RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्णानाम् उच्चारणस्थान-प्रयत्नानि

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्णानाम् उच्चारणस्थान-प्रयत्नानि Questions and Answers, Notes Pdf.

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RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्णानाम् उच्चारणस्थान-प्रयत्नानि

संस्कृत वर्णमाला में पाणिनीय शिक्षा के अनुसार 63 वर्ण हैं। उन सभी वर्गों के उच्चारण के लिए आठ स्थान हैं। वे इस प्रकार हैं- 1. उर, 2. कण्ठ, 3. शिर, 4. जिह्वामूलम्, 5. दन्त, 6. नासिका, 7. ओष्ठ और 8. तालु। इन्हीं स्थानों से ही सभी वर्गों का उच्चारण होता है। इस वर्णोच्चारण में जिह्वा का भी परम सहयोग होता है। वह जिह्वा वर्गों के उच्चारण के लिए जिस-जिस अङ्ग का स्पर्श अथवा सहायता करती है, वही-वही अङ्ग उस-उस वर्ण का उच्चारण स्थान होता है। किस वर्ण का उच्चारण किस स्थान से होता है, यह यहाँ लिख रहे हैं - 

1. अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः। 
अर्थ: - अकार-कवर्ग (क् ख् ग् घ् ङ्) - हकार-विसर्गाणाम् उच्चारणस्थानं कण्ठो भवति। (अ, क, ख, ग, घ, ङ्, ह तथा विसर्ग':' का उच्चारण स्थान 'कण्ठ' होता है।) 

2. इचुयशानां तालु। 
अर्थः - इकार-चवर्ण (च् छ् ज् झ् ञ्) - यकार-शकाराणाम् उच्चारणस्थानं तालु भवति। (इ, च, छ, ज, झ, ञ्, य, श वर्णों का उच्चारण स्थान 'तालु' होता है।) 

3. ऋटुरषाणां मूर्धा। 
अर्थ: - ऋकार-टवर्ग (ट् ठ् ड् ढ् ण्) रेफ-षकाराणाम् उच्चारणस्थानं मूर्धा भवति। (ऋ, ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष वर्णों का उच्चारण स्थान 'मूर्धा' होता है।) 

4. लुतुलसानां दन्ताः। 
अर्थः - लकार-तवर्ग (त् थ् द् ध् न्)-लकार-सकाराणाम् उच्चारणस्थानं दन्ताः भवन्ति। (ल, त, थ, द, ध, न, ल, स वर्णों का उच्चारण स्थान 'दन्त' होता है।) 

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5. उपूपध्मानीयानामोष्ठी। 
अर्थ: - उकार-पवर्ग (प् फ् ब् भ् म्) उपध्मानीयानाम् (प फ) उच्चारण स्थानं ओष्ठौ भवतः। (उ, प, फ, ब, भ, म, उपध्मानीय 'प, फ' वर्गों का उच्चारण स्थान 'ओष्ठ' होता है।) 

6. अमडणनानां नासिका च। 
अर्थः - ज्, म, ङ, ण, न् इत्येतेषां वर्णानाम् उच्चारणस्थानं नासिका भवति। चकारात् स्वस्ववर्गस्य उच्चारणस्थानमपि भवति। (ज्, म्, ङ, ण, न् वर्णों का उच्चारण स्थान नासिका होता है। च के प्रयोग से इनका अपने-अपने वर्ण का उच्चारण स्थान भी होता है।) 

यथा - कवर्गत्वात् ङकारस्य उच्चारणस्थानं कण्ठोऽपि भवति एवमेव मकारादिवर्णानां विषये ज्ञेयम्। 
(जैसे - कवर्ग में होने के कारण 'ङ् वर्ण का उच्चारण स्थान कण्ठ भी होता है। इसी प्रकार मकारादि वर्गों का भी वर्गानुसार उच्चारण स्थान होता है।) 

7. एदेतोः कण्ठतालु। 
अर्थ: - एकार-ऐकारयोः वर्णयोः उच्चारणस्थानं कण्ठतालु भवति। (ए तथा ऐ वर्ण का उच्चारण स्थान 'कण्ठतालु' होता है।) 

