Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 3 मानव जनन Important Questions and Answers.
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अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव में भ्रूण का अन्तर्रोपण किस अवस्था में होता है।
उत्तर:
कोरकपुटी अवस्था (ब्लास्टोसिस्ट अवस्था/ब्लास्टुला अवस्था)
प्रश्न 2.
महिलाओं में 45-50 वर्ष की उम्र में मासिक चक्र स्थायी रूप से रुकने की अवस्था क्या कहलाती है?
उत्तर:
रजोनिवृत्ति या मेनोपाज (Menopause)।
प्रश्न 3.
शुक्रजनन नलिकाओं की स्पीथीलियम में पाई जाने वाली किन्हीं दो कोशिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
नर जननिक कोशिकाएँ या स्पमेंटोगोनिया तथा पोषी सरटोली कोशिकाएं।
प्रश्न 4.
वृषण का पिछला भाग जिसमें सभी शुक्रजनन नलिकाएं खुलती हैं, क्या कहलाता है?
उत्तर:
वृषण जालक (Rete testis)।
प्रश्न 5.
शुक्राशय की नलिका से मिलने के बाद शुक्र वाहक (वासा हेफरेंस) क्या कहलाती है?
उत्तर:
स्खलन नलिका (ejaculatory duct)।
प्रश्न 6.
मूत्रनलिका स्त्री या पुरुष में से किसमें लम्बी होती है। क्यों?
उत्तर:
मूत्र नलिका (urethra) पुरुषों में लम्बी होती है क्योंकि यह बाह्य जननेन्द्रिय शिश्न के पूरे भाग में उपस्थित होती है।
प्रश्न 7.
वृषण में शुक्रजनन नलिकाओं के बाहर स्थित अन्तराली स्थान में उपस्थित दो प्रकार की कोशिकाओं का नाम दीजिए।
उत्तर:
अन्तराली कोशिकाएँ या लेडिग कोशिकाएँ, प्रतिरक्षी कोशिकाएँ।
प्रश्न 8.
शिश्न मुंड (glans) किस संरचना से ढका होता है?
उत्तर:
शिश्न मुंड अप्रच्छद (fore skin) से ढका होता है।
प्रश्न 9.
शुक्रीय प्लाज्मा (सेमिनल प्लाज्मा) में स्थित फ्रक्टोज का क्या कार्य है?
उत्तर:
फ्रक्टोज चल (motile) शुक्राणुओं के लिए ऊर्जा स्रोत का कार्य करता है।
प्रश्न 10.
मनुष्य में नर व मादा प्राथमिक जनन अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नर मनुष्य के प्राथमिक जनन अंग - एक जोड़ी वृषण
स्त्री के प्राथमिक जनन अंग - एक जोड़ी अण्डाशय
प्रश्न 11.
अण्डाशय की पीठिका (Stroma) किन दो प्रमुख भागों से मिलकर बनी होती है?
उत्तर:
अण्डाशय की पीठिका दो प्रमुख भागों से मिलकर बनी होती है। बाह्य य परिधीय वल्कुट - कार्टेक्स (cortex) व भीतरी मध्यांश या मैडबुला (medulla)।
प्रश्न 12.
अण्डवाहिनी के तीन भागों के नाम लिखिष्ट।
उत्तर:
कीपक (infundibulum), तुम्बिका या एम्पुला (ampulla) व संकीर्ण पथ या इस्थमस (isthmus)।
प्रश्न 13.
जनन नाल (birth canal) किन दो अंगों से मिलकर बना होता है?
उत्तर:
जनन नाल (birth canal) ग्रीवा नाल या सर्वाइकल केनाल तथा योनि (vagina) के मिलने से बनती है।
प्रश्न 14.
स्तनों में स्थित अनेक स्तनवाहिनियाँ या मैमरी हक्ट्स (Mammary ducts) मिलकर किस वृहद रचना में खुलती हैं?
उत्तर:
अनेक स्तनवाहिनियाँ (Mammary ducts) मिलकर स्तनीय तुम्बिका (मैमरी एम्पुला mammary ampulla) में खुलती हैं।
प्रश्न 15.
किशोरावस्था के दौरान हाइपोथेलेमस के किस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है?
उत्तर:
गोनेडोट्रापिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRH)
प्रश्न 16.
पुरुषों में ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन किस अन्य नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर:
पुरुषों में ल्यूटीनाइजिंग हामोन (Luteinizing hormone LH) को इण्टर स्टीशियल सेल स्टीमुलेटिंग हामोन (ICSH) भी कहा जाता है।
प्रश्न 17.
शुक्राणुजनन (स्पर्मियोजेनेसिस) की प्रक्रिया में मदद करने वाले कारकों का प्रावण कहाँ से होता है?
उत्तर:
सरटोली कोशिकाएं जब एफ एस एच (FSH) से प्रेरित होती है तो स्पर्मियोजेनेसिस में मदद करने वाले कारकों का खाव करती है।
प्रश्न 18.
शुक्राणु के किस भाग में अनेक माइटोकॉन्ड्रिया पाये जाते हैं?
उत्तर:
शुक्राणु के मध्य खण्ड (middle piece) में अनेक माइटोकॉन्डिया पाये जाते है।
प्रश्न 19.
एक स्त्री में अण्हजनन की प्रक्रिया का प्रारम्भ होती है?
उत्तर:
एक स्त्री में अण्डजनन (oogenesis) की प्रक्रिया भ्रूणीय अवस्था में ही प्रारम्भ हो जाती है, अर्थात जब वह अपनी माँ के गर्भ में ही होती है।
प्रश्न 20.
अण्डाशय की किस पुटकीय अवस्था में प्रथम अर्धसूत्री विभाजन पूर्ण होता है?
उत्तर:
अण्डाशय की तृतीयक पुटक (rertiary follicle) अवस्था में प्रथम अर्धसूत्री विभाजन पूर्ण होता है।
प्रश्न 21.
कोशिका कला के अतिरिक्त द्वितीयक अण्डक (सैकण्ड्री ऊसाइट) किस अन्य कला से घिरा रहता है?
उत्तर:
पारदर्शी अण्डावरण या जोना पेल्यूसिडा (Zona Pellucida) से।
प्रश्न 22.
आर्तव चक्र की किस अवस्था की पहचान आप पूर्व अण्डोत्सर्ग (प्री ओव्यूलेशन) अवस्था के रूप में करेंगे?
उत्तर:
पुटकीय प्रावस्था या फॉलिक्यूलर प्रावस्था (Follicular phase)
प्रश्न 23.
क्या आर्तव चक्र की अनुपस्थिति हमेशा सगर्भता की परिचायक है?
उत्तर:
नहीं, आर्तव चक्र की अनुपस्थिति सगर्भता की परिचायक हो सकती है, लेकिन इसकी अनुपस्थिति के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे मानसिक तनाव, दुर्बलता आदि।
प्रश्न 24.
आर्तव चक्र की पुटकीय प्रावस्था को प्रचुरोभवनी प्रावस्था भी क्यों कहते हैं?
उत्तर:
आर्तव चक्र की पुटकीय प्रावस्था के अन्तर्गत गर्भाशयी एंडोमेट्रियम में ऋतुनाव के कारण हुई टूट - फूट की भरपाई होती है। एण्डोमेट्रियम मोटी व ग्रन्थिल होने लगती है। अत: पुटकीय प्रावस्था को प्रचुरोद्भवनी प्रावस्था भी कहा जाता है।
प्रश्न 25.
आर्तव चक्र की किस अवस्था में प्राथमिक पुटक का विकास ग्राफी पुटक में होता है?
उत्तर:
पुटक या फालिक्यूलर प्रावस्था (Follicular Phase)।
प्रश्न 26.
पिट्युटरी हार्मोन LH, आर्तव चक्र की किस प्रावस्था में उच्चतम स्तर पर होता है?
उत्तर:
अण्डोत्सर्ग या ओव्यूलेटरी प्रावस्था (ovulatory Phase)।
प्रश्न 27.
अण्डोत्सर्ग के बाद ग्राफी पुटक का क्या भविष्य होता है?
उत्तर:
अण्डोत्सर्ग के बाद ग्राफी पुटक पीत पिण्ड या कार्यस ल्यूटियम (Corpus Luteum) में बदल जाता है व प्रोजेस्टारॉन सावित करता है।
प्रश्न 28.
निषेचन न होने पर पीतपिण्ड (कार्पस ल्यूटियम) का क्या होता है?
उत्तर:
निषेचन न होने पर पीतपिण्ड (corpus luteum) एक सफेद पिण्ड में बदल आता है व प्रोजेस्टौरोंन बनाना बंद कर देता है।
प्रश्न 29.
मनुष्य में निषेचन स्थल क्या है?
