Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
समष्टि अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है।
(अ) व्यक्तिगत इकाई का
(ब) उत्पादन क्रिया का
(स) समग्रों का
(द) उपयोग क्रिया का
उत्तर:
(स) समग्रों का
प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आय का अध्ययन निम्न में से अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है।
(अ) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(ब) समष्टि अर्थशास्त्र
(स) विकास अर्थशास्त्र
(द) लोक वित्त में
उत्तर:
(ब) समष्टि अर्थशास्त्र
प्रश्न 3.
निम्न में से कौन-सी समस्या समष्टि अर्थशास्त्र में नहीं आती है।
(अ) आर्थिक उच्चावचन
(ब) बेरोजगारी
(स) आर्थिक पिछड़ापन
(द) एक उपभोक्ता द्वारा अधिकतम संतुष्टि
उत्तर:
(द) एक उपभोक्ता द्वारा अधिकतम संतुष्टि
प्रश्न 4.
जब कीमतों में लगातार वृद्धि होती है तो उस स्थिति को कहा जाता है।
(अ) मुद्रा संकुचन
(ब) मुद्रास्फीति
(स) अति उत्पाद
(द) मंदी
उत्तर:
(ब) मुद्रास्फीति
प्रश्न 5.
'द जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लॉयमेंट, इन्टरेस्ट एंड मनी' ' के लेखक कौन हैं ?
(अ) जॉन मेनार्ड कीन्स
(ब) रिकार्डो
(स) एडम स्मिथ
(द) हिक्स
उत्तर:
(अ) जॉन मेनार्ड कीन्स
प्रश्न 6.
जिस अर्थव्यवस्था में उत्पादन क्रियाकलाप मुख्य रूप से निजी उद्यमियों द्वारा किए जाते हैं, उसे कहा जाता है।
(अ) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(ब) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(स) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
प्रश्न 7.
समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रकों में सम्मिलित है।
(अ) फर्म
(ब) सरकार
(स) पारिवारिक क्षेत्र
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 8.
अर्थव्यवस्था में जिस क्षेत्रक द्वारा श्रम की पूर्ति की जाती है, वह है।
(अ) फर्म
(ब) बाह्य क्षेत्र
(स) पारिवारिक क्षेत्र
(द) सरकार
उत्तर:
(स) पारिवारिक क्षेत्र
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
आर्थिक एजेंट को परिभाषित कीजिए।
अथवा
आर्थिक एजेंट का तात्पर्य लिखिए।
उत्तर:
आर्थिक एजेंट अथवा आर्थिक इकाई का तात्पर्य उन व्यक्तियों अथवा संस्थाओं से है जो आर्थिक निर्णय लेते हैं।
प्रश्न 2.
कीन्स की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम लिखिए।
उत्तर:
द जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लॉयमेन्ट इन्टरेस्ट एंड मनी।
प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र अध्ययन के दो उदाहरण दें।
उत्तर:
प्रश्न 4.
समष्टि आर्थिक चरों के दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 5.
एक अर्थव्यवस्था के चार क्षेत्रकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
जब कोई देश अपनी घरेलू वस्तु विश्व के अन्य देशों को बेचता है तो उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:
निर्यात।
प्रश्न 7.
जब कोई देश विश्व के अन्य देशों से वस्तु खरीदता है तो उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:
आयात।
प्रश्न 8.
दो देशों के द्वारा आपस में वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय-विक्रय को क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
विदेशी व्यापार।
प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र की उस शाखा का नाम बताइए जिसमें अर्थव्यवस्था के कुल औसत तथा कुल समूहों का अध्ययन किया जाता है।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 10.
राष्ट्रीय आय का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 11.
समष्टि में अध्ययन की जाने वाली देश की कोई समस्या का नाम लिखिए।
उत्तर:
बेरोजगारी की समस्या।
प्रश्न 12.
देश में मुद्रा के सिद्धान्तों का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है ?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 13.
अर्थशास्त्र की किस शाखा में उपभोक्ता की संतुष्टि को अधिकतम करने से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 14.
