These comprehensive RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग will give a brief overview of all the concepts.
→ स्वास्थ्य केवल रोग की अनुपस्थिति नहीं है। यह पूर्ण शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व मनोवैज्ञानिक कुशलता की अवस्था है। सूक्ष्मजीवों के कारण होने वाले रोग संक्रामक रोग कहलाते हैं। टायफाइड, टी बी, हैजा, न्यूमोनिया, मलेरिया, त्वचा के फंगल इन्फैक्शन व अन्य अनेक रोग मनुष्य के लिए पीडादायी स्थिति बनाते हैं और स्वास्थ्य के लिए चुनौती हैं। मलेरिया जैसे वाहक जन्य रोग, विशेष रूप से प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण होने वाला सेरीब्रल मलेरिया उपचार न कराने पर जानलेवा हो जाते हैं। वैयक्तिक स्वच्छता-सफाई व सामुदायिक स्वास्थ्य उपाय, जैसे अपशिष्ट का यथोचित निस्तारण, पीने के पानी को संदूषण-मुक्त करना, मच्छर-मक्खी जैसे वाहकों का नियंत्रण व प्रतिरक्षीकरण इन रोगों की रोकथाम हेतु महत्वपूर्ण उपाय हैं।
→ जन-जन तक स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारी का प्रचार-प्रसार भी इस हेतु आवश्यक है। जब हम इन रोगों के रोगजनकों के सम्पर्क में आते हैं तो हमारा प्रतिरक्षी तंत्र इनकी रोकथाम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक प्रकार की प्रतिरक्षी क्षमता हमारे शरीर में जन्म के समय से ही उपस्थित होती है जिसे सहज प्रतिरक्षा कहते हैं। इसमें त्वचा, श्लेष्मिक कला, हमारे आँसू, लार में उपस्थित लाइसोजाइम, जैसे-सूक्ष्मजीवी नाशक पदार्थ, शरीर की भक्षक कोशिकाएँ शामिल हैं जो रोगजनकों को शरीर में पैठ बनाने से रोकती हैं। दूसरे स्तर की प्रतिरक्षा में ह्यूमोरल प्रतिरक्षी तंत्र एंटीबाडीज बनाकर तथा कोशिका माध्यित प्रतिरक्षी तंत्र विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर गये रोगजनकों को मार देते हैं।
→ प्रतिरक्षी तंत्र में स्मृति होती है। समान प्रकार के रोगजनक से दोबारा सामना होने पर प्रतिरक्षी अनुक्रिया अधिक तीव्रता से व शीघ्र होती है। यही टीकाकरण व प्रतिरक्षीकरण से उपलब्ध होने वाली सुरक्षा का आधार है। अन्य प्रमुख रोगों में कैंसर व एड्स बड़ी चुनौतियाँ हैं जो वैश्विक स्तर पर लोगों की बड़ी संख्या में होने वाली मृत्यु के लिए उत्तरदायी हैं। ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी (HIV) नामक रिट्रोवाइरस से होने वाला रोग एड्स जानलेवा है लेकिन कुछ सावधानियों के द्वारा इससे बचा जा सकता है। अगर प्रारम्भिक अवस्था में ही कैंसर की पहचान सुनिश्चित कर ली जाय तो उचित चिकित्सीय उपचार समय से प्रारम्भ करके कैंसर का उपचार किया जा सकता है। आज युवकों में ड्रग्स व एल्कोहॉल का कुप्रयोग एक बड़ी चुनौती बन गया है।
→ युवक इन गलत धारणाओं के कारण कि यह तनाव कम कर देते हैं, साथी-संगियों के उकसावे में, परीक्षा व अन्य स्पर्धाओं जनित दबाव में इन मादक द्रव्यों का प्रयोग प्रारम्भ कर देते हैं, जो निर्भरता उत्पन्न करने वाला होता है। शीघ्र ही यह एक व्यसन के रूप में विकसित हो जाता है। इन हानिकारक पदार्थों के बारे में लोगों को शिक्षित कर, परामर्श देकर तथा त्वरित व्यावसासिक व चिकित्सीय सहायता प्रदान कर लोगों को इस बुराई से बचाया जा सकता है।
→ विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल को मनाया जाता है। इसी दिन 1948 में WHO की स्थापना हुई थी।