उत्तर:
मनुष्य में निषेचन अण्डवाहिनी के एम्पुला - संकीर्ण क्षेत्र सन्धि स्थल (Ampullary isthumic junction) पर होता है।
प्रश्न 30.
द्वितीयक अण्डक (सैकण्ड्री ऊसाइट) में द्वितीय अर्धसूत्री विभाजन कब पूर्ण होता है?
उत्तर:
द्वितीयक अण्डक में शुक्राणु के प्रवेश के बाद इसका द्वितीय अर्धसूत्री विभाजन पूर्ण होता है।
प्रश्न 31.
मनुष्य में 8 से 16 कोरकखण्डों वाला पूण क्या कहलाता है?
उत्तर:
तूतक या मोरूला (Morula)
प्रश्न 32.
कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट) की कौन - सी संरचना पूण के रूप में भिन्नित होती है?
उत्तर:
अन्त:कोशिका समूह या इनर सैल मास (Inner cell mass)।
प्रश्न 33.
कोरियानिक विलाई किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
पोषकोरक (ट्रोफोब्लास्ट) की आहा सतह से निकले अंगुली के आकार के प्रवर्ष जो गर्भाशयी एण्डोमेट्रियम में फंस कर पोषण प्राप्त करते हैं, कोरियानिक विलाई (Chorionic villi) कहलाते हैं।
प्रश्न 34.
सगर्मता के उत्तरार्थ की अवधि में अण्डाशय द्वारा सावित हार्मोन का नाम बताइए।
उत्तर:
रिलैक्सिन।
प्रश्न 35.
मादा के अण्डाशय में अण्डोत्सर्ग के लिए प्राफीपुटक को फटने के लिए कौन - सा हार्मोन प्रेरित करता है?
उत्तर:
लयूटीनाइलिंग हामोंन (LH)
प्रश्न 36.
निषेचन के बाद अण्डकला में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर:
निषेचन के बाद अण्डकला अन्य शुक्राणओं के प्रवेश के लिए अपारगम्य (Impermeable) हो जाती है तथा इस प्रकार बहुशुक्राणु प्रवेश या पॉलीस्पर्मी (Polyspermy) रोकती है।
प्रश्न 37.
मानव अण्डाशय में कौन - सा भाग प्रोजेस्टीरॉन सावित करता है?
उत्तर:
कार्पस ल्यूटियम (Corpus luteum)
प्रश्न 38.
प्रथम स्तन्य या खीस क्या है?
उत्तर:
शिशु जन्म के बाद प्रारम्भ के कुछ दिनों में माँ के स्तनों से निकलने वाला गाड़ा, हल्का पीला द्रव जो पोषक पदार्थों से समृद्ध होता है प्रथम स्तन्य या कोलोस्ट्रम (colostrum) कहलाता है। यह शिशु को एंटीबाडीज के रूप में प्रतिरोधी क्षमता भी उपलब्ध कराता है।
प्रश्न 39.
खीस की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
खीस (कोलोस्ट्रम) में कई प्रकार के प्रतिरक्षी (एंटीबाडी) तत्व समाहित होते हैं जो नवजात शिशु में प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न करने हेतु परम आवश्यक होते है तथा उसकी विभिन्न संक्रामक रोगों से रक्षा करते हैं।
प्रश्न 40.
अण्डोत्सर्ग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
आर्तव चक्र के लगभग 14वें दिन अण्डाशय की ग्राफी पुटक द्वारा अन पिट्यूटरी के LH के प्रभाव में फटकर अण्ड कोशिका को मुक्त करना अण्डोत्सर्ग (ovulation) कहलाता है।
प्रश्न 41.
स्टेम कोशिकाएँ क्या है?
उत्तर:
ऐसी कोशिकाएँ जिनमें सभी अंगों व ऊतकों को उत्पन्न करने की क्षमता होती है स्टेम कोशिकाएँ (stel cells) कहलाती हैं जैसे प्रारम्भिक भ्रूणीय कोशिकाएँ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
25 प्राथमिक शुक्र कोशिकाओं तथा 25 प्राथमिक अण्डकों से बनने वाले शुक्राणुओं व अण्ड कोशिकाओं का अनुपात क्या होगा। कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
एक प्राथमिक शुक्राणु कोशिका (प्राथमिक स्पमेंटोसाइट - Primary spermatocyte) से अर्धसूत्री विभाजन के बाद 4 शुक्राणु बनते हैं। अत: 25 प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाओं से 25 x 4 = 100 शुक्राणु बनेगे इसी प्रकार एक प्राथमिक अण्डक कोशिका (Primary oocyte) से केवल एक अण्डाणु बनता है अत: 25 प्राथमिक अण्डको से 25 अण्डाणु बनेंगे। अत: इनका अनुपात होगा 100: 25 = 4:1
प्रश्न 2.
सगर्भता के दौरान अपरा की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
गोनेडोट्रॉपिन्स के नाम लिखिए और अंडजनन तथा अण्डोत्सर्ग में इनकी भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ल्यूटिनाइजिंग हामोंन (LH) और फॉलीकल स्टिमुलेटिंग हामोन (FSH) को गोनैडोट्रोपिन्स कहा जाता है। आर्तव चक्र के दौरान गोनैडोट्रोपिन्स हामोन्स का स्लाव पुटकीय अवस्था में धीरे - धीरे बढ़ता है जिससे प्राथमिक पुटक का ग्राफी पुटक में वृद्धि व विकास होता है। आर्तव चक्र के मध्य (लगभग 14वें दिन) में LH का खावण उच्चतम बिन्दु तक पहुंच जाता है जो ग्राफी पुटक को फटने के लिए प्रेरित करता है। फलस्वरूप अण्डकोशिका मुक्त हो जाती है अर्थात् अण्डोत्सर्ग को प्रेरित करता है।
प्रश्न 4.
अपरा को भ्रूण व माँ के बीच का कार्यिकीय सम्बन्ध (फिजियोलाजिकल कनेक्शन) भी कहा जाता है। कारण दीजिए।
उत्तर:
चूंकि गर्भ में पल रहे भ्रूण की पोषण, श्वसन व उत्सर्जन सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति अपरा के माध्यम से ही पूर्ण होती है। अत: यह माँ व भ्रूण के बीच एक कार्यिकीय सम्बन्ध को प्रदर्शित करता है। दूसरे शब्दों में माँ का रक्त अपरा के माध्यम से भ्रूणीय रक्त के सीधे सम्पर्क में होता है तथा भ्रूण की जीवन आवश्यकताओं की देखरेख करता है अत: यह एक कार्यिकीय सम्बन्ध बनाता है।
प्रश्न 5.
शुक्राणु द्वारा अण्डकोशिका का भेवन एक रासायनिक प्रक्रम है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शुक्राणु के एक्रासोम द्वारा स्रावित एन्जाइम्स जैसे स्पर्म लाएसिन अण्ड के चारों ओर स्थित कोशिकाओं व पारदर्शी अण्डावरण (जोना पेल्यूसिडा) को भेदने में मदद करते हैं। अण्डाणु की कला तब तक शुक्राणु के लिए पारगम्य बनी रहती है जब तक कि किसी एक शुक्राणु का इसमें प्रवेश नहीं हो जाता। अत: शुक्राणु द्वारा अण्ड कोशिका का भेदन एक रासायनिक प्रक्रम है।
प्रश्न 6.
पिट्यूटरी व अण्डाशयी हार्मोनों की आर्तव चक्र में भूमिका का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
पिट्यूटरी प्रन्थि की अग्रपालि द्वारा दो गोनेडोटापिन (Gonadotropin) हार्मोन्स का स्राव किया जाता है फॉलिकिल स्टीमुलेटिंग हामोन (Follicle stimulating Hormone - FSH) तथा ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन (Luteinizing Hormone LH)
FSH निम्न कार्य करता है-
LH के निम्न कार्य हैं-
प्रश्न 7.
ग्राफी पुटक व पीत पिण्ड में अन्तर स्पष्ट कीजिए
उत्तर:
प्राफी पुटक व पीत पिण्ड में अन्तर।
ग्राफी पुटक (Graafian follicle) |
पीत पिण्ड (Corpus luteum) |
1. ग्राफीयन पुटिका का विकास आर्तव चक्र की पुटिकीय प्रावस्था में होता है |
पीत पिण्ड का विकास आर्तव चक्र की पौत पिण्डकी या नावी अवस्था में होता है |
2. इसके पूर्व की अवस्था तृतीयक पुटक है |
इसके पूर्व की अवस्था प्राफी पुटक है |
3. इसमें अण्ड स्थित होता है |
अण्ड की मुक्ति के बाद बनती है अतः खाली होती है। |
4. एस्ट्रोजन का स्राव करती है |
प्रोजेस्टीरॉन का लाव करती है |
प्रश्न 8.