अर्थशास्त्र की किस शाखा में उत्पादक के लाभों को अधिकतम करने सम्बन्धी अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 15.
निवेश व्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
'वह व्यय जो उत्पादन क्षमता में वृद्धि लाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 16.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह अर्थव्यवस्था जिसमें आर्थिक क्रियाकलाप निजी उद्यमियों द्वारा किए जाते हैं।
प्रश्न 17.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
इस अर्थव्यवस्था में बाजार में निर्गत को बेचने के लिए उत्पादन किया जाता है।
प्रश्न 18.
समष्टि अर्थशास्त्र में किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
इसमें सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था सम्बन्धी समूहों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 19.
व्यष्टि अर्थशास्त्र में किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
इसमें व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 20.
अर्थशास्त्र के विषय क्षेत्र को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र के विषय क्षेत्र को दो भागों में बाँटा गया है।
प्रश्न 21.
समष्टि अर्थशास्त्र में किन समस्याओं का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में सामूहिक स्तर पर आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 22.
पूर्ण रोजगार की अवस्था किसे कहते
उत्तर:
जब वर्तमान मजदूरी दरों पर काम करने के इच्छुक सभी लोगों को काम मिल जाए।
प्रश्न 23.
स्वतंत्र चर किसे कहते हैं?
उत्तर:
स्वतंत्र चर उन चरों को कहते हैं जिनके कारण दूसरे चरों में परिवर्तन होता है।
प्रश्न 24.
आश्रित चर क्या होते हैं?
उत्तर:
ये वे चर हैं जिनमें दूसरे चरों के कारण परिवर्तन आता है।
प्रश्न 25.
समष्टि अर्थशास्त्र का कोई एक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र से देश की समस्याओं को समझने में मदद मिलती है।
प्रश्न 26.
व्यष्टि अर्थशास्त्र की कोई एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
इसमें अर्थव्यवस्था की छोटी इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 27.
एक बाजार में मांग एवं पूर्ति का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 28.
संप्राप्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
उत्पादक द्वारा निर्गत को बाजार में बेचने से प्राप्त मुद्रा को संप्राप्ति कहा जाता है।
प्रश्न 29.
कुल संप्राप्ति में से पूँजी को किस रूप में हिस्सा प्राप्त होता है?
उत्तर:
कुल संप्राप्ति में से पूँजी को ब्याज की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 30.
कुल संप्राप्ति में से भूमि को किस रूप में अंश प्राप्त होता है?
उत्तर:
कुल संप्राप्ति में से भूमि को लगान की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 31.
कुल संप्राप्ति में से श्रम को किस रूप में उसका हिस्सा प्राप्त होता है ?
उत्तर:
श्रम को मजदूरी के रूप में उसका हिस्सा प्राप्त होता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत किए आर्थिक क्रियाकलापों के कोई दो लक्षण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र का तात्पर्य अर्थशास्त्र की उस शाखा से है जिसमें बड़े समूहों अथवा सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 3.
व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र में एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में वैयक्तिक इकाइयों का अध्ययन किया जाता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था के बड़े समूहों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 4.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र का तात्पर्य अर्थशास्त्र की उस शाखा से है जिसमें अर्थव्यवस्था की वैयक्तिक इकाइयों अथवा सूक्ष्म अंगों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 5.
व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण की समष्टि आर्थिक विश्लेषण पर निर्भरता को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में एक फर्म अपना कितना माल बाजार में बेच सकेगी, यह सम्पूर्ण समाज की क्रय शक्ति पर निर्भर करता है।
प्रश्न 6.
समष्टि आर्थिक विश्लेषण के व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण पर निर्भरता को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक नियोजन में वैयक्तिक फर्मों, उद्योगों व समूहों के नियोजन की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 7.
समष्टि अर्थशास्त्र की एक विशेषता बताइए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्ध रखने वाली इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 8.
व्यष्टि अर्थशास्त्र की कोई एक उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत उत्पादन के विभिन्न साधनों के प्रतिफलों का निर्धारण किया जाता है।
प्रश्न 9.
