These comprehensive RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार will give a brief overview of all the concepts.
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→ नाभिकीय अम्ल न्यूक्लियोटाइड के बहुलक होते हैं। डी.एन.ए. आनुवंशिक सूचना को संग्रहित करता है जबकि आर.एन.ए. प्रमुखत: आनुवंशिक सूचना के स्थानान्तरण व अभिव्यक्ति में मदद करता है। यद्यपि डी.एन.ए. व आर.एन.ए. दोनों ही आनुवंशिक पदार्थ के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन डी.एन.ए. संरचनात्मक व रासायनिक रूप से अधिक स्थिर होने के कारण एक बेहतर आनुवंशिक पदार्थ है। आर.एन.ए. जीवों में विकसित होने वाला पहला आनुवंशिक पदार्थ था, बाद में इससे डी.एन.ए. की उत्पत्ति हुई। डी.एन.ए. की द्विकुंडली संरचना का महत्त्वपूर्ण लक्षण इसके विपरीत रज्जुकों के क्षारकों के मध्य हाइड्रोजन बन्ध है।
→ एडीनीन नामक प्यूरीन क्षारक थाएमीन नामक पिरीमिडीन क्षारक से दो हाइड्रोजन बन्धों द्वारा तथा ग्वानीन नाम का प्यूरीन, साइटोसीन नाम के पिरीमिडीन क्षारक से तीन हाइड्रोजन बन्धों से जुड़ा होता है। यह क्षारक युग्मन का नियम है और इसका कोई अपवाद नहीं। इससे एक रज्जुक दूसरे का पूरक हो जाता है। आर.एन.ए. में थाएमीन के स्थान पर यूरेसिल पाया जाता है।
→ डी.एन.ए. का प्रतिकृतिकरण अर्धसंरक्षी होता है तथा यह प्रक्रिया पूरक हाइड्रोजन बन्धन द्वारा निर्देशित होती। डी.एन.ए. का एक ऐसा खण्ड जो एक आर.एन.ए. को कोड करता है, सरल शब्दों में जीन कहा जाता है। अनुलेखन । के समय भी डी.एन.ए. का एक रज्जुक टेम्पलेट के रूप में कार्य कर पूरक । आर.एन.ए. अणु के संश्लेषण का निर्देशन करता है। जीवाणुओं में, इस प्रकार अनुलेखित एम आर.एन.ए. क्रियाशील होता है। अतः सीधे ही अनुवाद में भाग , लेता है। यूकैरियोटिक कोशिका में जीन विखण्डित या स्प्लिट होती है। इनके - कूटलेखन करने वाले अनुक्रमों (एक्जॉनों) के बीच-बीच में इंट्रान पाये जाते हैं जो कूटलेखन (कोड) नहीं करते। स्प्लाइसिंग की प्रक्रिया में ।
→ एम-आर.एन.ए. के इन्ट्रान से बने भाग निकालकर एक्जॉनों को आपस में जोड़ दिया जाता है, फलस्वरूप क्रियाशील या परिपक्व एम-आर.एन.ए. प्राप्त होता है। एम-आर.एन.ए. पर क्षारकों के अनुक्रम होते हैं जो तीन के संयोजनों ' में पढ़े जाते हैं तथा अमीनो अम्लों को कोड करते हैं। इन्हीं से त्रिक ' (ट्रिपलेट) जेनेटिक कोड का निर्माण होता है। जेनेटिक कोड एक बार फिर - पूरकता के नियम के आधार पर टी-आर.एन.ए. द्वारा पढ़ा जाता है, जो एक अनुकूलक अणु के रूप में कार्य करता है। प्रत्येक अमीनो अम्ल के लिए : विशिष्ट टी-आर.एन.ए. होता है। टी-आर.एन.