मानव शुक्रजनक नलिका की आरेखी काट का नामांकित दृश्य बनाइए।
उत्तर:
अथवा
ग्राफी पुटक का आरेख बनाइए तथा उसमें गहबर (एन्ट्रम) तथा द्वितीयक अण्डक (सेकेण्ट्री असाइट) का नामांकन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 9.
स्त्रियों में केवल सगर्भता की अवधि में सावित होने वाले तीन हार्मोनों की सूची बनाइए। सगर्भता के दौरान एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोजन के स्तर में क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
स्त्रियों में केवल सगर्भता की अवधि में लावित होने वाले हामोन-
एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ओजन हामोंन की मात्रा सगर्भता के दौरान माता के रक्त में कई गुना बढ़ जाती है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित द्वारा सावित हार्मोनों के नाम लिखिष्ट तथा उनके कार्य बताइए।
(i) कार्पस ल्युटियम और अपरा (कोई वो)
(ii) पुटक प्रावस्था तथा प्रसव के दौरान।
उत्तर:
(i) कार्पस ल्युटियम द्वारा स्रावित हामोंन – प्रोजेस्टीरॉन।
प्रोजेस्टीरॉन का कार्य: प्रोजेस्टीरॉन हार्मोन एंडोमेट्रियम का मोटा प्रन्थिल स्तर बनाए रखने में मदद करता है।
अपरा द्वारा स्रावित हामोन: लैक्टोजन तथा ह्युमन प्लेसेटल लैक्टोजन (HPL) स्तनों की वृद्धि व उनमें दुग्ध स्त्रावण को प्ररित करता है।
(ii) पुटक प्रावस्था में गोनेडोट्रॉपिन्स हामोन्स जैसे- LH व FSH का साथ होता है जिससे प्राथमिक पुटक व ग्राफी पुटक में वृद्धि व विकास होता है।
प्रसव के दौरान ऑक्सीटोसिन हामोंन का लाव होता है। ऑकसोटोसिन, गर्भाशयो पेशियों में तीव्र का बलशाली संकुचन पैदा करता है।
प्रश्न 11.
स्त्रियों में सगर्भता के दौरान उन परिघटनाओं का उल्लेख कीजिए जिससे अपरा (प्लेसेंटा) का विकास होता है।
उत्तर:
अपरा का विकास: भ्रूण के अंतरोपण के बाद ब्लास्टोसिस्ट के बाहा पोषक स्तर पोषकारक (ट्रोफोब्लास्ट) पर अंगुली जैसी संरचनाएँ कोरिआनिक विलाई उभरती है, जो गर्भाशयी ऊतक के साथ गहन सम्बन्ध बनाकर, संयुक्त रूप से धूण (गर्भ) तथा माँ के गर्भाशय के बीच एक संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई का निर्माण करते हैं, जिसे अपरा (placenta) कहा जाता है।
प्रश्न 12.
तृषण, उदरगुहा से बाहर क्यों स्थित होते हैं? उस थैली का नाम बताइये जिसमें यह उपस्थित होते हैं?
उत्तर:
वृषणों में होने वाला शुक्रजनन (spermatogenesis) शरीर के अन्दर के ताप से 2 - 25°C कम पर सम्पन्न होता है। वृषण कोष उदारीय गुहा से बाहर स्थित होते हैं। अत: इनका ताप शरीर के ताप से कम होता है तथा शुक्रजनन सफलता से जारी रहता है। वह वृषण कोष (Scrotum) में स्थित होते हैं।
प्रश्न 13.
वयस्क नर में शुक्रवाहिका को हटाकर अगर रबर की नलिका लगा दी जाये तो इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
शुक्रवाहिका (वासा डेफरस) नर जनन तंत्र की सहायक नलिकाएं है जो शुक्राणु के परिवहन/स्थानान्तरण का कार्य करती है। वासा डेफरंस में हुआ क्रमानुकुंचन (Peristalsis) शुक्राणुओं को इस नलिका में आगे बढ़ने में मदद करता है। साथ ही इसकी भित्तियाँ शुक्राणुओं को कोमल जैविक पर्यावरण उपलब्ध कराती है। चूंकि इनकी लम्बाई बहुत अधिक (लगभग 40 सेमी०) तक होती है अतः इतनी बड़ी रबर की नलिका लगाने से शुक्राणु की गति नहीं हो पायेगी।
प्रश्न 14.
एक शुक्राणु प्रसु (spermatid) से शुक्राणु बनने में क्या - क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
शुक्राणुप्रसु (स्पर्मेटिड) एक अगुणित, गोलाकार व अचल (non motile) कोशिका है जब वह चल शुक्राणु (motile sperm) में रूपान्तरित होती है तो इसमें निम्न परिवर्तन होते है।-
स्पर्म में गति हेतु पुच्छ विकसित हो जाती है व कोशिकाद्रव्य सीमित हो जाता है।
प्रश्न 15.
विदलन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
युग्मनज में होने वाले समसूत्री विभाजन जिनके कारण बनने वाली संतति कोशिकाओं (कोरक खण्ड - ब्लास्टोमियर्स) की संख्या तो बढ़ती है लेकिन उनका आयतन नहीं बढ़ता विदलन (Cleavage) कहलाते हैं।
प्रश्न 16.
आर्तत चक्र की पुटिकीय प्रावस्था व सावी प्रावस्था में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
पुटिकीय व स्रावी प्रावस्थाओं में अन्तर
पुटिकीय प्रावस्था (Follicular Phase) |
खावी प्रावस्था (Secretory Phese) |
1. यह आर्तव चक्र के 5वें से 13/14 वे दिन से दिन तक चलती है |
यह आर्तव चक्र के 15/16 वें 28 वें दिन तक चलती है। |
2. इसमें अण्डाशय स्थित प्राथमिक पुटक ग्राफी पुटक में बदल जाता है |
इसमें अण्डोत्सर्ग के बाद खाली हुआ ग्राफी पुटक पीत पिण्ड (कार्पस ल्युटिवम) में बदल जाता है |
3. एस्ट्रोजन का स्राव होता है |
प्रोजेस्टीरॉन का स्राव होता है |
4. गर्भाशयो एंड्रोमेट्रियम अपेक्षाकृत कम मोटी होती है। |
गर्भाशयी एंडोमेट्रियम अधिक मोटी व गर्भाशयी दुग्ध (पोषक पदार्थों) का स्राव करती है। |
प्रश्न 17.
मानवीय अण्ड के चारों ओर ऐसा क्या होता है जो इसमें शुक्राणु के आसानी से प्रवेश को रोकता है?
उत्तर:
मानव सहित स्तनधारियों का अण्ड कोशिका कला (विटेलाइन मेम्ब्रेन) के अतिरिक्त निम्न संरचनाओं से घिरा होता है जो शुक्राणु को आसानी से अण्ड की सतह तक नहीं पहुंचने देती।
(i) पारदशी अण्डावरण या जोना पेल्यूसिडा जो अण्ड कोशिका व पुटिकीय कोशिकाओं दोनों द्वारा स्रावित होता है।
(ii) ग्रेन्यूलोसा कोशिकाएँ जो अण्ड के चारों ओर 2 - 3 कोशिका मोटा कोरोना रेडिएटा बनाती हैं।
प्रश्न 18.
शुक्राणुजनन तथा वीर्यसेचन में विभेद कीजिए।
उत्तर:
अगुणित, अचल व गोलाकार शुक्राणु प्रसु कोशिकाओं का चल व प्रारूपिक शुक्राणु कोशिका में रूपान्तरण शुक्राणु जनन कहलाता है, जबकि शुक्राणुजनन के बाद शुक्राणु शोषं सरटौली कोशिकाओं में फंस जाते हैं या अंत में शुक्राणुजनन नलिका से मुक्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया वीर्य सेचन कहलाती है।
प्रश्न 19.
मानवों में एक अण्डाणुजन (ऊगोनियम) से एक अण्डाणु बनने तक के चरणों के विषय में समझाइये?