समष्टि अर्थशास्त्र की कोई एक उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था की समस्याओं को समझने एवं उनके समाधान में सहायक है, जैसेबेरोजगारी एवं गरीबी की समस्या।
प्रश्न 10.
समष्टि अथवा व्यापक अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अध्ययन किए जाने वाले किसी एक क्षेत्र को बताइए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत किसी अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय तथा रोजगार का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 11.
समाजवादी एवं पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों पर सरकार का जबकि पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र का स्वामित्व एवं नियंत्रण होता है।
प्रश्न 12.
समष्टि अर्थशास्त्र में किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में कुल आय, कुल रोजगार, कुल उपभोग, कुल बचत, सामान्य कीमत स्तर, मुद्रा प्रसार, संकुचन आदि का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 13.
व्यष्टि अर्थशास्त्र की कोई एक विशेषता बताइए।
उत्तर:
इसमें समग्र का भी अध्ययन किया जाता है लेकिन यह समग्र कुल अर्थव्यवस्था के एक छोटे भाग से सम्बन्धित होता है।
प्रश्न 14.
समष्टि अर्थशास्त्र का कोई एक दोष बताइए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत व्यक्तिगत इकाइयों के योग के आधार पर निकाले गए निष्कर्ष भ्रामक हो सकते हैं।
प्रश्न 15.
आयात एवं निर्यात में कोई एक अन्तर - बताइए।
उत्तर:
विदेशों से क्रय की गई वस्तुएँ एवं सेवाएँ आयात कहलाती हैं जबकि विदेशों को विक्रय की गई वस्तुएँ एवं सेवाएँ निर्यात कहलाती हैं।
प्रश्न 16.
समष्टि अर्थशास्त्र में निर्णयकर्ता कौन होते हैं ?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में निर्णयकर्ता राज्य स्वयं अथवा वैधानिक निकाय, जैसे भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड और इसी प्रकार की संस्था होती है।
प्रश्न 17.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
अथवा
व्यापक अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
समष्टि 'मैक्रो' शब्द से बना है जिसका अर्थ बड़ा अथवा व्यापक होता है। अतः समष्टि अर्थशास्त्र का तात्पर्य अर्थशास्त्र की उस शाखा से है जिसमें अर्थव्यवस्था के बड़े समूहों अथवा सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है, जैसे-राष्ट्रीय आय, कुल बचत, कुल निवेश, रोजगार, सामान्य कीमत स्तर, कुल उपभोग, व्यापार चक्र आदि।
प्रश्न 18.
व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र की पारस्परिक निर्भरता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र मजदूरी के निर्धारण, बिक्री के निर्धारण, उत्पादन मात्रा के निर्धारण तथा वस्तु के मूल्य निर्धारण हेतु समष्टि अर्थशास्त्र पर निर्भर है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के ज्ञान, उत्पादन में समानुपाती वृद्धि एवं नियोजन की सफलता हेतु व्यष्टि अर्थशास्त्र पर निर्भर है।
प्रश्न 19.
समष्टि अर्थशास्त्र के चार मुख्य तत्त्व क्या हैं ?
उत्तर:
प्रश्न 20.
व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 21.
व्यष्टि अर्थशास्त्र का क्या अभिप्राय
उत्तर:
व्यष्टि 'माइक्रो' शब्द से बना हुआ है जिसका अर्थ सूक्ष्म अथवा छोटा होता है। अत: व्यष्टि अर्थशास्त्र का तात्पर्य अर्थशास्त्र की उस शाखा से है जिसमें अर्थव्यवस्था के सूक्ष्म अंगों अथवा व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 22.
व्यष्टि अर्थशास्त्र की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 23.
समष्टि अर्थशास्त्र की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 24.
व्यष्टि अर्थशास्त्र के कोई दो महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 25.
समष्टि अर्थशास्त्र के कोई दो महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 26.
समष्टि अथवा व्यापक अर्थशास्त्र के कोई दो क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 27.
आर्थिक प्रणाली अथवा अर्थव्यवस्था के स्वरूपों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के तीन स्वरूप हैं
प्रश्न 28.