ए. के एक सिरे पर एक । विशिष्ट अमीनो अम्ल जुड़ जाता है तथा इसके दूसरे सिरे पर स्थित एंटीकोडोन, हाइड्रोजन बंध द्वारा एम-आर.एन.ए. के कोडोनों से युग्मन करता है। राइबोसोम, अनुवाद या प्रोटीन संश्लेषण के स्थल के रूप में कार्य करते हैं। यह एम-आर.एन.ए. से जुड़कर अमीनो एसिड अणुओं के जुड़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराते हैं। एक प्रकार का आर-आर.एन.ए. एंजाइम (राइबोजाइम) की तरह कार्य करता है।
→ अनुवाद एक ऐसी प्रक्रिया है जो आर.एन.ए. के इर्द-गिर्द ही विकसित हुई है तथा स्पष्ट संकेत देती है कि में जीवन की उत्पत्ति आर.एन.ए. से ही हुई। चूंकि अनुलेखन व अनुवाद दोनों ही में अत्यधिक ऊर्जा की खपत होती है अतः इनका सख्ती से नियमन किया + जाता है अनुलेखन का नियमन ही जीन अभिव्यक्ति के नियमन का प्राथमिक स्तर है। जीवाणुओं में एक से अधिक जीन एक साथ व्यवस्थित होती हैं तथा एक इकाई के रूप में, जिन्हें ओपेरान कहते हैं, नियमित होती हैं। लैक ओपेरान, जीवाणुओं का एक प्रोटोटाइप ओपेरान है, जो लैक्टोज के उपापचय के लिए उत्तरदायी जीनों को कोड करता है। यह ओपेरॉन, माध्यम, जिसमें जीवाणु सम्वर्धित किये जा रहे हैं, में लैक्टोज की मात्रा द्वारा नियमित होता है। अतः इस नियमन को आधारी पदार्थ द्वारा एंजाइम के संश्लेषण के नियमन के रूप में भी देखा जा सकता है।
→ मानव जीनोम परियोजना एक ऐसी महापरियोजना थी जिसका उद्देश्य मानव जीनोम में उपस्थित प्रत्येक क्षारक का अनुक्रम निर्धारण करना था। इस परियोजना से अनेक नई जानकारियाँ प्राप्त हुई हैं। इससे जीव विज्ञान के क्षेत्र में अनेक नए आयामों व मार्गों का सृजन हुआ है। डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिग, - किसी जनसंख्या के व्यक्तियों में डी.एन.ए. के स्तर पर पायी जाने वाली - विभिन्नताओं को पहचानने की विधि है। यह डी.एन.ए. अनुक्रमों में पायी जाने - वाली बहुरूपता के सिद्धान्त पर कार्य करती है। डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग के - फोरेंसिक विज्ञान, आनुवंशिक जैवविविधता व विकासीय जीव विज्ञान में । उल्लेखनीय अनुप्रयोग हैं।
→ Adenine (A) (एडीनीन)-डी.एन.ए. व आर.एन.ए. की संरचनात्मक इकाई में उपस्थित 4 नाइट्रोजन क्षारकों में से एक प्यूरीन।
→ Adenosine (एडीनोसीन)-नाइट्रोजन क्षारक एडीनीन व राइबोज शर्करा के जुड़ने से बना एक न्यूक्लियोसाइड जो न्यूक्लियोटाइड बनाता
→ Amino Acid (अमीनो अम्ल)-एक अमीनो समूह व एक कार्बोक्सिलिक समूह वाला कार्बनिक अणु पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़कर प्रोटीन की संरचनात्मक इकाई बनाता है।
→ Anticodon (एंटीकोडोन)-tRNA पर स्थित तीन क्षारकों का अनुक्रम जो mRNA के पूरक कोडोन से युग्मित होता है।
