Rajasthan Board RBSE Class 12 Business Studies Important Questions Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण Important Questions and Answers.
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बहुविकल्पीय प्रश्न-
प्रश्न 1.
व्यावसायिक पर्यावरण के भाग हैं-
(अ) आर्थिक शक्तियाँ
(ब) सामाजिक शक्तियाँ
(स) तकनीकी शक्तियाँ
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 2.
व्यावसायिक इकाई के कार्य को प्रभावित करती हैं-
(अ) आर्थिक नीतियाँ
(ब) तीव्र तकनीकी परिवर्तन
(स) बाजार में बढ़ती हुई प्रतियोगिता
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3.
व्यावसायिक पर्यावरण की मुख्य विशेषता है-
(अ) आन्तरिक सम्बन्ध
(ब) गतिशील प्रकृति
(स) अनिश्चितता
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 4.
आन्तरिक पर्यावरण में सम्मिलित हैं-
(अ) आपूर्तिकर्ता
(ब) ग्राहक
(स) संस्था की नीतियाँ नियम एवं विनियम
(द) प्रतिस्पर्धी संस्थाएँ
उत्तर:
(स) संस्था की नीतियाँ नियम एवं विनियम
प्रश्न 5.
आर्थिक पर्यावरण के पहलू हैं-
(अ) बचत एवं निवेश की दर
(ब) विभिन्न मदों के आयात-निर्यात की मात्रा
(स) परिवहन एवं सम्प्रेषण सुविधाओं का विस्तार
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 6.
भारत में नयी औद्योगिक नीति की घोषणा की गई-
(अ) सन् 1977 में
(ब) सन् 1956 में
(स) सन् 1991 में
(द) सन् 2001 में
उत्तर:
(स) सन् 1991 में
प्रश्न 7.
विमुद्रीकरण के प्रभाव हैं-
(अ) रोकड़ लेन-देनों में कमी
(ब) भूमि-भवन मूल्यों में कमी
(स) बढ़ते प्रकटन के कारण आय कर संग्रह में वृद्धि
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 8.
देश में लाइसेंस प्रणाली के बन्धन से उद्योगों को मुक्त करना सम्बन्धित है-
(अ) उदारीकरण से
(ब) निजीकरण से
(स) वैश्वीकरण से
(द) उपर्युक्त में से किसी से नहीं
उत्तर:
(अ) उदारीकरण से
प्रश्न 9.
सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को कम करना सम्बन्धित है-
(अ) वैश्वीकरण से
(ब) निजीकरण से
(स) राजनीतिक
(द) उपर्युक्त में से किसी से नहीं
उत्तर:
(ब) निजीकरण से
प्रश्न 10.
विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का एकजुट हो जाना कहलाता है-
(अ) उदारीकरण
(ब) निजीकरण
(स) वैश्वीकरण
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) वैश्वीकरण
प्रश्न 11.
भारत में सरकार ने अनिवार्य लाइसेंसिंग के वर्ग में उद्योगों की संख्या घटाकर कितनी कर दी?
(अ) 8
(ब) 6
(स) 4
(द) 2
उत्तर:
(ब) 6
प्रश्न 12.
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को सामरिक महत्त्व के कितने उद्योगों तक सीमित कर दिया गया?
(अ) 3
(ब) 4
(स) 6
(द) 8
उत्तर:
(ब) 4
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
सामाजिक पर्यावरण की दो शक्तियाँ लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण का अर्थ बताइये।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ है विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का एकजुट हो जाना जिससे एक सम्मिलित वैश्विक अर्थव्यवस्था का उदय हो।
प्रश्न 3.
"व्यावसायिक वातावरण में विशिष्ट एवं साधारण दोनों शक्तियाँ सम्मिलित होती हैं।" किन्हीं चार विशिष्ट शक्तियों की सूची बनाइये।
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण की चार विशिष्ट शक्तियाँ हैं-
प्रश्न 4.
"व्यावसायिक वातावरण की समझ एवं फर्म को अवसरों की पहचान योग्य बनाती है।" यहाँ अवसरों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अवसरों से अभिप्राय सकारात्मक बाह्य रुझान अथवा परिवर्तनों से है जो किसी फर्म के परिचालन में सहायक होंगे।
प्रश्न 5.
'व्यावसायिक पर्यावरण की समझ 'प्रबन्धकों को खतरों की पहचान में मदद करती है।" यहाँ खतरों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यहाँ खतरों से अभिप्राय उन बाह्य पर्यावरण रुझान एवं परिवर्तनों से है जो फर्म के परिचालन में बाधक हो सकते हैं।
प्रश्न 6.
"नौकरियों में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की माँग, व्यवसाय के साधारण वातावरण में एक महत्त्वपूर्ण घटक से सम्बन्धित उदाहरण है।" इस घटक का नाम बताते हुए इसका वर्णन कीजिये।
उत्तर:
सामाजिक वातावरण घटक। सामाजिक वातावरण में सामाजिक शक्तियाँ सम्मिलित होती हैं जैसे रीति-रिवाज, मूल्य, सामाजिक बदलाव तथा व्यवसाय से समाज की अपेक्षाएँ आदि।
प्रश्न 7.
व्यवसाय के आर्थिक वातावरण से क्या आशय है?
उत्तर:
आर्थिक वातावरण से तात्पर्य उन समस्त बाह्य शक्तियों से है, जो किसी व्यावसायिक कार्य"प्रणाली एवं सफलता को आर्थिक रूप से प्रभावित करती
प्रश्न 8.
ऐसे किन्हीं पाँच आर्थिक परिवर्तनों को लिखिये जो भारत सरकार ने 1991 से प्रारम्भ किये हैं।
उत्तर:
प्रश्न 9.
आर्थिक वातावरण में परिवर्तनों के कारण व्यावसायिक संगठन पर प्रभाव के कोई दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 10.
सामाजिक वातावरण में परिवर्तन के व्यावसायिक संगठन पर प्रभाव के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
व्यावसायिक पर्यावरण क्या है ?