उत्तर:
अण्डजनन अण्डाशय की द्विगुणित अण्डाणु मात कोशिका से अर्धसूत्री विभाजन द्वारा आगुणित मादा युग्मक 'अण्ड' का निर्माण अण्डजनन अण्डजनन एक असतत व लम्बी प्रक्रिया है। एक स्त्री में अण्डजनन की प्रक्रिया तभी प्रारम्भ हो जाती है जब वह अपनी माँ के गर्भ में होती है। गर्भ के 2 माह का होने पर उसके अण्डाशय में 600000 उगोनिया होती है लेकिन जन्म के समय तक आते-आते इनमें से अधिकांश अपहासित (degenerate) हो जाती हैं। यह प्रक्रिया एट्रेसिया (atresia) कहलाती है। एट्रेसिया की यह प्रक्रिया जन्म से लेकर किशोरावस्था तक जारी रहती है। किशोरावस्था तक प्रत्येक अण्डाशय में 60,000 से 80,000 प्राथमिक पुटक बचे होते हैं।
प्राथमिक पुटक (Primary follicle) भ्रूणीय अण्डाशय में युग्मक मात्र कोशिकाएँ या ऊगोनिया विभाजित होकर प्राथमिक अण्डक (primary cocytes) बनाती हैं। प्राथमिक ऊसाइट में अर्धसूत्री विभाजन प्रारम्भ होता है लेकिन अर्धसूत्री विभाजन I (meiosis I) को प्रोफेज अवस्था पर ही रुक जाता है। बीच में प्राथमिक ऊसाइट व चारों ओर की प्रेन्यूलोसा कोशिकाओं का यह समूह प्राथमिक पुटक (primary follicle) कहलाता है।
अण्डजनन की प्रक्रिया को भी तीन अवस्थाओं में बांटा जा सकता है:
1. गुणन प्रावस्था (Multiplicative Phase) अण्डाशय की जननिक एपीथीलियम को कुछ कोशिकाएं समसूत्री विभाजनों के बाद द्विगुणित अण्डमात् कोशिका या ऊगोनिया (oogonia) में बदल जाती हैं।
2. वृद्धि प्रावस्था (Growth phase) अण्डजनन की वृद्धि प्रावस्था शुक्राणुजनन की अपेक्षा काफी लम्बी होती है। इस अवस्थ में एक ऊगोनिया एक प्राथमिक अण्डक के रूप में भिन्नित हो जाती है। अन्य कोशिकाएँ इसके चारों ओर पुटिकीय एपीथीलियम बना देती है। इसमें प्रारम्भ हुआ प्रथम अर्धसूत्री विभाजन प्रोफेज I में ही निलम्बित रहता है।
3. परिपक्वन प्रावस्था (Maturation Phase) इस प्रावस्था में पूर्ण वृद्धि प्राप्त प्राथमिक अण्डक में अर्धसूत्री विभाजन होता है। इस अर्धसूत्री विभाजन के प्रथम विभाजन से दो असमान अगुणित कोशिकाएँ बनती है। इनमें से बड़ी कोशिका द्वितीयक अण्डक (secondary oocyte) कहलाती है जबकि छोटी कोशिका प्रथम ध्रुवीय काय (first polar body) बनाती है।
द्वितीयक अण्डक ही अण्डाश्य से अण्डोत्सर्ग (ovulation) के समय मुक्त होती है। इसमें अर्धसूत्री विभाजन II तभी पूरा होता है जब यह शुक्राणु से निषेचित हो जाती है। द्वितीयक अण्डक में अर्धसूत्री विभाजन II सम्पन्न होता है जिससे दो असमान कोशिकाएँ बनती है बड़ी कोशिका अण्डाणु (ootid) कहलाती है व छोटी द्वितीय ध्रुवीय काय (second polar body)। अण्डजनन भी हामोन्स के नियन्त्रण में होने वाली क्रिया है।
प्रश्न 20. शुक्राणु का एक नामांकित आरेख बनाइये?
उत्तर:
प्रश्न 21.
सगर्भता के समय ऋतु साव अस्थायी रूप से बन्द क्यों हो जाता है?
उत्तर:
सगर्भता के समय विकसित हुआ अपरा (placenta) प्रोजेस्टीरॉन का साव प्रारम्भ कर देता है अत: प्रोजेस्टीरॉन का स्तर बना रहता है। प्रोजेस्टीरॉन हार्मोन गर्भाशयी एंडोमेट्रियम को बनाये रखने में मदद करता है अत: ऋतु साव (menstrual flow) नहीं होता। एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीरॉन का अधिक स्तर गोनेडोट्रापिन स्राव कम कर देता है जिससे नाई पुटक नही बढ़ती।
प्रश्न 22.
मनुष्य में वृषणों के उदर से वृषणकोष में न आने से बन्ध्यता उत्पन्न हो जाती है। कारण बताइये।
उत्तर:
शरीर का आंतरिक तापमान (उदर गुहा का तापमान) अधिक होता है। वृषणों में होने वाले शुक्रजनन के लिए शरीर के आन्तरिक ताप से 2 - 2.5°C कम ताप की आवश्यकता होती है। अत: शरीर के अन्दर स्थित होने पर शुक्रजनन की अनुपस्थिति में बन्ध्यता (sterility) उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न 23.
प्राथमिक लैंगिक अंग ही द्वितीयक लैंगिक अंगों की वृद्धि, कार्य व रखरखाव का नियन्त्रण करते हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक लैंगिक अंग अर्थात जनद (gonads) जनन अंगों के अतिरिक्त अन्तःस्रावी ग्रन्धि की भांति भी कार्य करते हैं तथा लिंग हामान (sex hormone) बनाते है। वृषण द्वारा एंड्रोजन्स (androgens) व अण्डाशय द्वारा एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीरॉन का उत्पादन होता है। यही हामोंन द्वितीयक लैंगिक अंगों जैसे सहायक नलिकाओं व सहायक प्रन्धियों की वृद्धि, रखरखाव व कार्यों का नियन्त्रण करते हैं।
प्रश्न 24.
स्तनों में दुग्ध निर्माण करने वाली कोशिकाओं से प्रारम्भ कर उन सभी रचनाओं के नाम लिखिए जो दुग्ध को चूचुक (nipple) तक लाने में सहायक हैं।
उत्तर:
कूपिकाएँ (alveoli) → कूपिका की गुहा (Lumen of alveoli) → स्तन नलिका (Mammary tubale) → स्तर वाहिका (Mammary Dact) → स्तन तुम्बिका (Mammary ampulla) → दुग्ध वाहिनी (Lactiferous duct)
प्रश्न 25.
नीचे दी गई सारणी में मानव जनन से सम्बद्ध हार्मोन्स का वर्णन है। इसके खाली स्थान भरिए।
हार्मोन |
भूमिका |
A |
गर्भाशयी अन्तःस्तर (एंडोमेट्रियम) की मरम्मत |
प्रोलैक्टिन |
B |
C |
अण्डोत्सर्ग का प्रेरण |
प्रोजेस्टीरॉन |
D |
फालिकिल स्टीमुलेटिंग हामोन |
E |
उत्तर:
A - एस्ट्रोजन
B - दुग्धनिर्माण प्रेरण
C - ल्यूटीनाइजिंग हामोन
D - एण्डोमेट्रियम को वृद्धि व रखरखाव
E - पुटकीय वृद्धि।
प्रश्न 26.
(अ) नीचे दिये गये चित्र में A,B, C के नाम लिखिए
(ब) यह चित्र किस मणीय अवस्था को प्रदर्शित कर रहा है
(स) युग्मनज में होने वाले उन परिवर्तनों का क्या सामान्य नाम है जिनके कारण वह इस अवस्था का निर्माण कर पाता है
उत्तर:
(अ) A = ट्रोफोब्लास्ट (पोष कोरक)
B = ब्लास्टोसील (कोरकपुटी की गुहा)
C = अन्त:कोशिका समूह (इनर सैल मास)
(ब) कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट)
(स) विदलन (cleavage)
प्रश्न 27.
यदि एक शुक्राणु का अग्रपिण्डक (एक्रोसोम) क्षतिग्रस्त हो जाता है तो इससे कौन - सी क्रिया प्रस्तावित होगी और कैसे?
उत्तर:
शुक्राणु के एक्रोसोम में अण्डकलाओं (egg membranes) को भेदने वाले एंजाइम स्पर्मलाएसिन (Sperm lysins) होते है जो निषेचन में मदद करते है। इसके क्षतिग्रस्त हो जाने पर यह एंजाइम नष्ट हो जायेंगे व स्पर्म की निषेचन की क्षमता समाप्त हो जायेगी।
प्रश्न 28.
मानव में यौवनारम्भ के पश्चात होने वाली लैंगिक जनन की चार जनन घटनाओं के नाम दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 29.
यदि पीत पिण्ड निष्क्रिय हो जाये तो भ्रूण परिवर्धन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
पीत पिण्ड (Corpus luteum) प्रोजेस्टीरॉन हार्मोन का साव करता है जो गर्भाशयो एंडोमेट्रियम को बनाये रखकर सगर्भता (pregency) जारी रखता है। पीत पिण्ड का प्रारम्भ में ही निष्क्रिय हो जाना भ्रूण परिवर्धन पर विपरीत प्रभाव डालेगा। इससे सगर्भता की स्थिति बनी नहीं रह पायेगी न ही अन्तरोंपण होगा।
प्रश्न 30.