→ Antiparallel (प्रतिसमानान्तर)-द्विरज्जुकी डी.एन.ए. में दोनों रज्जुकों के एक-दूसरे के विपरीत होने की अवस्था जिसमें एक रज्जुक की दिशा 5' → 3' तथा दूसरे की 3' → 5' होती है।
→ Bacteriophage (जीवाणुभोजी)-जीवाणु को संक्रमित करने वाला विषाणु।
→ Bacterial Artificial Chromosome (BAC)-जीन क्लोनिंग में प्रयुक्त जीवाणु क्रोमोसोम आधारित कृत्रिम रूप से तैयार । वाहक (vector)। Bioinformatics (जैवसूचना विज्ञान)-जीनोम अध्ययन व अनुप्रयोगों में कम्प्यूटर तकनीकी का प्रयोग।
→ Capping (कैपिंग)-अनुलेखित mRNA के 5' सिरे पर मिथाइल ग्वानोसीन फास्फेट का जुड़ना जो mRNA की रक्षा करता है।
→ Capsid (कैप्सिड)-विषाणु का प्रोटीन से बना बाह्य आवरण जिसके अन्दर आनुवंशिक पदार्थ सुरक्षित रहता है।
→ Centrifugation (अपकेन्द्रण)-किसी निलम्बन को अपकेन्द्रण नलिकाओं में तेजी से घुमाने वाली पृथक्करण विधि जिसमें सबसे भारी कण सबसे नीचे व हल्के कण घनत्व प्रवणता (density gradient) के 4 अनुसार व्यवस्थित होते हैं।
→ Charging of tRNA (tRNA की चार्जिंग)-सक्रिय, ऊर्जावान अमीनो अम्ल का tRNA से जुड़ना।
→ Chromatin (क्रोमेटिन) डी.एन.ए. व सम्बद्ध प्रोटीनों के तंतुओं का जाल जो ऐसे केन्द्रक में स्पष्ट होता है जो विभाजित न हो रहा हो।
→ C Codon (कोडोन)-mRNA पर स्थित तीन क्षारकों का अनुक्रम जो विशिष्ट अमीनो अम्ल को कोड करता है, तीन समापन कोडोन इसके 6 अपवाद हैं व अमीनो अम्लों को कोड नहीं करते।
→ Coding Strand (कूटलेखन रज्जुक)-अनुलेखन में टेम्पलेट रज्जुक का पूरक, 5' → 3' दिशा वाला डी.एन.ए. रज्जुक जो अनुलेखन में भाग नहीं लेता।
→ Complementary Base Pairing (पूरक क्षारक युग्मन)-डी.एन.ए. में पूरक प्यूरीन व पिरीमिडीन के बीच हाइड्रोजन 6 बन्ध बनना।
→ Complementary DNA (c DNA)-mRNA से एंजाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज की क्रिया द्वारा संश्लेषित हुआ डी.एन.ए.।
→ Co-repressor (सह दमनकारी)-अणु जो दमनकारी (repressor) से जुड़कर दमन योग्य ओपेरान में दमनकारी को ओपेरेटर 6 से जुड़ने में सक्षम बनाता है। जैसे ट्रिप ओपेरान में।
→ Covalent Bond (सह संयोजी बन्ध) रासायनिक बंध जिनमें 6 परमाणुओं के बीच एक युग्म (pair) इलेक्ट्रान की साझेदारी होती है।
→ Cytosine (C) साइटोसीन-डी.एन.ए. व आर.एन.ए. की 6 संरचनात्मक इकाई के चार, नाइट्रोजनधारी क्षारकों में से एक पिरीमिडीन।
→ Deoxyribose (डी ऑक्सी राइबोज)-डी.एन.ए. की पेंटोज शर्करा।
→ Disaccharide (डाई सैकेराइड)-ऐसी शर्करा जिसमें दो । मोनोसैकेराइड इकाइयाँ होती हैं, जैसे लैक्टोज, माल्टोज।
→ DNA (डी.एन.ए.)-लगभग सभी कोशिकीय जीवों का आनुवंशिक पदार्थ जो डी ऑक्सी राइबोन्यूक्लियोटाइड इकाइयों का बना होता है।