8. ओदौतोः कण्ठोष्ठम्। 
अर्थ: - ओकार-औकारयोः वर्णयोः उच्चारणस्थानं कण्ठोष्ठं भवति। (ओ, औ का उच्चारण-स्थान 'कण्ठोष्ठ' होता है।) 

9. वकारस्य दन्तोष्ठम्। 
अर्थ:-वकारस्य उच्चारणस्थानं दन्तोष्ठं भवति। ('व' वर्ण का उच्चारण-स्थान 'दन्तोष्ठ' होता है।) 

10. जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम्। 
अर्थ: - जिह्वामूलीयवर्णस्य (= क - ख) उच्चारणस्थानं जिह्वायाः मूलमस्ति। (जिह्वामूल वर्ण = क = ख का उच्चारण स्थान जिह्वा का मूल होता है।) 

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11. नासिकाऽनुस्वारस्य। 
अर्थः - अनुस्वारस्य (-) उच्चारणस्थानं नासिका अस्ति। (अनुस्वार का उच्चारण स्थान नासिका है।) 
उपर्युक्तवर्णोच्चारणस्थानं सरलरीत्या निम्नलिखितचक्रेण ज्ञातुं शक्यते-(उपर्युक्त वर्गों के उच्चारण स्थान को सरल ढंग से निम्न तालिका से जान सकते हैं-) 

वर्णोच्चारणस्थानबोधकचक्रम् 

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्णानाम् उच्चारणस्थान-प्रयत्नानि 1

प्रयत्न (यत्न) 

यत्नो द्विधा-आभ्यन्तरो बाह्यश्च। 

आद्यः पञ्चधा - स्पृष्टेषत्स्पृष्टेषद्विवृतसंवृतभेदात्। तत्र स्पृष्टं प्रयत्नं स्पर्शानाम्। ईषत्स्पृष्टमन्तःस्थानाम्। ईषद्विवृतमूष्मणाम्। विवृतं स्वराणाम्। ह्रस्वस्यावर्णस्य प्रयोगे संवृतम्। प्रक्रियादशायां तु विवृतमेव। बाह्यप्रयत्नस्तु एकादशधा। विवारः संवारः श्वासो नादो घोषोऽघोषोऽल्पप्राणो महाप्राण उदात्तोऽनुदात्तः स्वरितश्चेति। खरो विवाराः श्वासा अघोषाश्च। हशः संवारा नादा घोषाश्च। वर्गाणां प्रथमतृतीयपञ्चमा यणश्चाल्पप्राणाः। वर्गाणां द्वितीयचतुर्थौ शलश्च महाप्राणाः। कादयो मावसानाः स्पर्शाः। यणोऽन्तःस्थाः। शल ऊष्माणः। अचः स्वराः। 
क ख इति कखाभ्यां प्रागर्धविसर्गसदृशो जिह्वामूलीयः। प फ इति पफाभ्यां प्रागर्धविसर्गसदृश उपध्मानीयः। अं अः इत्यचः परावनुस्वारविसर्गौ। 
यत्नः - यत्न दो प्रकार के होते हैं - 1. आभ्यन्तर, 2. बाह्य। 

आद्य: - आभ्यन्तर प्रयत्न पाँच प्रकार का है-1. स्पृष्ट, 2. ईषत्स्पृष्ट, 3. ईषद्विवृत, 4. विवृत, 5. संवृत। तत्रेति उनमें स्पृष्ट प्रयत्न स्पर्श वर्णों का होता है। अन्तःस्थ वर्णों का ईषत्स्पृष्ट प्रयत्न होता है। ऊष्म वर्णों का ईषद्विवृत प्रयत्न होता है। स्वर वर्णों का विवृत प्रयत्न होता है। 

ह्रस्वस्येति - प्रयोग की दशा में ह्रस्व अवर्ण का प्रयत्न संवृत होता है, किन्तु प्रक्रिया की दशा में अ का प्रयत्न विवृत ही होता है। 

