्तु I में समय - समय पर उतार - चढ़ाव देखा जाता है।
यहाँ एक बात ध्यान देने की है, समीकरण (i) की बायीं ओर Y पद अन्तिम वस्तुओं की प्रत्याशित निर्गत अथवा नियोजित पूर्ति को प्रदर्शित करता है। दूसरी ओर, दायीं ओर की अभिव्यक्ति से अर्थव्यवस्था में अन्तिम वस्तु की प्रत्याशित अथवा नियोजित समस्त माँग प्रदर्शित होती है। जब अन्तिम वस्तु बाजार और अर्थव्यवस्था संतुलन की स्थिति में होती हैं, तभी प्रत्याशित पूर्ति प्रत्याशित माँग के बराबर होती है।
अतः समीकरण (i) को इस तथ्य से भ्रमित नहीं करना चाहिए, जो कि यह बतलाता है कि कुल निर्गत का यथार्थ मूल्य हमेशा अर्थव्यवस्था के यथार्थ उपभोग और यथार्थ निवेश के कुल योग के बराबर होता है। यदि अन्तिम वस्तु के निर्गत सें, जो कि उत्पादक किसी नियत वर्ष में उत्पादन करने का नियोजन करता है, अन्तिम वस्तु की प्रत्याशित माँग कम हो, तो समीकरण (i) सही नहीं होगा। गोदाम में स्टॉक का अंबार लगा रहेगा, जिसे माल - सूची का अनभिप्रेत संचय कहा जाएगा। यह नियोजित अथवा प्रत्याशित निवेश का अंश नहीं है, किन्तु निश्चित रूप से यह वर्ष के अंत में माल - सूची में हुई वास्तविक वृद्धि का अंश है अथवा दूसरे शब्दों में, एक यथार्थ निवेश होगा। अत: यद्यपि नियोजित Y नियोजित C + I से अधिक है, फिर भी वास्तविक Y वास्तविक C +1 के बराबर होगी। लेखांकन तादात्म्य की दायीं ओर यथार्थ निवेश में मालों का अनभिप्रेत संचय के रूप में अतिरिक्त निर्गत को दर्शाता है।
यदि यहाँ हम अर्थव्यवस्था में सरकार को शामिल करें। अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं की समस्त माँग को प्रभावित करने वाले सरकार के मुख्य कार्यकलाप का संक्षिप्त विवरण राजकोषीय परिवर्त कर (T) और सरकारी व्यय (G) जो दोनों हमारे विश्लेषण में स्वायत्त हैं, के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है। अन्य फर्मों तथा परिवारों की तरह सरकार अपने व्यय (G) के माध्यम से समस्त माँग में वृद्धि करती है। दूसरी ओर, सरकार कर लगाकर परिवारों की आय का एक अंश ले लेती है। अत: उसकी प्रयोज्य आय Y = Y - T हो जाती है। परिवार इस प्रयोज्य आय के केवल एक अंश का ही व्यय उपभोग के लिए करते हैं।
अतः सरकार को शामिल करने के लिए समीकरण
(i) में निम्न प्रकार से परिवर्तन करना होगा:
Y = C + I + G + c (Y - T)
ध्यान दीजिए कि C और I की तरह G - c T स्वायत्त पद A में शामिल हो जाता है। इससे विश्लेषण में कोई गुणात्मक परिवर्तन नहीं होता है।
प्रश्न 4.