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण से अभिप्राय सभी व्यक्ति, संस्थान एवं अन्य शक्तियों की समग्रता से है जो व्यावसायिक उद्यम से बाहर हैं लेकिन इसके परिचालन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
प्रश्न 12.
व्यावसायिक पर्यावरण की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 13.
व्यावसायिक पर्यावरण एक तुलनात्मक अवधारणा है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण भिन्न-भिन्न देशों में एवं भिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होता है। जैसे अमेरिका की राजनीतिक परिस्थितियाँ चीन की राजनीतिक परिस्थितियों से भिन्न हैं।
प्रश्न 14.
व्यावसायिक पर्यावरण के विभिन्न घटक बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 15.
आन्तरिक पर्यावरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आन्तरिक पर्यावरण में किसी संस्था के भीतर विद्यमान उन सभी शक्तियों या घटकों को सम्मिलित किया जाता है जो इस संस्था की सफलता को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 16.
बाहरी पर्यावरण से आपका क्या आशय है ?
उत्तर:
बाहरी पर्यावरण से आशय उन सभी घटकों, परिस्थितियों, समूह, घटक आदि से है जो किसी संस्था के निर्णयों. कार्यकलापों तथा सफलता को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 17.
सूक्ष्म वातावरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
उत्तर:
सूक्ष्म वातावरण का अभिप्राय ऐसे वातावरण से है जिसके अन्तर्गत उन घटकों को सम्मिलित किया जाता है जिनसे व्यवसाय का नजदीक का सम्बन्ध होता है। ये घटक हैं-ग्राहक, पूर्तिकर्ता, प्रतिस्पर्धी संस्थाएँ, मध्यस्थ, जनता आदि।
प्रश्न 18.
समष्टि वातावरण (साधारण वातावरण) के विभिन्न घटक बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 19.
व्यावसायिक पर्यावरण की विशिष्ट शक्तियाँ बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 20.
व्यावसायिक पर्यावरण के महत्त्व को दो बिन्दुओं में स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 21.
सामाजिक वातावरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सामाजिक वातावरण से तात्पर्य उस वातावरण से है जो समाज के सामाजिक मूल्यों, आस्थाओं, परम्पराओं, रीति-रिवाजों, जीवन-शैली आदि घटकों से बनता है।
प्रश्न 22.
राजनीतिक पर्यावरण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
राजनीतिक पर्यावरण वह पर्यावरण है जिसमें देश में सामान्य स्थिरता एवं शांति तथा चुनी गई सरकार के प्रतिनिधियों का व्यवसाय के प्रति विशिष्ट दृष्टिकोण जैसी राजनैतिक परिस्थितियाँ सम्मिलित हैं।
प्रश्न 23.
विधिक पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
विधिक पर्यावरण से तात्पर्य उन घटकों से है जो संस्थाओं के कार्यकलापों का नियमन करते हैं तथा अवांछनीय क्रियाओं पर प्रतिबन्ध लगाते हैं।
प्रश्न 24.
सन् 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाली तीन मुख्य समस्याओं को गिनाइये।
उत्तर:
प्रश्न 25.
नई औद्योगिक नीति, 1991 की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 26.
भारतीय उद्योग में उदारीकरण से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण दो बातें लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 27.
उदारीकरण का अर्थ बतलाइये।
उत्तर:
उदारीकरण से तात्पर्य उन सभी क्रियाओं से है, जिनके द्वारा किसी देश के आर्थिक विकास में बाधक आर्थिक नीतियों, नियमों एवं प्रशासकीय नियन्त्रणों को समाप्त किया जाता है।
प्रश्न 28.
उदारीकरण की कोई दो आवश्यकताएँ बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 29.
विनिवेश का अर्थ बतलाइये।
उत्तर:
निजी क्षेत्र के उद्यमों को निजी क्षेत्र को हस्तान्तरित करना। इसके परिणामस्वरूप निजी उद्यमों में सरकार की हिस्सेदारी कम हो जाती है।
प्रश्न 30.
उदारीकरण के कोई चार लाभ बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 31.
उदारीकरण के कोई चार दोष बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 32.
निजीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
निजीकरण वह सामान्य प्रक्रिया है जिसके द्वारा निजी क्षेत्र किसी सरकारी उद्यम का मालिक बन जाता है या उसका प्रबन्ध करता है।
प्रश्न 33.
निजीकरण के कोई चार उपाय बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 34.
वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले कोई चार कारण बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 35.
वैश्वीकरण के व्यवसाय पर पड़ने वाले किन्हीं चार प्रभावों को गिनाइये।
उत्तर:
प्रश्न 36.
वैश्वीकरण के व्यवसाय पर पड़ने वाले कोई चार दुष्प्रभाव गिनाइये।
उत्तर:
प्रश्न 37.
सरकार की उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति के व्यवसाय एवं उद्योग पर पड़ने वाले किन्हीं दो प्रभावों को बतलाइये।
उत्तर:
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
एक प्रबंधक के रूप में निजीकरण के कारण व्यवसाय में हो रहे परिवर्तनों को बताइये।
उत्तर:
निजीकरण के कारण व्यवसाय में हो रहे प्रमुख परिवर्तन निम्न प्रकार हैं-
प्रश्न 2.
व्यावसायिक क्रियाओं पर आर्थिक पर्यावरण के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक क्रियाओं पर आर्थिक पर्यावरण का बहुत प्रभाव पड़ता है।
ब्याज की दर, मूल्य वृद्धि दर, लोगों की खर्च करने योग्य आय में परिवर्तन, शेयर बाजार सूचकांक एवं रुपये का मूल्य साधारण पर्यावरण अर्थात् समष्टि पर्यावरण के कुछ आर्थिक तत्त्व हैं जो व्यावसायिक उद्यम में प्रबन्ध के कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं। लघु अवधि एवं दीर्घ अवधि के लिए ब्याज की दर उत्पाद एवं सेवाओं की माँग को प्रभावी ढंग से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए निर्माण का कार्य कर रही कम्पनियों तथा ऑटोमोबाइल विनिर्माता के लिए नीचे दीर्घ अवधि की दरें अधिक लाभप्रद हैं क्योंकि इससे उपभोक्ताओं द्वारा घर एवं वाहन खरीदने के लिए ऋण लेकर व्यय में वृद्धि हो रही है।
इसी प्रकार देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के कारण लोगों की आय में वृद्धि होती है जिससे वस्तुओं की माँग में वृद्धि होती है।
उच्च दर की मूल्य वृद्धि का सामान्यतः व्यावसायिक उद्यमों पर दबाव पड़ता है क्योंकि इससे व्यवसाय की विभिन्न लागतों में वृद्धि होती है जैसे कच्चा माल, मशीनें, कर्मचारियों की मजदूरी आदि।
प्रश्न 3.