→ DNA fingerprinting (डी.एन.ए. अंगुलिछापी)-व्यक्तियों में डी.एन.ए. के स्तर पर पाई जाने वाली विभिन्नताओं की पहचान करने की विधि जिसके आधार पर किसी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित की जा सकती है।
→ DNA ligase (डी.एन.ए. लाइगेज)-एंजाइम जो डी.एन.ए. खण्डों को जोड़ता है।
→ DNA Polymerase (डी.एन.ए. पॉलीमरेज)-डी.एन.ए. प्रतिकृतिकरण के समय पूरक न्यूक्लियोटाइडों को टेम्पलेट डी.एन.ए. पर जोड़ने वाला एंजाइम।
→ DNA repair enzyme (डी.एन.ए. रिपेयर एंजाइम)-अनेक एंजाइमों में से एक जो डी.एन.ए. के बदले या परिवर्तित रज्जुक में मौलिक क्षारक अनुक्रम वापस लाने में मदद करता है।
→ DNA replication (डी.एन.ए. प्रतिकृतिकरण)-कोशिका विभाजन से पहले डी.एन.ए. के द्विकुंडलित अणु से अर्धसंरक्षी विधि द्वारा संतति डी.एन.ए. का संश्लेषण।
→ EST Expressed Sequence Tags (अभिव्यक्त अनुक्रम टैग)-डी.एन.ए. में क्षारक अनुक्रम निर्धारण की विधि जिसमें डी.एन.ए. द्वारा अनुलेखित एम आर.एन.ए. की पहचान द्वारा डी.एन.ए. क्षारकों का क्रम निर्धारित किया जाता है।
→ Euchromatin (यूक्रोमेटिन)--क्रोमेटिन का वह भाग जो कम संघनित होता है, रंगने पर हल्का रंग लेता है तथा अनुलेखन को उपलब्ध होता है।
→ Exon-यूकैरियोटिक विखण्डित (split) जीनों के कोडिंग अनुक्रम (coding sequence) जो पॉलीपेप्टाइड को कोड करते हैं।
→ Gene (जीन)-आनुवंशिकता की इकाई जो द्विगुणित जीवों में अलील के रूप में दो प्रतियों में उपस्थित रहती है।
→ Genetic Code (आनुवंशिक कूट)-सार्वत्रिक कोड जो सभी जीवों में प्रोटीन संश्लेषण हेतु विशिष्टीकृत सूचना प्रदान करता है, त्रिक या ट्रिपलेट कोडोन के रूप में एक विशिष्ट अमीनो अम्ल को कोड करता
→ Genomics (जीनोमिक्स)-जीनोम का अध्ययन।
→ Genome (जीनोम)-अगुणित क्रोमोसोम सैट की सभी जीन।
→ Guanine (G-ग्वानीन)-डी.एन.ए. व आर.एन.ए. की संरचनात्मक इकाई के चार नाइट्रोजनी क्षारकों में से एक प्यूरीन क्षारक।
→ hnRNA (एच-एन आर.एन.ए.)-डी.एन.ए. के आर.एन.ए. पॉलीमरेज II की मदद से हुए अनुलेखन से बना mRNA का पूर्ववर्ती (अप्रसंस्कारित mRNA)।
→ Hetero chromatin (हेटेरोक्रोमेटिन)-अत्यधिक संघनित क्रोमेटिन जो अनुलेखन हेतु उपलब्ध नहीं हो पाता तथा गहरा रंग लेता है।
→ Histone (हिस्टोन)-क्रोमोसोम में डी.एन.ए. को बाँधने वाली क्षारकीय प्रोटीन जो न्यूक्लियोसोम बनाती है।
→ Hydrogen Bond (हाइड्रोजन बन्ध)-कमजोर बन्ध जो एक हल्के धनावेशित हाइड्रोजन परमाणु व किसी अन्य अणु के हल्के ऋणावेशिक परमाणु के बीच बनते हैं।
→ Inducer (प्रेरक)-ऐसा अणु जो दमनकारी पदार्थ (repressor) से जुड़कर उसे ओपरेटर जीन से बँधने से रोक लेता है तथा ओपेरॉन को 'स्विच ऑन' अर्थात सक्रिय कर देता है।