मानव अण्डाशय की आरेखीय काट का चित्र बनाइए तथा निम्नलिखित भागों को नामांकित कीजिए।
(i) प्राथमिक पुटक
(ii) द्वितीयक अंडक
(iii) ग्राफीपुटक
(iv) पीत पिण्ड
अथवा
मानव अण्डाशय की परिच्छेदी काट का दृश्य चित्र बनाइए तथा इसमें प्राथमिक पुटक, वृतीयक पुटक, ग्राफी पुटक तथा पीतपिंड को नामांकित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 31.
मनुष्य में निषेचन कहाँ होता है? उन घटनाओं का वर्णन कीजिए जो इस प्रक्रिया में होती हैं।
उत्तर:
मनुष्य में निषेचन फैलोपियन नलिका के एम्पुलरी इस्थमिक जंकशन (तुंबिका - संकीर्ण पथ सन्धि स्थल) पर होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मनुष्य में युग्मनज से कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट) बनने तक की अवस्थाओं को केवल चित्रों द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
(a) एक शुक्राणु के निर्माण स्थल से शरीर के बाहर तक आने में मार्ग में पड़ने वाली सभी सहायक नलिकाओं के नाम लिखिए।
(b) वृषणों द्वारा शुक्राणुओं का उत्पादन बहुत बड़ी संख्या में क्यों किया जाता है।
उत्तर:
(अ) शुक्राणु का पथ → शुक्र जनन नलिका → रेटे टेस्टिस → वासा इफेरेशिया → अधिवृषण (शुक्रजनन नलिका) → वासडेफरेंस → स्खलन नलिका → मूत्र नलिका → शरीर के बाहर
(ब) मनुष्य सहित सभी जन्तुओं में अचल (non motile) मादा युग्मक (अण्ड कोशिका) तक पहुंचने की जिम्मेदारी चल (motile) शुक्राणु की ही होती है। मादा युग्मक तक पहुंचने में अनेक शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं अत: इस क्षतिपूर्ति के लिए ताकि कम से कम कुछ का मादा युग्मक तक पहुंचना सुनिश्चित किया जा सके, शुक्राणु बड़ी संख्या में बनाए जाते है।
प्रश्न 3.
स्त्री में होने वाले आर्तव चक्र के दौरान पीयूष तथा अण्डाशयी हार्मोनों की भूमिका का वर्णन कीजिए
अथवा
एक मानव स्त्री के अनिव चक्र को निम्नलिखित प्रावस्थाओं की व्याख्या कीजिए
(i) अतिव प्रावस्था
(ii) पुटकीय प्रावस्था
(iii) पीतपिण्ड प्रावस्था।
अथवा
मानव स्त्री के अण्डाशय तथा गर्भाशय में अतिवचन के दौरान पुटकीय प्रावस्था तथा स्रावी प्रावस्था की अवधि तथा परिघटनाओं को लिखिए। इन दो प्रावस्थाओं की पीयूष तथा अण्डाशयी हार्मोन किस प्रकार प्रभावित करते हैं।
अथवा
मानव स्त्रियों में अवि चक्र की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्राइमेट मादाओं का जनन चक्र आर्तव चक्र (menstrual cycle) कहलाता है। एक स्त्री में आर्तव चक्र प्रत्येक 28/29 दिनों में दोहराया जाता है व एक ऋतुस्राव के प्रारम्भ से दूसरे तक की चक्रीय घटनाएँ मासिक चक्र (menstrual cycle) कहलाती हैं। मासिक चक्र के दौरान अण्डाशय व गर्भाशयी भित्तियों में चक्रीय परिवर्तन होते हैं जो पिट्यूटरी व अण्डाशयी हामोनों के नियन्त्रण में होते हैं। एक आर्तव चक्र में निम्न अवस्थाएं होती हैं।
(a) ऋतुस्राव अवस्था (Menstrual flow stage)
यह अवस्था 3 से 5 दिन तक चलती है तथा इसमें गर्भाशयी एंडोमेट्रियम के ऊतक वहाँ की रक्त कोशिकाओं के फटने से निकला रक्त, कुछ म्युकस आदि योनि के रास्ते शरीर से बाहर आते हैं। इसी अवस्था को ऋतुस्राव (menstrual flow) कहा जाता है। ऋतु स्राव तभी होता है जब अण्ड का निषेचन नहीं होता। ऐसी स्थिति में प्रोजेस्टीरॉन के अभाव के कारण गर्भाशयी एंडोमेट्रियम को बनाये रखना सम्भव नहीं हो पाता अतः ऋतुस्राव हो जाता है।
(b) पुटकीय अवस्था (Follicular Stage) या प्रचुरोद्भवन अवस्था (Proliferative phase)
पुटकीय अवस्था में अण्डाशय में प्राथमिक पुटक का ग्राफी पुटक के रूप में विकास होता है। गर्भाशयी एंडोमेट्रियम में प्रचुरोद्भवन (proliferation) अर्थात ऋतुस्राव के कारण हुई टूट - फूट की भरपाई होती है। एंडोमेट्रियम, मोटी व ग्रन्थिल होने लगती है। अण्डाशय में पुटक के विकास के कारण एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीरॉन का स्तर बढ़ता है। यह 5 दिन से 13वें दिन तक चलती है।
(c) अण्डोत्सर्ग अवस्था (Ovulatory Stage)
अन पिट्यूटरी के ल्यूटीनाइजिंग हामोन (LH) का स्तर आर्तव चक्र के 14वें दिन अपने चरम पर होता है। यह हामोन अण्डोत्सर्ग को प्रेरित करता है। अत: 14 वें दिन प्राफी पुटक से अण्ड मुक्त हो जाता है।
(d) पीतकी अवस्था (Luteal Stage) या स्रावी अवस्था (Secretory Phase)
15 वें दिन से 28वें दिन तक चलने वाली इस अवस्था में ग्राफी पुटक अण्ड के निकल जाने के बाद पीत पिण्ड (corpus luteum) में बदल जाता है। यह पीत पिण्ड प्रोजेस्टीरॉन का स्राव प्रारम्भ कर देता है। अतः इस अवस्था में प्रोजेस्टीरॉन का स्तर उच्चतम होता है। प्रोजेस्टीरॉन गर्भाशयी एंडोमेट्रियम को और ग्रन्थिल व मोटी बनाता है व उसे इस अवस्था में बनाये रखता है। अधिक प्रोजेस्टीरॉन निगेटिव फीडबैक द्वारा पिट्यूटरी हार्मोन का स्राव कम कर देता है। अतः पुटकीय विकास रुक जाता है।
अण्ड का निषेचन न होने पर कार्पस ल्यूटियम नष्ट हो जाती है। प्रोजेस्टीरॉन का स्तर गिरने लगता है अत: गर्भाशयी एंडोमेट्रियम को बनाए रखना सम्भव नहीं होता। अतः पुन: ऋतुस्राव अवस्था आ जाती है। आर्तव चक्र को नियमित करने वाले हार्मोन हैंअग्र पिट्यूटरी के फॉलिकिल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH) तथा ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन (LH) अण्डाशय के एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीरॉन
प्रश्न 4.
किसी स्त्री में अण्डाशु का निषेचन होने के बाद से अंतर्रोपण होने तक की अवधि में होने वाली घटनाओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
किसी स्त्री के अंडवाहिनी के किस भाग में निषेचन सम्पन्न होता है? निषेचित अंडाणु से अंतर्रोपण होने तक की अवधि में भ्रूण विकास की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
स्त्री में निषेचन अंडवाहिनी के एम्पुला - संकीर्ण क्षेत्र संधि स्थल (Ampullary isthumic junction) पर होता है। निषेचन के बाद युग्मनज अण्डवाहिनी के इस्थमस वाले क्षेत्र से होता हुआ गर्भाशय की ओर गति करता है। इसी गति के दौरान युग्मनज में होलोब्लास्टिक विदलन होते रहते हैं। युग्मनज इस प्रकार के विदलन से 2, 4, 6, 8 व 16 कोशिकाएँ बनाता है जो कोरक खण्ड (ब्लास्टोमीयस) कहलाती है। 8 से 16 कोरकखण्डों वाला भ्रूण तूतक या मोरुला (Morula) कहलाता है। इस अवस्था में भ्रूण एक ठोस गेंद के समान होता है। मोफला में विभाजन होते रहते हैं व कोरकखण्डों (ब्लास्टोमीयर्स) की संख्या में वृद्धि होती रहती है साथ ही यह गर्भाशय की ओर गति भी करता रहता है तथा यह कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट) के रूप में परिवर्तित हो जाता है। एक कोरकपुटी में कोरकखण्ड बाहरी परत में व्यवस्थित होते हैं जिसे पोषकारक (ट्रोफोब्लास्ट) कहते हैं। कोशिकाओं में भीतरी समूह जो पोषकोरक से जुड़े होते हैं, उन्हें अंतर कोशिका समूह (इनर सेलमास) कहते हैं। अब पोषकोरक (ट्रोफोब्लास्ट) गर्भाशयी भित्ति के आन्तरिक स्तर एण्डोमेट्रियम से संलग्न हो जाता है तथा अंतर कोशिका समूह अब भ्रूण के रूप में विभेदित हो जाता है। ब्लास्टोसिस्ट के संलग्न होने पर गर्भाशयी कोशिकाएँ तेजी से विभाजित होकर कोरकपुटी को ढक लेती हैं। इसके फलस्वरूप ब्लास्टोसिस्ट (कोरकपुटी) गर्भाशय की एण्डोमेट्रियम (अंतःस्तर) में फंस जाती हैं या अन्तःस्थापित हो जाती है। यही अन्तर्रोपण (इम्प्लांटेशन) कहते हैं और बाद में यह सगर्भता का रूप धारण कर लेता है।
प्रश्न 5.