एक प्रबन्धक के रूप में वैश्वीकरण के कारण व्यवसाय में हो रहे परिवर्तनों को बताइये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के कारण व्यवसाय में अनेक परिवर्तन हो रहे हैं, जैसे-
प्रश्न 4.
व्यावसायिक क्रियाओं पर 'राजनैतिक पर्यावरण के प्रभाव को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
व्यावसायिक क्रियाओं पर 'राजनैतिक पर्यावरण' का बहुत प्रभाव पड़ता है। राजनैतिक पर्यावरण में मुख्य रूप से देश में सामान्य स्थिरता तथा शांति एवं चुनी गई सरकार की व्यवसाय के प्रति विचारधारा जैसी राजनैतिक परिस्थितियाँ शामिल होती हैं। शांति एवं कानून व्यवस्था बनी रहने की स्थिति में व्यवसायों का विकास होता है जबकि राजनैतिक अशांति एवं कानून व्यवस्था में खतरे के कारण व्यावसायिक क्रियाओं में गिरावट आती है। राजनैतिक स्थिरता दीर्घकालीन परियोजनाओं में निवेश के लिए व्यवसायियों में आत्मविश्वास पैदा करती है जबकि राजनैतिक अस्थिरता उनके आत्मविश्वास को डगमगा देती है। यदि व्यावसायिक क्रियाओं में सरकारी हस्तक्षेप अधिक है तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जबकि कम हस्तक्षेप होने पर व्यवसायों का विकास होता है। उदारीकरण में विश्वास करने वाली सरकार होने पर भी व्यावसायिक क्रियाओं में तेजी आती है। नौकरशाही में लालफीताशाही होने पर व्यावसायिक क्रियाएँ हतोत्साहित होती हैं। वर्तमान में तो विश्व-राजनैतिक पर्यावरण का प्रभाव भी व्यावसायिक क्रियाओं पर पड़ने लगा है।
प्रश्न 5.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में, आप आर्थिक पर्यावरण का नियन्त्रण कैसे करेंगे?
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में हम आर्थिक पर्यावरण पर निम्न प्रकार से नियन्त्रण रखेंगे-
प्रश्न 6.
व्यावसायिक पर्यावरण के महत्त्व के निम्न बिन्दुओं को समझाइये :
(1) नियोजन एवं नीति निर्धारण में सहायता
(2) निष्यादन में सुधार।
अथवा
व्यावसायिक पर्यावरण के महत्त्व के चार बिन्दु लिखिये।
अथवा
व्यावसायिक पर्यावरण के महत्त्व के दो बिन्दु लिखिये।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण का महत्त्व-
1. सम्भावनाओं/अवसरों की पहचान करने एवं पहल करने के लाभ-पर्यावरण व्यवसाय की सफलता के लिए अनेक अवसर प्रदान करता है। यदि इन अवसरों की शुरुआत में ही पहचान हो जाती है तो कोई भी व्यावसायिक संस्था अपने प्रतियोगियों से पहले ही इसका लाभ उठा सकती है।
2. तीव्रता से हो रहे परिवर्तनों का सामना करनाआज व्यावसायिक पर्यावरण अधिक गतिशील हो रहा है क्योंकि इसमें तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। इन महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए प्रबन्धकों को पर्यावरण को समझना चाहिए तथा उचित कार्यवाही करनी चाहिए।
3. नियोजन एवं नीति निर्धारण में सहायताक्योंकि पर्यावरण व्यावसायिक उपक्रम के लिए अवसर भी है तथा खतरा भी है। अतः इन अवसरों व खतरों को समझकर तथा इनका विश्लेषण करके प्राप्त निष्कर्षों से निर्णय लेने व भविष्य के मार्ग निर्धारण अथवा दिशानिर्देश का यह आधार बन सकता है।
4. निष्पादन में सुधार-पर्यावरण का उपक्रम के परिचालन पर प्रभाव पड़ता है। कई अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि किसी भी व्यावसायिक उपक्रम या संस्था का भविष्य पर्यावरण में जो भी घटित हो रहा है व जो भी परिवर्तन हो रहा है उससे जुड़ा हुआ है। उपक्रम जो अपने पर्यावरण व उससे पड़ने वाले प्रभावों पर ध्यान देते हुए उपयुक्त व्यावसायिक क्रियाएँ करते हैं, वे न केवल अपने वर्तमान निष्पादन में सुधार लाते हैं वरन् बाजार में भी दीर्घ काल तक सफल होते हैं।
प्रश्न 7.
आपके दृष्टिकोण से भारत में आर्थिक पर्यावरण के ऐसे दो तत्त्व जिनका व्यवसाय एवं उद्योग पर प्रभाव पड़ता है, उन्हें बतलायें।
उत्तर:
(1) आर्थिक ढाँचे का मिश्रित अर्थव्यवस्था स्वरूप-आर्थिक ढाँचे का मिश्रित अर्थव्यवस्था स्वरूप जिसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। इसका देश के व्यवसाय एवं उद्योगों पर प्रभाव पड़ता है।
(2) आर्थिक सूचकांक-आर्थिक सूचकांक जैसे राष्ट्रीय आय, आय का वितरण, सकल घरेलू उत्पाद की दर एवं उसमें वृद्धि, प्रति व्यक्ति आय, व्यक्तिगत आय का उपभोग, बचत एवं निवेश की दर, आयात-निर्यात की राशि, भुगतान शेष आदि का देश के व्यवसाय एवं उद्योगों पर प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 8.