विकासत अर्थव्यवस्था के काई तान प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 29.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत किए आर्थिक क्रियाकलापों के लक्षण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 30.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था से हमारा अभिप्राय ऐसी अर्थव्यवस्था से होता है, जहाँ उत्पादन तथा वितरण के अधिकांश साधन निजी क्षेत्र के व्यक्तियों और संस्थाओं के स्वामित्व, प्रबन्ध एवं नियंत्रण में होते हैं तथा बाजार में निर्गत को बेचने के लिए उत्पादन किया जाता है।
प्रश्न 31.
मिश्रित अर्थव्यवस्था से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था से हमारा अभिप्राय उस अर्थव्यवस्था से है जिसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्र होते हैं अर्थात् इस अर्थव्यवस्था में सरकार एवं पूंजीपतियों दोनों को आर्थिक विकास में भाग लेने का समान अवसर प्राप्त होता है।
प्रश्न 32.
आर्थिक एजेण्ट से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आर्थिक एजेण्ट से हमारा अभिप्राय उन व्यक्तियों अथवा संस्थाओं से है, जो आर्थिक निर्णय लेते हैं। ये एजेण्ट उपभोक्ता हो सकते हैं जो उपभोग सम्बन्धी निर्णय लें। ये एजेण्ट उत्पादक हो सकते हैं जो उत्पादन सम्बन्धी निर्णय लें। ये आर्थिक एजेण्ट सरकार, निगम, बैंक जैसी संस्थाएँ भी हो सकती हैं।
प्रश्न 33.
समष्टि अर्थशास्त्र की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र की प्रकृति वृहत् आर्थिक अध्ययन की है। समष्टि अर्थशास्त्र में कुल आय, कुल रोजगार, कुल बचत, कुल विनियोग, कुल उपभोग, कीमत स्तर नियोजन, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, व्यापार चक्र, मुद्रा प्रसार, मुद्रा संकुचन आदि का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 34.
समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र फर्म एवं सरकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 35.
समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र पारिवारिक क्षेत्रक तथा बाह्य क्षेत्रक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पारिवारिक क्षेत्र: किसी भी अर्थव्यवस्था में पारिवारिक क्षेत्र वह होता है जो अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं की माँग करता है तथा फर्मों को श्रमिकों की पूर्ति करता है। बाह्य क्षेत्रक-बाह्य क्षेत्रक में हम उन सभी दूसरे देशों को शामिल करते हैं जिनके साथ हम बाह्य व्यापार करते हैं अर्थात् जिन्हें हम वस्तुएँ एवं सेवाएं बेचते हैं तथा खरीदते हैं।
प्रश्न 36.
व्यष्टि अथवा सूक्ष्म अर्थशास्त्र की तीन प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 37.
व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 38.
व्यष्टि अर्थशास्त्र की समष्टि अर्थशास्त्र पर निर्भरता को स्पष्ट कीजिए। कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 39.
समष्टि अर्थशास्त्र की व्यष्टि अर्थशास्त्र पर निर्भरता को स्पष्ट कीजिए। कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 40.