विशेष - अ एवं आ की संवृत एवं विवृत प्रयत्न भेद से सवर्ण संज्ञा प्राप्त नहीं होती है तथा दण्ड + आढकम् में सवर्ण दीर्घ प्राप्त नहीं होता है। इस दोष के निवारण हेतु ह्रस्व अ को रामः कृष्णः इत्यादि प्रयोग दशा में संवृत माना गया है तथा दण्ड + आढकम् इत्यादि में प्रक्रिया दशा में विवृत माना गया है। इस बात को 'अ अ' सूत्र द्वारा स्वयं पाणिनि ने ज्ञापित कर दिया है। उन्होंने विवृत अ को संवृत अ का विधान किया है। यह सूत्र अष्टाध्यायी का अन्तिम सूत्र होने से सभी सूत्रों की दृष्टि में असिद्ध है। अतः प्रक्रिया दशा में अ वर्ण विवृत है। 

बाह्य - बाह्य प्रयत्न ग्यारह प्रकार का है-विवार, संवार, श्वास, नाद, घोष, अघोष, अल्पप्राण, महाप्राण, उदात्त, अनुदात्त और स्वरित। 

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खर - खर् प्रत्याहार के वर्गों के विवार, श्वास, अघोष प्रयत्न हैं। हश् वर्गों के संवार, नाद और घोष प्रयत्न हैं। वर्ग के प्रथम, तृतीय एवं पञ्चम वर्ण तथा यण् वर्णों का अल्पप्राण प्रयत्न है। वर्ग के द्वितीय, चतुर्थ वर्ण एवं शल् प्रत्याहारों में स्थित वर्गों का महाप्राण प्रयत्न है। 

स्पर्श - क से लेकर म तक स्पर्श वर्ण कहलाते हैं। यण् = य् व र् ल् को अन्तःस्थ वर्ण कहते हैं। शल् = श ष स ह को ऊष्म वर्ण कहते हैं। अच् प्रत्याहार के अन्तर्गत आने वाले वर्गों को स्वर कहते हैं। क व ख से पूर्व अर्धविसर्ग सदृश वर्ण जिह्वामूलीय हैं। प एवं फ से पूर्व अर्धविसर्ग सदृश वर्ण उपध्मानीय होते हैं। अच् से परे ' * ' व ':' चिह्न क्रमशः अनुस्वार एवं विसर्ग कहलाते हैं। 
इन्हें तालिका द्वारा इस प्रकार समझना चाहिए -  

आभ्यन्तरप्रयत्नतालिका -

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्णानाम् उच्चारणस्थान-प्रयत्नानि 2

बाह्यप्रयलचक्रम् -

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्णानाम् उच्चारणस्थान-प्रयत्नानि 3

अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तर -

वस्तुनिष्ठप्रश्ना: - 

प्रश्न 1. 
विसर्गस्य उच्चारणस्थानं भवति - 
(अ) मूर्धा 
(ब) कण्ठः 
(स) तालु 
(द) ओष्ठौ।
उत्तर :
(ब) कण्ठः 

प्रश्न 2. 
चवर्गस्य उच्चारणस्थानं भवति - 
(अ) दन्ताः 
(ब) कण्ठतालु 
(स) तालु 
(द) कण्ठः। 
उत्तर :
(स) तालु 

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प्रश्न 3. 
अनुस्वारस्य उच्चारणस्थानं भवति -
(अ) नासिका 
(ब) कण्ठः 
(द) जिह्वामूलम्। 
(स) दन्ताः 
उत्तर :
(अ) नासिका 

प्रश्न 4. 
वकारस्य उच्चारणस्थानं भवति -
(अ) कण्ठोष्ठम् 
(ब) ओष्ठौ 
(स) दन्तोष्ठम् 
(द) कण्ठतालु। 
उत्तर :
(स) दन्तोष्ठम् 

प्रश्न 5. 
कण्ठः इति उच्चारणस्थानम् अस्ति -
(अ) पवर्गस्य 
(ब) चवर्गस्य 
(स) कवर्गस्य 
(द) तवर्गस्य।
उत्तर :
(स) कवर्गस्य 