मानव के वृषण में शुक्रजनन का प्रक्रम कहाँ और कैसे संपादित होता है?
अथवा
शुक्राणु जनन किसे कहते हैं? शुक्रजनन की प्रक्रिया का आरेखीय निरूपण कीजिए।
उत्तर:
शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) वृषण में स्थित अननिक कोशिकाओं अर्थात शुक्राणुजन कोशिकाओं (spermatogonia) के अर्धसूत्री विभाजन द्वारा आगुणित व परिपक्व शुक्राणुओं का निर्माण शुक्रजनन कहलाता है।
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया:
शुक्रजनन एक सतत (continuous) प्रक्रिया है। लगभग 74 दिनों में पूर्ण होने वाली इस क्रिया को दो प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है:
1. स्पर्मेटिड (शुक्राणु प्रसु) का निर्माण
2. शुक्राणुजनन (spermiogenesis)
1. शुक्राणु प्रसु अर्थात स्पमेंटिड्स का निर्माण इस क्रिया के तीन पद होते हैं:
(i) गुणन प्रावस्था (Multiplicative Phase) :
शुक्रजनन नलिकाओं को स्तरित करने वाली जननिक एपोथोलियम की द्विगुणित कोशिकाएँ विभेदित होकर शुक्राणु मातृ कोशिका या स्पमेंटोगोनिया (एकवचन - स्पर्मेटोगोनियम) का रूप ले लेती हैं। कुछ स्पमेंटोगोनियम स्टेम कोशिका की भांति लगातार समसूत्री रूप से विभाजित होती रहती है, इन्हें A प्रकार की स्पमेंटोगोनिया कहते हैं। B प्रकार की स्पर्मेटोगोनिया अगली वृद्धि प्रावस्था में प्रवेश करती हैं।
(ii) वृद्धि प्रावस्था (Growth Phase):
इस प्रावस्था में स्पमेंटोगोनियम के आकार में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप यह प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाओं (Primary spermatocytes) में परिवर्तित हो जाती है। यह अवस्था छोटी (कम अवधि) की होती है।
(iii) परिपक्वन अवस्था (Maturation Phase):
अर्धसूत्री विभाजन परिपक्वन अवस्था का प्रमुख लक्षण है। प्राथमिक शुक्राणु कोशिका (प्राइमरी स्पमेंटोसाइट) में हुए प्रथम अर्धसूत्री विभाजन (meiosis ) से दो अगुणित द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाओं (secondary spermatocyte) का निर्माण होता है। इसके तुरन्त बाद द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाओं (सैकण्डरी स्पमेंटोसाइट) में द्वितीय अर्धसूत्री विभाजन (meiosis II) सम्पन्न होता है जिसके फलस्वरूप प्रत्येक द्वितीयक स्पमेंटोसाइट से 2 अगुणित शुक्राणु प्रसु (spermatids) बन जाते है। इस प्रकार एक शुक्राणु मातृ कोशिका (spermatogonium) से 4 स्पर्मेटिड्स बन जाते हैं।
(b) शुक्राणुजनन (Spermiogenesis):
एक अचल (non motile) व आकार में गोल अगुणित शुक्राणु प्रसु (spermatid) का चल (motile) सक्रिय शुक्राणु में रूपान्तरण शुक्राणुचान (spermiogenesis) कहलाता है। इस प्रक्रिया में गॉल्जीकाय द्वारा जुक्राणु का एक्रोसोम बनाना, केन्द्रक का संघनित हो जाना, इससे कोशिकाद्रव्य का कम हो जाना व शुक्राणु का अपना प्रारूपिक रूप ले लेना जैसे पद शामिल हैं।
प्रश्न 6.
एक अन्तःस्रावी प्रन्थि के रूप में अपरा की भूमिका की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
अपरा (Placenta) एक अन्तःस्रावी प्रन्धि के रूप में कार्य करता है। अपरा द्वारा उत्पादित प्रमुख हार्मोन निम्नलिखित है-
प्रश्न 7.
स्त्री में आर्तव प्रावस्था की व्याख्या कीजिए। इस प्रावस्था के दौरान अण्डाशयी और पिट्यूटरी हार्मोनों के स्तरों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
प्राइमेट मादाओं का जनन चक्र आर्तव चक्र (menstrual cycle) कहलाता है। एक स्त्री में आर्तव चक्र प्रत्येक 28/29 दिनों में दोहराया जाता है व एक ऋतुस्राव के प्रारम्भ से दूसरे तक की चक्रीय घटनाएँ मासिक चक्र (menstrual cycle) कहलाती हैं। मासिक चक्र के दौरान अण्डाशय व गर्भाशयी भित्तियों में चक्रीय परिवर्तन होते हैं जो पिट्यूटरी व अण्डाशयी हामोनों के नियन्त्रण में होते हैं। एक आर्तव चक्र में निम्न अवस्थाएं होती हैं।
(a) ऋतुस्राव अवस्था (Menstrual flow stage)
यह अवस्था 3 से 5 दिन तक चलती है तथा इसमें गर्भाशयी एंडोमेट्रियम के ऊतक वहाँ की रक्त कोशिकाओं के फटने से निकला रक्त, कुछ म्युकस आदि योनि के रास्ते शरीर से बाहर आते हैं। इसी अवस्था को ऋतुस्राव (menstrual flow) कहा जाता है। ऋतु स्राव तभी होता है जब अण्ड का निषेचन नहीं होता। ऐसी स्थिति में प्रोजेस्टीरॉन के अभाव के कारण गर्भाशयी एंडोमेट्रियम को बनाये रखना सम्भव नहीं हो पाता अतः ऋतुस्राव हो जाता है।
(b) पुटकीय अवस्था (Follicular Stage) या प्रचुरोद्भवन अवस्था (Proliferative phase)
पुटकीय अवस्था में अण्डाशय में प्राथमिक पुटक का ग्राफी पुटक के रूप में विकास होता है। गर्भाशयी एंडोमेट्रियम में प्रचुरोद्भवन (proliferation) अर्थात ऋतुस्राव के कारण हुई टूट - फूट की भरपाई होती है। एंडोमेट्रियम, मोटी व ग्रन्थिल होने लगती है। अण्डाशय में पुटक के विकास के कारण एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीरॉन का स्तर बढ़ता है। यह 5 दिन से 13वें दिन तक चलती है।
(c) अण्डोत्सर्ग अवस्था (Ovulatory Stage)
अन पिट्यूटरी के ल्यूटीनाइजिंग हामोन (LH) का स्तर आर्तव चक्र के 14वें दिन अपने चरम पर होता है। यह हामोन अण्डोत्सर्ग को प्रेरित करता है। अत: 14 वें दिन प्राफी पुटक से अण्ड मुक्त हो जाता है।
(d) पीतकी अवस्था (Luteal Stage) या स्रावी अवस्था (Secretory Phase)
15 वें दिन से 28वें दिन तक चलने वाली इस अवस्था में ग्राफी पुटक अण्ड के निकल जाने के बाद पीत पिण्ड (corpus luteum) में बदल जाता है। यह पीत पिण्ड प्रोजेस्टीरॉन का स्राव प्रारम्भ कर देता है। अतः इस अवस्था में प्रोजेस्टीरॉन का स्तर उच्चतम होता है। प्रोजेस्टीरॉन गर्भाशयी एंडोमेट्रियम को और ग्रन्थिल व मोटी बनाता है व उसे इस अवस्था में बनाये रखता है। अधिक प्रोजेस्टीरॉन निगेटिव फीडबैक द्वारा पिट्यूटरी हार्मोन का स्राव कम कर देता है। अतः पुटकीय विकास रुक जाता है।
अण्ड का निषेचन न होने पर कार्पस ल्यूटियम नष्ट हो जाती है। प्रोजेस्टीरॉन का स्तर गिरने लगता है अत: गर्भाशयी एंडोमेट्रियम को बनाए रखना सम्भव नहीं होता। अतः पुन: ऋतुस्राव अवस्था आ जाती है। आर्तव चक्र को नियमित करने वाले हार्मोन हैंअग्र पिट्यूटरी के फॉलिकिल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH) तथा ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन (LH) अण्डाशय के एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीरॉन
बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न सहित)
प्रश्न 1.