सरकार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
किसी भी अर्थव्यवस्था में सरकार एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक होता है। राज्य को सूचित करने के लिए सरकार शब्द का प्रयोग किया जाता है। राज्य उत्पादन कार्य भी करता है। राज्य कई प्रकार के कर लगाता है तथा नागरिकों को कई प्रकार की सार्वजनिक सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
समष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र के विषय क्षेत्र को दो भागों में विभाजित किया जाता है-व्यष्टिगत अर्थशास्त्र तथा समष्टिगत अर्थशास्त्र । व्यष्टिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत फर्मों, उत्पादन इकाइयों, व्यक्तिगत बाजारों, उत्पादन के विभिन्न साधनों की साधन आय के निर्धारण, साम्य कीमत के निर्धारण जैसी समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। समष्टिगत अर्थशास्त्र में हम सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन करते हैं। एक अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन, कुल रोजगार, कुल बचत और कुल निवेश आदि का अध्ययन समष्टिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है।
परम्परावादी अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए व्यष्टिगत अर्थशास्त्र को महत्त्व दिया था। डेविड रिकार्डो, जे.बी. से, जे.एस. मिल, एल्फ्रेड मार्शल आदि ने रोजगार के सम्बन्ध में जो सिद्धान्त दिया उसे परम्परावादी सिद्धान्त कहते हैं । परम्परावादी अर्थशास्त्रियों के अनुसार एक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में सामान्यतः पूर्ण रोजगार की स्थिति होती है जिसमें उन सभी लोगों को रोजगार प्राप्त हो जाता है जो मजदूरी की वर्तमान दर पर काम करने के लिए तैयार हैं। अति उत्पादन और अल्प उत्पादन की समस्या भी नहीं होती। परम्परावादी सिद्धान्त के अनुसार पूर्ति स्वयं अपने लिए माँग पैदा कर लेती है। एक निश्चित अवधि में उत्पादित सारे माल की बिक्री हो जाती है। ब्याज की दर पूर्णतया लोचदार होती है तथा मजदरी की दर भी पूर्णतया लोचदार होती है। अर्थव्यवस्था का साम्य होता है।
किन्तु, सन् 1929 की महामंदी ने परम्परावादी अर्थशास्त्रियों के विचार को सही साबित नहीं किया। महामंदी के संकट के समय संसार में उत्पादन तो था परन्तु वस्तुओं की मांग नहीं थी। विश्व को महामंदी का सामना करना पड़ा। श्रमिकों में बेरोजगारी बढ़ती चली गई तथा उनकी दशा दयनीय होती गई। समष्टि अर्थशास्त्र का एक अलग शाखा के रूप में उद्भव ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स की प्रसिद्ध पुस्तक 'द जनरल थ्योरी ऑफ इम्लॉयमेन्ट इन्टरेस्ट एंड मनी' के 1936 ई. में प्रकाशित होने के बाद हुआ।
इसके पश्चात् समष्टि अर्थशास्त्र का विकास तेजी से हुआ, इसमें अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्याओं का अध्ययन सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से किया जाता है। परम्परावादी अर्थशास्त्रियों के सिद्धान्तों की असफलता ने कीन्स के समष्टिगत अर्थशास्त्र के अध्ययन के लिए मार्ग खोल दिया। आज नीतियों के निर्धारण में कीन्स के सिद्धान्तों का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 2.
समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं ? समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र: समष्टि का अर्थ होता है: व्यापक अथवा बड़ा। अतः समष्टि अर्थशास्त्र अथवा व्यापक अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की ऐसी शाखा है जिसमें समस्त अर्थव्यवस्था अथवा अर्थव्यवस्था के बड़े समूहों अथवा औसतों का अध्ययन किया जाता है; जैसे - राष्ट्रीय आय, रोजगार, राष्ट्रीय उत्पाद आदि।
समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में निम्न बातों का समावेश किया जाता है।
प्रश्न 3.
व्यष्टि अर्थशास्त्र एवं समष्टि अर्थशास्त्र से क्या समझते हैं? समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को बताइए।