व्यावसायिक पर्यावरण की चार विशेषताओं को संक्षेप में समझाइये।
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण की चार विशेषताएँ
प्रश्न 9.
आर्थिक पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं को संक्षेप में बतलाइये।
उत्तर:
आर्थिक पर्यावरण के विभिन्न पहलू
प्रश्न 10.
सामाजिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख पहलुओं को गिनाइये।
उत्तर:
सामाजिक पर्यावरण के प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 11.
राजनीतिक वातावरण के कुछ प्रमुख पहलुओं को गिनाइये।
उत्तर:
राजनीतिक वातावरण के प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 12.
भारत में आर्थिक पर्यावरण के उन तत्त्वों का उल्लेख कीजिये जिनका व्यवसाय एवं उद्योग पर प्रभाव पड़ता है।
उत्तर:
भारत में आर्थिक पर्यावरण के वे तत्त्व जिनका व्यवसाय एवं उद्योग पर प्रभाव
प्रश्न 13.
सन् 1991 की नयी औद्योगिक नीति की कुछ प्रमुख विशेषताएँ बतलाइये।
उत्तर:
सन् 1991 की नयी औद्योगिक नीति की कुछ प्रमुख विशेषताएँ
प्रश्न 14.
भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में उदारीकरण के सम्बन्ध में क्या प्रयास किये गये हैं ? संक्षेप में बतलाइये।
उत्तर:
उदारीकरण के सम्बन्ध में किये गये प्रयास
प्रश्न 15.
सरकारी नीतियों में परिवर्तन का व्यवसाय एवं उद्योग पर पड़ने वाले किन्हीं दो प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सरकारी नीतियों में परिवर्तन का व्यवसाय एवं उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव
1. प्रतियोगिता में वृद्धि-औद्योगिक लाइसेन्सों के नियमों में परिवर्तन एवं विदेशी फर्मों के प्रवेश के परिणामस्वरूप भारतीय व्यावसायिक संस्थाओं के लिए प्रतियोगिता में वृद्धि हुई है विशेष रूप से सेवा उद्योग जैसे दूरसंचार, हवाई सेवा, बैंक सेवा, बीमा इत्यादि में, जो पहले सार्वजनिक क्षेत्र में थे।
2. प्रौद्योगिकी वातावरण में तेजी से परिवर्तनव्यावसायिक क्षेत्र में प्रतियोगिता में वृद्धि फर्मों को बाजार में टिके रहने एवं आगे बढ़ने के लिए नये-नये तरीकों के विकास के लिए बाध्य करती है। नयी तकनीक के कारण मशीन, प्रक्रिया उत्पाद एवं सेवाओं में सुधार सम्भव हुआ है। तेजी से बदलता प्रौद्योगिकी पर्यावरण लघु व्यावसायिक संस्थाओं के समक्ष कठिन चुनौतियाँ पैदा करता है।
प्रश्न 16.
व्यावसायिक पर्यावरण एक जटिल तथ्य है। समीक्षा कीजिये।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण में विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होने वाले अनेक पारस्परिक सम्बन्धित एवं गतिशील स्थितियाँ अथवा शक्तियाँ सम्मिलित होती हैं, अतः यह समझना कठिन हो जाता है कि वर्तमान पर्यावरण किन तत्त्वों से बना है। यह जानना भी कठिन है कि बाजार में किसी उत्पाद की माँग में परिवर्तन पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, तकनीकी इत्यादि घटकों का किस सीमा तक प्रभाव पड़ेगा। इसीलिए व्यावसायिक पर्यावरण एक जटिल तथ्य है।
प्रश्न 17.
भारत में व्यवसाय करने के लिए एक व्यवसायी या उद्यमी को किन-किन कानूनों का ज्ञान होना आवश्यक है?
उत्तर:
प्रश्न 18.
व्यावसायिक पर्यावरण का क्या अर्थ है ? व्यावसायिक पर्यावरण की विशेषताएँगतिशील प्रकृति एवं अनिश्चितता, को समझाइये।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण का अर्थव्यावसायिक पर्यावरण शब्द से अभिप्राय सभी व्यक्ति, संस्थान एवं अन्य व्यक्तियों की समग्रता से है जो व्यावसायिक उद्यम से बाहर हैं लेकिन इसके परिचालन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। अन्य शब्दों में, व्यावसायिक पर्यावरण सम्पूर्ण पर्यावरण का एक विशिष्ट भाग है जो किसी व्यावसायिक संस्था की सफलता एवं कार्यकुशलता को प्रभावित करता है।
निष्कर्ष- व्यावसायिक पर्यावरण किसी भी व्यावसायिक संस्था की वे बाह्य गतिशील दशाएँ, परिस्थितियाँ तथा घटक हैं जिनसे उस संगठन की कार्यकुशलता तथा सफलता प्रभावित होती है तथा जिन पर उस संगठन का कोई नियन्त्रण नहीं होता है। फलतः उस संगठन को उस वातावरण के अनुरूप स्वयं को ढालना पड़ता है तथा उसमें समुचित अवसर ढूंढकर _अपने लक्ष्यों को पूरा करना पड़ता है।
व्यावसायिक पर्यावरण की विशेषताएँ-
प्रश्न 19.
