These comprehensive RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे will give a brief overview of all the concepts.
→ यांत्रिक प्रक्रियाओं में वायुमण्डल में मुक्त होने वाले कणिकीय पदार्थ की ‘फ्लाई एश' में अनेक धातुओं की अत्यल्प (Trace) मात्रा उपस्थित होती है। इनमें से कुछ हानिकारक धातुएं हैं- एंटीमनी, आर्सेनिक, बेरिलियम, कैडमियम, लेड, मरकरी आदि।
→ BOD ज्ञात करने के लिए ज्ञात मात्रा में उपस्थित आक्सीजन वाले जल प्रदर्श (सैम्पल) को 20°C तापमान पर 5 दिन अंधेरे में रखा जाता है। बाद में फिर आक्सीजन की मात्रा का मापन किया जाता है।
→ फ्लुओराइड का अधिकतम स्तर जिसे मनुष्य सहन कर सकता है 1.5 ppm है।
→ फ्लुओराइड की अधिकता से फ्लुओरोसिस हो जाती है जिससे दाँत व कंकाल तंत्र, तंत्रिका व पेशी तंत्र व पाचन तंत्र प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं।
→ सभी पारस्परिक क्रियाओं के शीर्ष पर स्थित होने के कारण रेडियो सक्रिय र प्रदूषण का अंतिम शिकार मनुष्य होता है। यह अलग बात है कि केवल ने वही ऐसी प्रजाति है जो रेडियो सक्रिय पदार्थों से खेल सकता है।
→ दक्षिण पश्चिमी सूडान का एक आदिवासी 70 वर्ष की उम्र में भी उतना अच्छा सुन सकता है जितना न्यूयार्क का निवासी 20 वर्ष की उम्र में सुनता है। यह बड़े शहरों में हो रहे ध्वनि प्रदूषण का परिणाम है। अधिक शोर वाली फैक्टरियों में काम करने वाले लोगों की धीमा सुनने की क्षमता समाप्त हो जाती है।
→ उत्तरी अमेरिका की अनेक झीलें अम्लीय वर्षा के प्रभाव के कारण जीवनहीन हो गई हैं।
→ पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणों का अधिक प्रकोप होने पर हमारा प्रतिरक्षी तंत्र 7 (immune system) कमजोर हो जाता है।
→ समुद्र में जलयान या पेट्रोलियम खनन इकाइयों से हुआ पेट्रोलियम रिसाव र (oil spill) समुद्री जल का गम्भीर प्रदूषण है। इससे कोरलरीफ व जैव विविधता को बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाता है।
→ एनीलिड वर्म ट्यूबीफेक्स (Tubifex) अत्यधिक प्रदूषित जल में रहने में क भी सक्षम होता है। यह प्रदूषित जल का परिचायक है।
→ जल में ई.कोलाई (Escherichia coli) की उपस्थिति जल के मानव मल र से प्रदूषित होने की परिचायक है।
→ फोटोकेमिकल स्मोग (Photochemical smog) द्वितीयक प्रदूषण का उदाहरण है। यह अत्यधिक ट्रैफिक वाले मेट्रो शहरों में बनता है। यह मा प्राथमिक प्रदूषकों जैसे हाइड्रोकार्बन्स ध नाइट्रस ऑक्साइड की सूर्य के के प्रकाश की उपस्थिति में हुई क्रिया से बनता है।
→ PAN परआक्सी ऐसीटिल नाइट्रेट प्रमुख द्वितीयक प्रदूषक है।
→ ओजोन छिद्र को सर्वप्रथम 1985 में एंटार्कटिका के ऊपर चिह्नित किया गया था।
→ मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के बाद, वैश्विक जलवायुगत परिवर्तनों के शमन के लिए क्योटो में 1997 में तथा कोपेनहेगन में 2009 में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुए हैं। रियो + 20 के 2012 सम्मेलन में भी इस पर चर्चा हुई है।
→ पेट्रोलियम में लेड को एंटीनाक एजेंट (antiknock agent) के रूप में डाला जाता है।
→ लाइकेन को प्रदूषण का सूचक (Indicator of pollution) माना जाता है।
→ COP III सन् 1997 में क्योटो (जापान) में सम्पन्न हुई।
→ प्रतिवर्ष 16 सितम्बर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है।