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ बताते हुए इसके महत्त्व एवं सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र: व्यष्टि 'माइक्रो' शब्द से बना है जिसका अर्थ सूक्ष्म अथवा छोटा होता है। अतः व्यष्टि अर्थशास्त्र का तात्पर्य अर्थशास्त्र की उस शाखा से है जिसमें अर्थव्यवस्था की वैयक्तिक इकाइयों अथवा छोटे समूहों का अध्ययन किया जाता है।
समष्टि अर्थशास्त्र: समष्टि का तात्पर्य 'समग्र' अथवा 'व्यापक' से होता है, अतः समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की वह शाखा है जिसमें सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्ध रखने वाली इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है
1. अनेक समस्याओं का व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा समाधान सम्भव नहीं: अनेक आर्थिक समस्याएँ इस प्रकार की होती हैं जिनका सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्ध होता है। इन समस्याओं का अध्ययन, विश्लेषण व समाधान व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा सम्भव नहीं है। इसके लिए समष्टि आर्थिक विश्लेषण आवश्यक है।
2. अर्थशास्त्र की कार्य-प्रणाली को समझने में सहायक: अनेक आर्थिक समस्याएँ, कुल आय, कुल उत्पादन, कुल रोजगार आदि से सम्बन्धित होती हैं जो पूरी अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित होते हैं। इन चरों का अध्ययन सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की कार्य-प्रणाली को समझने में सहायक होता है। अतः अर्थशास्त्र की कार्य-प्रणाली को समझने में समष्टि आर्थिक विश्लेषण का विशेष महत्त्व है।
3. आर्थिक नियोजन में सहायक: आर्थिक नियोजन के लिए देश के साधनों की जानकारी, साधनों का अनुकूलतम आवंटन, प्राथमिकताओं का निर्धारण आदि को समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से किया जा सकता है।
4. आर्थिक नीति निर्माण एवं नियोजन में सहायक: आर्थिक नीति निर्माण एवं नियोजन हेतु सामूहिक आँकड़ों जैसे राष्ट्रीय आय, कुल रोजगार, कुल निवेश, सामान्य कीमत स्तर आदि की आवश्यकता होती है। इन आँकड़ों एवं उनके परस्पर सम्बन्धों की जानकारी हेतु समष्टि अर्थशास्त्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
5. सामान्य बेरोजगारी का विश्लेषण: देश में बेरोजगारी के कारण, प्रभावों तथा इनको दूर करने के उपायों का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के विश्लेषण से ही सम्भव है।
6. व्यापार चक्रों का विश्लेषण: समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से व्यापार चक्रों का कारण ज्ञात करके उनसे बचने के उपाय किये जा सकते हैं तथा व्यापार चक्र आने पर उनके बुरे प्रभावों से बचने के प्रयत्न किये जा सकते हैं।
7. मौद्रिक समस्याओं का विश्लेषण: मुद्रा के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों का समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उनसे बचने के लिए उचित मौद्रिक नीति का निर्धारण, उसकी प्रभावशीलता का अध्ययन, मौद्रिक समस्याओं के कारण व उनको दूर करने के उपाय आदि समष्टि विश्लेषण से जाने जा सकते हैं।
8. व्यष्टि अर्थशास्त्र के विकास में सहायकव्यष्टि विश्लेषण में भी समष्टि विश्लेषण की आवश्यकता पड़ती है। अर्थशास्त्र के कुछ सिद्धान्त, जैसे - फर्म का सिद्धान्त, सम-सीमान्त उपयोगिता नियमों, व्यक्तियों के समूहों के व्यवहार का अध्ययन करने से सम्भव हुआ।
9. अन्य महत्त्व
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ या दोष समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ या दोष निम्न प्रकार।
प्रश्न 4.
व्यष्टि अर्थशास्त्र एवं समष्टि अर्थशास्त्र की पारस्परिक निर्भरता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
"अर्थशास्त्री को आर्थिक समस्याओं के अध्ययन में व्यष्टि एवं समष्टि दोनों प्रकार के विश्लेषणों का उपयोग करना होता है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र की पारस्परिक निर्भरता
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र, आर्थिक विश्लेषण की दो अलग: अलग शाखाएँ हैं, उनका क्षेत्र भिन्न-भिन्न है। फिर भी ये दोनों एक - दूसरे के प्रतियोगी न होकर परस्पर पूरक एवं सहयोगी हैं। दोनों में परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। दोनों एक - दूसरे की सीमाओं व विश्लेषण सम्बन्धी कठिनाइयों का निराकरण करते हैं। दोनों का विकास परस्पर निर्भर करता है।