लघु अवधि में स्थिर कीमत स्तर के साथ समष्टि अर्थशास्त्रीय सन्तुलन को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अल्पकाल में स्थिर कीमत स्तर के साथ समष्टि अर्थशास्त्रीय सन्तुलन को दो विधियों से स्पष्ट कर सकते हैं:
(1) रेखीय समीकरण:
उपभोक्ता की मांग को हम निम्न समीकरण से व्यक्त करते हैं।
C = C + CY यहाँ स्वायत्त व्यय तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति है। इस सम्बन्ध को निम्न समीकरण के आधार पर रेखाचित्र में दर्शा सकते हैं।
Y = a + bx
यहाँ x व y चर है तथा उनके मध्य रेखीय सम्बन्ध है। a व b स्थिरांक है। इस सम्बन्ध को हम निम्न रेखाचित्र से दर्शा सकते हैं।
इसी प्रकार हम उपभोग फलन को भी रेखाचित्र में दर्शा सकते हैं इसे निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त कर सकते हैं।
उपभोग फलन - C = C + cY
यहाँ C = उपभोग फलन को अन्तर्रोध व C = उपभोग फलन की ढाल है इस उपभोग फलन को निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया हैं।
रेखाचित्र - अंतधि के साथ उपभोग फलन:
एक द्विक्षेत्रीय मॉडल में निवेश फलन को निम्न प्रकार दर्शाया गया हैं।
I = 1 ग्राफ में इसे क्षैतिजीय अक्ष के ऊपर 1 के बराबर ऊँचाई वाली क्षैतिजीय रेखा द्वारा दिखाया गया है।
इस मॉडल में 1 स्वायत्त है, जिसका अर्थ है, कि यह वही रहती है चाहे आय का स्तर कुछ भी हो।
समष्टि अर्थशास्त्रीय समस्त मांग का रेखाचित्रीय प्रस्तुतीकरण: समस्त माँग फलन आय के प्रत्येक स्तर पर कुल माँग है (जो उपभोग + निवेश से प्राप्त होती है) को दिखाता है। ग्राफ के अनुसार, इसका यह अर्थ है कि समस्त मांग को उर्ध्वाधरीय आधार पर उपभोग एवं माँग फलनों को जोड़कर प्राप्त किया जा सकता है।
समस्त माँग फलन उपभोग फलन के समानांतर हैं, अर्थात उनके पास ढलान C के ही समान है। यहाँ ध्यान दिया जा सकता है यह फलन प्रत्याशित माँग को दर्शाता है। समष्टि अर्थशास्त्रीय समस्त पूर्ति का रेखाचित्रीय प्रस्तुतीकरण-व्यष्टि अर्थशास्त्रीय सिद्धांत में, हम पूर्ति वक्र को उस चित्र से दिखाते हैं जहाँ कीमत उध्वधिर अक्ष पर तथा पूर्ति मात्रा को क्षैतिजीय अक्ष पर होती है। समष्टि अर्थशास्त्र सिद्धान्त की प्रथम अवस्था में, हम कीमत को स्थिर मान लेते हैं। यहाँ, समस्त पूर्ति अथवा GDP को सरलता से ऊपर अथवा नीचे हटने वाला मान लिया जाता है, क्योंकि ये सब सभी प्रकार के अप्रयुक्त
रेखाचित्र उपलब्ध साधन होते हैं GDP का कुछ भी स्तर क्यों न हो, उतनी पूर्ति तो करनी होगी और मूल्य स्तर का कोई योगदान नहीं होता। पूर्ति की इस प्रकार की स्थिति को 45° वाली रेखा से दिखाया गया है। अब 45° की रेखा की यह विशेषता है कि इसमें प्रत्येक बिन्दु का समान क्षैतिजीय और उर्ध्वाधर निर्देशांक होगा।
साम्य का निर्धारण: साम्य को ग्राफ द्वारा प्रत्याशित समस्त मांग एवं पूर्ति को एक चित्र में एक साथ रखकर निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है। वह बिन्दु जहाँ प्रत्याशित समस्त माँग, प्रत्याशित समस्त पूर्ति के बराबर है, साम्य होगा। यह साम्य बिन्दु E है और आय का साम्य स्तर OY, है।
बीजगणितीय रीति ( या विधि): प्रत्याशित समस्त माँग = I = C+CY प्रत्याशित समस्त पूर्ति वक्र =Y साम्य की यह आवश्यकता है कि पूर्तिकर्ताओं की योजनाएँ उनकी योजनाओं से मेल खाएँ जो अर्थव्यवस्था में अंतिम मांग को पूरा करते हैं। इसलिये, इस स्थिति में, प्रत्याशित समस्त माँग = प्रत्याशित समस्त पूर्ति।
C + T+ cY + Y
Y(1 - c) = C + I
\(Y=\frac{\vec{C}+\bar{I}}{(1-c)}\)
प्रश्न 5.
