These comprehensive RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल will give a brief overview of all the concepts.
→ कार्बोनिल समूह (Carbonyl group):
ऐसे कार्बनिक यौगिक जिनमें कार्बोनिल समूह (>C = 0) उपस्थित होता है, कार्बोनिल यौगिक कहलाते हैं।
→ सायनोहाइड्रिन (Cyanohydrin):
ऐल्डिहाइड व कीटोन दोनों ही HCN से क्रिया कर सायनोहाइड्रिन बनाते हैं।
उदाहरण-
→ ऐसीटैल (Acetals):
ऐल्डिहाइड शुष्क HCl गैस की उपस्थिति में मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों से क्रिया करके ऐसीटैल बनाते हैं। अभिक्रिया के दौरान एक मध्यवर्ती बनता है, इसे हेमीऐसीटैल कहते हैं।
→ कीटैल (Ketals):
कीटोन ऐथिलीन ग्लाइकॉल से क्रिया कर चक्रीय कीटैल बनाते हैं।
→ कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
(i) ऐसे यौगिक जिनमें) C = 0 समूह उपस्थित होता है, कार्बोनिल यौगिक कहलाते हैं।
(ii) प्राथमिक ऐल्कोहॉल ऑक्सीकरण के बाद ऐल्डिहाइड जबकि द्वितीयक ऐल्कोहॉल ऑक्सीकृत होकर कीटोन देता है।
(iii) कोलिन अभिकर्मक क्रोमियम ट्राइ-ऑक्साइड तथा पिरिडीन का मिश्रण कहलाता है।
(iv) फॉर्मेल्डिहाइड का 40% जलीय विलयन फॉर्मेलिन कहलाता है।
(v) लेडरर मनासे की अभिक्रिया
उपर्युक्त अभिक्रिया में प्राप्त उत्पाद बेकेलाइट तथा नोवोलेक को बनाने में प्रयोग होते हैं।
→ ऐल्डोल संघनन-यह α-हाइड्रोजन रखने वाले ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
→ कैनिजारो अभिक्रिया-यह ४-हाइड्रोजन न रखने वाले ऐल्डिहाइडों द्वारा प्रदर्शित की जाती है। कीटोन इन अभिक्रियाओं को प्रदर्शित नहीं करते हैं।
→ क्लेजन संघनन
→ क्लीमेन्सन अपचयन:
Zn-Hg/HCI की उपस्थिति में >C=0 समूह >CH, में परिवर्तित हो जाता है।
→ वोल्फ किश्नर अपचयन-इस अभिक्रिया में >c = 0 समूह हाइड्रेजीन के साथ क्षार की उपस्थिति में >CH2 परिवर्तित हो जाता है।
→ हैलोफॉर्म अभिक्रिया--CH3CO या
समूह युक्त यौगिकों के क्षार एवं हैलोजन के साथ अभिक्रिया करके हैलोफॉर्म (-CHX3) का निर्माण करते हैं।
→ नोवेनैजेल अभिक्रिया-इस अभिक्रिया में सक्रिय मेथिलीन समूह युक्त यौगिकों का संघनन होता है।
→ पोपॉफ का नियम कीटोनों के अपचयन में प्रयुक्त होता है।
→ मेथेनैल न फीनॉल की अभिक्रिया से प्राप्त पैराहाइड्रॉक्सी ऐल्कोहॉल का सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में संघनन कराने पर बैकेलाइट प्राप्त होता है।
→ कार्बोक्सिलिक समूह में कार्बोनिल (>C=0) तथा हाइड्रॉक्सिल (-OH) समूह उपस्थित होता है।
→ कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल ऐसिड की उपस्थिति में एस्टर बनाते हैं, यह अभिक्रिया एस्टरीकरण की प्रक्रिया कहलाती है।
RCOOH + ROH → RCOOR' + H2O
→ प्रबल अम्लों के लिए Ka का मान अधिक तथा pKa का मान कम होता है जबकि दुर्बल अम्लों के लिए Ka का मान कम तथा pKa का मान अधिक होता है।