(A) व्यष्टि अर्थशास्त्र की समष्टि अर्थशास्त्र पर निर्भरता: यह निम्न प्रकार स्पष्ट होती है।
(1) उत्पत्ति के साधनों की कीमत का निर्धारण: वैयक्तिक फर्म या उद्योग को अपने उत्पत्ति के साधनों (श्रम, कच्चा माल, मशीनों, भूमि आदि) के लिए जो कीमतें देनी पड़ती हैं उन कीमतों या प्रतिफलों का निर्धारण साधनों की उसकी स्वयं की माँग पर ही निर्भर न होकर इन साधनों की समस्त अर्थव्यवस्था की कुल माँग से प्रभावित होता है।
(2) विक्रय अनुमान: कोई वैयक्तिक फर्म या उद्योग कितना माल बेच सकेगा, यह फर्म की कीमतों पर निर्भर नहीं वरन् समाज में कुल क्रय - शक्ति पर निर्भर है।
(3) उत्पादन की मात्रा का निर्धारण: एक वैयक्तिक फर्म या उद्योग को अपनी उत्पादन की मात्रा निर्धारित करते समय समाज
की मांग, आय, रोजगार आदि पर ध्यान देना पड़ता है, जो समष्टि अर्थशास्त्र के विषय हैं।।
(4) वस्तु का मूल्य निर्धारण: किसी एक वस्तु का मूल्य निर्धारण पूर्णतः उस विशिष्ट वस्तु की माँग और पूर्ति पर ही निर्भर न होकर अन्य वस्तुओं की कीमतों पर भी या मूल्य-स्तर पर निर्भर करता है।
(B) समष्टि अर्थशास्त्र की व्यष्टि अर्थशास्त्र पर निर्भरता: जिस प्रकार व्यष्टि विश्लेषण में समष्टि विश्लेषण का सहारा लेना पड़ता है उसी प्रकार समष्टि विश्लेषण में व्यष्टि विश्लेषण का सहारा लिया जाता है। यह निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है
प्रश्न 5.
संरचना की भ्रान्ति अथवा समष्टिगत आर्थिक विरोधाभास को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संरचना की भ्रान्ति अथवा समष्टिगत आर्थिक विरोधाभास:
आर्थिक विश्लेषण में कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं, जो व्यष्टि स्तर पर सही एवं लाभप्रद हो सकती हैं, किन्तु समष्टि स्तर पर वे गलत एवं घातक हो सकती हैं अर्थात् वे एक व्यक्ति के रूप में सही एवं लाभप्रद हो सकती हैं, परन्तु वे स्थिति समग्न के रूप में गलत एवं घातक हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, बचत एक व्यक्ति के लिए अच्छा गुण माना जाता है। परन्तु यदि देश के सभी व्यक्ति बचत करने लग जाएँ तो यह स्थिति देश के लिए घातक एवं अनुचित सिद्ध हो सकती है। अर्थशास्त्र में ऐसी परस्पर विरोधी स्थितियों को समष्टिगत संरचना की भ्रान्ति या समष्टिगत आर्थिक विरोधाभास कहते हैं। प्रमुख समष्टिगत
विरोधाभास अथवा भ्रान्तियाँ निम्न प्रकार हैं।
(1) यदि कोई व्यक्ति बैंक से अपनी जमा राशि को निकलवाए तो कोई समस्या नहीं होगी; परन्तु यदि सभी व्यक्ति बैंकों से अपनी जमा राशियों को निकलवाने लगें तो देश के बैंक फेल हो जायेंगे।
(2) बचत करना एक व्यक्ति के लिए अच्छा गुण माना जा सकता है; किन्तु यदि देश के सभी व्यक्ति बचत करने लगें तो इससे वस्तुओं एवं सेवाओं की उपभोग माँग घटने से मंदी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय आय, उत्पादन एवं रोजगार में कमी आएगी जो अर्थव्यवस्था के लिए घातक एवं अनुचित होगा।
(3) प्रकृति की अनुकूल परिस्थितियों से अच्छी फसल होना व्यक्तिगत कृषक की आय में वृद्धि का सूचक है; किन्तु अगर समस्त राष्ट्र का कृषि उत्पादन इतना बढ़ जाए कि अति उत्पादन की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो कृषि उत्पादों के मूल्यों में भारी गिरावट हो जाएगी तथा यह स्थिति राष्ट्र के लिए घातक होगी।
(4) एक व्यक्ति मजदूरी में कटौती स्वीकार कर अपनी बेकारी दूर कर सकता है पर देश के सभी बेरोजगार मजदूरी में कटौती से अर्थव्यवस्था में रोजगार नहीं बढ़ा सकते; क्योंकि मजदूरी में कटौती राष्ट्र की प्रभावपूर्ण माँग में कमी कर बेरोजगारी को और बढ़ा सकती है।
(5) किसी उद्योग विशेष में ऊँची कीमतों से उसकी फर्मे लाभ कमा सकती हैं पर प्रत्येक उद्योग में कीमतें बढ़ जाएँ तो मुद्रा स्फीति उत्पन्न हो जाएगी और इसके दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ेगा।
(6) एक व्यक्ति द्वारा आमदनी से अधिक व्यय करने एवं ऋण में डूबने को मूर्खता का परिचायक माना जाता है। पर अगर राष्ट्र विकास तथा मंदी के निराकरण के लिए ऋण ले और घाटे का बजट बनावे तो उसे बुद्धिमानी माना जाता है।
प्रश्न 6.