समग्र माँग में परिवर्तन का आय तथा उत्पादन पर प्रभाव को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आय का संतुलित स्तर समग्र माँग पर निर्भर करता है। अतः यदि समग्न माँग में परिवर्तन होता है, तो आय का संतुलित स्तर भी परिवर्तन होता है। यह निम्नलिखित में से किसी एक या अधिक परिस्थितियों में हो सकता है
1. उपयोग में परिवर्तन:
यह (i) C में परिवर्तन, या (ii) c में परिवर्तन के कारण हो सकता है।
2. निवेश में परिवर्तन: अभी तक हमने माना है कि निवेश स्वतंत्र है। यद्यपि इसका अर्थ केवल इतना है कि यह आय के स्तर पर निर्भर नहीं करता। आय के अतिरिक्त भी ऐसे बहुत से चर हैं, जो निवेश स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। एक महत्वपूर्ण कारक है साख की उपलब्धता। साख की आसान उपलब्धता निवेश को बल देती है। एक अन्य कारक है ब्याज की दर-व्याज की दर निवेश योग्य निधि की लागत है। व्याज की ऊँची दरों पर, फर्मों की प्रवृत्ति, निवेश को कम करने की होती है। निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से निवेश में परिवर्तन को समझ सकते हैं।
मान लिजिए।
C= 40 + 0.8Y,
I = 10
Y = C + 1 = 40 + 0.8Y + 10
Y = 50 + 0.8Y
\(Y=\frac{1}{1-0.8} 50=250\)
अतः संतुलित आय (समीकरण से प्राप्त) 250 हो जाती है।
अब, मान लीजिए कि निवेश बढ़कर 20 हो जाता है तो उपर्युक्त समीकरण के आधार पर नई सन्तुलित आय 300 होगी। इसे ग्राफ में भी देखा जा सकता है। आय में यह वृद्धि निवेश में वृद्धि के कारण होती है जो कि यहां स्वतंत्र व्यय का एक अवयव है।
रेखाचित्र जब स्वायत्त निवेश में वृद्धि होती है, तो रेखा AD, ऊपर की ओर समानांतर शिफ्ट होती है और AD, की स्थिति को प्राप्त करती है। निर्गत Y पर समस्त माँग का मूल्य Y* F है, जो निर्गत OY' = YE, के मूल्य से E,F के परिमाण के बराबर अधिक है। EF से अधिमांग के परिणाम की माप होती है, जो अर्थव्यवस्था में स्वायत्त व्यय में वृद्धि के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। अत: E, संतुलन को निरूपित नहीं करता।
अन्तिम वस्तु बाजार में नये संतुलन की प्राप्ति के लिए हमें उस बिन्दु की खोज करनी होगी, जहाँ नयी समस्त माँग रेखा AD 45° रेखा को प्रतिच्छेद करेगी। यह बिन्दु E, पर होता है, जो नया संतुलन बिन्दु है। निर्गत और समस्त मांग के नये मूल्य क्रमश: Y', और AD', हैं। नये संतुलन निर्गत तथा समस्त मांग में EG = EG के परिमाण में वृद्धि होती है, जो स्वायत्त व्यय AT = EF= E,J में प्रारंभिक वृद्धि से अधिक है। अतः स्वायत्त व्यय में प्रारंभिक वृद्धि से प्रतीत होता है कि समस्त माँग और निर्गत के संतुलन मूल्यों पर अधिप्लावन प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 6.
