These comprehensive RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक will give a brief overview of all the concepts.
→ द्विक लवण या जालक यौगिक (Double Salt or Lattice Compounds):
वे यौगिक जो ठोस अवस्था में स्थायी होते हैं, परन्तु जल में घोलने पर अवयवी आयनों में विभक्त हो जाते हैं द्विक लवण कहलाते हैं। उदाहरण-FeSO4. (NH4)2SO4. 6H2O
→ संकल यौगिक (Coordination Compounds):
वे यौगिक जो ठोस एवं जलीय विलयन दोनों ही अवस्थाओं में स्थायी होते हैं, संकुल यौगिक कहलाते हैं। उदाहरण-K[Fe(CN)6]
→ उपसहसंयोजक सत्ता या समन्वय सत्ता (Coordination Entity):
केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन से किसी एक निश्चित संख्या में आबन्धित आयन अथवा अणु मिलकर एक उपसहसंयोजक सत्ता का निर्माण करते हैं।
→ केन्द्रीय परमाणु (CentralAtom):
किसी उपसहसंयोजक सत्ता में परमाणु/आयन जो एक निश्चित संख्या में अन्य आयनों से एक निश्चित ज्यामिति व्यवस्था. से परिबद्ध रहता है। केन्द्रीय परमाणु कहलाता है।
→ लिगैण्ड (Ligand):
उपसहसंयोजक सत्ता में केन्द्रीय परमाणु/आयन से जुड़े आयन अथवा अणु लिगैण्ड कहलाता है।
उदाहरण-Cl-, NH3, NH2, NH2-CH2-CH2—NH2
→ कीलेट लिगैण्ड (Chelate Ligand):
जब एक द्विदंतुक अथवा बहुदंतुक धातु परमाणु/आयन से अपने दो या दो से अधिक दाता परमाणुओं का प्रयोग उपसहसंयोजक बन्ध के लिये करता है तो एक वलय प्राप्त होती है जिसे कीलेट वलय और लिगैण्ड को कीलेट लिगैण्ड कहते हैं।
→ उभयदन्ती लिगैण्ड (Ambidentate Ligand):
वह लिगैण्ड, जो दो भिन्न परमाणुओं द्वारा जुड़ सकता है, उभयदन्ती लिगैण्ड कहलाता है।
→ उपसहसंयोजन संख्या (Co-ordination Number):
किसी भी संकुल में धातु आयन से सीधे जुड़ने वाले लिंगैण्डों के दाता परमाणुओं की संख्या, उपसंहसंयोजन संख्या कहलाती है।।
→ होमोलेप्टिक संकुल (Homoleptic Complex):
ऐसे संकुल जिनमें धातु परमाणु केवल एक प्रकार के दाता समूह से जुड़े रहते हैं। होमोलेप्टिक संकुल कहलाते हैं। उदाहरण-[Co(NH3)6]3+
→ हेट्रोलेप्टिक संकुल (HeterolepticComplex):
ऐसे संकुल जिनमें धातु परमाणु एक से अधिक प्रकार के दाता समूहों से जुड़े रहते हैं, हेट्रोलेप्टिक संकुल कहलाते हैं। उदाहरण--[Co(NH3)4CI2]+
→ क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा (Crystal Field Splitting Energy):
क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन के फलस्वरूप ऊर्जा में जो भी कमी आती है। उसे क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा कहते हैं।
→ स्पेक्ट्रोरासायनिक श्रेणी (Spectrochemical Series):
जब लिगैण्डों को उनकी बढ़ती हुयी प्रबलता के क्रम में एक श्रेणी में व्यवस्थित किया जाये तो इस श्रेणी को स्पेक्ट्रोरासायनिक श्रेणी कहते हैं।
→ कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य (Some Important Points)