समष्टि अर्थशास्त्र एवं व्यष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मष्टि एवं व्यष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर समष्टि अर्थशास्त्र एवं व्यष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर . को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
अन्तर का आधार |
ठ्यषिट्ट अर्थ शास्त्रा |
समष्टि अर्थशास्त्र |
1. अर्थ |
ठ्यषिट्ट अर्थ शास्त्रा अTर्थक विश्लेषण की वह शाखा है, जिसमें विशिष्ट आर्थिक इकाइयों तथा अर्थव्यवस्था के छोटे भागों का अध्ययन किया जाता है। |
समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है जिसमें समस्त अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित बड़े योगों व औसतों का अध्ययन किया जाता है। |
2. क्षेत्र |
इसका क्षेत्र सीमान्त विश्लेषण पर आधारित नियमों तक ही सीमित रहता है। |
इसके क्षेत्र में राष्ट्रीय आय, पूर्ण रोजगार, मुद्रा, बैंकिंग तथा राजस्व आदि से सम्बन्धित समस्यायें सम्मिलित होती हैं। |
3. सिद्धान्त |
इसमें वस्तुओं व सेवाओं की कीमत निर्धारण तथा उनका विभिन्न उपयोगों में आवंटन का अध्ययन होता है। अतः यह कीमत विश्लेषण से सम्बन्धित है। |
इसमें राष्ट्रीय आय के स्तर व साधनों के समग्र उपयोग के निर्धारण का अध्ययन होता है। अत: यह आय विश्लेषण से सम्बन्धित है। |
4. समस्या की प्रकृति |
व्यष्टि अर्थशास्त्र वै यक्तित इकाइयों की समस्याओं का समाधान एवं नीतियाँ प्रस्तुत करता है। विशिष्ट आर्थिक इकाइयों में अधिक परिवर्तन होते हैं तथा समय के साथ व्यक्तिगत चर मूल्यों में अधिक परिवर्तन होता है। |
समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की समस्याओं का समाधान एवं उचित नीति प्रस्तुत करता है। |
5. दूष्टिकोण |
व्यष्टि अर्थशास्त्र में सन्तुलन की स्थिति प्रमुख मानी जाती है। |
सामूहिक आर्थिक इकाइयों में कम परिवर्तन होते हैं तथा समय के साथ सामूहिक आर्थिक चर मूल्यों में कम परिवर्तन होता है। |
6. सन्तुलन स्थिति |
व्यष्टि अर्थशास्त्र का विश्लेषण सरल एवं सुगम होता है। |
समष्टि अर्थशास्त्र में असन्तुलन की स्थिति प्रमुख मानी जाती है। |
7. निशलेषण |
इसका महत्त्व वर्तमान में अपेक्षाकृत कम है। |
समष्टि अर्थशास्त्र का विश्लेषण अत्यन्त जटिल व लम्बा होता है। |
8. महत्व्र |
यह व्यक्तिगत फर्मों, उद्योगों व उत्पादन इकाइयों के उतार चढ़ाव की व्याख्या करता है। |
इसका महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
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9. आर्थिक उतार - चढ़ाव |
यह व्यक्तिगत फर्मों, उद्योगों व उत्पादन इकाइयों के उतार-चढ़ाव की व्याख्या करता है। |
यह सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ावों, आर्थिक मन्दी, आर्थिक तेजी को स्पष्ट करता है। |