→ Intron (इन्ट्रॉन)-यूकैरियोटिक विखण्डित (split) जीनों के वह भाग जो पॉलीपेप्टाइड को कोड नहीं करते व अंतिम mRNA अनुलेख से स्प्लालसिंग द्वारा निकाल दिये जाते हैं।
→ Monocistronic (मोनोसिस्ट्रानिक)-यूकैरियोटिक संरचनात्मक जीन जो प्राय: विखण्डित (split) होती हैं तथा कोडिंग एक्सान व नॉन कोडिंग इंट्रान की बनी होती हैं।
→ mRNA (एम-आर.एन.ए.)-एक प्रकार का आर.एन.ए. जो डो.एन.ए. से अनुलेखित होता है तथा पॉलीपेप्टाइड में अमीनों अम्लों के अनुक्रम की सूचना संग्रहित रखता है।
→ Nucleic Acid (नाभिकीय अम्ल)-न्यूक्लियोटाइड के बहुलक जैसे--डी.एन.ए. व आर.एन.ए. जो आनुवंशिक पदार्थ के रूप में कार्य करते हैं।
→ Nucleoid (केन्द्रकाभ)-प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं का वह क्षेत्र जहाँ डी.एन.ए. स्थित होता है तथा जो केन्द्रक कला विहीन होता है।
→ Nucleosome (न्यूक्लिओसोम)-यूकैरियोटिक कोशिका में 8 किन प्रोटीन से बनी कोर व उस पर लिपटे डी.एन.ए. से बनी इकाई जो मनकों (beads) की माला के रूप में दिखाई देती है।
→ Nucleotide (न्यूक्लियोटाइड)-डी.एन.ए. व आर.एन.ए. की संरचनात्मक इकाई जो एक पेन्टोज शर्करा, नाइट्रोजन क्षारक व फास्फेट समूह से बनी होती है (न्यूक्लिओसाइड के फास्फेट)।
→ Oncogene (ओंकोजीन)-कैंसरकारी जीन।
→ Operon (ओपेरॉन)-संरचनात्मक व नियामक जीनों का समूह जो एक इकाई के रूप में कार्य करता है।
→ Point mutation (बिन्दु उत्परिवर्तन)-किसी जीन के क्षारक अनुक्रम में केवल एक क्षारक के परिवर्तन से हुए उत्परिवर्तन।
→ Polymorphism (बहुरूपता)-मानव जनसंख्या में एक लोकस पर एक से अधिक अलील की 0.01 से अधिक आवृत्ति में पाये जाने की
अवस्था। व्यक्तियों में पुनरावृत्त डी.एन.ए. की भिन्नता।
→ Polypeptide (पॉलीपेप्टाइड)-पेप्टाइड बन्धों से जुड़ी अमीनो अम्लों की एक श्रृंखला।
→ Polyribosome (पॉलीराइबोसोम)—प्रोटीन संश्लेषण के दौरान एक ही mRNA के खण्डों का अनुवाद करती राइबोसोमों की श्रृंखला।
→ Prion (प्रियॉन)-संक्रमणकारी कण जो केवल प्रोटीन के बने होते हैं तथा जिनमें न्यूक्लिक अम्ल नहीं होता।
→ Promotor (प्रमोटर)-किसी ओपेरॉन का वह डी.एन.ए. अनुक्रम जहाँ अनुलेखन से पहले आर.एन.ए. पॉलीमरेज जुड़ता है।
→ Proof reading (प्रूफ रीडिंग) डी.एन.ए. प्रतिकृतिकरण में नये बन डी.एन.ए. की परिशुद्धता जाँचने की विधि जिसमें गलती से जुड़े किसी गलत क्षारक को हटाकर उसकी जगह सही क्षारक लगा दिया जाता है।
→ Protein coding Gene (प्रोटीन कूट लेखन जीन)-ऐसी जीन जो mRNA में अनुलेखित हो जाती है।
→ Proteomics (प्रोटियोमिक्स)-एक जीव द्वारा उत्पन्न सभी प्रकार के प्रोटीनों का अध्ययन।