व्यावसायिक वातावरण की समझ क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्रत्येक व्यावसायिक इकाई अपने आप में कोई द्वीप नहीं होती है। इसका अपने पर्यावरण के तत्त्व एवं शक्तियों के मध्य अस्तित्व है। वहीं यह सुरक्षित रहता है एवं इसका विकास होता है। अलग-अलग इकाइयाँ इन शक्तियों को बदलने अथवा इन पर नियन्त्रण के लिए या तो कुछ कर सकती हैं या फिर कुछ नहीं कर सकतीं। इसके अलावा इनके पास और कोई विकल्प भी नहीं होता, या तो वे इनके अनुरूप कार्य करें अथवा अपने आपको इनके अनुरूप ढाल लें। व्यवसाय के प्रबन्धक यदि पर्यावरण को भली-भाँति समझते हैं तो वे अपनी संस्थाओं से बाहर की शक्तियों की न केवल पहचान कर सकेंगे एवं उनका मूल्यांकन कर सकेंगे बल्कि उनके प्रतिकार स्वरूप आचरण भी कर सकेंगे। वे व्यावसायिक क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तनों जैसे प्रतियोगिता, फैशन, ग्राहकों की संख्या, सूचना एवं तकनीक का सामना कर सकेंगे। पर्यावरण के प्रति यदि प्रबन्धक सचेत हैं तो वे समय रहते खतरों को पहचान सकते हैं और उन खतरों का सामना करने के लिए अपने आपको तैयार कर सकते हैं। व्यावसायिक वातावरण की समझ इसलिए भी आवश्यक है कि प्रबन्धक अपने उपक्रम के लिए उपयोगी संसाधन जुटाकर उनका दोहन करने में सक्षम हो सकते हैं।
पर्यावरण का विश्लेषण निर्णय लेने (नीति सम्बन्धी) के लिए भविष्य के मार्ग निर्धारण (नियोजन) अथवा दिशा-निर्देश का आधार बन सकता है। यह भी कहा जाता है कि जो प्रबन्धक अपने पर्यावरण पर निरन्तर निगरानी रखते हैं तथा उपयुक्त व्यावसायिक क्रियाएँ करते हैं, वे होते हैं जो न केवल अपने वर्तमान निष्पादन में सुधार ला सकते हैं वरन् बाजार में दीर्घकाल तक सफल हो सकते हैं।
प्रश्न 20.
उदारीकरण क्या है ?
उत्तर:
उदारीकरण क्या है?-सामान्यतः उदारीकरण का तात्पर्य उन सभी क्रियाओं से है, जिनके द्वारा किसी देश के आर्थिक विकास में बाधक आर्थिक नीतियों, नियमों एवं प्रशासकीय नियंत्रणों को समाप्त या ढीला किया जाता है तथा आर्थिक विकास में सहायक नीतियों एवं नियमों को अपनाया जाता है।
उदारीकरण से तात्पर्य उन प्रयासों से है जिनके द्वारा किसी देश की आर्थिक नीतियों, सन्नियमों एवं नियमों तथा प्रशासकीय नियन्त्रणों एवं प्रक्रियाओं को देश के तीव्र आर्थिक विकास की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाता है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को राष्ट्रतर दिशा प्रदान कर उसे सम्पूर्ण विश्व पर प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के रूप में प्रतिष्ठित किया जा सके।
प्रश्न 21.
वैश्वीकरण का अर्थ समझाइये।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ-सामान्य अर्थ में, वैश्वीकरण से आशय किसी देश की अर्थव्यवस्था को अन्य देशों की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना एवं अन्य देशों के समकक्ष प्रतिस्पर्धी क्षमता का विकास करना है।
वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें किसी देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से जोड़ा जाता है, ताकि सम्पूर्ण विश्व में कर्मचारियों, व्यक्तियों, पूँजी, तकनीक, माल, संचार आदि का आवागमन सुलभ हो सके तथा सम्पूर्ण विश्व एक ही अर्थव्यवस्था एवं एक ही बाजार के रूप में कार्य कर सके।
प्रश्न 22.
व्यावसायिक पर्यावरण गतिशील होता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण गतिशील होता है क्योंकि यह तकनीकी सुधार के रूप में उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं के रूप में या फिर बाजार में नयी प्रतियोगिताओं के रूप में बदलता रहता है। तेजी से तकनीकी में परिवर्तन होने के फलस्वरूप बड़ी संख्या में नये उत्पाद बाजार में लाये गये हैं, जैसे-रंगीन टी.वी., बायोफ्रेश तकनीक या डोर क्लीनिंग के साथ रेफ्रीजरेटर आदि। नए नियमों और उद्योगों के गैर-अधिनियम की नीतियों के साथ पूंजी बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है।
प्रश्न 23.
व्यावसायिक संगठनों पर वातावरण में परिवर्तनों के प्रभाव के दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
व्यावसायिक संगठनों पर वातावरण में परिवर्तनों के प्रभाव-
1. सरकार की आर्थिक नीतियाँ, तीव्र तकनीकी परिवर्तन, राजनैतिक अनिश्चितता, ग्राहकों के फैशन एवं रुचि में परिवर्तन एवं बाजार में बढ़ती हुई प्रतियोगिता सभी एक व्यावसायिक इकाई के कार्य को कई महत्त्वपूर्ण तरीकों से प्रभावित करते हैं।
2. राजनैतिक अनिश्चितता निवेशकों के मन में भय पैदा कर सकती है। फैशन एवं उपभोक्ताओं की रुचि में परिवर्तन से बाजार में वर्तमान उत्पादों के स्थान पर नये उत्पादों की माँग हो सकती है। बाजार में प्रतियोगिता में वृद्धि व्यावसायिक इकाइयों के लाभ को घटा सकती है।
प्रश्न 24.
'नई औद्योगिक नीति' एवं 'नई व्यापार नीति' को भारत सरकार द्वारा 1991 से प्रारम्भ किये गये आर्थिक परिवर्तनों के रूप में समझाइये।
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा 1991 में प्रारम्भ किये गये आर्थिक परिवर्तनों के रूप में निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है-
1. नई औद्योगिक नीति-
2. नई व्यापार नीति-
प्रश्न 25.