→ प्रदूषण के अधिक स्तर के कारण आगरा शहर को यहाँ विश्व प्रसिद्ध ताजमहल होने के बावजूद 'विश्व विरासत शहर' (World Heritage City) का दर्जा नहीं मिला।
→ COP का अर्थ है Conference of Parties, पहली COP-I बर्लिन में, COP II जेनेवा में व COP III क्योटो में हुई।
→ भारत में सन् 1950 में वन महोत्सव' प्रारम्भ हुआ। यह प्रतिवर्ष फरवरी व जुलाई के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है। तत्कालीन खाद्य व कृषि मंत्री श्री के. एम. मुंशी को इसको प्रारम्भ करने का श्रेय दिया जाता है।
→ केरला सास्त्रा साहित्य परिषद के प्रयासों से जैव विविधता से समृद्ध साइलेंट वैली को प्रस्तावित हाइड्रोइलैक्ट्रिक प्रोजेक्ट के कारण होने वाले वनोन्मूलन से बचाया गया। आज साइलेंट वैली (Silent valley) महत्त्वपूर्ण बायोस्फीयर रिजर्व है।
→ जलवायु परिवर्तन करने वाली ग्रीन हाउस गैसों का वायुमण्डल में सान्द्रण बढ़ रहा है। 2011 में इनका सान्द्रण अब तक का सर्वोच्च था।
→ COP-14 पौलेंड में व COP-15 कोपेनहेगन से सम्पन्न हुए हैं।
→ अधिक तीव्रता की ध्वनि एड्रीनेलीन के स्राव को प्रेरित करती है।
→ मृदा से किसी महत्त्वपूर्ण घटक के निकल जाने को ऋणात्मक प्रदूषण
(negative pollution) कहा जाता है।
→ जल में नाइट्रेट की अधिकता से साएनोसिस या ब्लू बेबी सिंड्रोम, कैडमियम प्रदूषण से इटाई इटाई (itai itai), आर्सेनिक से ब्लैक फुट डिजीज हो जाती है।
→ फोटो केमीकल स्मोग को लॉस एंजिलिस स्मोग भी कहा जाता है।
→ पर्यावरणीय प्रदूषण तथा महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण से सम्बंधित मुद्दों का परिमाण, स्थानीय क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्तर पर अलग-अलग है। वायु, जल तथा मृदा के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों में किसी भी प्रकार का अवांछित परिवर्तन प्रदूषण कहलाता है। वायु प्रदूषण प्रमुख रूप से जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला व पेट्रोलियम के उद्योगों व ऑटोमोबाल्स में जलने से होता है। यह प्रदूषक मनुष्य, जन्तुओं व पौधों के लिए हानिकारक हैं, अत: अपनी वायु को स्वच्छ रखने के लिए प्रदूषकों को हटाना आवश्यक है।
→ घरेलू वाहित मल, सीवेज जल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। यह जल में घुलित ऑक्सीजन में कमी तथा बायोकेमीकल आक्सीजन डिमांड में वृद्धि कर देता है। सीवेज में पोषक जैसे नाइट्रोजन व फास्फोरस बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं जो जलाशयों में यूट्रोफिकेशन कर भद्दे, अवांछित शैवाल प्रस्फुटन बनाते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट जल में प्राय: विषैले रसायन जैसे भारी धातु व कार्बनिक पदार्थ बहुत बड़ी मात्रा में उपस्थित होते हैं। इससे भी जीवधारियों को हानि होती है।
→ नगर पालिका के ठोस अपशिष्ट का प्रबन्धन भी एक बड़ी समस्या है। इसके हानिकारक प्रभाव को देखते हुए इसका उचित निस्तारण बहुत जरूरी है। खतरनाक अपशिष्ट जैसे पुराने बेकार जलयान, रेडियोधर्मी अपशिष्ट व इलेक्ट्रानिक अपशिष्ट के निस्तारण में सावधानीपूर्वक किये गये अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है। मृदा प्रदूषण का प्रमुख कारण कृषि रसायन जैसे पेस्टीसाइड्स तथा ठोस अपशिष्ट के जल में घुलनशील भाग हैं जिनका निक्षालन (leaching) हो सकता है।