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प्रश्न 6. 
'ह' वर्णस्य उच्चारणस्थानमस्ति -
(अ) नासिका 
(ब) कण्ठः 
(स) मूर्धा 
(द) तालुः। 
उत्तर :
(ब) कण्ठः

प्रश्न 7. 
तकारस्य उच्चारणस्थानं भवति -
(अ) कण्ठः 
(ब) तालुः 
(स) दन्ताः 
(द) मूर्धा।
उत्तर :
(स) दन्ताः 

प्रश्न 8. 
नासिका उच्चारणस्थानं भवति -
(अ) वकारस्य 
(ब) अनुस्वारस्य 
(स) पवर्गस्य 
(द) टवर्गस्य। 
उत्तर :
(ब) अनुस्वारस्य 

प्रश्न 9. 
'औ' वर्णस्य उच्चारणस्थानं भवति -  
(अ) कण्ठोष्ठम् 
(ब) दन्तोष्ठम् 
(स) दन्ताः
(द) तालु। 
उत्तर :
(अ) कण्ठोष्ठम् 

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प्रश्न 10. 
जिह्वामूलीयवर्णस्य उच्चारणस्थानं भवति -  
(अ) जिह्वामूलम् 
(ब) मूर्धा 
(स) कण्ठः 
(द) ओष्ठौ।
उत्तर :
(अ) जिह्वामूलम् 

प्रश्न 11. 
'व्' वर्णस्य उच्चारणस्थानमस्ति -
(अ) मूर्धा 
(ब) नासिका 
(स) दन्तोष्ठम् 
(द) जिह्वामूलम्। 
उत्तर :
(स) दन्तोष्ठम् 

प्रश्न 12. 
कवर्गस्य उच्चारणस्थानं भवति -
(अ) तालुः 
(ब) ओष्ठः 
(स) नासिका 
(द) कण्ठः।
उत्तर :
(द) कण्ठः।

प्रश्न 13. 
'ए' वर्णस्य उच्चारणस्थानमस्ति -
(अ) कण्ठतालुः 
(ब) कण्ठोष्ठम् 
(स) दन्तोष्ठम् 
(द) ओष्ठौ। 
उत्तर :
(अ) कण्ठतालुः

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प्रश्न 14. 
टवर्गस्य उच्चारणस्थानं भवति -
(अ) कण्ठः 
(ब) तालुः 
(द) नासिका। 
(स) मूर्धा 
उत्तर :
(स) मूर्धा 

प्रश्न 15. 
पवर्गस्य उच्चारणस्थानं भवति -
(अ) दन्ताः 
(ब) ओष्ठौ 
(स) तालुः 
(द) कण्ठः। 
उत्तर :
(ब) ओष्ठौ 

प्रश्न 16. 
'द' वर्णस्य उच्चारणस्थानमस्ति -
(अ) कण्ठः 
(ब) तालुः 
(स) दन्तः 
(द) मूर्धा।
उत्तर :
(स) दन्तः 

प्रश्न 17. 
अनुस्वारस्य उच्चारणस्थानं भवति -
(अ) नासिका 
(ब) कण्ठः 
(स) ओष्ठः 
(द) दन्तः। 
उत्तर :
(अ) नासिका

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प्रश्न 18. 
आभ्यन्तप्रयत्नो भवति -
(अ) पञ्चधा 
(ब) सप्तधा 
(स) एकादशधा 
(द) पञ्चदशधा।
उत्तर :
(अ) पञ्चधा 

प्रश्न 19. 
स्पृष्टं प्रयत्नं भवति -
(अ) अन्त:स्थानाम् 
(ब) ऊष्माणाम् 
(स) स्पर्शानाम् 
(द) स्वराणाम्। 
उत्तर :
(स) स्पर्शानाम् 

प्रश्न 20. 
स्वरवर्णानाम् आभ्यन्तप्रयत्नो भवति -
(अ) संवृतम् 
(ब) विवृतम् 
(स) स्पृष्टम् 
(द) ईषद्विवृतम्। 
उत्तर :
(ब) विवृतम्