किस हार्मोन के अभाव में महिलाओं में अस्थियाँ मुलायम और कमजोर हो जाती है?
(a) ACTH
(b) TSH
(c) प्रोजेस्टीरॉन
(d) एस्ट्रोजन
उत्तर:
(d) एस्ट्रोजन
प्रश्न 2.
अपरा (Placenta) द्वारा सावित हार्मोन है-
(a) टेस्टोस्टीरॉन
(b) hCG
(c) मिलेटोनिन
(d) ग्लूकेगॉन
उत्तर:
(b) hCG
प्रश्न 3.
मानव शुक्राणु के किस भाग में एन्जाइम पाये जाते हैं?
(a) ग्रीवा
(b) मध्यकाय
(c) पुच्छ
(d) एक्रोसोम
उत्तर:
(d) एक्रोसोम
प्रश्न 4.
आर्तव साव (menstrual flow) निम्न में से किस की कमी के कारण होता है?
(a) प्रोजेस्टीरॉन
(b) FSH (एफ एस एच)
(c) आक्सीटोसिन
(d) वैसोप्रेसिन
उत्तर:
(a) प्रोजेस्टीरॉन
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन - सा कार्य अपरा (placenta) का नहीं है?
(a) भ्रूण को आक्सीजन और पोषक पदार्थ उपलब्ध कराने में मदद करता है
(b) एस्ट्रोजन का स्लाव करता है
(c) भ्रूण में से कार्बन डाई ऑक्साइड तथा अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है
(d) प्रसव के समय आक्सीटोसिन का स्राव करता है।
उत्तर:
(d) प्रसव के समय आक्सीटोसिन का स्राव करता है।
प्रश्न 6.
मनुष्य के शुक्रीय प्लाज्मा (सेमिनल प्लाज्मा) में
(a) फ्रक्टोज, कैल्शियम व कुछ एन्जाइम होते हैं
(b) फ्रक्टोज व कैल्शियम तो होते हैं मगर एन्जाइम नहीं होते
(c) ग्लूकोज और कुछ एन्जाइम होते हैं लेकिन कैल्शियम नहीं होता
(d) फ्रक्टोज व एन्जाइम होते हैं मगर कैल्शियम नहीं होता
उत्तर:
(a) फ्रक्टोज, कैल्शियम व कुछ एन्जाइम होते हैं
प्रश्न 7.
शुक्राणुओं के एक्रोसोम में पाया जाता है-
(a) एन्जाइम्स
(b) DNA
(c) माइटोकान्डिया
(d) फ्रक्टोज
उत्तर:
(a) एन्जाइम्स
प्रश्न 8.
प्रसव के लिए संकेत उत्पन्न होते हैं?
(a) उल्ब तरल (amniotic fluid) द्वारा दाब पड़ने से
(b) पीयूष से आक्सीटोसिन की मुक्ति से
(c) पूर्ण विकसित गर्भ एवं अपरा से
(d) स्तन अन्थियों का विभेदन होने से
उत्तर:
(c) पूर्ण विकसित गर्भ एवं अपरा से
HOTS : Higher Order Thinking Skill Questions
प्रश्न 1.
(a) किस महत्वपूर्ण तरीके से अण्डकोशिका की संरचना शुक्राणु के समान है?
(b) अण्डकोशिका व शुक्राणु में प्रमुख अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(a) अण्ड कोशिका व शुक्राणु दोनों ही अगुणित हैं व युग्मनज निर्माण में भाग लेते हैं।
(b) अण्ड कोशिका व शुक्राणु में प्रमुख अन्तर
अण्ड कोशिका (Egg call) |
शुक्राणु (Sperm) |
1. अचल (non motile) |
चल (motile) |
2. आकार में बड़ा (40µm. व्यास) |
आकार में छोटा (2.5µm. व्यास) |
3. एक माह में केवल एक अण्ड का उत्पादन |
प्रतिदिन बड़ी संख्या में उत्पादन |
4. अधिक कोशिका द्रव्य व कुछ न कुछ संचित पदार्थ |
बहुत कम कोशिका द्रव्य बिना संचित पदार्थ के |
5. अनेक रक्षात्मक आवरण |
केवल कोशिका कला का आवरण |
6. संरचना - गोलाकार, स्थित रहने हेतु अनुकूलित |
संरचना - सपुछ (tail) चलन हेतु अनुकूलित |
प्रश्न 2.
एक स्त्री में होने वाले निषेचन, विदलन, मोरुला अवस्था व कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट) अवस्थाएँ पाये जाने का स्थान बताइये।
उत्तर:
प्रक्रिया/अवस्था |
स्थान |
निषेचन |
अण्डवाहिनी का संकीर्ण पथ - तुम्बिका सन्धि स्थल (Ampullary - Isthmus junction) |
विदलन |
अण्डवाहिनी संकीर्ण पथ |
मोरुला अवस्था |
अण्डवाहिनी संकीर्ण पथ - गर्भाशय सन्धि स्थल |
कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट) |
गर्भाशय |
प्रश्न 3.
बताइये क्यों डॉक्टर एक सगर्भ (प्रेगनेंट) स्त्री को औषधियों का सेवन केवल चिकित्सकीय देखरेख में ही करने का सुझाव देते हैं?
उत्तर:
सगर्भता की स्थिति में स्त्री के गर्भाशय में पल रहे भ्रूण व स्त्री के गर्भाशय की भित्ति के बीच एक संरचनात्मक व कार्थिकीय सम्बन्ध अपरा (placenta) का निर्माण होता है। यह भ्रूण की कार्यिकीय आवश्यकताओं जैसे पोषण आदि को पूर्ण करने का कार्य करता है। यह स्त्री के रक्त में स्थित हानिकारक पदार्थों को भी भ्रूण के शरीर में पहुंचा देता है। अत: स्त्री द्वारा लेने वाली औषधियाँ/ ड्रग्स भ्रूण के शरीर में पहुँच जाती है जो भ्रूण में जन्मजात विकृति पैदा कर सकती हैं। अत: एक सगर्भ स्त्री को दवाओं का सेवन चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करने की सलाह दी जाती है।
प्रश्न 4.
पुरुषों में जनन तन्त्र, मूत्र जनन तन्त्र (Urinogenital system) बनाता है जबकि स्त्रियों में जनन तन्त्र स्वतंत्र होता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पुरुषों में मूत्र नलिका (Urethra) जो मूत्र को मूत्राशय से शरीर के बाहर तक लाती है वीर्य के परिवहन का भी कार्य करती है। शुक्रवाह वास डेफरेंस व शुक्राशय नलिका के मिलने से बनी स्खलन नलिका (ejaculatory duct) अन्त में मूत्र नलिका में ही खुलती हैं। मूत्राशय से शिश्न के शीर्ष तक की मूत्र नलिका, मूत्र व वीर्य दोनों का परिवहन करती है। इस प्रकार उत्सर्जी तन्त्र का एक भाग, पुरुष में, नर जनन तन्त्र से अभिन्न रूप से जुड़ा होता है इसलिए इसे मूत्र जनन तन्त्र कहा जाता है। स्त्रियों में मूत्र नलिका (Urethra) केवल मूत्र का परिवहन करती है व शरीर से बाहर अलग से खुलती है अत: जनन तन्त्र उत्सर्जी तन्त्र से स्वतन्त्र होता है।
NCERT EXEMPLAR PROBLEMS
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
शुक्रीय प्रद्रव्य (Seminal Plasma) जो वीर्य का द्रव भाग है, किसके योगदान से बनता है
(i) शुक्राशय
(ii) प्रोस्टेट
(iii) मूत्रनली
(iv) बल्बोयूरेनल ग्रन्धि
(a) (i) व (ii)
(b) (i), (ii) व (iv)
(c) (ii), (iii) व (iv)
(d) (i) व (iv)
उत्तर:
(b) (i), (ii) व (iv)
प्रश्न 2.