उपभोग फलन अथवा उपभोग प्रवृत्ति किसे कहते हैं ? किसी अर्थव्यवस्था में उपभोग प्रवृत्ति को बढ़ाने के उपाय बताइए।
उत्तर:
उपभोग फलन अथवा उपभोग प्रवृत्तिकिसी देश का कुल उपभोग मुख्यतः उस देश की राष्ट्रीय आय पर निर्भर करता है। उपभोग की मात्रा का राष्ट्रीय आय के प्रत्येक स्तर के साथ एक सुनिश्चित एवं बहुत स्थिर फलनात्मक सम्बन्ध होता है जो यह बताता है कि आय बढ़ने के साथ - साथ उपभोग की प्रवृत्ति बढ़ती है तथा आय के घटने के साथ - साथ उपभोग प्रवृत्ति घटती है। आय एवं उपभोग के फलनात्मक सम्बन्ध को उपभोग फलन अथवा उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता है।
उपभोग प्रवृत्ति को बढ़ाने के उपाय: किसी अर्थव्यवस्था में उपभोग प्रवृत्ति को बढ़ाने के निम्न उपाय हो सकते हैं
(1) आय के असमान वितरण को कम करनादेश में आय के वितरण की असमानता को कम करके - उपभोग प्रवृत्ति को बढ़ाया जा सकता है। चूंकि धनी लोगों के मुकाबले गरीबों को उपभोग प्रवृत्ति अधिक होती है अतः सरकार को चाहिए कि धनी लोगों पर प्रगतिशील करारोपण कर धन एकत्रित कर उसे गरीबों पर व्यय करे ताकि निम्न आय वर्गों की उपभोग प्रवृत्ति बढ़ सके। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक व्यय की परियोजनाओं से गरीबों की आय तथा रोजगार दोनों में वृद्धि कर उनकी उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि की जा सकती है।
(2) मजदूरी दरों में वृद्धि करना: यदि अर्थव्यवस्था में श्रमिकों की मजदूरी दरों में वृद्धि की जाए तो उनकी आय बढ़ेगी तथा श्रमिकों की उपभोग प्रवृत्ति में भी वृद्धि होगी, परन्तु इस हेतु यह आवश्यक है कि श्रमिकों की उत्पादकता में भी वृद्धि होनी चाहिए।
(3) सामाजिक सुरक्षा उपाय: यदि अर्थव्यवस्था में सामाजिक सुरक्षा व्यवस्थाएँ जैसे-वृद्धावस्था पेंशन, बेरोजगारी बीमा, चिकित्सा सुविधाएँ आदि पर्याप्त व उपयुक्त हों तो ये भावी अनिश्चितताओं को दूर करती हैं तथा लोगों
में बचत की प्रवृत्ति में कमी आती है तथा उपभोग प्रवृत्ति बढ़ती है। अतः सरकार को उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि करने हेतु सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए।
(4) सरल एवं आसान शर्तों पर ऋण सुविधाएँयदि देश में बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थाओं द्वारा सरल एवं आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध करवाए जाते हैं तो इससे लोग आसानी से ऋण लेंगे तथा उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि होगी। अतः उपभोग प्रवृत्ति को बढ़ाने हेतु ऋण सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए।
(5) विज्ञापन: विभिन्न माध्यमों के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापक प्रचार अथवा विज्ञापन करने से लोगों को वस्तुओं एवं सेवाओं की पर्याप्त जानकारी प्राप्त होगी तथा वे उनका उपभोग करने हेतु प्रेरित होंगे। इससे उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि होती है।
(6) शहरीकरण: जब देश में शहरीकरण बढ़ता है तो लोग गाँवों से शहरों की ओर आकर्षित होते हैं तथा उनमें भौतिकवाद भी बढ़ता है जिससे उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि होती है।
(7) परिवहन सुविधाओं का विस्तार: यदि देश में परिवहन सुविधाओं का विस्तार हो तो वस्तुओं को एक बाजार से अन्य बाजार तक आसानी से तथा कम लागत पर लाया व ले जाया जा सकता है। इससे लोगों की उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि होती है।
प्रश्न 7.