→ वैश्विक प्रकृति के दो पर्यावरणीय मुद्दे हैं-बढ़ता ग्रीन हाउस प्रभाव जिसके कारण पृथ्वी का औसत ताप बढ़ रहा है तथा स्ट्रेटोस्फीयर की ओजोन परत में क्षय। बढ़ते ग्रीन हाउस प्रभाव का कारण ग्रीन हाउस गैसों जैसे CO2 मेथेन, N2O व CFCs का बढ़ता उत्सर्जन है। वनोन्मूलन के कारण भी वैश्विक तापायन बढ़ा है। इसके कारण वैश्विक तापमान के साथ-साथ वर्षा के तौरतरीकों में नाटकीय परिवर्तन हो सकते हैं। जीवों पर भी इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है। वायुमण्डल के स्ट्रेटोस्फीयर में पायी जाने वाली ओजोन, जो हमें सूर्य के घातक पराबैंगनी विकिरण से बचाती है, CFCs के बढ़ते उत्सर्जन के कारण अपक्षयित हो रही है। इससे त्वचा कैंसर, उत्परिवर्तन व अन्य विकारों का खतरा बढ़ा है।
→ अम्लीय वर्षा (Acid rain)-NOT, CO2 व SO2 गैसों का जल के साथ मिलकर सम्बंधित अम्ल बनाना तथा इन अम्लों का वर्षा के जल के साथ पृथ्वी पर आना।।
→ शैवाल प्रस्फुटन (Algal bloom)-जलाशयों में पोषकों की अधिक उपस्थिति के कारण मुक्त प्लावी शैवालों की हानिकारक अतिशय वृद्धि, जो जल में अलग रंग, दुर्गन्ध व घुलित आक्सीजन की कमी विकसित कर देती है।
→ जैव आवर्धन (Biomagnification)-अजैव अपघटनीय विषाक्त पदार्थ का खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक पोषण स्तर में क्रमश: बढ़ते जाना।
→ बायो केमीकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD)-आक्सीजन की वह मात्रा जो 1 लीटर जल में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ के विघटन के लिए सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रयोग की जाती है, जल में कार्बनिक पदार्थों तथा इसके प्रदूषण का सूचक।
→ केमीकल ऑक्सीजन डिमांड (COD)-1 लीटर जल में उपलब्ध सभी प्रकार के कार्बनिक पदार्थ (जैव अपघटनीय व अजैव अपघटनीय) के विघटन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा।
→ सेन्ट्रल पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड (CPCB)-देश की प्रदूषण नियामक संस्था।
→ वनोन्मूलन (Deforestation)-वनों की बड़े स्तर पर कटाई। वन भूमि को वन रहित भूमि में बदलना।
→ मरुस्थलीकरण (Desertification)-विभिन्न पारिस्थितिक कारणों जैसे मृदा अपरदन, अत्यधिक चारण के कारण होने वाला मरुभूमि का प्रसार।
→ फ्लाईऐश (Flyash)-कोयले के जलने से वायुमण्डल में मुक्त हुई खनिज राख/कणिकामय प्रदूषक।
→ ग्रीन हाउस इफेक्ट (Green House Effect)-काँच के ग्रीन हाउस की तरह पृथ्वी के वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों की उपस्थिति के कारण पृथ्वी के औसत ताप का बढ़ना।
→ वैश्विक तापायन (Global warming)-ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के औसत ताप में वृद्धि
→ झूम खेती (Jhum Cultivation)-वनों को काटकर व जलाकर उनकी राख को उर्वरक के रूप में प्रयोग कर खेती करना, बाद में एक नये वन के साथ यही प्रक्रिया दोहराना।
→ ओजोन कवच (Ozone Sheild)-वायुमण्डल के स्ट्रेटोस्फीयर में उपस्थित ओजोन जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है।
→ प्रदूषण (Pollution)-जल, वायु व मृदा के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों में होने वाला कोई भी अवांछित बदलाव।।
→ प्रदूषक (Pollutants)-प्रदूषण के लिए उत्तरदायी किसी भी प्रकार का कारक।
→ स्मोग (Smog)-धुएं (smoke) तथा कोहरे (fog) के मिलने से हुआ प्रदूषण।
→ कालिख (Soot)-जीवाश्म ईंधन के अपूर्ण दहन से बनने वाला प्रमुखत: कणिकामय काजल जैसा प्रदूषक।