उदारीकरण के प्रमुख लाभों को बतलाइये।
उत्तर:
उदारीकरण के प्रमुख लाभ
देश में उदारीकरण की नीति अपनाने के अनेक सुप्रभाव अथवा लाभ हो रहे हैं जो निम्नलिखित हैं-
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
व्यावसायिक पर्यावरण को परिभाषित कीजिए। इसके विभिन्न अंगों को संक्षेप में बतलाइये।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ
व्यावसायिक पर्यावरण सम्पूर्ण पर्यावरण का एक विशिष्ट भाग है जो किसी व्यावसायिक संस्था की सफलता एवं कार्यकुशलता को प्रभावित करता है।
व्यावसायिक पर्यावरण शब्द से अभिप्राय सभी व्यक्ति, संस्थान एवं अन्य शक्तियों की समग्रता से है जो व्यावसायिक उद्यम से बाहर है लेकिन इसके परिचालन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
"यदि संपूर्ण जगत को लें और उसमें से संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले उप-समूह को अलग कर दें तो, जो शेष रह जाता है वह पर्यावरण कहलाता है।" अतः आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, तकनीकी एवं अन्य शक्तियाँ जो व्यवसाय से हटकर कार्य करती हैं, पर्यावरण के भाग हैं।
निष्कर्ष- व्यावसायिक पर्यावरण किसी भी व्यावसायिक संस्था की वे बाह्य गतिशील दशाएँ, परिस्थितियाँ तथा घटक हैं जिनसे उस संगठन की कार्यकुशलता तथा सफलता प्रभावित होती है तथा जिन पर उस संगठन का कोई नियन्त्रण नहीं होता है। फलतः उस संगठन को उस वातावरण के अनुरूप स्वयं को ढालना पड़ता है तथा उसमें समुचित अवसर ढूँढ़कर अपने लक्ष्यों को पूरा करना पड़ता है।
व्यावसायिक पर्यावरण के विभिन्न अंग
व्यावसायिक पर्यावरण के विभिन्न अंगों को अग्र दो । वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
प्रश्न 2.
व्यावसायिक पर्यावरण के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण का महत्त्व
मनुष्य की भाँति ही व्यावसायिक संस्था का समाज में अलग से कोई अस्तित्व नहीं होता है। प्रत्येक व्यावसायिक संस्था का अपने पर्यावरण के तत्त्व एवं घटकों या शक्तियों के मध्य अस्तित्व है। वहीं यह सुरक्षित रहता है एवं इसका विकास होता है। व्यावसायिक संस्थाएँ इन घटकों या संस्थाओं पर नियन्त्रण स्थापित करने का प्रयास करती हैं। कुछ इसमें सफल होती हैं और कुछ नहीं। इसके अतिरिक्त ये संस्थाएँ या तो पर्यावरण के विभिन्न घटकों के अनुरूप कार्य करें या अपने आपको समाप्त कर लें। व्यावसायिक संस्था के प्रबन्धक यदि पर्यावरण को भलीभाँति समझते हैं तो वे उनके अनुरूप कार्य कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। व्यावसायिक संस्थाओं के लिए व्यावसायिक पर्यावरण के महत्त्व को हम निम्न बिन्दुओं की सहायता से समझ सकते हैं-
1. सम्भावनाओं/अवसरों की पहचान करने एवं पहल करने के लाभ-पर्यावरण व्यवसाय की सफलता के लिए अनेक अवसर प्रदान करता है। यदि इन अवसरों की शुरुआत में ही पहचान हो जाती है तो कोई भी व्यावसायिक संस्था अपने प्रतियोगियों से पहले ही इसका लाभ उठा सकती है। उदाहरण के लिए, मारुति उद्योग ने पेट्रोल की बढ़ती कीमतों एवं विशाल भारतीय मध्यम वर्ग के पर्यावरण में छोटी कार की आवश्यकता को पहचान लिया था। उसने इस ओर ध्यान देकर छोटी कारों के बाजार में शीर्ष स्थान प्राप्त कर लिया।
2. खतरे की पहचान एवं समय से पहले चेतावनी में सहायक-पर्यावरण अनेक खतरों का स्रोत होता है। ये खतरे व्यावसायिक संस्था के परिचालन में बाधक हो सकते हैं। पर्यावरण के प्रति यदि प्रबन्धक पूर्णतया सचेत हैं तो वे समय रहते इन खतरों की पहचान कर सकते हैं और समय से पहले चेतावनी में सहायक हो सकते हैं। उदाहरणार्थ, यदि कोई व्यावसायिक संस्था यह पाती है कि एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी भारतीय बाजार में कोई पूरक वस्तु लेकर आती है तो यह समय से पहले की चेतावनी है । इस सूचना के आधार पर भारतीय व्यावसायिक संस्था अपने उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार कर, उत्पादन लागत में कमी कर तथा आक्रामक विज्ञापन देकर तथा ऐसे ही अन्य कदम उठाकर ऐसे खतरे का सामना करने के लिए तैयार हो सकती है।
3. उपयोगी संसाधनों का दोहन-पर्यावरण व्यवसाय संचालन के विभिन्न संसाधनों का स्रोत भी माना जाता है। प्रत्येक व्यावसायिक उपक्रम अपने पर्यावरण से ही वित्त, मशीनें, कच्चा माल, बिजली एवं पानी आदि विभिन्न संसाधनों को जुटाते हैं जो इसके आगत हैं। व्यावसायिक उपक्रम भी पर्यावरण को अपने उत्पाद प्रदान करते हैं जैसे ग्राहकों के लिए वस्तुएँ एवं सेवाएँ, सरकार को कर, निवेशकों के वित्त निवेश पर प्रतिफल आदि। क्योंकि पर्यावरण उपक्रम के लिए संसाधनों का स्रोत है एवं उत्पादों के लिए निर्गमन का स्थान इसलिए यह उचित ही है कि व्यावसायिक संस्था अपनी ऐसी नीति निर्धारित करे। यह आवश्यक संसाधनों को प्राप्त कर सके जिससे कि वह उन संसाधनों को पर्यावरण की इच्छानुरूप निर्गत में परिवर्तित कर सके। लेकिन यह कार्य सुचारु रूप से तभी सम्पन्न हो सकता है जबकि यह समझ लिया जाये कि पर्यावरण हमें क्या दे सकता है?