→ Purine (प्यूरीन)-नाइट्रोजनी क्षारक जैसे एडीनीन व ग्वानीन जो दो चक्रों (rings) के बने होते हैं।
→ Pyrimidine (पिरीमिडीन)-नाइट्रोजनी क्षारक जैसे साइटोसीन, थायमीन व यूरेसिल जिनमें केवल एक चक्र (ring) होता है।
→ Regulatory Gene (नियामक जीन)-किसी ओपेरान में वह जीन जो ऐसी प्रोटीन का निर्माण करती है जो अन्य जीनों की अभिव्यक्ति का नियमन करती है।
→ Replication Fork (प्रतिकृति द्विशाख)-यूकैरियोटिक कोशिका में डी.एन.ए. अणु का वह बिन्दु जहाँ से दोनों पैतिक रज्जुक अलग-अलग होकर प्रतिकृतिकरण का अवसर प्रदान करते हैं।
→ Repressor (दमनकारी)-किसी ओपेरान में प्रोटीन अणु जो ओपेरेटर से जुड़कर संरचनात्मक जीन का अनुलेखन बाधित कर देता है।
→ Ribosomal RNA (राइबोसोमल RNA)-एक प्रकार का RNA जो राइबोसोम में पाया जाता है तथा अनुवाद में मदद करता है।
→ Ribozyme (राइबोजाइम)—एंजाइम के रूप में कार्य करने वाले आर.एन.ए. का प्रकार।
→ RNA (आर.एन.ए.)-राइबोन्यूक्लियोटाइड इकाइयों से बना बहुलक नाभिकीय अम्ल जो विषाणु में आनुवंशिक पदार्थ का तथा कोशिकीय जीवों में विभिन्न रूपों में आनुवंशिक सूचनाओं के स्थानान्तरण में मदद करता है।
→ RNA polymerase (आर.एन.ए. पॉलीमरेज)-अनुलेखन के समय डी.एन.ए. टेम्पलेट पर राइबोन्यूक्लिटाइडों के बहुलकीकरण में सहायक एंजाइम।
→ Satellite DNA (सैटेलाइट डी.एन.ए.)-ऐसा डी.एन.ए. अनुक्रम जो पुनरावृत्त डी.एन.ए. अनुक्रमों से ही बना होता है। पुनरावृत्त डी.एन.ए. के प्रत्येक समूह को सैटेलाइट कहा जाता है।
→ Semi conservative Replication (अर्धसंरक्षी प्रतिकृतिकरण)-डी.एन.ए. अणु का द्विगुणन या प्रतिकृतिकरण जिससे डी.एन.ए. के दो द्विकुंडलित अणु बन जाते हैं जिनमें से प्रत्येक में एक रज्जुक पैत्रिक व दूसरा नवसंश्लेषित होता है।।
→ SNPS (Single Nucleotide Polymorphism (एकल न्यूक्लियोटाइड बहुरूपता)—मानव जीनोम के 1.4 मिलियन ऐसे स्थान जहाँ एकल क्षारक डी.एन.ए. भिन्नता पाई जाती है अर्थात डी.एन.ए. केवल एक क्षारक के आधार पर भिन्न होता है।
→ Splicing (स्प्लाइसिंग)-प्रारम्भिक mRNA का प्रसंस्करण या प्रोसेसिंग अथवा एडीटिंग जिससे उसमें से इंट्रान खण्ड निकाल दिये जाते हैं तथा एक्जान को आपस में जोड़ दिया जाता है।
→ Sequence Annotation (सीक्वेंस एनोटेशन)-जीनोम अध्ययन की विधि जिसमें क्षारकों के सभी अनुक्रमों का निर्धारण कर बाद में उन्हें उनके कार्यों के साथ सम्बद्ध किया जाता है।
→ Structural Gene (संरचनात्मक जीन)—किसी उपापचयी पथ के एंजाइमों को कोड करने वाली जीन।
→ Tailing (पुच्छन)-अनुलेखित mRNA के 3' सिरे पर लगभग 200 एडीनीन क्षारकों (Poly A) का जुड़ना।