नर जनन तन्त्र की इन संरचनाओं में कौन सुमेलित नहीं है-
(a) रेटे टेस्टिस
(b) अधिवृषण
(c) वासा इफेरशिया
(d) संकीर्ण पथ
उत्तर:
(d) संकीर्ण पथ
प्रश्न 3.
निम्न का मिलान कर सही उत्तर चुनिए
(A) पौष कोरक (ट्रोफोब्लास्ट)
(i) कोरकपुटी का एंडोमेट्रियम में धंसना
(B) विदलन
(ii) कोशिकाओं का समूह जो भ्रूण के रूप में विकसित होता है
(C) अन्तः कोशिका समूह
(iii) कोरकपुटी का बाह्य स्तर जो एंड्रोमेट्रियम से संलग्न हो
(D) अन्तर्रोपण
(iv) युग्मनज के समसूत्री विभाजन
(a) A - ii, B - i,C - iii, D - iv
(b) A - iii, B - iv, C - ii, D - i
(c) A - iii, B - i,C - ii, D - iv
(d) A - ii, B - iv, C - iii, D - i
उत्तर:
(b) A - iii, B - iv, C - ii, D - i
प्रश्न 4.
निम्न में से कौन नर सहायक ग्रन्धि नहीं है-
(a) शुक्राशय
(b) तुम्बिका (ampulla)
(c) प्रोस्टेट
(d) बल्योयूरेथ्रला ग्रन्थि
उत्तर:
(b) तुम्बिका (ampulla)
प्रश्न 5.
निम्न में से किस में 23 गुणसूत्र होते हैं?
(a) स्पर्मेटोगोनिया
(b) युग्मनज
(c) द्वितीयक ऊसाइट
(d) ऊगोनिया
उत्तर:
(c) द्वितीयक ऊसाइट
प्रश्न 6.
शुक्राशय की नलिका से मिलने के बाद शुक्रवाहिका मूत्र नली में किस के रूप में खुलती है?
(a) अधिवृषण
(b) स्खलन नलिका
(c) अपवाही नलिका
(d) यूरेटर
उत्तर:
(b) स्खलन नलिका
प्रश्न 7.
निम्न में कौन सुमेलित नहीं है-
(a) लघुभगोष्ठ (लेबिया माइनोरा)
(b) फिम्बी
(c) कीपक (इन्फंडीब्युलम)
(d) संकीर्ण पथ
उत्तर:
(a) लघुभगोष्ठ (लेबिया माइनोरा)
प्रश्न 8.
मोरुला एक विकासीय अवस्था है-
(a) युग्मनज व कोरकपुटी के बीच की
(b) कोरकपुटी व गैस्टूला के बीच की
(c) अन्तर्रोपण के बाद की
(d) अन्तरोपण व प्रसव के बीच की
उत्तर:
(a) युग्मनज व कोरकपुटी के बीच की
प्रश्न 9.
स्पर्मिएशन (spermiation) शुक्राणुओं के कहाँ से मुक्त होने की क्रिया है?
(a) शुक्रजनन नलिका
(b) शुक्र वाहिका
(c) अधिवृषण
(d) प्रोस्टेट ग्रन्थि
उत्तर:
(a) शुक्रजनन नलिका
प्रश्न 10.
शुक्रजनन (spermatogenesis) के बारे में कौन - सा कथन सही है-
(a) स्पमेंटोगोनिया में 46 गुणसूत्र होते हैं तथा इनमें से प्रत्येक में हमेशा अर्धसूत्री विभाजन होता है।
(b) प्राथमिक स्पमेंटोसाइट समसूत्री विभाजन से विभाजित होती है
(c) द्वितीयक स्पमेंटोसाइट में 23 गुणसूत्र होते हैं तथा इनमें द्वितीय अर्धसूत्री विभाजन (meiosis II) होता है।
(d) शुक्राणुओं का रूपान्तरण शुक्राणुप्रसु (spermatid) में होता है।
उत्तर:
(c) द्वितीयक स्पमेंटोसाइट में 23 गुणसूत्र होते हैं तथा इनमें द्वितीय अर्धसूत्री विभाजन (meiosis II) होता है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे मानव जनन की कुछ घटनाएँ दी गई हैं। इन्हें सही क्रम में व्यवस्थित करें। वीर्य सेचन (insemination), युग्मक जनन, निवेचन, प्रसव, गर्भावधि, अन्तर्रोपण
उत्तर:
युग्मक जनन, वीर्य सेचन, निषेचन, अन्तरोपण, गर्भावधि, प्रसव
प्रश्न 2.
नीचे शुक्राणु परिवहन का पथ प्रदर्शित है। खाली बॉक्स में उचित शब्द भरें
उत्तर:
A = वासा इफेरेशिया
B = शुक्र वाहक (vasa deferentia)
प्रश्न 3.
स्त्री के जनन तन्त्र में गर्भाशयी ग्रीवा की क्या भूमिका है?
उत्तर:
गर्भाशयी ग्रीवा शुक्राणुओं को गर्भाशय में प्रवेश का मार्ग उपलब्ध कराती है, योनि के साथ मिलकर यह प्रसव नाल (birth canal) बनाती है। यह थैली जैसे गर्भाशय का संकरा मार्ग बनाकर उसकी अतिरिक्त सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
प्रश्न 4.
जनन के समय युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी (n) हो जाती है तथा फिर संतति में वास्तविक संख्या (2n) स्थापित हो जाती है। उन प्रक्रियाओं के नाम लिखिष्ट जो इसके लिए उत्तरदायी हैं।
उत्तर:
युग्मक जनन में हुए अर्धसूत्री विभाजन (meiosis) से गुणसूत्र संख्या आधी हो जाती है।
• युग्मक संलयन (निषेचन) से पुनः द्विगुणित संख्या पुनस्थापित हो जाती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
केवल रेखीय आरेख द्वारा अण्डजनन को प्रदर्शित कीजिए (वर्णन आवश्यक नहीं)
उत्तर:
प्रश्न 2.
शिशु की वृद्धि के आरंभिक काल के दौरान शिशु को स्तनपान कराने की सलाह क्यों दी जाती है? कारण बताइए।
उत्तर:
शिशु जन्म के बाद प्रारम्भिक कुछ दिनों तक स्तनों से गाड़ा, हल्का पीला द्रव प्रथम स्तन्य खीस (colostrum) निकलता है। यह प्रारम्भिक दुग्ध प्रोटीन्स व खनिजों से समृद्ध होता है व शिशु को आवश्यक पोषण उपलब्ध कराता है। साथ ही इसमें माँ के शरीर में बने प्रतिरक्षी (antibodies) भी होते हैं जो शिशु को अक्रिय प्रतिरक्षा (Passive immunity) प्रदान कर अनेक संक्रामक रोगों से बचाते हैं। बाद में भी माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वाधिक पोषक आहार होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
स्त्री जनन तन्त्र का एक स्पष्ट चित्र बनाइये तथा उन भागों का नामांकन करिए जो निम्नलिखित से सम्बन्धित है-
(a) युग्मक निर्माण
(b) निषेचन स्थल
(c) अन्तरोपण स्थल
(d) जनन नाल
उत्तर:
(a) युग्मक निर्माण (अण्डाशय)
(b) निषेचन स्थल एम्मुला संकीर्ण पथ सन्धि स्थल
(c) गर्भाशय भित्ति एंडोमेट्रियम (अन्तर्रोपण स्थल)
(d) जनन नाल (गर्भाशयी ग्रीवा + योनि)
प्रश्न 2.
उचित चित्र द्वारा स्तन ग्रन्थि का गठन स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कार्यशील स्तन ग्रन्थि शिशु के पोषण के लिए अत्यन्त आवश्यक है। स्त्री का प्रत्येक स्तन प्रमुखत: अन्धिल ऊतक व वसा से बना होता है। ग्रन्थिल ऊतक 15 - 20 स्तनपालियों (Mammary lobes) में व्यवस्थित रहता है। प्रत्येक स्तन की इन पालियों में कोशिकाओं के समूह होते हैं जो कूपिकाएँ (aliveoli) कहलाते हैं।
कृपिका की कोशिकाएं दुग्ध का स्रावण करती है जो कूपिकाओं की गुहा में एकत्रित हो जाता है। कूपिकाएँ स्तन नलिकाओं (mammary tubules) में खुलती है। प्रत्येक पालि को स्तननलिकाएँ मिलकर बड़ी स्तनवाहिनी (mammary ampulla) बनाती हैं। यह एम्पुला दुग्ध वाहिनी (Lactiferous) में खुलता है। इसी दुग्ध वाहिनी से दुग्ध बाहर आता है।