These comprehensive RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति will give a brief overview of all the concepts.
→ विश्व की कुल 350000 ज्ञात पादप प्रजातियों में से लगभग 80000 खाद्य प्रजातियाँ हैं लेकिन वर्तमान में केवल 150 प्रजातियों की खेती की जाती है। इनमें से केवल 30 से हम अपनी कैलोरीज व प्रोटीन का 95% प्राप्त करते हैं।
→ दक्षिण अफ्रीका के कालाहारी रेगिस्तान के कंग लोग केवल दो पादप प्रजातियों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
→ सैकेरम आफिसिनेरम में रेड रॉट के लिए प्रतिरोधकता सैकेरम स्पोन्टेनियम (Saccharum spontaneum) से प्राप्त हुई है। 'Co' canes कोयम्बटूर में विकसित गन्ना किस्में हैं। आलू को अनेक रोगों के लिए प्रतिरोधी बनाने का श्रेय इसके वन्य सम्बन्धियों (wild relatives) को है।
→ धान की सबसे अधिक उगाई जाने वाली किस्म IR-36 का विकास IARI में डॉ. गुरुदेव एस. खुश के नेतृत्व में हुआ था।
→ बफैलो (Buffalo) शब्द का प्रयोग विश्व के भिन्न-भिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न प्रकार से होता है। अपने देश में भैंसे (buffalo) शब्द से आशय जल भैंस (water buffalo) से है।
→ सभी घरेलू बकरियों का विकास वन्य बकरी कोप्रा हिरकस (Coprahircus) से हुआ है।
→ रानीखेत (Ranikhet) पक्षियों जैसे मुर्गों का एक विषाणु जन्य रोग है।
→ कटला, सिंघारा, मागुर व सिंधी मछलियाँ पूरे भारत में पाई जाती हैं।
→ करन स्विस (Karan Swiss) संकर गाय की नस्ल को नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Dairy Research Institute) करनाल, हरियाणा में विकसित किया गया।
→ सुनन्दिनी (Sunandini) एक क्रास ब्रीड गाय है जिसे NDRI केरल में विकसित किया गया है।
→ खुरपका या फुट एण्ड माउथ (Foot and Mouth) रोग पशुओं विशेषकर गौवंश का एक प्रमुख विषाणु संक्रमण हैं।
→ कश्मीरी व तिब्बतन बकरी का फर पशमीना (Pashmina) कहलाता है।
→ सेण्ट्रल एवियन रिसर्च इन्स्टीट्यूट इज्जतनगर यू.पी. में स्थित है।
→ गेहूँ व राई (rye) के संकरण से कृत्रिम फसल ट्रिटिकेल (Triticale) उत्पन्न की गई है।
→ पीली कटेली या आर्जीमोन मेक्सिकाना (Argemone mexicana) के बीज भारत में पादप प्रवेश (Plant introduction) के रूप में आये। यह एक खरपतवार (weed) है।
→ IARI की स्थापना बिहार के पूसा (Pusa) नामक स्थान पर हुई थी। बाद में IARI के दिल्ली में आ जाने के बाद इसे पूसा इन्स्टीट्यूट कहा जाने लगा।
→ भारत में मथुरा, कानपुर व इंदौर गेहूँ की सबसे बड़ी मन्डी है।
→ अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) की स्थापना सन् 1960 में फिलीपींस में हुईं।
→ यहीं से सन् 1966 में धान की उन्नत व अर्ध वामन किस्म IR-8 विकसित हुई।
→ सारांश वैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग कर घरेलू पशुओं की देखभाल व प्रजनन कराना पशुपालन कहलाता है। पशुओं व पशु उत्पादों से प्राप्त खाद्य पदार्थों की मात्रा व गुणवत्ता दोनों ही के सन्दर्भ में लगातार बढ़ती माँग को उत्कृष्ट पशुपालन विधियाँ अपना कर पूरा किया जा सकता है, इन प्रक्रियाओं में शामिल है-फार्म व फार्म पशुओं का प्रबन्धन तथा पशु प्रजनन। शहद एक पौष्टिक खाद्य पूरक है, इसके पोषक मान को दृष्टिगत रखते हुए मधुमक्खी पालन या एपीकल्चर के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। फिशरीज भी एक फलता फूलता उद्योग है जो मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय खाद्यों की लगातार बढ़ती माँग को पूरा कर रहा है। यह सम्भावना भरा व अतिरिक्त आय का उत्पादक उद्योग कहा जा सकता है।