→ Template (सांचा, टेम्पलेट)-डी.एन.ए. प्रतिकृतिकरण में डी.एन.ए. का अलग हुआ पैत्रिक रज्जुक जो पूरक रज्जु संश्लेषण के लिए निर्देशक का कार्य करता है। अनुलेखन में डी.एन.ए. का 3' → 5' दिशा वाला रज्जुक जिसकी सूचना के आधार पर mRNA का संश्लेषण होता है।
→ Thymine (T थाएमीन)-डी.एन.ए. के संरचनात्मक घटक न्यूक्लियोटाइड के चार नाइट्रोजनी क्षारकों में से एक पिरीमिडीन।
→ Transcription (अनुलेखन)-डी.एन.ए. टेम्पलेट से आर.एन.ए. का निर्माण।
→ Trancription factor (अनुलेखन कारक)-कारक, प्रमुखतः
प्रोटीन जो अनुलेखन विशेषतः इसके प्रारम्भन में मदद करती है।
→ Transduction (ट्रांसडक्शन)-जीवाणुभोजी की मदद से जीवाणुओं के बीच होने वाला आनुवंशिक पदार्थ का विनिमय।
→ tRNA (टी-आर.एन.ए.)-एक प्रकार का आर.एन.ए. जो विशिष्ट प्रकार के अमीनो अम्ल को प्रोटीन संश्लेषण स्थल, राइबोसोम तक लाता है तथा अपने एंटीकोडोन की मदद से mRNA से जुड़कर अनुवाद में अनुकूलक (adapter) अणु का कार्य करता है।
→ Transformation (रूपान्तरण)-जीवाणुओं द्वारा कोशिका के बाहर स्थित आनुवंशिक पदार्थ को ग्रहण कर रूपान्तरित हो जाना।
→ Translation (अनुवाद)-वह प्रक्रिया जिसमें mRNA की आनुवंशिक सूचना के आधार पर, राइबोसोम स्थल पर, tRNA के द्वारा लाए गये अमीनो अम्लों की मदद से प्रोटीन संश्लेषण होता है।
→ Transposon (ट्रांसपोजोन)-डी.एन.ए. के ऐसे खण्ड जो किसी जीनोम में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में सक्षम होते हैं।
→ Virulent (रोगकारी)-पोषक में रोग उत्पन्न करने की क्षमता वाला कोई जीव।
→ Wobble Hypothesis (वोबेल संकल्पना)-जेनेटिक कोड की अपह्रासित प्रकृति की व्याख्या करने वाली परिकल्पना जिसके अनुसार त्रिक कोड के प्रथम दो अक्षर किसी अमीनो अम्ल को कोड करने में अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं, तीसरा भिन्नता प्रदर्शित कर सकता है। UUU व UUC दोनों फिनाइल एलेनीन को कोड करते हैं।
→ नाभिकीय अम्लों, प्रोटीन में उपस्थित रासायनिक बन्ध (Chemical bonds present in nucleic acids and proteins)
(a) एन ग्लाइकोसिडिक बन्ध (N-glycosidic linkage)-पेंटोज शर्करा व नाइट्रोजनी क्षारक के बीच
(b) फॉस्फोएस्टर बन्ध (Phosphopester linkage)-न्यूक्लियोसाइड व फास्फेट समूह के बीच
(c) फास्फोडाएस्टर बन्ध (Phosphodiester linkage)-दो न्यूक्लियोटाइडों के बीच
(d) हाइड्रोजन बन्ध (Hydrogen bond)-डी.एन.ए. के दो रज्जुकों के क्षारकों के बीच, A तथा T के बीच दो हाइड्रोजन बन्ध तथा G व C के बीच तीन हाइड्रोजन बन्ध होते हैं।
(e) पेप्टाइड बन्ध (Peptide bond)-दो अमीनो अम्लों के बीच एक अमीनो अम्ल के अमीनो व दूसरे के कार्बोक्सिलिक समूह के बीच।