प्रश्न 21. 
ईषत्स्पृष्टं भवति - 
(अ) स्पर्शानाम् 
(ब) स्वराणाम् 
(स) ऊष्माणाम् 
(द) अन्तःस्थानाम्। 
उत्तर :
(द) अन्तःस्थानाम्। 

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प्रश्न 22. 
ह्रस्वस्यावर्णस्य प्रयोगे भवति -
(अ) संवृतम्
(ब) विवृतम् 
(स) स्पृष्टम् 
(द) ईषत्स्पृष्टम्। 
उत्तर :
(अ) संवृतम्

प्रश्न 23. 
बाह्यप्रयत्नस्तु भवति - 
(अ) पञ्चधा 
(ब) द्वादशधा 
(स) एकादशधा 
(द) सप्तधा। 
उत्तर :
(स) एकादशधा

प्रश्न 24. 
विवाराः श्वासा अघोषाश्च भवन्ति - 
(अ) दृश्वर्णाः
(ब) खर्वर्णाः 
(स) महाप्राणाः
(द) अल्पप्राणाः। 
उत्तर :
(ब) खर्वर्णाः

प्रश्न 25. 
अन्तः स्थाः वर्णाः भवन्ति -  
(अ) अचः 
(ब) शल: 
(स) कवर्गाः 
(द) यणः। 
उत्तर :
(द) यणः। 

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प्रश्न 26. 
'प्' वर्णस्याभ्यन्तप्रयत्नः भवति -
(अ) स्पृष्टम् 
(ब) ईषत् स्पृष्टम् 
(स) विवृतम् 
(द) संवृतम्। 
उत्तर :
(अ) स्पृष्टम् 

प्रश्न 27. 
'ग्' वर्णस्य बाह्यप्रयत्नः भवति -  
(अ) महाप्राणः 
(ब) उदात्तः 
(स) अल्पप्राणः 
(द) संवारः। 
उत्तर :
(स) अल्पप्राणः 

प्रश्न 28. 
शलवर्णाः भवन्ति 
(अ) अल्पप्राणाः 
(ब) महाप्राणाः 
(स) अनुदात्तः 
(द) घोषः। 
उत्तर :
(ब) महाप्राणाः 

प्रश्न 29. 
प्रक्रियादशायां तु भवति -
(अ) संवृतम्
(ब) स्पृष्टम् 
(स) ईषद्विवृतम् 
(द) विवृतम्। 
उत्तर :
(द) विवृतम्। 

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प्रश्न 30. 
'व्' वर्णस्य आभ्यन्तरप्रयत्नः भवति - 
(अ) ईषत् स्पृष्टम् 
(ब) ईषद् विवृतम्। 
(स) संवृतम् 
(द) स्पृष्टम्। 
उत्तर :
(अ) ईषत् स्पृष्टम् 

अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना: - 

प्रश्न 1. 
अधोलिखितवर्णानां समक्षं तेषाम् उच्चारणस्थानं लिखत - 
उत्तर : 

टवर्गस्य (ट् ठ् ड् ढ् ण्) मूर्धा
पवर्गस्य (प् फ् ब् भ् म्) ओष्ठः 
कवर्गस्य (क् ख् ग् घ् ङ्) कण्ठः
जिह्वामूलीयस्य (= क - ख) जिह्वामूलम् 
चवर्गस्य (च् छ् ज् झ् ञ्) तालुः

प्रश्न 2. 
निम्नलिखितवर्णानाम् उच्चारणस्थानं लिखत - 
ग्, ज्, द, थ्, फ्, न्, ऐ, औ, व्, उ, र्। 
उत्तर :
वर्णः - उच्चारणस्थानम् 

  1. ग् - कण्ठः। 
  2. ज् - तालु। 
  3. द - मूर्धा।
  4. थ् - दन्ताः। 
  5. फ् - ओष्ठौ। 
  6. न् - दन्त, नासिका। 
  7. ऐ - कण्ठतालु।
  8. औ - कण्ठोष्ठम्।
  9. व् - दन्तोष्ठम्। 
  10. उ - ओष्ठो
  11. र् - मूर्धा।

