RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 12 उपभोक्ता संरक्षण

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RBSE Class 12 Business Studies Chapter 12 Notes उपभोक्ता संरक्षण

→ विषय प्रवेश:
उपभोक्ता को असुरक्षित उत्पादों से जोखिम हो सकती है, मिलावटी खाने के सामान से स्वास्थ्य खराब हो सकता है, गुमराह करने वाले विज्ञापन, नकली उत्पादों से धोखाधड़ी हो सकती है। विक्रेताओं द्वारा अधिक कीमत वसूल की जा सकती है। जमाखोरी व कालाबाजारी आदि के कारण ऊँची कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसीलिए उपभोक्ताओं को विक्रेताओं के इन कार्यों से पर्याप्त संरक्षण प्रदान किये जाने की आवश्यकता है। 

→ उपभोक्ता संरक्षण का महत्त्व:
उपभोक्ताओं के लिए उपभोक्ता संरक्षण का महत्त्व इसलिए है क्योंकि उपभोक्ता अज्ञानी है, असंगठित है एवं विक्रेता हर तरह से उनका शोषण कर सकते हैं। व्यवसाय के उपभोक्ताओं के लिए उपभोक्ता संरक्षण इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि-

  • यह दीर्घ अवधि में भी व्यवसाय के हित में है,
  • व्यवसाय समाज के संसाधनों का उपयोग करते हैं,
  • यह व्यवसाय का सामाजिक उत्तरदायित्व है,
  • इसका नैतिक दृष्टि से औचित्य है,
  • इससे व्यवसाय के कार्य संचालन में सरकारी हस्तक्षेप से बचा जा सकता है। 

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 12 उपभोक्ता संरक्षण

→ उपभोक्ताओं को कानूनी संरक्षण:
भारत के कानूनी ढाँचे में निम्नलिखित कई ऐसे कानून हैं जो उपभोक्ताओं को संरक्षण प्रदान करते हैं

  • अनुबन्ध (प्रसंविदा) अधिनियम, 1982,
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986,
  • वस्तु विक्रय अधिनियम, 1930,
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955,
  • कृषि उत्पाद (श्रेणीकरण एवं चिन्हांकन) अधिनियम, 1937,
  • खाद्य मिलावट अवरोध अधिनियम, 1954,
  • माप-तौल मानक अधिनियम, 1976,
  • ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999,
  • प्रतियोगिता अधिनियम, 2002,
  • भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 19861

→ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986
यह अधिनियम उपभोक्ता के हितों को, उनकी शिकायतों को शीघ्र एवं बिना किसी व्यय के निवारण कर संरक्षण एवं प्रवर्तन की व्यवस्था करता है। यह उपभोक्ताओं को शक्ति प्रदान करने एवं उनके हितों की रक्षार्थ कुछ अधिकार प्रदान करता है।

→ उपभोक्ताओं के अधिकार:
सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, चयन का अधिकार, शिकायत का अधिकार, क्षतिपूर्ति का अधिकार तथा उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार। उपभोक्ता के दायित्व. वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय-विक्रय एवं उपभोग के समय अधिकारों के साथ-साथ उपभोक्ता को अपने दायित्वों को भी ध्यान में रखना चाहिए। 

→ उपभोक्ता संरक्षण के तरीके एवं साधन

  • व्यवसाय द्वारा स्वयं नियमन,
  • व्यावसायिक संगठनों द्वारा,
  • उपभोक्ता जागरूकता,
  • उपभोक्ता संगठन,
  • सरकार।

→ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत शिकायत निवारण एजेन्सियाँ

  • उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण के लिए कार्यवाही करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर त्रि-स्तरीय तन्त्र की स्थापना की व्यवस्था की गई है जिन्हें क्रमशः जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच या फोरम, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग तथा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग कहते हैं। इन्हें संक्षेप में जिला मंच, राज्य आयोग तथा राष्ट्रीय आयोग कहा जाता है।
  • राष्ट्रीय आयोग की स्थापना केन्द्रीय सरकार करती है तो राज्य आयोग एवं जिला मंच की स्थापना प्रत्येक राज्य एवं जिलों में सम्बन्धित राज्य सरकार द्वारा की जाती है।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम द्वारा उपभोक्ता को कई प्रकार की राहत की व्यवस्था की गई है। उपभोक्ता अदालत वस्तुओं के दोषों को दूर करने, दोषपूर्ण उत्पाद के स्थान पर दूसरा उत्पाद देने, वस्तु के मूल्य को लौटाने का आदेश दे सकती है।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 12 उपभोक्ता संरक्षण

→ उपभोक्ता संगठन एवं गैर:
सरकारी संगठन (NGOs) की भूमिका भारत में उपभोक्ता संरक्षण एवं प्रवर्तन के लिए बहुत से उपभोग संगठन एवं गैर-सरकारी संगठन हैं जो लोगों के कल्याण के लिए कार्य करते हैं। इनका अपना संविधान होता है। ये उपभोक्ताओं के संरक्षण एवं उनके | हितों की रक्षार्थ कई कार्य करके अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Prasanna
Last Updated on June 17, 2022, 11:44 a.m.
Published June 17, 2022