→ पादप प्रजनन पादपों के मनुष्य के लिए लाभकारी लक्षणों के विकास का विषय है। इसका प्रयोग पादपों की ऐसी किस्मों के विकास के लिए किया जाता है जो रोगजनकों व कीट, पीड़कों के लिए प्रतिरोधी हों। इससे खाद्य उत्पादन में वृद्धि होती है। इस विधि का प्रयोग खाद्य पादपों की गुणवत्ता विशेष रूप से पोषक मान, उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। फलस्वरूप खाद्य उत्पादन में आशातीत बढ़ोत्तरी हुई है। भारत में विभिन्न फसली पौधों की अनेक किस्में विकसित की गई हैं। ऊतक सम्वर्धन व कायिक संकरण तकनीकों में, पादपों के प्रयोगशालायी या इन विट्रो फेरबदलाव की विपुल सम्भावनाएँ हैं। इनसे उन पौधों में भी संकरण कराया जा सकता है जिनमें परम्परागत संकरण के सभी प्रयास विफल रहे हैं।
→ Agriculture (कृषि)-विज्ञान की शाखा या पद्धति जो फसलों को उगाने, फसलों के लिए भूमि तैयार करने तथा पशु पालन से सम्बन्धित है, फसलों का उगाना, संग्रहण व विपणन भी इसी के भाग हैं।
→ Animal Husbandry (पशु पालन)-कृषि की वह शाखा जो पशुओं की देखभाल, प्रबन्धन व प्रजनन से सम्बन्धित है।
→ Apiary (कृत्रिम मधुमक्खी छत्ता)-लकड़ी से बना कक्ष जिसमें मधुमक्खी पालन किया जाता है।
→ Apiculture (मधुमक्खी पालन)-व्यावसायिक रूप से शहद उत्पादन के लिए किया जाने वाला मधुमक्खी पालन।
→ Aquaculture (जल कृषि)-मछली, क्रस्टेशियन, मौलस्क या जलीय पादपों का व्यावसायिक सम्वर्धन।
→ Artificial Insemination (कृत्रिम वीर्यसेचन)-उन्नत नस्ल के नर का वीर्य मादा के जननमार्ग में अन्त:क्षेपित या इंजैक्ट करना।
→ Biofortification (जैव पुष्टिकरण)-पादप प्रजनन की विभिन्न तकनीकों द्वारा फसली पौधों के पोषक मान में वृद्धि करना।
→ Callus (कैलस)-ऊतक सम्वर्धन में एक्सप्लाण्ट की सम्वर्धन माध्यम में वृद्धि से बना असंगठित व अविभेदित कोशिकाओं का समूह।
→ Concentrates (सांद्रित पोषक)-पशुओं के खाने में पोषक पदार्थों जैसे विटामिन, खनिज, प्रोटीन या वसा आदि से समृद्ध भाग जैसे धान्य, खली, बिनौला।
→ Domestication (घरेलू करण)-किसी जीव (पादप या जन्तु) को उसकी वन्य अवस्था से मानव प्रबन्धन की स्थिति में लाना।
→ Explant (कर्तोतक)-किसी पोधे की वह कोशिका या ऊतक जिसे ऊतक सम्वर्धन हेतु पोषक माध्यम पर उगाया जाता है।
→ Exotic Breed (विदेशी नस्ल)-किसी क्षेत्र में प्रवेशित विदेशी नस्ल।
→ Germplasm (जनन द्रव्य)-किसी पौधे के सभी जीनों के सभी एलील्स, सभी सम्भावित स्रोतों से।
→ Horticulture (उद्यानिकी)-कृषि की शाखा जो फलों, वृक्षों, उद्यानों, सजावटी पौधों की कृषि से सम्बन्धित है।
→ Hybridisation (संकरण)-दो भिन्न लक्षणों वाले जनकों के लैंगिक प्रजनन से संकरों का निर्माण।
→ Heterosis (हेटेरोसिस)-संकरों की दोनों जनकों से श्रेष्ठता की अवस्था।
→ Inbreeding (अन्तः प्रजनन)-एक ही किस्म (Variety)-नस्ल (breed) के जीवों के बीच प्रजनन।
→ Livestock (पशु सम्पदा)-घरेलू कृत पशु जैसे गौवंश, भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, ऊँट आदि।
→ Milch Animal (दुधारू पशु)-दूध देने वाले पशु जैसे गाय, भैंस, बकरी आदि।
→ Plant Breeding (पादप प्रजनन)-अनुप्रयोज्य वनस्पति विज्ञान की एक शाखा जो फसली पौधों में आनुवंशिक सुधार से सम्बन्धित है।
→ Pisciculture (मत्स्य पालन)-मछलियों का व्यावसायिक उत्पादन।
→ Poultry (पोल्ट्री)-अण्डे व माँस प्राप्ति हेतु मुर्गी व अन्य पक्षियों का पालन।
→ Selection (चयन)-मिश्रित समष्टि से वांछित गुणों वाले जीवों की पहचान व चयन।
→ Superovulation (सुपरओव्यूलेशन)-उन्नत नस्ल की मादा (गाय आदि) में हार्मोनों के इंजैक्शन द्वारा अनेक अण्डों के निर्माण (अण्डोत्सर्ग) की प्रक्रिया।
→ Swarming (स्वार्मिंग)-पुरानी रानी (queen) मक्खी को कुछ श्रमिकों के साथ छोड़कर नये स्थान पर नयी कोलोनी के निर्माण की प्रक्रिया।