लघूत्तरात्मकप्रश्नाः

प्रश्न 1. 
निम्नलिखितसूत्राणाम् अर्थों लेख्यः - 
1. अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः। 
उत्तर : 
अर्थः - अकार-कवर्ग (क्, ख्, ग, घ, ङ्) - हकार-विसर्गाणाम् उच्चारणस्थानं कण्ठो भवति। 

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2. लुतुलसानां दन्ताः। 
उत्तर : 
अर्थः - लकार - तवर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) - लकार-सकाराणाम् उच्चारणस्थानं दन्ताः भवन्ति। 

3. ओदौतोः कण्ठोष्ठम्। 
उत्तर : 
अर्थ: - ओकार-औकारयोः वर्णयोः उच्चारणस्थानं कण्ठोष्ठं भवति। 

4. वकारस्य दन्तोष्ठम्। 
उत्तर : 
अर्थ: - वकारस्य उच्चारणस्थानं दन्तोष्ठं भवति। 

5. इचुयशानां तालु। 
उत्तर : 
अर्थ: - इकार-चवर्ग (च्, छ्, ज, झ, ञ्) - यकार-शकाराणाम् उच्चारणस्थानं तालु भवति। 

6. नासिकाऽनुस्वारस्य। 
उत्तर : 
अर्थः - अनुस्वारस्य (-) उच्चारणस्थानं नासिका अस्ति।

प्रश्न 2.
'षकारस्य' उच्चारणस्थानं किं भवति ? 
उत्तर : 
मूर्धा। 

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प्रश्न 3. 
एकार-ऐकारयोः वर्णयोः उच्चारणस्थानं किं भवति ? 
उत्तर : 
कण्ठतालु। 

प्रश्न 4. 
केषां वर्णानाम् उच्चारणस्थानं मूर्धा भवति ? 
उत्तर : 
ऋकार-टवर्ग (ट्, ठ, ड्, द, ण) रेफ-षकाराणाम् उच्चारणस्थानं मूर्धा भवति। 

प्रश्न 5. 
चवर्गस्य उच्चारणस्थानं किं भवति ?
उत्तर : 
तालुः। 

प्रश्न 6. 
केषां वर्णानां नासिका उच्चारणस्थानं भवति ? 
उत्तर : 
ञ्, म्, ङ, ण, न् वर्णनाम्, अनुस्वारस्य च। 

प्रश्न 7. 
पवर्गस्य उच्चारणस्थानं किं भवति ? 
उत्तर : 
ओष्ठौ। 

प्रश्न 8. 
दन्तौष्ठ उच्चारणस्थानं कस्य वर्णस्य अस्ति ? 
उत्तर : 
'व्' वर्णस्य। 

प्रश्न 9. 
ओकार-औकारयोः वर्णयोः उच्चारणस्थानं किं भवति ? 
उत्तर : 
कण्ठोष्ठम्। 

प्रश्न 10. 
व् वर्णस्य उच्चारणस्थानं किं भवति ? 
उत्तर : 
दन्तौष्ठम्। 

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प्रश्न 11. 
केषां वर्णानाम् उच्चारणस्थानं तालु अस्ति ? 
उत्तर : 
'इ, च्, छ्, ज, झ, ञ्, य, श्' वर्णानाम् उच्चारणस्थानं तालु अस्ति। 

प्रश्न 12. 
'ऋटुरषाणां मूर्धा' इत्यस्य अर्थों लेख्यः। 
उत्तर : 
अर्थ:-ऋकार-टवर्ग (ट्, ठ्, ड्, द, ण्)-रेफ-षकाराणाम् उच्चारणस्थानं मूर्धा भवति। 

प्रश्न 13. 
वर्णानाम् उच्चारणाय कति स्थानानि सन्ति ? तेषां नामानि लिखत। 
उत्तर : 
वर्णानाम् उच्चारणाय अष्टौ स्थानानि सन्ति। तेषां नामानि इमानि सन्ति- 1. उरः, 2. कण्ठः, 3. शिरः, 4. जिह्वामूलम्, 5. दन्ताः, 6. नासिका, 7. ओष्ठौ, 8. तालु च। 