गुणक क्या है? इसकी गणना कैसे की जाती है? उदाहरण सहित समझाइए।
अथवा
गुणक से आप क्या समझते हैं? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गुणक का अर्थ: जब निवेश में वृद्धि होती है तो आय में उतनी ही वृद्धि नहीं होती है जितनी कि निवेश में वृद्धि हुई है। बल्कि आय में निवेश की वृद्धि की तुलना में कई गुणा अधिक वृद्धि होती है, अत: जितने गुणा यह वृद्धि होती है, उसे ही गुणक कहते हैं।
गुणक का आकार अथवा मूल्य:
गुणक का आकार सीमान्त उपभोग की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति के अधिक होने पर गुणक का आकार अथवा मूल्य भी अधिक होता है तथा इसके विपरीत सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति के कम होने पर गुणक का मूल्य भी कम होता है। हम सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति के माध्यम से गुणक का आकार ज्ञात कर सकते हैं। सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति से गुणक निकालने का सूत्र निम्न है।
गुणक:
बीजगणितीय रूप में इसे निम्न प्रकार लिख सकते
K = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}\) यहाँ K गुणक है तथा MPC सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति।
यदि हमें सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात हो तो हम उपर्युक्त सूत्र से गुणक ज्ञात कर सकते हैं। माना कि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है
तब गुणक होगा
\(K=\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}=\frac{1}{1-0.75}=\frac{1}{0.25}=4\)
चूँकि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) + सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) = 1 होता है। अतः 1 - सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) होगी। अतः सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) ज्ञात होने पर भी गुणक का मूल्य ज्ञात किया जा सकता है। इसलिए हम गुणक के सूत्र को निम्न प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं।
K= \(\frac{1}{\text { MPS }}\) यहाँ MPS सीमान्त बचत प्रवृत्ति है।
अत: हमें सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) अथवा सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) ज्ञात हो तो हम गुणक ज्ञात कर सकते हैं।
गुणक ज्ञात करने का तरीका बिल्कुल सरल है। यदि हमें सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) दी हुई हो तो सबसे पहले हमें 1 में से MPC को घटाकर MPS ज्ञात कर लेना चाहिए तथा MPS का व्युत्क्रम करके गुणक निकाल लेना चाहिए। तालिका 1 में गुणक गणना दिखायी गयी है।
उपर्युक्त तालिका 1 से कुछ महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष निकलते हैं, जो निम्न हैं:
इसलिए कहा जा सकता है कि गुणक का मूल्य 1 से अनन्त के मध्य होता है।
गुणक का रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण:
गुणक को रेखाचित्र की सहायता से भी स्पष्ट किय जा सकता है। नीचे रेखाचित्र में इसे यह मानते हुए स्पष्ट किया गया है कि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) 0.5 अर्थात् + है। रेखाचित्र में Ox अक्ष पर आय तथा OY अक्ष पर उपभोग व निवेश को दर्शाया गया है। इसमें c + स्वायत्त निवेश तथा उपभोग रेखा है तथा स्वायत्त निवेश में वृद्धि करने पर यह C + 1 + AI हो जाती है।
रेखाचित्र में Y = C + I आय तथा उपभोग व निवेश की 45° सन्तुलन रेखा है जिस पर प्रारम्भिक C + । रेखा बिन्दु E, पर काटती है जो आय के प्रारम्भिक स्तर पर OY का द्योतक है; किन्तु जब स्वायत्त निवेश में वृद्धि हो जाती है तो नई C + 1 + AI रेखा 45° आय रेखा को
प्रश्न 8.
निम्न तालिका की सहायता से बचत, औसत उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए:
आय (Y) |
उपभोग (C) |
0 |
60 |
100 |
110 |
200 |
150 |
300 |
180 |
400 |
200 |
उत्तर:
आय (Y) |
उपभोग (C) |
बचत s = c - y |
औसत उपभोग प्रवृत्ति APC = c/y |
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति |
0 |
60 |
-60 |
- |
- |
100 |
110 |
0 |
1.0 |
0.4 |
200 |
150 |
50 |
0.75 |
0.3 |
300 |
180 |
120 |
0.60 |
0.2 |
400 |
200 |
200 |
0.50 |
0.1 |
प्रश्न 9.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
राष्ट्रीय आय (Y) |
उपभोग (C) |
बचत |
निवेश I |
कुल पूर्ति (AD) |
कुल माँग |
200 |
- |
0 |
40 |
- |
- |
300 |
- |
20 |
40 |
- |
- |
400 |
- |
40 |
40 |
- |
- |
500 |
- |
60 |
40 |
- |
- |
600 |
- |
80 |
40 |
- |
- |
उत्तर:
राष्ट्रीय आय (Y) |
उपभोग (C) |
बचत |
निवेश I |
कुल पूर्ति (AD) |
कुल माँग |
200 |
200 |
0 |
40 |
240 |
200 |
300 |
280 |
20 |
40 |
320 |
300 |
400 |
360 |
40 |
40 |
400 |
400 |
500 |
440 |
60 |
40 |
480 |
500 |
600 |
520 |
80 |
40 |
560 |
600 |