4. तीव्रता से हो रहे परिवर्तनों का सामना करनाआज व्यावसायिक पर्यावरण अधिक गतिशील हो रहा है क्योंकि इसमें तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। इन महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए प्रबन्धकों को पर्यावरण को समझना चाहिए तथा उचित कार्यवाही करनी चाहिए।
5. नियोजन एवं नीति निर्धारण में सहायता- क्योंकि पर्यावरण व्यावसायिक उपक्रम के लिए अवसर भी है तथा खतरा भी है। अतः इन अवसरों व खतरों को समझकर तथा इनका विश्लेषण करके प्राप्त निष्कर्षों से निर्णय लेने व भविष्य के मार्ग निर्धारण अथवा दिशानिर्देश का यह आधार बन सकता है।
6. निष्पादन में सुधार-पर्यावरण का उपक्रम के परिचालन पर प्रभाव पड़ता है। कई अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि किसी भी व्यावसायिक उपक्रम या संस्था का भविष्य पर्यावरण में जो भी घटित हो रहा है व जो भी परिवर्तन हो रहा है उससे जुड़ा हुआ है। उपक्रम जो अपने पर्यावरण व उससे पड़ने वाले प्रभावों पर ध्यान देते हुए उपयुक्त व्यावसायिक क्रियाएँ करते हैं, वे न केवल अपने वर्तमान निष्पादन में सुधार लाते हैं वरन् बाजार में भी दीर्घ काल तक सफल रहते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में आर्थिक पर्यावरण पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
भारत में आर्थिक पर्यावरण
भारत में आर्थिक पर्यावरण में उत्पादन के साधनों एवं धन के वितरण से सम्बन्ध रखने वाले वे विभिन्न समष्टि स्तर के तत्त्व सम्मिलित हैं जिनका व्यवसाय एवं उद्योग पर प्रभाव पड़ता है। आर्थिक पर्यावरण के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-
हमारे देश में व्यावसायिक संस्थाएँ अपने कार्य संचालन में आर्थिक पर्यावरण के महत्त्व एवं प्रभाव को स्वीकार करती हैं। लगभग सभी भारतीय कम्पनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (चेयरपर्सन) अपने वार्षिक प्रतिवेदन में देश के सामान्य आर्थिक पर्यावरण तथा उनका संस्था के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों के मूल्यांकन पर ध्यान देते हैं।
भारत में व्यवसाय के आर्थिक पर्यावरण में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से ही निरन्तर बदलाव आ रहा है जिसका मुख्य कारण सरकार की नीतियाँ ही हैं। देश की आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाये जिनमें उद्योगों पर राजकीय नियन्त्रण, केन्द्रीय नियोजन एवं निजी क्षेत्र के महत्त्व को कम करना इत्यादि सम्मिलित थे। भारत के आर्थिक विकास के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-
यद्यपि भारत को आर्थिक नियोजन की नीति को अपनाने से मिश्रित परिणाम निकले लेकिन इसके बावजूद भी सन् 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने गम्भीर विदेशी मुद्रा संकट, उच्च राजकोषीय घाटा तथा मूल्य वृद्धि की समस्या आई। फलतः आर्थिक सुधारों के रूप में भारत सरकार ने जुलाई, 1991 में नयी औद्योगिक नीति की घोषणा की।
बड़े औद्योगिक घरानों की औद्योगिक इकाइयों में विकास एवं विस्तार के रास्ते की बाधाओं को दूर करने के लिए उपयुक्त कदम उठाये गये। लघु उद्योगों को सभी प्रकार की सहायता का आश्वासन दिया तथा उनको आवश्यक महत्व प्रदान किया गया।
इस प्रकार नयी औद्योगिक नीति उद्योगों को लाइसेन्सिंग प्रणाली के बन्धन से उद्योग को मुक्त करना चाहती है (उदारीकरण की नीति को अपनाना), सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को कम करना तथा निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना (निजीकरण की नीति को अपनाना) तथा भारत के औद्योगिक विकास में विदेशी निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देना चाहती है (वैश्वीकरण को बढ़ावा देना)।
प्रश्न 4.
जून, 1991 के संकट की स्थिति की प्रमुख विशेषताएँ बताइये जिनके कारण भारत सरकार ने आर्थिक सुधारों की घोषणा की।
उत्तर:
जून, 1991 के संकट की स्थिति की प्रमुख विशेषताएँ
जून, 1991 के संकट की स्थिति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं जिनके कारण भारत सरकार ने आर्थिक सुधारों की घोषणाएँ की थीं-
प्रश्न 5.
उदारीकरण से आप क्या समझते हैं ? भारत में इसकी आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उदारीकरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ अर्थ- सामान्यतः उदारीकरण का तात्पर्य उन सभी क्रियाओं से है, जिनके द्वारा किसी देश के आर्थिक विकास में बाधक आर्थिक नीतियों, नियमों एवं प्रशासकीय नियंत्रणों को समाप्त या ढीला किया जाता है तथा आर्थिक विकास में सहायक नीतियों एवं नियमों को अपनाया जाता है।
आर्थिक सुधारों का लक्ष्य भारतीय व्यवसाय एवं उद्योग को अनावश्यक नियंत्रण एवं प्रतिबंधों से मुक्त कराना था। यह लाइसेंस-परमिट राज की समाप्ति का संकेत था।
निष्कर्ष-उदारीकरण से तात्पर्य उन प्रयासों से है जिनके द्वारा किसी देश की आर्थिक नीतियों, सन्नियमों एवं नियमों तथा प्रशासकीय नियन्त्रणों एवं प्रक्रियाओं को देश के तीव्र आर्थिक विकास की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाता है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को राष्ट्रतर दिशा प्रदान कर उसे सम्पूर्ण विश्व पर प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के रूप में प्रतिष्ठित किया जा सके।
उदारीकरण की आवश्यकता
उदारीकरण की आवश्यकता के मुख्य कारण निम्नलिखित बतलाये जा सकते हैं-
प्रश्न 6.
जून, 1991 के आर्थिक संकटों के प्रबन्धन एवं सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा कौनकौनसे कदम उठाये गये हैं ?