प्रश्न 14. 
अमडणनानां नासिका च इत्यस्य अर्थों लेख्यः। 
उत्तर : 
अर्थ: - ज्, म्, ङ, ण, न् इत्येतेषां वर्णानाम् उच्चारणस्थानं नासिका भवति। चकारात् स्वस्ववर्गस्य उच्चारणस्थानमपि भवति। 

प्रश्न 15. 
एदैतोः कण्ठतालु इत्यस्य अर्थो लेख्यः। 
उत्तर : 
अर्थ:-एकार-ऐकारयोः वर्णयोः उच्चारणस्थानं कण्ठतालु भवति। 

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प्रश्न 16. 
अधोलिखितवणैः सह तेषाम् उच्चारणस्थानानां मेलनं कुरुत - 

  1. ह् - तालु
  2. य् - कण्ठः 
  3. ष् - मूर्धा
  4. उ - ओष्ठौ 
  5. औ - कण्ठोष्ठम् 

उत्तर :  
वर्णः - उच्चारणस्थानम्

  1. ह् - कण्ठः
  2. य् - तालु 
  3. ष् - मूर्धा
  4. उ - ओष्ठौ 
  5. औ - कण्ठोष्ठम् 

प्रश्न 17. 
निम्नलिखितवर्णानां समक्षं तेषाम् उच्चारणबोधकसूत्राणि लिखत। 
उत्तर : 
वर्णः - उच्चारणबोधकसूत्रम् 

  1. इ - इचुयशानां तालु। 
  2. ण - ऋटुरषाणां मूर्धा, अमङणनानां नासिका च। 
  3. ब् - उपूपध्मानीयानामोष्ठौ। 
  4. श् - इचुयशानां तालु। 
  5. ओ - ओदौतो: कण्ठोष्ठम्। 
  6. व् - वकारस्य दन्तोष्ठम्। 
  7. : (विसर्ग:) - अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः। 
  8. --- (अनुस्वार) - नासिकाऽनुस्वारस्य। 
  9. घ् - अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः। 
  10. ए - एदैतो: कण्ठतालु। 

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प्रश्न 18.
कः वर्णों अनुनासिक संज्ञः स्यात्? 
उत्तर : 
मुखसहित नासिकयोच्चार्यमाणो वर्णोऽनुनासिक संज्ञः स्यात्। 

प्रश्न 19. 
के वर्णाः अनुनासिक संज्ञकाः भवन्ति? 
उत्तर : 
म, ङ, ण, न, एते वर्णा: अनुनासिक संज्ञकाः भवन्ति। 

प्रश्न 20. 
अ, इ, उ, ऋ एषां वर्णानां प्रत्येकं कति भेदाः भवन्ति? 
उत्तर : 
अष्टादशभेदाः भवन्ति। 

प्रश्न 21. 
यत्नो कतिधा? 
उत्तर : 
यत्नो द्विधा-आभ्यन्तरो बाह्यश्च। 

प्रश्न 22: 
आभ्यन्तरो यत्नः कतिधा?
उत्तर : 
आभ्यन्तरो यत्नः पञ्चधा-स्पृष्टेषत्सष्टेषद्विवृत विवृत संवृतभेदात्। 

प्रश्न 23. 
स्पर्शाः के भवन्ति?
उत्तर : 
कादयो मावसानाः स्पर्शाः भवन्ति।

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्णानाम् उच्चारणस्थान-प्रयत्नानि

प्रश्न 24. 
के महाप्राणाः सन्ति? 
उत्तर : 
वर्णाणां द्वितीय-चतुर्थो शलश्च महाप्राणाः सन्ति। 

प्रश्न 25. 
स्पृष्टं प्रयत्नं केषाम् भवति? 
उत्तर : 
स्पृष्टं प्रयत्नं स्पर्शानां भवति। 

प्रश्न 26.
के घोषाः कथ्यन्ते? 
उत्तर : 
हशः संवारा नादा घोषा कथ्यन्ते।

प्रश्न 27. 
के अन्तस्थसंज्ञकाः सन्ति? 
उत्तर : 
यवरलाः एते चत्वारो वर्णाः अन्तस्थसंज्ञकाः सन्ति। 