→ प्रतिवर्ष 1 दिसम्बर को एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है।
→ एरगाट फंगस क्लेवीसेपस परप्यूरिया से होने वाली विषाक्तता को एरगोटिज्म (Ergotism) कहा जाता है।
→ एमिल वान बेहरिंग को इम्यूनोलॉजी (Immunology) का पिता कहा जाता है।
→ 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) मनाया जाता है।
→ साइकोसिस (Psychosis) गम्भीर मानसिक बीमारी है जिसमें रोगी का वास्तविकता से सम्बंध नहीं रहता।
→ सेलमान वेक्समैन (Selaman Waksman) ने सन् 1942 में 'एंटीबायोटिक' शब्द प्रतिपादित किया।
→ अधिकांश एंटीबायोटिक्स एक्टीनोमाइसिटीज के स्ट्रेप्टोमाइसिस वंश से प्राप्त की जाती हैं।
→ निर्भरता उत्पन्न करने वाली दवाओं को साइकोट्रोपिक (Psychotropic) ड्रग्स या मूड अल्टरिंग (Mood Altering) ड्रग्स भी कहा जाता है।
→ फाइलेरिया का नाम फिलर 'filar' से व्युत्पन्न है जिसका अर्थ होता है धागे जैसा।
→ बी सी जी (BCG) टीका टी बी रोग की रोकथाम हेतु दिया जाता है। इसका पूरा नाम है बेसीलस काल्मेट ग्वारिन (Bacillus, Calmette Guerin)।
→ बेसीलस जीवाणु का नाम तथा काल्मेट व ग्वारिन वैज्ञानिकों के नाम हैं।
→ टी बी रोग में जीवाणु ट्युबरकुलिन (Tuberculin) नामक विष मुक्त करते हैं।
→ डी पी टी (DPT) वैक्सीन डिफ्थीरिया परटुसिस (वूपिंग कफ) व टिटेनस तीन रोगों से बचाता है।
→ टिटेनस से बचाव के लिए दिये जाने वाले ए टी एस (ATS) वैक्सीन का पूरा नाम एंटीटिटेनस सीरम (Antitetanus serum) है।
→ कभी-कभी व्यक्ति में जन्म के समय से ही टी लिम्फोसाइट या बी लिम्फोसाइट नहीं होती। इस प्रकार का एक गम्भीर रोग SCID (Severe Combined Immuno Deficiency) है।
→ बी लिम्फोसाइट 20 ट्रिलियन प्रतिदिन की दर से एंटीबाडीज का निर्माण करती हैं।
→ डेंगी (Dengue) फ्लेबो राइबो वाइरस से होता है यह RNA वाइरस है।
→ रेबीज शत-प्रतिशत घातक रोग है। अत: कुत्ते के काटने पर एंटीरेबीज वैक्सीन अवश्य लेना चाहिए।
→ 1876 में राबर्ट कोच ने बताया कि एंपैक्स रोग जीवाणु के कारण होता
→ राबर्ट कोच (Robert Koch) ने संक्रामक रोगों की पुष्टि हेतु रोग सिद्धान्त (Koch's Postulates) दिये।
→ एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) ने पहली बार वैक्सीन शब्द का प्रयोग किया। वह स्माल पॉक्स के लिए कृत्रिम चिकित्सा की खोज करने में सक्षम प्रथम वैज्ञानिक था।
→ पाश्चर ने जेनर की खोज की पुष्टि की व रेबीज, प्लेग आदि के वैक्सीन बनाये।
→ रुडाल्फ विरचो (Rudolf Virchow) को आधुनिक रोग विज्ञान का पिता माना जाता है।
→ श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBCs) केशिका (capillaries) की दीवार को भेदकर संक्रमण के स्थान तक पहुँच सकती हैं। इनका वाहिका से बाहर निकलना डायपेडेसिस (diapedesis) कहलाता है।
→ बी सी जी टीके बनाने में पशुओं में टी बी पैदा करने वाले निर्बलीकत जीवाणु माइकोबैक्टीरियम बोविस (Mycobacterium bovis) का प्रयोग किया जाता है। बी सी जी वैक्सीन का प्रयोग USA में नहीं किया जाता।
→ पोलियो के पहले टीके को जोनास साक (Jonas Salk) द्वारा विकसित किया गया। यह इंजेक्शन से दिया जाता था।
→ पोलियो के मुखीय टीके का विकास, अल्बर्ट साविन (Albert Sabin) ने किया।
→ एड्स विषाणु शीघ्रता से अपने एंटीजन बदलने में माहिर हैं, अत: अभी तक इसके लिए टीके का विकास नहीं हो सका है।
→ कई टीकों में एक या अधिक बूस्टर डोज (Booster Dose) दी जाती हैं।