उत्तर:
जून, 1991 के आर्थिक संकटों के प्रबन्धन एवं सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदम
प्रश्न 7.
वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ? वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले कारणों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ अर्थ- सामान्य अर्थ में, वैश्वीकरण से आशय किसी देश की अर्थव्यवस्था को अन्य देशों की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना एवं अन्य देशों के समकक्ष प्रतिस्पर्धी क्षमता का विकास करना है ताकि एक सम्मिलित वैश्विक अर्थव्यवस्था का उदय हो सके।
निष्कर्ष-वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें किसी देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से जोड़ा जाता है, ताकि सम्पूर्ण विश्व में कर्मचारियों, व्यक्तियों, पूँजी, तकनीक, माल, संचार आदि का आवागमन सुलभ हो सके तथा सम्पूर्ण विश्व एक ही अर्थव्यवस्था एवं एक ही बाजार के रूप में कार्य कर सके।
वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले कारण
वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले निम्न कारण गिनाये जा सकते हैं-
प्रश्न 8.
विमुद्रीकरण से आप क्या समझते हैं? विमुद्रीकरण की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
विमुद्रीकरण-भारत सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को एक घोषणा की, जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था से गहरा संबंध है। दो सर्वाधिक मूल्य वर्ग, 500 रु. तथा 1,000 रु. के नोट तत्काल प्रभाव से विमुद्रित कर दिए गए अर्थात् कुछ विशिष्ट सेवाओं, जैसे-उपयोगिता बिलों का भुगतान को छोड़कर इन नोटों की विधि मान्यता समाप्त कर दी गई। इससे 86 प्रतिशत चलन मुद्रा अवैध हो गई। भारत के लोगों को अवैध मुद्रा बैंकों में जमा करानी पड़ी तथा साथ ही नकद निकासी पर प्रतिबंध भी लगाए गए। घरेलू मुद्रा तथा बैंक जमाओं की परिवर्तनीयता पर प्रतिबंध लगाए गए।
विमुद्रीकरण के निम्न उद्देश्य हैं-
विमुद्रीकरण की विशेषताएँ-
प्रश्न 9.
पिछले समय में कई कम्पनियों ने भारत में संगठित फुटकर विक्रय में काफी अधिक निवेश की योजना बनाई है। उनके निर्णय पर कई तत्त्वों का प्रभाव पड़ा है।
उपभोक्ता की आय में वृद्धि हो रही है। लोगों की रुचि अब और अधिक गुणवत्ता वाली वस्तओं के लिए विकसित हुई है भले ही इसके लिए उन्हें और अधिक भुगतान करना पड़ सकता है। उनकी आकांक्षाओं में वृद्धि हुई है। इस सम्बन्ध में सरकार ने अपनी आर्थिक नीतियों का उदारीकरण किया है तथा फुटकर विक्रय के कुछ क्षेत्रों में शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की छूट दी है।
प्रश्न (क) व्यावसायिक पर्यावरण में आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी, राजनैतिक एवं विधिक शीर्षकों के अन्तर्गत उन परिवर्तनों की पहचान कीजिये, जिनके कारण व्यवस्थित फुटकर विक्रय में निवेश योजना के सम्बन्ध में योजना का निर्णय लेना सुगम बना दिया है।
(ख) इन परिवर्तनों का वैश्वीकरण एवं निजीकरण पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
(क) (1) आर्थिक पर्यावरण-देश में लघु अवधि के लिए एवं दीर्घ अवधि के लिए ब्याज़ की दर उत्पाद तथा सेवाओं की माँग को अत्यधिक रूप से प्रभावित करते हैं तथा बड़ी कम्पनियों को फुटकर व्यवसाय में आने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके परिणामस्वरूप देश के घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है तथा लोगों की प्रायोज्य आय में वृद्धि होती है जिससे उत्पादों की माँग में वृद्धि होती है।
(2) सामाजिक वातावरण-उपभोक्ताओं के बदलते हुए मूल्यों, रीति-रिवाजों तथा सामाजिक बदलाव ने भी बड़े व्यावसायिक संस्थानों के फुटकर विक्रय के क्षेत्र में आने की प्रेरणा दी है। यही कारण है कि आजकल उपभोक्ता अपने सभी पर्वो, यथा-दीपावली, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व जैसे त्यौहारों को शान-शौकत से मनाते हैं तथा खर्च करने में कंजूसी नहीं करते हैं। इन सबका लाभ ये उद्योगपति उठाते हैं। सामाजिक बदलाव से व्यवसाय को विभिन्न अवसर तो मिलते हैं ही तथा खतरे भी बढ़ते हैं।
(3) प्रौद्योगिकीय वातावरण-सम्पूर्ण विश्व में तेजी से बदलती हुई तकनीकों ने भी उद्यमियों को खुदरा बाजार में आने के लिए प्रेरित किया है। उदाहरण के लिए मोबाइल, टेलीविजन, कम्प्यूटर एवं इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की तकनीकें जल्दी ही बदल जाती हैं। अतः यह जरूरी हो जाता है कि ये उत्पाद भी उतनी ही तेजी से बिकें। इन उत्पादों का तेजी से विक्रय तभी सम्भव हो सकता है जबकि फुटकर विक्रय पर अत्यधिक ध्यान दिया जाये और इस सम्बन्ध में उचित नीति अपनायी जाये।
(ख) इन सब परिवर्तनों से वैश्वीकरण तथा निजीकरण की नीति को अत्यधिक समर्थन मिलता है, इन्हें बढ़ावा मिलता है। इससे भारतीय उद्यमियों के लिए प्रतियोगिता में वृद्धि हुई है। ग्राहकों की अपेक्षाएँ बाजार तथा उत्पादकों के प्रति बढ़ती हैं। मानव संसाधनों में विकास के अवसर बढ़ते हैं। व्यावसायिक संस्थाएँ भी अब अधिक ग्राहक-केन्द्रित हो गई हैं तथा ग्राहकों से सम्बन्ध एवं उनकी सन्तुष्टि में सुधार लाने का प्रयास कर रही हैं।