प्रश्न 28. 
के वर्णाः ऊष्म संज्ञकाः सन्ति?
उत्तर : 
शषसहाः एते चत्वारो वर्णाः ऊष्म संज्ञकाः सन्ति। 

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् वर्णानाम् उच्चारणस्थान-प्रयत्नानि

प्रश्न 29. 
ए, ऐ वर्णयोः उच्चारणं स्थानं किमस्ति? 
उत्तर :
कण्ठ-तालु अस्ति।

प्रश्न 30.
'व' वर्णस्य किं उच्चारणस्थानं अस्ति? 
उत्तर : 
दन्त-ओष्ठौ उच्चारणस्थानं अस्ति।

प्रश्न 31.
प्रत्ययः कः कथ्यते? 
उत्तर : 
यस्य विधानं क्रियते अर्थात् विधेयः एव प्रत्ययः कथ्यते। 

प्रश्न 32. 
अनुस्वारस्य उत्पत्तेः स्थानं किं अस्ति? 
उत्तर : 
अनुस्वारस्योत्ततेः स्थानं नासिका अस्ति। 

प्रश्न 33. 
केषाम् उत्पत्तेः स्थानं दन्ताः सन्ति? 
उत्तर : 
ल-तवर्ग-ल् स् इति एषामष्टानामुत्पत्तेः स्थानं दन्ता:सन्ति। 

प्रश्न 34.
आभ्यन्तर यत्नानां वर्णनं कुरुत। 
उत्तर : 
वर्णोच्चारणे यत्नो द्विधा भवति। आभ्यन्तर प्रयत्नो वर्णानाम् अभिव्यक्तेः पूर्वं मुखे एव भवति। आभ्यन्तर यत्नो पञ्चधा स्पृष्टेषत्स्पृष्टेषद्विवृतविवृतसंवृतभेदात्। तत्र स्पृष्टं प्रयत्नं स्पर्शानाम्। ईषत्स्पृष्टमन्त:स्थानाम्। ईषद्विवृतमूष्माणाम्। विवृतं स्वराणाम्। ह्रस्वस्यावर्णस्य प्रयोगे संवृतम्। प्रक्रियादशायां तु विवृतमेव। 

प्रश्न 35. 
बाह्ययलानां वर्णनं कुरुत। 
उत्तर : 
बाह्ययत्नस्तु एकादशधा भवन्ति। ते सन्ति-विवारः, संवारः, श्वासो, नादो, घोषोऽघोषो, अल्पप्राणो महाप्राण, उदात्तोऽनुदात्तः स्वरितश्चेति। खरो विवारः श्वासः अघोषाश्च। हशः संवारा नादा घोषाश्च। वर्णाणां प्रथमतृतीयपञ्चमा यणश्चाल्पप्राणाः। वर्णाणां द्वितीय-चतुर्थौ शलश्च महाप्राणा। कादयो मावसानाः स्पर्शाः। 

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प्रश्न 36. 
ईषत्स्पृष्टप्रयत्नं केषां वर्णानां भवति? 
उत्तर : 
ईषत्स्पृष्टप्रयत्नं अन्तस्थवर्णानां भवति। 

प्रश्न 37. 
ईषद्विवृतप्रयत्नं केषां वर्णानां भवति? 
उत्तर : 
ईषद्विवृतप्रयत्नम् ऊष्मवर्णानां भवति।

प्रश्न 38. 
सर्वेषां स्वराणां प्रयत्नः कः भवति? 
उत्तर : 
सर्वेषां स्वराणां प्रयत्नः 'विवारः' भवति। 

प्रश्न 39. 
'श् ष स ह्' वर्णानां बाह्यप्रयत्नः कः भवति?
उत्तर : 
महाप्राणः भवति। 

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प्रश्न 40. 
वर्गाणां प्रथमतृतीयपञ्चमा यणश्च के भवन्ति? 
उत्तर : 
अल्पप्राणाः भवन्ति।

Prasanna
Last Updated on Aug. 21, 2022, 11:32 a.m.
Published Aug. 12, 2022